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मुख्य विशय ! अंतरहित विशय !

THE MAIN SUBJECT! THE INEXHAUSTIBLE SUBJECT!

डॉ.आर.एल. हायमर्स, जुनि. द्वारा।
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बेप्टीस टबरनेकल कलीसीया में फरवरी 7,2010 को प्रभु के दिन की सुबह को दिया गया धार्मिक प्रवचन।
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, February 7, 2010

“क्योंकि मैने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाये हुए मसीह को छोड और किसी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।


मैंने एक सामान्य पादरियों की तालीम की महाविद्यालय से अपनी स्नातकता प्राप्त की। मैं सिर्फ इसलिये वहां गया क्योकि मेरे पास खास विद्यालय मे जाने के लिए पैसे नही थे। मैंने ठान लिया कि मैं बाइबल को मान्यता दूंगा और मुझे अन्य कोई भी बाते सीखाई जाये, मै इस से फिरूंगा नहीं-और मैने जहाँ तक बन पाये यह किया। लेकिन यहाँ पर एक सामान्य लेखक थे जिन्होने मुझे परेषान किया। कार्ल बार्थ ने कहा, “एक तरफ समाचार पत्र से प्रवचन देना और दूसरी ओर बाइबल” उस समय यह एक अच्छा तरीका रहा। उनके यह विचार थे-आपके प्रवचन को इस के संदर्भ मे रखने के, लिये आपको समाचारों के साथ जुडा रहना होगा। लेकिन आज मै माफी चाहता हूँ क्योंकि मैने गलत सलाह को सुना। मैने यह कबका छोड़ दिया था। यह धार्मिक प्रवचन आपको बतायेगा की मैंने अपना विचार क्यों बदल दिया।

मुझे यह सुनकर ताजुब हुआ की कई नबदलनेवाले प्रवक्ता हर खब़र को बाइबल की भविश्यपाणी के साथ जोड़ते है। मुझे यह लगता है कि उन्होने न चाहते हुए यह सामान्य राय अपनाई-इस बात की जानकारी के बीना ! मैंने जो “समाचार” अपने एक-दो धार्मिक प्रवचन में दिये है वह गर्भपात के खिलाफ जनवरी मे, वरिश्ठ अदालत के गलत निर्णय जो कसाई को मंजूरी दी 51 मिलियन मजबूर बच्चों के लिये अमेरिका में। लेकिन जब यह द्रुश्टता के बारे मे बात भी करते है, मै यह बताने के लिये करता हूँ की अमेरिका एक ख्रिस्ती राश्ट्र नही है, और लेागो का भ्रश्टाचार दिखाने-और उस लेागों की एक मात्र आषा जो पापों के बंधन से मुक्ति दिला सकती है, वह सिर्फ यीषु मसीह मे ही है और इसलिये उन्हे क्रुस पर चढाया गया!

मेरा प्रवचन देना बंद करने का एक कारण है “समाचार पत्र एक हाथमे और दूसरे हाथ में बाइबल” क्योंकि अब बहुत कम लोग समाचार पत्र पढ़ते है। राजनिति और सामाजिक बदलाव कई बार उनकी जींदगी पर असर करते है। मंदी, खराब नेता, लड़ाई, कुदरती हालात, और दूसरी कई चीजे आज “मुख्य समाचार पर हावी हो जाते है”, जिसे कल भूलाया जाएगा। जो आज षायद महत्वपूर्ण हो, लेकिन वह जल्द ही लोगो की याददास्त से चला जाएगा। कौन याद करता है की नेपोलियनने क्या कीया? किसी को क्या लेनदेना है कि बोयर की लडाई या वि�वयुध्घ में क्या हुआ? लेकिन हजारो साल बाद भी अब से आत्माकी अमरता की मंजिल हमारे आज सुबह के विशय पर आधारित हे-और इसलिये,

“मैंने ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाए हुए मसीह को छ़ोड और किस बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

