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एक जुझारू मसीही जन होने का साहस कीजिये!

DARE TO BE A FIGHTING CHRISTIAN!
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स जूनि.
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

ल्योस ऐंजीलिस बैपटिस्ट टैबरनेकल में‚ रविवार संध्या १० दिसंबर‚ २०१७
को प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, December 10, 2017


मैंने हाल ही में वर्ल्ड मैग्जीन में एक रूचिकर लेख पढ़ा। यह उन चायनीज विधार्थियों से संबंधित था जो अमेरिका में पढ़ाई के दौरान इवेंजलीकल्स बन गये और जब वे चीन वापस लौटे तो वहां के घरेलू चर्चेस में उपयुक्त नहीं बैठ पाये। उनमें से एक लड़की जो इवेंजलीकल बन चुकी थी‚ उसने चीन वापस जाने पर अपनी समस्या समझाई। उसने कहा‚ ‘‘मैं एक घरेलू चर्च में आराधना करने के लिये गयी। परंतु वहां उनके साथ अपने अनुभवों को बांटना बहुत मुश्किल हो रहा था। वे मेरे अनुभवों को समझ ही नहीं पा रहे थे। मुझे बहुत अकेलापन और पराजित होने का अहसास हो रहा था।" लेख में उस लड़की के अनुभव बहुत विचित्र बताये गये। अमेरिका में जो इवेंजलीकल्स बन चुके थे‚ चीन लौटने पर उनके घरेलू चर्चेस के वातावरण के लिये वे तैयार नहीं थे — जैसे परिवार का दवाब‚ कार्य की समय सारणी एवं चर्च की बिल्कुल भिन्न संस्कृति। इवेंजलीकल्स बन चुके अस्सी प्रतिशत विधार्थी दो साल के बाद अब अपने देश में चर्च नहीं जाते (वर्ल्ड मैग्जीन‚ सितंबर ३०‚ २०१७‚ पेज ४८) ‘‘चीन के चर्च में कदम रखने पर उनकी अपेक्षाएं चकनाचूर हो गयी — कुछ चर्च की इमारतें नहीं थी या कुछ एअर कंडीशंड रहित थे — जहां कोई उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखने वाला नहीं था।"

उस समय चीन के पास्टर्स ने लौटने वाले इन युवा इवेंजलीकल्स को चर्च के प्रति शिकायत करते और चर्च सत्ता को चुनौती देते हुए पाया। वे चाहते थे कि अमेरिका में वे जिन चर्चेस में जाते हैं‚ चीन के चर्च का स्वरूप भी वैसा हो जाये।

मुझे यह बात अत्यंत रोचक लगी क्योंकि यहां अमेरिका में हम चीन के घरेलू चर्चेस को बहुत अधिक मान देते हैं। चीन के मसीही जन‚ कम्यूनिस्टों द्वारा किये गये बहुत अत्याचार झेलने के बाद भी आज अस्तित्व में हैं। चीन के अनेक घरेलू चर्चेस में सचमुच आत्मिक जाग्रति फैली। हमारे चर्चेस में हमें यह प्रतीत होता है कि अमेरिकन चर्च में पले बढ़े बच्चों को चीन के घरेलू चर्चेस के गंभीर और आत्मिक जाग्रति की ओर झुकाव रखने वाले बच्चों के साथ प्रेमपूर्ण रहना चाहिये! परंतु नहीं, अमेरिकन परिवेश में तैयार हुए सुसमाचार प्रचारक‚ चीन के घरेलू चर्चेस में पले बढ़े गहन आत्मिक रूझान वाले बच्चों के साथ स्वयं को ‘‘जोड़ नहीं पाते" हैं! ‘‘अमेरिकन परिवेश में तैयार हुए इवेंजलीकल्स में से अस्सी प्रतिशत अब दो साल के बाद चर्च नहीं जाते!"

क्यों नहीं जाते? क्योंकि चर्च में एअर कंडीशन नहीं है! अहो‚ बेचारे बच्चे! चर्च का सुंदर भवन नहीं है! कितने अधिक बेचारे बच्चे हैं! कोई उनकी आवश्यकताओं का प्रबंध नहीं करता! ओह! कैसे चर्च में बैठ पायेंगे! बेचारे बच्चे! हमारे मन की व्यथा कोई पहचाने जरा‚ जैसे अमेरिका के इवेंजलीकल्स को सारी सुख सुविधा मिलती है‚ हम अपने देश चीन में भी चाहते हैं कि हमें वे सुविधा मिले! इस कारण हम चर्च अधिकारियों के प्रभुत्च को चुनौती देते हैं — बिल्कुल अमेरिका के बिगड़े इवेंजलीकल्स के समान! गंभीर प्रार्थना सभाओं में हमारी रूचि नहीं है। क्यों वे इतनी अधिक प्रार्थना करते हैं — और वह भी उंचे स्वरों में! वे क्यों इतना कठोर प्रचार करते हैं और स्वर भी तेज! हमें गंभीर प्रार्थना सभाएं पसंद नहीं आतीं! उन्हें क्यों इतनी अधिक प्रार्थना करनी होती है — वह भी उंचे स्वरों में! क्यों इतने कड़े उपदेश देते हैं और वह भी उंचे स्वर में! जैसे अमेरिका में छोटा मधुर सा बाइबल अध्ययन करवाया जाता है‚ वैसा यहां चीन में हमें क्यों नहीं करवाया जाता?

