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गिदोन की सेना!

GIDEON’S ARMY!
(Hindi)

डॉ आर एल हायमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.
रविवार की संध्या लॉस ऐंजीलिस के बैपटिस्ट टैबरनेकल में
२४ जून‚ २०१८ को प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Evening, June 24, 2018

‘‘तब यहोवा ने गिदोन से कहा‚ जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं कि मैं मिद्यानियों को उनके हाथ नहीं कर सकता‚ नहीं तो इस्राएल यह कहकर मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई मारने लगे‚ कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं" (न्यायियों ७:२)


एक साधारण सी कहानी है ये। किंतु बहुत महत्व वाली। गिदोन एक युवा था जो अत्यधिक विधर्म के दिनों में रह रहा था। इस बात ने हमारा ध्यान आकर्षित करना चाहिये क्योंकि हम भी अत्यधिक अविश्वास के दिनों में रह रहे हैं।

१॰ पहिला, अविश्वास के दिन

इजरायल के लोगों ने परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में बुरा किया था। और परमेश्वर ने उन्हें मिद्यानियों के हाथों में गुलाम करके उन्हें दंड दिया था। मिद्यानी इजरायलियों के शत्रु थे। इजरायलियों ने स्वयं को इन असभ्य मिद्यानियों के हाथों से बचाने के लिये निर्जन स्थान में छिपा लिया। इन ईश्वरविहीन मिद्यानियों की आंखों से बचने के लिए इजरायलियों ने स्वयं को गुफाओं में छिपा लिया।

मिद्यानी इतने शक्तिशाली थे कि उन्होंने इजरायलियों की फसलें बर्बाद कर दी। उन्होंने उनकी भेड़े, बैल और गदहे चुरा लिये। इजरायल के लोग कुचले गये और उनके लिये कोई आशा नहीं बची। तब उन्होंने यहोवा से याचना की।

तब यहोवा परमेश्वर ने गिदोन को दर्शन दिया। परमेश्वर उसके पास तब पहुंचे‚ जब वह मिद्यानियों से छिप रहा था। यहोवा ने ढाढ़स बंधाते हुए उससे कहा‚ ‘‘हे शूरवीर सूरमा‚ यहोवा तेरे संग है।" (न्यायियों ६:१२) ।

मैं जब उत्तरी सैन फ्रांसिस्कों की उदारवादी और बाइबल का इंकार करने वाली सेमनरी में अध्ययन के लिए गया। तब मैं एक शूरवीर व्यक्ति नहीं था। मैं एक विनीत और दयालू बैपटिस्ट लड़का था। परन्तु जो कुछ मैंने सेमनरी में देखा, वहां के आधुनिक सुसमाचार वाद ने मुझ को क्रोधित कर दिया। वे बाइबल के परमेश्वर यहोवा पर विश्वास नहीं करते थे। वे मिद्यानियों द्वारा नियंत्रित शिक्षक थे — जो परमेश्वर को जंजीर में जकड़े रखना चाहते थे — वे नहीं चाहते थे कि परमेश्वर उनके विचारों और जीवनों को नियंत्रित करे।

हमारे समय में डॉ डेविड एफ वेल्स ने एक बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक सुसमाचारवाद पर लिखी। इसका शीर्षक था‚ नो प्लेस फॉर ट्रूथ: ऑर व्हाटऐवर हेप्पन टू इवेंजलीकल थियोलॉजी? (इयर्डमंस‚ १९९३) डॉ वेल्स एक नाराज व्यक्ति हैं। उनका कहना था कि‚ ‘‘सुसमाचारवाद ने अपना मूल सिद्धांत खो दिया" (२९५) । सुसमाचार प्रचार करने वाले चर्च युवा मसीहियों को असली मसीही जन होने के लिये नहीं उकसाते हैं। ये चर्च कोमल, कमजोर और स्वार्थी होते हैं - ये चर्चेस सही प्रचार करने से डरते हैं कि लोग क्या कहेंगे। ये सुसमाचार प्रचार करने वाले संस्थान हर उस व्यक्ति से लड़ते हैं जो चर्चेस को फिर से सुधरा हुआ और जीवित देखना चाहता है। डॉ वेल्स का कहना था‚ ‘‘अनुकुलता‚ सुसमाचार प्रचार के संसार में ऐसी ताकत है जो विरोधी मत के एकाकी व्यक्ति का दम घोटती है" (पेज २९५)

