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बाइबल की भविष्यवाणी का एक खोया हुआ भाग जिसका
प्रकाशन हमें वर्तमान में मिला

A MISSING PIECE OF BIBLE PROPHECY
ILLUMINATED FOR US TODAY
(Hindi)

डॉ आर एल हायमर्स‚जूनि॰
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

ल्योस ऐंजीलिस के बैपटिस्ट टेबरनेकल में रविवार की संध्या
२२ सितंबर‚२०१९ को प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, September 22, 2019

“परन्तु हे दानिय्येल‚ तू इस पुस्तक पर मुहर कर के इन वचनों को अन्त समय तक के लिये बन्द रख......" (दानिएल १२:४; स्कोफील्ड पेज ९१९)

“यह बात मैं सुनता तो था परन्तु कुछ ना समझा। तब मैंने कहा‚ हे मेरे प्रभु‚ इन बातों का अन्तफल क्या होगा? उस ने कहा‚ हे दानिय्येल चला जा; क्योंकि ये बातें अन्त समय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है" (दानिएल १२:८‚९; पेज ९२०)


भविष्यवक्ता दानिएल “अंत के समय" घटने वाली बातों के विवरण को नहीं समझे थे। हमें पद ८ में साफ साफ कहा गया है‚ “यह बात मैं सुनता तो था परन्तु कुछ ना समझा।" तब परमेश्वर यहोवा ने दानिएल से कहा, “ये बातें अन्त समय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है" (दानिएल १२:९)

दानिएल भविष्यवाणी के वचनों को समझ गए थे। परंतु वह यह नहीं समझे थे कि किस तरह अंत समय की ये घटनाएं होंगी। धर्मशास्त्र में लिखा हुआ है “ये बातें अन्त समय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है" (दानिएल १२:९)। उन्हें परमेश्वर की प्रेरणा से ये वचन प्राप्त हुए थे। परंतु उनके अर्थ संबंधी प्रकाशन अभी तक दानिएल को नहीं मिला था। वचनों का ये प्रकाशन अंत समय तक नहीं मिलना था। जब हम इस युग के अंत समय में पहुंचेगे‚ भविष्यवाणी को समझने के लिए हमारी अंर्तदृष्टि और बढ़ जाएगी।

मुझे अच्छी तरह से याद है कि मैंने “बादलों में उठा लिये जाने" के विषय में सुना था। मेरे शिक्षक ने हमें बताया था कि बादलों में उठा लिया जाना क्लेश काल के आरंभ होने के सात वर्ष पूर्व होगा। मैंने मेरे शिक्षक से पूछा कि बाइबल में कहां सिखाया गया है कि बादलों में उठा लिया जाना क्लेश काल के पूर्व होगा।

वह मुझे उत्तर नहीं दे सके। तब मैं लगभग दशकों तक सात वर्षो के क्लेश काल के पहिले “किसी भी क्षण" बादलों में उठा लिए जाने पर प्रश्न करता रहा। तब मैंने पाया कि क्लेश काल के पूर्व बादलों में उठा लिए जाने को जे एन दर्बी द्वारा पहिले प्रचलित किया गया और उन दर्बी ने इसे एक पंद्रह वर्षीय लड़की जिसका नाम मार्गेट मेकडॉनेल्ड था, जो करिश्माई पंथ की थी, जिसने इसका “स्वप्न" देखा था, उससे “सुना" था। कुछ कारणों से जे एन दर्बी ने इसे घोषित करना शुरू कर दिया था। इसके पश्चात सी. आय. स्कोफील्ड ने अपनी स्कोफील्ड स्टडी बाइबल में इसका वर्णन किया था। अब नये इवेंजलीकल्स भी इसी रेप्चर को आधार बनाकर प्रचार करते हैं।

तब मार्टिन जे रोजेंथल ने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम था दि प्री रेथ रेप्चर ऑफ दि चर्च (थोमस नेल्सन‚ १९९०) हांलाकि मैं रोजेंथल की हर बात से सहमत नहीं हूं। किंतु मैं सोचता हूं कि उसने कब “बादलों पर उठा" लिये जाने की घटना होगी, उसको जानने के लिए एक अच्छी समझ दी है। इसके पहिले कि आप रेव्ह. रोजेंथल के मत की समीक्षा करें कृपया उनकी पुस्तक को लेकर सावधानीपूर्वक पढ़ें।

वे सिखाते हैं कि क्लेश का काल खत्म होने के अंत में “बादलों पर उठा" लिए जाने की घटना होगी‚ यह प्रकाशितवाक्य १६ में परमेश्वर यहोवा के क्रोध के “प्रकोप के कटोरे" के उड़ेलें जाने के थोड़े समय पूर्व होगा। इसमें मुझे कुछ अर्थ नजर आता है — किसी किशोर के स्वप्न पर आधारित तथ्य के बजाय मुझे कुछ इस पुस्तक की बात में अर्थ समझ में आता है!

