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देमास ने मुझे छोड़ दिया है!

DEMAS HAS FORSAKEN ME!
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, १७ अप्रैल, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में किया गया प्रचार संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, April 17, 2016

''क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है''
(२ तीमुथियुस ४:१०)


नये नियम में पौलुस ने देमास का तीन बार जिक्र किया है। फिलेमोन २४ में उसे पौलुस का सहकर्मी बतलाया गया है। कुलुस्सियों ४:१४ में एकमात्र उसका ही वर्णन है। डॉ मैगी ने कहा था,

जब पौलुस ने पहली बार देमास का वर्णन किया था, तब उसे सहकर्मी कहा था। (कुलुस्सियों ४:१४) में वह उसे साधारण रूप में ''देमास'' कहकर बुलाता है; मैं सोचता हूं कि शायद इस समय पौलुस उसके बारे में वास्तव में इतना निंश्चित नहीं (था) । बाद में देमास ने पौलुस को त्याग (ही) दिया। (जे वर्नान मैगी, थ्रू दि बाइबल, वाल्यूम ५, पेज ३६५; टी एच डी कुलुस्सियों ४:१४)

तो, हम अपने पद पर आते हैं जहां प्रेरित ने कहा,

''क्योंकि देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है'' (२ तीमुथियुस ४:१०)

यूनानी शब्द ''पूर्णत त्याग देने'' का अर्थ है किसी की ''निराशाजनक स्थिति में उसका परित्याग कर देना'' (मैकआर्थर स्टडी बाइबल)

आप पायेंगे कि अगर आप एक सच्चे मसीही बने रहेंगे तो लोग आप के साथ बार बार यही करेंगे। मैं अपनी पत्नी के जन्मदिन की कुछ पुरानी तस्वीरें देख रहा था। लगभग पच्चीस साल पुरानी तस्वीरें थीं। मेरी पत्नी आज भी वैसी ही दिखती है। पर मैं थोडा वृद्ध दिखता हूं क्योंकि कैंसर के उपचार के दौरान मेरा वजन और बढ़ गया। एक तस्वीर में मेरी पत्नी बारह लोगों के समूह के साथ बैठी है उनमें से केवल तीन लोग आज भी हमारे चर्च में मौजूद हैं − इलियाना, लेस्ली और मि प्रुधोमे। बाकि के नौ लोगों ने हमें छोड दिया। तो हरेक व्यक्ति को याद करते हुये मैं भी पौलुस के समान यह कह सकता हूं,

''क्योंकि (उन्होंने) इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है'' (२ तीमुथियुस ४:१०)

इस तस्वीर के प्रत्येक नौ जन के लिये यह बात सत्य है। उन्होंने हमें छोडा और इस संसार में वापस लौट गये। क्या ऐसा फिर से तो नहीं होगा? बेशक ऐसा होगा। असल में, हर वह जन जो संसार से प्रेम रखता है कभी न कभी हमें छोड कर जायेगा। जो यहां रहेंगे, निसंदेह वे इस तस्वीर को देखने पायेंगे और वे उन लोगों को भी देखेंगे ''जो इस संसार को प्रिय जान'' कर हमें छोड कर चले गये। अगर परमेश्वर प्रचंड रूप में एक आत्मिक जाग्रति भेजते हैं और अनेक लोग मोक्ष या उद्वार पाते हैं तो इस बात के लिये भी तैयार रहिये कि ''संसार प्रिय लोग'' आप को त्याग देंगे।

आप को बुरा लगे मैं इसलिये नहीं कहता हूं। मैं इसलिये आगाह करता हूं कि जब ऐसा हो तब आप को कोई आश्चर्य न हो। बाइबल में ये शब्द हम को चेतावनी देने के लिये कहे गये हैं। ऐसा सिर्फ पौलुस के साथ ही नहीं घटा। यह आप के और मेरे साथ भी घट सकता है।

''देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है''

