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अधिकतर मसीही - आदरणीय ज्योर्ज वाईटफिल्ड,
एम.ए.द्वारा दीये हुए धार्मिक प्रवचन से अनूरूप किया हुआ

THE ALMOST CHRISTIAN – ADAPTED FROM A SERMON
BY THE REVEREND GEORGE WHITEFIELD, M.A.

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह,
जुलै 25, 2010 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, July 25, 2010

“तू थोडे ही समझाने से मुझे मसीही बनाना चाहता है” (प्रेरितो 26:28)।


अपने दिनो के ज्यादातर प्रवचन बहुत कमजोर है 18 वी सदीके प्रवचन की तुलना में। आज सेंकडो बाइबल-महाविद्यालय और धार्मिक पाठषाला के साथ प्रषिक्षित आदमी, हमें बहुत थोडे प्रवक्ता मिलते है जो समूह से दूर होने की हिमंत करे और खोए हुअे पापीयों को रविवार को प्रवचन दे - बजाये निरस मंद प्रवचन देने के एक के बाद एक बाइबल की पढाई के पद जो कहे जाने वाले “मसीहीयो” को लक्षमे रखकर।

मैं हिंमत करके कहता हूँ की अपने ज्यादातर प्रवक्ता पापीयोको लक्ष मे रखकर कैसे सुसमाचार-प्रचार तैयार कीया जाता है वो भूल गये है। या, षायद वे कभी पहले ये सीखे ही नहीं! मै जानता हुंँ की जो पीढ़ी मेरे से छाटी है उन्हे थोड़ा अंदाजा है की ये कैसे देते है। आप हकीकत मे कैसे सुसमाचार धार्मिक प्रवचन देंगे? बहुतो को ये पता नहीं! आज के ज्यादातर धार्मिक प्रवचन एक से लगते है। वे “सिखात है” - परन्तु बहुत कम लोगो को ये पता है की “प्रवचन” कैसे देना है।

और अपने दिनो के निम्नस्तर का प्रवचन देना कलीसीया को खाली कर रहा है। दस मे से एक कलीसीया भी आजकल शाम कि सभा नहीं रखते। 1958 मै हर बप्तीस कलीसीया (उत्तरीय बप्तीस, दक्षीणी बप्तीस नियमीत बप्तीस, स्वतंत्र बप्तीस) में षाम की सभा होती थी। यह मुझे व्यक्तिगत नीरीक्षण से मालूम है। मैं वहा था! 1958 मे हर बप्तीस कलीसीया मे रविवार षाम को प्रार्थना सभा होंती थी। क्या हुआ? ये नही हो सकता की दूरदर्षनने उन्हे दूर कर दीया। 1958 में हम बराबर “दूरदर्षन के सुर्वण युग” के मध्य मे थे जैसे अब कहा जाता हैं। परन्तु आज, 150 से भी ज्यादा चेनले है पसंद करने के लीये, दूरदर्षन सचमे आजकल बन गया है जैसे न्युटन मिनोवने कहाँ “बडी बिना कामकी जमीन”। नही, लोगों के रविवार रात को नही आने का कारण दूरदर्षन पर कुछ रसप्रद होना नही है! कारण ये है की याजक अब पूरी मजबूती से प्रवचन नही करते लागोकी भीड़ को खींचने के लिये!

उतम प्रवक्ता ज्योर्ज वाइटफिल्ड (1714-1770) के साथ यह सब कितना अलग था। जब ये घोशित किया जाता था की वे बोलने वाले है, कुछ ही घंटो मे हजारो जमा हो जाते थे, कइँबार सुबह के 5:00 बजे बर्फ मे खडे रहकर भी, उनको धर्मिक प्रवचन देते हुअे सुनने के लिये। ध्यान रखना, वहाँ पर कोई गायक मंडली नहीं थी, कोई उपर का प्रक्षेपक यंत्र (प्रोजेक्टर) कभी नही था, सूक्ष्मदूरध्वनी (माइक्रोफोन) भी नहीं था-और बैठने के लिये कुर्सिया भी नहीं! फिर भी वे हंमेषा आये, हजारो की संख्या मे, इस व्यक्ति ज्योर्ज वाइटफिल्ड को आग सा उग्र धार्मिक प्रवचन देते हुअे सुनने।