ये क्यों आवश्यक है? मैं आपको बताऊंगा कि इसे क्यों होना आवश्यक है। क्लेश के सात वर्ष पूर्व अगर रैप्चर होता है‚ तो मसीहियों को कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। केवल रविवार की सुबह भीड़ के संग चर्च जाइए! आपको किसी आत्मा को जीतने की आवश्यकता नहीं है। आपको अविश्वासियों से अलग होने की जरूरत नहीं है। ऐसी शिक्षा अगर आपको मिली है तो यह ऐंटीमोनियज्म को जन्म देती है (इसके बारे में पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए।)

इस संदेश का शीर्षक है‚ “बाइबल की भविष्यवाणी का एक खोया हुआ भाग जिसका प्रकाशन हमें वर्तमान में मिला" ये खोया हुआ भाग क्या है? इसे स्वधर्मत्याग कहते हैं । मैं ५० वर्षो से अधिक समय से बाइबल भविष्यवाणियों का अध्ययन कर रहा हूं। मुझे यह बड़ा अजीब लगता है कि “स्वधर्मत्याग" जैसा महत्वपूर्ण विषय हमारे समय में इतना अधिक उपेक्षित रहा है। मेरे डेस्क पर तीन प्रमुख पुस्तकें मौजूद हैं — जिसमें इस विषय के सारे मुख्य बिंदु हैं। इन पुस्तकों को अच्छे और धर्मभीरू व्यक्तियों द्वारा लिखा गया है‚ ऐसे व्यक्तियों द्वारा‚ जिनके उपर इस विषय को लेकर विश्वास किया जा सकता है। परंतु इनमें से किसी भी पुस्तक में “स्वधर्मत्याग" विषय पर लिखा हुआ नहीं मिलता है। जबकि वर्तमान में “स्वधर्मत्याग" बुनियादी विषय है।

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कृपया २ थिस्सलुनिकियों २: ३ को खोल लीजिए। किंग जेम्स के अनुसार ऐसा लिखा है‚

“किसी रीति से किसी के धोखे में न आना क्योंकि वह दिन न आएगा‚ जब तक धर्म का त्याग न हो ले‚ और वह पाप का पुरूष अर्थात विनाश का पुत्र प्रगट न हो" (२ थिस्सलुनिकियों २: ३; पेज १२७२ स्कोफील्ड)

इस पद का अनुवाद न्यू अमेरिकन स्टैंडर्ड बाइबल के अनुसार इस प्रकार मिलता है‚

“किसी रीति से किसी के धोखे में न आना क्योंकि वह दिन (प्रभु का दिन) न आएगा‚ जब तक धर्म का त्याग न हो ले और वह पाप का पुरूष अर्थात विनाश का पुत्र प्रगट न हो" (२ थिस्सलुनिकियों २: ३‚ एनएएसबी)

“अपोस्टी" का अनुवाद “अपोस्टासिया" किया गया है। किंग जेम्स में इसे “धर्म का त्याग" करना कहा गया है।

डॉ डब्ल्यू ए क्रिसवेल ने लोइसविल केंटाकी के सदर्न बैपटिस्ट थियोलॉजिकल सेमनरी से यूनानी व्याख्या में पी.एच.डी. की थी। डॉ क्रिसवेल हमेशा नये नियम में दिए गए यूनानी शब्दों पर बहुत बारीकी से नजर रखते थे। डॉ क्रिसवेल ने कहा था कि‚ “प्रभु का दिन आने के पूर्व विश्वासियों में एक खास प्रकार से धर्मत्याग दिखाई देगा। जिस शब्द (हे) का प्रयोग किया गया है, वहां पौलुस के दिमाग में एक अलग प्रकार के अपोस्टिया का तात्पर्य है।" यह पता चलने पर हम २ थिस्सलुनिकियों २: ३ से दो महत्वपूर्ण बातें सीखते हैं,