उन्होंने दुस्साहसपूर्ण प्रयास किया कि उनकी सेमनरी जिसमें मैं अध्ययनरत था‚ उनके अविश्वास भरे शिक्षण को मैं मान लूं। वे मुझसे कहते रहे कि अगर मैं बाइबल का पक्ष लेता रहा‚ तो मुझे कभी सदर्न बैपटिस्ट चर्च प्रचार करने के लिए नहीं मिलेगा। मेरा जवाब था‚ ‘‘अगर बाइबल का पक्ष लेने की यह कीमत है‚ तो मुझे ऐसा चर्च चाहिए भी नहीं।"

ऐसा कदम उठाने के कारण मैंने सब कुछ खो दिया। पर मुझे खोने के लिये था क्या? मैं तो पहिले ही अपना वह सब कुछ खो बैठा था जो मेरे लिये मायने रखता था। सदर्न बैपटिस्ट चर्च के पास ऐसा कुछ नहीं था जो मुझे चाहिए था। मुझे मसीही पंथों से बेहद चिढ़ थी। मुझे इस प्रकार की सेमनरी से चिढ़ थी। मुझे मेरा चर्च नापसंद था जिसने मुझे सहयोग नहीं किया। वह क्षण भी आया‚ जब मुझे मेरे जीवन से नफरत हो गयी थी। मैं सब चीजों को नापसंद करने लगा‚ यीशु और बाइबल को छोड़कर। मैं रात में अकेला घूमता रहता था। अकेले घूमना मुझे पसंद था अन्यथा मैं अपना संतुलन खो बैठता।

एक रात अंतत: जब अपनी डॉमेर्टी में सोने गया। यहोवा परमेश्वर ने आप मुझे जगा दिया। डामेर्टी शांत थी। कोई आवाज नहीं। मैं रात बाहर निकल आया। जब मैं सेमनरी के बाजू की पहाड़ी पर खड़ा हुआ‚ खाड़ी के जल में सैनफ्रांसिस्कों की रोशनियों जगमग कर रही थीं। मेरे बाल और मेरे कपड़ों में से होकर हवा गुजर रही थी। मेरी हडिडयां कंपकंपा रही थी। उस हवा में परमेश्वर यहोवा का मेरे लिये संदेश था‚ ‘‘तुम इस रात को कभी नहीं भूलोगे। अब से तुम सिर्फ मुझे प्रसन्न करने के लिये प्रचार करोगे। अब से तुम सीख जाओगे कि डरना नहीं है। अब से तुम केवल मेरे लिये बोलोगे। मैं तुम्हारे संग रहूंगा।"

मैं अब महसूस करता हूं कि प्रचार कार्य करने के लिये मुझे दिया गया आमंत्रण था। इसके पहिले तो मैं स्वयं सेवक था। अब मैं परमेश्वर यहोवा द्वारा आमंत्रित किया गया प्रचारक था। मैं समझता हूं कि हरेक निर्भीक पास्टर को संकट की चरम स्थिति से होकर गुजरना चाहिये‚ जिसमें परमेश्वर आप‚ उस पर भरोसा कर सकें कि वह उनके लिये उपयुक्त प्रचारक ठहरेगा। यह भावावेश कदापि नहीं था। केवल यह बात थी कि‚ ‘‘अगर आप नहीं कहेंगे‚ तो कोई नहीं कहेगा‚ जबकि इसे कहे जाने की तीव्र आवश्यकता है — दूसरे तो कहने से इसे डरते हैं तो इसलिए अगर आप नहीं कहेंगे‚ तो कोई भी नहीं कहेगा‚ या वे इतने अच्छे से नहीं कहेंगे। ये शब्द मेरे दिमाग में सदा के लिए अंकित हो चले थे। डॉ ए डब्ल्यू टोजर ने उनकी पुस्तक ‘‘दि गिफट ऑफ प्रोफेटिक इनसाईट" में लिखा था: ‘‘वह परमेश्वर यहोवा के नाम में बातों को उलटेगा‚ डांटेगा और विरोध करेगा और संसार भर के ईसाई जगत के अधिकतम पंथों के कोप का शिकार होगा.......परन्तु वह किसी व्यक्ति से कभी नहीं डरेगा।" शायद इसीलिए डॉ बॉब जोंस तृतीय ने कहा था कि‚ ‘‘मैं अपनी शैली और भाव में पुराने नियम के भविष्यवक्ता के समान हूं।" इसके आगे के पूरे विवरण के लिये मेरी आत्मकथा‚ ‘‘अगेंस्ट ऑल फियर्स पढ़िये।"

