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नष्ट होते हुये को बचाना

RESCUE THE PERISHING
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की संध्या, १४ फरवरी, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में किया गया प्रचार संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, February 14, 2016

''और जब तू फिरे (परिवर्तित हो), तो अपने भाइयों को स्थिर करना''
(लूका २२:३२)


एन आय वी और दूसरे अधिकतर अनुवाद इस पद को अलग ढंग से बताते हैं। वे कहते हैं कि ''जब तू फिरे तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (एन आय वी) । आज सुबह मैंने आप को बताया था कि एक जाने माने नये नियम के विद्वान इन अनुवादों से सहमत नहीं हैं। मैंने आप को बताया था कि डॉ मारकस बॉकमुहेल ने कहा‚ कि ‘और जब तू (परिवर्तित हो)’ को अनेक अनुवादकों ने अपने ढंग से लिया है पर यूनानी अनुवाद में ऐसा नहीं है।'' (मारकस बॉकमुहेल‚ पीएचडी‚ साइमन पीटर इन स्क्रिप्चर ऐंड मेमोरी‚ बेकर ऐकेडेमिक‚ २०१२‚ पेज १५६) यूनानी शब्द ''एफिस्ट्रेफों'' का अनुवाद यहां ''मन परिवर्तन'' होना चाहिये। उन्होंने यह भी बताया था कि ''एफिस्ट्रेफों'' का अर्थ लूका के सुसमाचार में ''परिवर्तित होना'' है (उक्त संदर्भित) डॉ मारकस बॉकमुहेल इंग्लैंड की आँक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बाइबल और प्रारंभिक मसीही अध्ययन के प्राध्यापक हैं। पतरस तब परिवर्तित हुये जब उन्हें पाप का बोध हुआ और पुनरूत्थित यीशु से उनका सामना हुआ। मेरा भी यही मानना था और मैं यह देखकर प्रसन्न हूं कि मेरे मत की पुष्टि आँक्सफोर्ड के एक विद्वान द्वारा भी हुई है! एक बार फिर केजेवी सही है और आधुनिक अनुवाद गलत हैं।

अधिकतर अनुवाद क्यों गलत हैं? क्योंकि वे ''परिवर्तन'' को नहीं समझते हैं। वे इसे ''निर्णय'' के रूप में समझते हैं। लेकिन प्राचीन केजेवी अनुवादक सच्चे परिवर्तन को जानते थे इसलिये उन्होंने ''एपिस्ट्रफों'' − को सही रूप में ''परिवर्तन'' − अनुवादित किया।

''और जब तू परिवर्तित हो‚ तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (लूका २२:३२)

यह एक महान पद है‚ और मैं इसमें से दो बिंदु लेने जा रहा हूं।

१. पहला‚ मसीह ने सच्चे परिवर्तन के लिये कहा था जिसका अनुभव पतरस को होने वाला था।

परिवर्तन में पहला भाग पवित्र आत्मा द्वारा पाप का बोध करवाया जाना है।

''और वह आकर संसार को पाप और धामिर्कता और न्याय के विषय में निरूत्तर करेगा।'' (यूहन्ना १६:८)

प्राचीन लेखक विलियम गुथरी (१६२०−१६६५) ने कहा था,

''साधारणत प्रभु स्वयं अपने मार्ग को एक व्यक्ति के भीतर खोलते हैं उसमें दीनता उत्पन्न करते हैं उसे अपने पाप और परेशानियों का ज्ञान देते हैं व्यक्ति की आत्मा में संघर्ष चलता है और वह इनसे छुटकारा देने वाले मसीह यीशु के पास आने की इच्छा करता हैं।'' (विलियम गुथरी, दि क्रिश्चियन ग्रेट इंटरेस्ट, दि बैनर ऑफ ट्रूथ ट्रस्ट, १९६९ पुर्नमुद्रण, पेज १९३)

