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प्रार्थना में क्रम और तर्क − भाग २

ORDER AND ARGUMENT IN PRAYER – PART II
(Hindi)

जोन सेम्यूएल कैगन
by Mr. John Samuel Cagan

शनिवार की संध्या, ३ सितंबर, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles Saturday Evening, September 3, 2016

''भला होता, कि मैं जानता कि वह कहां मिल सकता है, तब मैं उसके विराजने के स्थान तक जा सकता! मैं उसके साम्हने अपना मुक़द्दमा पेश करता और बहुत से प्रमाण देता।'' (अय्यूब २३:३−४)


हम यहां यह चर्चा कर रहे थे कि कैसे संगठित और तर्क के साथ प्रार्थनायें की जाना चाहिये। ऐसा करने के लिये आप के दिमाग में बाइबल की कहानियां और पद होना चाहिये। उदाहरण देते हुये प्रार्थना करना अपनी बात को मजबूत बनाने का तरीका है। किसी समरूप घटना की तुलना करने से उनमें बुनियादी समानतायें होती हैं। जब आप किसी बड़े आश्चर्यकर्म के लिये प्रार्थना करते हैं तो बाइबल में वर्णित ऐसा उदाहरण दीजिये जहां परमेश्वर ने किसी बड़े आश्चर्यकर्म को किया हो। जब आप किसी ऐसी बात के लिये प्रार्थना कर रहे हो जो कम ध्यान आकर्षित करने वाली हो तो बाइबल के उस स्थान का उल्लेख कीजिये जहां परमेश्वर कुछ खास विवरण और विशिष्ट बात चाहते हैं। यह सब इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि परमेश्वर प्रार्थनाओं के उत्तर देते हैं। बाइबल में ऐसे अनेकों उदाहरण है जहां परमेश्वर ने क्रम वाली तर्क संगत और बहस के साथ मांगी गयी प्रार्थना का उत्तर दिया है। बाइबल में ऐसे अनेकों उदाहरण है जहां बाइबल के लोगों ने परमेश्वर से बहस की थीं।

१. पहला, क्रमबद्व प्रार्थना के लिये परमेश्वर प्रतिक्रिया देते हैं।

मूसा ने निर्जन में इजरायल के लिये प्रार्थना की। लोग परमेश्वर से फिर गये थे और सोने का बछड़ा ढाल लिया था। परमेश्वर ने उन्हें नष्ट करने की धमकी दी। मूसा ने लोगों के लिये प्रार्थना की। बाइबल कहती है,

''तब मूसा अपने परमेश्वर यहोवा को यह कहके मनाने लगा, कि हे यहोवा, तेरा कोप अपनी प्रजा पर क्यों भड़का है, जिसे तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है? मिस्री लोग यह क्यों कहने पाए, कि वह उन को बुरे अभिप्राय से, अर्थात पहाड़ों में घात करके धरती पर से मिटा डालने की मनसा से निकाल ले गया? तू अपने भड़के हुए कोप को शांत कर, और अपनी प्रजा को ऐसी हानि पहुचाने से फिर जा।'' (निर्गमन ३२:११−१२)

मूसा परमेश्वर से कह रहा था, ''प्रभु लोग आप के लिये क्या कहेंगे? अगर आप उन लोगों को नष्ट करेंगे तो आप के महान नाम के बारे में क्या सोचेंगे?'' तब मूसा ने परमेश्वर को उनकी प्रतिज्ञा स्मरण दिलवाई:

''अपने दास इब्राहीम, इसहाक, और याकूब को स्मरण कर, जिन से तू ने अपनी ही किरिया खाकर यह कहा था, कि मैं तुम्हारे वंश को आकाश के तारों के तुल्य बहुत करूंगा, और यह सारा देश जिसकी मैं ने चर्चा की है तुम्हारे वंश को दूंगा कि वह उसके अधिकारी सदैव बने रहें।'' (निर्गमन ३२:१३)

