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पतरस को दोष बोध होना

PETER UNDER CONVICTION
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, २८मार्च, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Saturday Evening, March 28, 2015

''और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)


अपने कूसीकरण से पहले की रात को प्रभु यीशु अपने चेलों को एक उपरी बडे़ कमरे में ले गये। (लूका २२:१२) जहां उन्होंने फसह का भोजन साथ साथ खाया। भोजन के अंत में प्रभु ने कटोरा लिया और प्रभु भोज की स्थापना की। प्रभु ने उन्हें कहा, ''तुम में से एक मुझे पकड़वाएगा।'' (मत्ती २६:२१) तब यहूदा ''वह टुकड़ा लेकर तुरन्त बाहर चला गया, और रात्रि का समय था'' (यूहन्ना१३:३०) फिर उन में यह विवाद होने लगा, ''कि हम में बड़ा कौन है?'' (लूका९:४६) डॉ मैगी ने कहा, ''क्या आप यह कल्पना कर सकते हैं कि क्रूस की छाया तले ये लोग अभी भी पद के लिये लड़ रहे थे'' (जे वर्नान मैगी, टी एच डी, थ्रू दि बाइबल, थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स, १९८३, संस्करण ४, पेज ३४५ लूका पर व्याख्या २२:२४)

वे अभी तक नहीं समझे थे कि प्रभु यीशु कूस पर मरने जा रहे हैं। यद्यपि मत्ती के सुसमाचार में हम पांच जगह पढ़ते हैं कि यीशु ने इस बात का जिक्र किया है (१६:२१; १७:१२; १७:२२−२३; २०:१८−१९; २०:२८)। मैं डॉ मैगी से सहमत हूं कि चेलों ने उद्वार (मन फिराव) नहीं किया था जब तक कि ईस्टर की शाम प्रभु से उनका सामना नहीं हुआ था (यूहन्ना पर व्याख्या २०: २१) (मेरे संदेश पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिए− ''चेलों का भय'' ''इसकी समझ उनको नहीं दी गयी थी'' ''पतरस का परिवर्तन'')

पतरस विशेष कर के सुसमाचार के विरूद् था किंतु पवित्र आत्मा की ओर से उसे कुछ प्रकाशन प्रभु यीशु के बारे में अवश्य था (मत्ती १६:१५−१७) − फिर भी उसने यीशु को झिड़का इस बात के लिये कि उसने कहा था कि ''वह मारा जायेगा और तीसरे दिन मरे हुओं में से जी उठेगा'' इस तरह पतरस ने बड़े प्रभावशाली ढंग से पतरस का इंकार किया था! मत्ती हमें इस बारे में बताता है,

''उस समय से यीशु अपने चेलों को बताने लगा, कि मुझे अवश्य है, कि यरूशलेम को जाऊं, और पुरनियों और महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ से बहुत दुख उठाऊं; और मार डाला जाऊं; और तीसरे दिन जी उठूं। इस पर पतरस उसे अलग ले जाकर झिड़कने लगा कि हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुझ पर ऐसा कभी न होगा। उस ने फिरकर पतरस से कहा, हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।'' (मत्ती १६:२१−२३)

डॉ जे वर्नान मैगी ने इस पद पर यह व्याख्या दी,

पहली बार यीशु चेलों के सामने अपनी मौत और पुनरूत्थान के विषय में घोषणा करते हैं अपने क्रूसीकरण से लगभग छ महिने पहिले का यह समय था। इतनी महत्वपूर्ण घोषणा करने के लिये यीशु इतना इतंजार क्यों करते हैं प्रत्यक्ष रूप से, उनके चेले, उस समय, इस बात के लिये तैयार नहीं थे और वे उनके हिसाब से प्रतिकिया दे रहे थे। यीशु ने पांच बार दोहराया था कि वह यरूशलेम मरने के लिये जा रहे हैं (मत्ती १६:२१); १७:१२; १७:२२−२३; २०:१८−२९; २०:२८) इतने सघन निर्देश के बाद भी चेले इसका महत्व समझने में असफल रहे --- जब तक कि वह फिर से मर कर जी नहीं उठे। जे वर्नान मैगी, टीएचडी, थु दि बाईबल, थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स, १९८३ वाल्यूम ४ पेज ९३ मत्ती १६:२१ पर व्याख्या)