१॰ प्रभु का दिन आने के पूर्व, धर्मत्याग अनिवार्य रूप से दिखाई देगा।

२॰ प्रभु का दिन आने के पूर्व, मसीहविरोधी “प्रकट" होगा।


ये दोनों बातें प्रभु का दिन प्रकट होने के पूर्व होंगी‚ जब अंत समय में क्लेश और परमेश्वर यहोवा के क्रोध का काल चल रहा होगा। पूर्व क्लेश — काल में रेप्चर का सिद्वांत सब मसीहियों को पहिले से ही पता है। इसलिए वर्तमान में इवेंजलीकल्स मसीहियों को “स्वधर्मत्याग" के खतरे के बारे में प्रचार नहीं किया जाता है। यही कारण है कि बाइबल भविष्यवाणियों की अधिकतर पुस्तकों में स्वधर्मत्याग के उपर कोई लेख नहीं मिलेगा!

परंतु अगर मार्विन रोजेंथॉल सही हैं‚ और वे सही हैं‚ तो ठीक इस समय हम “स्वधर्मत्याग" के युग में ही जी रहे हैं! वर्तमान में यह मसीहियों को किस प्रकार प्रभावित करता है “तीसरी दुनिया" में लोग बहुत बुरी तरह से प्रताड़ित किए जा रहे हैं‚ ऐसा पूर्व काल में इतना नहीं हुआ। “पश्चिमी जगत" में भी हम शैतान और दुष्टात्माओं के बड़े प्रहारों को झेल रहे हैं। भविष्यवक्ता दानिएल को ये बातें कही गयी थीं किंतु उनने कहा‚ “मैं कुछ ना समझा।" तब परमेश्वर ने दानिएल से कहा‚ “ये बातें अन्त समय के लिये बन्द हैं और इन पर मुहर दी हुई है" (दानिएल १२:८‚९) ।

जॉन एस डिकरसन ने एक बहुत अच्छी पुस्तक दि ग्रेट इवेंजलीकल रिसेशन लिखी है (बुकर हाउस‚ २०१३) जॉन एस. डिकरसन‚ गेब लियांस का उद्धरण देते हैं, जिन्होंने कहा था,

इतिहास में ऐसा क्षण फिर कभी नहीं आया। इसके अनूठेपन को एक मूल प्रतिक्रिया चाहिए होती है। अगर हम एक अलग तरीके को प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं‚ तो हम पूरी की पूरी पीढ़ी को स्वधर्मत्याग एवं निराशावाद के सामने (खो देंगे).........हमारे मित्र आराधना की दूसरी पद्वतियों (को) अपनाना शुरू कर देंगे......... समय कम है, पर इसके लिए अधिक विनती की जा सकती है" (दि नेक्स्ट क्रिश्चयंस‚ डबलडे‚ २०१०‚ पेज ११; इस कथन पर मैंने बल दिया)।

डिकरसन की पुस्तक के आवरण पर लिखा है‚

“अमेरिकन चर्च सिकुड़ रहा है......युवा मसीही जन भाग रहे हैं। हमारे दान कम हो रहे हैं.....अमेरिका की संस्कृति बहुत तेजी से शत्रुता रखने वाली और विरोधी होती जा रही है। किस प्रकार हम इस विनाशकारी पतन को बचा सकते हैं?"

मैं जॉन डिकरसन की पुस्तक के पहिले हिस्से को पसंद करता हूं किंतु उसके अंतिम अधिकतम हिस्से‚ कैसे तैयारी करें‚ उससे असहमत हूं।

तैयारी करने के लिए हमें यह समझना आवश्यक है कि हम “स्वधर्मत्याग" की अवस्था के प्रारंभ में हैं। अगर हम सोचते हैं कि हम पहिले ही बादलों में उठा लिए जाएंगे‚ तो ऐसी सोच और दुखदायी होगी क्योंकि ऐसा सोचने पर हम आगे आने वाले कठिन समय के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे।