मध्यरात्रि के उस अनुभव के द्वारा यहोवा परमेश्वर ने मुझे गिदोन नामक व्यक्ति के बारे में समझाया। यहोवा ने उससे कहा था‚ ‘‘हे शूरवीर सूरमा‚ यहोवा तेरे संग है।" निश्चित मैं गिदोन नहीं हूं‚ मैं कम से कम उसे समझता तो हूं। गिदोन ने कहा था, ‘‘अब तो यहोवा ने हम को त्याग दिया, और मिद्यानियों के हाथ कर दिया है" (न्यायियों ६:१३)। गिदोन ने स्वयं को अयोग्य महसूस किया और इसे करने में असमर्थ भी।

मूसा के समान गिदोन ने बहाने बनाये। मेरे मित्रों, आज हम भी गहन अविश्वास के युग में जी रहे हैं। हम मिद्यानी इवेंजलीकल के नये बने झूठे धर्म से लड़ने में अयोग्य और असमर्थ हैं। अविश्वास‚ मसीहत में ही इतना गहरा व्याप्त है। इन इवेंजलीकल मिद्यानियों की ताकत भी बहुत है। इन अविश्वासियों के हाथों से बाइबल और बाइबल के परमेश्वर यहोवा को बचाने के लिये हम कुछ नहीं कर सकते।

२॰ दूसरा‚ बाइबल के परमेश्वर यहोवा अभी भी जीवित है!

परमेश्वर यहोवा ने कहा‚ ‘‘क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं!" (मलाकी ३:६) तब परमेश्वर का आत्मा गिदोन के उपर उतरा। गिदोन ने संदेशवाहकों को भेजा कि इजरायलियों की भीड़ को मिद्यानियों से युद्ध करने के लिये एकत्रित करें।

‘‘तब गिदोन जो यरूब्बाल भी कहलाता है और सब लोग जो उसके संग थे सवेरे उठे और हरोद नाम सोते के पास अपने डेरे खड़े किए और मिद्यानियों की छावनी उनकी उत्तरी ओर मोरे नाम पहाड़ी के पास तराई में पड़ी थी तब यहोवा ने गिदोन से कहा‚ जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं कि मैं मिद्यानियों को उनके हाथ नहीं कर सकता‚ नहीं तो इस्राएल यह कहकर मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई मारने लगे कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं। इसलिये तू जा कर लोगों में यह प्रचार करके सुना दे कि जो कोई डर के मारे थरथराता हो वह गिलाद पहाड़ से लौटकर चला जाए। तब बाईस हजार लोग लौट गए और केवल दस हजार रह गए (न्यायियों ७:१—३)।

परमेश्वर यहोवा ने गिदोन से कहा‚ ‘‘जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं।" तो जाओ और कहो‚ ‘‘कि जो कोई डर के मारे थरथराता हो‚ वह गिलाद पहाड़ से लौटकर चला जाए" (न्यायियों ७:३)।

