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मसीह - सर्वत्र अमूल्यांकन किया हुआ

(यषायाह 53 पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 4)
CHRIST – UNIVERSALLY DEVALUED
(SERMON NUMBER 4 ON ISAIAH 53)
(Hindi)

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में षनिवार षाम,
16 मार्च, 2013 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, March 16, 2013

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था; वह दुःखी पुरूश था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उससे मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया और हम ने उसका मूल्य न जाना'' (यषायाह 53:3)।


डो. एडवर्ड जे. यन्गने कहा,

नास्तिकता जिसका यषायाहं यर्ग वर्णन करते है वह समान नास्तिकता है जो आज हमारे सबके बारे में मिलती है। आदमी (मसीह) के बारे में अच्छी और प्रषंसनीय बाते कहते है। वे उनके विशयक मूल्यो की सराहना करेंगे, उनकी पढ़ाई; जो घोशित करता है कि वह अच्छा आदमी था और महान् भविश्यवक्ता सिर्फ एक ही जिसके पास सामाजिक परेषानीयो पर जवाब थे जो आज संसार का सामना करे। वे नहीं करेंगे, कैसे भी, स्वीकार कर लो कि वे पापी है, सदा रहनेवाले दण्ड के योग्य और, वह की मसीह की मृत्यु निर्धारित बलिदान था, प्रभु के न्याय को संतुश्ट करने बनाया हुआ और असंतुश्ट परमेष्वर को पापी से फिर से मिलाने। आदमी वह प्राप्त नहीं करेंगे जो प्रभु अपने पुत्र के बारे में कहते है। आज भी, सेवक (मसीह) है आदमी से तुच्छ और अस्वीकारा हुआ, और आदमी उनकी प्रषंसा नहीं करते (एडवर्ड जे. यन्ग, पीएच. डी., ध बुक औफ ऐषायाह, यषायाह की किताब, वीलीयम बी. एरडमान्स प्रकाषन कम्पनी, 1972, भाग 3, पृश्ठ. 344)।

लुथरने कहा कि यषायाह का त्रेप्पनवाँ पाठ बाइबल का मन था। मैं सोचता हूँ वह सही थे। अगर आप वह स्वीकार करते हो, फिर हमारा पाठ आपका बहुत बडे महत्व पर ले जाता है। मैं मानता हूँ यह पद एक स्पश्ट और स्वच्छ कथन है आदमी के जाति की पूरी दुश्टता के बारे जो बाइबल में दिया गया है। ‘‘दृश्टता'' से हमारा अर्थ है ‘‘भ्रश्ट्राचार''। ‘‘टोटल'' (पुरे) से हमारा मतलब है ‘‘पुरीतरह''। आदमी पूरी तरह से हमारे पहले मातापिता के पाप के द्वारा भ्रश्ट्र हो गया है। जेसे हेईडलबर्ग करेषीझम (Heidelberg Catechism) इसे रखता है, इंसानी स्वभाव की दृश्टता आती है ‘‘हमारे पहले माता पिता आदम और हव्वा के गिरापट और आज्ञा न मानने के कारण; स्वर्ग में। इस गिरापटने हमारे स्वभाव को इतना जहरीला बना दिया है की हम पापी जन्मे है - विचारो से भ्रश्ट्र'' (ध हेईडलबर्ग करेषीझम प्रष्न सांतवा)। पुरी दृश्टता दिखाई गई है आदमी की प्रभु के प्रति षत्रुता में,

‘‘क्योंकि षरीर पर मन लगाना तो परमेष्वर से बैर (षत्रुता) रखना है'' (रोमियों 8:7)।

वह षत्रुता मसीह तक लंबी की गई है, जो प्रभु के पुत्र है। पुरी दृश्टता स्पश्ट करती है क्यो रोमी सैनिको, जिन्होंने उनको पकड़ा

‘‘उस पर थूका; और वही सरकण्डा लेकर उसके सिर पर मारने लगे'' (मती 27:30)।

पुरी दुश्टता स्पश्ट करती है क्यो रोमी प्रधान पिलातुस

‘‘यीषु को कोड़े लगवाकर (और) सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए'' (मती 27:26)।

पुरी दुश्टता स्पश्ट करती है क्यो लोग उनकी ओर चिल्लाए और उनका अपमान किया जैसे उनको क्रूस पर लटकाया मरने को।

पुरी दुश्टता स्पश्ट करती है क्यो, आज भी,

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्याग हुआ था; वह दुःखी पुरूश था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उससे मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया और हम ने उसका मूल्य न जाना'' (यषायाह 53:3)।