पास्टर रिचर्ड वर्मब्रैंड एक इवेंजलीकल पास्टर थे जिन्होनें १४ वर्ष काम्यनिस्ट जेलों में बिताए और मसीह के नाम के कारण रोमानिया में प्रताड़ित किए गए। जेल में उन्होंने जो दुख झेले, अमेरिका के मसीहियों ने इतना दुख नहीं उठाया होगा। जेल की कोठरी में चूहों ने उनके पैर को खा लिया। उन्हें पीटा जाता था। रेड हॉट पोकर ने उनकी गर्दन और सारे शरीर पर घाव बना दिए थे। उन्हें मरने की हद तक भूखा रखा गया। ऐसी भयानक सजा उन्हें १४ वर्षो तक दी जाती रही। इस दुख उठाने को पास्टर वर्मब्रैन्ड ने “सफरोलॉजी" का नाम दिया अर्थात दुख उठाने का सिद्वांत। उसके पश्चात जब वे अमेरिका पहुंचे ये भी एक (चमत्कार) था, उन्होंने कई चर्चेस में प्रचार किया — जिसमें हमारा चर्च भी शामिल था, उन्होंने शिक्षा दी कि कलीसिया को दुख उठाने की तैयारी की जरूरत है। पास्टर ने सिखाया कि अमेरिका में मसीहियों को दुख उठाने की तैयारी की आवश्यकता है। उनका कहना था‚ “हमें अभी से तैयारी करना है, इसके पहिले कि हमें जेल में डाल दिया जाए, जेल में आप सब कुछ खो देते हैं.....इस जीवन को जो आनंद प्रदान करने वाली बातें हैं, उनमें से कुछ भी वहां हमारे साथ नहीं होती हैं। इसलिए जिसने पहिले से जीवन के सुखों का त्याग नहीं किया हो, वह बाद में उन बाधाओं का मुकाबला नहीं कर सकता" (लेट दि नेशंस बी ग्लेड में जॉन पायपर का उद्धरण, बेकर बुक्स, २०२०‚ पेज १०)

डॉ पॉल नाइक्विस्ट ने कहा था‚ “तैयार रहिए। जैसे जैसे सांस्कृतिक बदलाव की मार हमारे देश पर पड़ेगी‚ हमें चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा‚ जैसा बाइबल कहती है.....सताव का प्रत्युत्तर देने के लिए" (जे पॉल नाइक्विस्ट‚ प्रीपेरः लीविंग योर फेथ इन एन इनक्रिंजिगली होस्टाईल कल्चर‚ मूडी पब्लिशिर्स‚ २०१५‚ पेज १४)

नूह के दिन भी स्वधर्मत्याग के दिन हैं

यीशु ने कहाथा‚

“जैसे (नूह) के दिन थे‚ वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।क्योंकि जैसे जलप्रलय से पहिले के दिनों में‚ जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा‚ उस दिन तक लोग खाते—पीते थे और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया‚ तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा" (मत्ती २४:३७—३९; पेज १०३४)

कई इवेंजलीकल्स सोचते हैं कि नूह के दिन बड़े क्लेश के दिन थे। परंतु इससे भी बढ़कर क्लेश पाया गया। नूह के दिनों में ऐसा होता था‚ “जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा‚ उस दिन तक लोग खाते—पीते थे और उन में ब्याह शादी होती थी" (मत्ती २४:३८)

ठीक यही अमेरिका और पश्चिमी जगत में हो रहा है! तीसरी दुनिया के देशों में बहुत अधिक सताव पाया जाता है। लेकिन चीन जैसी जगह पर वास्तव में आत्मिक जागरण भी हो रहा है। परंतु अमेरिका और पश्चिमी जगत में नहीं! यहां लोग भौतिक वस्तुओं के भोग में डूबे हुए हैं। वे खा पी रहे हैं‚ विवाह इत्यादि में लगे हुए हैं। दिखने में ये सब सामान्य दिनचर्चा लगती है। परंतु बात इससे भी आगे बढ़कर है। लोगों के जीवन का केंद्र यही रह गया है — “खाना पीना और ब्याह शादी करना।" वे सोचते हैं कि इन्हीं चीजों के लिए तो जिंदगी है! उनके जीवन का केंद्र परमेश्वर यहोवा नहीं था! उनके लिए जीवन में इन भौतिक वस्तुओं का होना महत्वपूर्ण था!