देमास के साथ क्या घटा था? मैथ्यू हैनरी की व्याख्या यह कहती है ''देमास सांसारिक बातों में लिप्त होकर, उलझ गया था उसका मन सेवकाई से उब चुका था ........मसीह और उनके सुसमाचार को वह भूल चुका था और त्याग दिया। वह फिर से इस संसार में खोने के लिये चला गया। ध्यान देने योग्य बात: वर्तमान संसार से प्रेम रखना अर्थात यीशु मसीह के मार्ग व सत्य से भटक जाना और यही अधर्मी बनने का कारण है।'' (२ तीमुथियुस ४:१० पर व्याख्या)

डॉ मैक आर्थर मसीह के रक्त के उपर अपने विचारों में गलत हैं लेकिन उनकी अन्य बातें सत्य हैं। डॉ मैक आर्थर ने कहा ''देमास बदलते मौसम के समान था उसने मसीह के प्रति सच्चे समर्पण की कीमत को नहीं जाना'' (मैक आर्थर स्टडी बाइबल, उक्त संदर्भित) इस प्रकार के व्यक्ति का वर्णन बीज बोने वाली कहानी में भी किया गया है,

''वे........जब सुनते हैं, तो आनन्द से वचन को ग्रहण तो करते हैं; परन्तु जड़ न पकड़ने से वे थोड़ी देर तक विश्वास रखते हैं और परीक्षा के समय बहक जाते हैं।'' (लूका ८:१३)

ऐसे लोगों का परिवर्तन नकली होता है। मसीह के सत्य में वह गहरे नहीं उतरे होते हैं। इसलिये जब परीक्षा आती है तब वे चर्च से दूर चले जाते हैं और फिर संसार में खो जाते हैं। अक्सर जब समय में बदलाव आता है तब ऐसा देखने को मिलता है। जब पौलुस को कैद में डाला गया तब देमास ने बदलते समय को देखा। जैसे ही परीक्षा आयी यह प्रगट हो गया कि मसीह में उसने सच्चे रूप में जड नहीं पकडी थी − और वह इस संसार में वापस लौट गया और पौलुस का साथ छोड दिया।

हम इसे तब देखते हैं जब जवान लोग कालेज से स्नातक की डिग्री ले लेते हैं। यह बदलाव का समय होता है। उनको लगता है कोई अनोखी बात बीत रही है! ''अरे अरे! मेरे सामने कितना उजला भविष्य है! ऐसे में मैं मसीह के लिये क्यों दुख उठाउं और विश्वसनीय बना रहूं! जब तक मैं बच्चा था तब तक यह मानना ठीक था! अब मैं जवान हो गया हूं मुझे मेरी ताकत कैरियर बनाने में झोकनी होगी। क्या आप इस बात को समझ रहे हैं? आखिर यह मेरे भविष्य का सवाल है!'' तो सुनिये मैं तो इसे ठीक से समझा हूं! मैं भी अपने जमाने में इनसे होकर गुजरा हूं। हमारे बीच में फर्क सिर्फ इतना रहा कि मैं पौलुस के उदाहरण पर चलता रहा और आप जवान लोग इस संसार में उलझ गये। फर्क सिर्फ परिवर्तन का है मेरा परिवर्तन सच्चा है − जबकि आपने झूठा और सतही ''निर्णय'' लिया। जब आप पर परीक्षा आयी, आप जड नहीं पकडे हुये थे! मैं मसीह में जड पकड चुका था और आप के पास इस गहराई की कमी थी! बस यह इतनी सी बात थी!

