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गिरे हुअे मनुष्य के विनाश और पुनःजीवन पर

ON THE RUIN AND REGENERATION OF FALLEN MAN

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजीलस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह,
6 मार्च 2011 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, March 6, 2011

‘‘जो शरीर से जन्मा हुआ है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है। अचम्भा न कर कि मेंने तुझ से कहाँ, तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है'' (यूहन्ना 3:6-7)।


शरीर आदम से आता है। नया जन्म प्रभु की आत्मा से आता है। परंतु हमें नये जन्म की आवश्यकता क्यों है? वो प्रश्न का पर्याप्तरूप से उत्तर नहीं दे सकते जब तक हम मनुष्य की गिरावट और उसकी दुष्ट पापी की तरह के हालात समज न ले। ये धार्मिक प्रवचन दिया गया हमें बाइबल इस विषय पर क्या सिखाता है वह बताने। बहुत से लोग नये जन्म की जरूरत को महसूस करना शुरू नहीं करेंगे जब तक वे पहले अपने पापो की दुष्टता महसूस न करें। इसलिये बाइबल हमे गिरावट और मनुष्य की कुदरती स्थिति के बारे में कहता है।

I. पहला, मनुष्यजाति की असल परिस्थिति।

पहला आदमी और औरत पवित्र सर्जे गये थे, और प्रभु के दिये उस समय के लिये बिना पाप के थे।

‘‘तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की'' (उत्त्पति 1:27)।

मनुष्य प्रभु के स्वरूप में उत्पन्न किया गया था। इसका अर्थ है की मनुष्य प्रभु जैसा बनाया गया था। प्रभु आत्मा है, मनुष्य का मन आत्मा है। आत्मा का जरूरी गुण है बुद्धिशाली (विचार), संवेदनशीलता (अंतकरण) और इच्छा। डो. चार्ल्स होडझने कहा, ‘‘प्रभु आत्मा है। आत्मा का आवश्यक गुण है विचार, अंतःकरण और इच्छा ... मनुष्य को अपने स्वयं के स्वरूप में बनाने, इसलिये परमेश्वर ने उसे संपन्न किया उस गुणो के साथ जो उसकी अपनी आत्मा के स्वभाव के जैसे है ... अगर हम प्रभु की तरह नहीं है, हम उन्हें जान नहीं सकते। हम पशु की तरह होते जिसका नाश होता है'' (चार्ल्स होडझ, पीएच.डी., सिस्टमेटीक थीयोलोजी, एडरमान्स, 1946, भाग 2, पृष्ठ. 97)।

असल मनुष्य के पास इसलिये धार्मिकता और पवित्रता दोनो थे। सभोपदेशक 7:29 ये प्रमाणित करते है, ‘‘परमेश्वर ने मनुष्य को सीधा बनाया।'' ये उत्त्पति 1:31 द्वारा भी बताया गया है,

‘‘परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है।''

“ये मनुष्य का समावेश करता है, और अगर मनुष्य धर्मानुरूप से (पापभरा या) अधूरा होगा तो वो सच्चा नहीं होगा'' (हेन्री. सी. थीयेस्सेन, पीएच.डी. इन्ट्रोडकटरी लेकचर्स ओन सीस्टमेटीक थीयोलोजी, एडरमान्स, 1949 की प्रत, पृष्ठ. 221)। डब्ल्यु. जी. टी. ष्‍ोड ने कहा की मनुष्य पवित्र उत्पन्न किया गया था, ‘‘पवित्रता निर्दोषता से ज्यादा है ... मनुष्य सिर्फ नकारात्मकरूप से निर्दोष नहीं था, परंतु सकारात्मक रूप से पवित्र। मनुष्य की पुनःजीवन की स्थिति उसकी पुरानी अवस्था के पूर्वावस्था की प्रतीति (गिरावट के पहले) है ... ‘परमेश्वर के अनुरूप सत्य की धार्मिकता और पवित्रता से सृजा गया है,' इफिसियों 4:24'' (डब्ल्यु. जी. टी. ष्‍ोड, पीएच.डी. डोग्मेटीक थीयोलोजी, स्क्रीबर्नस, 1889, भाग 2, पृष्ठ. 96)। डो. जोन एल. डाग्ग ने कहा, ‘‘कितने लंबे समय तक पहले (आदमी और औरत) ने उनके असल निर्दोष अवस्था और (पवित्रता) को जारी रखा उसे जानने के लिये हमारे पास कोई भी तरीका नहीं है; परंतु वो की उन्होंने ज्यादा समय तक जारी नहीं रखा, (उत्त्पति की किताब में स्पष्ट) है। (प्रभु) के साथ मुक्त (संपर्क) अस्तित्व में था ... शायद हम लाभदायक तरिके से पीछे देखे पवित्र और आनंदित अवस्था जिसमें हमारे पहले माता पिता खडे थे जब वे अपने सृजनहार के हाथो से आये और हम शायद अच्छी असर के साथ याद रखे जब से हम गिरे है। इस विषय के (बारे में सोचते हुए) हमें (स्वीकार करने में मदद) करेगा पूर्वावस्था प्राप्ती का भव्य विचार जो (मसीह ने हमें दीया) (आखरी) आदम'' (जोन एल. डाग्ग, अ मेन्युअल अॉफ थीयोलोजी, दक्षिणी बप्तीस प्रकाशन सोसायटी, 1858, पृपृष्ठ. 141, 143-144)।