अमेरिका में प्रशिक्षित इन चीनी इवेंजलिस्टों को क्या हो गया है? अमेरिका में प्रशिक्षित ये चीनी इवेंजलिस्ट जब अपने देश जाते हैं‚ तब उनके साथ जो समस्या सामने आती है‚ उसके संबंध में वर्ल्ड मैग्जीन कहती है — कि १० में से ८ इवेंजलिस्ट स्पष्टतः यीशु के सुसमाचार का संदेश नहीं सुना पाते! १० में से ८ इवेंजलिस्ट सुसमाचार क्या है‚ यह जानते तक नहीं! वे अमेरिका के इवेंजलीकल चर्चेस में रहे और उन्होंने प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता नहीं स्वीकार किया! मुख्यतः यही वह गलत बात है जो अमेरिका में तैयार अधिकतर इवेंजलीकल्स के साथ हुई। साधारण सी बात है कि उनमें १० में से ८ सच्चे मसीही जन नहीं हैं! इसलिये इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि चीन के घरेलू चर्चेस के सच्चे मसीही जन इन्हें पसंद नहीं आते हैं! दूसरा‚ केवल चर्च के अन्य सदस्यों के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध हैं‚ किंतु परमेश्वर पिता के साथ मेल नहीं नहीं करते। अगर यीशु मसीह के साथ सच्चे संबंध में नहीं हैं तो कभी न कभी जल्द या देर से आप चर्च छोड़ देंगे! तीसरा कारण‚ उनको चर्च में परमेश्वर पिता की महिमा करना नहीं सिखाया गया है। वे चाहते हैं कि चर्च में उनका ध्यान रखा जावे‚ किंतु वे अन्य लोगों का ध्यान नहीं रखना चाहते हैं और न मसीह के लिये लोगों को जीतना चाहते हैं!

उपरोक्त बातें, जो भी प्रकट करती हैं, वे अमेरिकन इवेंजलीकल्स द्वारा युवाओं को मन फिराने और मसीह की सेवा से प्रेम करने के लिये प्रेरित करने की दिशा में हुई भयानक असफलता को दर्शाता है, घोर असफलता का प्रकटीकरण! अमेरिकी परिवेश में तैयार इवेंजलीकल्स कहते हैं‚ ‘‘मैं धनी हूं‚ और धनवान हो गया हूं‚ और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं‚ और यह नहीं जानता‚ कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अन्धा‚ और नंगा है......... सो इसलिये कि तू गुनगुना है और न ठंडा है और न गर्म‚ मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं" (प्रकाशितवाक्य ३:१७‚ १६) प्रभु यीशु मसीह‚ इन अमेरिकी छवि वाले घमंडी विधार्थियों को आगाह करते हैं‚ ‘‘कि मैं तुझे अपने मुंह में से उगलने पर हूं!" (यथाशब्द)। यह संदर्भ हमें बाइबल में दानियेल की पुस्तक में वर्णित चार युवा मित्रों का स्मरण दिलाता है। दानियेल‚ शद्रक, मेशक और अबेदनगों अपने घरों से १५०० मीलों की दूरी पर थे। ये युवा केवल किशोर वय थे और घर से दूर एक प्रतिमापूजक संस्कृति वाले बेबीलोनियन शहर में रह रहे थे। क्या उनकी तुलना चीन लौटने वाले नये व दुर्बल इवेंजलीकल्स की जा सकती है?

