Print Sermon

इस वेबसाईट का उद्देश्य संपूर्ण विश्व भर के पास्टर्स व प्रचारकों को, विशेषकर तीसरी दुनिया के पास्टर्स व प्रचारकों को नि:शुल्क हस्तलिखित संदेश और संदेश के विडियोज उपलब्ध करवाना है, जहां बहुत कम धर्मविज्ञान कॉलेज और बाइबल स्कूल्स हैं।

इन संदेशों की पांडुलिपियां प्रति माह २२१ देशों के १,५००,००० कंम्प्यूटर्स पर इस वेबसाइट पते पर www.sermonsfortheworld.com जाती हैं। सैकड़ों लोग इन्हें यू टयूब विडियो पर देखते हैं। किंतु वे जल्द ही यू टयूब छोड़ देते हैं क्योंकि विडियों संदेश हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। यू टयूब लोगों को हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। प्रति माह ये संदेश ४२ भाषाओं में अनुवादित होकर १२०,००० प्रति माह हजारों लोगों के कंप्यूटर्स पर पहुंचते हैं। उपलब्ध रहते हैं। पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। आप यहां क्लिक करके अपना मासिक दान हमें दे सकते हैं ताकि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार के इस महान कार्य में सहायता मिल सके।

जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net. .




नूह के जहाज से शुभ संदेश का चित्रण

THE GOSPEL PICTURED BY THE ARK OF NOAH
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल चर्च में‚ १८ जून‚ २०१७
रविवार संध्या दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Evening, June 18, 2017

‘‘हम लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया और हम ने उसका मूल्य न जाना’’ (यशा ५३:३)


अगर आप ने मन नहीं फिराया है तो आप भी ऐसा ही व्यवहार करेंगे। आप मसीह की ओर से अपना मुंह फेर लेंगे। मसीह से आप को लज्जा आती है। आप मसीह का सम्मान नहीं करते हैं। मसीह के लिये आप की यही विचारधारा होती है। आप सफाई देते हैं कि आप ऐसा नहीं सोचते। आप मसीह के लिये असम्मान नहीं रखते। कोई इस भुलावे में भी रह सकता है कि वह यीशु से प्रेम रखता है परंतु वास्तविकता है कि वह स्वयं को धोखा दे रहा होता है। भविष्यदर्शी यिर्मयाह ने कहा था‚ ‘‘मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है’’ (यिर्मयाह १७:९) जब आप का दिल आप को बताता है कि आप यीशु से प्रेम रखते हैं तो आप इसे सच मानते हो। आप मानते हैं कि दिल सच्चा है, परंतु आप गलत हैं। यह तो ‘‘सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है।’’

अपने स्वयं के ‘‘दिल से बढ़कर धोखा देने वाला’’ और कोई नहीं। मन तो दुरंगीपन‚ भ्रम और बेईमानी से भरा होता है। आप अपने दिल को राहत देते हैं यह सोचकर कि आप का दिल दूसरों के दिल के समान बेईमान नहीं है। परंतु आप ने इस सच की ओर ध्यान नहीं दिया है कि आप के दिल में मूल पाप को जन्मजात दोष लगा हुआ है। मैं एक सदी के तीस सालों तक एक दूसरे कारण को खोजता रहा। परंतु मैं लौटकर फिर मूल पाप पर आया। क्योंकि इसी कारण से मनुष्य अपना मुंह मसीह से छिपाता है। मन में छिपे इस मूल पाप के दोष को ही मैंने असल कारण पाया जिसके कारण मनुष्य मसीह पर विश्वास नहीं करना चाहता। जैसे आदम ने अदन के बगीचे में पहला पाप करके ‘‘अपने चेहरे को पूर्वअवतारित मसीह’’ से छिपाया था।

‘‘हम लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया और हम ने उसका मूल्य न जाना’’ (यशा ५३:३)

आप यीशु का मोल नहीं समझते। आप नहीं सोचते कि यीशु महत्वपूर्ण हैं।

आप इस भ्रम में रहते हैं कि यह पद सही नहीं है − आप तो यीशु से बहुत प्रेम करते हैं। आप तो उन्हें बहुत आदर देते हैं। परंतु अपने दिल की दशा स्वीकारने के बजाय जो कि विषाक्त हो गयी है‚ हमारे भीतर बसे मूल पाप के कारण दूषित हो गयी है − हमें अपने दिल का विश्लेषण करने से बचाती है।

क्या आंतरिक मन में आप को मसीह की सुंदरता के लिये ख्याल आता है? क्या आप ऐसा कह सकते हैं क्या आप (संपूर्ण) ईमानदारी से यह पूछ सकते हैं − कि ‘‘जो सुसमाचार पहले मुझे निर्जीव और निरूत्साहित करने वाला लगता था‚ अब यीशु के बारे में सुनने में मुझे बहुत रोमांचक प्रतीत होता है?’’ क्या आप ईमानदारी से यह कह सकते हैं? अगर ऐसा नहीं हैं तो आप एमी जबालगा के समान यीशु का आदर नहीं करते!