मूसा ने परमेश्वर को उनकी प्रतिज्ञा का स्मरण दिलाया जो उन्होंने अब्राहम, इजहाक और याकूब (इजरायल) से की थी कि वह उनके वंश को बढ़ाएगा और उन्हें कनान देश देगा। ''अगर आप लोगों को नष्ट करेंगे तो आप की प्रतिज्ञा पूर्ण नहीं होगी।'' परमेश्वर ने मूसा की प्रार्थना का उत्तर दिया। बाइबल कहती है, ''तब यहोवा अपनी प्रजा की हानि करने से जो उस ने कहा था पछताया'' (निर्गमन ३२:१४) परमेश्वर ने अपने दिमाग को बदला। उन्होंने लोगों को नष्ट नहीं किया। परमेश्वर ने मूसा की प्रार्थना का उत्तर दिया।

तर्क करते समय परमेश्वर के लोगों के दुख का वर्णन भी किया जा सकता है। हम सब मनुष्य हैं। जब खतरनाक बातें होती हैं हम उन बातों को दर्द और कष्ट के द्वारा महसूस करते हैं। जब लाजरस मरा तब यीशु रोये थे। अगर आप का कोई प्रिय जन आप के पास आये और अपने दर्द का अहसास करवायें और आप से सहायता की विनती करे, तो यह समझाये जाने का एक सामर्थ शाली माध्यम है। अपने दिल के कष्टों को, अपने मित्र के कष्टों को और परमेश्वर के लोगों के कष्टों को अपनी प्रार्थना में लाइये।

जब यरूशलेम नष्ट किया गया तब यशायाह ने प्रार्थना की, ''हे यहोवा, स्मरण कर कि हम पर क्या क्या बीता है; हमारी ओर दृष्टि कर के हमारी नामधराई को देख'' (विलापगीत ५:१) । जब यरूशलेम नष्ट किया गया तब दाउद ने प्रार्थना की,

''हे परमेश्वर अन्यजातियां तेरे निज भाग में घुस आई; उन्होंने तेरे पवित्र मन्दिर को अशुद्ध किया; और यरूशलेम को खंडहर कर दिया है। उन्होंने तेरे दासों की लोथों को आकाश के पक्षियों का आहार कर दिया और तेरे भक्तों का मांस वनपशुओें को खिला दिया है। उन्होंने उनका लोहू यरूशलेम के चारों ओर जल की नाईं बहाया और उन को मिट्टी देने वाला कोई न था। पड़ोसियों के बीच हमारी नामधराई हुई; चारों ओर के रहने वाले हम पर हंसते और ठट्ठा करते है'' (भजन संहिता ७९:१−४)

उसने परमेश्वर को अपने यहूदी लोगों के कष्ट के बारे में बताया। तब उसने परमेश्वर से उनके नाम और प्रतिष्ठा को बचाने की प्रार्थना की। उसने परमेश्वर से कहा, ''हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, अपने नाम की महिमा के निमित हमारी सहायता कर; और अपने नाम के निमित हम को छुड़ा कर हमारे पापों को ढांप दे'' (भजन संहिता ७९:९) तब उसने प्रार्थना की, ''अन्यजातियां (क्यों) कहने पाएं कि उनका परमेश्वर कहां रहा?'' (भजन संहिता ७९: १०) उसने प्रार्थना की परमेश्वर अन्यजातियों के मध्य अपने नाम और सम्मान को बचाये।

जब मैं प्रार्थना करने खड़ा होता हूं मैं यह सोचता हूं कि बाइबल में परमेश्वर ने एकसा क्या किया जो हमारी वर्तमान की स्थिति के उपर लागू होता है। जब मैं प्रार्थना करने खड़ा होता हूं मैं यह सोचता हूं कि बाइबल में परमेश्वर ने ऐसा क्या किया जो हमारी वर्तमान की स्थिति के उपर लागू होता है। बाइबल से उदाहरण देना परमेश्वर के सामने प्रमाण प्रस्तुत करना है। यह आवश्यक है कि आप बाइबल पढ़ें और उस पर ध्यान दें कि क्या लिखा गया है। अक्सर ऐसा होता है, आप को पूरा पद याद नहीं होता है लेकिन आप के सामने एक विचार तो बन जायेगा जो बाइबल में से आप को मिला है और आप उस विचार को तर्क करते समय परमेश्वर के सामने प्रार्थना में रख सकते हैं। इसमें कुछ रचनात्मकता और सोच विचार लग सकता है लेकिन परमेश्वर जैसे व्यक्तित्व से बात करने के लिये यह आवश्यक है। वह वही परमेश्वर है जो पहले था। दाउद ने प्रार्थना की थी, ''तू मेरा सहायक बना है; हे मेरे उद्धार करने वाले परमेश्वर मुझे त्याग न दे और मुझे छोड़ न दे'' (भजन संहिता २७:९)