‘‘और ऐसा ही लिखा भी है कि प्रथम मनुष्य अर्थात आदम जीवित प्राणी बना। और अंतिम आदम जीवनदायक आत्मा बना'' (1 कुरिन्थियो 15-45)।

पहले आदम ने मनुष्य जाति को लीन किया। मसीह, ‘‘आखरी आदम'', उनके लोगो को पाप से बचाने आये।

II. दूसरा, मनुष्यजाति की गिरावट।

पहले मनुष्य ने प्रभु की व्यवस्था का उल्लंघन किया और अपने स्वयं के लिये और उनके सारे वंश के लिये मृत्यु लाये। प्रभु की व्यवस्था दी गई थी, उसे तोडने की सजा के साथ।

‘‘और यहोवा परमेश्वर ने आदम को यह आज्ञा दी, तू वाटिका के सब वृक्षो, का फल बिना खटके खा सकता है : पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना : क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उसी दिन अवश्य मर जाएगा'' (उत्त्पति 2:16-17)।

डो. डाग्गने कहा, ‘‘ठग नहीं बनना; प्रभु बनावटी नहीं है। वो जो प्रभु की अवज्ञा करता है, उनके साम्राज्य का अस्वीकार करता है; ओर वो प्रभु देखते है। आज्ञाकारी की परख (दी गई) आदम को दी थी वो बहुत सरल थी और यह परख हकीकत में (उनका) उल्लंघन ज्यादा अक्षम्य बनाता है। ये अब्राहम के विश्वास की भव्यता बताता है की (वे) इतनी कडी परिक्षा के लिये खडे रहे जब उन्हें उनके बेटे इसाक का चढावा देने की आवश्यकता पडी; और और ये प्रमाणित करता है आदम के पापो की बढाई, की वो वचनबध्ध थे, जब कि वो आसानी से यह टाल सकता था'' (डाग्ग, पइपकण्, पृष्ठ. 146)। आदम, हकीकत में, प्रभु के चेहरे पर उसका घूंसा मारा। डो. डाग्गने कहा, ‘‘कोई भी काम बडा बुरा काम (आदम द्वारा किया गया होता) नहीं होता उससे जब उसने निषेध किया हुआ फल खाया'' (दाग्ग, पइपकण्)। उसने प्रभु को अपनी पीठ फेरी, साँप को सूना, प्रभू को ललकारा, अपनी खुद की आत्मा का और उनकी सारे वंश की आत्मा का विनाश किया।

‘‘इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई; और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गइ...'' (रोमियों 5:12)।

‘‘क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है'' (रोमियों 6:23)।

‘‘क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे'' (रोमियों 5:19)।

जीनीवा बाइबल 1599 की, हमें देती है रोमियों 5:19 पर टिप्पणी, ‘‘ये दो मनुष्य (आदम और मसीह) दो जड की तरह रखे गये ..., ताकि दोनो में से एक, स्वभाव से पापी, और दूसरा, अनुग्रह द्वारा धार्मिकता दूसरो पर फैलाए। ताकि फिर हमारे में पाप प्रवेश न पा सके हमारे पूर्वज (आदम) के अनुकरण पर चलते, परंतु हम उनसे वारसे में भ्रष्टाचार लेते है।''

