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यीशु की ओर निहारना

LOOKING UNTO JESUS
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल चर्च में‚ ११ जून‚ २०१७
रविवार सुबह दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, June 11, 2017

‘‘और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा ’’ (इब्रानियों १२:२)


यह पद मसीह का शुभ संदेश सुनाता है। एक सच्चे मसीही को जैसा विश्वास करना चाहिये, उसे बताने के लिये बाइबल में इस पद से बढ़कर कोई पद इतना स्पष्ट नहीं बोलता है।

अब आप को इस संदेश को ध्यानपूर्वक सुनना बहुत आवश्यक है। मैं इस पद को अलग से लेकर जितना संभव होगा, उतना विस्तारित करके समझाउंगा। आप के हृदय में जहां संशय और उलझन है, वहां इस पद को समझते समय मसीह आप के हृदय में अपने प्रकाश को चमकावे।

एक मनुष्य चर्च जाते हुए भी अंधकार में बना रह सकता है। एक इंसान बहुत बाइबल पढ़ सकता है और तब भी संशय में बना रह सकता है। जो भी पढ़ा है उस पर अंधेरा ही छाया रह सकता है। परंतु यह मेरी प्रार्थना है कि जब मैं प्रचार करता हूं‚ परमेश्वर स्वयं आप की ‘‘समझ की आंखों को खोले’’ (इफिसियों १:१८) । केवल तब परमेश्वर द्वारा आप की बुद्वि पर प्रकाश डाले जाने के बाद आप इस पद में बताये गये सत्य को जानने में सफल होंगे।

यह पद हमें तीन आधारभूत सत्य बताता है: यह यीशु ने आप के लिये क्यों किया? इसका लाभ कैसे प्राप्त करें?


१॰ यीशु ने आप के लिये क्या किया

२॰ यह यीशु ने आप के लिये क्यों किया?

३॰ इसका लाभ कैसे प्राप्त करें?

१॰ पहला, यीशु ने आप के लिये क्या किया।

‘‘यीशु की ओर ताकते रहें (जिसने) ......लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा’’ (इब्रानियों १२:२)

यूनानी शब्द ‘‘सहा’’ का अर्थ है कि ‘‘बहुत धीरज से दुख को सहन करना’’ (स्ट्रॉंग) यीशु ने आप की आत्मा को पाप के दंड से छुड़ाने के लिये बहुत धीरज धरते हुए बहुत सा दुख और सताव सहन किया। जैसे पुल ने कहा थाः

(मसीह) ने क्रूस के (साथ जुड़े दुख को) सहा, जो दुख आत्मा में घाव करने वाले थे, शरीर को दर्द पहुंचाने वाले थे, (देह पर मार पड़ी), कांटों से छेदे गये, कोड़े की मार से मांस का छिल लिया जाना, हाथ और पैरों में कीलों से (छेद हो जाना), शैतान की सारी डाह और क्रोध जैसे उन पर फूट पड़ा हो; परंतु वह इस बोझ उठाने से डरे नहीं, न कांपे, और न ही दुर्बल पड़े। अपनी इस अदम्य नम्रता और धैर्ययुक्त साहस के साथ उन्होंने वे सारे दुख सहे जो उनके लिये पहले से बता दिये गये थे (यशायाह ५३) ! (मैथ्यू पूल, इब्रानियों १२:२ पर व्याख्या) ।

उसके बाद, ‘‘लज्जा की कोई चिंता न करके’’ मसीह क्रूस पर चढ़े (इब्रानियों १२:२) । ‘‘लज्जा की चिंता न करना’’ अर्थात उस बारे में ‘‘कम विचार करना’’ या ‘‘थोड़ा सोचना’’ (वाईन) । यीशु ने उस महान दुख के बारे में बहुत कम सोचा वह इस दुख उठाने की प्रक्रिया से होकर गुजरे क्योंकि क्योंकि वह आप को बचाने के बारे में और परमेश्वर को महिमा देने के बारे में सोच रहे थे। ‘‘लज्जा की कोई चिंता न की।’’ लज्जा का अर्थ यहां ‘‘निरादर किये’’ जाने से है (स्ट्रॉंग) । आप के पापों के दंड से बचाये जाने के लिये यीशु को निरादर से होकर गुजरना पड़ा। आप के स्थान पर उनको घोर अपयश का सामना करना पड़ा अन्यथा आप को अंतिम न्याय के समय दंड उठाना पड़ता।