मसीह के क्रूसीकरण की रात के पहले यही पतरस के साथ हुआ। ''और जब तू परिवर्तित हो........।'' इन शब्दों से यह तात्पर्य है कि अभी तक पतरस का मन परिवर्तन नहीं हुआ था भले ही वह तीन सालों से मसीह का अनुसरण कर रहा था। उस रात जिसे कुछ लोग ''शुभ शुक्रवार की रात'' कहते हैं, पतरस को अंततः यह बोध हुआ कि वह घमंडी और आत्मतुष्ट पापी है। उसने संपूर्ण मन से यीशु से प्रेम होने का बहाना किया किंतु जब परखा गया तब वह प्रभु से मुकर गया। एक छोटी लड़की ने कहा कि वह यीशु का अनुयायी है। तब पतरस ने मसीह को जानने से इंकार किया। एक दूसरी जवान स्त्री ने कहा, ''यह भी तो यीशु नासरी के साथ था'' (मत्ती २६:७१) । पतरस ने शपथ खाकर फिर इन्कार किया ''मैं उस मनुष्य को नहीं जानता'' (मत्ती २६:७२) । पतरस तब स्वयं को धिक्कार देने और शपथ खाने लगा, ''मैं उस मनुष्य को नहीं जानता'' (थामस हैल) ।

यीशु ने पतरस से कहा था कि वह मुर्गे के बांग देने से पहले तीन बार उनका इंकार करेगा। तुरन्त मुर्ग ने बांग दी! ''और पतरस बाहर जाकर फूट फूट कर रोने लगा'' (लूका २२:६२) ''रोने'' के लिये जो यूनानी शब्द प्रयुक्त होता है उसका अर्थ होता है ''उंची आवाज में विलाप करना या क्रंदन करना'' (स्ट्रॉंग) ''फूट फूट कर'' के लिये यूनानी में ''पिक्रोज'' शब्द है जिसका अर्थ होता है ''बलपूर्वक'' (स्ट्रॉंग) । मैं यह नहीं कहता कि हरेक को जब अंर्तमन में अपने पाप का बोध होता है तो वह फूट फूटकर रोता ही है। लेकिन मन में पाप का बोध आंखों में आंसू ले ही आता है। श्रेष्ठ रूप में जब आत्मिक क्रांति आती है तब इस तरह का रूदन या विलाप देखने को मिलता है। मैंने चीन में हुई महान आत्मिक क्रांति के विडियोज देखे जिनमें दर्जनों लोग अपने पाप के बोझ तले विलाप कर रहे थे। १८२३ में इंग्लैंड में जो कामिश क्रांति हुई उसके लिये विलियम कारवोसो भटके हुये लोगो के लिये कह रहे थे कि ''वे अपने घुटने के बल बैठकर आत्मा मे व्यथित थे और परमेश्वर से उद्वार पाने के लिये बैचेन हो रहे थे।'' (पाल इ कुक, फायर फ्राम हैवन, पेज ८७) यह आजकल चीन और तीसरी दुनिया के देशों में देखने को मिलता है जब परमेश्वर वहां आत्मिक क्रांति भेजते हैं। मैंने तो इस भौतिकतावादी ईश्वर विहीन देश अमेरिका में भी १९६० के समय में जवान लोगों को अपने पापों का बोध होने पर रोते हुये देखा है। मैंने अपने चर्च के पूछताछ कमरे में आते हुये लोगों को भी उनके पाप के बोझ तले आंखो में आंसू लिये देखा है। स्वभावगत टेढ़े माने जाने वाले लोग एवं अंर्तमुखी लोग भी पाप का बहुत गहरा बोध होने पर रोते हैं। ध्यान दीजिये − कि यहां वे शर्मिंदा नहीं है। अगर आप अपने किये के लिये शर्मिंदा होंगे तो परिवर्तित नहीं हो पायेंगे। आप को तो अपने पाप के लिये गहरा दुख होना चाहिये।

इसमें नया कुछ नहीं है। पतरस अकेला ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसे उसके पापों ने कचोटा था। शिष्य पौलुस को भी उनके पापों का गहरा बोध हुआ था। उनका बोध तो इतनी गहरी दशा में पहुंच गया था कि वे बोल उठे,

''मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?'' (रोमियों ७:२४)

पेंतुकुस्त के दिन तीन हजार लोगों को पाप का बोध हुआ था।

''तब सुनने वालों के हृदय छिद गए, और वे पतरस और शेष प्रेरितों से पूछने लगे, कि हे भाइयो हम क्या करें?'' (प्रेरितों २:३७)

