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स्थानीय चर्च का महत्व

THE IMPORTANCE OF THE LOCAL CHURCH
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, ३० अगस्त, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, August 30, 2015

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)


कुछ लोग कह सकते हैं कि मैं स्थानीय चर्च के बारे में बहुत अधिक बात करता हूं। पर मैं ऐसा नहीं सोचता। मैं सोचता हूं कि पुराने ढंग और सोच के बैपटिस्ट अगर चर्च पर ध्यान देते हैं तो वे उसी बात पर जोर देते हैं जो इस पीढी के लिये आवश्यक है। हमने चर्च की बढोतरी के लिये बहुत से अस्पष्ट विचार सुन रखे हैं जिन्होंने हमारी इतनी मदद नहीं की। हमें स्थानीय चर्च में प्राचीन समय की बैपटिस्ट शिक्षा पर जाने की आवश्यकता है। इस भटकाव वाले और स्वधर्मत्याग वाले समय में और कोई हमें स्थिरता नहीं दे सकता।

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन चर्च में मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)

यह पद किसके विषय में बात कर रहा है? मैं पहले आप को बताउंगा कि यह किनके विषय में बात नहीं कर रहा है? यह किसी डिनोमीनेशन की बात नहीं कर रहा है।जिस चर्च की यह बात कर रहा है वह मैथोडिस्ट डिनोमीनेशन या प्रेसबिटेरियन या कैथोलिक डिनोमीनेशन का चर्च नहीं हैं। जब यह पद दिया गया था तब कोई डिनोमीनेशन नहीं था! दूसरा, यह कोई चर्च की इमारत के लिये भी बात नहीं कर रहा है। पहली सदी में तो कोई चर्च इमारतें भी नहीं थी। आप नया नियम पढेंगे तो आप जल्द ही समझ जायेंगे। आज जब लोग बात करते हैं तो वे चर्च को इमारत समझते हुये ही बात करते हैं। वे कहते हैं, ''क्या यह चर्च सुंदर नहीं दिखाई दे रहा है?'' वे इमारतों की बात करते हैं। लेकिन जब यह पद लिखा गया था तब कोई चर्च इमारत नहीं हुआ करती थी। यह पद के विषय में नहीं कहती है। पहली सदी में आराधना संचालित करने के लिये लोग घरों में एकत्रित होते थे! इसलिये हमारे इस पद का अर्थ चर्च की इमारतों से तो बिल्कुल भी नहीं था! तीसरा, यह कोई ''वैश्विक चर्च'' के लिये भी बात नहीं कर रहा है। इस पद में तो ऐसा कोई विचार ही नहीं है। यह तो सीधे सीधे केवल सच्चे वास्तविक लोगों के लिये वर्णन कर रहा है जो एक साथ एक वास्तविक जगह एक स्थानीय चर्च में एकत्रित होते हैं! ये सब ''यरूशलेम की कलीसिया'' कहलाते हैं (प्रेरितों के काम ८:१)

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)

इसका यह अर्थ तथापि नहीं कि वे लोग किसी डिनोमिनेशन में मिलाये गये या ''चर्च'' की इमारत में आने योग्य हो गये या ''युनाइटेड चर्च'' के सदस्य कहलाये जाने लगे। नहीं! इसका साधारण सा अर्थ वही है जो यह पद कहता है। प्रभु ने यहूदिया की कलीसिया में उन लोगों को जोडा ''जो उद्वार पाये हुये लोग होने थे!'' इसका अर्थ वही है जो यह कहता है! यह वही कहता है जो इसका अर्थ है!

यूनानी शब्द ''ऐक्लेशिया'' का अंग्रेजी अनुवाद ''चर्च'' है। यह एक संयुक्त शब्द है जिसमें ''इक'' पूर्वसर्ग (बाहर) लगा है और क्रिया ''केलियो'' (बुलाना) का प्रयोग हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ है ''बुलाये गये लोग'' (दि किसवेल स्टडी बाइबल, इफिसियों ५:२३ पर व्याख्या)

डॉ डब्ल्यू ए किसवेल ने कहा कि ''एक 'चर्च' उन लोगों का समूह है जो पाप और अविश्वास में से बाहर बुलाये गये हैं ताकि मसीह पर विश्वास रखें और जिन्होंने विश्चास की गवाही बपतिस्मा द्वारा दी है और जिन्होंने ऐच्छिक रूप से आराधना करने मे स्वयं को सम्मिलित किया है'' (पूर्वोक्त)। यह एक अच्छी परिभाषा है। चर्च एक ऐसे लोगो का समूह है जो उद्वार पाये हुये हैं और आराधना और संगति के लिये समूह बना लेते हैं। यही प्रेरितों के काम २:४७ कहता हैं!

