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प्रभु यीशु में साधारण विश्वास रखना

(यशायाह ५३ पर संदेश संख्या १५)
SIMPLE FAITH IN JESUS
(SERMON #15 ON ISAIAH 53)
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, २१जुलाई, २०१३को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, July 21, 2013

''और लोग उस से मुख फेर लेते थे।'' (यशायाह ५३:३)


''हमने उससे अपना मुख फेर लिया था।'' एक आधुनिक व्याख्याकार ने कहा था कि ये शब्द इजरायल के ''उपेक्षित व्यवहार के लिये कहे गये हैं जिसने क्रूसित मसीह के साथ ऐसा सलूक किया और परमेश्वर के पुत्र के प्रति अपना आदर सम्मान व्यक्त किया।'' उसने इस पद में दर्शाये गये व्यवहार के लिये केवल मसीह के समय के यहूदी लोगों को उत्तरदायी ठहराया। किंतु मुझे मूडी का लिखा यह कथन बहुत पसंद है, ''बाईबल इन व्याख्याओं पर भी बहुत प्रकार डालती है।'' नहीं, यह पद मसीह की केवल इजरायल द्वारा ''उपेक्षा'' किये जाने के संदर्भ में नहीं सोच सकता। इस पद के प्रारंभ से ही यह स्पष्ट कर दिया गया है। यह लिखा है, ''वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था।'' न केवल यहूदियों का त्यागा हुआ, किंतु सभी ''मनुष्यों'' द्वारा त्यागा हुआ था! ''मनुष्यों का त्यागा हुआ'' - यह केवल यहूदियों के लिये नहीं लिखा गया है। ''बाईबल इन व्याख्याओं पर बहुत प्रकाश डालती है।''

लूथर ने ''धर्मशास्त्र की समानांतर बातों'' के उपर बोला है। इस महान सुधारक का कहना था कि हमें धर्मशास्त्र की धर्मशास्त्र से तुलना करनी चाहिये, ताकि यह पता चल सके कि बाईबल के अन्य हिस्सों में परमेश्वर ने इस विषय पर क्या कहा है। यशायाह ४९:७ में हम पढते हैं,

''इस्राएल का छुड़ाने वाला और उसका पवित्र अर्थात यहावो यों कहता है, जो मनुष्यों से तुच्छ जाना जाता.....'' (यशायाह ४९:७)

इसलिये, यहां भी, हमें पढने को मिलता है कि यीशु को ''मनुष्यों'' ने त्यागा हुआ जाना, जो ''एकमात्र पवित्र जन'' था। नये नियम में स्वयं प्रभु यीशु बोले,

''यदि संसार तुम से बैर रखता है, तो तुम जानते हो, कि उस ने तुम से पहिले मुझ से भी बैर रखा।'' (यूहन्ना १५:१८)

इन पदों से मालूम पडता है कि इस संसार के भटके हुये लोग मसीह से बहुत कटुता रखते थे और या तो नफरत करते थे, या उससे अपना मुख फेर लेते थे और उसके बारे में सोचते भी नहीं थे।

''और लोग उस से मुख फेर लेते थे।'' (यशायाह५३:३)

लोग यीशु की ओर से कई मायनों में मुख फेर लेते थे। यहां उनमें से तीन इस प्रकार है।

१. प्रथम, यहां ऐसे लोग हैं जो मसीह का पूर्ण बहिष्कार करते हुये मुख फेर लेते हैं।

मैं पास्टर वर्मब्रांड की पुस्तक, टार्चर फॉर क्राईस्ट पढ रहा हूं। मैं हर साल इस पुस्तक को पढता हूं। पास्टर वर्मब्रांड ने उन प्रताडनाओं का वर्णन किया है जो उन्हें मसीह से नफरत करने वाले कम्यूनिस्टों से मिली। उन्होंने कहा,