जब प्रेरितो पौलुस ने वह षब्द लिखे तब वह खूनी दरिंदा नीरो रोमन साम्राज्य का ताज पहेने हुए था, अब तक पौलुसने सिर्फ उपरी तरीके से उनका संदर्भ दिया है, बीना उनके नामको व्यक्त किये, लेकिन सिर्फ प्रभु के लोगों को प्रार्थना करने के लिये “राजाओ, और सब उँचे पदवालो के निमित्त” (1 कुरिन्थियों 2:2)। इसलिये मुझे लगता है कि प्रवक्ताको राजनिति के विशय को रेडियो और फोक्स समाचार के लिये छोड़ देना चाहिये। मुझे लगता है कि हमे प्रेरितो पौलुस के द्रश्टांत पर चलना चाहिये और यह श्रेश्ठ विशय जो लोगो को ओर कहीं सुनने नहीं मीलेगा उससे जुडे रहने के लिये ठान लेना चाहियें। इसलिये हम “ठान लिया की यीषु मसीह, के अलावा कुछ नहीं और उन्हे क्रुस पर चढाया गया”। इस नियम मे तीन हिस्से खडे होते है।

।. पहला, षब्द है “मैंने ठान लिया”।

“मैंने ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाए गए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

“ठान लिया” यह एक ग्रीक षब्द “क्रिनो” का अंग्रजी अनुवाद है। इस का मतलब है “निर्णय लेना” (पक्का)। पौलुसने निर्णय लिया की उनके प्रवचन धर्मानुसार-यीषु केन्द्रीत ही होंगे। यह आकस्मिक बात नहीं है। यह जानबूझकर लिया गया निर्णय है जो उसने लिया था, निर्णय प्रवचन मे यीषु और उनके क्रुस पर चढाये जाने के विशय पर ही केन्द्रित हो। अलबर्ट बर्नेस ने बहुत अच्छी तरह से कहाँ है,

      सुसमाचार देने वाले हर नेता की यह प्रतिज्ञा होनी चाहिये। यह उनका व्यापार है। यह राजनितिज्ञ नही है; और कोई भी कडवी नाराजगी या लोगो के वाद-विवाद... नही होना चाहिये। नही कोई फिलसुक या तत्वज्ञान, और कोेई रस भरे लोग की बाते, लेकिन यीषु के क्रुस पर चढाये जाना एक भव्य चीज है उन्हे ध्यान की, और हमेषा हर जगह उनको जानने के लिये। वे कही भी षरमिंदा नही थे। गलत मान्यता की यीषु को क्रुस पर चढाया गया। इस मे वे घमंडी थे। चाहे दुनिया उनका मजाक उडाये, षायद फिलसुक ताने कसे; षायद धनवान और सजातीय लोग भी इसका मज़ाक बनाये, यह उनके पसंद की उत्तम चीज ही है, और कभी भी नही और कोई भी समाज में उन्हे षर्म नही होगी... की {प्रवचन देना} अपने आप मे (संदर्भ मे) एक पावन कार्य, सम्मान, कार्य, मान्यता, लोग और यीषु के अनुयायी, वे सफल होंगे। इसलीये ये प्रैेरितो के समय मे था, और यह सुधार में भी था। और यह मोरवीयन मिषन मेे भी था; इसलिये यह हर धर्म की प्रगति मे होना ही चाहियें । {यीषु-केन्द्रित} प्रवचन मे वह ताकत है जो तत्वज्ञान और मानवीय कारणो मे नही है। ‘यीषु प्रभु के आज्ञाकारी है' विष्व की मुक्ति के लिये; और हम दुनिया मे जुर्म और गलत काम करते है, सिर्फ जब क्रुस को हाथेंमे पकडते है तो हमे लगता हे कि हम इन सबसे बाहर आ गये, और हमारी गलतियो को दूसरे पर धकेलते है (अलबर्ट बॅनेस; नये नियमावली की सूची पत्र में, बेकर बुक हाऊस, 1983 मे फिर से छपाया, 1 कुरिन्थियों 2:2 पर टीप्पणी।)

