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अकेलेपन का अनुभव!

THE EXPERIENCE OF LONELINESS!
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, १७अगस्त २०१४, को लॉस एंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, August 17, 2014

''मैं ने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता है। मेरे लिये शरण कहीं नहीं रही, न मुझ को कोई पूछता है'' (भजन १४२:४)


शाउल राजा ने पाप किया था और परमेश्वर द्वारा अस्वीकार किया गया। तब भविष्यवक्ता शमुएल ने एक जवान युवक दाउद को नये राजा के पद के लिये अभिषिक्त किया। शाउल दाउद से इतनी जलन रखने लगा कि उसके अंदर दुष्ट आत्मा समा गया। अपने पागलपन की सनक में, राजा शाउल ने दाउद के उपर भाला फेंका, किंतु निशाना चूक गया। दाउद को जान बचाकर भागना पडा। दाउद एक निर्जन स्थान में जाकर एक गुफा में छुप गया। वह बहुत डरा हुआ था, भूखा था और बिल्कुल अकेला पड गया था। ध्यान दीजिये जो प्रेरणादायक शब्द उसने कहे थे, ''भजन १४२,'' ''दाउद की मास्चिल (या शिक्षा); एक दुआ जो उसने गुफा में मांगी थी।'' ये शब्द इस प्रेरणादायक पद में मिलते हैं, ये बाद में नहीं जोड़े गये हैं। हम समझ सकते हैं कि दाउद कितनी उलझन में फंस गया था। वह बेहद भयभीत, और अकेला पड़ गया था − दुष्टात्मा से ग्रसित राजा से डर कर गुफा में छुपा हुआ था। तब दाउद बोल उठा,

''कोई मुझे नहीं देखता है'' (भजन १४२:४)

किसी ने भी दाउद की चिंता नहीं की। वह बिल्कुल अकेला था। किंतु परमेश्वर उसके संग था, जैसे आज कितने ही जवानों के साथ परमेश्वर बना रहता है।

मैं किश्चयन कॉलेज नहीं गया। मैंने एल ए के कैल प्रांत से स्नातक शिक्षा पाई। मैं खुश हूं कि मैंने एक धर्मनिरपेक्ष कॉलेज में पढ़ाई की। इससे मैं यह जान गया था कि जवान युवक युवतियों को क्या पढ़ाया जाता था, और वे क्या विचारधारा रखते हैं। मैंने आधुनिक साहित्य पढ़ा है। अधिकतम आधुनिक लेखक नास्तिक और अस्तित्ववादी थे। वे आधुनिक संसार के अलगाववाद और जीवन के अकेलेपन के उपर ही लिखते थे।

एच जी वेल्स ने दि टाईम मशीन और दि आउट लाईट आँफ हिस्ट्री नामक उपन्यास लिखे। उनकी स्वीकारोक्ति थी कि, ''मैं पैंसठ वर्षीय बूढा आदमी हूं, और मैं अकेला हं मुझे कभी शांति नहीं मिली।'' दि पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त उपन्यासकार अर्नेस्ट हेंमिग्वे ने कहा था, ''मैं निर्वात में वास करता हूं और इतना अकेला हूं जैसे एक रेडियो टयूब जिसकी बैटरी खत्म हो चुकी होती है और कोई तार उससे न जुडा हो।'' अपने नाटक, लांग डेज जर्नी इनटू नाईट में, यूजीन ओ नील ने कहा था, ''जीवन का मतलब केवल मृत्यु है।'' उस नाटक का मुख्य भाव मनुष्य के अस्तित्व में अकेलेपन को उभारना था। जे डी सेल्निजर ने हमारी सभ्यता के जवान लोगों के अकेलेपन कोलेकर छोटी कहानियां और उपन्यास लिखे और इसी से जीविका बनाई।

एच डी वेल्स एक अकेले, उम्मीद रहित बूढे व्यक्ति का जीवन जीकर मृत्यु को प्राप्त हुये। अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने अपने सिर में गोली दाग कर आत्म हत्या कर ली। ओ− नील के नाटक की मुख्य पात्र एक हताश स्त्री थी, जो अपने अकेलेपन से निपटने के लिये नशीली दवा का सहारा लेती थी। जे डी सेलिनजर जवान लोगों के अकेलेपन का वर्णन करने के इतने आदी हो चुके थे कि वह स्वयं एकांत के पर्याय बन गये, और लगभग पचास सालों तक सन्यासी का जीवन बिताया।