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में (यरूशलेम) मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)

इस कारण से मैं अक्सर कहता हूं कि ''अकेले क्यों रहना? घर आइये − अर्थात चर्च आइये! क्यो भटके हुये रहना। यीशु के पास आइये और उद्वार पाइये।'' क्या मैं चर्च आना और यीशु के पास आने को लेकर भ्रमित कर रहा हूं? बिल्कुल भी नहीं! मैं बार बार कह रहा हूं कि मसीह के पास आना और चर्च आना ये दो अलग अलग बातें हैं। अगर आप बिना मसीह के पास गये चर्च आते रहे तो आप नर्क में जायेंगे! मैं अक्सर प्रेरितों के काम १६:३१ को उद्धृत करता हूं ''प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।'' हम इसे बहुत स्पष्ट कर देते हैं। उद्वार पाना और चर्च की सदस्यता ये दो बिल्कुल अलग अलग चीज हैं। अकेले क्यों रहना? घर आइये − अर्थात चर्च आइये! क्यो भटके हुये रहना? घर आइये − यीशु के पास आइये! जिस उददेश्य को हम लेकर चलते हैं उससे बहुत अधिक स्पष्ट हैं कि उद्वार पाना और चर्च की सदस्यता ये दो बिल्कुल अलग अलग चीज हैं।

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)

आज सुबह मैं आपके सामने तीन बिल्कुल साधारण बिंदु रखूंगा:

१. चर्च आने से आप के अकेलेपन को चंगाई मिलेगीं

आप को समझना पढेगा कि मैं किससे बाते कर रहा हूं। मैं आप से बातें कर रहा हूं! मेरा संदेश बिल्कुल ऐसे ही रूप में हमारी वेबसाईट पर मौजूद हैं − यह पूरे संसार में जाता है ३२ भाषा में। ऐसे भी लोग होंगे जो इसे पढ रहे होंगे और उन्हें अकेलापन नहीं लग रहा होगा। मैं नहीं जानता। पर मैं इतना अवश्य जानता हूं कि आज की युवा पीढी बहुत अकेलापन महसूस करती है।

हमारा चर्च बहुत सुसमाचार प्रचार करता है − विशेषकर दुनियावी कालेजों के कैंपस में और लॉस ऐंजीलिस के दूसरे क्षेत्रों में भी, जहां जवान लोग एकत्रित होते हैं। इसका यह परिणाम है कि यह चर्च आज सुबह कालेज जाने वाले और हाई स्कूल जाने वाले युवाओं से भरा है – और मैं आप से बातें कर रहा हूं! मैं जानता हूं कि आप भी उसी प्रकार अकेले हैं जैसे मैं चर्च आने के पहले अकेला महसूस करता था। सभी जवान लोग − और आप भी अकेले होते हैं − कम से कम कुछ समय के लिये। और मैं आप से कहता हूं कि परमेश्वर नहीं चाहते कि आप अकेले रहें। अदन के बगीचे में परमेश्वर ने कहा था, ''आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं'' (उत्पत्ति २:१८) परमेश्वर ने आदम की पसली में से हवा को बनाया इसलिये अब वह अकेला नहीं होगा (उत्पत्ति २:१८, २१−२२) परमेश्वर नहीं चाहते कि आप अकेले रहें। इसलिये परमेश्वर ने नये नियम पर आधारित इस स्थानीय बैपटिस्ट चर्च की स्थापना की − ताकि आप अकेले न रहें।

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)

हमारे साथ कुछ ही सप्ताह रही एक चीनी लडकी ने मुझे एक ई मेल भेजा। यद्यपि उसकी अंग्रेजी इतनी अच्छी नहीं थी पर उसने जो भी लिखा वह बडे मन से लिखा था।

डॉ हिमर्स आप का प्रचार बहुत ही प्रभावी है! आप मुझे मसीह पर भरोसा करना सिखाते है कि बचायें जायें! आप मुझे सत्य को जानना सिखाते हैं! मैं आपके प्रचार को अधिक और अधिक सुनना चाहती हूं! मैं हमेशा इस चर्च में आते रहना चाहूंगी! मैं आंसुओं से इस चर्च के लिये प्रार्थना कर रही हूं। मैं चाहती हूं कि पवित्र आत्मा हमारे चर्च में आयें! मैं यह प्रार्थना भी करती हूं कि आप प्रचार में और अधिक अच्छे होते चले जायेंगें!!! चर्च मेरा वास्तच मे दूसरा घर है! वास्तव में यह मेरा मुख्य घर होगा! वह घर जिसे मैं बरसों से खोज रही थी!