पौलुस कभी कभी भविश्यवाणी पर बात करते थे, लेकिन वह उनका मुख्य विशय नहीं था। उन्होने कभी कभी विवाह और परिवार के बारे मे भी बातें की, लेकिन यह भी उनका मुख्य विशय नहीं था। और यह स्पश्ट है की उन्होने कभी प्रगति कैसे करें, या अच्छा महेसूस कैसे करें, पर कभी भी बात नहीं की, या कोई और विशय जो आजके “आधुनिक” मनुश्य-केन्द्रित प्रवचन में मषहूर हुआ हो। डॉ. मायकल हार्टन, अपनी किताब क्राइस्टलेस क्रीस्टीयानीटी, मे कहाँ है की अमेरिका मे अधिकतम प्रवचन, सुसमाचार प्रवचन भी, प्रेरणात्मक, उपचार पध्दति पर आधारित होते है, वे कहते है कि प्रेरणात्मक, उपचार पध्दति मे “जीवन केन्द्रिय लक्ष्य खुष रहेना और अपने आप मे अच्छा महेसूस करना है” (मायकल हार्टन, पी.एचडी., क्राइस्टलेस क्रीस्टीयानीटी, बेकर बुक्स, 2008,पृश्ठ.41)। उन्होने कहा उनका लक्ष्य अमेरिका के प्रवचन में बाहर आया, मुख्य पादरी इस तरह के विशय पर बोल रहे थे जैसे, “अपने आपको अच्छा कैसै महेसूस कराये;” “मानसिक तनाव से बाहर कैसे आये”, “जीवन मे पूर्णता और सफलता कैसे पाये”, “आपको संभाले बिना आपका पैसा कैसे संभाले” “पारिवारिक जीवन की सफलता का रहस्य”, “तनाव से मुक्त कैसे हो”, वगैरे (ibid, पृश्ठ.49)। बेप्टीस कलीसिया के प्रवचन के मुदे से उन्हे ये सब पता चला। क्या यह अजीब नहीं है की पे्ररितोने कभी भी इस विशयों पर प्रवचन नही दिया? फिर भी वे हमेषा आधुनिक सुसमाचार प्रवचन करते है! क्या ये कभी किसी के दिमाग में नही आया की यह प्रेरितोका प्रवचन नही है, की यह बाइबल का प्रवचन नही है? यह आधुनिक विशय मानव केन्द्रित है, नही की यीषु- केन्द्रित। ये सारे मानसिक रूप से मदद रूप है, नही की धार्मिक रूप से। मुझे याद है डॉ ए.डब्ल्यु. टोझर, का यह वाक्य जो उन्होने कहा, “सारी पेरेषानियां हकीकत मे आत्मीक परेषानीयां होती है। सारी परेषानी, मुसीबते आत्मीक है और अगर आपको प्रभु मिलते है तो सब कुछ अपने आप सरल बन जाता है (डॉ ए. डब्ल्यु टोझर, डी.डी.,“मानव जो प्रभु से मिले”)। मै उनसे सहमत हूँ। इसलिये प्ररितो पौलुस ने कभी भी ये आधुनिक विशयों पर प्रवचन नहीं दिया, उनके बाइबल के प्रवचन के मतानुसार। पौलुस सदा “यीषु मसीह और उनके क्रुस पर चढाये जाने” पर प्रवचन करते थे। क्योकि मनुश्य यीषु के द्वारा ही प्रभु के पास आ सकते है, और वे क्रुस पर चढाये गये!

हमेंषा और सदा पौलुस ने “ठान लिया” की वे अपने प्रवचन के केन्द्र मे और अपने हृदय मे “यीषु और उनको क्रुस पर चढाया गया” ही रखेंगे। यह पहलेसे ही था। जब से पौलुस परिवर्तत और बप्तिस हुए।

“वह तुरन्त आराधनालयो मे यीषु का प्रचार करने लगा कि वह परमेष्वर का पुत्र है” (प्ररितो 9:20)।

और तुरन्त बाद

“निधड़क होकर प्रभु के नाम से प्रचार करता था; और यूनानी भाशा बोलनेवाले यहूदियो के साथ बातचीत और वाद-विवाद करता था; परन्तु वे उसे मार डालने का यत्न करने लगे” (प्ररितो 9:29)।

पौलुस ने, कुरिन्थियोंसे कहा,

“हम तो उस क्रुस पर चढाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं, जो यहूदियों के लिये ठोकर का कारण और अन्य जातिंयो के लिये मूर्खता है;” (1 कुरिन्थियों 1:23)