पीटे जाने के द्वारा यीशु ने अपमान सहा। उनके मुंह पर थूके जाने के द्वारा उनका अपमान हुआ, उनकी दाढ़ी के बाल नोंचे गये। ‘‘उसे क्रूस पर चढ़ाओं! उसे क्रूस पर चढ़ाओं!’’ चिल्लाती हुई क्रोधित भीड़ ने उनका निरादर किया। इससे बढ़कर शर्मनाक और क्या होगा कि उनके सारे कपड़े उतार दिये गये और उन्हें वस्त्रहीन क्रूस पर लटका दिया।

आप के स्थान पर उनका अनादर किया गया और यीशु मसीह ने वह सारी शर्म को सहन किया।

‘‘मसीह ने भी अर्थात अधमिर्यों के लिये धर्मी ने पापों के कारण एक बार दुख उठाया’’ (१ पतरस ३:१८) ।

‘‘यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया’’ (यशायाह ५३:६) ।

हमें अपने पापों के लिये जो दंड मिलना था, वह मसीह ने अपने उपर ले लिया। यीशु को आप के स्थान पर सजा मिली।

आप के स्थान पर उन्होनें शर्म उठायी। अंतिम न्याय के दिन आप ने कभी भी जो पाप किये होंगे, वे परमेश्वर के सामने पढ़े जायेंगे। जिससे सारे संसार के सामने आप को शर्म आयेगी। परंतु अगर आप यह मानते हैं कि उन्होंने आप के बदले शर्म उठायी। जहां हमें वस्त्रहीन होना था, अपने पापों के लिये सजा भुगतनी थी, क्रूस पर यीशु ने वस्त्रहीन होकर उस लज्जा को सहन किया − क्या आप इस सत्य पर विश्वास करते हैं !

बाइबल हमें यीशु मसीह द्वारा क्रूस पर किये गये ‘‘प्रतिनिधिरूप बलिदान’’ के बारे में शिक्षा देती है! डॉ पी बी फिटजवाअर ने कहा था:

उनका बलिदान प्रतिनिधि के रूप में था अर्थात वे किसी के स्थान पर या प्रतिनिधि बनकर प्राण दे रहे थे (क्रिश्चियन थियोलोजी, अर्डमंस, १९४८‚ पेज ४२६) ।

अंग्रेजी शब्द ‘‘प्रतिनिधिरूप’’ का अर्थ है किसी एक व्यक्ति का स्थान किसी अन्य ने लिया है (वेबस्टर न्यू कॉलिजियेट डिक्शनरी, १९६०) ।

यही तो यीशु मसीह ने आप के लिये किया ! ‘‘किसी एक व्यक्ति अर्थात (आप) का स्थान किसी ने अर्थात (मसीह) ने ले लिया।’’ पाप के बदले जो दंड आप को मिलना था, उसे मसीह ने उठा लिया।

बाइबल कहती है:

‘‘मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ’’ (इब्रानियों ९:२८)

‘‘पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया’’ (१कुरूं१५:३)

पापों के लिये जो दंड चुकाना था, उसे मसीह ने चुकाया। मसीह ने मूल्य चुकाया।

मेरे सौतेले पिता एक कड़क नौसैनिक थे। एक बार उन्होंने एक पुलिस वाले को उसके पीछे के हिस्से में लात मार दी। उन्होंने उनको जेल में फेंक दिया। मध्य रात्रि में मेरी मां ने एड गैलिक को फोन किया कि उन्हें जमानत देकर छुड़ा लाये। एड जेल में गये और जमानत चुकाकर उन्हें वापस ले आये। उन्होंने मेरे सौतेले पिता को छोड़ दिया। जैसे वह बाहर आये उन्होंने एड को देखा और पूछा ‘‘तुम यहां क्या कर रहे हो?’’