     मुझ पर लगातार बर्बरता से अत्याचार करना उन्होंने जारी रखा। जब मैं बेहोश हो जाता या इतना शिथिल हो जाता कि उनके अत्याचारों के बाद भी उनके अनुसार कुछ स्वीकारता नहीं, तो वे मुझे वापस अपनी कोठरी में भेज देते। जहां मैं अधमरा, बिना देखभाल के, जमीन पर गिरा रहता ताकि फिर मुझमें अगर थोडी ताकत आये तो वे मुझे फिर से ले जा सके। कई इस अवस्था में आकर दम तोड देते थे.....कई सालों तक, कई जेलों में रखकर, उन्होंने मेरी पीठ की रीढ की हडडी की चार हडिडयां तोड डाली, अन्य दूसरी हडिडयां भी तोडी। उन्होंने मुझे कई स्थानों पर गोद दिया। उन्होंने मेरे शरीर को कई जगह से जलाया और उसमें अठारह छेद किये.....
     हमें एक दिन में सत्रह घंटे बैठना होता था − कई सप्ताह तक, महिनों, सालों तक − सुनना पडता था

     कम्यूनिज्म अच्छा है!
     कम्यूनिज्म अच्छा है!
     कम्यूनिज्म अच्छा है!
     मसीहत मूर्खता है!
     मसीहत मूर्खता है!
     मसीहत मूर्खता है!
     इसे त्याग दो!
     इसे त्याग दो!
     इसे त्याग दो!

(रिचर्ड वर्मब्रांड, टी एच डी, टॉर्चर फॉर क्राईस्ट, लिविंग सेक्रीफाईज बुक्स, १९९८, संस्करण, पेज ३८, ३९)

यह व्यक्ति ने कुछ बढा चढा कर नहीं कहा है। मैं उसे अच्छी तरह से जानता हूं।

कम्यूनिस्टों और दूसरे समाजवादियों ने मसीह के प्रति बहुत नफरत रखी। आज भी समाजवादी अमेरिका के अंदर यीशु और उसके अनुयायियों के उपर प्रहार करते रहते हैं − वाईट हाउस से लेकर स्कूल हाउस तक। मनुष्य ने उंचे पदों पर आसीन होकर उनका मुख मसीहा की ओर से फेर लिया और उसका पूर्ण बहिष्कार कर दिया। जो मसीह को छोटा बनाते और उसके अनुयायियों को भी तुच्छ समझते हैं वे इस पद में वर्णित लोगों के समान हैं,

''और लोग उस से मुख फेर लेते थे।'' ( यशायाह५३:३)

२. दूसरा, ऐसे भी लोग हैं जो मसीह से भिन्न होने के कारण अपना मुख फेर लेते हैं।

निश्चत आज सुबह आप में से कुछ लोग इस तरह के होंगे! आप भले ही किसी मसीही जन को चोट पहुंचाने की नहीं सोचते होंगे, या ऐसा नहीं चिल्लाते होंगे कि ''मसीहत मूर्खता है।’’ जब मैंने आपको पास्टर वर्मब्रांड पर बीती यातनाओ की कहानी सुनाई तो आप के रोंगटे खडे हो गये होंगे। आप कह उठेंगे, ''मैं तो कभी ऐसा करने की सोच भी नहीं सकता!'' मैं बिल्कुल मानता हूं कि आप उन जानवरों के तुल्य कम्यूनिस्टों के व्यवहार करने जैसी कोई तकलीफ कभी इस्तेमान भी नहीं कर सकते। किंतु फिर भी......! फिर भी.....! किंतु तौभी इस पद में वर्णित लोगों में आपका भी नाम आता है जब आप प्रभु यीशु के प्रति अपना ठंडा रवैया रखते हैं।

''और लोग उस से मुख फेर लेते थे।'' (यशायाह५३:३)

आप केवल चर्च आते हैं और यहा बैठ जाते हैं। जब मैं आपको यीशु के बारे में बताता हूं तो आपकी आंखों में कोई चमक नहीं दिखाई देती। आपमें से कुछ तो आंखे बंद कर लेते हैं। आपमें से कितने तो अपने दिल भी बंद कर लेते हैं। कितना ठंडा रवैया है, आपका कि आप प्रभु यीशु से मुख फेर लेते हैं।