प्राचीन समय के व्याख्याकार मैथ्यू हैनरी ने कहा, ''जब पापियों के मन, उनके पापों से छिद जाते हैं, उनकी आंखे खुल जाती है.......ये दशा केवल उन ही लोगों की होती है, जो अपने पापों के लिये दुखी होते हैं, उन्हें शर्म आती है, जो पाप के परिणाम से डरते हैं उन्ही के मन छेदे जाते हैं....... ‘मेरे अपने बारे में जितने अच्छे विचार थे और यहां तक कि मेरे आत्मविश्वास ने भी मुझे हताश कर दिया।''’ (मैथ्यू हैनरी कमेंटरी आन दि व्होल बाइबल; प्रेरित २:३७ पर व्याख्या) लोग रोये जब परमेश्वर ने उन्हें अपने पापों का बोध करवाया। यीशु के पीछे खड़ी वह पापिणी स्त्री रो रही थी। ''यीशु ने उससे कहा तेरे पाप क्षमा हुए'’ (लूका ७:४८)

प्राचीन समय में जिन लोगों का मन परिवर्तित होता था उन्हें अपने पापों का बहुत गहरा बोध होता था। न केवल पतरस और पौलुस को यह बोध हुआ पर बहुत से लोगों को ऐसा अनुभव हुआ। अगस्टीन का अनुभव हम पढ़ते हैं। लूथर के मन परिवर्तन को हम पढ़ते हैं। जोन बुनयन, जार्ज व्हाईटफील्ड, जोन वेस्ली, हावेल हैरिस, स्पर्जन, इल आफ लेविस १९४९−५२ के जवान ये सभी अपने पाप के बोध होने की गहन वेदना से होकर गुजरे। मैंने एक लड़की को यीशु पर विश्वास लाने से पहले यह कहते हुये सुना था, ''मैं अपने आप से पूरी तरह हताश हो चुकी हूं।''

आइये अब पीटर बोहलर का पत्र जो जोन वेस्ली के मन परिवर्तन को लेकर काउंट जिनजेनडार्फ को लिखा था उसे सुने।

वह उठा और कहने लगा, ''आइये गीत नं ४५६ गाये, 'माय सोल बिफोर दि प्रोस्ट्रेट लाइज''’ गीत गाते गाते वह बार बार अपने आंसू पोंछ रहा था और इसी के तुरंत बाद उसने मुझे अपने शयनकक्ष में बुलाया और कहा कि वह अब इस सत्य के प्रति पूर्ण रूप से सहमत है जो उद्वार के विषय में मैंने उसे बताया था और अब उसे इस संबंध में जरा भी संशय नहीं है कि उसे विश्वास से उद्वार मिल सकता है। वह कैसे अपने इस विश्वास को बनाये रख सकता है? उसने ऐसा कोई बड़ा पाप तो किया नहीं है मैंने उसे उत्तर दिया कि मसीहा में विश्वास नहीं रखना ही एक बड़ा पाप है। मैं उससे मसीह को खोजने का आग्रह करता रहा जब तक कि वह उसे मिल नहीं गये। मैंने विचलित होकर प्रार्थना की कि उद्वारकर्ता प्रभु इस पापी पर दया करे प्रार्थना के बाद वेस्ली ने कहा कि बचाने वाला विश्वास अब उसका है तो वह और किसी दूसरे विषय पर प्रचार नहीं करेगा....... मैंने उससे विनती की कि वह मसीहा के अनुग्रह को किसी दूर भविष्य में काम करने वाला न समझे और यह विश्वास करे कि वह पहले से ही उपस्थित था और उसके करीब था। यीशु का हृदय उसके लिये खुला था और उसका प्रेम भी उस के लिये बहुत उमड़ता है। उसने विलाप किया और मुझसे कहा कि प्रार्थना करूं। सच में कह सकता हूं कि जोन वेस्ली एक दीन, टूटे मन वाला पापी इंसान था, जो सच्ची धार्मिकता पाने के लिये भूखा था, जो केवल यीशु मसीह के पास थी। संध्या समय उसने १ कुरूंथियों १:२३ पर प्रचार किया, ''हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं.....'' उसको चार हजार से अधिक लोग सुनने वाले होते थे और वह इस तरह से प्रचार करता था कि सुनने वाले आश्चर्यचकित रह जाते थे..... ''मैं स्वयं को आप के सामने क्रूसित यीशु का प्रचार करने के लिये अयोग्य मानता हूं।'' उसके संदेशों ने कई लोगों को प्रेरणा प्रदान की। (जोन ग्रीनफील्ड, वेन दि स्प्रिट केम, दि मोराइवन रिवाइवल, स्ट्रेटेजिक प्रेस, दिनांक उपलब्ध नहीं, पेज २८)