क्या आप कह सकते हैं: ‘‘कि जब मैं यीशु का विरोधी था और उनको समर्पण नहीं करने वाला था तब ही यीशु ने मेरे लिये अपने प्राण दिये। इस विचार ने मुझे अंदर से तोड़ डाला। यीशु ने मेरे लिये अपना जीवन बलिदान दिया। इसलिये मैं अपना सर्वस्व उन पर अर्पित कर दूंगा............यीशु मुझे छुड़ाने वाले‚ मेरा विश्राम और मेरे मसीहा हैं। मैं यीशु के लिये बहुत कुछ नहीं कर सकता‚ परंतु उन की सेवा करना ही मेरा आनंद है?’’ क्या आप ये शब्द ईमानदारी के साथ − दोहरा सकते हैं जैसे जॉन कैगन ने एक बार ऐसा कहा था? अगर आप ऐसा कहने से झिझकते हैं तो क्या इसका कारण यह नहीं है कि आप यीशु से मुंह छिपा रहे हैं‚ क्या यह नहीं कि आप यीशु के प्रति आप इतना अधिक नहीं सोचते हैं?

यीशु के प्रति अपने प्रेम को जांचने का यह भी तरीका है कि आप के मन में पाप के प्रति बोध हुआ कि नहीं। जब तक आप यीशु का इंकार करने के कारण स्वयं को पापी महसूस नहीं करेंगे आप कभी यीशु मसीह का सम्मान नहीं कर सकते! यीशु बोले‚

‘‘और वह (पवित्र आत्मा) आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा। पाप के विषय में इसलिये .......कि वे मुझ पर विश्वास नहीं करते’’ (यूहन्ना १६:८‚ ९)

अगर यीशु का इंकार करने वाले पाप से आप ने मन नहीं फिराया है तो यह निश्चित चिंन्ह है कि आप ‘‘यीशु मसीह का सम्मान नहीं करते हैं।’’ डॉ डब्ल्यू जी टी शेड ने कहा था‚ ‘‘जब तक व्यक्ति को पापों का बोध नहीं हो जाता‚ पवित्र आत्मा उस व्यक्ति को पुर्नरूत्द्धार प्रदान नहीं करता है।’’ प्रभु द्वारा उसे पाप का प्रायश्चित करने का मन दिया जाता है जिसके कारण वह उद्धार पाने के लिये तैयार हो जाता है।

आप स्वयं तब तक मसीह को रोमांचक महसूस नहीं करेंगे
   जब तक आप सारी प्रक्रिया से नहीं गुजरेंगे।
       का भय नहीं होगा।
           आप स्वयं से हार चुके होंगे।
               पाप का प्रायश्चित आप को होने लगेगा।

कोई कहेगा कि‚ ‘‘ये तो बहुत कठिन तैयारी है।’’ परंतु इसी तैयारी की आप को आवश्यकता है!

यीशु संपूर्ण बाइबल के सबसे महानतम विषय है। जब यीशु को दो चेले मिले‚ उन्होनें उनसे विस्तार से बातचीत की। लूका २४: २५−२७ से निकाल लेंवे। स्कोफील्ड बाइबल में यह पेज १११२ पर है। जब मैं इसे पढ़ता हूं आइये खड़े हो जाये।

‘‘तब उस ने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों‚ और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों क्या अवश्य न था कि मसीह ये दुख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे? तब उस ने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्र शास्त्रों में से अपने विषय में की बातों का अर्थ उन्हें समझा दिया’’ (लूका २४: २५−२७)