आपको धन्यवाद!!!!आपको धन्यवाद!!!!आपको धन्यवाद!!!!

इसलिये हम कहते हैं कि, ''अकेले क्यों रहना? घर आइये − अर्थात चर्च आइये!'' उस लडकी ने मुझे सुना और हर बार जब चर्च का दरवाजा खुला होता है वह चर्च आती है!

क्या हम गलत कह रहे हैं? कुछ लोग कह सकते हैं, ''कि इन बच्चों को ऐसा मत कहिये ये गलत कारण से भी चर्च आ सकते हैं?'' फिर भी, मैं आपको बिल्कुल ही चर्च नहीं आने के बदले कम से कम गलत कारण से ही चर्च आते रहने के लिये कहूंगा! तब जाकर किसी दिन आप सही कारण के लिये चर्च आने लगेंगे!

अगर अकेले होने के कारण आना ''गलत कारण'' है तो मैं स्वयं ऐसे ही गलत कारण के लिये चर्च आया करता था। जब मैं तेरह साल का था तब मेरे पडोसियों ने मुझे चर्च चलने के लिये आमंत्रित किया था। मैं चर्च गया क्योंकि मैं अकेला था। मैं चर्च आता रहा क्योंकि मैं अकेला था। बाद में मैं परिवर्तित हुआ। तो इसमें गलत क्या था? इसमें कुछ भी गलत नहीं था!

आइये इस चर्च को एक खुशनुमा जगह मनाये! इसे पृथ्वी पर सबसे अधिक खुशनुमा जगह मनायें! आइये प्रसिद्व गीत और भजन गायें जो सुसमाचार पर आधारित हो! आइये प्राचीन समय के संदेश सुनें जो सुसमाचार पर आधारित हों − और ''आमीन चिल्लायें!'' आइये बैठ जायें और रात का भोजन करें (दोपहर का भोजन नहीं! क्योंकि वह तो आप छोटे पैकेट में लेकर जाते हैं!) आइये ''चर्च के मैदान में रात का भोजन करें'' जैसा पुराने लोग किया करते थे! आइये पुराने समय के जैसी संगति करें। आइये वह गीत गायें ''रात के भोजन के लिये घर आइये।'' आप के गीत के पन्नों पर आखिरी गीत का तीसरा अंतरा गायें! आइये इसे गायें!

बडे शहर के लोग इतनी परवाह नहीं करते;
उनके पास देने के लिये भी थोडा है और प्रेम की भी घटी है।
किंतु यीशु के पास आइये और आप जान जायेंगे‚
मेज पर भोजन और संगति को बांटा जाता है!
चर्च आइये भोजन करें मधुर संगति के लिये एकत्रित हों;
यह एक जेवनार होगी मिलकर भोजन करने बैठेंगे।
   (''घर आइये भोजन के लिये'' द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
      ''आँन दि विंग्स आँफ डव की धुन पर'')

प्राचीन समय की अठारवीं उन्नीसवीं शताब्दियों की सुसमाचारिय सभाओं में कई जवान लोग ''मैदान पर होने वाले भोजन का'' लुत्फ लेने के लिये आयें – तब जो बच्चे भोजन करने के लिये आये थे वे ठहरें और प्रचारक का संदेश सुना जिसने पुल्पिट हिला दिया था और अपनी बाइबल हवा में लहराई − और मसीह का सुसमाचार चिल्लाकर प्रचार किया। ऐसा ही दृश्य हमें आज भी चाहिये!

''सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।'' (लूका १४:२३)

हां, चर्च आने से आप का अकेलापन मिटेगा। अकेले क्यों रहना? घर आइये − अर्थात चर्च आइये! उस कोरस को फिर गाइये!

चर्च आइये भोजन करें मधुर संगति के लिये एकत्रित हों;
यह एक जेवनार होगी जब हम मिलकर भोजन करने बैठेंगे!