आज भी अकेलापन जवान लोगों के लिये समस्या बनी हुई है। ग्रीन डे का गीत ''बूलवर्ड आँफ ब्राकन ड्रीम्स'' जो स्कूल और कॉलेज जाने वाले बच्चों की उम्र का भाव प्रगट करता है जो सोचते हैं, ''मैं अकेला चलता हूं। मैं अकेला चलता हूं।'' हां, मुझे मेरे जवानी के दिन याद आ रहे हैं जब मैं ऐसा ही महसूस करता था। आप भीड में भी अकेलापन महसूस कर सकते हैं। एक वेबसाइट का संदेश था ''अकेलापन हमारे खोखलेपन या भीतर के खालीपन की भावना को प्रगट करता है। आप स्वयं को अलग थलग महसूस करते हैं या दुनियां से कटकर रहते हैं; तो ऐसे लोगों को वेबसाइट (http://www.counseling.ufl.edu/cwc/how-to-deal-withloneliness.aspx) पर संपर्क करना चाहिये।'' ऐसा ही तो दाउद महसूस कर रहा था, जब वह गुफा में छुपा हुआ, था तब उसने कहा,

''कोई मुझे नहीं देखता है'' (भजन १४२:४)

आज भी कई लोग दाउद के समान महसूस करते हैं। इसलिये आज सुबह मैं आपको तीन विचार देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि आप अपने अकेलेपन से लड़ सकें।

१. प्रथम, अकेलापन विविध प्रकार का होता हैं।

वेबसाइट कहती है,

अकेलापन विविध रूप में पाया जाता है और विविध स्तर तक पाया जाता है। आपको अकेलेपन का भाव ऐसा प्रतीत होगा जैसे यह कोई अच्छी चीज नहीं है, इसमें थोडा सा खालीपन छुपा हुआ है। या आप अकेलेपन को बहुत गहरे दर्द और अलगाव के रूप में महसूस कर सकते हैं। एक प्रकार का अकेलापन तब पैदा होता है जब आपका कोई अपना मर जाता है या कोई आप से बहुत दूर चला जाता है। अन्य प्रकार का अकेलापन जो पनपता है वह अपने समान लोगों की संगति से दूर हो जाने पर पनपता है, जो आपके साथ तब (होता है) जब आप रात की पाली में काम करते हो या किसी ऐसी जगह रह रहे हों जहां लोग कम जाते हैं। आपको अकेलापन तब भी महसूस होता है जब आप भावुक होकर (अकेला) महसूस कर रहे हों। आप लोगों से तो घिरे हुये हैं लेकिन उन तक अपनी बात पहुंचाने में नाकामयाब रहे हों (उक्त संदर्भित)।

कई मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के उपरांत यह पाया गया कि, विशेषकर कॉलेज विद्यार्थी अकेलेपन के शिकार होते हैं। कॉलेज का कैंपस स्थायी रिश्ते नहीं देता है। जवान लोग जो कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ रहे होते हैं उनकी सोच होती है कि पूरा संसार उनके पास से गुजर रहा है, लेकिन उन्हें समझने वाला या उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। वे किसके पास जायें।

कितनी हास्यास्प्रद सभ्यता है कि आज इस जमाने ने आँटोमोबाईल्स, हवाई जहाज, टेलीविजन, अंतरिक्ष यात्रा सब कुछ उपलब्ध करवाया है ये मनुष्य को अकेलेपन से बचाने के लिये भी हैं! आपके माता पिता काम से थके मांदे आते हैं और टी वी के सामने बैठ जाते हैं। आपसे बात करने का, और आपकी बात सुनने का उनके पास वक्त नहीं है।

एक लड़की ने कहा, ''मैं बिल्कुल अकेली पड़ गई हूं। मेरे पडोसी भी मुझसे बात नहीं करते।'' एक जवान लड़के ने कहा, ''मैं कभी भी मित्र नहीं बना पाया, क्योंकि वे मित्र जल्द ही मुझे छोड़ जाते हैं'' क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ? दाउद को ऐसा तब महसूस हुआ था जब वह गुफा में छुपा हुआ था। उसने लिखा था,

''कोई मुझे नहीं देखता है'' (भजन १४२:४)