तब बाईस हजार लोग लौट गए। और केवल दस हजार गिदोन के साथ रह गए। ऐसा ही तो हमारे साथ हुआ। जब हम ले कांटे जूनियर हाईस्कूल में मिलते थे, हमारे चर्च में लगभग ११०० लोग हो गये थे। परन्तु उनमें से अधिकतर लोग यीशु के लिये जोखिम लेने से डरते थे। दूसरे लोगों ने अपने व्यक्तिगत ‘‘आनंद" — नशीली दवाएं — और सैक्स के कारण हमारे चर्च को छोड़ा। जो लोग छोड़ कर चले गये‚ उनका वर्णन यीशु ने बीज बोने वाले के दृष्टांत में किया था। लूका ८:१०—१५ में उस दृष्टांत का वर्णन है। पहिले प्रकार के लोग वे हैं, जो परमेश्वर यहोवा का वचन सुनते हैं और शैतान आता है और उनके हृदयों से वह वचन निकाल कर ले जाता है। ‘‘कहीं ऐसा न हो कि वे विश्वास करके उद्धार पाएं " (लूका ८:१२) ।इस बात को हम हरेक सप्ताह देखते हैं। वे चर्च आते हैं और संदेश सुनने के बजाय वे अपने आयपैड को देखते हैं। या अपनी आंखे बंद कर कुछ और सोचते हैं। यहोवा परमेश्वर का वचन उनका कोई भला नहीं कर पाता है क्योंकि उन्होंने शैतान को अपने हृदयों से वचन को उठा ले जाने दिया।

दूसरे प्रकार के लोग वे हैं‚ जो आनंद के साथ वचन को सुनते हैं। परन्तु मसीह में जड़ पकड़े हुए नहीं है। तो ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ क्षण के लिए तो उनका विश्वास बना हुआ था। परन्तु जब उन पर परीक्षा आती है तो वे बहक जाते हैं।

तीसरे प्रकार के लोग वे हैं‚ जो वचन को सुनते हैं और अपने रास्ते चले जाते हैं। दुनिया की चिंता उनको घेर लेती है। साथ ही संसार के आनंद में बहक कर वे धन और जीवन के सुख विलास में फंस जाते हैं‚ ‘‘और उन का फल नहीं पकता।"

डॉ जे वर्नान मैगी यह कहते हुए बिल्कुल सही थे कि तीन प्रकार के लोग कभी मन नहीं फिराते हैं। वह उन लोगों का सजीव चित्रण करते हैं जो पूर्व में हमारे चर्च को छोड़कर गये। छोड़कर जाने वाले लोगों का जीवन प्रदर्शित करता है कि उन्होंने कभी भी सच्चे तौर पर मन नही फिराया था। वे यहां केवल संगति और जो आनंद हम यहां मनाते हैं‚ उसके लिए आते रहे थे। परन्तु जब उन पर परीक्षा आयी‚ वे चर्च छोड़कर ही चले गये क्योंकि उन्होंने न कभी पश्चाताप किया था और न ही उन्होंने नया जन्म पाया था। ये उन बाईस हजार लोगों की तस्वीर पेश करता है जो गिदोन की सहायता के लिये आगे बढ़े थे‚ किन्तु युद्ध के भय से और परमेश्वर के सैनिक होने के भय से उसके साथ नहीं ठहरे और लौट गये! क्रूस के सैनिक होने के भय से!

‘‘तब यहोवा ने गिदोन से कहा‚ जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं कि मैं मिद्यानियों को उनके हाथ नहीं कर सकता‚ नहीं तो इस्राएल यह कहकर मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई मारने लगे‚ कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं" (न्यायियों ७:२)

तौभी उसमें कई लोग थे। यहोवा परमेश्वर गिदोन से बोले‚ ‘‘उन्हें सोते के पास नीचे ले चल‚ वहां मैं उन्हें तेरे लिये परखूंगा" (न्यायियों ७:४)। ‘‘मोरे नाम पहाड़ी के पास तराई में" अत्यंत गर्मी थी (न्यायियों ७:१) । इजरायली बहुत प्यासे थे। गिदोन के बहुत सारे आदमी सोते की ओर भागे और नीचे झुककर घुटने टेककर पानी पिया। ‘‘जिन्होंने मुंह में हाथ लगा चपड़ चपड़ करके पानी पिया उनकी तो गिनती तीन सौ ठहरी (न्यायियों ७:६)। बहुतों ने अपने हाथ पानी में डाल दिये क्योंकि वे बहुत प्यासे थे। पर केवल तीन सौ लोगों ने अपने हाथों में पानी लिया और हाथों से पानी पिया। वे जानते थे कि उनको सिर उंचे रखने थे ताकि मिद्यानियों पर नजर रख सके।