डॉ मैगी ने कहा, ''कि मूलतत्त्व यह है कि पतरस ने कहा था, ‘तुम तो मसीहा हो, तुम तो परमेश्वर के पुत्र हो। तुम् तो कूस पर नहीं चढ़ सकते या चढ़ना आवश्यक नहीं है!’ कूस (उस) की सोच में नहीं था.........बिल्कुल भी नहीं, आप देख सकते हैं।'' (उक्त संदर्भित, मत्ती १६:२२ पर व्याख्या) पतरस ने यह आशा की थी कि यीशु अपने राज्य को उसी समय कायम करेंगे। उसने आशा नहीं की होगी कि मसीह दुख उठायेंगे और जैसे पुराने नियम की भविष्यवाणी में बताया गया है वह कूस पर मारे जायेंगे (यशायाह ५३; भजन २२; जकर्याह १२:१०;१३:६ इत्यादि) मैं डॉ मैगी से सहमत हूं कि पतरस द्वारा सुसमाचार का पूर्ण इंकार इस बात को प्रगट करता है कि उसका नया जन्म नहीं हुआ था जब तक कि मसीह मरकर जी नहीं उठे थे। कोई भी नया जन्म प्राप्त व परिवर्तित व्यक्ति सुसमाचार का कभी इंकार नहीं कर सकता!

अब हम पुन: इस पद पर आते हैं जहां चेले इस बात पर बहस कर रहे होते हैं कि उनमें ''बड़ा कौन है'' तब हम देखते हैं कि यीशु पतरस से क्या कहते हैं,

''शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाईं फटके। परन्तु मैं ने तेरे लिये बिनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना। उस ने उस से कहा; हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्दीगृह जाने, वरन मरने को भी तैयार हूं। उस ने कहा; हे पतरस मैं तुझ से कहता हूं, कि आज मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता'' (लूका २२:३१−३४)

यीशु ने कहा, और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना किंतु पतरस ने कभी सोचा ही नहीं था कि उसे परिवर्तित होने की जरूरत है! मेरा विश्वास है कि ये सोचना गलत होगा कि यीशु पतरस से परिवर्तन के लिये नहीं बोल रहे होंगे। पतरस तब तक परिवर्तित नहीं हुये होंगे जब तक यीशु ने मरे हुओं में से जीवित होकर उन्हें और अन्य चेलों को दर्शन नहीं दिये होंगे और उन पर उस शाम पवित्र आत्मा नहीं फूंका होगा (यूहन्ना २०:२२)। इस घटना के संबंध मे डॉ मैगी ने कहा कि ''इन व्यक्तियों को पुर्नजीवन मिला''। (थ्रू दि बाईबल, संस्करण ४ यूहन्ना २०:२२ पर व्याख्या) मेरे विचार से इस ''निर्णयवाद'' के क्षण में हमें इसे ''नई आंखों से'' देखने की जरूरत है।

पतरस बहुत आत्म विश्वास से परिपूर्ण था जब उसने मसीह को यह उत्तर दिया, ''मैं तेरे साथ कैदखाने तक जाने और मरने तक के लिये तैयार हूं।'' परंतु यीशु जानते थे कि अपरिवर्तित दशा में पतरस ऐसा नहीं कर सकते थे। यीशु ने उसे उत्तर दिया, ''मैं तुम से सच कहता हूं, कि आज ही रात को मुर्गे के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मुझ से मुकर जाएगा।'' सबक यह कहता है कि जब तक आप का नया जन्म नहीं हुआ हो आप शैतान के विरूद् खड़े नहीं हो सकते!