यीशु ने ये सारी शिक्षा देने में कई घंटे बिताये। प्राचीन धर्मशास्.त्र बहुत लंबा है‚ मेरे पास किंग्स जेम्स अनुवाद की ९८४ पेज की प्रति उपलब्ध है। जब मसीह समझाते हुए उत्पत्ति ६ वां ७वां और ९वां अध्याय तक पहुंचे तो उन्होनें उन्हें नूह के जहाज के बारे में बताया होगा। उन्होनें उन्हें समझाया होगा कि कैसे नूह का जहाज उनके विषय में बताता है। जब वे नूह के विषय पर पहुंचे, महा प्रलय और जहाज की चर्चा की, तब ‘‘उन्हें स्वयं से संबंधित बातें बताना’’ आवश्यक थी (लूका २४:२७) उत्पत्ति के ये अध्याय इतने महत्वपूर्ण हैं कि वे उन पर व्याख्या किये बगैर आगे नहीं बढ़ सकते थे।

सच में उत्पत्ति का छटवां‚ सातवां और आठवां अध्याय इतने महत्वपूर्ण है कि वे हमें मसीह के लिये वर्णन‚ सब प्रकार के चित्रण और उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। यीशु ने मूसा के लेखन से आरंभ किया जो उत्पत्ति का मानवीय लेखक था और ‘‘अपने विषय में की बातों का अर्थ’’ समझा दिया (लूका २४:२७) । उन्होनें निसंदेह समझाया होगा कि कैसे नूह का जहाज उनके विषय में बताता है।

हां संपूर्ण बाइबल का महानतम विषय यीशु ही हैं और जहाज के बारे में सीखते हुए हम उनके बारे में जान सकते हैं। कोई संशय नहीं कि यहां मसीह यीशु ने शुभ संदेश के उन बिंदुओं को समझाया होगा क्योंकि लिखा है कि उन्होनें आरम्भ करके सारे पवित्र शास्त्रों में से‚ ‘‘अपने विषय में की बातों का अर्थ‚ उन्हें समझा दिया’’ (लूका २४:२७) ।

१॰ पहली बात‚ जहाज मसीह को अनाकर्षक प्रस्तुत करता है।

जैसे मैं पहले बता चुका हूं कि जहाज सुंदर नहीं था‚ चमकीले रंगों का नहीं था जैसे संडे स्कूल के कुछ मूर्ख शिक्षक अक्सर बच्चों को यह तस्वीर दिखाते हैं। बिल्कुल भी नहीं! नहीं! बल्कि यह तो लकड़ी का बना हुआ काले रंग का विशालकाय बक्सेनुमा आकृति का था। यह अंदर बाहर दोनों ओर काले रंग के तारकोल से पुता हुआ था। परमेश्वर ने कहा था‚

‘‘इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले‚ उस में कोठरियां बनाना‚ और भीतर बाहर उस पर राल लगाना’’ (उत्पत्ति ६:१४)

यह स्याह काले रंग का बक्स था जिसका धरातल चपटा था। यह ५०० फीट लंबा था। यह ९० फीट चौड़ा और ६० फीट उंचा था। यह जल यात्रा के लिये नहीं परंतु तैरने के लिये बना था। यह भददे रंग का काला बक्स था जो अंदर और बाहर से गहरे रंग का पुता था। इस जहाज की कोई सुंदरता नहीं थी। यह यीशु मसीह का चित्रण है। बाइबल मसीह के लिये यह कहती है:

‘‘उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते‚ और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दुखी पुरूष था‚ रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया‚ और हम ने उसका मूल्य न जाना’’ (यशा ५३:२−३)

क्या बिल्कुल इसी तरह लोगों ने जहाज को नहीं देखा था‚ जब जहाज प्रलय आने के पहले जमीन पर खड़ा हुआ था? न उसकी कोई सुंदरता थी‚ न कोई प्रताप। लोगों को इसकी कोई चाह नहीं थी। यह लोगों के लिये लज्जा का कारण था‚ उन्होनें इसका इंकार कर दिया‚ बिल्कुल ऐसे जैसे यीशु का इंकार कर दिया था। उन्होनें जहाज को देखना पसंद नहीं किया‚ जैसे यीशु से मुंह फेर लिया था। जहाज का अनादर किया गया और उसे आदर भाव नहीं दिया। इसलिये जहाज में आने से भी इंकार कर दिया और और बाद की पीढ़ी ने इसी तरह यीशु को मानने से इंकार किया।