यह घटना याद दिलाती है कि मसीह ने हमारे लिये क्या किया। जिन पापों के लिये हमें नर्क भोगना था, उससे छुड़ाकर बाहर ले आये। हम क्रूस की ओर देखते हैं और पूछते हैं, ‘‘आप यहां क्या कर रहे हैं?’’ उत्तर है − वह आप का दंड भर रहे हैं − ताकि आप परमेश्वर के ठहराये नर्क रूपी जेल से बाहर निकल सकें! इसी समय यीशु पर विश्वास लाइये!

२॰ दूसरा, क्यों यीशु ने आप के लिये ऐसा किया।

‘‘जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था’’ (इब्रानियों १२:२)

यीशु किसी अभिप्राय से क्रूस पर गये। वे तो इतने समर्थशाली थे कि किसी भी समय बच निकल सकते थे। परंतु ‘‘इसके बजाय वे वध होने वाली भेड़ के समान लाये गये’’ (यशायाह ५३:७) । क्यों इतनी दीनतापूर्वक वे क्रूस पर आप के पापों का दंड चुकाने के लिये चढ़ गये? उन्होंने ऐसा ‘‘उस आनन्द के लिये जो उनके आगे धरा था’’ को पाने के लिये किया (इब्रानियों १२:२) ।

पहली बात, उनके लिए स्वर्ग में प्रवेश का आनंद था। मसीह जानते थे क्रूस पर उनकी मृत्यु के एकदम उपरांत वे स्वर्ग में प्रविष्ट किये जायेंगे। उन्होंने अपने बाजु में क्रूस पर चढ़े मरते हुए चोर से कहा कि, ‘‘आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा’’ (लूका २३:४३) ।

तब, उसने आप के स्वर्ग में प्रवेश करने के आनंद को भी देखा। यीशु को कितना आनंद हुआ होगा, जब उन्होंने उस मन फिराए चोर को देखा होगा! कितना आनंद यीशु को तब होगा जब वे आप को स्वर्ग में प्रवेश करते हुए देखेंगे।

कल मैंने अपने द्वारा मसीह के पास लाये गये कुछ व्यक्तियों को देखा। उनमें से एक अब डीकंस का अध्यक्ष है। दूसरा जन पास्टर का सहायक है। मुझे इन व्यक्तियों को देखकर अपार आनंद की अनुभूति हुई, जिन्हें मैं चालीस साल पहले मसीह के पास लेकर आया था। स्वर्ग में इस प्रकार के आनंद के अनुभव की भी मसीह ने आशा की होगी। इसलिये विचारपूर्वक उन्होंने लोगों को उन्हें क्रूस पर चढ़ाये जाने दिया − ताकि ‘‘अनेकों संतानें महिमा में प्रवेश कर सके’’ (इब्रानियों २:१०) ।

इसलिये यीशु ‘‘हमारे विश्वास के रचयिता और उसे पूर्ण करने वाले’’ दोनों ही है। वह हमारे भीतर विश्वास पैदा करते उसे सिद्व बनाते और हमारी सुरक्षा करते हैं। मसीह में पूर्ण रूप से उद्वार मिलता है!

३॰ तीसरा, आप को इसका लाभ कैसे मिलता है।

‘‘यीशु की ओर ताकते रहें.......जो सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा’’ (इब्रानियों १२:२) ।

प्रेरितों की पुस्तक में चेले सीधे मसीह के स्वर्गारोहण और परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठने के उल्लेख किये बिना प्रचार नहीं करते थे। मैं भी इस बात से सहमत हूं कि आज हमें भी प्रेरितों के समान ही मसीह के स्वर्गारोहण को बताये बगैर प्रचार नहीं करना चाहिये।

मेरे विचार से इसके कारण इस प्रकार हो सकते हैं:

१॰ मसीह के स्वर्गारोहण होकर पिता परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठना इस प्रचार से यह बात बिल्कुल स्पष्ट होती है कि पिता और मसीह दो अलग − अलग − व्यक्तित्व है। बाइबल में त्रिएकत्व की शिक्षा आजकल चर्चेस में धूमिल हो गयी है। इस शिक्षा को बिना जाने आधुनिक कई भ्रांतियों ने जन्म ले लिया है।