III. तीसरा, मनुष्यजाति की वर्तमान अवस्था।

डो. डाग्गने कहा, ‘‘द्रुष्ट (परिणाम जो आता है) हमारे पहले माता पिता के अवज्ञाकारी व्यक्तिगतरूप से प्रमाणित नहीं किये गये थे, परंतु उनके वंशज को भी (उनसे नीचे भेजे गये) थे। आदम प्रभु के स्वरूप में उत्पन्न किये गये थे; परंतु जब वो स्वरूप (पाप द्वारा विनाश) किया गया, उसीके स्वरूप के अनुसार एक पुत्र उत्पन्न किया (उत्पति 5:3)। इसलिये सारे (आदम) वंशज जब से वो (उनके गिरे हुए परदादा का) स्वरूप लिया था और उनके जैसे बने थे, न सिर्फ चरित्र में, परंतु परिस्थिति में भी'' (डाग्ग, पइपकण्, पृष्ठ. 150)।

इसलिये सारे लोगोने हर उम्र में और राष्ट्र में प्रभु की व्यवस्था का उल्लंघन किया है। क्योें? क्योंकि आदम के वंशज की तरह वे ‘‘स्वभाव ही से क्रोध की संतान'' है (इफिसियों 2:3)।

‘‘उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है, और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए है'' (इफिसियों 4:18)।

‘‘क्योंकि निष्पाप तो कोई मनुष्य नहीं है'' (2 इतिहास 6:36)।

‘‘क्योंकि हम यहूदियों और यूनानियों दोनो पर यह दोष लगा चुके है, कि वे सब के सब पाप के वश में है; जैसा लिखा है; कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं, कोई समझदार नहीं, कोई परमेश्वर का खोजनेवाला नहीं, सब भटक गए है सब के सब निकम्में बन गए है; कोई भलाई करनेवाला नहीं; एक भी नहीं उनका गला खुली हुई कब्र है; उन्होंने अपनी जीभों से छल किया है; उनके होठो में साँपो का विष है; उनका मुँह श्राप और बहाने को फुर्तीले है : उनके मार्गो में नाश और क्लेश है : उन्होंने कुशल का मार्ग नहीं जाना : उनकी आँखो के सामने परमेश्वर का भय नहीं। हम जानते है कि व्यवस्था जो कुछ कहती है, उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के अधीन है : इसलिये कि हर एक मुँह बंद किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे'' (रोमियों 3:9-19)।

उसकी वर्तमान अवस्था में, आदम के वंशज की तरह आदमी अब ‘‘पाप के वश में'' (रोमियों 3:9) है, इसलिये वो पापो के अधिकार में है जो रामियों 3:9-19 स्पष्टता से बताते है। जैसे प्रेरितों पौलुस ने ये कहा, मनुष्य ‘‘पापो में मरा'' (इफिसियों 2:5) है।

कैसे आदम का गिरा हुआ कोई भी वंशज बचाया जा सकता है पापो के बंधन और भ्रष्टाचार से? जवाब ये है - ‘‘तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है'' (यूहन्ना 3:7)। आपके पहले जन्म में, आप आदम के पुत्र जन्मे थे, पापो में मरा। आपको फिर से जन्म लेना आवश्यक है अब और अनंतता में जीवन के लिये।

पुनःजीवन बह्मज्ञान के अनुसार शब्द है जो मसीह कहते है नया जन्म (यूहन्ना 3:3,7)। डो. जोन एल. डाग्ग (1794 - 1884), पहले के दक्षिणी बप्तीस बह्मज्ञानी ने कहा की पुनःजीवन (नया जन्म) ‘‘चरित्र में बदलाव,'' “मन में बदलाव” पैदा करता हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कितना बडा बदलाव पैदा किया है, की विषय कहा जाता है नई सृष्टी (जोन एल. डाग्ग, डी.डी., अ मेन्युअल अॉफ थीयोलोजी, दक्षिणी बप्तीस प्रकाशन सोसायटी, 1858, पृष्ठ. 277)। फिर डो. डाग्ग ने इस पाठ का कथन किया,