डो. जे. सी. रायलेने कुछ कारणो में से एक कारण बताया उनके प्रवचन देने की मषहुरता के लियेः “ वाइटफिल्ड ने एक वचनी षुध्ध सुसमाचार दिया था। कुछ लागो ने हमेंषा अपने सुनने वालो को ज्यादा गेहु और बहुत थोड़ा सा भूसा दिया। वे अपने तख्त पर (दूसरी चीजो) के बारे मे बात करने कभी नही चढे। वे हंमेषा से आपको आपके पाप, आपके मन और यीषु मसीह के बारे में कहते थे... ‘ओह, यीषु मसीह की सच्चाइ।' वे बहुतबार कहते थे” (जे. सी. रायले, “नया जन्म”)। आज कौन एसे प्रवचन देता है? कोई ताज्जुब नहीं है की रविवार की रात को अपने कलीसीया बंद होते है!

यहाँ पर ज्येार्ज वाइटफिल्ड के धार्मिक प्रवचन का संक्षिप्त और संपादित रूप दिया है “अधिकतर मसीही”, जो मैंने आपको दिया है सच्चे सुसमाचार प्रवचन के नमूने के तौर पर। परंतु, अगर आप ये अपने कलीसीया में देंगे, तो आपको इसे सिर्फ पढना नहीं है। वहा पर कुछ अगन होनी चाहिये-जैसे वाइटफिल्ड के प्रवचन के समय होता था!

“तू थोडे ही समझाने मूझे मसीही बनाना चाहते है” (प्रेरितो 26:28)।

प्रेरितो पौलुस जानते थे की मसीह ने अपने अनुयायीयों से कहां “मेरे नाम के कारण राजाओं और हाकिमो के सामने ले जाएंगे” (लूका 21:12)। ये हाकिमोने कभी सुसमाचार नहीं सूना होता अगर प्रेरितो को पकडकर और उनके सामने लाये नहीं जाते, प्रेरितो को उनको यीषु और उसके पुनरूत्थान पर प्रवचन देने का मौका देते हुअे।

जब पौलुस को फेस्तुस, दूसरी जाति के प्रधान और राजा अग्रिप्पा के सामने बचाव करने को बुलाया, उसने अपने आपको बचाने का और उनको सुसमाचार प्रवचन देने का मौका ले लिया। और ये उन्होंने ऐसी ताकत से किया की फस्तुस चिल्ला उठा, “पौलुस बहुत विद्या ने तुझे पागल कर दिया है” (प्रेरितो 26:24)। बहादूर प्ररितो ने जवाब दिया “महामहिम फेस्तुस, मैं पागल नहीं परन्तु सच्चाई और बुध्धि की बातें कहता हुँ” (पे्ररितो 26:25)।

ये देखते हुअे राजा अग्रिप्पा को उसके धार्मिक प्रवचन मे फेस्तुस से ज्यादा रस आने लगा, पौलुसने सीधे उनसे बात कीः “राजाको ये सारी चीजो की जानकारी थी (की मसीह तडपे और मृत्यु से उठे, प्रेरितो 26:23) क्योंकि मुझे विष्वास है कि इन बातो मे से कोई उससे छिपी नहीं” (प्रेरितो 26:26)। फिर पौलुस ने मजबुती से राजा अग्रिप्पा से बात की, कहते हुअे, “राजा अग्रिप्पा, क्या तू भविश्यवक्ताओ का विष्वास करता है? मैं जानता हुँ कि तू विष्वास करता है” (प्रेरितो 26:27)। जब पौलुस ने वो कहाँ, राजा अग्रिप्पा का मन इतना बेचैन हो गया की वो चिल्ला उठे, “पौलुस, तू थोडे ही समजाने से मुझे मसीही बनाना चाहता है” (पे्ररितो 26:25)।

आज भी जब सुसमाचार उत्साह और हिंमत से दिया जाता है, कुछ लोग, फेस्तुस के जैसे बहुत गर्व और लापरवाही से सुसमाचार लेते है। वे सोचते है की प्रवक्ता “पागल” है। दूसरे, राजा अग्रिप्पा जैसे, अधिकतर मसिही बनने के लिये मान गये। वे अपने मनमे कहते है,