२. दूसरा, चर्च आने से उद्वार प्राप्त नहीं होगा।

एक पुराने सुसमाचार प्रचारक का कथन था, ''कि चर्च जाने से आप मसीही नहीं बन जाते जैसे गैरेज में जाने से कोई आटोमोबाइल नहीं बन जाता।'' इस बात पर तो वह बिल्कुल सही थे। इस बात पर तो वह बिल्कुल सही थे। वह उन लोगों के लिये कह रहे थे जिनका ऐसा मानना था कि प्रति रविवार चर्च जाने से उन्हें उद्वार मिला है। पर लॉस ऐंजीलिस में आज ऐसे अनेक लोग नहीं हैं। हमारे शहर में बहुत कम ''आधुनिक'' लोग ऐसे हैं जो ऐसा सोचते हैं। आज उनके दिमाग में उद्वार पाने के विषय को लेकर गलत आशायें हैं।

पर आज सुबह यहां कोई ऐसा हो सकता है जो ऐसा सोचता हो कि वह चर्च का खोया हुआ बालक है। आप अपने मन में कह सकते हैं, ''कि मैं अब चर्च आ रहा हूं मैं ठीक हूं।'' अरे नहीं! आप को ऐसा नहीं सोचना चाहिये! चर्च आते रहने से आप मसीही नहीं बन जाते जैसे गैरेज में जाने से कोई आटोमोबाइल नहीं बन जाता! किसी ने मुझे यह कहते हुये सुना व कहा, ''तब तो मैं चर्च नहीं आउंगा।'' ऐसा विचार शैतान की तरफ से आता है! चर्च में आ जाने भर से आप नहीं बच सकते हैं पर चर्च आने से आप को सुसमाचार सुनने को मिलता है और इसकी बहुत संभावनायें बढ जाती हैं कि आप मोक्ष प्राप्त का लें! आप को सुसमाचार प्रचार सुनने के लिये चर्च आना ही पडेगा!

मसीह ने कहा था, ''तुम्हें नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है।'' (यूहन्ना ३:७) आप को बचाये जाने के लिये नया जन्म प्राप्त करना बहुत आवश्यक है।

उद्वार केवल अनुग्रह से मिलता है। कोई भी मानवीय कार्य आप को मोक्ष या उद्वार नहीं दिलवा सकता − यहां तक कि चर्च आना भी। परिवर्तित होने का केवल एक ही रास्ता है और वह है सीधे यीशु मसीह के पास आना, जो परमंश्वर के पुत्र हैं। यीशु का कथन था,

''हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।'' (मत्ती ११:२८)

उद्वार केवल अनुग्रह से मिलता है केवल मसीह पर विश्वास रखने से। आप को यीशु के पास आना चाहिये और उन पर संपूर्ण मन से भरोसा रखना चाहिये, ''क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है'' (रोमियों १०:१०) आप यीशु के पास आने से परिवर्तित होते हैं। अकेले चर्च की उपस्थिति आप को नहीं बदलती।

हमारा पद कहता है,

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)

आप वास्तव में परिवर्तित होने के द्वारा ''कलीसिया में मिलाये जाते हो।'' आप केवल यीशु पर विश्वास रखने से बचते हैं।

''प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।'' (प्रेरितों के काम १६:३१)

''भोजन के लिये घर आइये'' का तीसरा पद और कोरस गाइये।

बडे शहर के लोग इतनी परवाह नहीं करते;
उनके पास देने के लिये भी थोडा है और प्रेम की भी घटी है।
किंतु यीशु के पास आइये और आप जान जायेंगे,
मेज पर भोजन और संगति को बांटा जाता है!
चर्च आइये भोजन करें मधुर संगति के लिये एकत्रित हों;
यह एक जेवनार होगी मिलकर भोजन करने बैठेंगे!

३. तीसरा, चर्च आने से आप सुसमाचार प्रचार को सुनेंगे।

शिष्य पौलुस ने कहा था,

''फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें?'' (रोमियों १०:१४)

यह पतरस का प्रचार था जिसे परमेश्वर ने पेंतुकुस्त के दिन लोगों के मन परिवर्तन के लिये उपयोग में लिया। (प्रेरितों के काम २:३७−४१) तत्पश्चात वे चर्च में मिला लिये गये। (प्रेरितों के काम २:४१, ४७)

''और उसी दिन तीन हजार मनुष्यों के लगभग उन में मिल गए।'' (प्रेरितों के काम २:४१)

उन्होंने उद्वार प्राप्त किया और वे मंडली में मिला लिये गये यह पतरस के प्रचार करने के द्वारा संभव हो सका।

मैं सुसमाचार के प्रचार में विश्वास रखता हूं! मैं प्रति रविवार इस चर्च में दो बार सुसमाचार प्रचार करता हूं। मैं जानता हूं आज कल सुसमाचार प्रचार चर्चेस में चलन में नहीं है। पर मैं ''फैशन में'' बने रहने की कम चिंता करता हूं! मुझे तो प्रचार करते जाना है ताकि जवान लोगों को मोक्ष प्राप्ति के रास्ते पर ले आउं! अगर हम प्रति रविवार हमारी आराधनाओं में पुराने समय के समान सुसमाचार प्रचार नहीं करेंगें तो हम कभी आशा नहीं कर सकते कि हम आत्मिक जाग्रति फैला सकते हैं!