क्या आप जानते हैं कि एक प्रचारक भी ऐसा कर सकता है? जब मैं उत्तरी सेन फ्रांसिस्कों की सदर्न बैपटिस्ट सेमनरी में था, वहां टॉम फ्रेडरिक नाम का एक छात्र था। वह मेरा मित्र बन गया था। टॉम एक प्रचारक था। किंतु एक सुबह उसके संदेश ने मेरे मन को छेद दिया! वह इतना अधिक रोने लगा कि वह और अधिक प्रचार ही नहीं कर पाया। वह पुलपिट पर से उतर आया और आँल्टर पर झुक गया। वहां उसने मसीह के प्रति अपने प्रेम की कमी के लिये प्रायश्चित किया। तब, उसने स्तब्ध रह गई भीड के सामने, मसीह से अपने मुख फेरने की गलती करना बंद कर दिया। उसने मसीह पर विश्वास किया, और वास्तविक मसीही बन गया। वह एक बहुत दयालू पादरी बन गया। वह अन्य मित्रों को लेकर प्रत्येक गुरूवार की शाम को मेरे कमरे में प्रार्थना के लिये आने लगा। उसने मेरा बहुत साथ दिया जब बाईबल पर प्रहार करने वाले प्राध्यापकों का मैंने विरोध किया। जब सेमनरी के अध्यक्ष का हमने दरवाजे पर सामना किया तब भी वह मेरे साथ गया। उसने सदैव मेरा सहयोग किया भले ही लोग उसे ''हिमर्स का दीवाना'' कहकर चिढाने लगे। वह भटके हुये दक्षिणी बैपटिस्ट प्रचारक के स्थान पर, एक सच्चा प्रचारक बन गया। जब उसने ट्रेनिंग के दौरान ही यीशु से मुख फेरना छोड दिया तब ही उसका नया जन्म हो गया।

अभी कुछ समय पहले ही टॉम मर गया। मैंने उसकी पत्नी को कुछ पैसा भेज दिया था। मेरे पास उसके प्रति सदभावना दिखाने का यही एक तरीका था जो उसने वर्ष १९७० के प्रारंभ में गोल्डन गेट बैपटिस्ट थियोलॉजीकल सेमिनरी की लडाई में मेरा साथ दिया ताकि मैं बाईबल के समर्थन की लडाई जीत सकूं। और मैं परमेश्वर का बहुत धन्यवादी हूं कि उन्होंने टॉम का मन यीशु के लिये खोला, जब वह एक रविवार की सुबह ट्रेनिंग के दौरान प्रचार कर रहा था।

किसी ने कहा था, ''डॉ हिमर्स! क्या आप नहीं चाहते कि मैं टॉम फ्रेडरिक के समान नया जन्म पाउं, क्या आप चाहते हैं?'' परमेश्वर मेरी सहायता करे! मैं तो स्वर्गदूतों की उपस्थति में सदैव आनंद बनाउंगा अगर आपमें से कुछ लोग टॉम के समान उसके आधे भी हो जायें! आप में से कुछ जवान लोग जो हर हफते आ आकर बिना कोई मतलब रखे, प्रसुप्त दशा में, यीशु से कोई लेना देना ही न हो ऐसे बैठे रहते हैं − मैं परमेश्वर से मांगता हूं कि आप टॉम का थोडा सा भी अंश हो जाये! सोचिये जरा!

अब सोच कर देखिये − अगर आप १९७१ या १९७२ में गोल्डन गेट सेमनरी में होते? कि आप दूसरे चर्च से होते और मैं आपका पास्टर नहीं होता? अब सोच कर देखिये! क्या आपने मेरा साथ दिया होता जब बाईबल पर प्रहार करने वाले प्राफेसर्स का मैं विरोध करता? अब सोच कर देखिये! क्या आपने मेरा साथ दिया होता? या आप ऐसे ही ''ठंडे'' रवैये के लोग बने रहते और विवाद से परे रहते? सोच कर देखिये!

अब, अगर आप अपने प्रति जरा से भी ईमानदार है, तो आप को यह मानना होगा कि आप यीशु से मुख फेरते हैं। उसके प्रति आपका रवैया ठंडा है। आप तो अपनी डिग्री लेकर यहां से निकलना चाहते हैं ताकि आप पर ''हिमर्स के दीवाने,'' होने का ठप्पा न लगे? आप एकाएक मसीह के लिये परिवर्तित नहीं हो सकते, और मसीह के लिये अति उत्साही नहीं बन सकते, क्या आप बनेंगे?सोच कर देखिये! मैं तो यह मानता हूं कि आप जो पूछताछ कमरे में से आगे पीछे होते रहते हैं तो आप तो मेरे साथ उस उदारवादी सेमनरी में कतई साथ नहीं होते। आप ऐसे ही ठंडे रवैये के लोग बने रहते जैसे आप आज हैं! आप की गिनती उन्हीं लोगों में होती जिनके लिये कहा गया था,