‘‘तब यहोवा ने गिदोन से कहा‚ इन तीन सौ चपड़ चपड़ करके पीने वालों के द्वारा मैं तुम को छुड़ाऊंगा और मिद्यानियों को तेरे हाथ में कर दूंगा; और सब लोग अपने अपने स्थान को लौट जाए" (न्यायियों ७:७)

आज रात हम गिदोन के तीन सौ मनुष्यों के बारे में जितना हो सके विस्तार से पढ़ेंगे। मिद्यानी‚ ‘‘टिड्डियों के समान बहुत से तराई में फैले पड़े थे और उनके ऊंट समुद्रतीर के बालू के किनकों के समान गिनती से बाहर थे" (न्यायियों ७:१२)। उस रात्रि यहोवा परमेश्वर ने मिद्यानियों को गिदोन के तीन सौ लोगों के वश में कर दिया। मिद्यानी प्राण बचाकर भागे। इजरायलियों ने ओरेब और जेब नामक मिद्यानियों के हाकिमों को पकड़ा और उनके शीश काटकर गिदोन के पास लाये (न्यायियों ७:२५) । परमेश्वर ने यह युद्ध एक छोटी तीन सौ लोगों की सेना के द्वारा जीत लिया!

हमारे लिये आज की रात एक सबक है। अनेक चर्चेस उन अगुवों के द्वारा चलाये जाते हैं‚ जिनको संख्या में रूचि होती है। ये इवेंजलीकल मिद्यानी हैं। वे सोचते है कि उनके चर्च में हजार लोगों की उपस्थिति हो। भारी संख्या के उपरांत‚ वे आत्मिक तौर पर ताकतहीन होते हैं। प्रचारकों को गिदोन और उसकी संख्या में छोटी परन्तु विश्वसनीय सेना के बारें में सोचना चाहिए।

जोनाथन एस डिकरसन ने एक महान पुस्तक लिखी। जिसका शीर्षक था दि ग्रेट इवेंजलीकल रिसेशन (बेकर बुक्स)। उन्होंने आंकड़े लिखे। आज केवल ७ प्रतिशत युवा इवेंजलीकल मसीही होने का दावा करते हैं। पैंतालीस प्रतिशत इवेंजलीकल मसीही अगले बीस सालों में मर जायेंगे। इसका अर्थ है कि इवेंजलीकल मसीही की संख्या शीघ्र ही ७ प्रतिशत से गिरकर ‘‘४ प्रतिशत पर आ जायेगी — जब तक कि नये चेले न बन जाये (उक्त संदर्भित‚ पेज १४४)।

चर्च में युवाओं की संख्या का गिरना किस ओर संकेत देता है? मैं इस बात से सहमत हूं कि ऐसा इसलिये है क्योंकि सच्ची क्रिश्चियनिटी का जीवंत उदाहरण उन्हें कम देखने को मिलता है। तो हमारा लक्ष्य क्या है? इस चर्च में हमारा लक्ष्य है कि हम युवाओं को मसीह में उच्च सीमा तक सशक्त बनाने में सहायता करें। हम यहां इसलिए हैं कि युवा लोगों के समूह को गिदोन की छोटी सेना के समान तैयार करें। हम यहां युवाओं की सहायता करने के लिये है कि वे हमारे चर्च में आवें और प्रभु यीशु मसीह के चेले बन जायें। ये युवा लड़के हैं जो कुछ नया और चुनौतीपूर्ण करने के लिये तैयार हैं।

यीशु ने कहा था‚

‘‘जो कोई मेरे पीछे आना चाहे‚ वह अपने आपे से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर‚ मेरे पीछे हो ले" (मरकुस ८:३४)