जोन वेस्ली यीशु को स्वीकार करने से पूर्व उद्वार पर प्रचार कर रहे थे − मसीह द्वारा उद्वार उपलब्ध है, यह प्रचार करते हुये उनके गालों पर आंसू बह रहे थे! पचास साल बाद जब वे मरणसेज पर लेटे हुये थे लोगों ने उन्हें धीरे धीरे यह बोलते हुये सुना,

पापियों में मैं सबसे बड़ा हूं,
और यीशु मेरे लिये मरे।

जिस रात यीशु को बंदी बनाया गया पतरस इस अनुभव से गुजरे। डॉ थामस हैल ने यह लघु कथा सुनायी,

एक प्राचीन लेखक ने लिखा था कि पतरस ने अपने संपूर्ण जीवन काल में जब भी मुर्गे की बांग सुनी होगी, वह रोया होगा, क्योंकि उसे वह रात याद आती होगी जिसमें उसने यीशु का इंकार किया था। (थामस हैल, एम डी, दि एप्लाइड न्यू टेस्टामेंट कमेंटरी, किंग्सवे पब्लिकेशंस, १९९७, पेज २८६; मरकुस १४:७२ पर व्याख्या)

२. दूसरा, मसीह ने कहा था कि पतरस परिवर्तन के बाद क्या करेंगे।

''और जब तू परिवर्तित हो‚ तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (लूका २२:३२)

डॉ जे वर्नान मैगी ने कहा था, ''पतरस बाद में सचमुच अपने भाइयों को विश्वास में मजबूत करने में सफल रहे जो मनुष्य स्वयं परीक्षा में पड़ता है वह दूसरो की भी सहायता करने योग्य रहता है।'' (थ्रू दि बाइबल; लूका २२:३२ पर व्याख्या) जिस मनुष्य को स्वयं पाप का बोध होता है वह उन लोगों की भी सहायता करता है जो पाप के बोध के अनुभव से गुजर रहें होते हैं। जो व्यक्ति स्वयं को कमजोर महसूस कर चुका होता है वह दूसरो की भी उनकी कमजोर दशा के समय मदद करता है।

मुझे जोन वेस्ली हमेशा से पसंद रहे हैं। एक जिस कारण से मैं उन्हें पसंद करता हूं कि मेरे समान वह भी सोचा करते थे कि एक सख्त जीवन जीने से उद्वार पाने में सहायता मिलती है। मैं भी बिल्कुल ऐसा ही सोचा करता था। उन्होंने एक मोरवियन मिशनरी, पीटर बोहलेर को कहा था कि उनके भीतर उद्वार पाने वाला विश्वास नहीं है। बोहलेर ने कहा वेस्ली सोचते थे, ''ऐसा बचाने वाला विश्वास कहां से लायेंगे? दूसरों की तुलना में उन्होंने तो ऐसा कोई बड़ा पाप भी नहीं किया है।'' यही सोच वेस्ली के लिये बाधक थी और यही मेरे लिये भी बाधक बनी। बोहलेर ने कहा मसीह पर विश्वास न करना ही पर्याप्त पाप है। ''वह बुरी तरह से रोये और मुझसे प्रार्थना करने के लिये कहा।'' जब वह यीशु द्वारा बचाये गये तब जोन वेस्ली ने अपना शेष जीवन भटके हुये लोगों को यीशु के पास लाने में और उन्हें मजबूत बनाने में व्यतीत किया। पह प्रति वर्ष घोड़े पर सवार होकर ४५०० मील की यात्रा करते थे और शेष जीवन भर प्रति दिन एक या दो संदेश प्रचार करते रहे! अभी कुछ क्षण पहले ग्रिफिथ ने जो गीत गाया वह वेस्ली द्वारा लिखा हुआ हो सकता है।

नष्ट होते हुये को बचाना मरते की मदद करना,
   पाप और गडहे की भयावहता से निकाल लाना;
पापी के साथ रोना गिरते को उठाना,
   उन्हें यीशु के लिये बताना, वह सामर्थवान जो बचाता है,
नष्ट होते हुये को बचाना, मरते की मदद करना,
   यीशु दयालू है, यीशु बचायेंगे।

यह कोरस मेरे साथ गाइये!