''और लोग उस से मुख फेर लेते थे।'' (यशायाह५३:३)

३. तीसरा, ऐसे भी लोग हैं जो मसीह की उपेक्षा करने के द्वारा उससे मुख फेर लेते हैं।

आपने लंबे समय तक यीशु से मुख फेरे रखा। आपको परवाह नहीं है कि मैं यीशु का प्रचार करूं या न करूं। अगर मैं राजनीति पर प्रचार करूंगा तो आप कुर्सी पर आगे झुककर एक एक शब्द सुनेंगे। जिस दिन मैं बाईबल से भविष्यवाणी का प्रचार करता हूं आप मेरे संदेश पर पूरा ध्यान देंगे। कुछ सप्ताह पहले जब मैंने स्वर्ग पर बोला था तो आपने पूरी तन्मयता से, ध्यान दे देकर सुना था, क्योंकि यह आपके लिये एक नया विषय था। किंतु जब मैं फिर से सुसमाचार सुनाने लगा, तो आपकी आंखों की चमक गायब हो गई। आपने यीशु में रूचि ही खो दी! बोलिये क्या ऐसा नहीं हुआ? बोलिये आपने ऐसा किया या नहीं?

आप युवा लोग कॉलेज की पढाई में खूब समय और उर्जा खर्च करते हैं। आप घंटो तक अध्ययन करते हैं और अंत में अपनी कक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। आप जल्दी उठते हैं और पढते हैं आप देर तक जागते हैं और पढते हैं। मैं खुश हूं कि आप अपनी कार्य कुशलता में पक्का होना चाहते हैं ताकि आप का भविष्य अच्छा हो। मैं स्कूल में आपके द्वारा खूब मेहनत करने के लिये बधाई देता हूं। किंतु आप कभी बाईबल अध्ययन के लिये एक घंटे से भी ज्यादा नहीं रूके, या संदेश पढने के लिये, जो आपको प्रति रविवार छपे हुये पन्ने आपके हाथ में सौंपे जाते हैं। आप मसीह के बारे में पढने के लिये कभी जल्दी उठने की सोची भी नहीं होगी, जो आपकी पापी आत्मा को बचाने के लिये मरा। इस दुनियां में मसीह को छोडकर आप सब पा लेना चाहते हो अच्छा पैसा, मंहगा सामान और हर वह बाजार की चीज जो प्रतिदिन दुनिया में नई उतरती हैं, किंतु जो आपके लिये स्वर्ग में परमेश्वर से बिनती करता है वह आपके लिये इतना महत्व नहीं रखता।

यहां तक कि, चर्च में भी जब मैं संदेश देता हूं यीशु के बारे में बताता हूं, तो आपको दिमाग भटकने लगता है आप और दूसरी बातों में मन लगाने लगते हैं। जब आप पूछताछ कक्ष में आते हैं तब भी आप अपनी बात ज्यादा करते हैं, यीशु की बात करते हुये मैंने आपको नहीं पाया। आप अपनी हांकते हैं, यीशु के लिये कुछ नहीं कहते हैं। मैं देखता हूं कि आप अपने सिद्धांत और बाईबल के पदों को लेकर आते हैं, किंतु कभी आपके मुख से मैंने यीशु नाम व्यक्ति की बातें नहीं सुनी! वह आपके विचारों में ही नहीं है। ज्यादातर वक्त आप केवल यह बताते हो कि आपको कैसा महसूस होता है − या नहीं होता! आप ऐसी किसी भावना से आश्वस्त होना चाहते हैं, किंतु मसीहा की बात तौभी नहीं करते; जबकि वही एकमात्र जन है जो आपका उद्धार पाना सुनिश्चत करता है! आपमें से कुछ तो कहेंगे, ''मेरा तो दिल टूटा हुआ नहीं है।'' मैं आपको कहता हूं, ''टूटे हुए दिल को मत देखो, यीशु की ओर देखो!'' किंतु जब मैं यीशु का नाम लेता हूं तो आपकी आंखों में पानी आ जाता है, आप सोचते हैं, ''मुझे कोई सहारा देने वाला चाहिये। आप भावुकतावश बचाये जाने को महसूस करते हैं!'' मैं कहता हूं, ''देखिये, आपको केवल यीशु चाहिये।'' किंतु जैसे ही मैं यीशु का नाम लेता हूं आप उसमें रूचि खो देते हैं। मैं कहता हूं, ''यीशु की ओर ताकिये, क्योंकि क्रूस पर उसका रक्त आपके लिये बहा।'' किंतु आप घूम फिर कर अपने आप और अपनी समस्या पर केंदित हो जाते हैं। आप स्वयं को राहत देने वाली भावना को तलाश रहे हैं! आप अपना ध्यान स्वयं से हटाकर यीशु की तरफ करना ही नहीं चाहते! मैं भविष्यवक्ता के कथन को यहां लिख रहा हूं, ''जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो'' (यशायाह ५५:६) आप मसीह को ढूंढने के स्थान पर आपको आराम देने वाली किसी भावना को अपने अंदर महसूस करना चाहते हैं, मसीह जो आपको प्यार करता है, आपके अंदर उसके लिये स्थान नहीं है!