।. पहला, पूरी दुश्टता इंसानीजाति का कारण बनती है मसीह को तुच्छ और अस्वीकार करने।

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्याग..'' (यषायाह 53:3)।

यह वर्णन करता है मसीह का सामान्य अस्वीकार का जो हम इसे आज संसार में देखते है। हम इसे अमरिका के सामायिक जैसे टाइम और न्युझवीक के पृश्ठ पर क्रीसमस और इस्टर पर। यह समचार नियमीत समय पर निकलने वाली पत्रिका (Periodicals) स्थायीरूप में करते है मुख्य कहानी मसीह पर उस समय हर दिसंबर और हर अप्रैल में। परंतु मैं आपको निष्चित कर सकता हूँ वह कभी भी प्रषंसापूर्ण कहानीयाँ नहीं होती है। वे सदा चुनते है पुरानी दिखने वाली यीषु की तस्वीर सामायिक के मुख्य पृश्ठ को अपरिचित और आधुनिक मन को पुराने तरीके का। अवष्य वे वह करते है कारण पर। उनके पास स्थायीरूप से मुख्य कहानी लीखो हुई है सिध्दांतवादी उदारमत के अत्यावष्यक किनारे से आदमीयों द्वारा बनायी है, आदमी जो मसीह का अस्वीकार करते है सिर्फ प्रभु के एकलौते पुत्र के समान, और मुक्ति का सिर्फ एकमात्र जरीया। मैं निष्चित हूँ इस प्रकार की चीजें छपती हैं ब्रीटीष छेप्टी पत्रिका में, और सारे विष्व में सामादिक की तरह। मसीह पर कयी बार खुल्लेआम आक्रमण किए गए है दूरदर्षन और चलचित्रो में भी।

आपके धार्मिक उच्च षाला या महाविद्यालय में, आप जो विद्यार्थी हो वो अच्छी तरह जानते हो कि आपके प्राध्यापक के पास कभी भी अच्छे षब्द नहीं होते यीषु या मसीहीता के बारे में कहने। मसीह और उनका सिखाना निरन्तर हमला किया गया है और घृणा किया गया है आपके प्राध्यापको द्वारा।

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था'' (यषायाह 53:3)।

षाला में आपके सहपाठी, काम पर आपके साथ काम करनेवाले, मसीह का नाम इस्तेमाल करते है षापित षब्द के समान, और उनके बारे में बुरा बोलते है करीबन हररोज।

अगर आप बिन मसीही घर से आते हो, आप भी वहाँ षरणार्थी नहीं खोज सकते! आप अच्छी तरह से जानते हो कि आपके बिन मसीही माता पिता तुच्छ समझते है और अस्वीकार करते है उद्दारक का। आप में से बहुत से जानते है कितना कठिन है यह दृढ़ करना कलंक लगाने वालो और उपहास करते है वे मसीह पर इकट्ठा होते है-और आप पर उनमे विष्वास करने के लिये और गंभीर मसीही बनने बेपटीस्ट कलीसिया में। यह सब बहता है विपरीत, दृश्ट मन इसानी जाति का।

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था'' (यषायाह 53:3)।

॥. दूसरा, पूरी दुश्टता कारण होती है मसीह के षोक और दुःख का।

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था : वह दुःखी पुरूश था, रोग से उसकी जान पहिचान...'' (यषायाह 53:3)।

मसीह के दुःख और क्लेष का कारण क्या है? क्या और षत्रुता और अस्वीकार के अलावा क्या जो खोए संसार को है उनकी ओर!

जब वे भूमि छोड़ रहे थे षास्त्रीयों, फरासियों और प्रधान याजकों उसकी ओर इतने षत्रु (विपरित) थे, और इतनी मजबूती से उनका अस्वीकार किया, कि वे आत्मा की बड़ी पीड़ा में चिल्ला उठें;

‘‘हे यरूषलेम, हे यरूषलेम, तू जो भविश्यवक्ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए उनपर पथराव करता है। कितनी ही बार में ने यह चाहा कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखो के नीचे इकठ्ठा करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकठ्ठा करूँ, पर तुमने यह न चाहा'' (लूका 13:34)।

मसीह षोेक और विलाप में इतने टूट चुके थे, इतने इंसानो पापों के बोझ तले, वहाँ गतसमनी की वाटिका में, वे उनको क्रूस पर चढ़ाते उसकी एक रात पहले,