मेरा मानना है आत्महत्या के कई कारणों में से एक प्रमुख कारण अकेलापन भी है। क्या आप जानते हैं कि १५ से २४ वर्ष के बीच जो जवान लोग आत्म हत्या कर लेते हैं उसके पीछे बडा कारण उनका अकेलापन ही रहता है? अमेरिका में हर दो घंटे छ मिनिट, दिन और रात, में एक जवान लड़का आत्महत्या कर लेता है। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि अकेलेपन के कारण उन्होंने आत्मघात कर लिया। परमेश्वर ने बडी सच बात कही,

''आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं।'' (उत्पत्ति २:१८)

२. दूसरे स्थान पर, आप अपने अकेलेपन के खुद उत्तरदायी हो सकते हैं।

यह सही बात है, आप अकेलेपन को बढाने के लिये सब से अधिक उत्तरदायी हो सकते हैं। अकेलेपन वाली वेबसाईट ने सही कहा था,

अकेलापन एक निष्क्रय अवस्था है। क्योंकि, यह हमारी निष्क्रय सोच से बढती है। क्योंकि हम हमारी दशा को ऐसे ही चलते रहने देना चाहते हैं और इसे बदलने के लिये कुछ नहीं करते। हम सोचते हैं कि यह, अपने आप, मिट जायेगा (किंतु) हम कोई प्रयास नहीं करते और इसे अपने आप को घेरने देते हैं। अजीब बात है, कभी कभी तो हमें इस भावना को गले लगाना भी अच्छा लगता है। फिर भी, अकेलेपन को गले लगाना और इससे जुडी भावनाओं में गहरे डूब जाना आपके अंदर अवसाद और असहायपन को जन्म देता है, जो और अधिक निष्क्रय अवस्था में व्यक्ति को पटक देता है (और अधिक हताशा) पैदा करता है निसंदेह अकेलेपन की चरम सीमा (उक्त संदर्भित)

''अकेलापन निष्क्रय अवस्था है। यह इसलिये आती है, क्योंकि हम इसे आने देते हैं।'' यह बिल्कुल सही है। इसका यह अर्थ हुआ कि आप अकेलेपन की अवस्था को लगातार महसूस कर सकते हैं अगर आप इसे बदलने के लिये कोई प्रयास नहीं करते है!

कुछ समय पहले मैंने उत्पत्ति ३२:२४ से याकूब के अकेलेपन के बारे में संदेश प्रचार किया था। संदेश के बीच में ही एक जवान लडका तेजी से उठा और चर्च से बाहर चला गया। उसने संदेश सुनना पसंद ही नहीं किया क्योंकि उस समय मैं प्रचार कर रहा था कि आपकी अकेलेपन की समस्या से चर्च आपको बचा सकता है। भागने से अकेलेपन की समस्या दूर नहीं होगी! कैन ने यही पता किया। परमेश्वर ने उससे कहा,

''और तू पृथ्वी पर बहेतू और भगोड़ा होगा।'' (उत्पत्ति ४:१२)

जो लोग चर्च से दूर भागते हैं वे भटकने वाले, अकेले जवान, कहलाते हैं जैसे कैन! बाईबल कहती है,

''उन पर हाय! कि वे कैन की सी चाल चले'' (यहूदा ११)

पूरे जीवन भर अकेले भटकना बहुत भयानक बात है, जैसे कैन ने किया था − वैसे ही आजकल कई जवान लोग करते हैं!

इसलिये हम कहते हैं, ''अकेले क्यों रहना? घर आइये − चर्च आइये! हम क्यों खोये या भटके हुये रहें? घर आइये − यीशु के पास, परमेश्वर के पुत्र, यीशु के पास आइये!'' परमेश्वर ने कहा,

''आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं।'' (उत्पत्ति २:१८)

इसीलिये तो परमेश्वर ने आदम को हवा नामक पत्नी दी। दि स्कोफील्ड स्टडी बाईबल आदम की पत्नी को चर्च के रूप में चित्रित करता है। उत्पत्ति २:२३ की व्याख्या इस प्रकार लिखी है,

हवा, चर्च का एक प्रकार है जो मसीह की दुल्हन कहलाता है (उत्पत्ति २:२३ पर व्याख्या)

इसका अर्थ यह है कि आदम की पत्नी एक उदाहरण है, चित्र है, स्थानीय ''प्रकार'' के चर्च की तस्वीर है। परमेश्वर ने कहा,

''आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा (सहायक उपयुक्त) सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए।'' (उत्पत्ति २:१८)

इसीलिये तो परमेश्वर ने आदम को एक साथी व सहायक दिया। आदम की पत्नी एक उदाहरण है, चित्र है, स्थानीय ''प्रकार'' के चर्च की तस्वीर है। परमेश्वर ने आदम के लिये हवा को इसलिये बनाया कि उसका अकेलापन दूर हो, और परमेश्वर ने चर्च को इसलिये ठहराया है कि आपका अकेलापन दूर हो! यहां हमारा चर्च आपको अकेलेपन से चंगाई देगा!

''आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उससे मेल खाए।'' (उत्पत्ति २:१८)

परमेश्वर ने इस चर्च को आपका ''मददगार'' ठहराया है जो अकेलेपन से छुटकारा देगा! यहां हम आपको अकेलेपन से उबरने में सहायता करेंगे! मैं जानता हूं कई चर्चेस आप की मदद नहीं कर सकते हैं किंतु मैं उन चर्चेस की बात नहीं कर रहा हूं। मैं इस चर्च की बात कर रहा हूं। यह जवानों का ध्यान रखने वाला चर्च है। हम यहां आपकी मदद करने बैठे हैं!

चर्च से अलग रहकर अपने अकेलेपन को और मत बढाइये! अगले रविवार पुन: वापस आइये! शनिवार की रात को वापस आइये! आज की रात वापस आइये अगर आ सकते हैं! तो हर हफते दो तीन शाम को हम जवानों के लिये कुछ न कुछ करते हैं। अकेले क्यों रहना? चर्च आइये!

३. किंतु तीसरी बात, आप को भयंकर अकेलापन है।

इसी अकेलेपन के बारे में हेमिंग्वे ने कुछ इस तरह से बोला था,

मैं निर्वात में इस तरह वास करता हूं जैसे एक रेडियो टयूब बन गया हूं जिसकी बैटरी बंद पडी हो और किसी तार से जुडा भी नहीं है।

हमारा एक जवान हेमिंग्वे की कहानी पढ रहा था जो उसके पाठयक्रम में थी। इसका शीर्षक था, ''ए क्लीन, वेल लाईटेड प्लेस।'' यह मनुष्य के अस्तित्व के अकेलेपन के बारे में है। हेमिंग्वे इस भावना से भली भांति परिचित था। वह वास्तव में परमेश्वर के बगैर सूने पडे संसार में व्याप्त, अकेलेपन से जूझ रहा था । वह परमेश्वर के बगैर सूने पडे संसार से कभी उबर नहीं पाया। कुछ सालों पश्चात उसने स्वयं को मार डाला। दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे ने कहा था, ''परमेश्वर मरा हुआ है।'' फ्रेडरिक आस्तिक बन गया था। कुछ सालों बाद वह पागल हो गया। वह बिना परमेश्वर वाले संसार में रह ही नहीं सका, क्योंकि उस संसार में न तो क्षमा थी न कोई उम्मीद।

आपको मालूम होना चाहिये, कि चर्च आने से, और प्रति सप्ताह आने से, आपको मित्र मिलेंगे एवं आपका अकेलापन दूर होगा। किंतु परमेश्वर के बिना जो आपका एकांकीपन है वह कौन दूर करेगा? इक्कीसवीं सदी की बड़ी त्रासदियों में से एक त्रासदी यह है कि कई जवान लड़के परमेश्वर को नहीं जानते। और बिना परमेश्वर के जिंदगी बिना उम्मीद के हो जाती है!

हां, मैं चाहता हूं कि आप फिर से चर्च आने लगें और अपने मित्र बनाये − किंतु मैं यह भी चाहता हूं कि आप परमेश्वर को ढूंढ लें। अगस्टीन ने कहा था, ''हमारे मन तब तक बेचैन रहते हैं जब तक उन्हे परमेश्वर में विश्राम न मिल जाये।'' फ्रांस के दार्शनिक ब्लैज पास्कल ने कहा कि हमारे मनों में ''परमेश्वर के लिये खालीपन'' रहता है। अर्थात हर मनुष्य के मन में एक खाली जगह रहती है जिसे परमेश्वर से भरा जाना आवश्यक है।

बाईबल बताती है कि पाप के कारण हम परमेश्वर से अलग हो गये। बाईबल कहती है,

''परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेश्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापों के कारण उस का मुँह तुम से ऐसा छिपा है कि वह नहीं सुनता........'' (यशायाह ५९:२)