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

प्रसिद्धि ओक्सफर्ड विश्वविद्यालय ने धर्मोपदेशक ज्योर्ज वाइटफिल्ड को सिखाया (1714 - 1770) निरंतर नये जन्म पर प्रवचन देते थे अतिविशाल भीड को वेल्स के खुल्ले मैदान में, इंग्लेंड, स्कोटलेन्ड और अमरिका में पहली बडी जागृतता के दौरान। दूसरा धार्मिक प्रवचन उन्होंने दिया सिर्फ बाइस साल के युवा की तरह वो इस पाठ पर था ओर अगस्त 1737 में प्रकाशित हुआ था। मैं अब आपको प्रसिद्ध और छोटा किया हुआ वाइटफिल्ड के धार्मिक प्रवचन के वर्णन को दूंगा (मेरी अपनी कुछ समालोचना के साथ) उनके धार्मिक प्रवचन का शिर्षक था, ‘‘पुनःजन्म'' (ज्योर्ज वाईटफिल्ड, धार्मिक प्रवचन, पीयेटन प्रकाशन, 1994 की प्रत, भाग 3, पृपृष्ठ. 107-118)। उनका पाठ था,

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

वाईटफिल्ड ने कहा की पुनःजन्म की श्क्षिा (नया जन्म) एक मसीही की बहुत प्रारम्भिक शिक्षा है। ये विषय वो है जिस पर हमारी मुक्ति निर्भर है। ये वो भी मुद्दा है जिस पर सुसमाचार प्रचारक मसीही, सारे जाति के, कहते है वे सहमत है। फिर भी नया जन्म पर कभी कभी ही प्रवचन दिये जाते है और कई धर्मप्रचारक ने आज तक इसका अनुभव भी नहीं किया। ज्यादातर जो अपने आपको मसीही कहते है उन्होंने भी ज्यादा नहीं सुना की पुनःजन्म जैसी भी कोई चीज है। इसलिये हम अब उसी उदास अवस्था में है जो कलीसिया थे, जब वाईटफिल्ड ने प्रवचन देना शुरू किया था।

यह सच है कि ज्यादातर लोग हमारे कलीसिया में कहते है वे बाइबल में विश्वास करते है। परंतु अगर आप उनसे कहोगे कि उनका पुनःजन्म होना ही चाहिये, फिर से जन्म लो, अतिप्रिय शक्तियों में नये रूप उनके दिमाग में इससे पहले कि वे मसीह को सच्चाई से ‘‘यहोवा'' कहे, या उनके लहु द्वारा मुक्ति की कोई आशा हो; वे तैयार है निकुदेमुस के साथ पुकारने, “ये कैसे होता है?” या एथेंसवासी के साथ, ‘‘ये बकवादी क्या कहेगा?'' अगर हम कलीसिया के सदस्यों को कहे कि वे खोये हुए है और वो की उनका पुनःजन्म होना ही चाहिये, उनमें से ज्यादातर सोचेंगे हम अनजानी शिक्षा देते है मसीह, और नये जन्म पर! कई प्रवक्ता स्वयं डरते है - अंशतः क्योंकि उन्हें डर है कलीसिया सदस्य का खोना, और उस कारण भी कि इन में से कुछ प्रवक्ता स्वयं ने पुनःजन्म का अनुभव नहीं किया। उनको, और बडे क्रमांक में अपरिवर्तित लोगो को उनकी सभा में, हमे जरूर कहना चाहिये, प्रेरितो पौलुस के साथ,

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

परंतु हमें भी कहना चाहिये, अगर कोई मनुष्य मसीह में नहीं है, वो नई सृष्टि नहीं है, सच्चा मसीही नहीं है, परंतु शायद खोया हुआ पापी अधोलोक की अनंत ज्वाला के लिये!