जो लोग यीशु का अनुसरण करने में रूचि नहीं रखते है‚ तो कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े‚ उन्हें सदस्यता से अलग कर देना चाहिये। जो बच्चों के समान स्वयं की साज संभाल चाहते हैं‚ उन्हें मैं ‘‘ग्रहीता" कहता हूं‚ अर्थात ‘‘लेने वाले"। जो ‘‘ग्रहीता" होते हैं‚ वे स्वयं का इंकार करना नहीं चाहते हैं। वे यीशु को बदले में कुछ देना नहीं चाहते हैं। अगर आप सोचते हैं कि जीवन भर आप की यहां साज संभाल की जायेगी, तो यह चर्च आप के लिये नहीं है।

मेरी पत्नी जब इस चर्च में आयी थी तब मात्र सोलह वर्ष की आयु की थी। तीन सप्ताह बाद उन्होंने स्वयं चर्च आना आरंभ कर दिया। तीन सप्ताह बाद ही उन्हें चर्च ले जाने के लिये किसी ‘‘साधन" की आवश्यकता नहीं होती। उसी समय से वे हमारे चर्च की कार्यकर्ता बन गयीं। जब १७ साल की थी‚ वे चर्च की ओर से फोन लगाने वाली हो गयी। उन्होंने मुझसे विवाह किया जब वे १९‚ साल की आयु की थी। जब हमारे जुड़वा लड़के पैदा हुए‚ वह उन्हें पहिले ही रविवार चर्च लेकर आयीं। मेरे पुत्र लैस्ली ने जब से पैदा हुआ है‚ कभी रविवार का चर्च नहीं छोड़ा। वैस्ली उसके संपूर्ण जीवन काल में केवल एक बार जब वह बीमार हुआ था‚ चर्च नहीं आया। कई दूसरीं महिलाओं ने कहा कि यह तो अति है। वे तो अपने बच्चों को साधारण से सर्दी जुकाम में घर पर ही रखती थीं । परन्तु मेरी पत्नी सही थीं और दूसरी महिलाएं गलत। उनके लगभग सभी बच्चों ने चर्च छोड़ दिया ताकि एक स्वार्थी जीवन जी सकें। मेरे दोनों लड़के आज दिन तक हर आराधना में भाग लेते आये हैं। वे यहां इसलिए हैं क्योंकि मेरी पत्नी मसीह की शिष्य हैं। डॉ क्रेटन एल. चान जिनके साठवें जन्मदिन पर कुछ ही मिनटों में हम उनका सम्मान करेंगे‚ उन्होंने मिसिस हायमर्स के लिए कहा था‚ ‘‘मैं उन्हें जानता हूं जब वे पहिली बार हमारे चर्च में आयीं थीं। तब से लेकर‚ निरंतर उनके मन में मसीह के लिये बड़ा प्रेम है और खोयी हुई आत्माओं के लिए जुनून। एक (किशोरी) के रूप में उन्होंने अपना पूरा जीवन चर्च की सेवकाई में झोंक दिया‚ कुछ भी नहीं रख छोड़ा.......युवाओं‚ मिसिस हायमर्स आप के लिए एक आदर्श ठहरने पाये। अगर आप उनके उदाहरण का अनुसरण करेंगे‚ तो हमारे चर्च का भविष्य उज्जवल और महिमामयी होगा।"