पौलुस ने कुरूंथ के चर्च से कहा था,

''हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं'' (१ कुरूंथियों १:२३)

कई प्रचारक लोगों को प्रसन्न करने के लिये कहानियां गढ सकते हैं। कई प्रचारक धर्मशास्त्र की लंबी व्याख्या दे सकते हैं। कुछ १५ मिनिट का ''प्रेरक संदेश'' दे सकते हैं। ''पर हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं'' (१ कुरूंथियों १:२३) इस बैपटिस्ट टैबरनेकल में हम अभी भी ''क्रूसित मसीह का प्रचार'' करते हैं (१ कुरूंथियों १:२३) । ''पर हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं।'' हमें कोई अंतर नहीं पडता कि दूसरे क्या करते हैं पर हम तो प्रति रविवार सुसमाचार प्रचार जारी रखेंगे!

उनके ऐसे प्रचार से क्या उथले मसीह जन उत्पन्न नहीं होते हैं? हमारे यहां के प्रचार से निसंदेह उथले मसीही जन तो पैदा नहीं हुये हैं! मैंने इस चर्च में बेहद उत्तम कहलाये जाने वाले मसीही जनों को जाना है। उनमें से कई प्रति रविवार सुबह और संध्या किये जाने वाले सुसमाचार के प्रभाव में परिवर्तित हुये हैं। उन्हें रविवार सुबह और रविवार संध्या को, मेरे द्वारा दिये गये सुसमाचारिय संदेश का आत्मिक भोजन प्राप्त हुआ है। वे रविवार सुबह और रविवार संध्या को मेरे द्वारा दिये गये सुसमाचारिय संदेश के द्वारा जबरदस्त मसीही जन बन गये हैं।

हमारे डीकन मि. गिफिथ सुसमावार प्रचार के प्रभाव में ही परिवर्तित हुये हैं − एवं वह बहुत ही गहरे मसीही जन हैं। हमारे सहायक पास्टर डॉ चान भी मेरे द्वारा किये गये सुसमावार प्रचार के प्रभाव में ही परिवर्तित हुये हैं व बहुत ही गहरे मसीही जन हैं। हमारे सहायक पास्टर डॉ कैगन अपने परिवर्तन के तुरंत पश्वात यहां आ गये थे और उन्होंने मुझे लगभग ३८ सालों से प्रति रविवार सुबह शाम सुसमाचार प्रचार करते हुये सुन रहे हैं। आप उन्हें अति उत्तम मसीही जनों में से एक समझ सकते हैं। डॉ कैगन के अतिरिक्त डॉ प्रुद्योमे हैं, तो कहने का तात्पर्य हमारे चर्च का प्रत्येक अगुआ मेरे द्वारा किये गये सुसमावार प्रचार से बचा है। उन्होंने अपने संपूर्ण मसीही जीवन के लिये और कुछ नहीं सुना सिवाय प्रति रविवार सुबह और संध्या सुसमाचार प्रचार के अतिरिक्त। ये सब लोग बहुत पक्के मसीही विश्वासी हैं। ये सब लोग पुराने चलन का सुसमाचार प्रचार सुनकर बहुत ही मजबूत मसीही जन बन गयें!