फिर कोई समय आया फिर परीक्षा में पडे। जवान बच्चे अक्सर प्रेम, डेटिंग में पडकर चर्च से दूर चले जाते हैं और संसार में धंस जाते हैं।

जब आप के पास बच्चे होते हैं आप सोचते हैं अब मेरे पास एक बच्चा है, ''आखिर मेरे पास अब एक बच्चा है! मैं प्रभु के प्रति अब कैसे इतना समर्पित रह सकता हूं!'' इसमें कोई संदेह नहीं कि पहले आप उनको बराबर चर्च लेकर आते थे। आप की सोच थी कि आप के जैसे कोई इतना नियमित चर्च नहीं जाता है! आप के जवान बच्चों के भटकने का कारण है कि आप मसीह में जड नहीं पकडे हुये हैं − आप का परिवर्तन नकली है सच्चा नही! कालेज से निकलकर जवान लोग गलत मार्ग ले लेते हैं तो फिर लौट कर आना मुश्किल हो जाता है। चर्च के कितने ही कार्यो में आप हाथ बंटा ले पर आप प्रभु यीशु के ताकतवर सैनिक तो नहीं बन सकते जबकि आप को इस उम्र में आत्मिक सैनिक बन जाना चाहिये! आप को आत्मिक तौर पर साहसी योद्वा होना चाहिये! राबर्ट फ्रोस्ट की ये पंक्तियां बहुत प्रसिद्व हैं एवं यहां सार्थक बैठती हैं,

आहें भर भर के मैं बता रहा हूंगा
कितने ही युग दर युग बीत गये होंगे:
जंगल से होकर दो राहें निकली, और मैं −
और मैंने कम राहगीर वाली राह नहीं पकडी,
और इसने बडा फर्क पैदा कर डाला।
   (''दि रोड नाट टेकेन'' राबर्ट फ्रोस्ट, १८७४−१९६३)

एक बार राह गलत पकड ली, तो लौट कर आने की गुंजाइश कम होती है। अठावन साल की सेवा के दौरान मैंने एक भी जन को पलट कर आते देखा नहीं! एक को भी नहीं! याद रखिये देमास फिर कभी पलट कर पौलुस के पास नहीं आया − आप में से भी कोई नहीं आयेगा! सतर्क रहिये, किस मोड पर, कौन सी राह पकडते हैं इसका चुनाव भली प्रकार से कीजिये। दुनिया तो कहेगी कि आप अपने जीवन को दर्जनों बार नया जन्म दे सकते हैं। यह दुनिया का सरासर झूठ है। मैंने किसी जीवन को इस तरह नया जन्म पाते देखा नहीं है। एक महिला को मैं जानता हूं उसने स्वयं के नये जन्म का बहुत प्रयास कर लिया। वह पूरे समय इस विषय पर बात करती रहती थी जब मैं उसके यहां किराये से रहता था। अपने जीवन के लिये राह तलाशते तलाशते अंतत: वह अपना दिमागी संतुलन खो बैठी। यह सत्य घटना है! मेरे बंधु, सतर्क हो जाइये, किस राह का चुनाव आप करते हैं! ''अगर मसीह को अपनाया, तो मैं अपनी कुछ कीमती चीज खो बैठूंगी'' यह उस महिला का कथन था। तो वह अपना दिमाग खो बैठी − जैसे देमास अपनी आत्मा खो बैठा था!

''देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है''

मैं इस सदी का तीन चौथाई हिस्सा जी चुका हूं। जब आप इतना लंबा जी चुके होते हैं तो चेहरों की कतारें आप की आंखों के आगे से गुजर जाती हैं। एक के बाद एक चेहरों की कतारें! बीसियों, सैकडों, हजारों! अनगिनत चेहरों की कतारें। और फिर ये चेहरे पता है क्या कहते हैं? जब अंधेरे में डूबे ये चेहरे मेरे सामने से होकर गुजरते हैं वे कहते हैं, ''इस दुनिया में अपनी आत्मा को खो देने से बढकर दयनीय बात और कुछ नहीं है। तो बंधु, क्या आप अपनी आत्मा को यूं ही खोने देंगे! क्या आप दिमागी संतुलन खो बैठे हैं?'' अंधेरे जीवन में खोये हुये ये चेहरे मुझसे यह कहते हैं।