''और लोग उस से मुख फेर लेते थे।'' (यशायाह५३:३)

मैं आपसे निवेदन करता हूं मसीह से मुख मत फेरिये। जिस क्षण यीशु की ओर मुडेंगे, आपको बचा लेगा। आपको शायद वैसा ''महसूस'' न हो कि आप बचा लिये गये हैं। जिस दिन मुझे यीशु ने बचाया था, मुझे ऐसा ''लगा'' ही नहीं कि मैं बचाया गया। कितने महिनों तक मैं समझ ही नहीं पाया कि मैं बचा लिया गया हूं। बस जो मैं जानता हूं कि मैंने यीशु को पाया! मैं पहले भी यीशु पर विश्वास करता था, किंतु उस दिन − मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं − यीशु वहां था! यह बहुत ही पुरानी आस्था लगती है, किंतु यह बहुत साधारण सी, बहुत ही पुरानी बात है − किंतु यीशु से मेरी मुलाकात हो गई!

पास्टर वर्मब्रांड ने कम्यूनिस्टों द्वारा कई मसीहियों को यातना देते हुये देखा है जब वह प्रचार करने के लिये जेल में बंद थे। उन्होंने कई कैदियों को यीशु पर भरोसा रखते हुये देखा, और यहां तक कि गार्डस ने भी, यीशु पर विश्वास किया। पास्टर वर्मब्रांड ने कहा था,

एक बार एक व्यक्ति विश्वास करने के स्तर स्तर तक पहुंच जाता है ...भले ही वह बहुत पुरानी सी आस्था लगे − किंतु यह आस्था बढने लगती है। हम निश्चत जानते हैं कि यह जीतेगी क्योंकि हमने भूमिगत चर्च के रूप में इसे बार बार जीतते देखा है। मसीह कम्यूनिस्टों को और ''विश्वास के शत्रुओं'' से भी प्रेम रखता है। उन्हे भी मसीह के लिये जीता जा सकता है और जीता जाना आवश्यक है। (वर्मब्रांड, उक्त संदर्भित, पेज ११५)