केवल यही चार इब्रानी युवा नहीं थे‚ जिन्हें बंधक बना कर लाया गया था। कृपया दानियेल की पुस्तक अध्याय १:३ खोल लीजिये। यह स्कोफील्ड बाइबल के पेज ८९८ पर मिलता है। जब मैं इस पद को पढ़ता हूं कृपया आप अपने स्थानों पर खड़े हो जाइये।

‘‘तब उस राजा ने अपने खोजों के प्रधान अशपनज को आज्ञा दी कि इस्राएली राजपुत्रों और प्रतिष्ठित पुरूषों में से ऐसे कई जवानों (अर्थात ऐसे और भी युवा थे) को ला" (दानियेल १:३)

अब पद ६ को देखिये।

‘‘उन में यहूदा की सन्तान से चुने हुए‚ दानिय्येल‚ हनन्याह‚ मीशाएल‚ और अजर्याह नाम यहूदी थे" (दानियेल १:६)

अब आप बैठ सकते हैं। ये पद दर्शाते हैं कि इजरायल के और भी युवा थे जिन्हें बंदी बनाया गया था। परंतु ये युवा तो सर्वश्रेष्ठ थे। इन्हें तीन सालों तक विद्धान होने के लिये प्रशिक्षित किया जाना था ताकि वे बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर के सलाहकार नियुक्त किये जा सकें। दानियेल उनमें से एक था‚ अन्य तीन शद्रक, मेशक और अबेदनगों थे। वे सब प्रवीण युवा मनुष्य थे, जो हर प्रकार के ज्ञान, विज्ञान और भाषाओं में अत्यंत निपुण थे।

परंतु इन चार युवाओं में कुछ विशिष्ठ बात थी‚ जो सबसे अनूठी थी । वे राज दरबार का भोजन और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहते थे। उनका कथन था कि वे मूसा द्वारा भोज्य और पेय पदार्थो की व्यवस्था का पालन करना चाहते हैं। उन्हें अपनी व्यवस्था पालन के लिये सजा भी हो सकती थी। वे प्रतिमापूजकों के दरबार में अपने परमेश्वर पिता के लिये एक भिन्न व कठिन कदम उठा रहे थे। कृपया पद ८ को देखिये। यह पद कहता है‚ ‘‘परन्तु दानिय्येल ने अपने मन में ठान लिया कि वह राजा का (भोजन) मांस खाकर और उसके पीने का दाखमधु पीकर अपवित्र न होएगा।" शेष तीनों युवाओं ने भी यही किया। उन्होंने परमेश्वर के लिये एक कठिन कदम उठाया। आप पायेंगे कि न केवल राजा के सेवक उनको प्रशिक्षित कर रहे थे। परंतु स्वयं परमेश्वर इन युवाओं को अपने नाम के लिये खड़े होने और उनके नाम से नहीं शर्माने के लिये तैयार कर रहे थे। हर बार जब आप भोजन करते हैं तो क्या अपना सिर झुकाकर भोजन के लिये धन्यवाद देते हैं? जब आप गैर मसीहियों के बीच भोजन करते हैं क्या तब भी आप ऐसा करते हैं? जब आप रेस्तरां में भीड़ के मध्य होते हैं क्या तब भी ऐसा ही करते हैं? क्या आप क्रिसमस संध्या पर चर्च में आयोजित भोज में भाग लेंगे? या आप क्रिसमस संध्या पर किसी पापमय स्थल पर शामिल होने के लिये चर्च को छोड़ देंगे? क्या आप नये वर्ष की संध्या पर हमारे साथ चर्च में होंगे? या आप अविश्वासियों के संग किसी पार्टी में हिस्सा ले रहे होंगे? जैसा उन लड़कों ने निर्णय लिया‚ ऐसा कदम उठाने के लिये विश्वास और साहस की आवश्यकता होती है! देखिये इस गीत में मैंने एक शब्द बदल दिया है।

दानियेल के समान बनने का साहस कीजिये‚
   अकेले खड़े होने का साहस कीजिये!
एक ठोस उददेश्य लेने का साहस कीजिये!
   इसे सबको बता देने का साहस कीजिये!

कृपया खड़े होकर इस गीत को गाइये!

दानियेल के समान बनने का साहस कीजिये‚
   अकेले खड़े होने का साहस कीजिये!
एक ठोस उददेश्य लेने का साहस कीजिये!
   इसे सबको बता देने का साहस कीजिये!

अब आप बैठ सकते हैं।

बाइबल में वर्णित ये चार युवा उन अमेरिकी छाप लिये बढ़ रहे‚ चीनी बच्चों के समान नहीं थे‚ जो चीन में अमेरिका जैसे चर्चेस की मांग करते हैं कि वहां भी अमेरिकी इवेंजलीकल्स के समान नरम और समझौता करने वाले प्रचारक मिलें। नहीं! नहीं! ये लड़के तो सीधे परमेश्वर की आज्ञा मानते रहे चाहे कोई उन्हें पसंद करें अथवा न करें! इस प्रकार के बच्चों का परमेश्वर सम्मान करते हैं! परमेश्वर ने उन लड़कों का सम्मान किया और वह आप का भी सम्मान करेंगे अगर आप उन लड़कों के समान गंभीर हैं!