उन्होने, रामियो से कहा,

“मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिये कि वह हर एक विष्वास करनेवाले के लिये, पहले तो यहूदी फिर युनानी के लिये, उध्दार के निमित्त परमेष्वर की सामर्थ्य है” (रोमियो 1:16)।

इस के बदले, जैसे स्पर्जनने कहा, पौलुस “एक विशय के मानव” थे! उस धार्मिक प्रवचन मे स्पर्जन कहा,

पौलुस बहुत ठान लेनेवाला व्यक्ति था, और उन्हाने जो भी जिम्मेदारी ली वह उन्होंने अपने हृदय से किया। एक बार उनको कहने दो, “मैंने ठान लिया”, और आप {षायद} जरूर षारिरीक और षक्तिषाली कार्यकाल में... ये कुछ ज्यादा हैरतमंद नही था की जब वे वोही यीषु के चेले बने, जीनके साथ उन्होने बुरा बर्ताव किया था। वे अपनी सारी... मानसिक षक्ति को यह यीषु के क्रुस पर चढाने के प्रवचन के लिये लाये। उनका परिवर्तन इतना पक्का और पूरा था की आप उनको देखने की आषा रख सकते है... इसलिये यीषु पर अपना विष्वास जीतकर {की वे प्रवेष करें} उनके कारणोे मे अपने पूरे हृदय और आत्मा और मक्कम (ठान लेना) तरह से सिर्फ प्रभु के क्रुस पर चढाने के विशय मे जान लेना (सी.एच.स्पर्जन, “एक विशय का मानवी”, घ मेट्रोपोलिटन टबरनेफल तख्त, पीलग्रीम प्रकाषक, 1971 मे फिर से छापा गया, भाग ग्ग्प्, पृश्ठ 637)।

जब मैने पहेली बार प्रवचन देना षुरू किया, यीषु के दोबारा आने का विशय मेरा मुख्य विशय था- क्योंकि मैं मुख्य विशय के संदेष के समय ही परिवर्तित हुआ था। लेकिन जैसे में बडा होता हूं, और मैं ज्यादा पवित्र वाक्या पढ रहा हूँ, मैं अपने आपमे ज्यादा हो गया हूँ,

“मैंने यह ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

॥. दूसरा, षब्द है, “यीषु मसीह”।

“मैं ने यह ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)

मुझे डॉ जोन गील को पढ़ना पसंद है। उन्होने पूरे बाइबल पर नौ भाग का मंतव्य लीखा है-उत्पति से प्रकाषित वाक्य तक। लेकिन आप कोई भी एक मंतव्य को खोलीये और हर एक पृश्ठ पर आप “यीषु”, या “यीषु मसीह”, या “प्रभु यीषु मसीह” या “यीषु का सुसमाचार”, देख सकते हो। डॉ.गील के प्रति लोग जो भी कटाक्ष करे, उन्हे कहे “प्रखर-काल्वीनीस्ट”, यह तय है की-उन्होने प्रभु यीषु मसीह को उत्तम तरीके से बताया है। और पवित्र षास्त्र के हर पृश्ठ पर यीषु को दिखाया है, इसलिये हर ख्रिस्ती को बाइबल देखना चाहिये-क्योंकि बाइबल का श्रेश्ठ मुख्य केन्द्र यीषु मसीह है! बाइबल का मुख्य मुद्दा कैसे प्रगति करना नही है। षर्मनाक! यह भविश्यवाणी के बारीक मुद्दे नही है, और नाही आपको अपने आपमे अच्छा महेसूस कराना, और नाही खुषहाल घर का होना, या बच्चों को कैसे, पालना - और कोई भी ऐसा विशय नही जो आजकल के पादरीयो को मुख्य लगता है। यीषु मसीह पूर्ण बाइबल के केन्द्र है; एक ओर से दूसरे छोर तक! यह यीषु ने खुदने कहां है,

“मैं अलफा और ओमेगा, पहला और अंतिम, आदि और अन्त हूँ” (प्रकाषित वाक्य 22:13)।

हम यीषु मसीह के विशय को कैसे नजरअंदाज कर सकते है? हम उनके विशयमें सुनते कैसे थक सकते है? हमें उनके सारे विशयों के बारे में जानने के लिये कैसे समय मिल सकता है? हकीकत में, हम सोच ही कैसे सकते हे, यीषु मसीह के अलावा और किसी के बारे मे बात करना? या हम ये क्यो करे, जब यीषु मसीह

“उसी की ओर से तुम मसीह यीषु मे हो, जो परमेष्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा, अर्थात् धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा; ताकि जैसा लिखा है, पैसा ही हो, जो घमंड करे वह प्रभु मे घमंड करे” (1 कुरिन्थियों 1:30-31)?