तब यीशु अपने चेलों के साथ उस कमरे से निकलकर गतसमनी नाम बाग जो अंधेरे में डूबा हुआ था आया और और जहां, ''वह व्याकुल होकर और भी ह्रृदय वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था'' जब यीशु अकेले मे प्रार्थना करके वापस लौटे उन्होंने पाया कि चेले सो रहे थे। (लूका २२:४४) जब वह उनसे बोल ही रहे थे, तभी विश्वासघाती यहूदा, मंदिर के पहरेदारों और भीड़ को लेकर वहां प्रगट हुआ, और यीशु को पकड़वा दिया। वे यीशु को घसीट कर महायाजक के घर पर ले गये ''और पतरस दूर ही दूर उसके पीछे पीछे चलता था'' (लूका २२:५४)। महायाजक के घर के बाहर आग जल रही थी। पतरस वहां लोगो के झुंड के साथ आग ताप रहा था। तब उसे देखकर एक छोटी लड़की बोल पड़ी, ''यह भी तो उसके (यीशु के) साथ था।'' पतरस ने यह कहते हुये यीशु का इंकार किया कि, ''हे नारी, मैं उसे नहीं जानता'' (लूका २२:५७)। थोड़ी देर बाद एक दूसरे व्यक्ति ने पतरस को पहचान लिया और कहने लगा कि, ''यह भी तो उसके साथ था'' − तुम भी तो यीशु के चेलों में से एक हो − ''और पतरस ने कहा; हे मनुष्य मैं नहीं हूं।'' (लूका २२:५८) उसके एक घंटे बाद एक ओर अन्य व्यक्ति कहने लगा कि, ''निश्चय यह भी तो उसके साथ था; क्योंकि यह गलीली है'' (लूका २२:५९)। ''और (पतरस) ने कहा, तब वह धिक्कार देने और शपथ खाने लगा, कि मैं उस मनुष्य को नहीं जानता।'' (मत्ती २६:७४)

''पतरस ने कहा, हे मनुष्य, मैं नहीं जानता कि तू क्या कहता है! वह कह ही रहा था कि तुरन्त मुर्ग ने बांग दी। तब प्रभु ने घूमकर पतरस की ओर देखा, और पतरस को प्रभु की वह बात याद आई जो उस ने कही थी, कि आज मुर्ग के बांग देने से पहिले, तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा। और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६०−६२)

अब यह हमारा पद है ''और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' इससे दो सबक सीखे जा सकते हैं − एक तो उसके अपराध बोध का कारण और दूसरा उससे बचाव।

१. पतरस के अपराध बोध का कारण।

पतरस को पाप के बोध तले दबा पाते हैं। डॉ ए टी राबर्टसन कहते हैं, ''वह फूट फूट कर रोया। दिल से ‘गहन संतापी’ होकर रोना भी सभी भाषाओं में आंसुओं के सैलाब के लिये प्रयुक्त होता है।'' (ए टी राबर्टसन लिटरेचर डी, वर्ड पिक्चर्स इन दि न्यू टेस्टामेंट, ब्राडमैन प्रैस, १९३०, संस्करण २, पेज २७६, लूका २२:६२ पर व्याख्या)

डॉ आर सी एच लेंस्की ने कहा, ''मत्ती और लूका पतरस के (प्रायश्चित) का वर्णन दो शब्दों में (एकलाउज पिकरोज) करते हैं, जिनमें से एक तो कियात्मक रूप है जोर से, रोना सुना जाना: 'वह फूट फूट कर रोया’। यह किया विशेषण न केवल शारिरिक रूप से रोना दर्शाता है परंतु यह गहन पछतावे के बाद उपजी दशा है। यह एक स्वाभाविक रूप में उपजा दुख है कि हमने वास्तव में पाप किया है'' (आर सी एच लेंस्की, पी एच डी, दि इंटरपिटेशन आँफ सेंट लूक सुसमाचार , आँग्सबर्ग पब्लिशिंग हाउस, संस्करण १९६१, पेज १०९१, लूका २२:६२ पर व्याख्या)

''और पतरस बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

यह परमेश्वर द्वारा दिया गया दुख था,

''क्योंकि परमेश्वर−भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है'' (२ कुरूंथियों ७:१०)

यह वह संताप था, जो परमेश्वर के आत्मा द्वारा पैदा किया गया था,

''और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।'' (यूहन्ना १६:८)