आप कहेंगे, ''मेरे सामने पूरा जीवन पडा है।'' पर ये साल इतनी तेजी से बीत जायेंगे कि आप भी जान नहीं पायेंगे, वे कहां गये। तब तक तो आप अनंत अंधकार के मार्ग में स्वयं को खडा पायेंगे, फिर नया जन्म लेने के लिये बहुत देर हो चुकी होगी! एक बार जिस मार्ग का आपने इंकार कर दिया, उसे दुबारा खोजने के लिये बहुत देर हो चुकी होगी। याद रखिये देमास फिर कभी पलट कर नहीं आया! मैं इस तरह के लोगों की एक दो कहानी आप को सुनाने जा रहा हूं।

उसके पिता एक प्रचारक थे। वह उनके चर्च में प्यानो बजाया करती थी। वह एक साधारण सी लडकी थी, उसमें देखने जैसा कुछ खास नहीं था। एक बुरे लडके की निगाह उस पर पडी, तो वह उसके साथ चली गयी। उस विश्वास को भूल बैठी जैसे उसने कभी उसे जाना ही नहीं हो। उस लडके के साथ समय बिताया जब तक कि उसने उसका दिल नहीं तोड दिया। उन दोनों का पेट पालने के लिये जीविका का संघर्ष करने लगी। मैं अब उसकी सहायता नहीं कर सकता था वह मेरी बात सुनने के लिये बहुत बूढी हो गयी थी मैं उसे अपने कंधे पर डालकर बारिश में अस्पताल तक लेकर गया जहां उसने दम तोड दिया था। मैंने उसका प्यानों अपनी बैठक में रख लिया जो मुझे इस बात की याद दिलाता है कि उसने सही मार्ग नहीं चुना था।

वह ज्येष्ठ पुत्र था उसने किसानी छोड दी। वह जानता था उसे क्या चाहिये उसने उसे पा लिया एक धनी लडकी से विवाह रचाया और स्वयं खूब धन कमाया। उसकी निसंतान पत्नी चाहती थी कि वह उसे एक पुत्री गोद ले दे। वह बहुत पैसा चुकाकर एक पुत्री को घर ले आया। दिनो दिन वह अमीर होता गया उसने सोचा वह सब कुछ खरीद सकता है! तब एक दिन उसकी पत्नी का देहांत हो गया। उसकी लडकी भी बिगड चुकी थी। तब वह अपने बडे से घर में अकेला रह गया। मैंने उसे अपने कमरे में पैरालिसिस के प्रभाव में अकेली दशा में पाया उसके हाथ में पिस्टल थी। मैं उसे अस्पताल देखने गया। वह बोल नहीं सका। मैंने उसका हाथ प्रार्थना के लिये पकडा। वह किसी जंगली जानवर जैसे चीखा इतनी जोर की आवाज में कि मैं सोच नहीं सकता। जब अगली बार मिला तो उन्हें कफन में लिपटा पाया। चेहरे पर एक मक्खी बैठी हुई थी। वह बहुत ही धनी आदमी था पर जीवन नहीं बचा पाया कि चेहरे पर से मक्खी हटा सके। मैंने उनकी पेंटिग अपनी बैठक में लगा रखी है ताकि मुझे याद दिलाती रहे कि उन्होंने वह मार्ग नहीं अपनाया। आप कहते हैं, ''मेरे सामने मेरा पूरा जीवन पडा है।'' ये साल इतनी तेजी से बीत जाते हैं कि आप भी जान नहीं पायेंगे, वे कहां गये, तब तक तो आप अनंत अंधकार के मार्ग में अपने को खडा पायेंगे, फिर नया जन्म लेने के लिये बहुत देर हो चुकी होगी! एक बार जिस मार्ग का आपने इंकार कर दिया, उसे दुबारा खोजने के लिये बहुत देर हो चुकी होती है। याद रखिये देमास फिर कभी पलट कर नहीं आया!