अब इन लड़कों का दूसरा परीक्षण किया जाता है। पहला परीक्षण उन्होंने उत्तीर्ण कर लिया था कि उन्होंने भ्रष्ट भोजन ठुकरा दिया। अब परमेश्वर ने उन्हें दूसरा परीक्षण दिया — प्रार्थना का परीक्षण। राजा ने एक स्वप्न देखा था और वह जानना चाहता था कि इसका अर्थ क्या है। परंतु उसने अपने विद्वानों को यह नहीं प्रकट किया कि स्वप्न क्या था। उसने यह मांग रखी कि विद्वान पहले उसे स्वप्न बतायें तत्पश्चात उस स्वप्न का अर्थ बतायें। अगर वे स्वप्न नहीं बता पाते हैं तो उनके टुकड़ें टुकड़े कर दिये जायेंगे। राजा ने कहा‚ ‘‘तुम फल समेत स्वप्न को बता दो" (२:६) । विद्वानों ने उससे कहा कि जैसा उसने मांगा है कोई मनुष्य वैसा पूर्ण नहीं कर सकता है। इससे राजा क्रोधित हो गया और उसने बेबीलोन के समस्त विद्वानों को नष्ट करने का आदेश दिया। राजा के आदेश की तामील की जाने लगी‚ वध करने वालों ने दानियेल और उसके तीन मित्रों को भी खोजा कि अन्य विद्वानों के साथ वे भी मार डाले जायें। दानियेल राजा के पास गया और उससे थोड़ा समय मांगा‚ जिसके पश्चात वह राजा को उत्तर देने वाला था। दानियेल ने तब क्या किया? वह गया और शद्रक‚ मेशक और अबेदनगों अपने तीनों मित्रों को एकत्रित किया। इन चारों मित्रों ने एक प्रार्थना सभा की। वे चारों मुझे जॉन‚ जैक‚ नोहा और ऐरोन का स्मरण दिलाते हैं‚ जो मेरे साथ प्रार्थना करने के लिए एकत्रित होते हैं। दानियेल और मित्र मिलकर स्वर्ग के परमेश्वर से करूणा मांगते हैं। वे परमेश्वर से मांगते हैं कि उन्हें उस गुप्त स्वप्न का प्रकाशन दिया जाये। दानियेल २:१९ को देखिये‚ ‘‘तब वह भेद दानिय्येल को रात के समय दर्शन के द्वारा प्रगट किया गया। सो दानिय्येल ने स्वर्ग के परमेश्वर का यह कह कर धन्यवाद किया।" दानियेल २:२३ को देखिये। दानियेल ने कहा, ‘‘हे मेरे पूर्वजों के परमेश्वर‚ मैं तेरा धन्यवाद और स्तुति करता हूं‚ क्योंकि तू ने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है‚ और जिस भेद का खुलना हम लोगों ने तुझ से मांगे था‚ उसे तू ने मुझ पर प्रगट किया है‚ तू ने हम को राजा की बात बताई है।" हे प्रियों‚ आप भी अलौकिक की ओर दृष्टि कीजिये। राजा ने पूछा, ‘‘क्या तुझ में इतनी शक्ति है कि जो स्वप्न मैं ने देखा है‚ उसे फल समेत मुझे बताए?" दानियेल ने कहा, ‘‘जो भेद राजा पूछता है‚ वह न तो पण्डित न तन्त्री‚ न ज्योतिषी‚ न दूसरे भावी बताने वाले राजा को बता सकते हैं‚ ‘परन्तु भेदों का प्रगटकर्त्ता परमेश्वर स्वर्ग में है’.....तेरा स्वप्न और जो कुछ तू ने पलंग पर पड़े हुए देखा‚ वह यह है।" अब पद ४७ को देखिये जहां लिखा हुआ है, ‘‘फिर राजा ने दानिय्येल से कहा‚ सच तो यह है कि तुम लोगों का परमेश्वर‚ सब ईश्वरों का ईश्वर‚ राजाओं का राजा और भेदों का खोलने वाला है‚ इसलिये तू यह भेद प्रगट कर पाया।" हे प्रियों, अब अलौकिक की ओर निहारिये। तब राजा ने दानियेल को एक बड़े पद पर बैठा दिया, उसे बेबीलोन राज्य का शासक नियुक्त कर दिया और बेबीलोन के समस्त विद्वानों पर अधिकारी ठहराया। शद्रक‚ मेशक और अबेदनगों को भी उंचे पद दिये गये। परंतु इस युवा दानियेल को संपूर्ण बेबीलोनिया राज्य का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया!

इन लड़कों ने परमेश्वर द्वारा दिया पहला परीक्षण कि उन्हें राजा के महल के भोज्य पदार्थो से स्वयं को भ्रष्ट नहीं करना है‚ उन्होंने भोज्य पदार्थो को ग्रहण करने से इंकार कर इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया। उन्होंने परमेश्वर को पहला स्थान दिया और इस परीक्षा को सफलता पूर्वक उत्तीर्ण कर लिया!