‘‘उसका पसीना मानो लहू की बड़ी बूँदो के समान भूमि पर गिर रहा था'' (लूका 22:44)।

वहाँ मेरे प्रभु ने सहे मेरे सारे दोश;
   यह अनुग्रह द्वारा मान सकते है;
परंतु भयानक जो उन्होंने महसूस किया
   वह मानने के लिये बहुत ज्यादा है
कोई भी आप में से प्रवेष नहीं कर सकता
   अप्रसन्न, अंधेरा गतसमनी!
कोई भी आप में से प्रवेष नहीं कर सकता
   अप्रसन्न, अंधेरा गतसमनी!
(‘‘गतसमनी'' जोसेफ हार्ट द्वारा 1712-1768;
याजक द्वारा ठीक किया ‘‘आओ तुम)।

मसीह को इस पीड़ा का अनुभव उनके देह और आत्मा में होने का कारण क्या हुआ, अगर आपके पाप नहीं तो? क्या कारण हुआ उनके षोक और विलाप का, अगर आपके दुश्ट स्वभाव की षत्रुता और दुष्मनी नहीं, जिसने उनपर आनेवाले प्रभु के न्याय को पुकारा, उनके लिये यह आवष्यक बनाते हुए आपके पापो को गतसमनी से क्रूस तक उठाने?

षोक का आदमी, कैसा नाम
प्रभु के पुत्र के लिये जो आए
नश्ट पापीयों को पुनःउध्दार करने!
हल्लिलूय्याह! कैसे उध्दारक!

लज्जा और उपहासी कठोरता उठाते हुए
मेरी जगह अपराधी वे खड़े रहे
उनके लहू के साथ मेरी माफी मुहर की
हल्लिलूय्याह! कैसे उध्दारक!
(‘‘हल्लिलूय्याह! कैसे उध्दारक!'' फिलिप पी. ब्लीस द्वारा, 1838-1876)।

और आपके अन्दरूनी स्वभाव में आज क्या है जो यीषु के षोक और विलाप का कारण है, जैसे वे नीचे देखते है स्वर्ग से? वे षोकयुक्त और दुःखी है हकीकत पर की आप, आपस्वयं, उनको तुच्छ और अस्वीकार करते हो। आप षायद कहो आप उनको प्रेम करते हो। परन्तु हकिकत है की आप उनका भरोसा करने का इनकार करते हो दिखाता है कि आप हकीकत में उनको तुच्छ और अस्वीकार करते हो; और क्या संभव कारण है जो आपको उनका भरोसा करने से दूर रखता है? आपका उनका भरोसा करने से इन्कार करना उनके लिये बड़ी पीड़ा और षोक का कारण होता है इस षाम।

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था : वह दुःखी पुरूश था, रोग से उसकी जान पहिचान...'' (यषायाह 53:3)।

॥।. तीसरा, पूरी दुश्टता कारण बनती है मानवजाति को अपना चेहरा मसीह से छिपाने।

पाठ के तीसरे उपवाक्य को देखो,

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्याग हुआ था : वह दुःखी पुरूश था, रोग से उसकी जान पहिचान थी, और लोग उससे मुँख फेर लेते...'' (यषायाह 53:3)।

डो. गीलने कहा, ‘‘और लोग उससे मुँख फेर लेते है''; ऐसा घृणाजनक और घिनौना, जैसा उनकी ओर अति द्वेश हो, और उनका बड़ा द्वेश, जैसे (स्कोनिन्ग) अपमान जनक नजर उनकी ओर, किसी भी चीज (टीप्पणी) अयोग्य होता (जोन गील ‘‘एन एक्सपोझीषन ओफ ध ओल्ड टेस्टमेन्ट, ध बेप्टीस्ट स्टानडार्ड बेरर, 1989 में फिर छपां भाग I, पृपृश्ठ. 311-312)।

उनकी दृश्टता की स्वाभाविक अवस्था में, आदमी अपने मुख मसीह से छिपाते है। वे षायद, जैसे डो. यन्गने कहा, ‘‘उनके बारे में आनन्दित और प्रषंसनीय बाते कहो...(परंतु) वे नहीं करेंगे, कैसे भी, मानलो की वे पापी है, सदारहनेवाले दण्ड के योग्य, और वह कि मसीह की मृत्यु का निर्द्यारित बलिदान परमेष्वर के न्याय और छूटे हुए प्रभु को पापीयों के मिलाने का विचार। उन्हे वह नहीं मिलेगा। जो प्रभु ने अपने पुत्र के संदर्भ में कहा'' (यन्ग, ibid.)।