२॰ त्रिएकत्व में परमेश्वर पिता और मसीह पुत्र को अलग अलग व्यक्तित्व के रूप में नहीं देखे जाने से बाइबल के सिद्वांत जैसे मेलमिलाप, पापों के बदले क्षतिपूर्ति भरना और धर्मी ठहराना लगभग खो गये हैं। स्वर्गारोहण को बताने से मसीह की मध्यस्थता करने वाली भूमिका का वर्णन लोगों को मालूम होता है।

३॰ स्वर्गारोहण पर प्रचार करने से हम निर्णयवाद की शिक्षा को रोकते हैं। लोगों को स्वर्ग पर उठाये गये मसीह के पास लेकर आने से सब प्रकार के निर्णयवाद वाली भ्रांत शिक्षा का अंत होता है।


कुछ समय पहले मैंने सुना कि एक प्रचारक ने फरीसी और एक साधारण नागरिक के उपर बहुत उत्तम संदेश दिया (लूका १८:९−१४) उसने समस्त प्रकार के निर्णयवाद को उजागर कर दिया। प्रचारक ने बताया कि ‘‘पापियों की प्रार्थना दोहराने’’ से भी कुछ नहीं होता। चर्च में आगे आने से कुछ नहीं होता। फिर वह प्रचारक बोले कि ‘‘आप को मसीह पर विश्वास करना’’ होगा। मैंने सोचा ‘‘कि बिल्कुल सही है! परंतु तब उन्होंने कहा, ‘‘यीशु पर विश्वास रखने का अर्थ है कि आप विश्वास करते हैं कि वे आप के पापों का दंड चुकाने के लिये क्रूस पर मरे।’’ तब मैंने सोचा कि, ‘‘अरे नहीं! ये प्रचारक तो यीशु स्वयं पर विश्वास रखने को इस शिक्षा के साथ उलझा रहे हैं, मुख्य बात है केवल यीशु की आवश्यकता महसूस करना!’’

मेरी इच्छा थी कि काश इस प्रचारक ने अपने उत्तम संदेश को भटके हुए पापियों को यह कहते हुए समाप्त किया होता कि वे उपर की ओर निहारते रहें - स्वर्गारोहित मसीह की ओर − जो परमेश्वर पिता के दाहिने हाथ जाकर − स्वर्ग में विराजमान हुए!

‘‘यीशु की ओर ताकते रहें (जो)....... सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा’’ (इब्रानियों १२:२) ।

यह वही जगह है जहां हमें निहारना चाहिये! उन्हीं पर हमें विश्वास करना चाहिये! इस तरह हम उद्वार पा सकते हैं!

‘‘प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू उद्धार पाएगा’’ (प्रेरितों के कार्य १६:३१)

निहारों और जीवित रहो, मेरे बंधु!
अब यीशु की ओर ताकों और जिंदा रहो!
ऐसा उनके वचन में लिखा है हैल्लेलुयाह!
केवल तुम ‘‘निहारते और जिंदा रहते हो’’
(‘‘निहारों और जीवित रहो’’ विलियम ए, आगडेन, १८४१−१८९७)


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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व नोहा सोंग द्वारा संदेश पढ़ा गया: यूहन्ना १२:२८–३२
संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकैड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
‘‘निहारों और जीवित रहो’’ (विलियम ए, आगडेन, १८४१−१८९७)


रूपरेखा

यीशु की ओर निहारना

LOOKING UNTO JESUS

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

‘‘और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था‚ लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न करके‚ क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा’’ (इब्रानियों १२:२)

१॰   पहला‚ यीशु ने आप के लिये क्या किया − ‘‘लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा’’ १ पत ३:१८; यशा ५३:६; इब्रानियों ९:२८; १कुरूं १५:३

२॰  दूसरा, यीशु ने आप के लिये ऐसा क्यों किया − ‘‘उसआनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था’’ यशा ५३:७
१॰ स्वर्ग में प्रवेश करने का आनंद, लूका २३:४२
२॰ आप को स्वर्ग में प्रवेश करते देखने का आनंदइब्रा २:१०

३॰ तीसरा, आप को इसका लाभ कैसे मिलता है − ‘‘यीशु की ओर ताकते रहें जो सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा’’ प्रेरितों १६:३१