पाप के बोध के विषय में सामान्य रूप से बोलते हुये, आयन एच मुर्रे ने कहा,

पवित्र आत्मा पाप का बोध कराने आता है। यह परम आवश्यक है कि मनुष्य पाप का प्रायश्चित करे.........उसे का करवाता है (पवित्र आत्मा) पाप का बोध कराने के उददेश्य से आता है, ताकि मनुष्य पाप दोष गहराई से महसूस करे,अत्यधिक प्रायश्चित करे − इतना कि वह इस भाव में जिये कि वह भटका हुआ है, खोया हुआ है पवित्र आत्मा इसलिये आता है कि पाप को पाप प्रगट करे और हमें (पाप) के भयंकर परिणामों से अवगत करवाये वह हमें ऐसे घावों को देने आता है कि जिसे कोई मनुष्य अच्छा नहीं कर सकता; वह हमें ऐसा मारता है कि संसार की कोई ताकत हमें जिला नहीं सकती पवित्र आत्मा के इस विध्वंसकारी कार्य को हमें पहचानना चाहिये अन्यथा हम उसके अतिशीघ्र ज्यों का त्यों कर देने वाले व पुनः निर्माण करने वाले कार्य को कभी नहीं जानेंगे। इसलिये इस विध्वंसकारी कार्य का अनुभव लेना अति आवश्यक है और इस पर जोर देना भी जरूरी है इसलिये कि आज हमारे अनेक गढ़ बने हुये हैं जिनको ढहाया नहीं गया है, अनेक मन अहंकार से भरे हुये हैं जो खाली नहीं किये गये हैं, इतने अधिक अपने को उंचा समझने वाले लोग हैं जो कभी नम्र नहीं किये गये हैं तो मैं आपको ईमानदारी से यह स्मरण दिलाना चाहता हूं कि पवित्र आत्मा द्वारा (आपको) पाप का बोध करवाया जाना अति आवश्यक है अन्यथा (आप) बचाये नहीं जा सकते। पाप (का बोध) करवाया जाना अति आवश्यक है अन्यथा परमेश्वर के अनुग्रह का सुसमाचार सुनने के लिये आप को बुलाहट नहीं मिलेगी ......... आज परिवर्तन के लिये सच्चाई की पुनप्राप्ति का होना अत्यंत आवश्यक है। आज इस विषय पर दूर दूर तक जो विरोधाभास फैला है उसको जड़ से मिटाने के लिये एक मजबूत हवा का बहना अत्यंत आवश्यक हैं। परमेश्वर में फिर से नया उत्पन्न हुआ डर संसार की अनेक बातों को उड़ा कर रख देगा .........। (आयन एच मुर्रे, दि ओल्ड इवेंजलिक्लज्म, दि बैनर आफ ट्स्ट, संस्करण २००५, पेज ६६−६७)

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''और पतरस बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

व्यक्तिगत रूप से, मैं मानता हूं कि पतरस पुराने सुसमाचारिय प्रकार के पाप के बोध में आया। हां मैं जानता हूं, कि पतरस ने बहुत पहले ही यीशु से कहा था, ''हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूं।'' (लूका ५:८) अपने को पापी समझना एक बात है और अपने पाप का भयानक बोझ पवित्र परमेंश्वर के सामने महसूस करना एक बिल्कुल ही अलग बात है! मुझे दृढ़ निश्चय हैं कि पतरस को इसके पहले कभी पापों का बोध नहीं आया।

''और पतरस बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

हर वह व्यक्ति जो परिवर्तित होता है तो आवश्यक नहीं कि वह आंसुओं से रोये।तौभी लूथर बुनयन वाईटफील्ड वेस्ली और कई हजार लोग जब आत्मिक जाग्रति आई तब उनके आंसू बह निकले। और आज के सुसमाचार में मेरे विचार से जो सबसे बड़ी कमी हैं वह है कि लोगों के कोई आंसू नहीं निकलते क्योकि परमेश्वर प्रदत्त दुख, ''वह शोक (जो) ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है'' (२ कुरूंथियों ७:१०)

''और पतरस बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

एक जवान व्यक्ति ने कहा, '' जब कभी मै अपनी और ताकता हूं मैं स्वयं को पापी के रूप मे पाता हूं।'' सचमुच ''देखना'' एक बात होती है पर क्या आप अपने आप को पापी महसूस करते हैं? क्या इससे आपके उपर भारी बोझ आता है आपके भीतर कुछ ''टूटता'' है जैसा कि आयन एच मुर्रे ने कहा? क्या आप व्यर्थ परिश्रम कर रहे हैं और पाप के भारी बोझ तले दबे हैं? क्या जब आप अपने पाप के बारे में सोचते हैं तो आप के भीतर उदासी छा जाती है?

