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यीशु मसीह स्वयं

JESUS CHRIST HIMSELF
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, १२ अप्रैल, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, April 12, 2015


आज का दिन मेरे और मेरी पत्नी के लिये बड़ा महान दिन है। हम दोनों के जन्मदिन आज मनाये गये है। आज १२ अप्रैल का दिन मेरा ७४ वां जन्मदिन है। आज का दिन १९५८ में प्रारंभ की गई सेवकाई की ६७ वीं वर्षगांठ भी है। पर इससे भी बढ़कर यह हमारे चर्च के लिये महान दिन है। बिल्कुल चालीस साल पहले मैंने चार पांच लोगों को लेकर मेरे घर में चर्च प्रारंभ किया था, मेरा घर जो विशाल यूसीएलए, महान पश्चिमी लॉस ऐंजीलिस की यूनिवर्सिटी से कुछ ब्लाक्स छोड़कर, वेस्टवुड व विलशायर के मुख्य मार्ग के कोने पर बसा है। उनमें से केवल दो लोग बचे हैं श्रीमान जॉन कुक एवं मैं स्वयं। परम प्रधान के अनुग्रह से दोनों ही आज सुबह यहां मौजूद हैं − चालीस साल बाद भी। हम यीशु मसीह की प्रशंसा करते हैं!

इस चर्च ने चालीस साल की परीक्षायें झेली। जैसे इजरायल की संतानों ने चालीस साल निर्जन में काटे वैसे ही यह चर्च भी इन चालीस सालों में अनेक मुश्किलों, संघर्षों और दुखों को उठाता हुआ अपनी यात्रा पूरी करता रहा। मैं आज की रात इस विषय पर अघिक चर्चा करूंगा। पर आज हमारे लिये गर्व की बात है, कि लॉस ऐंजीलिस के व्यापरिक क्षेत्र में एक सुसमाचार प्रचार करने वाला चर्च हैं। और हम यह भी जानते हैं कि, इन सब परेशानियों में भी परम पिता हमारे साथ बना रहा, हमें एक बड़ी विजय प्रदान की और आज हम अपने चर्च की चालीसवीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं! हम यीशु मसीह की प्रशंसा करते हैं!

पिछली रात पास्टर रोजर हॉफ ने प्रार्थना सभा में प्रचार किया था। वह आज रात भी इस वर्षगांठ के अवसर पर बोलेंगे। पर आज सुबह पास्टर हॉफ से जब मैंने से प्रचार करने को कहा तो उन्होंने इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, “डॉ हिमर्स मैं चाहता हूं कि आज रविवार की सुबह आप प्रचार करो।” तब मैंने अपने संदेश के विषय में प्रार्थना की, और मुझे अगुवाई मिली कि, मैं एक अन्य बैपटिस्ट चर्च में २०१० में बोला गया संदेश प्रचार करूं। निवेदन करता हूं कि मेरे साथ इफिसियो का, अध्याय दो खोल लीजिये। यह स्कोफील्ड बाईबल की पेज संख्या १२५१ पर मिलता है। निवेदन है कि अपने स्थानों पर खड़े हो जाइये जब मैं इफिसियो २:१९‚२० से पढ़ता हूं।

“इसलिये तुम अब विदेशी और मुसाफिर नहीं रहे, परन्तु पवित्र लोगों के संगी स्वदेशी और परमेश्वर के घराने के हो गए। और प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिसके कोने का पत्थर मसीह यीशु आप ही है, बनाए गए हो।” (इफिसियो २:१९‚२०)

अब अपने स्थान पर बैठ जाइये।

इन पदों में प्रेरित पौलुस बताते हैं कि चर्च परम पिता का निवास स्थान है। तब वह बताते हैं कि चर्च प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नेव पर जिसके “कोने का मुख्य पत्थर” मसीह यीशु आप ही है बनाया जाता है। डॉ मैगी इसका अर्थ इस प्रकार समझाते हैं कि‚ “यीशु मसीह वह चटटान है जिस पर चर्च खड़ा किया जाता है” (थ्रू दि बाईबल, संस्करण ५, थॉमस नेल्सन, पेज २४१; इफिसियो २:२० पर व्याख्या) डॉ टी राबर्टसन ने कहा “एक्राआनिओईस़़............ प्राथमिक नींव का पत्थर है” (वर्ड पिक्चर्स, ब्राडमैन १९३१, इफिसियो २:२० पर व्याख्या) हमारे सब कार्यो एवं समस्त जीवनों की नींव, प्रभु यीशु मसीह है “स्वयं यीशु मसीह” हमारे चर्च की नींव है। मैं आज सुबह इस पद में से इन शब्दों को उठा रहा हूं।