यह तो यीषु मसीह है जीन्होने सभी लोगो पर अपनी कृपा की,

“मैंने यह ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ किसी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

डॉ.गील ने कहा, प्ररितो पौलुस ने यीषु मसीह को अपने प्रवचन का केन्द्र बनाया है,

...उसमे उन्होने बहुत आनंद और षुकुन पाया; उन्होने यीषु के लीये लोगों को आदर सिखाया, जैसे वे प्रभु थे, प्रभुका बालक, और सच्चा इंसान, प्रभु और इंसान दानो एक ही व्यक्ति मे; जो उनके कार्यालय को आदर दे, जैसे वह एक देवदूत था, एक माध्यम, भविश्यवेता, पादरी और राजा, उपरी, पति, तारणहार, और पापों से बचानेवाला उनके कलीसिया और लोगो का; और चीजे जो उनके काम का आदर करें, और उनके आषीर्वाद की कृपा पाये; और उनका मनसे सच्चाइ साबित करना, उनके रक्त से माफी, षांति, भााईचारा नियम, उनके बलिदान से और मुक्ति, उनके और पूर्णतः उनके द्वारा। उनका निर्णय सिर्फ यीषु के बारे मे ही प्रवचन देना था (जॉन गील डी.डी. नये नियमावली की पूरी जानकारी, घ बेप्टीस स्टानर्डड बेरर, 1989 मे फिर से छापा, 1809 का अध्याय, भाग II, पृश्ठ 607; II कुरिन्थियों 2:2 पर टीप्पणी)

डॉ गील ने बहुत विशय दीये जो यीषु मसीह के बारे मे पूरे साल के हर रविवार के प्रवचन के लिये- नही, ज्यादातर जीवन भर! कुछ साल पहेले मैने लगातार सात धार्मिक प्रवचन से यीषु के बारे में गेत्समनी के बगीचे में दिये। फिर भी मैं महेसूस करता हूं की मैंनं विशय को षायद ही कहाँ है! 2007 की साल मे मैने लगातार 14 धार्मिक प्रवचन दिये।यीषु, प्रभुके तडपते भक्त, यषायाह 52:13 से यषायाह 52:13 द्वारा। फिर भी मै जरूर जानता हूँ कि कुछ और धार्मिक प्रवचन जो यीषु मसीह पर है वे पवित्र, वाक्या में से लीये गये होंगें यीषु के बारे मे प्रवचन सुनने से ज्यादा कुछ और ज्यादा रोमांचक, या मतलब का, या मददरूप् कुछ भी नही हो सकता, यीषु के बारे मे पढना और यीषु के बारे मे सोचना। मैं सेम्युल मेडली से पूरी तरह सहमत हूँ, जीन्होने वह कविता के षब्द लिखे जीसे श्रीमान ग्रीफिथने अभी कुछ क्षण पहेले गाया,

यीषु! मेरे हृदय पर तराषा,
   वो जो आपमे एक जरूरी कलाः
मै सारी चीज़ो से विभक्त हूँ,
   लेकिन कदापि, कदापि नही, प्रभु से दूर!
(“यीषु! मेरे हृदय पर तराषा” सेम्युल मेडली द्वारा, 1738-1799, राग है “मैं जैसा हूँ”।)

मैंने आपको पाठ दिया है, 1कुरिन्थियों 2:2। अगर वह आपको आपके पसंदीदा प्रवक्ता नही बता सकते, तो मैं उसमे कुछ मददरूप नही हूँ। वहाँ पाठ है। मैंने तो वही दिया जो प्रेरितो ने कहा. ये वहाँ है, पवित्र वाक्या के पन्ने पर! आप वही करो जो आप चाहते हो - लेकिन वे वहाँ है।