‘‘यह काले रंग का भददा यंत्र हमें किस प्रकार बचा सकता है?’’ जरूर लोगों ने मन में कहा होगा। आज भी अधिकतर लोग मसीह का इंकार करते हैं और इसी कारण से मसीह के पास आने से पीछे हट जाते हैं। उनका मानना है‚ ‘‘कि क्यों हम हमारे प्रतिदिन का आनंद और खुशियों के पल उस पुराने भददे जहाज में प्रवेश करने के लिये बर्बाद करें?’’ मत्ती चौबींस सैंतीस और उसके आगे के पद हमें बताते हैं:

‘‘जैसे (नूह) के दिन थे वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल−प्रलय से पहिले के दिनों में‚ जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा‚ उस दिन तक लोग खाते पीते थे और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जलप्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा’’ (मत्ती २४:३७−३९)

यह प्रगट करता है कि उन्होनें भोज करना‚ खाना इत्यादि बंद नहीं किया और बड़े भोज के आयोजन में शराब पीने में लिप्त रहे। उन्होंने भव्य और लंबे समय तक चलने वाले विवाह समारोह में भाग लेना नहीं छोड़ा‚ वे उस समय उन शादियों के पीछे इतने दीवाने हो गये थे। क्यों उन्हें उस काले अनाकर्षक जहाज में सवार होने के लिये अपनी पार्टियां छोड़ना पड़े, ‘‘क्लब’’ की जीवनशैली को छोड़ना पड़े − नाच गाना − शराब और मजा छोड़ना पड़े, क्योंकि उनके अनुसार उस जहाज में तो ऐसा कोई ‘‘आमोद प्रमोद’’ था ही नहीं।

परंतु वे बेशक गलत सोचते थे। बेशक महाप्रलय के समय अगर संसार में कोई ‘‘आनंद’’ देने वाला स्थान था तो वह जहाज के अंदर था। नूह और उसके परिवार ने जहाज के भीतर जानवरों की देखभाल करते हुए और आपस में संगति करते हुए बहुत हर्षप्रद समय व्यतीत किया जब कि सारी धरती जल मग्न थी।

महाप्रलय के उस घोर संकट की अवधि में जहाज ही एकमात्र चर्च था। नूह और उसके परिवार के मात्र सात लोग पूरी दुनिया पर एकमात्र चर्च माने गये, जब संपूर्ण धरती प्रलय के प्रकोप में घिर चुकी थी। नूह और उसके परिवार ने संगति आराधना में हर्ष के साथ सुखद समय व्यतीत किया।

परंतु क्या इसी तरह से अपरिवर्तित लोग हमारे स्थानीय चर्च को नहीं देखते हैं? कई उद्वारहीन माता पिता पूछते हैं कि ‘‘ये जवान इसी चर्च में क्यों इतना बने रहना चाहते हैं? कौन सी बात इनको आकर्षित करती है? उस चर्च के लोगों में तो ऐसी असभ्य पार्टियां या शराब इत्यादि नहीं चलता। न ही चर्च के लोगों में किसी प्रकार के अवैध संबंध पाये जाते हैं। परंतु तौभी युवा वहां सारे समय बने रहना चाहते हैं। उस भददी पुरानी चर्च इमारत में आखिर क्या है जो मेरा बेटा या बेटी आखिर वहां पूरे समय बने रहना चाहते हैं?’’

तो आप अपने अविश्वासी परिवार या मित्रों को ऐसा जवाब दे सकते हैं: ‘‘यह चर्च हमारा जहाज है। यह हमें नष्ट होते, सुनसान संसार से बचाता है। अब हम इस स्थानीय बैपटिस्ट चर्च में रहते हैं। इस चर्च में हम बहुत साफ सुथरा और आनंददायक समय व्यतीत करते हैं जिसकी हम कभी कल्पना भी नहीं करते! आप अकेले क्यों रहें? घर आइये - चर्च आइये! इस भददे और कुछ असुविधाजनक चर्च इमारत में हमें इसे शुष्क और सुनसान संसार से आश्रय मिलता है। क्या स्थानीय चर्च जो जीवित परमेश्वर का घर है, में मिलने वाले आनंद और सुरक्षा का लाभ आप नहीं लेना चाहेंगे? निवेदन करता हूं कि इस चर्च रूपी जहाज में निरंतर आइये और यहां मिलने वाली शांति जिसका अनुभव हमने किया है उसका आनंद आप भी उठाइये।’’

हां‚ वह जहाज पुराना‚ काला और भददा सा था परंतु उसके अंदर अपार आनंद और शांति व्याप्त थी। घर आइये! अपने इस लज्जाजनक पुराने जहाज में सवार होईये अर्थात स्थानीय चर्च में ही आइये जहां शांति का वास है। आप को उद्वार की प्राप्ति होगी और आप हमारे साथ एक खुशहाली के जीवन का अनुभव का करेंगे!