“स्वयं यीशु मसीह” (इफिसियो २:२०)

स्वयं यीशु मसीह आज इस संदेश के विषय है। मसीहियों के विश्वास में यीशु से बढ़कर अदभुत और कुछ नहीं है। यीशु मसीह के समान न कोई था और न होगा। वह मानवीय इतिहास में पूर्णत: अनूठे व्यक्तित्व हुये। वह स्वयं परमेश्वर है। वह स्वर्ग से उतर कर आये कि मनुष्यों के मध्य निवास करें। उन्होंने हमारे पापों के लिये स्वयं दुख उठाया, रक्त बहाया एवं मारे गये। हमें धर्मी ठहराने के लिये वह मरे हुओं में से जीवित हुये। उसके पश्चात वह स्वर्ग में परम पिता के पास उनके दाहिने हाथ विराजमान हैं और हमारे लिये पिता से निवेदन करते है। वह अपना राज्य इस संसार पर एक हजार साल तक स्थापित करने के लिये दुबारा आयेंगे। वह स्वयं यीशु मसीह होंगे! निवेदन है कि खड़े होकर गीत गायें!

केवल यीशु, मुझे देखने दे,
   केवल यीशु, उसके अलावा कोई नही बचाता,
तब मेरा यह गीत सदैव रहेगा −
   यीशु! केवल यीशु!
(“केवल यीशु, मुझे देखने दे” डॉ ओसवाल्डजे स्मित,१८८९−१९८६)

अब अपने स्थान पर बैठ जाइये।

यीशु मसीह का विषय इतना गहरा‚ और विशाल है‚ और इतना महत्वपूर्ण है कि इतना हम एक संदेश में समाहित नहीं कर सकते। इसलिये हम स्वयं यीशु मसीह के उपर कुछ ही बिंदुओं पर चर्चा करेंगे।

१. प्रथम, यीशु मसीह मनुष्यों द्वारा तिरस्कृत बहिष्कृत है।

सुसमाचारिय भविष्यदर्शी यशायाह ने इसे स्पष्ट करते हुये कहा था‚

“वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दुखी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना” (यशायाह ५३:३)

डॉ टॉरी ने कहा था कि, “प्रभु यीशु में विश्वास रखने में असफल (होना) न केवल दुर्भाग्य है बल्कि एक पाप है, एक घोर पाप एक भयावह पाप एक घातक पाप” (आर ए डी डी हाउ टू वर्क फॉर क्राईस्ट, एच रैवल कंपनी, एन डी, पेज ४३१) भविष्यदर्शी यशायाह ने यीशु मसीह का मनुष्यों द्वारा तिरस्कृत व बहिष्कृत करना प्रगट किया है, और ऐसा व्यवहार खोये हुये मनुष्यों की आंतरिक भ्रष्टता को प्रगट करता है जिसके कारण वे अपना मुंह छिपाते हैं। मनुष्यों की पूर्ण भ्रष्टता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि वे यीशु मसीह स्वयं के बारे में बहुत कम सोचते हैं। सबसे बड़ा प्रमाण उनके द्वारा अनंत नरक में दंड भोगना तय है कि उन्होंने जानबूझकर और आदतन अपना चेहरा प्रभु से छिपाया।

अपरिवर्तित दशा में मनुष्य यीशु मसीह स्वयं का इंकार करते हैं। मनुष्य अपनी पूर्ण भ्रष्ट अवस्था में, यीशु मसीह स्वयं को सम्मान नहीं देते। जब तक कि तुम्हारा विवेक छेदा न जाये, जब तक कि तुम्हारे मन पाप से व्यथित न हो जाये, या तुम्हारे मन परमेश्वर की ओर से निर्जीव न हो जाये तब तक तुम निरंतर यीशु मसीह स्वयं का तिरस्कार व बहिष्कार करते रहोगे।

प्रति रविवार संदेश के बाद, हम पूछताछ कक्ष में यही सब देखते हैं। लोग हमें कई चीजें बताते हैं। वे हमें बाईबल के पद बताते हैं। वे कुछ इन या उन बातों के “महसूस” होने की बात कहते हैं। वे बताते हैं कि उनको कैसा महसूस हुआ और उन्होंने क्या किया इस बारे में बताते हैं। तब वे अंत में कहते हैं कि “मैं यीशु के पास आया।” बस इतना ही! यीशु के बारे में तो वे एक शब्द भी नहीं बोल सकें! यीशु मसीह स्वयं के विषय में बोलने को उनके पास कुछ नहीं था! तो कैसे संभव है कि वे बचाये जाते?