पाप आपके और परमेश्वर के मध्य दूरी पैदा करता है। आदम और हवा को पाप करने के कारण अदन के बगीचे से बाहर निकाल दिया गया। उनके पाप ने उन्हें परमेश्वर से दूर कर दिया।

बाईबल शिक्षा देती है कि परमेश्वर आपसे आपके पापों के कारण नाराज होता है। और, उसी समय, वह आपसे प्रेम भी करता है। वह अगर पाप के कारण आप पर नाराज होता है तो उसी समय वह आपसे प्रेम भी रखता है। इसीलिये उसने हमारे लिये यीशु मसीह को क्रूस पर मरने भेजा। यीशु ने इसलिये अपने प्राण दिये ताकि हमारा मेल मिलाप परमेश्वर से हो जाये। परमेश्वर हमारे पापों को नजर अंदाज नहीं कर सकता। उसने हल भी ढूंढा और पापों का दंड भरने के लिये क्रूस पर यीशु को मरने भेजा ''जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो'' (रोमियों ३:२६)। एक नाराज परमेश्वर केवल मसीह के क्रूस पर प्राण देने से ही संतुष्ट हो सकता था!

यह कोई दुर्घटना मात्र नहीं था कि यीशु की मौत कूस पर हुई। वह इच्छा से कूस पर चढ़ा। बाईबल कहती है जब कूसीक्रत होने का समय आया, ''जब उसके ऊपर उठाए जाने के दिन पूरे होने पर थे, तो उस ने यरूशलेम को जाने का विचार दृढ़ किया'' (लूका ९:५१)। तब यीशु ने अपने चेलो से कहा,

''कि देखो, हम यरूशलेम को जाते हैं; और मनुष्य का पुत्र महायाजकों और शास्त्रियों के हाथ पकड़वाया जाएगा और वे उस को घात के योग्य ठहराएंगे। और उस को अन्यजातियों के हाथ सोंपेंगे, कि वे उसे ठट्ठों में उड़ाएं, और कोड़े मारें, और क्रूस पर चढ़ाएं, और वह तीसरे दिन जिलाया जाएगा.... '' (मत्ती २०:१८−१९)

वह वहां एक उददेश्य से गया था, ताकि क्रूस पर प्राण दे, ताकि हमारे पाप क्षमा किये जायें − और वहां बहाये अपने लहू के दवारा पापों को शुद्ध करे!

पहरेदार आये और गेतसेमनी बाग के अंधेरे में उसे गिरफतार करके ले गये। उन्होंने उसे जंजीरों में बांध कर रखा, उसके चेहरे पर थप्पड मारे, उन्होंने उसकी दाढी नोची, उसे घसीटकर, पोंतियुस पिलातुस के पास ले गये। वे उसे तब तक पीटते रहे जब तक वह अधमरा न हो गया। उसके बाद उन्होंने उसके उपर क्रूस लाद दिया और उसे गलियों में से घसीटकर ले गये। उन्होंने उसके हाथ और पैरों में कीलें ठोंक दी और क्रूस पर लटका दिया। यीशु ने उनकी ओर निगाहें उठाकर क्रूस से देखा और कहा,

''हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं'' (लूका २३:३४)

''उन्हें क्षमा कर!'' इस तरह उसने दुआ की
   उसके प्राण निकल रहे थे लहू तेजी से बह रहा था;
इस भयानक कष्ट में भी उसने पापियों के लिये दुआ की −
   कोई नहीं केवल यीशु प्यार कर सकता था।
वह आशीषित मसीहा! बहुमूल्य छुडाने हारा!
   अब मैं उसे कलवरी क्रूस पर देखता हूं;
घायल और रक्त रंजित, जिसमें पापी अपील करते हैं−
   अंधा और कष्ट सहता हुआ − जो मेरे लिये मर रहा है!
(''आशीषित मसीहा''अवीस बर्ज किश्चयनसन, १८९५−१९८५)

यीशु क्रूस पर मरा, हमारे पाप उसने अपने शरीर में झेल लिये (१पतरस २:२४) । दोपहर हो गई और अंधेरा छा गया। जब वह मरा, एक बडा भुईडोल हुआ जिससे जमीन कांप गई। मंदिर का मोटा परदा दो भागों में विभक्त हो गया। मसीह की क्रूस पर हुई मौत ने हमारे पापों का दंड भर दिया। उसके बहाये रक्त से हमारे पापों से शुद्धि संभव हुई!

''सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है'' (इब्रानियों१०:१९)

आपके पाप शुद्ध परमेश्वरके पुत्र यीशु मसीह के लहू से शुद्ध होने के उपरांत ही आप परमेश्वर के समीप आ सकते हैं। परमेश्वर से मिलन तभी संभव है जब आपके पाप मसीह के लहू से शुद्ध हो जाते हैं।

अगर आप इस चर्च में आने लगते हो, तो आप में से कुछ लोगों के माता पिता यह कह सकते हैं कि आप अपना समय व्यर्थ गंवा रहे हैं। मैं आपको बता सकता हूं कि आप कैसे अध्ययन करें और हर आराधना में मैं आपको अच्छे नंबर लाना सिखा सकता हूं। मैं आपको पढाई में और अच्छा प्रदर्शन करना सिखा सकता हूं। किंतु कुछ माता पिता कहेंगे कि घर पर ही रूको और अधिक पढाई करो, ताकि जब तुम स्नातक हो जाओगे तो अच्छा पैसा कमा सकोगे।

बेचारे रॉबिन विलियम्स का क्या हुआ, जो प्रसिद्ध अमेरिकन हंसोड था? आप से ज्यादा पैसा उसने कमाया! उसके पास क्या कुछ नहीं था। किंतु उसके पास चर्च नहीं था। उसके पास परमेश्वर नहीं था। जब उसने स्वयं को खत्म कर लिया तो दो तीन दिन बाद ही उसकी पत्नी ने रहस्योदघाटन किया कि उसे पार्किंगसन बीमारी हो गई थी। वह इस बीमारी का सामना नहीं कर सका। उत्तरी केलीफोर्निया, के मरीन काउंटी के पॉश इलाके में वह अपने बडे से घर में निपट अकेला हो गया था। उसने फांसी का फंदा बना अपने गले में डाल कर जीवन लीला समाप्त कर ली। कितनी त्रासदायक घटना है यह! मैं रॉबिन विलियम्स को प्यार करता था! मुझे उसके लिये इतना दुख लगा कि मैं रो पडा।

अपने माता पिता को जाकर यह बताइये! आप पैसा तो अवश्य बना सकते हैं, किंतु तब क्या होगा जब कभी न कभी, आपके घर में कोई दुखद समाचार पहुंचता है? आपका क्या होगा अगर आपके पास अपने मसीही मित्र नहीं हैं? आपका क्या हाल होगा अगर परेशानी के वक्त में खुदा का हाथ आपके उपर न बना हो?

ईश्वर आपकी सहायता करे ताकि आप अपने जीवन में चर्च की जरूरत महसूस कर सको, मसीही मित्रों की जरूरत महसूस कर सको, आपको यीशु मसीह की जरूरत है जो आपके पापों को क्षमा करेगा और परमेश्वर से आपको फिर से संबंध कायम हो सकेगा। इसीलिये तो हम कहते हैं − ''अकेले क्यों रहना? अपने घर आइये − चर्च आइये! क्यों भटक जाना? घर चलिये − यीशु के पास, परमेश्वर के पुत्र के पास!'' आप सभी को परमेश्वर आशीष दे! आमीन। डॉ. चान, निवेदन है हम सब के लिये प्रार्थना कीजिये।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया मि.ऐबेल प्रुद्योमें द्वारा: भजन १४२:१−७
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''बूलवर्ड आँफ ब्राकन ड्रीम्स'' (ग्रीन डे, २००४)
''इट इज नो सीकेट'' (स्टुअर्ट हैंमब्लेन, १९०८−१९८९)


रूपरेखा

अकेलेपन का अनुभव!

द्वारा डॉ. आर.एल.हिमर्स

''मैं ने दाहिनी ओर देखा, परन्तु कोई मुझे नहीं देखता है। मेरे लिये
शरण कहीं नहीं रही, न मुझ को कोई पूछता है'' (भजन १४२:४)

१. प्रथम, अकेलापन विविध प्रकार का होता हैं, उत्पत्ति२:१८

२. दूसरे स्थान पर, आप अपने अकेलेपन के खुद उत्तरदायी हो सकते हैं,
उत्पत्ति४:१२; यहूदा११; उत्पत्ति२:१८

३. किंतु तीसरी बात, आप को भयंकर अकेलापन है, यशायाह५९:२;
रोमियों३:२६; लूका९:५१; मत्ती २०:१८−१९; लूका२३:३४;
१ पतरस२:२४; इब्रानियों१०:१९