२॰ दूसरा‚ जहाज मसीह के रक्त का चित्रण करता है।

बाइबल खोलकर उत्पत्ति का अध्याय छः और पद चौदह निकाल लीजिये। परमेश्वर ने नूह से कहा:

‘‘इसलिये तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले उस में कोठरियां बनाना और भीतर बाहर उस पर राल लगाना’’ (उत्पत्ति ६:१४)

पुरातनपंथी व्याख्याकार एच सी ल्यूपोल्ड इसका अनुवाद इस तरह करते हैं‚ ‘‘इसे अंदर बाहर काले रंग से पोत दिया गया’’ (एक्सपोजिशन ऑफ जेनेसिस, बेकर, १९७६, वाल्यूम १, पेज २६९)

डॉ ल्यूपोल्ड जहाज के कमरों के बारे में बताते हैं और जिस तारकोल से उसे रंगा गया है उसके विषय में बताते हैं।

‘‘कक्ष’’ के लिये जो शब्द हैं (किनिम) उसे ‘‘घोंसले’’ के लिये भी प्रयुक्त किया जाता है। फलस्वरूप‚ ऐसे कक्षों का निर्माण किया गया कि जानवरों के लिये भी काम में लाये जा सकें.......यह जहाज नहीं परंतु तैरने वाला बड़ा संदूक था जिसका आकार लगभग जहाज के ही समान था। यह जहाज किसी भी प्रकार से जलयात्रा और मार्गदर्शन के उददेश्य से नहीं बनाया गया था। यह मात्र तैरने के लिये तैयार किया था। इसे प्रचुरता के साथ राल लगाकर जलनिरोधी बनाया गया था (कोफर) (उक्त संदर्भित‚ पेज २७०)

डॉ ल्यूपोल्ड के अनुसार ‘‘कफार’’ शब्द ‘‘कोफेर’’ से निकला है (उक्त संदर्भित) ।

‘कफार’’ शब्द बाइबल में इब्रानी भाषा में ‘‘प्रायश्चित’’ के लिये प्रयुक्त किया गया है। ‘‘कफार’’ का क्रिया रूप ‘‘प्रायश्चित’’ अनुवाद के बाद प्राचीन धर्मशास्त्र में सत्तर बार प्रयुक्त हुआ है।

लैव्यव्यवस्था १७:११ इस शब्द का अर्थ बताता है ।

‘‘क्योंकि शरीर का प्राण लोहू में रहता है; और उसको मैं ने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिये दिया है कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्चित्त किया जाए; क्योंकि प्राण के कारण लोहू ही से प्रायश्चित्त होता है’’ (लैव्यव्यवस्था १७:११)

दोनों बार ‘‘प्रायश्चित’’ शब्द ‘‘कफार’’ का अनुवाद है ‘‘ढांकना।’’ यीशु मसीह का लहू हमारे सारे पापों को ढंक लेता है। नये नियम में इसे सीधे सीधे कहा गया है:

‘‘कि धन्य वे हैं, जिन के अधर्म क्षमा हुए, और जिन के पाप ढांपे गए’’ (रोमियों ४:७)

जहाज को राल से सुरक्षित किया गया था ताकि न्याय करने वाला जल भीतर प्रवेश न कर सके। जब आप मसीह में आते हैं तो आप मसीह के लहू से ढांपे गये होते हैं और परमेश्वर का न्याय आप को हानि नहीं पहुंचायेगा। परमेश्वर ने नूह से कहा था कि जहाज में........ प्रवेश कर (उत्पत्ति ७:१) जब नूह ने भीतर प्रवेश किया तो वह चारों ओर राल लगी दीवारों से सुरक्षित था। यह राल यीशु के लहू का एक प्रकार था। जब आप मसीह में आते हैं तो आप यथाशब्द मसीह के लहू में घिरे होते हैं और आप के ‘‘पाप ढंप जाते हैं’’ (रोमियों ४:७) !