महान स्र्पजन ने कहा था कि, “मनुष्यों में एक निकम्मी प्रवृत्ति है कि वे सुसमाचार में से यीशु को अलग कर देते हैं” (सी एच स्र्पजन, अराउंड दि विकेट गेट, पिल्गिम पब्लिकेशन पुर्नमुद्रण २४)

उद्वार की योजना को जानना आपको नहीं बचा सकता! बाईबल से अधिकाधिक सीखना आपको नहीं बचा सकता! अधिकाधिक संदेश सुनना आपको नहीं बचा सकता! अपने पापों के लिये दुखी होना आपको नहीं बचा सकता! इसने यहूदा को नहीं बचाया, क्या बचाया? आपका जीवन समर्पण करना आपको नहीं बचा सकता! आपके आंसू आपको नहीं बचा सकते! कोई चीज आपकी सहायता नहीं कर सकती जब तक कि आप यीशु स्वयं का तिरस्कार और बहिष्कार करना बंद नहीं करेंगे − जब तक कि आप उससे मुंह छिपाना नहीं छोड़ेगे − यीशु मसीह स्वयं के पास खींचे चले नही आयेंगे! इसे फिर से गाइये!

केवल यीशु, मुझे देखने दे,
   केवल यीशु, उसके अलावा कोई नही बचाता,
तब मेरा यह गीत सदैव रहेगा −
   यीशु! केवल यीशु!

अब अपने स्थान पर बैठ जाइये।

२. दूसरा, यीशु मसीह स्वयं संपूर्ण बाईबल का मुख्य विषय है।

क्या आपको यह बताना अतार्किक है कि यीशु मसीह स्वयं आपकी सोच का मुख्य विषय होना चाहिये? नही, यह अतार्किक नही है। इस बारे में क्यो सोचे, यीशु मसीह स्वयं संपूर्ण बाईबल का मुख्य विषय हैं − उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक! जब यीशु मसीह मरे हुओं में से जी उठे तब वे इम्माउस के रास्ते मे जाने वाले दो चेलों को मिले। उन्होंने उनको जो कहा वह आज भी लागू होता है।

“तब उस ने उन से कहा; हे निर्बुद्धियों, और भविष्यद्वक्ताओं की सब बातों पर विश्वास करने में मन्दमतियों! क्या अवश्य न था, कि मसीह ये दुख उठाकर अपनी महिमा में प्रवेश करे? तब उस ने मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्र शास्त्रों में से, अपने विषय में की बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया।” (लूका २४:२५−२७)

मूसा की पांच पुस्तको से लेकर, शेष बाईबल तक में से यीशु ने उन्हें, “समस्त धर्मशास्त्र में यीशु स्वयं के बारे में कही गई सारी बातें समझा दी।” इससे अधिक साधारण बात और क्या हो सकती है? संपूर्ण बाईबल का मुख्य विषय स्वयं प्रभु यीशु मसीह है! क्या यह विचारपूर्ण नहीं हैं कि हमारे जीवन और हमारे विचारों का मुख्य केंद्र बिंदु हम प्रभु यीशु मसीह स्वयं को बनाये? मैं आज सुबह आपसे आग्रह करता हूं कि प्रभु यीशु मसीह स्वयं के बारे में गहराई से सोचे! इसे गाइये!

केवल यीशु, मुझे देखने दे,
   केवल यीशु, उसके अलावा कोई नही बचाता,
तब मेरा यह गीत सदैव रहेगा −
   यीशु! केवल यीशु!