मूसा ने प्रार्थना की थी, ''तू बड़े सामर्थ्य और बलवन्त हाथ के द्वारा मिस्र देश से निकाल लाया है'' (निर्गमन ३२:११) वह कह रहा था, ''हे परमेश्वर तू हमें मिस्र से बाहर निकाल लाया है तू हमें इसलिये नहीं निकाल लाया कि हमें त्याग दे और भूखों मरने दे!'' तब परमेश्वर ने औरों के लिये क्या किया? बाइबल के जमाने में? इतिहास में? चर्च में? आप के लिये? सोचिये, ऐसे कारण परमेश्वर पिता के सामने प्रस्तुत करने से यह पता चलेगा कि परमेश्वर ने बीते समय में आप को संभाला।

हे परमेश्वर, आप ने वेस्ली व व्हाईटफील्ड को १८ वीं शताब्दी में आत्मिक जाग्रति भेजी।
आप ने अपनी आत्मा लेविस और चीन के द्वपि में भेजी आप अपना आत्मा यहां भी भेजने योग्य हैं!
आप ने मेरी आत्मा को बचाया है आप ने अन्यों की आत्मा को भी यहां बचाया है इस व्यक्ति को भी बचाइये!
आपने हमारे चर्च को खतरनाक चर्च विभाजन से बचाया है आप हमें मरने के लिये नहीं बचा कर लाये हैं। इसलिये हे परमेश्वर हमारे चर्च को जीवित रहने दीजिये!
आप ने हमारे साथ महान चीजें की हैं (उदाहरण) आप ने मेरी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया है (आप की प्रार्थनाओं और दूसरों की प्रार्थनाओं का नाम) लीजिये। तो इस प्रार्थना का उत्तर दीजिये!

यीशु ने जो कष्ट उठाये, उनके लहू, और हमारे लिये की जाने वाली प्रार्थनाओं के बारे में सदैव कहिये। मसीह ने हमें उनके नाम में प्रार्थना करने के बारे में कहा है। यीशु हमारी धार्मिकता है। परमेश्वर पिता तक पहुंचने का वे एकमात्र रास्ता है। यीशु ने कहा, ''मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता'' (यूहन्ना १४:६) यीशु ने चेलों से कहा, ''यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा।'' आप की अपनी कोई धार्मिकता नहीं है। अपने आप में आप केवल एक पापी हैं और कुछ नहीं हो सकते हैं। पर अगर आप ने मसीह के उपर विश्वास किया है तो परमेश्वर आप की तरफ ऐसे देखते हैं कि आप के पाप क्षमा किया गये हैं, और यीशु के लहू से धो दिये गये हैं। आप को मसीह की धार्मिकता मिलती है। इसलिये आप परमेश्वर से यीशु के नाम में प्रार्थना कर सकते हैं और परमेश्वर आप की ऐसे सुनेंगे जैसे आप पापी नहीं हैं वास्तव में जैसे आप स्वयं यीशु ही हैं। बाइबल कहती है,

''सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है जो स्वर्गों से होकर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे'' (इब्रानियों ४:१४,१६)

बाइबल कहती है, ''सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है'' (इब्रानियों १०:१९) परंतु मसीह में और उनके लहू के द्वारा हम परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति में प्रवेश कर सकते हैं।

मसीह स्वयं हमारे लिये प्रार्थना कर रहे हैं। बाइबल कहती है, ''वह उन का पूरा पूरा उद्धार कर सकता है, क्योंकि वह (हमारे) लिये (बिनती) करने को सर्वदा जीवित है'' (इब्रानियों ७:२५)

स्मरण रखिये परमेश्वर एक व्यक्ति हैं कोई मशीन नहीं या बल नहीं। परमेश्वर प्रार्थनाओं के उत्तर देते हैं, आप को लगातार प्रार्थना में लगा रहना चाहिये — कभी कभी तो साल भी लग जाते हैं। डॉ हिमर्स ने उनके उद्वार पाने के पहले बरसों अपनी मां के लिये प्रार्थना की। कई बार तो लोगों ने आत्मिक जाग्रति आने के पहले तीस या चालीस सालों तक प्रार्थना की।