नष्ट होते हुये को बचाना, मरते की मदद करना,
यीशु दयालू है, यीशु बचायेंगे।
   (''नष्ट होते हुये को बचाना'' फैनी जे क्रासबी, १८२०−१९१५)

''और जब तू परिवर्तित हो‚ तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (लूका २२:३२)

हम कैसे बता सकते हैं जब कोई सच्चे रूप में परिवर्तित होता है? आप कैसे बता सकते हैं कि वास्तव में उनका मन परिवर्तन हुआ है? ''जब तू परिवर्तित हो‚ तो अपने भाइयों को स्थिर करना।'' जब आप परिवर्तित होते हैं तो मसीह आप के मन में इच्छाओं को बदल देते हैं। जो बातें आप को पहले पसंद थी अब आप उनको स्थान देने के बजाय अपने विश्वासी भाइयों के लिये विचार करते हैं। आप चर्च से पूरे मन से प्रेम रखेंगे। आप अपनी आत्मा से सच्चे मसीही लोगों से प्रेम रखेंगे। आप उन्हें विश्वास में मजबूत रखने के लिये सब प्रकार से मदद करने के लिये सहायक होंगे। आप उनके लिये प्रार्थना करेंगे उनकी सहायता करेंगे और मसीह के समान मन रखते हुये उनसे प्रेम रखेंगे। शिष्य यूहन्ना ने इसे बहुत स्पष्ट लिखा है। उन्होंने कहा,

''हम जानते हैं‚ कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं; क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं: जो प्रेम नहीं रखता‚ वह मृत्यु की दशा में रहता है।'' (१ यूहन्ना ३:१४)

इस तरह से आप प्रगट कर सकते हैं कि आप परिवर्तित हो चुके हैं। अगर आप अपने चर्च के भाई और बहनों से प्रेम करते हैं तो हरसंभव उनकी सहायता के लिये तत्पर रहेंगे। तो देखिये लारा और करन एवं अन्य नयी लड़कियां किस तरह मिसिस हिमर्स की सहायता करती हैं! हम जानते हैं ये परिवर्तित हो चुकी हैं!

इसके अलावा एक और तरीका है यह बताने का कि आप का मन परिवर्तन हो चुका है। बाइबल में लूका १४ खोलिये। यह स्कोफील्ड स्टडी बाइबल के पेज १०९६ पर है। यह महा भोज की कथा है। जिस ''मनुष्य'' ने यह भोज तैयार किया है वह मसीह हैं। जिन दासों को उन्होंने भेजा कि लोगों को आमंत्रित करें वे सच्चे मसीही जन का प्रतीक हैं। अब देखिये यीशु इन सच्चे मसीहियों से क्या कहते हैं। कृपया खड़े हो जायें और इसे जोर से पढ़े।

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।'' (लूका १४:२३)

अब आप बैठ सकते हैं। पेन या पेंसिल लेकर इस पद को रेखांकित कर लीजिये ''सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।'' (लूका १४:२३) यही तो हम गुरूवार की रात, हर शनिवार की रात और हर रविवार की दोपहर में करते हैं। हम प्रत्येक जन को भेजते है कि आत्माओं को जीतें।

पर मैं देखता हूं कि कुछ लोग खड़े रहते हैं, बातें करते हैं या समय गुजारते हैं। इस तरह वे हमारे लिये कोई नाम भी लेकर नहीं आते या बिल्कुल कम नाम लेकर आयेंगे जिनके साथ हम बात बढ़ा सके। जो लोग नाम लेकर नहीं आते हैं वे कैसे लोग होते हैं? दो में से एक बात होगी: या तो वे स्वयं भटके हुये हैं या फिर भ्रष्ट लोग हैं। सच्चे मसीही जन तो खोये हुये लोगों को बचाने जाते हैं। जो अपरिवर्तित जन हैं या भ्रष्ट लोग हैं वे केवल समय भरते हैं। अगर आप भ्रष्ट लोगों में से हैं तो सावधान हो जायें! अगर आप पश्चाताप नहीं करेंगें तो आप उद्वार का आनंद खो देंगे। यीशु आप से कहते हैं ''सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर'' (प्रकाशितवाक्य २:५) ''तो पहिले के समान काम करिये'' आत्मा जीतने के लिये जाइये। नाम लेकर आइये। पहले के समान काम कीजिये जैसा आप किया करते थे।