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

वाईटफिल्ड के धार्मिक प्रवचन का अनुकरण करते हुए,

IV. चौथा, मनुष्य की मसीह में रहने की जरूरत।

पाठ कहता है, ‘‘यदि कोई मसीह में है।” उसका अर्थ क्या है? इसका अर्थ ये नहीं है कि आपने ‘‘निर्णय कर लिया है'' मसीह के लिये! इसका ये अर्थ नहीं है की आप ‘‘आगे बढे हो'' और बप्तीसमा दिये गये हो। लाखो लोगो को बप्तीस्मा दिये गये है जो सिर्फ सामान्य मसीही है - नाम में मसीही परंतु ‘‘मसीह में'' नहीं! अगर आप ‘‘मसीह में'' नही हो, आखरी दण्ड के समय वे आपको अधोलोक की ज्वाला में भेज देंगे, ये कहते हुए,

‘‘इसके हाथ - पाँव बाँधकर उसे बाहर अन्धियारे में डाल दो; वहाँ रोना और दांत पीसना होगा'' (मती 22:13)।

‘‘मसीह में'' होने का अर्थ है उनके बाहरी काम से ज्यादा। उनमें होने का अर्थ है उनकी तडप और क्रुस पर के मृत्यु के फायदे का हिस्सेदार होना। मसीह में रहने का अर्थ है उनसे विश्वास से जुड जाओ। मसीह में होना है, ‘‘जिलाया...मसीह के साथ...और उठाया... उसके साथ और स्वर्गीय स्थान (में) उसके साथ बैठाया यीशु मसीह में...न कर्मो के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे'' (इफिसियो 2:5,6,9) होना। अगर आप मसीह तक ले जाये जाओ, और ‘‘मसीह में'' हो, फिर आप नई सृष्टि हो। अगर आप मसीह तक नहीं ले जाये जाते हो तो आप अभी भी खोये हुए पापी हो। आप नई सृष्टि के ज्ञान में नहीं हो।

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

V. पांचवाँ, मनुष्य के लिये नई सृष्टि में होने का अर्थ क्या है।

पाठ कहता है, “यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है” (2 कुरिन्थियों 5:17)। ये शारीरिक बदलाव नहीं हैं निकुदेमुस ने अज्ञानता से सोचा नये जन्म के बारे में उस तरीके से। उसने मसीह से कहाँ, ‘‘मनुष्य जब बूढा हो गया, तो कैसे जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है?” (यूहन्ना 3:4)। अगर आप ऐसा कर भी सकते हो, वो आपको नई सृष्टि बनने में कैसे मदद करेगा? जबसे ‘‘क्योंकि जो शरीर से जन्मा है, वह शरीर है'' (यूहन्ना 3:6) अभी भी आप वो ही गिरे हुए, दुष्ट व्यक्ति रहोगे जो अब हो।

नहीं, ‘‘नई सृष्टि'' का अर्थ है की sआपका मन पूरी तरह से बदला हुआ हो। स्कोफिल्ड सेन्टर टिप्पणी ‘‘2'' ‘‘सृष्टि'' के बादवाला षब्द तोडता है ग्रीक षब्द “सृजन” की तरह। ‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सुष्टि है''। वो अभी तक वही मनुष्य है अपने आप में, परंतु नया मन (वो क्या चाहता है और किसमें नफरत करता है) और नया दिमाग (जो वो सोचता है) उसमें सृजा गया है। जैसे दाऊद ने प्रार्थना की,

‘‘हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर'' (भजनसंहिता 51:10)।

या, जैसे यहेजकेल में प्रभु ने वचन दिया,

‘‘मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूूंगा और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकालकर तुम को माँस का हृदय दूंगा'' (यहेजकेल 36:26)।

यह पुनःजन्म है। ये नया जन्म है। यही है जो आपको बनाता है ‘‘नई सृष्टि'' नया सृजन!