मैं मानता हूं कि एक सच्चे परिवर्तन में, प्रभु यीशु स्वयं को मानना आपके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना हो सकती है। अगर आप स्वयं प्रभु यीशु पर सच्चा विश्वास रखें तो आपको बहुत ही कम सलाह की जरूरत पड़ेगी। मैं मानता हूं कि अगर लोगों को प्रभु यीशु का सच्चा ज्ञान प्राप्त हो जाये तो ९० प्रतिशत लोगों को सलाह की जरूरत ही नहीं पड़ेगी! जब एक व्यक्ति मसीह को जानता है, तो एक सच्चे परिवर्तन में, वह मसीह के बारे में यह जानता है कि,

“...हमारे लिये (वह) ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा” (कुरूंथियों १:३०)

अगर हम अपने चर्चेस में “निर्णयवाद” से छुटकारा पा जायें, अगर हम यह तय कर लें कि लोग वास्तव में सच्चे रूप में यीशु को ग्रहण करने वाले हो गये हैं तो हमारे चर्चेस में ९० प्रतिशत सलाह देने की जरूरत ही नही पड़ेगी! तो चलिये स्वयं प्रभु यीशु को ही अपना सलाहकार बनायें! इसे गाइये!

केवल यीशु, मुझे देखने दे,
   केवल यीशु, उसके अलावा कोई नही बचाता,
तब मेरा यह गीत सदैव रहेगा −
   यीशु! केवल यीशु!

३. तीसरा, यीशु ही मूलसत्व है, केंद्रीय तत्व है और सुसमाचार का मुख्य आधार है।

सुसमाचारिय भविष्यदर्शी यशायाह ने स्वयं प्रभु यीशु को सुसमाचार का हृदय है,

“वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दुखी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना” (यशायाह ५३:३)

“प्रभु ने हमारे अधर्मो का बोझ उस पर लाद दिया” हमारे स्थान पर स्थानापन्न व क्षतिपूर्ति भरने वाली मौत मरा इस तरह परमेश्वर के क्रोध का सामना करते हुये हमारे पापों की कीमत हमारे स्थान पर मर कर चुकाई − यही सुसमाचार का मुख्य भाव है! प्रभु यीशु ने स्वयं गेतसेमनी बगीचे में हमारे पाप अपने उपर लिये। वह स्वयं प्रभु यीशु थे, जिन्होंने यह कहा,

“मेरा मन बहुत उदास है, यहां तक कि मैं मरने पर हूं” (मरकुस१४:३४)

वह स्वयं प्रभु यीशु थे जिन्होंने,

“और वह अत्यन्त संकट में व्याकुल होकर........ पसीना........ मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था।” (लूका २२:४४)

वह स्वयं यीशु थे जो गेतसेमनी बगीचे में पकड़वाए गये थे। वह स्वयं यीशु थे जो सनहेंदिन के सामने घसीटे गये, उनके चेहरे पर थप्पड़ मारे गये, मखौल उडाया गया, झूठा ठहराया गया। वह स्वयं यीशु थे जिनके चेहरे पर थूका गया! वह स्वयं यीशु थे जिनकी दाढ़ी से बाल नोंचे गये। वह स्वयं यीशु थे जिनको पोंतियुस पीलातुस के सामने ले जाया गया, उनकी पीठ पर रोमन सिपाहियों द्वारा कोड़े मारे गये, सिर पर कांटो का ताज पहनाया गया, रक्त बहकर उनके माथे और पवित्र चेहरे को डूबो रहा था, उनका रक्तरंजित चेहरा पहचाना नही जा सकता था,

“उसका रूप..........बिगड़ा हुआ था कि मनुष्यों का सा न जान पड़ता था और उसकी सुन्दरता भी आदमियों की सी न रह गई थी” (यशायाह ५२:१४)

“कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।” (यशायाह ५३:५)

वह स्वयं यीशु मसीह हैं जो पीलातुस के दरबार में ले जाये गये, अपना क्रूस घसीटकर दंड देने वाली जगह तक लेकर गये। जो शापित क्रूस पर लटकाये गये। वह स्वयं यीशु मसीह थे जो शापित क्रूस पर लटकाये गये। वह स्वयं यीशु मसीह थे जिन्होंने न केवल अपने हाथ और पैरों में कीलों के ठोके जाने का दर्द सहन किया − लेकिन इससे भी बढ़कर उस दर्द को सहन किया जब परमेश्वर ने, “हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया” (यशायाह ५३:६)। स्वयं यीशु मसीह ने, “वह आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया” (१पतरस २:२४)। डॉ वाटस ने कहा,

देख उसके सिर, और हाथ, व पैर के घाव,
   कैसा दुख और कैसा प्यार:
क्या ऐसा दुख और प्यार देखा कहीं,
   वो कांटे जो बनाते महिमामयी मुकुट?
(“वह अदभुत कूस जो देखता मैं” द्वारा आयजक वाटस, डी डी,१६७४−१७४८)

निवेदन है खड़े होकर इसे गाइये! अब हमारी कोरस गाइये!