अब लड़कें दूसरी परीक्षा में भी सफल हुए। वे एकत्रित हुए और परमेश्वर पिता से प्रार्थना की कि उन्हें राजा के स्वप्न का प्रकाशन दें। वे प्रार्थना में परमेश्वर पर निर्भर रहें और दूसरी परीक्षा को भी सफलतापूर्वक पूरा किया!

यह बहुत महत्वपूर्ण बात है इसलिये मैंने इसे समझाने में काफी वक्त लिया है। हम कभी कभी सोचते हैं कि हम मसीही होने के नाते से छलांग लगाकर परमेश्वर की महान सामर्थ को प्राप्त कर सकते हैं। परंतु आप एकाएक ‘‘उछाल मारकर" परमेश्वर की अपार सामर्थ प्राप्त नहीं कर सकते हैं। आप इसमें बढ़ते जाते हैं। आप पहले उद्धार प्राप्त करते हैं उसके बाद विकसित होते जाते हैं! यीशु कहते हैं‚

‘‘जो थोड़े से थोड़े में सच्चा है‚ वह बहुत में भी सच्चा है;और जो थोड़े से थोड़े में अधर्मी है‚ वह बहुत में भी अधर्मी है" (लूका १६:१०)

अगर आप छोटी बातें जैसे क्रिसमस की संध्या और नये वर्ष की संध्या को चर्च में सम्मिलित होनें में विश्वसनीय रहेंगे‚ तो आगे चलकर‚ आप बड़ी बातों में भी विश्वसनीय कहलायेंगें!

वे युवा उस भोज्य सामग्री को खाने में विश्वसनीय बने रहे। उन्होंने उस परीक्षा को उत्तीर्ण किया। वे प्रार्थना में भी विश्वसनीय थे। उन्होंने वह परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली।

तत्पश्चात उनके सामने और बड़ी परीक्षा आई। क्या वे राजा की सोने की मूर्ति के आगे शीश झुकायेंगे अथवा शीश नहीं झुकाने के कारण आग की जलती हुई भट्ठी में जल जाने का जोखिम उठायेंगे? उन्होंने छोटी परीक्षाओं पर जीत हासिल कर ली थी। इसलिये आगे चलकर वे निर्भिकतापूर्वक कह सकते थे‚

‘‘हमारा परमेश्वर‚ जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्टे की आग से बचाने की शक्ति रखता है‚ वरन हे राजा‚ वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है" (दानियेल ३:१७)

छोटी परीक्षायें उत्तीर्ण कर करके उन्होंनें सीखा कि परमेश्वर उन्हें आग की भयानक भट्ठी में डाले जाने वाली बड़ी परीक्षा से भी छुड़ायेंगे!

गंभीर रूप से प्रार्थना करने के उपरांत वे राजा द्वारा वध करवाये जाने से बचाये गये। आगे चलकर‚ जब राजा ने दानियेल को गरजते शेरों की मांद में फिकवा दिये जाने की धमकी दी‚ दानियेल सुरक्षित बना रहा क्योंकि परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत को भेजकर शेरों के मुंह को बंद करवा दिया था! यीशु उस आग्नेय धधकती हुई भयानक भट्ठी में उपस्थित थे और उन लड़कों को आग में से बचा लिया। यीशु ही वह स्वर्गदूत थे। जब दानियेल को शेरों की गुफा में फेंका गया‚ यीशु गुफा में थे। दानियेल के अंदर शैतान के विरूद्ध खड़े होने का विश्वास था। बाइबल कहती है‚ ‘‘परमेश्वर से मिलने के लिये स्वयं को तैयार करो।" अगर आप स्वयं को तैयार नहीं करेंगे, तो आप शैतान के आगे समर्पित हो जायेंगे और प्रभु परमेश्वर का इंकार कर देंगे!

आप को अब स्वयं को प्रशिक्षित करना होगा कि आप परीक्षाओं में खड़े हो सकें और स्थिर गिने जायें। जैसा दानियेल ने किया। अगर आप किसी प्रकार की आग से बच निकलना चाहते हैं तो आप को ऐसा ही करना आवश्यक है!