“क्योंकि मैंने यह ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

लेकिन एक आखरी भाग है इस पाठ का जीसके बारे में हमे आज इस सुबह सोचना है।

॥।. तीसरा, षब्द है “और वे क्रुस पर चढ़ाए गये”

“मैंने यह ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

ये कोई काल्पनिक “यीषु का भूत” नहीं था जीसके बारे मे प्रेरिताने प्रवचन दिया। यह हकीकत में यीषु के मांस और हड्डीया है जीसे किल से क्रुस पर चढाया गया! यह कोई पवित्र आत्मा नही थी, नाही कोई यीषु का द्रश्टांत, ना ही यीषु का दूसरा जन्म जो पौलुस के केन्द्रित संदेष में था। महेरबानी करके मुझे सोच समझकर सुनीये-यह यीषु नही है जीस के बारे मे हमने बाइबल के पन्नो मे पढा है-यीषु के लिये पौलुस ने प्रवचन दिया वे सच्चे व्यक्ति है, नही की कोई पात्र जीसका कुछ षब्दोमें वर्णन किया गया हो। यीषु ने खुदने कहाँ है,

“तुम पवित्रषास्त्र में ढूंढते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमे अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है; और यह वही है जो मेरी गवाही देता है” (यूहन्ना 5:39)।

पौलुस ने सच्चे यीषु मसीह पर प्रवचन दिया, जीन्होने हकिकत मे आपके पापों को भूगता जो उन पर किये गये गेत्समीनी के बगीचे में - हकीकत मे कौन था उस बगीचे के अंधेरे में,

“वह अत्यंत संकट में व्याकुल होकर और भी हार्दिक वेदना से प्रार्थना करने लगा; और उसका पसीना मानो लहू की बड़ी बूँदो के समान भूमि पर गिर रहा था” (लूका 22:44)।

ये सचमें यीषु ही थे जीन्होने पिलातुस द्वारा दिये गये सारे जुर्म सहे, और दो चोरो के बीच में क्रुस पर कील से चढ़ाये गये, जीसके बारे मे प्रेरितो ने बात की!

“क्योंकि मैंने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाये हुए मसीह को छोड़ और किसी भी बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

यीषु का क्रुस पर चढाना सिर्फ एैसा नहीं है जीस के बारे में हम प्रभु के अंतिम भोज के वक्त ही सोचे। यह विशय इतना छोटा नहीं है जीसके बारे मे हम सिर्फ इस्टर के वक्त सोचे। ना! यीषु का क्रुस पर चढ़ना वह सच्चे धर्म का केन्द्र है! इसीलिये यीषु का क्रुस पर चढ़ाने के बारे में चारो पवित्र वाक्या में अच्छी तरह बताया गया है। इसलिये यीषु का क्रुस पर चढ़ाना प्रेरितोकी किताब मे प्रेरितो द्वारा बारबार बताया जाता है, और एपीस्टल मे भी! यीषु मसीह का क्रुस पर चढाना पवित्र वाक्या का पहला मुदा था, जो प्ररितो पतरस ने दिया, अपने पिन्तेकुस्त दिन के धार्मिक प्रवचन मेः

“उसी यीषु को, जो परमेष्वर की ठहराई हुई योजना और पूर्व ज्ञान के अनुसार पकड़वाया गया, तुम ने अधर्मियो के हाथ से क्रुस पर चढ़वाकर मार डाला” (प्रेरितो 2:23)।

और प्रेरितो पौलुस ने कहाँ,

“हम तो उस क्रुस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते है।” (1 कुरिन्थियों 1:23)

डॉ. जॉन मेकआर्थर, जो अनजाने से यीषु के विशय मे गलत थे, सालो तक उनकी कभी खत्म न होने वाली पुत्रता और कभी खत्म न होनेवाली हकीकत, और उनके रक्त की ताकत, वह तब सच हुआ जब उन्होने कहाँ,” पुराने कलीसिया में क्रुस पर प्रवचन देना इतना ठोस था की मानने वाले समझते थे की हम एक मृत व्यक्ति की पूजा कर रहे है” (घ मेकआर्थर स्टडी बाइबल, वर्ड बाइबलस, 1997; 1 कुरिन्थियों 2:2 पर टीप्पणी)। मुझे संदेह है की कुछ लोग आज भी ज्यादातर कलीसिया मे कहते है, उनके भी।