वह चोर जो यीशु के बाजू क्रूस पर लटका था यह जमीन छोडने के कुछ मिनटों पूर्व ही बचाया गया था। वह तो कुछ भी नहीं जानता था। उसका विश्वास तो बहुत ''पुराना'' था, अगर हम पास्टर वर्मब्रांड के शब्द का प्रयोग करें। किंतु वह उसी क्षण बचाया गया जब उसके दिल ने यीशु पर विश्वास किया। और प्यारे मसीहा ने उससे कहा, ''तू आज ही मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा'' (लूका २३:४३) ऐसा लगता है आज सुबह कोई तो होगा जो यीशु पर उसी ईमानदारी से विश्वास करे जैसा उस चोर ने किया था। यह बहुत ही ''प्राचीन'' विश्वास दिखता है, किंतु अगर आपका जरा सा भी भरोसा यीशु पर हो, आप अपने पर से ध्यान हटा लें, केवल यह माने कि यीशु ही मेरे लिये अंतिम हल है, बिना किसी जांच के, यीशु आपको बचा लेगा। बहुत ही सादा, कमजोर सा, ''पुराना सा,'' बच्चों जैसा विश्वास आपको यीशु में होना चाहिये − एक इंसान को बस इतना ही करना है। आप अपनी तरफ भी मत देखो कि, आप क्या हो आपका कोई व्यक्तित्व है। ऐसी किसी भावना को मत खोजो। केवल यीशु की ओर देखो और उस पर निर्भर हो जाओ। उसके साथ उलझो मत। प्रश्न मत करो। विश्लेषण मत करो। केवल यीशु पर विश्वास करो और उसे वैसा ही बने रहने दो। बाकि का सारा काम यीशु करेगा। यहां तक कि जब आप सोते भी रहेंगे, यह विश्वास का बीज जो यीशु के उपर आपके मन में बैठ गया है बढने लगेगा। किंतु स्वयं यीशु पर विश्वास लाना होगा − भले ही यह सादा सा दिखे, हल्की बात लगे, इसमें कोई भव्यता, शान ओ शौकत न दिखे। केवल इतना सा विश्वास यीशु पर करना है। आपको उस तक पहुंचना है, और वहीं पर स्वयं को छोड देना है, अपनी भावनायें संतुष्ट हुयी की नहीं यह नहीं सोचना है। यीशु पर छोड दीजिये। तब, भले ही आप रात में सोते भी रहेंगे, यह विश्वास का बीज, जैसा पास्टर वर्मब्रांड ने कहा, ''पल्लवित हो बढता रहेगा।'' यीशु पर एक बहुत कमजोर, पुरानी, कांपती हुई आस्था रखना है यही एक इंसान को चाहिये! देखिये मि गिफिथ ने कौनसा गीत गाया था। यह गीत बिना भावुक हुये बस एक सादी सी, कांपती सी आस्था यीशु पर रखने के लिये कहता है!

मेरी आत्मा रात है, मेरा दिल कडा है −
   मैं देख नहीं पाता, मैं महसूस नहीं कर पाता;
कहीं रोशनी, कहां जीवन, मुझे तो जाना होगा
   यीशु पर साधारण सा भरोसा करना होगा।
(''इन जीजस'' द्वारा जेम्स प्राक्टर, १९१३)

अगर आप चाहेंगे तो हम आपके लिये प्रार्थना करेंगे। आप आपको सच्चे मसीही बनने में सहायता करेंगे अपना स्थान छोडकर आँडिटोरियम के पीछे आ जाइये। डॉ कैगन आप को शांत स्थान पर प्रार्थना के लिये ले जायेंगे। आप जाइये जब तक मैं फिर यह गीत गाता हूं।

मेरे हजारो प्रयास विफल हुये
   मेरे भय को मैं दबाता हूं, मेरी आशा को मै उभारता हूं;
किंतु मुझे क्या चाहिये, बाईबल यह बताती है,
   हमेशा ही, केवल यीशु।

मेरी आत्मा रात है, मेरा दिल कडा है −
   मैं देख नहीं पाता, मैं महसूस नहीं कर पाता;
कहीं रोशनी, कहां जीवन, मुझे तो जाना होगा
   यीशु पर साधारण सा भरोसा करना होगा।
(''इन जीजस'' द्वारा जेम्स प्राक्टर, १९१३)

डॉ चान, निवेदन है कि आइये और जिन्होंने अपने मन को खोला है, उनके लिये प्रार्थना कीजिए।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा: लूका २३:३९−४३
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''इन जीजस'' (द्वारा जेम्स प्राक्टर, १९१३)


रूपरेखा

प्रभु यीशु में साधारण विश्वास रखना

(यशायाह ५३ पर संदेश संख्या १५)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''और लोग उस से मुख फेर लेते थे।'' (यशायाह ५३:३)

(यशायाह४९:७; यूहन्ना१५:१८)

१. प्रथम, यहां ऐसे लोग हैं जो मसीह का पूर्ण बहिष्कार करते हुये मुख फेर लेते हैं, यशायाह ५३:३

२. दूसरा, ऐसे भी लोग हैं जो मसीह से भिन्न होने के कारण अपना मुख फेर लेते हैं, यशायाह ५३:३

३. तीसरा, ऐसे भी लोग हैं जो मसीह की उपेक्षा करने के द्वारा उससे मुख फेर लेते हैं, यशायाह ५५:६; ५३:३; लूका २३:४३