''और पतरस बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

पतरस को जो अपने पापों का बोध हुआ वह परमेश्वर के आत्मा के कारण से पैदा हुआ था।

२. पतरस का पापों के बोध से बचाव।

मेरा समय पूरा हो गया है। मैं संक्षिप्त में इस बिंदु को समझाउंगा। पतरस की आत्मा शुक्रवार, शनिवार और (रोमन गणना के अनुसार) रविवार को लगभग पूरे दिन गहरे द्वंद् में फंसी रही। ईस्टर रविवार की सुबह,

''तब पतरस....उठकर कब्र पर दौड़ गया, और झुककर केवल कपड़े पड़े देखे, और जो हुआ था, उस से अचम्भा करता हुआ, अपने घर चला गया'' (लूका २४:१२)

पतरस अभी भी ''आश्चर्य'' में था; और और सुसमाचार को पूर्ण रूप से मानता नहीं था व समझ नहीं पाया था।

मेरा मानना है कि जब मसीह जीवित होने के बाद ग्यारह चेलों को दिखाई दिये और कहा कि ''पवित्र आत्मा लो'' तब पतरस ने पूर्ण रूप से नया जन्म पाया (यूहन्ना २०:२२), डॉ मैगी ने यूहन्ना २०:२२ पर यह व्याख्या दी,

यह सही है कि शिमौन पतरस ने कुछ विवेक शील होने का परिचय दिया था यह कहकर कि यीशु ही मसीह है लेकिन इसके कुछ ही मिनटों बाद यीशु को क्रूस पर चढ़ने व मरने के लिये मना भी किया था। मैं व्यक्तिगत रूप से विश्वास करता हूं कि जिस क्षण प्रभु ने उनके उपर आत्मा फूंका होगा और कहा कि ''पवित्र आत्मा लो'' इन व्यक्तियों ने (नया जन्म) पाया होगा इसके पहले परमेश्वर के पवित्र आत्मा का निवास उनके भीतर नहीं था। (जे वर्नान मैगी टी एच डी उक्त संदर्भित पेज यूहन्ना २०:२२) पर यह व्याख्या

डॉ मैगी के समान मैं भी यह मानता हूं कि पतरस का नया जन्म ईस्टर की शाम को हुआ। जब मसीह उसे और अन्य चेलों को दिखाई दिये थे। तब स्वयं यीशु ने पतरस को पापों के बोध से छुटकारा दिया।

क्या आप को अपने पापों का बोझ महसूस होता है? क्या पापों के बोध से आप का मन व्यथित और भारी होता है? क्या आप चाहते हैं कि मसीह के बेशकीमती रक्त से आप के पाप शुद् हो जायें?

डॉ जॉन आर राइस के सुसमाचारिय गीत, ''यीशु,केवल यीशु'' के दूसरे अंतरे की पंक्तियां ऐसा लगता है कि मानो पतरस द्वारा ही लिखी गयी हो!

मेरी भलाई की सोच ने मुझे नाकाम किया मेरे पापों का कोई बचाने वाला नहीं था,
   तब परमेश्वर के आत्मा ने मुझे उभारा कि मैं अपने पाप यीशु पर छोड़ दूं।
मेरे पाप सब क्षमा हुये, पाप की बेडि़यां काट दी गई,
   मेरा संपूर्ण मन, केवल और केवल यीशु के लिये, दे दिया गया है।
(''यीशु केवल यीशु'' डॉ जॉन आर राइस १८९५ – १९८०)

अगर आप अपने पाप के प्रति मन में उदास और खेदित हैं, पापी स्वभाव के लिये खेदित हैं, तो यीशु ही एकमात्र बचाव है। जैसे डॉ राइस ने कहा, ''(अपने) पाप यीशु पर छोड़ दो'' आमीन।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''यीशु, केवल यीशु'' (डॉ जॉन आर राइस १८९५ – १९८०)


रूपरेखा

पतरस को दोष बोध होना

PETER UNDER CONVICTION

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''और वह बाहर निकलकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२)

(लूका २२:६२; मत्ती २६:२१; यूहन्ना १३:३०; लूका ९:४६;
मत्ती १६:२१; १७:१२; १७:२२−२३; २०:१८−१९; २०:२८;
१६:२१−२३; लूका २२:३१−३४, ४४, ५४, ५६, ५७, ५८, ५९, ६०;
मत्ती २६:७४; लूका २२:६०−६२)

१. पतरस के अपराध बोध का कारण, २ कुरूंथियों७:१०; यूहन्ना १६:८; लूका ५:८

२. पतरस का पापों के बोध से बचाव, लूका २४:१२; यूहन्ना २०:२२