बिन मसीही धर्म यातो यीषु का पूरी तरह अस्वीकार करते है, या फिर उनका बहिश्कार करते है उस हद तक सिर्फ ही सिर्फ ‘‘भविश्यवक्ता'' या ‘‘षिक्षक''। इस प्रकार, वे सच्चे मसीह का अस्वीकार करते है, जैसे वे बाइबल में प्रगट किए गए है। धार्मिक विष्वासु भी सच्चे मसीह का अस्वीकार करते है। वे अस्वीकार करते है पुराने विचारोवाली मसीहीता और उसे सच्चे मसीह के बदले रखते है, ‘‘दूसरे यीषु, जिसका प्रचार हमने नहीं किया'' (2 कुरिन्थियों 11:4)। यीषु ने यह भविश्सवाणी की जब उन्होने कहा, ‘‘झूठे मसीह उठ खड़े होंगे'' (मती 24:24)। सिर्फ सच्चे मसीह वह है जो पुरानी और नयी नियमावली में प्रकट किए गए है। बाकी सारे मसीह के विचार ‘‘झूठे मसीह'' है या जैसे प्रेरितो पौलुस इसे रखते है, ‘‘दूसरे यीषु, जिसका प्रचार हमने नहीं किया''। मोर्मन्स के (Mormons) पास झूठे मसीह है। यहोवा की गवाही के पास झूठे मसीह है। बहुत से सुसमाचार प्रचारकों के पास भी झूठे ‘‘आत्मीक-मसीह'' है आज, ज्ञान संबंधी मसीह, जैसे डो. मिष्‍ोल हार्टन उनकी किताब क्राइस्टलेस क्रीस्टीयानीटी में स्पश्ट किया है (बेकस बुक्स, 2008)। झूठे मसीह में विष्वास करने के द्वारा वे उनके चेहरे छिपाते है सच्चे मसीह से जो पवित्रषास्त्र में प्रगट किए गए है।

दुःखदरूप से यह कईबार सत्य है सुसमाचार प्रचारक मसीहीयों में। डो. ए. डबल्य टोझर, बड़े आदरणीय सुसमाचार प्रचारक लेखक, ने वह मुदद्‌ा बहुत सरल किया जब उन्होने कहा,

     वहाँ पर बहुत सारे बनावटी (कुत्रिम) मसीह हमारे बीच (सुसमाचार प्रचारक) है इन दिनो। जोन ओवेन, पुराने पुरीटीयनने उनके दिनो के लोगो को चेतावनी दी : ‘‘आपके पास काल्पिनिक मसीह है और अगर आप काल्पिनिक मुक्ति से संतुश्टी होगी''...परंतु वहाँ सिर्फ एक ही सच्चे मसीह है, और प्रभु ने कहा है की वे उनके पुत्र है...उनके बीच वे जो स्वीकार करते हो मसीह की ईष्वरीयता वहाँ कयी बार निश्फलता होती है उनकी मानवता जानने में। हम त्वरित है स्वीकार करने में कि जब वे धरती पर चले थे वे आदमीयों के साथ प्रभु थे, परन्तु हम अनदेखा करते है सच्चाई को भी समान महत्वपूर्णता से, की जहाँ वे अभी बैठते है उनके मध्यस्थ सिहांसन पर (ऊपर स्वर्ग में) वे परमेष्वर के साथ इंसान है। नयी नियमावली की पढ़ाई अब वह है की, इस खास पल के; वहाँ पर स्वर्ग में जैसा आदमी है उपस्थित होते है परमेष्वर की मौजुदगी में हमारे लिये। वो ऐसे निष्चितरूप से जैसे आदमी था आदम की तरह या मूसा या पौलुस। वह आदमी का प्रषंसा करनेवाला है, परन्तु उनका प्रषंसा करना उसे मनुश्यत्व के गुण से रहित न रख सका। आज वह सच्चा आदमी है, मानवजाति की स्पर्धा से।
     मुक्ति ‘‘खत्म हुए काम को स्वीकार करने द्वारा'' या ‘‘मसीह के लिये निर्णय करने'' द्वारा नहीं आती। (मुक्ति) आती है प्रभु यीषु मसीह पर विष्वास करने के द्वारा, पूरे जीवीत, जीतनेवाला परमेष्वर जिन्होने, प्रभु और इंसान, की तरह हमारी लड़ाई लड़ी और इसे जीता, हमारा कर्जा (पाप का) स्चीकार किया और उसे चुकाया, हमारे पाप लिये और उसके अधीन मरे और हमें मुक्त कराने। करने। यह है सच्चे मसीह, और कुछ करेंगे (ए. डबल्यु टोझर, डी.डी. ‘‘यीषु मसीह हमारे परमेष्वर है'' जेम्स फ्रोम टोझर, मसीही प्रकाषन, 1969, लाइट ट्रस्ट की समंति द्वारा, 1979, पृपृश्ठ 24,25)।