भाइयो और बहेनों, चलीये प्रार्थना करे की ये हमारा भी कहना हो - जैसे वह श्रेश्ठ संतो और वे लोग जो अपनी मान्यताओ के लिये मारे गये उनका भी था! प्रार्थना कीजीये की वे अपने कलीसिया मे हमेषा यीषु के बारे मे सोचे, एक इंसानी-प्रभु, जो हमारे पापों के लिये क्रुस पर चढ़े!

अपरिवर्तित लोग यीषु के क्रुस पर चढाने के बारे मे नहीं सोचते! वासना-पुरूश अपने विचारो और इच्छाओ के बारे में ही सोचेंगे। वे यीषु के क्रुस पर चढ़ाने के बारे मे सिर्फ मृत्यु की इच्छा सोचेंगे, लेकिन वे गलत है! यह जीवन मृत्यु की बात है! यह बाइबल केन्द्रिय मुदा है-और बहुत खास विशय जो कोई भी पुरूश या स्त्री हमेषा मानेंगे - इस जीवन मे और अगले जीवन में भी ! यह सुनीये क्योंकि आपके आत्मा की मुक्ति इस पर आधारित है,

“परमेष्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। अतः जब कि हम अब उसके लहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा परमेष्वर के क्रोध से क्यो न बचेंगे” (रोमियो 5:8-9)।

यीषु मसीह आपके बदले भरे आपके पापो को क्रुस पर चूकाने। यह सच मानीये और अपनी सोच से यीषु की तरफ मुडीयें, और आपके पापो को माफी मिलेगी, और आप बच जाओगे! यह सच मानीये, और उन पर आधारित रहो, और यीषु मसीह आपको जीवन के कठीन प्रवाह और चिंता से दूर ले जायेंगे-और आपको प्रभु के राज्य के राज्य में सही सलामत पहोचायेंगे! इसीलिये,

“मैने यह ठान लिया था कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाये हुए मसीह को छोड और किसी बात को न जानूँ।” (1 कुरिन्थियों 2:2)

फिर अभी भी मुझे जरूरत (यीषु)! मेरे राजा!
उनका नाम हमेषा मैं गाऊगां;
उनकी हमेषा घमंड और प्रषंसा,
एक जरूरी चीज; यीषु ही है!
(“यीषु! मेरे हृदयपर तराषा” सेम्युल मेडली द्वारा, 1738-1799;
डॉ हायमर्स द्वारा ठीक किया गया; राग है “मैं जैसा हूँ”)।

(संदेश का अंत)
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डॉ क्रेगटन एल चान द्वारा प्रवचन के पहेले पढ़ा गया पवित्र वाक्या ः लूका 23:32-36।
प्रवचन के पहेले श्रीमान बेन्जानीन कीनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीतः
“यीषु! मेरे हृदय पर तराषा” (सेम्युल मेडली द्वारा 1738-1799)


रूपरेखा

मुख्य विशय ! अंतरहित विशय !

डॉ.आर.एल. हायमर्स, जुनि द्वारा।

“क्योंकि मैने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीषु मसीह वरन् क्रुस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ किसी और बात को न जानूँ” (1 कुरिन्थियों 2:2)।

(1 तीमुथियुस 2:2)

I.    पहला, षब्द है “मैंने ठान लिया”, 1कुरिन्थियों 2:2अ; प्रेरितो 9:20, 29;
1 कुरिन्थियों 2:23, रोमियो 1:16।

II.    दूसरा, षब्द है, “यीषु मसीह”, 1कुरिन्थियों 2:2ब; प्रकाषितवाक्य 22:13,
1कुरिन्थियों 1:30-31।

III.  तीसरा, षब्द है “और वे क्रुस पर चढ़ाए गये”, 1 कुरिन्थियों 2:2क; यूहन्ना
5:39; लूका 22:44; प्रेरितो 2:23; 1 कुरिन्थियों 1:23; रोमियो 5:8-9।