इसलिये स्वयं को अब प्रशिक्षित करना आरंभ करना आवश्यक है! बाद में नहीं, परंतु अभी! बाद में नहीं, परंतु अभी! आप एकाएक ही विश्वास रखने वाले महान आदमी नहीं बन जाते हैं! नहीं! इसके लिये अभ्यास लगता है! सुनिये, डॉ चान ने मेरी पत्नी मिसिस हिमर्स के लिये क्या उदगार व्यक्त किये। डॉ चान ने कहा, ‘‘मिसिस हिमर्स रातों रात एक ठोस मसीही महिला नहीं बन गयीं। वर्षो तक प्रभु परमेश्वर की विश्वासयोग्य सेवा करने के कारण वे सिद्ध हुई। एक जवान महिला के रूप में उन्होंने स्वयं को चर्च सेवकाई में झोंक दिया और कुछ न रख छोड़ा। परमेश्वर ने इस कारण उनको बड़े रूप में अपनी सेवा के लिये उपयोग में लिया।" १६ वर्ष की आयु में चर्च के लिये उत्तम से उत्तम सेवा करना आरंभ कर दी। अब, अनेक वर्षो के उपरांत, वे विश्वास में असाधारण महिला बन चुकी हैं। अगर आप अभी अपनी छोटी सेवाओं के प्रति गंभीर और विश्वासनीय नहीं हैं, तो आप एकाएक आत्माओं को जीतने वाले और भविष्य में प्रार्थना योद्धा नहीं बन सकते।

दानियेल और उसके तीन मित्रों के लिये कोई छोटे रास्ते का विकल्प नहीं था — आप के लिये भी कोई छोटा मार्ग नहीं है। गंभीरतापूर्वक आज से ही आरंभ हो जाइये‚ बड़ी लगन के साथ यीशु में प्रवेश करने के लिये प्रयासरत रहिये। अगर आरंभ में आप आलसी हैं‚ तो बाद में आप प्रभु यीशु के एक महान अनुयायी नहीं कहला सकते। मसीह की उपस्थिति में प्रवेश करने के लिये अभी से प्रयासरत हो जाइये। किसी ने कहा है‚ ‘‘अच्छी शुरूआत आधे कार्य के पूर्ण हो जाने के बराबर है।" मिसिस हिमर्स ने पापों से अपना मन फिराया और यीशु पर विश्वास किया‚ जब पहली ही बार उन्होंने मुझे यीशु का शुभ संदेश बताते हुए सुना! ऐसा ही डॉ जूडिथ कैगन ने किया। ऐसा ही डॉ क्र्रेटन चान ने किया। मिसिस मेलिसा सैंडर्स ने किया। ऐसा ही मिं बेन ग्रिफिथ का अनुभव था। इसमें अब कोई आश्चर्य की बात नहीं कि ये सब लोग अब ठोस मसीही जन हैं! एक महिला ने मुझे बड़े आश्चर्य से देखा कि इतने सारे लोगों को इतनी जल्दी पापों से उद्धार पाने का अनुभव हो गया। यह महिला स्वयं वर्षो तक भटकने की अवस्था में समय बिता रही थी। वह पूछती है‚ ‘‘इन लोगों को उद्धार इतनी शीघ्र कैसे मिल गया?" वे सब गंभीर थे और तुम गंभीर नहीं थीं। यही मूल कारण है! और अगर आप मूर्ख बने रहें और आरंभ में ही परमेश्वर के राज्य में प्रवेश के लिये प्रयासरत नहीं रहे तो आप एक कमजोर नये इवेंजलीकल के रूप में उभर कर आयेंगे‚ उन दुर्बल चायनीज युवाओं के समान कहलायेंगे जो कमजोर‚ शिथिल नये इवेंजलीकल चर्च में जा जा कर चौपट हो गये। बाइबल कहती है‚ ‘‘मसीह यीशु के अच्छे योद्धा की नाईं मेरे साथ दुख उठा" (२ तिमोथी २:३) । दानियेल के समान बनने का साहस कीजिये! आइये मिलकर इस गीत को गाते हैं!

दानियेल के समान बनने का साहस कीजिये‚
   अकेले खड़े होने का साहस कीजिये!
एक ठोस उददेश्य लेने का साहस कीजिये!
   इसे सबको बता देने का साहस कीजिये!

जो राज्य मैं करना चाहता हूं तो निश्चय लड़ना है;
   मेरे साहस को बढ़ायें प्रभु!
सहूंगा दुख परिश्रम को‚
   आप के वचन की सहायता से ताकत पाकर
(‘‘एम आय दि सोल्जर ऑफ दि क्रास?" डॉ आयजक वाटस‚ १६७४—१७४८)

‘‘विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़ और उस अनन्त जीवन को धर ले" (१ तिमोथी ६:१२)

नये बने आलसी इवेंजलीकल्स कभी भी अच्छे चर्च सदस्य नहीं हो सकते हैं! वे तो यह भी विश्वास नहीं करेंगे कि उनके नये दुर्बल इवेंजलीकलिज्म में त्रुटि हैं! इसलिये नये सुसमाचार प्रचारकों में से बहुत कम उद्धार प्राप्त करते हैं। और पहली बार प्रभु यीशु का शुभ संदेश सुनकर तो वे कभी भी उद्धार प्राप्त करते ही नहीं हैं। आप को बरसों तक उनके साथ संघर्षरत रहना पड़ता है‚ इसके पहिले कि वे मान लें कि उनका धर्म गलत है। इसलिये वे कभी अच्छे चर्च सदस्य नहीं बन पाते हैं! कभी नहीं! कभी नहीं! कभी नहीं! अगर आप मसीह को पाने के मार्ग पर चलने के लिये प्रयासरत और जुझारू नहीं बने रहेंगे‚ तो आप के मसीही जीवन में किसी भी वस्तु के लिये संघर्ष करने के योग्य आप नहीं हो पायेंगे!