इंसानी मनकी स्वाभाविक दुश्टता कारण बनती है बिना बचाये लोगो को उनका चेहरा सच्चे मसीह से छिपाने का

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था'' (यषायाह 53:3)।

IV. चौथा, पूरी दुश्टता मानवजाति को मसीह की महात्मय कम करने का कारण बनती है

हमारे पाठ के अंत में देखो, पद तीन में। चलिये खड़े रहते है और आखरी उपवाक्य जोर से पढ़ते है, ‘‘वह तुच्छ जाना...'' षब्दो से षुरूआत करते है

‘‘वह तुच्छ जाना गया, और हम ने उसका मूल्य न जाना'' (यषायाह 53:3)।

आप बैठ सकते हो। उन षब्दो पर बोलते हुए, ‘‘हमने उसका मूल्य न जाना'', स्पर्जन ‘‘प्रचारकों का राजकुमार'', ने कहा,

यह मानवजाति का विष्व-व्यापी स्वीकार होना ही चाहिए। सबसे ऊँचे सम्राट से सबसे छोट़े (सबसे लघुतम) किसान तक, गर्वपूर्ण बुद्धिमता से सबसे बुरे मन तक, सबसे सराहे हुए आदमीयों से अनजान और महत्वहीन तक, यह एक स्वीकार आना ही चाहिए : ‘‘हमने उसका मूल्य न जाना''...पवित्र से पवित्र संत भी...वे भी एकबार ‘‘उनका मूल्य न जान सके''...एक समय पर ‘‘उसका मूल्य न जाना (वे परिवर्तित हुए उससे पहले)'' (सी. एच. स्पर्जन, ‘‘व्हाय क्राइस्ट इझ नोट एस्टीम्मड,'' ‘‘क्यो मसीह का मूल्य न जाना गया'', ध मेट्रोपोलीटन टबररनेकल पुलपीट, पीलग्रीम प्रकाषन, 1978 में फिर से छंपा हुआ, भाग LIII, पृश्ठ. 157)।

उसी धार्मिक प्रवचन में; जिसका षीर्शक है, ‘‘व्हाय क्राइस्ट इझ नोट एस्टीम्मड'', स्पर्जनने चार कारण दिये क्यो यह खोदा संसार निश्फल होता है मसीह की सराहना करने में, क्यो अपरिवर्तित लोग मसीह का मूल्य नहींं देखते, उनके बारे में ऊँचा नहीं सोचते, क्यो उनका मूल्य नहीं जानते और उनकी पूजा नहीं करते। स्पर्जन ने कहा कि बिना बचाए लोग उनका मूल्य नहीं करते इन चार कारणो के वजह से :

1) आदमी मसीह का मूल्य नहीं करता क्योंकि वे अपनेस्वयं का मूल्य इतना ऊँचा करते है। ‘‘स्व-मूल्य'' उन्होने कहा, ‘‘यीषु को बाहर रखते'' है... और हमारा ज्याद स्व-मूल्य बढता है, ज्यादा दृढ़ता से हम द्वारा (बंद) करते है मसीह के विरूद्ध। स्व का प्रेम उध्दारक के प्रेम को बचाता है।

2) आदमी मसीह का मूल्य नहीं करता क्योंकि वे विष्व का मूल्य बहुत ऊँचा करते है। स्पर्जनने कहा, ‘‘हम उनका मूल्य नहीं करते क्योंकि हमने भूमि और उसकी सारी आज्ञानता से प्रेम करते है''A

3) आदमी मसीह का मूल्य नहीं करता क्योंकि वे उनको जानते नहीं। स्पर्जनने कहा, ‘‘वहाँ पर बड़ा फर्क है मसीह के बारे में जानना और मसीह स्वयं को जानने में...वे जो गलत तरीके से मसीह के बारे में सोचते है उन्होने उनको कभी भी नहीं जाना...‘हमने उनका मूल्य नहीं जाना'...क्योंकि हम उनको नहीं जानते''।