“तू थोडे ही समझाने मूझे मसीही बनाना चाहते है” (प्रेरितो 26:28)।

ये आपके लिये है, जो अधिकतर मसीही बनने मान गये हो, की मैं इस सुबह बोलु। मैं साचता हुँ ये बहूत जरुरी है आपको सचेत करना “अधिकतर” मसीही होने के खतरे। इसलिये, किताब के वचनो से, मैं आपको तीन चीजे बताउंगा।

I. पहला, अधिकतर मसीही होने का अर्थ क्या है।

अधिकतर मसीही वो व्यक्ति है जो दो मंतव्य के बीचमे अटका हुआ है; जो मसीह और दुनिया के बीच मे दुविधा मे है। पे्ररितो याकुब उसका परिचय इस तरह देते हैै,

“वह व्यकित दुचिता है” (याकुब 1:8)।

अधिकतर मसीही वो व्यक्ति है जो बाहरी धर्म के अनुसरण पर निर्भर है। वो अपने आपसे कहता है, “मैं बाइबल पढ़ता हुँ। मैं कलीसीया में जाता हुँ। क्या ये बस नहीं है?” वो सोचता है की वो सच्चा है। वो सोचता की वो दुसरे लोग जिनको वो जानता है उनसे वो बहेतर है। परन्तु, वही समय पर वो हकीकत मे अंदरूनी धर्म के हार्द से अपरिचीत है। उसके पास “भक्ति का भेश तो धरेंगे, पर उसकी षक्ति को (न मानेंगे)” (2 तीमुथियुस 3:5) है। वो कई महीनो तक, कलीसिया में हाजिर रहा, फिर भी वो कभी परिवर्तित नहीं हुआ, परन्तु महीना और सालों तक ओर भी बिगडता चला गया।

अधिकतर मसीही “अच्छा” होने पर निर्भर करता है, और वो उस सोच से संतुष्ठ है की उसने किसीको हानि नहीं पहोचायी। फिर भी वो भूल जाता है की मसीहने कहाँ, “इस निकम्मे दास को बाहर के अंधेरे में डाल दो, जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा” (मती 25:30)। वो भूल जाता है कि बंजर अंजीर का पंड शापित हुआ था और जड़ से ही सुख गया, वो खराब फल उगाने के लिये नहीं, परंतु फल नहीं उगाने के लिये।

अधिकतर मसीही अपने आपसे इमानदार और सख्त है; परन्तु दोनो प्रमाणिक्ता और सख्ती उसके अपने आपके प्यार से आती है। सच है, वो बाहरी तरह से पापी नहीं है, परन्तु वो प्रभु के नियमों कि अवज्ञा से नहीं है, या तो उसे अपनी प्रतिष्ठा खोनी नहीं है, या अपने आपको अपने व्यवसायिक धंधे में अयोग्य बनाना नहीं चाहता है। ये सच है की वो नशे में नहीं है, परन्तु उसे अपने मसीही होने से इन्कार भी नहीं है। वो दुनिया द्वारा ज्यादा निर्देशित था बजाय प्रभु के वचन द्वारा। वो अपने भष्ट्र इच्छाओंको जो अच्छा लगाता है वो ही करता है, प्रभु की इच्छा को न देखते हुअे, परन्तु अपने धर्म के बाहरी जरूरत को पूार करता है।

मैंने आपको सिर्फ, अधिकतर मसीही के लक्षणो की रूपरेखा दी है फिर भी, मैं आशा रखता हूँ की आप देखोगे की ये ही कुछ कुछ आपके लक्षणो को भी बताता है। और मैं प्रार्थना करता हूँ की प्रेरितो के साथ सामिल होंगे वे जो पाठ मानते है, और आशा रखता हूँ की आप सिर्फ “थोड़े, (परन्तु) बहुत में” (प्रेरितो 26:29) मसीही नहीं होंगे।

II. दूसरा, क्यो बहुत सारे अधिकतर मसीही से ज्यादा नही है।

आप में से कुछ लोग क्यो सिर्फ नाम मात्र मसीही रहते है, सिर्फ नाम के मसीही? आप क्यो “अधिकतर मसीही” से ज्यादा और कुछ नही होते?