पापीयों को नया जन्म समजाना कठीन है। ये कहना पर्याप्त है की जब तक प्रभु आपको नया जन्म नहीं देते आप कभी भी आपके पापो के दण्ड से बच नहीं सकते, और आप प्रभु के साम्राज्य में कभी भी प्रवेश नहीं कर पाओगे। यीशु ने कहा, ‘‘यदि कोई नये सिरे से न जन्मे, तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता'' (यूहन्ना 3:3)। यहाँ कुछ प्रमाण है प्रेरितो के कथन का,

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

बहुत से विषय पुरानी नियमावली से प्रमाणित किया हो सकता है नये जन्म को साबित करने, कैसे भजनगानेवाले ने प्रभु से याचना की उसे ‘‘नया मन'' बनाने और ‘‘मेरे भीतर स्थिर आत्मा'' (भजनसंहिता 51:10) रखने, कैसे भविष्यवक्ता लोगो को चेतावनी दे ताकि उन्हें ‘‘नये मनो'' की जरूरत पडे उनके यहोवा प्रभु के तरफ फिरने की।

नयी नियमावली में, मसीह यूहन्ना 3:3-8 में नये जन्म के बारे में विस्तार से बोले। मसीहने नये जन्म की जरूरत को बताया जब उन्होंने बहुत स्पष्टता से कहा, ‘‘तूझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है'' (यूहन्ना 3:7)। प्रेरितो पौलुस ने भी कहा हमें ‘‘अपराधी'' (इफिसियो 2:5) होना ही है, और जब उसने कहा, ‘‘आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ'' (इफिसियो 4:23), और, फिर से, जब उसने कहा हम ‘‘उध्धार किया ... नए जन्म के स्नान और पवित्र आत्मा के हमें नया बनाने के द्वारा'' (तीतुस 3:5)। अगर बाइबल में और कोई पद नहीं होते, मैं सोचता हूँ कि ये पाठ अकेला ही पर्याप्त है साबित करने की आपको फिर से जन्म लेना ही चाहिये!

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

ये सारे पद दिखाते है पूर्ण जरूरत पर्याप्त और सच्चे मन के बदलने की।

फिर भी लोगो का समूह हमारे कलीसिया में इस मन बदलाव के बारे में कुछ भी नहीं जानते। और ये ही उनका परिणाम होता है इतना कम (अगर कुछ हो!) धार्मिक प्रवचन सुनने का परिवर्तन और नये जन्म पर। मसीह उनके बारे में बोले जो ‘‘कानो से ऊँचा सुनते है और उन्होंने अपनी आँख मूंद ली है; कहीं ऐसा न हो कि वे आँखो से देखें, और कानो से सुने और मन से समझे, और फिर जाएँ, और मैं उन्हें चंगा करूँ'' (मती 13:15)।

पुनःजीवन (नये जन्म) की आवश्यकता का दूसरा प्रमाण उनके पूर्णतः दुष्ट हालात मनुष्य का उसकी पाप की अवस्था में। बाइबल मनुष्य के बारे में बोलते है ‘‘गर्भ में पडा'' और पाप के स्थिति में जन्मा (भजनसंहिता 51:5); कैसे कुछ भी अच्छी चीज नहीं रहती उनमें (रोमियों 7:18), जैसे ‘‘शारीरिक और पाप के हाथ बिका हुआ'' (रोमियों 7:14) - जैसे ऐसा दिमाग होना जो प्रभु के विरूद्ध है (रोमियों 8:7) - जैसे ‘‘बुद्धि अंधेरी हो गई है, और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए है'' (इफिसियों 4:18)। जब पुनःजीवन न पानेवाले मनुष्य ऐसी भयानक अवस्था में है, क्या कोई भी सोच सकता है की ऐसे अपवित्र, भ्रष्ट, प्रदूषित, द्रुष्ट जी सकते है शुद्ध और पवित्र प्रभु के साथ उसके बदलने से पहले? नहीं, हम भी शायद सोचे की प्रकाश का अंधेरे के साथ संपर्क हुआ होगा, या मसीह शैतान के साथ रहते है! आपकी खोयी हुई और पापी अवस्था साबित करती है कि आपने मसीह में नयी सृष्टि की है या आप कभी भी प्रभु के साथ शांति नहीं पाओगे, ना ही आप कभी भी प्रभु के पास जाने की आशा रखोगे, और आपको जरूर नयी रचना करनी होगी, या आप अपने पापो में मरोगे।