पिछले रविवार की रात डॉ कैगन ने आप को मेरी जिंदगी की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि ''वर्षो का संघर्ष, धोखे, रूकावटें'' मेरे हिस्से में आये। आप को सुनकर, ऐसा लग रहा होगा कि पास्टर का जीवन बहुत लंबा और दुखों से भरा रहा। आप को लगा होगा कि शायद मैंने गलत राह का चुनाव कर लिया। ऐसा ही शायद देमास ने सोचा होगा जब उसने पौलुस को जेल में जंजीर में जकडा हुआ देखा। मेरी पत्नी और मैं रोम की उस अंधेरी जेल को देखकर आये। हम वास्तव में जेल के उस कमरे में गये जहां पौलुस ने २ तिमोथियुस लिखा था। देमास को लगा कि उसे भी जेल न हो जाये इसलिये वह डर गया। उसने शिष्य पौलुस को छोड दिया। पौलुस ने तब ये शोकदायी वचन लिखे,

''देमास ने इस संसार को प्रिय जान कर मुझे छोड़ दिया है''

पर देमास गलत था। आप भी गलत हैं। यह राह कठिन अवश्य थी पर मुझे इस राह में अदभुत पत्नी मिली जिसका बयान मैं शब्दों में नहीं कर सकता। ऐसे अच्छे मित्र मिले उनकी मित्रता का आनंद मेरे जीवन का सुखद अनुभव है। अगर गलत राह का चुनाव किया होता तो ये सब नहीं मिलते − किशोरावस्था से ही मैंने सही मार्ग का चुनाव कर लिया था। एरिक बूथ − क्लिबोर्न एक प्रचारक का बेटा और विलियम बूथ जो बहुत प्राचीन संस्था साल्वेशन आर्मी के संस्थापक थे, उनका पोता था। असेंबली आफ गाड का मिशनरी बनकर एरिक अफ्रीका गया। मिशन फील्ड में पहुंचने के दो सप्ताह पश्चात ही वह अपने पीछे अपनी गर्भवती पत्नी और एक पुत्री छोडकर मर गया। उस समय उसकी उम्र मात्र २९ बरस थी। बाद में उसकी पत्नी ने उसकी त्रासदायी मौत का वर्णन अपनी पुस्तक ''ओबिडियंट अनटू डेथ'' में किया। उसने बताया अफ्रीका रवाना होने से पहले उन्होंने एक छोटी सी आराधना की थी जिसमें उसने और एरिक ने भाग लिया था व एरिक की मां के द्वारा रचा यह गीत गाया।

आपके कदमों पर मैं गिरता हूं
अपना सब कुछ अर्पित करता हूं
दुख उठाउं, जीउं या मरूं
मेरे उस प्रभु के लिये जो क्रूस पर मरा।

अपनी पुस्तक में एरिक की पत्नी ने उसके अंतिम संस्कार के लिये बताया। अफ्रीका के मूल निवासी जिन्होंने कभी क्रिश्चियन अंतिम संस्कार नहीं देखा था वह सैकडों की संख्या में देखने के लिये एकत्रित हुये। उसने लिखा, ''प्रार्थना के बाद ताबूत का ढक्कन बंद कर दिया गया और कीलें ठोंक दी गयी। आप मेरे दिल की हालत का अंदाजा नहीं लगा सकते जब हथोडे की मार मेरे दिल पर पड रही थी।'' फिर उसने कहा, ''मुझे लगता है अभी जो मिशनरी कार्य सफल हो रहा है उसके पीछे उन शहीदों की सेना का योगदान है जो (मिशन) क्षेत्र में गये और वहां की नष्ट होने वाली आत्माओं के लिये जिनसे वह प्रेम रखते थे अपना जीवन भी बलिदान कर दिया। ऐसा कहा जाता है सुदूर जमीन पर एक अकेली दिखने वाली कब्र वहां के निवासियों के जीवन और मन पर गहरा प्रभाव डालती है इससे भी बढकर कि कोई उनके लिये वहां जीवनपर्यंत काम करें। एक साधारण से टीले पर गढा क्रूस हजारों शब्दों से कहीं गुना अधिक बात कह जाता है। एरिक बूथ − क्लिबोर्न मात्र २९ साल का था जब वह मिशन क्षेत्र में ऐसे स्थान पर गया, जहां क्रिश्चयनिटी को कोई जानता नहीं था। वहां जाने के दो सप्ताह तक ही वह जीवित रहा। उसने अपना जीवन देकर एकमात्र संदेश दिया जिसका वर्णन किसी ओर ने उसके अंतिम संस्कार पर किया, जिसे सैकडों बिना उद्वार पाये लोगों ने सुना।