आप में से कुछ ऐसे हैं जिन्होंने यह पहले कभी नहीं किया। आप पहले भी इसे करना नहीं चाहते थे और अब भी नहीं चाहते हैं। आप की आंखे जलने लगती हैं और चेहरा सख्त हो जाता है। आप सोचने लगते हैं वह मुझसे ऐसा काम नहीं करवा सकता! क्यों नहीं करवा सकता? इससे यह प्रगट होता है कि आप का मन परिवर्तन अभी तक नहीं हुआ है। आप राह देख रहे हैं कि हम आप को मन परिवर्तन की ''शिक्षा'' देते रहें जबकि आप के अपने मन में मसीह की आज्ञा पालन करने की कोई इच्छा नहीं है। मसीह कहते हैं, ''लोगों को बरबस ले ही आ'' − किंतु आप कहते हैं‚ ''नहीं! मैं मसीह की आज्ञा पालन नहीं करूंगा!'' बेचारे ऐसे लोग! ऐसी लडकियां! आप इस तरह यीशु की शांति और आनंद कभी नहीं पा सकते!

इस बड़े से शहर में सैकडो भटके और अकेले जवान लोग हैं। वे चाहते हैं कि कोई उन पर दया करे उनमें रूचि ले उन्हें उचित राह दिखाये। पर जब तक आप स्वयं ही भटके हुये रहेंगे आप कैसे उन्हें बचायेंगे। कम से कम उन लोगों की खातिर मैं आपसे विनती करता हूं कि आप प्रायश्चित कीजिये और यीशु पर विश्वास लाइये। विश्वास रखकर यीशु के पास आइये। अपनी जिंदगी को यीशु की देखरेख में छोड़ दीजिये। वह आप को बचायेंगे। वह अपने रक्त से आप के पापों को धो देंगे। वह आप को खोये और भटके हुये भाइयों की सहायता करने के लिये भेजेंगे!

''और जब तू परिवर्तित हो‚ तो अपने भाइयों को स्थिर करना'' (लूका २२:३२)

कृपया खड़े हो जायें और गीत संख्या छः गायें।

सुनो! भेडो की आवाज सुनो,
   अंधेरे उदास रेगिस्थान में,
उन भेडों को बुलाओ जो भटक गयी हैं
   चरवाहे के बाडे से दूर।
उन्हें अंदर ले आओ, उन्हें अंदर ले आओ,
   उन्हें पाप के स्थान से निकाल लाओ;
उन्हें अंदर ले आओ, उन्हें अंदर ले आओ,
   भटके हुओं को यीशु के पास लाइये।

कौन जायेगा और चरवाहे की मदद करेंगा,
   भटके हुये को खोजने में कौन सहायता करेगा?
भटके हुओं को कौन बाडे में लाने जायेगा,
   ठंड में उन्हें कौन शरण देगा?
उन्हें पाप के स्थान से निकाल लाओ,
   भटके हुओं को यीशु के पास लाइये।

दूर रेगिस्तान में उनके रोने की आवाज सुनिये,
   पहाडों पर उंची आवाज सुनिये;
सुनो! स्वामी आप को बुलाता है,
   ''जाओ मेरी भेडों को ढूंढे कहां हैं वे''
उन्हें अंदर ले आओ, उन्हें अंदर ले आओ,
   उन्हें पाप के स्थान से निकाल लाओ;
उन्हें अंदर ले आओ, उन्हें अंदर ले आओ,
   भटके हुओं को यीशु के पास लाइये।

डॉ चान प्रार्थना में अगुवाई कीजिये। आमीन।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: लूका २२:३१−३४
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
''नष्ट होते हुये को बचाना'' ('फैनी जे क्रासबी, १८२०−१९१५)


रूपरेखा

नष्ट होते हुये को बचाना

RESCUE THE PERISHING

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''और जब तू परिवर्तित हो, तो अपने भाइयों को स्थिर करना''
(लूका २२:३२)

१. पहला‚ मसीह ने सच्चे परिवर्तन के लिये कहा था जिसका अनुभव पतरस को
होने वाला था, यूहन्ना १६:८; मत्ती २६:७१, ७२; लूका २२:६२;
रोमियों ७:२४; प्रेरितों २:३७; लूका ७:४८; १कुरूंथियों १:२३−२४

२. दूसरा, मसीह ने कहा था कि पतरस परिवर्तन के बाद क्या करेंगे १ यूहन्ना
३:१४; लूका १४:२३; प्रकाशित २:५