चूंकि हम आज डॉ चान का साठवां जन्मदिन मनाने जा रहे हैं‚ मैं कहूंगा कि वे मसीह के लिये कांतिमान उदाहरण हैं। वे चर्च के अभिषिक्त पास्टर हैं। बाल्यवस्था में वे बहुत बीमार रहते थे। वे इतने बीमार रहते थे कि बाल्यवस्था के अधिकतम समय उन्हें अस्पताल में शीशे के बक्से में ही रखा गया। जब वे युवा थे, तब चर्च में आये थे। उस समय डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे। दूसरे डॉक्टर्स ने कह दिया था कि वे तीस साल की उम्र से अधिक जिंदा नहीं रहेंगे। वे भी तो एक छोटे कमजोर व्यक्ति बन सकते थे, जो चर्च से कहते कि उनकी देख संभाल की जावे। परन्तु उन्होंने तो अपने आप को चर्च के कार्यो में झोंक दिया और मसीह के शिष्य बन बैठे। डॉक्टर्स ने कहा था कि अगर वे अधिक मेहनत करेंगे तो तीस के पहिले ही मर जायेंगे। परन्तु यह मसीह का कार्य था जिसने उन्हें ताकत प्रदान की। उन्होंने एक अच्छा मजबूत जीवन तीस साल से कहीं अधिक लंबा और लोगों की सोच से भी बाहर बिताया। उन्होंने क्रूस उठा लिया और मसीह के पीछे हो लिये। और अब वे परमेश्वर यहोवा के एक सशक्त व्यक्ति के रूप में साठ वर्ष की आयु में मंच पर बैठे हुए हैं !

मैं इसी तरह आप को मि मेंशिया, मिसिस सालाजर और मि बेन ग्रिफिथ, जो अपनी पत्नी के साथ छुटिटयों पर गये हैं‚ इन लोगों के विषय में बता सकता हूं। मैं आप को मि. और मिसिस वर्जिल निकैल के बारे में बता सकता हूं‚ जिन्होंने हमें अधिकतम पैसा इस इमारत को खरीदने के लिये ऋण बतौर दिया। मि निकैल ७५ साल के हैं और डायबिटीज से ग्रस्त हैं — तौभी वे एक घंटे गाड़ी चलाकर हर बुधवार की रात‚ प्रति रविवार सुबह और रविवार रात्रि चर्च आते हैं। और मैं आप को इस अदभुत युवा व्यक्ति‚ रेव्ह. जॉन सैम्यूएल के बारे में बताता हूं जो जल्द ही इस चर्च में मेरे स्थान पर पास्टर का रूप लेंगे। ये सभी लोग मसीह के शिष्य हो चुके हैं और क्रूस के सैनिक।

मेरे पास्टर डॉ तिमोथी लिन ने कहा था‚ ‘‘कम ज्यादा से अधिक अच्छे होते हैं .......हर पंक्ति की सीटें रविवार को भरी हो सकती है‚ परन्तु तौभी यह भी तथ्य सामने है कि हमारी प्रार्थना सभाओं में मुठठी भर लोग ही रहते हैं.......हम कह सकते हैं कि यह स्वस्थ बात नहीं है" (दि सीक्रेट ऑफ चर्च ग्रोथ‚ पेज ३९)

बाइबल के माध्यम से देखिये। आप बार बार पायेंगे कि ‘‘कम ज्यादा से अधिक अच्छे होते हैं।" यीशु ने ११ व्यक्तियों को लिया और उन्होंने दुनिया बदल डाली क्योंकि उनके वे लोग उनके लिये और उनके उददेश्य के लिए मरने को तैयार थे। चर्च इतिहास में हमें भी यही सबक सीखने को मिलता है। पेंतुकुस्त में सिर्फ १२० लोग उपस्थित थे। केवल थोड़े से मोर्वेइन क्रिश्चियन्स ने आधुनिक मिशन मूववेंट को जन्म दिया। केवल थोड़े से मुठठी भर मैथोडिस्ट ने महान जाग्रति को प्रज्वलित कर डाला। केवल कुछ लोगों ने जेम्स हडसन टेलर का अनुसरण किया और चीन के आंतरिक भागों में सुसमाचार फैलाने में मदद की।