लेकिन बुरकिना फासो में वह संक्षिप्त अंतिम संस्कार क्रिश्चियनिटी की शुरूआत कर गया। आज असेंबली आफ गाड अफ्रीका के उस हिस्से में एरिक बूथ क्लिबोर्न को विश्वास के नायक के रूप में स्मरण करती है जिसने परमेश्वर की बुलाहट का उत्तर देते हुये अपना जीवन भी दे डाला। असेंबली आफ गाड वहां सबसे विशाल प्रोटेस्टैंट डिनोमीनेशन है। लगभग ४५०० से उपर चर्चेस और प्रचार केंद्र १२ मिलियंस अफ्रीकी क्रिश्चियंस की सेवा करते हैं। ऐरिक का छोटा सा जीवन मसीहत से अनजान हजारों लोगों के सामने मसीह का परिचय दे गया और यह अफ्रीका के उस हिस्से की कहानी है जहां पहले कभी कोई श्वेत जन नहीं गया।

कुछ दिनों पहले ही मैंने यह कहानी पढी तो सोचा इसे आप को सुनाउं। जो कुछ कठिनाई आप उठाते हैं मसीह आप को उसका फल देंगे। आप उस आसान राह से अलग हो जाइये जो देमास ने अपनाई थी और शिष्य पौलुस को जेल में छोडकर उन्हें त्याग कर चला गया। आसान राहों से होकर गुजरना छोड दीजिये उस मार्ग पर चल पडिये जिस पर से होकर बहुत कम लोग जाते हैं। को पढिये जब देमास ने जंजीर में जकडे पौलुस को त्याग कर अपना मार्ग ले लिया। २ तीमुथियुस ४:१७ को पढिये देमास के चले जाने के बाद जंजीर में जकडे पौलुस ने क्या कहा,

''परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा और मुझे सामर्थ दी: ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो और सब अन्यजाति सुन ले........'' (२ तीमुथियुस ४:१०)

जवान लडके, लडकियों, क्या आप पौलुस के उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं! क्या पौलुस के दर्शन को अपना दर्शन बना सकते हैं! क्या आप एक महान चर्च बनाने में विश्वास रख सकते हैं जो पहाडी के उपर अपना उजाला फैलाता हुआ पूरे संसार को दिखाई दे ''ताकि हर जाति के लोग सुसमाचार सुन सके!'' जवानों, जरा विचार करो हमारा चर्च क्या हो सकता था, क्या हो सकता है और आगे भविष्य में क्या होगा! जवान लडकियों, अपना सर्वोत्तम मसीह को अर्पण कीजिये!

मसीह को अपनी युवावस्था और इसकी ताकत दीजिये! एरिक बूथ क्लिबोर्न बनिये! अपना जीवन रक्त मसीह के लिये दीजिये। कुछ भी बचा कर मत रखिये! जो कुछ आप के पास है सब मसीह को दे दीजिये! सेवा को चुनिये! मिशन क्षेत्रों में जाइये! संसार आप को मूर्ख कहने पाये! जाइये जवान लोगों को सुसमाचार सुनने के लिये लेकर आइये! आप के पास जो उत्तम है उसे मसीह को दीजिये! आपकी गीत पुस्तिका में से ७ संख्या निकालकर गीत गायें।