4) आदमी मसीह का मूल्य नहीं करता क्योंकि वे आध्यात्मिकरूप में मरे हुए है। स्पर्जनने कहा, ‘‘वहाँ चाहे आष्चर्य नहो कि हमने उनका मूल्य न जाना, क्योंकि हम आध्यात्मिकरूप से मरे हुए थे...हम मरे हुए थे ‘अतिक्रम में और पापो में, और, जैसे लाजर उसकी कब्र में, हम बन रहे थे ज्यादा और ज्यादा भ्रश्ट हर गुजरते क्षण में''A

यह कारण है स्पर्जनने दिये मानवजाति के उध्दारक को अस्वीकार करने का, क्योंकि हकीकत यह है कि वे उनमे मूल्य नहीं देखते। मुझे ताज्जुब है, क्या यह पाठ आपको लागु होता है?

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था; वह दुःखी पुरूश था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उससे मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया और हम ने उसका मूल्य न जाना'' (यषायाह 53:3)।

क्या इस धार्मिक प्रवचन के षब्दो ने आपको अपनी दुश्टता के बारे में सोचने लगाया, आपके मन का कठोर यीषु के लिये कठोर अस्वीकार को? क्या आपने थोड़ा भ्रश्ट महसूस किया था आपके मन के भ्रश्ट्राचार, जो मसीह का अस्वीकार करता और उनका मूल्य नहीं करता? अगर आप महसूस करते हो कोई भी प्रकार का भयानक भ्रश्ट्राचार आपके स्वयं के अन्दर, मैं आपको निष्चित कर सकता हूँ यह सिर्फ परमेष्वर के अनुग्रह द्वारा है जो आप कर रहे हो। जैसे जोन न्यूटनने रखा

अद्भूत अनुग्रह! कितना मधुर स्वर है
   जिसने मुझ जैसे दुश्ट को बचाया!
मैं एकबार खोया हुआ था, परन्तु अब मिल गया हूँ,
   पहले अन्धा था परन्तु अब मैंं देख सकता हूँ

वह अनुग्रह था जिसने मेरे मन को डरना सिखाया
   और अनुग्रह ने मेरे डर को छुड़या;
कैसा बहुमूल्य वह अनुग्रह दिखाता है
   वह समय मैंने पहले विष्वास किया!
(‘‘अद्भूत अनुग्रह'' जोन न्यूटन द्वारा, 1725-1807)।

अगर आप महसूस करते हो कि आपका कठोर मन मसीह के सामने नंगा है, और अगर आप महसूस करते हो किसी भी पद पर आपके अपने नीच दुश्टता मसीह का अस्वीकार करने में आप अपने स्वयं को अभी समर्पित करोगे? आप मसीह का भरोसा करोगे; जिसे विष्व तुच्छ और अस्वीकार करता है? जब आप यीषु पर भरोसा करो आप तुरंत ही पाप और अधोलोक से बचाए जाओगे उनके बहुमूल्य लहू और धार्मिकता द्वारा। आमीन।

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले याजक द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : यषायाह 52:13-53:3। ढइत ध्झ धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन कीनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘अद्भूत अनुग्रह'' (जोन न्यूटन द्वारा, 1725-1807)।


रूपरेखा

मसीह - सर्वत्र अमूल्यांकन किया हुआ

(यषायाह 53 पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 4)

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा

‘‘वह तुच्छ जाना जाता और मनुश्यों का त्यागा हुआ था; वह दुःखी पुरूश था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उससे मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया और हम ने उसका मूल्य न जाना'' (यषायाह 53:3)।

(रोमियो 8:7; मती 27:30,26)

I.    पहला, पूरी दुश्टता इंसानीजाति का कारण बनती है मसीह को तुच्छ और अस्वीकार करने, यषायाह 53:3 अ।

II.   दूसरा, पूरी दुश्टता कारण होती है मसीह के षोक और दुःख का,
यषायाह 53:3 ब; लूका 13:34; 22:44।

III.  तीसरा, पूरी दुश्टता कारण बनती है मानवजाति को अपना चेहरा मसीह से छिपाने, यषायाह 53:3 क; 2 कुरिन्थियों 11:4; मती 24:24।

IIV.  चौथा, पूरी दुश्टता मानवजाति को मसीह की महात्मय कम करने का कारण बनती है, यषायाह 53:3 ड।