कोई भी सुसमावार प्रचार आप को उथला नहीं बनायेगा − जब तक कि वह उथले ढंग से किया गया सुसमाचार प्रचार न हो! डॉ मार्टिन ल्योड जोंस प्रति रविवार की रात लंदन के विशाल चर्च में प्रचार करते थे और − अक्सर रविवार की सुबह भी करते थे। वह बींसवी शताब्दी के महान प्रचारकों में से एक माने जाते रहे हैं। मैंने थोडे ही समय पहले उनके सुसमाचार संदेशों में से एक संदेश का टेप सुना था। यह बहुत ही उत्तम संदेश था! रोमांचक! इस प्रकार का सुसमाचार संदेश न केवल परमेश्वर द्वारा आप को परिवर्तित करने के कार्य में लाया जायेगा − अपितु यह आप को मजबूत मसीही जन भी बनायेगा।

सुसमाचार प्रचार आप को परिवर्तित करेगा, यह आप को बाइबल के समयकाल के समान एक मजबूत मसीही बनायेगा। प्रेरितों के काम का प्रत्येक संदेश, केवल एक को छोडकर, बाकि सभी सुसमाचार संदेश हैं। शिष्य पौलुस ने कहा था,

''क्योंकि मैं ने यह ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं।'' (१ कुरूंथियों २:२)

जी हां घर आइये अर्थात चर्च आइये। प्रचार को भी सुनिये यीशु के पास आइये। पश्चाताप कीजिये और यीशु मसीह पर विश्वास कीजिये। उनका लहू आप को सब बुरे कर्मो के दोष से मुक्त करेगा! वह आप के पापों का दंड चुकाने के लिये क्रूस पर मरे। वह मर कर भी जीवित हुये कि आप को अनंत जीवन प्रदान करें! उनके पास आइये उन पर विश्वास रखिये − और बचाये जाइये! मुझे प्रचार करता हुआ सुनिये जैसा उन्होंने पेंतुकुस्त के दिन सुना था और यीशु मसीह आप को बचायेंगे! गीत के पन्ने में अंतिम गीत को गाइये, ''भोजन के लिये घर आइये।''

यीशु के पास घर आइये, मेज लगी है;
रात के भोज के लिये घर आइये और रोटी तोडिये।
यीशु हमारे संग हैं, इसलिये ऐसा कहें,
रात के भोज के लिये घर आइये और रोटी तोडिये!
चर्च आइये भोजन करें मधुर संगति के लिये एकत्रित हों;
यह एक जेवनार होगी मिलकर भोजन करने बैठेंगे!

मधुर संगति जिसमें आप के मित्र यहां होंगे;
हम मेज पर बैठेंगें, और हमारे मन प्रफुल्लित होंगे।
यीशु हमारे संग हैं, इसलिये ऐसा कहें,
रात के भोज के लिये घर आइये और चलें रोटी तोडिये!
चर्च आइये भोजन करें मधुर संगति के लिये एकत्रित हों;
यह एक जेवनार होगी मिलकर भोजन करने बैठेंगे!

बडे शहर के लोग इतनी परवाह नहीं करते;
उनके पास देने के लिये भी थोडा है और प्रेम की भी घटी है।
किंतु यीशु के पास आइये और आप जान जायेंगे,
मेज पर भोजन और संगति को बांटा जाता है!
चर्च आइये भोजन करें मधुर संगति के लिये एकत्रित हों;
यह एक जेवनार होगी मिलकर भोजन करने बैठेंगे!

यीशु के पास घर आइये, मेज लगी है;
रात के भोज के लिये घर आइये और आप की भूख मिटेगी।
आप के मित्र राह देख रहे हैं, इसलिये ऐसा कहें,
रात के भोज के लिये घर आइये और रोटी तोडिये!
चर्च आइये भोजन करें मधुर संगति के लिये एकत्रित हों;
यह एक जेवनार होगी जब हम मिलकर भोजन करने बैठेंगे!
   (''घर आइये भोजन के लिये'' द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
      ''आँन दि विंग्स आँफ डव की धुन पर'')

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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा बाइबल पाठ पढा गया: प्रेरितों केकाम२:४१−४७
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''वे बंधन आशीषित हैं जो बांधते हैं'' (जॉन फॉसेट, १७४०−१८१७)


रूपरेखा

स्थानीय चर्च का महत्व

THE IMPORTANCE OF THE LOCAL CHURCH

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था'' (प्रेरितों के काम २:४७)

(प्रेरितोंके काम ८:१;इफिसियों ५:२३;प्रेरितों के काम १६:३१)

१. पहला, चर्च आने से आप के अकेलेपन को चंगाई मिलेगीं,
उत्पत्ति २:१८; लूका १४:२३

२. दूसरा, चर्च आने से उद्वार प्राप्त नहीं होगा, यूहन्ना ३:७;
मत्ती ११:२८; रोमियों १०:१०; प्रेरितों के काम १६:३१

३. तीसरा, चर्च आने से आप सुसमाचार प्रचार को सुनेंगे,
रोमियों १०:१४; प्रेरितों के काम २:४१; १ कुरूंथियों १:२३; २:२