मेरे दर्शन को भरें, मसीहा, करता हूं दुआ, आज मैं केवल मसीह को देखने पाउं;
   जो गहरी घाटियों से होकर मुझे ले चलता, तेरी सदाबहार महिमा चहुंओर से मुझे घेरे रखती।
मेरे दर्शन को भरें, दिव्य मसीहा, जब तक आत्मा मेरी आपकी महिमा से न चमक उठे।
   मेरे दर्शन को भरें, सब देखें मेरी झलक में मसीह आपकी पवित्र झलक।

मेरे दर्शन को भरें, हर इच्छा आप की महिमा के लिये हो; आत्मा प्रेरित हो,
   आप की सिद्वता से, पवित्र प्रेम से, स्वर्गिक उजाले से मेरे पथ को आलोकित कर दे।
मेरे दर्शन को भरें, दिव्य मसीहा, जब तक आत्मा मेरी आपकी महिमा से न चमक उठे।
   मेरे दर्शन को भरें, सब देखें मेरी झलक में मसीह आपकी पवित्र झलक।

मेरे दर्शन को भरें, पाप की छाया निम्न होती जाये स्वर्गिक उजाला भीतर प्रबल हो।
   देखूं तो केवल आप का आशीषित चेहरा मेरी आत्मा आप के अनंत अनुग्रह पर जीती है।
मेरे दर्शन को भरें, दिव्य मसीहा, जब तक आत्मा मेरी आपकी महिमा से न चमक उठे।
   मेरे दर्शन को भरें, सब देखें मेरी झलक में मसीह आपकी पवित्र झलक।
   (''मेरे दर्शन को भरें'', अविस बर्जसन क्रिश्चियनसेन, १८९५−१९८५)

निवेदन है कि खडे ही रहिये।

आज सुबह जो कहानियां मैंने आप को सुनाई हैं वे सब सत्य हैं। जो लडकी अपने पिता के चर्च को छोडकर चली गई थी और एक बुरे लडके से विवाह किया जिसने उसका जीवन बरबाद कर दिया वह मेरे सौतेले पिता की मां थी। वह धनी आदमी जिसने अपने कमरे में बंद होकर अपने उपर पिस्टल तान ली थी वह मेरे ताउजी थे, मेरे पिता के ज्येष्ठ भाई। वह महिला जिसका दिमागी संतुलन खो गया उसकी पहचान मैं नहीं करूंगा क्योंकि वह अभी जिंदा है।

एक समय था जब ये सब लोग जवान थे, आप ही के समान। पर इन लोगों ने अपना जीवन बिना यीशु को ग्रहण किये बीत जाने दिया। इन्होंने यीशु से ''इंकार'' किया और न कहने की आदत बना ली वह आदत इतनी पक्की हो गई कि परमेश्वर ने उन्हें उनके हाल पर छोड दिया।

जवान लडके, लडकियों, प्रायश्चित कीजिये! ईश्वरविहीन जीवन से फिर जाइये − यीशु मसीह के पास आइये परमेश्वर पुत्र के पास आइये। वह अपने लहू से आप को धो डालेगा। यीशु पर विश्वास लाइये एक निरर्थक और आशारहित अनंत जीवन से बचिये!

निवेदन है हरेक जन अपनी आंखे बंद करें। अगर आप यीशु पर विश्वास लाने के विषय में हम से बात करना चाहते हैं तो डॉ कैगन और जोन कैगन के साथ पीछे आडिटोरियम में चले जाइये। वे आपको एकांत कक्ष में ले जायेंगे जहां आप बात कर सकते हैं प्रार्थना कर सकते हैं। आमीन।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: २ तीमुथियुस ४:१०−१७
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
''मैं यीशु को चुनुंगा'' (रचना रिया एफ मिलर‚१९२२; संगीत जार्ज बेव्हरली शिया‚१९०९−२०१३)