चेलों को प्रार्थना कैसे करें यह सिखाने में यीशु ने हठी मित्र का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ''मैं तुम से कहता हूं, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, तौभी उसके लज्ज़ा छोड़कर मांगने (सतत मांगना हठ करना) के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठकर देगा'' (लूका ११:८) आप को प्रार्थना करते रहना है जब तक कि उत्तर न आये।

यीशु ने कहा, ''मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा (मत्ती ७:७) । यूनानी में अर्थ है ''मांगते रहें'' ''ढूंढते रहें'' ''खटखटाते रहें।'' आप को उत्तर मिलने में समय लग सकता है। मसीह ने कहा, ''सो क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उस की दुहाई देते रहते; और क्या वह उन के विषय में देर करेगा? (लूका १८:७) उत्तर मिलने में क्यों कभी इतना लंबा समय लगता है? क्योंकि परमेश्वर एक व्यक्ति है न कि कोई मशीन। अगर परमेश्वर मशीन होते तो आप एक बार प्रार्थना करते और उत्तर भी एकाएक आ जाता। परमेश्वर एक व्यक्ति है। कभी कभी परमेश्वर उत्तर देने से पहले लंबे समय तक इंतजार करते हैं।

क्योंकि परमेश्वर एक व्यक्ति है न कि कोई मशीन इसलिये उत्तर कभी कभी ''नहीं'' भी आता है। प्रार्थना जादू नहीं है। परमेश्वर से चालाकी से काम नहीं निकाला जा सकता। परमेश्वर को प्रार्थना आदेशित नहीं कर सकती। प्रार्थना परमेश्वर से विनती करती है। परमेश्वर बल नहीं है। परमेश्वर व्यक्ति है। वह एक प्रेम करने वाला चिंता करने वाला परमेश्वर है, वह प्रार्थनाओं का उत्तर देता है; किसी बल के द्वारा नहीं परंतु जैसे एक व्यक्ति उत्तर देता है दूसरे व्यक्ति को, ठीक इसी तरह परमेश्वर का उत्तर आता है।

जब आप प्रार्थना करते हैं तो सदा आप को वह नहीं मिलता जो आप चाहते हैं। परमेश्वर एक व्यक्ति है। इसलिये वह ''नहीं'' भी कह सकता है। मिशनरी एमी कार्माइल जब एक छोटी लड़की थी तब वह परमेश्वर से प्रार्थना करती थी कि उसकी आंखों का रंग बदल दिया जाये। वह आश्चर्य करती कि ऐसा क्यों नहीं हुआ। परंतु परमेश्वर ने उस को यह जतला दिया कि उसके लिये ''नहीं'' भी ''हां'' के समान उत्तर है।

२. दूसरा, क्रमबद्व प्रार्थना परमेश्वर से दावे के साथ मांगती है।

परमेश्वर सत्य है। परमेश्वर विश्वसनीय है। परमेश्वर वायदों को पूर्ण करते हैं। संपूर्ण बाइबल सत्य है। बाइबल में परमेश्वर ने जो भी कहा है उसे दावों के साथ प्रार्थना में मांगा जा सकता है। यीशु ने कहा, ''तेरा वचन सत्य है'' (यूहन्ना १७:१७) पवित्र शास्त्र की बात लोप नहीं हो सकती) उन्होंने कहा, ''पवित्र शास्त्र की बात लोप नहीं हो सकती'' (यूहन्ना १०:३५)

परमेश्वर का वचन इस तरह मांगिये:

''तू ने तो कहा है'' (उत्पत्ति ३२:१२)
''अपने कहने के अनूसार ही कर'' (२ सेम्यूएल ७:२५)