‘‘और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है’’ (१ यूहन्ना १:७)

इसलिये यीशु क्रूस पर मरे और − उनका लहू आप के सारे अधर्मो को धो देता है और आप के सारे पापों को ढंप लेता है।

‘‘कि धन्य वे हैं‚ जिन के अधर्म क्षमा हुए‚ और जिन के पाप ढांपे गए’’ (रोमियों ४:७)

३॰ तीसरा, यह जहाज पुनरूत्द्धार का चित्रण करता है।

यह जहाज पुनरूत्द्धार का एक प्रकार है। जिस दिन जहाज ने अरारात पर्वत पर विश्राम किया था उसी दिन मसीह मरे हुओं में से जीवित हुए थे।

मैं चाहता हूं कि आप कुछ और बात पर भी ध्यान करें। उत्पत्ति आठ, पद अठारह, को सुनिये:

‘‘तब नूह‚ और उसके पुत्र और पत्नी और बहुएं निकल आईं ’’ (उत्पत्ति ८:१८)

मुरदों में से यीशु मसीह के जीवित होने के चित्रण को यह प्रस्तुत करते हैं:

‘‘सब्त के दिन के बाद सप्ताह के पहिले दिन पह फटते ही मरियम मगदलीनी और दूसरी मरियम कब्र को देखने आईं। और देखो एक बड़ा भुईंडोल हुआ क्योंकि प्रभु का एक दूत स्वर्ग से उतरा और पास आकर उसने पत्थर को लुढ़का दिया और उस पर बैठ गया। उसका रूप बिजली का सा और उसका वस्त्र पाले की नाईं उज्ज़्वल था। उसके भय से पहरूए कांप उठे और मृतक समान हो गए। स्वर्गदूत ने स्त्र्यिों से कहा कि तुम मत डरो मै जानता हूँ कि तुम यीशु को जो क्रुस पर चढ़ाया गया था ढूंढ़ती हो। वह यहाँ नहीं है परन्तु अपने वचन के अनुसार जी उठा है; आओ‚ यह स्थान देखो‚ जहाँ प्रभु पड़ा था’’ (मत्ती २८:१−६)

जैसे नूह जहाज में से बाहर आया वैसे ही ईस्टर की सुबह मसीह कब्र में से बाहर आये। ऐसा लिखा है, तब नूह और उसके पुत्र और पत्नी और बहुएं निकल आईं । यह चित्रण करता है कि सच्चे अनुयायी मसीह से हवा में मिलने के लिये उपर उठा लिये जायेंगे (१ थिस्सुलुनीकियों ४:१६−१७) । जहाज से बाहर आते नूह की तस्वीर मसीह के कब्र से बाहर आने को प्रकट करती है। उसका परिवार उसके पीछे आते हुए ऐसा चित्रण प्रस्तुत करता है मानों जब हम मसीह के साथ हवा में उठा लिये जायेंगे।

ये सब प्रतीकात्मक और छपाई योग्य है। डॉ जॉन वार्विक मोंटोगोमेरी ने कहा था:

नूह को छुटकारा देने का कार्य − केवल परमेश्वर के अनुग्रह और (जहाज) में लेने के माध्यम से किया गया − पूरे घटनाक्रम के द्वारा पूर्व चर्च के लिये पूर्वलिखित घटना थी जिसने उद्धार पाने की नयी वाचा का संकेत दिया। जहाज स्वयं चर्च का प्रतीक है (केवल उनके लिये जो परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकारते हुए पापमयी संसार के प्रलय से बचने के लिये उसमें शरण लेते हैं) ; चर्च के वास्तुशिल्प में भी इस चित्रण के लिये बिंबविधान दिया गया है (जैसे लेटिन भाषा में ‘‘नैविस’’ या ‘‘जहाज’’ से ‘‘पहिये वाली नाव’’ को लिया गया है) । आरंभिक मसीहत (चित्रकारी) में − जैसे मुरदों के तलघर में − जहाज को दफनानें के स्थान का प्रतीक बताया गया है जिसमें से परमेश्वर अंतिम न्याय के दिन विश्वासी को जीवित करेंगे। जिस प्रकार उन्होंने नूह को महाप्रलय से केवल जहाज के माध्यम से छुड़ाया था (जॉन वार्विक मोंटोगोमेरी‚ पी एच डी‚ दि क्वेस्ट फॉर नोहा आर्क‚ बैथेनी‚ १९७२‚ पेज २८४)

दूसरी शताब्दी के प्रथम भाग में‚ जस्टिन मार्टियर ने कहा था:

धर्मी नूह महाप्रलय के समय अपने परिवार में पत्नी‚ तीन पुत्र और उन पुत्रों की पत्नियां जो कुल मिलाकर आठ जन होते हैं उस छुटकारे के दिन का प्रतीक ठहरे‚ उस सामर्थ का प्रतीक ठहरे जिसके द्वारा मसीह मुरदों में से जीवित किये गये। अब मसीह जो ‘‘प्रत्येक सृष्टि में पहिलौठे हैं’’‚ अब दूसरे अर्थ में नयी मानव जाति के प्रमुख ठहरे जिन्हें वे जल और विश्वास व लकड़ी के द्वारा जो क्रूस की रहस्यों को अपने में समाये हैं छुड़ा कर लाये। जैसे नूह लकड़ी के जहाज में अपने परिवार के साथ तैरते हुए बचाया गया (जस्टिन मार्टियर‚ डायलॉग विथ ट्रिफो‚ १३७‚१−२)

आरंभिक मसीहियों ने संपूर्ण शुभ सुसंदेश को नूह के जहाज में प्रतीकात्मक रूप में देखा। (१) वह भददा जहाज जो आंखों को या मस्तिष्क को अच्छा नहीं लगता था। वैसे ही तो मसीह लोगों को आकर्षक नहीं दिख पड़ता है और उनका शुभ संदेश भी मूर्खता प्रतीत होता है। (२) जहाज को गहरे मोटे राल से अंदर और बाहर से पोत दिया गया था। यह चित्रण है कि एक मन फिराने वाले पापी को मसीह का लहू पूरी रीति से ढंप देता है ताकि परमेश्वर उसके पाप न देख सके (३) जहाज अरारात पर्वत पर ठहर गया जिसमें से नूह जीवित बाहर आया। यह तस्वीर है मसीह की, वे ईस्टर की प्रातः कब्र में से जीवित निकल कर बाहर आये।

एक और बात है। जहाज ने पर्वत के शिखर पर टिक गया। मसीह सियोन पर्वत अर्थात परमेश्वर के नगर से उपर स्वर्गो के स्वर्ग में चढ़ाये गयें। मसीह स्वर्ग में विराजमान हैं परमेश्वर के दाहिने हाथ। मसीह के पास आइये आप अभी अपने पापों से बचाये जायेंगे। आप के जीवन भर के पाप यीशु के बहाये गये लहू से ‘‘ढंप’’ लिये जायेंगे। मसीह के पास आइये तो स्वर्ग में आप स्थान पायेंगे। आप का मसीह के पास आना आप को सुरक्षित करेगा अनंत काल तक के लिये, जैसे नूह जहाज में प्रवेश करके अपने जीवन को बचा पाया था!


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
आप डॉ.हिमर्स के संदेश इंटरनेट पर प्रति सप्ताह पढ सकते हैं
www.sermonsfortheworld.com पर
''पांडुलिपि संदेशों'' पर क्लिक कीजिये।

पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ.
हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। यद्यपि डॉ.
हिमर्स के सारे विडियो संदेश का कॉपीराईट है और उन्हें
अनुमति से उपयोग में ला सकते हैं।

संदेश के पूर्व नोहा सोंग द्वारा संदेश पढ़ा गया: मत्ती २८:१−६
संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकैड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
‘‘सेव्ड बॉय दि ब्लड’’ (एस जे हैंडरसन‚ १९ वीं शताब्दी)


रूपरेखा

नूह के जहाज से शुभ संदेश का चित्रण

THE GOSPEL PICTURED BY THE ARK OF NOAH

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

‘‘हम लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया और हम ने उसका मूल्य न जाना’’ (यशा ५३:३)

(यिर्म १७:९; यूहन्ना १६:८‚९; लूका २४:२४−२७)

१॰ पहली बात‚ जहाज मसीह को अनाकर्षक प्रस्तुत करता है‚
उत्पत्ति ६:१४; यशा ५३:२−३; मत्ती २४:३७−३९

२॰ दूसरा‚ जहाज मसीह के रक्त का चित्रण करता है‚ उत्पत्ति ६:१४;
लैव्य १७:११; रोमियों ४:७; उत्पत्ति ७:१; १ यूहन्ना१:७

३॰ तीसरा, यह जहाज पुनरूत्द्धार का चित्रण करता है‚ उत्पत्ति ८:१८;
मत्ती २८:१−६; १ थिस्सु ४:१६−१७