क्या मैं कार्यो द्वारा उद्धार अर्जित करने के बारे में कह रहा हूं? नहींमैं ऐसा नहीं कह रहा हूं। मैं तो अनुग्रह से उद्धार पाने के विषय में कह रहा हूं‚ अनुग्रह जो आप को आप के अतीत के भय और शंकाओं से लड़ने के लिये जुझारू बनाने में सहायक सिद्ध होता है। मैं विश्वास की बात कर रहा हूं जो मसीह तक पहुंचने के लिये आप को प्रयासरत बनाता है और फिर मसीह के लोगों की भलाई के लिये निरंतर संघर्षरत बनाता है। डॉ आर ए टोरी के संदेश का शीर्षक है — ‘‘आवश्यकता है जुझारू मसीहियों की!" आरंभ से एक हो जाइये! अगर आप मसीही जन बनने में आलसी हैं — तो आप जीवन भर आलसी बने रहेंगे! ‘‘आवश्यकता हैजुझारू मसीहियों की!" केवल इसी प्रकार के लोग हमारें बैपटिस्ट टैबरनेकल में मिलते हैं। अगर आप को आलसी मसीहत का प्रकार चाहिये, तो दूसरे चर्च में चले जाइये! ऐसे अनेक दुर्बल नये इवेंजलीकल चर्चेस हैं! उनमें से किसी एक में चले जाइये! किसी‚ एक में चले जाइये! किसी‚ एक में चले जाइये! निकल जाइये और उनमें से किसी भी एक चर्च में चले जाइये!

परंतु ठहरिये! मैं अभी आप से थका नहीं हूं! मैं सचमुच नहीं चाहता कि आप यहां से जाएं। मैं चाहता हूं कि आप यहां ठहरें और उद्धार प्राप्त करें! अब ध्यान से मेरी बात सुनिये। यह संदेश का सबसे महत्वपूर्ण भाग है अगर आप ने उद्धार प्राप्त नहीं किया है। अब जो मैं कह रहा हूं उस पर ध्यान केंद्रित कीजिए। इसे इस तरह सुनिए जैसे आप ने पहले कभी सुना नहीं हो!

राजा ने उन तीनों लड़कों को भयानक आग की धधकती भटटी में फिकवा दिया था। उनकी सारी आशाएं ध्वस्त हो गयी थीं। क्या आप को भी अभी ऐसा नहीं लगता है? आप भी हताशा में हैं। स्वयं को आप इस दशा से बचा नहीं सकते हैं। देखा जाये तो‚ आप ने उद्धार पाने की सारी आशा ही छोड़ दी है। ‘‘मैं डॉ चान‚ मि ग्रिफिथ‚ या जूडी कैगन या मिसिस हिमर्स जैसा नहीं हो सकता।" आप निराश महसूस करते हैं। आप जानते हैं कि आप नर्क में जलने जा रहे हैं और स्वयं को बचाने के लिये आप कुछ नहीं कर सकते हैं! परंतु ठहरिये! जब राजा ने आग की भटटी में देखा तो उसने केवल तीन लड़कों को नहीं देखा! उसने ज्वाला में चार लोगों को देखा‚ ‘‘आग के बीच खुले हुए टहल रहे हैं‚ और उन को कुछ भी हानि नहीं पहुंची और चौथे पुरूष का स्वरूप ईश्वर के पुत्र के सदृश्य है" (दानियेल ३:२५) स्पर्जन सही कहते थे। आग में चौथे जन यीशु थे — परमेश्वर के पूर्व अवतारित पुत्र। यीशु उस आग में उनके साथ थे। यीशु आग की ज्वालाओं से उन लड़कों को बचा रहे थे! बाइबल कहती है उन लड़कों को जला सके ‘‘आग का ऐसा कुछ भी प्रभाव नहीं पाया" (दानियेल ३:२७) । यीशु उनके साथ थे और यीशु ने उन्हें आग और नर्क से बचाया।