1. क्योंकि आप को मसीही होना क्या होता है उसका झूठा विचार है। आप मेंसे कुछ सोचते है की इसका मतलब कलीसिया मे जाना है। आप मे से कुछ सोचते है की इसका अर्थ है कुछ चीज़ो में मानना। थोडे, बहुत थोडे, जानते है की ये स्वभाव का बदलाव है, दिव्य जीवन का आदर है, अत्यावश्यक, यीशु मसीह के साथ मीलकर जीना; मेरा मतलब है यीशु मे नया जन्म। फिर भी आप नीकुदेमुस के साथ कहते हो, “ये बातें कैसे हो सकती है?” (यूहन्ना 3:9)। और क्योंकि आपने देखा नहीं है, परिश्रम नहीं किया है, प्रवेश करने के लिये (लूका 13:24) आप सिर्फ नाम मात्र के मसीही रहते हो, सिर्फ अधिकतर मसीही।

2. और दूसरा कारण आपके सिर्फ अधिकतर मसीही रहने का है की आप मे से कुछ खुशामद करते है, इंसान का दासवत् डर - कुछ लोग या लोंगो का डर की वे आपके विवशता मे पकड लेते है, और आपको पाप का गुलाम बना कर रखते है और आपको मसीह से दूर रखते है। आप में से कुछ लोगो को ये डर है की आप के माता-पिता क्या कहेंगे अगर आप यीशु के लिये प्रवेश करने के लिये प्रयत्न करोगे तो। आप में से कुछ दूसरे डरते है की आप के मित्र क्या कहेंगे। आप में से कुछ शायद इसलिये भी डरते है की कलीसिया में दूसरे अपरिवर्तित युवा लोग क्या सोचेंगे अगर आप गंभीर होते हो। यीशु आपके लिये कहते है जब उन्होने कहाँ, “तुम जो एक दूसरे से आदर चाहते हो, किस प्रकार विश्वास कर सकते हो?” (यूहन्ना 5:44)। प्रेरितो याकूब ने कहाँ, “जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आपको परमेश्वर का बैरी बनाता है” (याकूब 4:4)। कोई आश्चर्य नहीं की आप सिर्फ अधिकतर मसीही हो, जब से आपको “मनुष्य की प्रशंसा परमेश्वर की प्रशंसा से अधिक?” (यूहन्ना 12:43) प्रिय है। इसलिये बहुत लोग जो प्रार्थना करते है देखते है यीशु उन्हें कभी नही खोज पाते है, क्योंकि वे अपना खोयापन और दुनिया की मित्रता कभी नहीं छोडेंगे।

3. और भी दूसरा कारण आप में से कुछ लोगो के अधिकतर मसीही रहने का वो है की आप आनंद को चाहते हो। आप “परमेश्वर के नहीं वरन् सुखविलास ही के चाहनेवाले हो” (2 तीमुथियुस 3:4)। परन्तु मसीह कहते है, “यदि कोई मेरे पीछे़ आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे” (लूका 9:23)। जब आप सूनते हो की, आप में से कुछ गमगीन हो जायेंगे, क्योंकि आप को वासना के आनंद से बहुत प्रेम है। वहाँ पर कुछ लोग है जो सोचते है वे स्वर्ग मे जा सकते है अपने वासना की चाह के विरूध्ध प्रयत्न किये बिना। और ये ओर कारण है की क्यूं आप में से बहुत से सिर्फ अधिकतर, और पूरे मसीही नहीं।

4. आखरी कारण मैं दूँगा, बहुत से लोगो को अधिकतर मसीही रहने का, वो है अस्थिर और बदलता हुआ स्वभाव।
      हम रोते और विलाप करते है बहुत से बदलाव के सौगंद पर, जो बचाया हुआ दीखता है, परन्तु कुछ देर के बाद भटक जाता है, और रह जाता है शरीर गरीब मसीह का। मैं कांपता हूँ उनको ये भयानक डर फिर से बताते हुअे, “यदि वह पीछे हट जाए, तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा” (इब्रानियों 10:38), और फिर से, “क्योंकि जिन्होंने एक बार ज्योति पाई है, और जो स्वर्गीय वरदान का स्वाद चख चूके है और पवित्र आत्मा के भागी हो गए है, और परमेश्वर के उत्तम वचन का और आनेवाले युग की सामर्थ्य का स्वाद चख चूके है, यदिे वे भटक जाएँ तो उन्हे मन फिारव के लिये फिर नया बनाना अन्होना है...” (इब्रानियों 6:4-6)। अस्थिर और बदलते स्वभाव द्वारा वे अच्छी शुरूआत देखते है, परन्तु अनंत धिक्कार में पीछे ख़ीचे जाते है।