लौदीकिया का चर्च अमेरिका एवं
पश्चिमी देशों की तस्वीर है

यीशु कहते हैं‚

“और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख‚ कि‚ जो आमीन‚ और विश्वासयोग्य‚ और सच्चा गवाह है‚ और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है‚ वह यह कहता है। कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्मः भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। सो इसलिये कि तू गुनगुना है और न ठंडा है और न गर्म‚ मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं। तू जो कहता है कि मैं धनी हूं और धनवान हो गया हूं और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं और यह नहीं जानता कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा और नंगा है। इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहिन कर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले कि तू देखने लगे। मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो और मन फिरा।" (प्रकाशितवाक्य ३:१४—१९; पेज १३३४)

ये धर्मत्यागी चर्च की तस्वीर है। यह उदासीन चर्च है‚ “न तो ठंडा है और न गर्म" (प्रकाशितवाक्य ३:१६)। यह उन लोगों से भरा चर्च है जिनका हृदय परिवर्तन नहीं हुआ है (प्रकाशितवाक्य ३:१७)। यह वह चर्च है जिसके लोगों ने पश्चाताप करने से इंकार कर दिया (प्रकाशितवाक्य ३:१९)।

हमने पिछले ४० वर्षो में दो बड़े चर्च विभाजन देखें। दोनों बार जो “उदासीन" किस्म के लोग थे‚ वे हमें छोड़कर गए। दोनों बार ये लोग आत्माओं को जीतने के कार्य में “उदासीन" साबित हुए। दोनों बार के इन छोड़कर जाने वालों में मसीहत की गंभीरता की कमी थी। वे बातें जो उन्हें हमसे दूर लेकर गयीं‚ वह ये थीं कि हम “बहुत सख्त" थे और हमको छोड़कर जाने पर वे “जिंदगी का लुत्फ" और अधिक उठा सकते थे। परंतु परिणाम यह हुआ यह कि दोनों ही बार वे एक “आत्मिक रूप से लौलीन" चर्च बनाने में विफल हुए। उन दोनों को (बहुत देर) होने के बाद समझ में आया कि वे उनके चर्च के लोगों को ऐसे उदासीन वातावरण में नहीं रख सकते हैं। अंततः यह हुआ कि ये अलग हुए दोनों ही चर्च असफल सिद्व हुए। यीशु ने ऐसी कलीसियाओं के लिए ही तो कहा था‚ “मैं तुझे अपने मुंह में से (उगलने) पर हूं" (प्रकाशितवाक्य ३:१६)। ऐसे लोग संसार से अलग नहीं होना चाहते हैं‚ इसलिए संसार के तौर तरीके‚ शारीरिक प्रवृत्तियां और शैतान उन्हें दूषित बना देते हैं। ऐसे लोग रूढ़िवादी आत्मिक उग्रता रखने वाले लोग नहीं बनना चाहते हैं‚ इसलिए वे जल्दी से उदासीन प्रकार के इवेंजलीकल्स बन जाते हैं! आत्मिक तौर पर वे केवल आधे जिंदा रहते है — या इससे भी बदतर हो जाते हैं!

अपने आप से पूछिए। जो लोग हमारा साथ छोड़कर चान के साथ चले गए‚ अगर वे चीन जैसी जगह में होते तो क्या वे किसी गुप्त चर्च में रह पाते या फिर वे कम्यूनिस्टों द्वारा चलाए गए “थ्री सेल्फ चर्च" में चले जाते? आपको उत्तर पता है! उत्तर आप पहिले से जानते हैं! वे बिल्कुल कम्यूनिस्ट चर्च में शामिल हो जाते। क्यों? क्योंकि वे सच्ची मसीहत से कोसों दूर हैं। उनके मुख तो नर्म शिक्षा देने वाले‚ नये इवेंजलीकल “चर्च" का संदेश सुनने के लिए भूखे हैं। धर्मत्यागी चान ने उन्हें ऐसा ही तो चर्च दिया है! नम्र‚ कोमल शिक्षा प्रदान करने वाला नया इवेंजलीकल “चर्च"। आप जानते हैं! आपको पहिले से ही पता है!!! और मैं आपको कोई नयी बात नहीं बता रहा हूं!!!

वर्तमान में न्यू इवेंजलीकल चर्चेस में जो स्वधर्मत्याग देखने को मिलता है‚ उसका वर्णन करते हुए मैं इस संदेश का अंत करना चाहूंगा‚

“पर यह जान रख कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे। क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी‚ लोभी‚ डींगमार‚ अभिमानी‚ निन्दक‚ माता—पिता की आज्ञा टालने वाले‚ कृतघ्न‚ अपवित्र। दयारिहत‚ क्षमारिहत‚ दोष लगाने वाले‚ असंयमी‚ कठोर‚ भले के बैरी। विश्वासघाती‚ ढीठ‚ घमण्डी और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे। वे भक्ति का भेष तो धरेंगे‚ पर उस की शक्ति को न मानेंगे; ऐसों से परे रहना" (२ तिमोथियुस ३:१—५; पेज १२८०‚ १२८१)