डॉ हिमर्स का पसंदीदा भजन भजन संहिता २७ है। जब वह दो साल के थे तब उनके पिता उन्हें छोड़ कर चले गये। जब वह बारह के थे, तब वे अपनी मां के साथ नहीं रह पाये और अन्य रिश्तेदारों के साथ रहना पड़ा जो उनकी परवाह नहीं करते थे। वह भजन २७:१० से विश्राम पाते थे, ''मेरे माता पिता ने तो मुझे छोड़ दिया है, परन्तु यहोवा मुझे सम्भाल लेगा।'' यीशु ने कहा, ''तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उस से रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे? वा मछली मांगे, तो उसे सांप दे? सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?'' (मत्ती ७:९−११) । मेरे पिता डॉ कैगन कई बार इन पदों के अनुसार मांगते थे। वह कहते थे कि, ''पिता अगर मेरा पुत्र रोटी मांगता हैं तो क्या मैं उसे पत्थर दूंगा? अगर वह मछली मांगे तो क्या मैं उसे सांप दूंगा? वैसे ही परमेश्वर आप मेरे साथ ऐसा बर्ताव नहीं करेंगे। परमेश्वर पिता मैं मांगता हूं कि जो मुझे चाहिये मुझे दीजिये।'' और परमेश्वर ने मुझे वह दिया।

मेरे पिता भली वस्तुएं मांगने के लिये बाइबल के पदों को लेकर दावा करते थे − जिनकी उन्हें आवश्यकता थी। आप को जिस चीज की आवश्यकता है उसे मांगने के लिये आप परमेश्वर के वचन का प्रयोग कर सकते हैं। आप परमेश्वर के वचन का प्रयोग उनकी उपस्थिति और सहायता के लिये कर सकते हैं − आप परमेश्वर से पवित्र आत्मा मांग सकते हैं। मसीह कहते हैं, ''सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़के-बालों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा?'' (लूका ११:१३)

मसीह ने प्रतिज्ञा की थी कि जो प्रार्थना हम उनके नाम से परमेश्वर से मांगेगे, उसका उत्तर हमें मिलेगा। यीशु ने कहा, ''यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा'' (यूहन्ना १४:१४) तो जब प्रार्थना करते हैं तो इस दावे को मांगिये।

यीशु ने प्रतिज्ञा की है कि लोगों के समूह चर्च की प्रार्थना सभा या छोटे झुंड जो प्रार्थना के लिये मिलते हैं उनकी प्रार्थना विशेष रूप से सुनी जायेगी। मसीह कहते हैं, ''फिर मैं तुम से कहता हूं, यदि तुम में से दो जन पृथ्वी पर किसी बात के लिये जिसे वे मांगें, एक मन के हों, तो वह मेरे पिता की ओर से स्वर्ग में है उन के लिये हो जाएगी'' (मत्ती १८:१९) फिर से यीशु कहते हैं, ''क्योंकि जहां दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठे होते हैं वहां मैं उन के बीच में होता हूं'' (मत्ती १८:२०) इस वायदे को मांगिये।

परमेश्वर ने हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने का वायदा किया है। बाइबल कहती है, ''और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा'' (फिलिप्पयों ४:१९)। इसका यह अर्थ नही है कि परमेश्वर आप को धनवान बनायेगा। इसका अर्थ है कि जो आपकी आवश्यकता है उसे परमेश्वर पिता पूरी करेंगे। और वह करेंगे! बाइबल में लिखे इस वचन के अनुसार मांगिये!

परमेश्वर ने आप को ताकत देने की प्रतिज्ञा दी है। बाइबल कहती है, ''परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते ('बाट जोहना' अर्थात प्रार्थना करते रहें), वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे इस प्रतिज्ञा को मांगिये'' (यशायाह ४०:३१) । जब आप प्रार्थना करते हैं तो इस प्रतिज्ञा को मांगिये! जब आप परेशानी में हों परमेश्वर ने आप की प्रार्थना सुनने की प्रतिज्ञा की है। परमेश्वर ने कहा है, ''और संकट के दिन मुझे पुकार मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा'' (भजन ५०:१५) । इस वचन के अनुसार मांगिये। परमेश्वर को बताइये उन्होंने अपने वचन में क्या कहा है। फिर उन्हें पुकारिये। ''हे परमेश्वर पिता मैं मुसीबत में हूं मेरी सहायता कीजिये।''

परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है कि अगर आप इन बातों के लिये प्रार्थना करेंगे तो वह उन्हें देंगे — जैसे आत्मिक जाग्रति — जो आप ने कभी न देखी हो। परमेश्वर ने कहा है, ''मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुन कर तुझे बढ़ी बड़ी और कठिन बातें बताऊंगा जिन्हें तू अभी नहीं समझता'' (यिर्मयाह ३३:३) । आप के यहां आत्मिक जाग्रति हो इस वचन के अनुसार मांगिये।

जो असंभव लगती है उन बातों के लिये प्रार्थना करने से मत डरो। मसीह ने कहा था, ''परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है'' (मरकुस १०:२७) । यिर्मयाह ने परमेश्वर से कहा था, ''तेरे लिये कोई काम कठिन नहीं है'' (यिर्मयाह ३२:१७) ।

आप उन बातों के लिये प्रार्थना कर सकते हैं जिसके लिये आप का विश्वास है, कि वे नहीं हो सकती। एक व्यक्ति ने कहा था कि उसका पुत्र दुष्टात्मा से ग्रसित है। मसीह ने उससे कहा, ''विश्वास करने वाले के लिये सब कुछ हो सकता है'' (मरकुस ९:२३) । उस मनुष्य ने कहा, ''हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूं, मेरे अविश्वास का उपाय कर'' (मरकुस ९:२४) । मसीह ने उस लड़के को दुष्ट आत्मा से छुड़ा लिया, भले ही उसके पिता को विश्वास न रहा हो। परमेश्वर आप को प्रार्थना करने के लिये प्रेरित करते हैं, भले ही आप विश्वास न करते हो लेकिन उत्तर मिलेगा।

डॉ हिमर्स ने एक संदेश प्रचार किया था ''अविश्वास और आत्मिक जाग्रति — एक नयी दृष्टि।'' उन्होंने बताया कि कैसे आप लोगों के मध्य में आत्मिक जाग्रति आये, इस चमत्कार के लिये प्रार्थना कर सकते हैं, भले ही आप ने इसे देखा न हो। परमेश्वर ने बाइबल में कहा है, ''क्योंकि मैं प्यासी भूमि पर जल और सूखी भूमि पर धाराएं बहाऊंगा; मैं तेरे वंश पर अपनी आत्मा और तेरी सन्तान पर अपनी आशीष उण्डेलूंगा'' (यशायाह ४४:३) । एक मनुष्य ने लेविस टापू पर इस प्रार्थना को दावे से मांगा। परमेश्वर ने वहां बहुत लोगों का उद्वार किया।

बाइबल में ऐसी अनेक प्रतिज्ञायें हैं। परमेश्वर अपने वचन का सम्मान करेंगे। प्रार्थना में उनकी की हुई प्रतिज्ञायें मांगिये! परमेश्वर आप की क्रमबद्व व तर्कपूर्ण प्रार्थनाओं का उत्तर देंगे। आमीन।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
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रूपरेखा

प्रार्थना में क्रम और तर्क − भाग २

ORDER AND ARGUMENT IN PRAYER – PART II

जोन सेम्यूएल कैगन

''भला होता, कि मैं जानता कि वह कहां मिल सकता है, तब मैं उसके विराजने के स्थान तक जा सकता मैं उसके साम्हने अपना मुक़द्दमा पेश करता और बहुत से प्रमाण देता।'' (अय्यूब २३:३−४)

१.  पहला, क्रमबद्व प्रार्थना के लिये परमेश्वर की प्रतिक्रिया, निर्गमन
३२:११—१२,१३,१४; लैव्य ५:१; भजन ७९:१−४,९,१०; भजन २७:९;
यूहन्ना १४:६, १४; इब्रा ४:१४, १६; १०:१९; ७:२५; लूका ११:८;
मत्ती ७:७; लूका १८:७

२.  दूसरा, क्रमबद्व प्रार्थना परमेश्वर से दावे के साथ मांगती है, यूहन्ना १७:१७;
यूहन्ना १०:३५; उत्पत्ति ३२:१२; २सेम्यू ७:२५; भजन २७:१०;
मत्ती ७:९−११; लूका ११:१३; यूहन्ना १४:१४; मत्ती १८:१९, २०;
फिलि ४:१९; यशा ४०:३१; भजन ५०:१५; यिर्मयाह ३३:३;
मरकुस १०:२७; यिर्मयाह ३२:१७; मरकुस ९:२३, २४; यशा ४४:३