III. तीसरा, मूर्खता, पूरा पागलपन, अधिकतर मसीही से ज्यादा कुछ नहीं रहने का।

1. मैं पहला सबूत देता हूँ की आपकेा इसतरह मुक्ति नहीं मिल सकती है। ऐसे लोग अधिकतर मसीही है; परन्तु लगभग लक्ष्य पूरा करने, हकीकत में छूट जाने के लिये। जब आप मरते होतो आपका मसीही परिवार क्या कहेगा? “वो अधिकतर बचाया गया था!”

“अधिकतर” प्राप्त नहीं कर सकते;
    “अधिकतर” नाकाम होना ही है!
दुःख, दुःख, वो कडवा विलाप,
    “अधिकतर” - परन्तु खोया हुआ।
(“अधिकतर समझा हुआ” फिलिप
बी. ब्लीस द्वारा, 1838-1876)।

2. मूर्खता का दूसरा सबूत अधिकतर मसीही होने का है दूसरो को हानि पहुँचाना। अधिकतर मसीही पूरे विष्व मे सबसे हानिकारक जीव है। वो मेम्ने के भेश मे भेड़ीया है। वो झूठा भविश्यवक्ता है। अधिकतर मसीही “प्रभु के खुद के राज्य मे प्रवेष नहीं पाते; और जो प्रवेष कर लेते है वो रोके जाते है।” ये वो है जो मसीह के नास्तिक या मुसलमान या यीषु मसीह के बाद के दीनो के कलीसिया के सदस्य से भी बडे षत्रु है। क्योंकि ज्यादातर सब लोग मुसलमान, या यीषु मसीह के बाद के दिनो के कलीसिया के सदस्य या नास्तिक लोगो को जानते है; परन्तु अधिकतर मसीही, तीव्र बनावट द्वारा, बहुतोंको अपने पीछे खींचकर ले जाते है जो कभी भी मुसलमान, यीषु मसीह के बाद दिनों के कलीसिया के सदस्य या नास्तिक के पीछे नहीं गये। इसलिये अधिकतर मसीही को ज्यादा धिक्कार की आषा रखनी चाहिये, नर्क मे मुसलमान, यीषु मसीह के बाद के दिनो के कलीसिया के सदस्य या नास्तिक लोंगोसे बूरी सजा-क्योंकि अधिकतर मसीही परमेष्वर के काम का कोई भी संप्रदाय या नास्तिक कभी भी कर सकता है उससे ज्यादा सत्यानाष करते है। इसलिये नर्क का सबसे गहरा खड्डा इन अधिकतर मसीहीयो के लीये आरक्षित किया गया है।