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

बहुत से लोग सोचते है की वे स्वर्ग में जा सकते है पाप भरे दिमाग अैर मन के साथ और अचानक आनंद पाओगे वहाँ होने का उनके मरने के बाद। और वे शायद ऐसे करे अगर सच्चा स्वर्ग मुस्लीम स्वर्ग जैसा होता जहाँ, वे कहते है, केई भी बहत से पाप भरे आनंद का हिस्सेदार बन सकते है। परंतु सच्चे स्वर्ग का आनंद सिर्फ आत्मिक होता है, और कोई भी अशुद्ध चीज वहाँ प्रवेश नहीं कर सकती, वहा पर एकदम जरूरत है की आप उस स्वर्गीय आनंद का आनंद उठा सकोगे। इसलिये मसीह ने नहीं कहा, ‘‘(नहीं तो) आदमी फिर से जन्म नहीं लेता वो नहीं होगा'' - परंतु, बजाय उसने कहा ‘‘(नहीं तो) कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता'' (यूहन्ना 3:3, 5)। जब तक आपका मन बदलता नहीं नये जन्म द्वारा, आप ‘‘परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते'' (यूहन्ना 3:5)।

क्या एक बहुत अच्छा संगीत एक बधिर को आनंद दे सकता है? क्या एक सबसे अच्छी चित्रकारी एक अंध व्यक्ति को आनंद दे सकती है? क्या कोई व्यक्ति जिसके मुँह में स्वादरस की ग्रंथी हो न हो वो एक अच्छे खाने का आनंद ले सकता है? क्या गंदा सूअर अच्छे फुलोवाले बगीचे में आनंद पा सकता है? कदापि नहीं! उनमें से हर एक को बदलना होगा उनके अपने स्वभाव में इस आर्शीवाद का आनंद उठाने। और वैसा ही है आपकी आत्मा के साथ। आपके मरने के बाद आपकी आत्मा नहीं बदल सकती। अगर आपकी आत्मा यहाँ धरती पर प्रभु के साथ प्रसन्न होती है, तो वो स्वर्ग में भी प्रभु के साथ आनंद पायेगी। परंतु अगर आपको प्रभु का आनंद नहीं है, और अभी कलीसिया में जाने को पसंद नहीं करते हो, तो कुछ भी बदलेगा नहीं जब आप मरोगे। अगर आप बदले नहीं हो तो आप अभी भी कलीसिया का आनंद पा सकते हो, आप स्वर्ग में आनंद नहीं पाओगे आपके मरने के बाद। वहाँ पर आपके लिये सिर्फ एक ही जगह है, अगर आप फिर से नहीं जन्मे - और वो है अधोलोक।

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

नया जन्म प्रभु की आत्मा द्वारा लाया जाता है। यीशु ने कहाँ, ‘‘जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे ... वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता'' (यूहन्ना 3:5)। कुछ लोग, मेरी अपनी पत्नी की तरह, तुरंत परिवर्तित हुए है परंतु प्रभु की आत्मा का सामान्य रास्ता जिससे वे पुनःजीवन लाते है वो है पहले व्यक्ति अपने बडे पाप जो उन्होंने किये उसके बारे में सोचे, पाप जो वो चाहता था कि उसकी माँ न जाने, और अवश्य प्रभु भी नहीं! इस बडे पाप के बारे में सोचने में वो अपने जीवन के दूसरे पाप के बारे में सोचने लगता है फिर वह सोचने लगता है, ‘‘मैंने कैसे ऐसे पाप भरी चीजें की, जब तक मैं स्वभाव से पापी नहीं था?'' फिर प्रभु की आत्मा उसे दीखाती है कि वो है, हकीकत में, अंतकरण से पापी है, पापी जन्मा, और उसके मन में पाप भरा है। वो फिर शायद अपना रास्ता बदलें और अचछा व्यक्ति बने। परंतु कोई बात नहीं कितनी मजबूती से वो कोशिश करे, वो उसे पता चलता ही है कि वह अपने स्वयं के मन को नहीं बदल सकता। वो उसके पापो से छुटने व्याकुल हो जाते है। कुछ अपने पापो पर रोना भी शुरू कर सकते है (जैसे लुथर, जोन, बुनयान, वाईटफिल्ड - और कई ओर लोगो ने किया उनके पुनःजीवन के समय पर)। वो चिल्लाता है, ‘‘मैं कैसा अभागा मनुष्य हूँ! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुडाएगा?” (रोमियों 7:24)। अब प्रभु की आत्मा में उसे तैयार किया है फिर से जन्म लेने। अब उसे उसकी मसीह की जरूरत को महसूस करने को बनाया जाता हैं, अब वो महसूस करता है कि मसीह के अलावा कोई भी उसे बदल नहीं सकता। अब वो महसूस करता है कि मसीह का लहू ही उसे उसके पाप से शुद्ध कर सकता है। अब वो जानता है कि वो मसीह के पास आ सकता है। जब मसीह कहते है, ‘‘हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे हुए लोगो मेरे पास आओ ...'' (मती 11:28) वो जानते है की वो कर सकता है परमेश्वर के अनुग्रह से। प्रभु की आत्मा उसे मसीह के पास आने के लिये शक्ति देती है, और वो फिर से जन्म लेता है। उस का मन परिवर्तित है। वो यीशु मसीह में नई सृष्टि है!