“और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचतीं" (२ तिमोथियुस ३:७; पेज १२८१)

“पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे" (२ तिमोथियुस ३:१२; पेज १२८१)

“कि तू वचन को प्रचार कर; समय और असमय तैयार रह‚ सब प्रकार की सहनशीलता‚ और शिक्षा के साथ उलाहना दे‚ और डांट और समझा। क्योंकि ऐसा समय आएगा कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे। और अपने कान सत्य से फेरकर कथा—कहानियों पर लगाएंगे। पर तू सब बातों में सावधान रह‚ दुख उठा‚ सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर" (२ तिमोथियुस ४:२—५; पेज १२८१)

“क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है और थिस्सलुनीके को चला गया है और क्रेसकेंस गलतिया को और तीतुस दलमतिया को चला गया है" (२ तिमोथियुस ४:१०; पेज १२८१)

“अब हे भाइयो‚ मैं तुम से बिनती करता हूं कि जो लोग उस शिक्षा के विपरीत जो तुम ने पाई है‚ फूट पड़ने‚ और ठोकर खाने के कारण होते हैं‚ उन्हें ताड़ लिया करो; और उन से दूर रहो। क्योंकि ऐसे लोग हमारे प्रभु मसीह की नहीं‚ परन्तु अपने पेट की सेवा करते है; और चिकनी चुपड़ी बातों से सीधे सादे मन के लोगों को बहका देते हैं" (रोमियों १६:१७‚१८; पेज १२१०)

मेरे प्रिय भाइयों और बहिनों‚ हम देखते हैं कि जिन बातों का संदेश मैंने आज रात आपको दिया‚ उनमें से कई बातें महान भविष्यवक्ता दानिएल भी नहीं समझ समझ पाए थे। परंतु परमेश्वर यहोवा का धन्यवाद हो कि उन्होंने मार्विन रोजेंथाल जैसे मिशनरी को बढ़ाया कि वह आगे आकर इस पर बोलें और “क्लेश व यीशु के दूसरी बार आगमन पर व विश्वासियों के बादलों पर उठा लिए जाने के उपर हमें एक नयी समझ प्रदान की" (पुस्तक का आवरणदि प्री रेथ रेप्चर ऑफ दि चर्च‚ थॉमस नेल्सन‚ १९९०)

हां‚ अब हम इस बड़े अंत समय के स्वधर्मत्याग के आरंभ में हैं। हां‚ हमें सताव की स्थिति से होकर जाना होगा‚ जैसे चीन में लोगों को सहन करना पड़ा‚ रिचर्ड वर्मब्रैंड को सहना पड़ा और जैसे “तीसरी दुनिया" के देशों में लोग सहन करते हैं। परंतु जो मसीह से प्रेम करते हैं‚ वे अंत में विजयी होंगे। इसलिए मसीह कहते हैं‚

तू ने मेरे धीरज के वचन को थामा है इसलिये मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूंगा‚ जो पृथ्वी पर रहने वालों के परखने के लिये सारे संसार पर आने वाला है। मैं शीघ्र ही आनेवाला हूं; जो कुछ तेरे पास है‚ उसे थामें रह कि कोई तेरा मुकुट छीन न ले। जो जय पाए‚ उस मैं अपने परमेश्वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊंगा; और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्वर का नाम‚ और अपने परमेश्वर के नगर अर्थात नये यरूशलेम का नाम‚ जो मेरे परमेश्वर के पास से स्वर्ग पर से उतरने वाला है और अपना नया नाम उस पर लिखूंगा। जिस के कान हों‚ वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य ३:१०—१३; पेज १३३४)

आइए‚ खड़े होकर “एम आय ए सोल्जर ऑफ दि क्रॉस?" इस गीत के १‚ २ व ४ थे अंतरे को गाइए।

क्या मैं जो चेला मेम्ने का और क्रूस का योद्धा हूं‚
शरमाउं नाम के मानने से और सेवा न करूं?

क्या मैं आराम करूं और उंचा उठाया जाउं‚
जबकि औरों ने जयफल परिश्रम संकट से पाया है?

जो राज्य मैं करना चाहता हूं‚ वो निश्चय लड़ना है‚
सहूंगा दुख परिश्रम को तेरे वचन की सामर्थ से।
   (“एम आय ए सोल्जर ऑफ दि क्रॉस?" डॉ आयजक वाटस‚ १६७४—१७४८)


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(संदेश का अंत)
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