मेरे प्रिय मित्र यीशु आप को भी बचायेंगे। उनको आप पर तरस आता है। वह आप से प्रेम करते हैं। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि आप का विश्वास कितना थोड़ा है‚ किंतु यीशु तो सर्व शक्तिशाली है। और यीशु आप की तरफ हैं! बाइबल ऐसा कहती है! बाइबल कहती है‚ ‘‘मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आयें" (१ तिमोथी १:१५)

मैं परवाह नहीं करता कि आप कितना हताश महसूस करते हैं। वास्तव में‚ जितना हताश महसूस करेंगे‚ उतना आप के लिये अच्छा है! क्यों? क्योंकि इसका यह अर्थ है कि आप यीशु को आप का संपूर्ण उद्धार करने देते हैं। आप स्वयं का उद्धार नहीं कर सकते हैं। आप जानते हैं कि आप इतने अच्छे या इतने समर्थ नहीं हो सकते हैं। अच्छी बात है! अब आप के साथ आग की भट्टी में यीशु वह चौथे व्यक्ति होंगे। उन्हें आप को उद्धार प्रदान करने दीजिये।

आप कहते हैं कि‚ ‘‘आप के पास पर्याप्त विश्वास नहीं है।" हां‚ मैं जानता हूं। परंतु तौभी प्रभु यीशु आप को पापों से उद्धार प्रदान करेंगे। यीशु ने मुझे छुटकारा दिया जब मैंने संपूर्ण आशा खो दी थी। वह मेरे पास आये और मुझे भय और संशय से बचाया। यीशु आप को बचाने के लिये क्रूस पर मरे। यीशु मरकर जीवित हुए कि आप को उद्धार प्रदान करें। यीशु आप के लिये आज की रात यहां उपस्थित हैं। वह आप के भय और संशय में उपस्थित होंगे। वह आप को शांति और आशा प्रदान करेंगे। मैं जानता हूं कि आप इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे। परंतु उन तक पहुंचियें और वह आप के लिये यहां उपस्थित हैं। स्वयं की ओर मत देखिये। उनकी ओर निहारिये! बिल्कुल नहीं के बराबर‚ थोड़ा ही विश्वास उन पर रखिये। इसमें ज्यादा कुछ नहीं लगता! बिल्कुल थोड़ा सा ही विश्वास। वह आप के साथ हैं। उन पर अल्प विश्वास ही कीजिये और सब अच्छा होगा। आप को इस बात पर विश्वास भी नहीं करना होगा। केवल मुझ पर भरोसा कीजिये। मैं जानता हूं यीशु आप को उद्धार प्रदान करेंगे। मेरे विश्वास को आप के लिये सहायक बनने दीजिये। मुझे आप को यीशु पर विश्वास लाने में सहायक बनने दीजिये और सब कुछ अच्छा हो जायेगा। ‘‘डॉ हिमर्स विश्वास करते हैं कि यीशु मुझे उद्धार देंगे‚ इसलिये मैं पास्टर पर भरोसा रखता हूं और प्रभु यीशु पर विश्वास करता हूं!" ‘‘सिर्फ उन पर विश्वास कीजिए‚ सिर्फ उन पर विश्वास कीजिए‚ अब केवल उन पर विश्वास कीजिए। वह आप को बचायेंगे‚ वह अब आप को बचायेंगे‚ वह आप को अब बचायेंगे।" ‘‘किंतु" आप कहते हैं कि‚ ‘‘उन्होंने इसके पहले तो मुझे बचाया नहीं।" आप को ऐसा लग सकता है परंतु आज वह आप को बचायेंगे

प्रत्येक आत्मा जो पाप से कुचली हुई है‚ आये‚ क्योंकि उन पर प्रभु दया करते हैं‚
उनके वचन पर विश्वास रखने से वह आप को निश्चय विश्राम देंगे।
सिर्फ उन पर विश्वास रखें‚ सिर्फ उन पर‚ अब केवल उन पर विश्वास रखें‚
वह आप को बचायेंगे‚ वह आप को बचायेंगे‚ वह आप को अब बचायेंगे
   (‘‘सिर्फ उन पर विश्वास रखें‚" जॉन एच स्टॉकटन‚ १८१३—१८७७)

अपने नये इवेंजलीकल प्रकार के कमजोर धर्म से मुंह मोड़ लीजिये। अभी इससे मुंह मोड़ लीजिये! प्रभु यीशु पर विश्वास लाइये और अपने पापों से आप को मुक्ति मिल जायेगी — उस लहू के द्वारा वे मुक्ति देंगे जो उन्होंने कूस पर आप के लिये बहाया है!


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकेड ग्रिफिथ का एकल गान:
‘‘डेअर टू बी डेनियल" (फिलिप पी ब्लिस‚ १८३८−१८७६‚ डॉ हिमर्स द्वारा परिवर्तित किया गया है)