3. मूर्खता का तीसरा सबूत अधिकतर मसीही रहने का है की ये अपने परमेष्वर के और तारणहार यीषु मसीह के प्रति सबसे बड़े अकृतज्ञ रूप् है।
      यीषु स्वर्ग से नीचे हमें बचाने आये। वे अपमानित कीये गये, तिरस्कृत किये गये, गेत्सेमनी की तडप मे खून के पसीने बहाये, पकडे गये थे, मजाक किया गया, अधमरा होने तक मारा और कील से क्रुस पर लटका दीये गये, हमारी जगह मरने के लिये। उन्होने अपना अमूल्य लहू बहाया हमे षुध्ध करने के लीये। ओह, आप कैसे कह सकते हो की आप उनसे प्रेम करते हो, जब आपका मन पूरी तरह से उनके साथ नहीं है? आप कैसे स्वीकार करते हो की वे आपको अनंत र्दुभाग्य और सज़ासे बचाने तडपे और आप अपने आपको पूरी तरह से उन्हे नहीं देते हो?
      आपका पूरा मन यीषु को दे दिजिये। दो मंतव्य के बीचमें रूकना छोड़ दिजिये। आप क्यो ओर यीषु से ओर दूर रखे जाओ? आपको उस पापों की गुलामी जो दुनिया, षरीर और ष्‍ौतानसे नहीं बदलनेवाली उससे इतना प्यार क्यो करना चाहिये-जो, आत्मिक जंजीर जैसी, आपके आत्मा को बांधती है और नीचे पकडकर रखते है और यीषु से दूर रखती है? आप किससे डरते हो? आप क्योंअपने आपको पूरा यीषु को नहीं दे देते? क्या आप सोचते हो की सिर्फ आधा मसीही बनकर आप खुष रहोगे? क्या आप सोचते हो की अपने आपको पूरा यीषु को सोंप देने से आप दुःखी हो जाओगे?
      यह सोचना बहुत धोखेदायक है की मसीह और दुनिया के बीच मे डगमगाते रहना आपको संतुश्ट कर सकता है। नहीं-इस तरह का डगमगना आपको यीषु द्वारा दीये गये आराम के अनुभव से दूर रखता है। सिर्फ जब आप अपना पूरा मन यीषु को मन देते हो तभी आपको परमेष्वर के साथ षांति मीलेगी।
      अंत मे, मैं आपको मजबूती से अधिकतर मसीही होने से पीछे मुडने को कहता हूँ। प्रभु के गुस्से और दण्ड से दूर रहो। चाहे आपको जो भी किंमत हो, मसीह को छोड़ दो। फिर अपने आपको ज्यादा से ज्यादा उनको देने का प्रयत्न करो। हमेंषा प्रार्थना करते रहो, अपने आपको हंमेषा धोबी की तरह दृश्टी और उसके भव्य आनंद के लिये तैयार रखो, जिसकी हाजरीमे वहॉ पर पूरा आनंद है और जिसके दाहिने हाथ मे वहॉ पर हंमेषा से ज्यादा आनंद है। आमेन!


ये ध्‍ाार्मिक प्रवचन, “अधिकतर मसीही”, ज्योर्ज वाइटफिल्ड द्वारा पहले बडे जागृतता (1730-1760) के दौरान दीया गया था। मैंने उसका संपादन किया और आधुनिक इंसान के कम षिक्षत दिमाग को ज्यादा आसीनी से समझनेके लिये सरल बनाया। आप षायद इसे फिर से पढ़े, और इस के बारे मे गहराई से सोचे। आप षायद “अधिकतर मसीही” होने से मुड़ जायें। षायद परमेष्वर खुद आपको “केवल” सच्चा मसीही (प्रेरितो 26:29) बनाये, ताकि कीसी भी दिन आपके लिये ये नही कहॉ जाये की,

“अधिकतर समझा हुआ,” पैदावार भूतकाल है!
    “अधिकतर समझा हुआ”, अंतमे कयामत आती है
“अधिकतर” प्राप्त नहीं कर सकते;
    “अधिकतर” निश्फल होना ही है!
दूःख, दूःख, वो कडवा हुआ।
    “अधिकतर” - परन्तु खोया हुआ।
(“अधिकतर समझा हुआ” फिलिप बी. ब्लीस द्वारा,1838-1876)

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्र वाक्या : प्रेरितो 26:19-29।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जानिन कीनकेड ग्रीफिथ व्दारा गाया हुआ गीत :
“अधिकतर समझा हुआ” (फिलिप बी. ब्लीस द्वारा, 1838-1876)।


रूपरेखा

अधिकतर मसीही - आदरणीय ज्योर्ज वाईटफिल्ड, एम.ए.द्वारा दीये हुए
धार्मिक प्रवचन से अनूरूप किया हुआ

डॉ. आर. एल. हायमर्स, जुनि द्वारा

“तू थोड़े ही समझाने से मुझे मसीही बनाना चाहता है” (प्रेरितों 26:28)।

(लूका 21:12; प्रेरितो 26:24, 25, 23, 26, 27, 28)।

I. पहला, अधिकतर मसीही होने का अर्थ क्या है, याकूब 1:8;
2 तीमुथियुस 3:5; मती 25:30; प्रेरितो 26:29।

II. दुसरा, क्यो बहुत सारे अधिकतर मसीही से ज्यादा नही है, यूहन्ना 3:9; लूका 13:24; यूहन्ना 5:44; याकूब 4:4; यूहन्ना 12:43; 2 तीमुथियुस 3:4; लूका 9:23 इब्रानियों 10:38; 6:4-6।

III. तीसरा, मूर्खता, पूरा पागलपन, अधिकतर मसीही से ज्यादा कुछ नहीं रहने का, प्ररितो 26:29।