‘‘यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है'' (2 कुरिन्थियों 5:17)।

अब वो आनंद से गा सकता है पुराने जोन न्युटन के साथ,

अद्भूत अनुग्रह! कितना मीठा स्वर है,
   जिसने मेरे जैसे दुष्ट को बचाया!
मैं एक बार खोया हुआ था, परंतु अब मैं खोजा गया हूँ,
   पहले अंध था, पर अब मै देख सकता हूँ।

वो अनुग्रह था जिसने मेरे मन को डरना सिखाया,
   और अनुग्रह मेरे डर को फिर से जीवित किया;
कितना बहुमूल्य वो अनुग्रह लगता है
   वो घंटा जो मैंने पहले विश्वास किया!
(‘‘अद्भूत अनुग्रह'' जोन न्यूटन द्वारा, 1725 - 1807)।

हम प्रार्थना करते है की आप जल्द ही फिर से जन्म लेंगे प्रभु पितामह के अनुग्रह द्वारा, पुत्र मसीह की मृत्यु और लहु के द्वारा, और द्रढ विश्वास और पवित्र आत्मा कि ले जानेवाली शक्ति द्वारा, एक प्रभु तीन व्यक्ति में। आमीन।

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्र शास्त्र : यूहन्ना 3:1-7।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘तूझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है'' (वीलीयम टी. स्लीपर द्वारा, 1819-1904)।


रूपरेखा

गिरे हुअे मनुष्य के विनाश और पुनःजीवन पर

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा

‘‘जो शरीर से जन्मा हुआ है, वह शरीर है; और जो आत्मा से जन्मा है, वह आत्मा है। अचम्भा न कर कि मेंने तुझ से कहाँ, तुझे नये सिरे से जन्म लेना अवश्य है'' (यूहन्ना 3:6-7)।

I.    पहला,  मनुश्यजाति की असल परिस्थिति। उत्त्पति 1:27; सभोपदेषक 7:29; उत्त्पति 1:31; इफिसियो 4:24; 1 कुरिन्थियों 15:45।

II.    दूसरा,  मनुश्यजाति की गिरावट। उत्त्पति 2:16-17;
रोमियों 5:12; 6:23; 5:19।

III.   तीसरा,  मनुश्यजाति की वर्तमान अवस्था। उत्त्पति 5:3, इफिसियों 2:3; 4:18; 2 इतिहास 6:36; रोमियों 3:9-19; इफिसियों 2:5; यूहन्ना 3:7;
2 कुरिन्थियों 5:17।

IV.   चौथा,  मनुष्य की मसीह में रहने की जरूरत। मती 22:13;
इफिसियों 2:5, 6, 9।

V.   पांचवाँ,  मनुष्य के लिये नई सृष्टि में होने का अर्थ क्या है। यूहन्ना 3:4,6; भजनसंहिता 51:10; यहेजकेल 36:26; यूहन्ना 3:3; भजनसंहिता 51:10; यूहन्ना 3:3-8,7; इफिसियों 2:5; 4:23; तीतुस 3:5; मती 13:15; भजनसंहिता 51:5; रोमियों 7:18, 14; 8:7; इफिसियों 4:18;
यूहन्ना 3:3,5; रोमियों 7:24; मती 11:28।