केवल यीशु, मुझे देखने दे,
   केवल यीशु, उसके अलावा कोई नही बचाता,
तब मेरा यह गीत सदैव रहेगा −
   यीशु! केवल यीशु!

अब अपने स्थान पर बैठ जाइये।

४. चौथा, केवल यीशु मसीह स्वयं अनंत परम सुख के जनक है।

उन्होंने यीशु के शव को क्रूस पर से उतारा और एक मुहरबंद कब्र में रख दिया। परंतु, मरने के बाद तीसरे दिवस वह जीवित हो गये! फिर वह चेलों को दिखाई दिये और उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले।” (यूहन्ना २०:१९)

“और यह कहकर उस ने अपना हाथ और अपना पंजर उन को दिखाए: तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए। ” (यूहन्ना २०: २०)

“तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए।” (यूहन्ना २०: २०) स्वयं यीशु मसीह ने उन्हे वह आनंद प्रदान किया “जब उन्होंने प्रभु को देखा” आप कभी भी उस गहरी शांति को नहीं जान पाओगे, और प्रभु के उस आनंद को नहीं जान पाओगे, अगर स्वयं प्रभु यीशु को जब तक आप नहीं जानोगे!

सच में − मैं आज सुबह आपको बता सकता हूं कि − मुझे वह एक एक क्षण याद है जब मैंने यीशु पर भरोसा किया था! वह कितना पवित्र अनुभव था! मैं यीशु के पास तेजी से गया! या, ऐसा लगता है कि पह मेरे पास लपक कर आया! मैं उसके बेशकीमती रक्त से मेरे सारे पापों से धोकर साफ किया गया! मैं परम पिता परमेश्वर के बेटे द्वारा जीवित किया गया! उस कोरस को गाइये!

केवल यीशु, मुझे देखने दे,
   केवल यीशु, उसके अलावा कोई नही बचाता,
तब मेरा यह गीत सदैव रहेगा −
   यीशु! केवल यीशु!

अब अपने स्थान पर बैठ जाइये।

यीशु मसीह के पास आइये! मसीहा को अपने जीवन से बाहर मत रहने दीजिये। उन्हें अपनी गवाही से बाहर मत कीजिए। उस के अधीन मत हो जाइये जिसे स्र्पजन यूं कहता है, “एक निकम्मी प्रवृत्ति है..........कि वे सुसमाचार में से यीशु को अलग कर देते हैं” नहीं! नहीं! यीशु के पास अभी आ जाइये। ध्यान से उन शब्दों को सुनिये जिन्हें मैं गाता हूं।

जैसा मै हूं, बिन योग्यता,
   पर करके आसरा लहू का,
और सुनकर तेरा नेवता,
   मसीह मैं आता हूं! मैं आता हूं!
(“जैसा मै हूं” शार्लेट इलियट १७८९−१८७१)

यीशु क्रूस पर आपके पापों का मोल चुकाने के लिये मरे। आपको आपके सारे पापों से शुद् करने के लिये उन्होंने अपना पवित्र रक्त बहाया। इसलिये यीशु के पास आइये। उन पर विश्वास लाइये और वह आपको आपके सारे पापों से मुक्ति देंगे। आमीन।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे ने बाइबल पाठ पढ़ा: यशायाह ५३:१−६
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
“जब सुबह का आकाश प्रदीप्त होता है '' (जर्मन से अनुवाद एडवर्ड कॉसवाल १८१४ – १८७८)


रूपरेखा

यीशु मसीह स्वयं

JESUS CHRIST HIMSELF

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

यीशु मसीह स्वयं (इफिसियो २:२०)

१. प्रथम, यीशु मसीह मनुष्यों द्वारा तिरस्कृत बहिष्कृत है,
यशायाह ५३:३

२. दूसरा, यीशु मसीह स्वयं संपूर्ण बाईबल का मुख्य विषय है,
लूका २४:२५−२७; १कुरूंथियों १:३०

३. तीसरा, यीशु ही मूलसत्व है, केंद्रीय तत्व है और सुसमाचार का मुख्य आधार है, यशायाह ५३:६; मरकुस १४:३४; लूका २२:४४;
यशायाह ५२:१४ ५३:५; १पतरस २:२४

४. चौथा, केवल यीशु मसीह स्वयं अनंत परम सुख के जनक है,
यूहन्ना २०:१९, २०