जो मसीह के लिये अपना सर्वोत्तम देने के इच्छुक नहीं है‚ उन्हें बाहर किया जाना चाहिए। जो चाहते थे कि सदैव उनकी शिशु रूप में ही साज संभाल की जावें तो उन्हें भी बाहर किया जाना चाहिए। जो अपने आरामदायक क्षेत्र से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं‚ उन्हें भी बाहर किया जाना चाहिए। ऐसे लोग सदैव ‘‘ग्रहिता" ही होते हैं‚ ये मसीह के लिये कभी कुछ नहीं देते हैं। अगर हम मसीह के शिष्यों से भरा चर्च चाहते हैं तो हमें ‘‘ग्रहिता" प्रकार के लोगों को बाहर करना होगा। ताकि हम युवाओं को चर्च में ले सकें‚ जो नरम सुसमाचार पंथ वाले मिद्यानी को चुनौती दे सकें और उन्हें बदल सकें। हमें उन लोगों को प्रेरित करना होगा जो मसीह के लिये अपने जीवन को उपयोगी बनाना चाहते हैं। हमें उन लोगों को प्रेरित नहीं करना चाहिए जो सदा शिशु ही बना रहना चाहते हैं और चाहते हैं कि चर्च सदा उनकी साज संभाल करता रहे और कभी आत्मिक उन्नति भी नहीं करते हैं! हमें उन्हें प्रेरित करना चाहिये जो मसीह के शिष्य होना चाहते हैं बाकि को हमें जाने देना चाहिए‚ जैसा गिदोन ने किया!

आइये खड़े होकर ‘‘आगे बढ़ो‚ हे मसीही सैनिकों" गीत जो पुस्तिका में १ ली संख्या पर है, उसे गाते हैं! आइये गीत गायें।

आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚ जैसे युद्ध के लिये आगे बढ़ते हैं‚
   यीशु का क्रूस हमारे आगे आगे चलता है:
मसीह हमारे राजसी शासक‚ लेकर चलते शत्रुओं के विरूद्ध;
   आगे बढ़ते हुए युद्ध में‚ उनका नाम आगे बढ़ता देखते हैं!
आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚ जैसे युद्ध के लिये आगे बढ़ते हैं‚
   यीशु का क्रूस हमारे आगे आगे चलता है।

जैसे कोई सशक्त सेना हिला देती यहोवा की कलीसिया को;
   भाइयों हम कदम बढ़ायेंगे जहां पवित्र लोगों ने बढ़ाये थे कदम;
हम बंटे हुए नहीं है‚ बल्कि हम हैं एक ही देह‚
   एक आशा‚ एक शिक्षा‚एक सा परोपकार।
आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚ जैसे युद्ध के लिये आगे बढ़ते हैं‚
   यीशु का क्रूस हमारे आगे आगे चलता है।

आगे बढ़ो‚ हे मसीही सैनिकों‚ आनंद मनाने वालों के साथ आओ‚
   विजय गान में हमारी तुम्हारी आवाजें मिली हुइे हो;
महिमा‚ सराहना और सम्मान आप का है मसीह राजा‚
   सदियों से जिसे गाते हैं असंख्य‚ असंख्य मनुष्य और स्वर्गदूत
आगे बढ़ों‚ मसीही सैनिकों‚ जैसे युद्ध के लिये आगे बढ़ते हैं‚
   यीशु का क्रूस हमारे आगे आगे चलता है।
(‘‘आगे बढ़ो‚ हे मसीही सैनिकों" सबिन बैरिंग गोल्ड‚ १८३४—१९२४)


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व मि नोहा द्वारा एकल गान प्रस्तुत किया गया:
‘‘आगे बढ़ो‚ हे मसीही सैनिकों" (सबिन बैरिंग — गोल्ड‚ १८३४—१९२४)


रूपरेखा

गिदोन की सेना!

GIDEON’S ARMY!

डॉ आर एल हायमर्स

‘‘तब यहोवा ने गिदोन से कहा‚ जो लोग तेरे संग हैं वे इतने हैं कि मैं मिद्यानियों को उनके हाथ नहीं कर सकता‚ नहीं तो इस्राएल यह कहकर मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई मारने लगे‚ कि हम अपने ही भुजबल के द्वारा बचे हैं" (न्यायियों ७:२)

१॰ पहिला, अविश्वास के दिन‚ न्यायियों ६:१२‚ १३

२॰ दूसरा‚ बाइबल के परमेश्वर यहोवा अभी भी जीवित है! मलाकी ३:६,
न्यायियों ७:१—३; लूका ८:१२; न्यायियों ७:४‚१‚६‚७‚१२;
मरकुस ८:३४