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कैसे एक शुभ संदेश तैयार करें −
भुला दिये गये सत्य सच्चे परिवर्तन के लिये आवश्यक है

HOW TO PREPARE AN EVANGELISTIC SERMON –
FORGOTTEN TRUTHS NEEDED FOR REAL CONVERSIONS
(Hindi)

डॉ सी एल कैगन और डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. C. L. Cagan and Dr. R. L. Hymers, Jr.

दि बैपटिस्ट टैबरनेकल ल्योस ऐंजीलिस में शनिवार संध्या
१४ अक्टूबर‚ २०१७ को दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Saturday Evening, October 14, 2017

‘‘सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर"
(२ तीमोथि ४:५)


सम्राट नीरों के शासन के सताव काल में अपने वध किये जाने से थोड़े समय पूर्व प्रेरित पौलुस ने ये शब्द तीमोथियुस को कहे थे। तीमोथियुस पौलुस का शिष्य था। पौलुस ने उसे सेवकाई के कार्य के लिये प्रशिक्षित किया था। तीमोथियुस का मुख्य कार्य पास्तरीय सेवकाई करना था।

तीमोथियुस का सेवकाई कार्य ‘‘शुभ संदेश प्रचारक फिलिप" के समान नहीं था (प्रेरितों के कार्य २१:८) । फिलिप एक स्थान से दूसरे स्थान जाता रहता था। फिलिप सामरिया गया और वहां उसने मसीह के विषय में प्रचार किया (प्रेरितों के कार्य ८:५)। फिर फिलिप रेगिस्तान में गया और मिस्र के अधिकारी को मसीह के पास लेकर आया (प्रेरितों के कार्य ८:२६−३९) । तब अन्य शहरों में भी उसने मसीह का प्रचार किया (प्रेरितों के कार्य ८:४०) । फिलिप घूम घूम कर प्रचार करने वाला प्रचारक था। तीमोथियुस एक स्थानीय चर्च का पादरी था।

पौलुस ने तीमोथियुस को क्यों ‘‘शुभ संदेश प्रचारक का कार्य" करने के लिये कहा? क्योंकि हर एक पास्टर शुभ संदेश प्रचारक का कार्य करने के लिये ठहराया गया है! पौलुस ने तीमोथियुस को ‘‘(उसकी) सेवा को पूर्ण करने के लिये कहा" (२ तीमोथि ४:५) । उसकी सेवा की पूर्णता किस बात में निहित थी? ‘‘शुभ संदेश प्रचारक का कार्य" करने में! प्रत्येक पास्टर को शुभ संदेश प्रचारक का कार्य करने की बुलाहट दी गयी थी। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो जैसा परमेश्वर ने आज्ञा दी थी आप उसके अनुरूप नहीं कर रहे हैं!

हर पास्टर अपने चर्च में प्रचार करता है। यह उसकी बुलाहट है। हर पास्टर को अपने चर्च में शुभ सुसमाचार वाले संदेश अवश्य सुनाना चाहिये − और अक्सर उन्हें प्रचार करना चाहिये! अगर आप संडे स्कूल में साल में एक या दो बार शुभ सुसमाचार सुनाने की जिम्मेदारी छोड़ देते हैं, तो आप एक विश्वसनीय प्रचारक नहीं हैं। अगर आप लोगों को केवल शिक्षा प्रदान करते रहते हैं, तो आप विश्वसनीय प्रचारक नहीं हैं। आप की सेवकाई में आप को केवल बाइबल से शिक्षा देना ही शामिल नहीं हैं। परंतु आप को सुसमाचार प्रचारक का कार्य भी करना है। आप को सुसमाचारीय संदेश सुनाना है और उन्हें नियमित सुनाना है।

सुसमाचारीय संदेश कैसा होता है? यह सीधे कलीसिया में खोये भटके हुए लोगों पर केद्रित होता है‚ उनमें से कई लोग चर्च के बहुत सारे कार्य करने में भी संलग्न होते हैं यद्यपि, कुछ तो बिल्कुल नियमित हर सप्ताह चर्च आते हैं। संपूर्ण सुसमाचारिय संदेश पाप की सच्चाई बखान करता है और मसीह में उद्धार मिलता है, इसका वर्णन करता है - ताकि खोये हुए लोग सुनकर यीशु पर विश्वास करें और पापों से छुटकारा पायें। एक सुसमाचारीय संदेश, व्याख्यात्मक संदेश के समान नहीं होता है, जिसमें बाइबल के पदों को एक एक करके समझाया जाता है। एक या दो पद लेवें और उस पर से प्रचार करें। सुसमाचारीय संदेश एक या दो पदों की सच्चाई पर ध्यान केंद्रित रखता है। बहुत सारे पद लेकर उनकी व्याख्या करते जाना सुसमाचारीय संदेश नहीं कहलाता है। स्पर्जन के सुसमाचारीय संदेशों का अध्ययन कीजिये। संपूर्ण प्रेरितों के कार्य में केवल एक ‘‘व्याख्यात्मक" संदेश मिलता है! जब हम सुसमाचारीय संदेश प्रचार करते हैं हमें प्रेरितों और स्पर्जन के उदाहरण का अनुसरण करना चाहिये!

वर्तमान में बहुत कम पास्टर सुसमाचारीय संदेश प्रचार करते हैं। कई तो बिल्कुल ही प्रचार नहीं करते हैं। अमेरिका में वर्तमान में हम बहुत कम सुसमाचारीय संदेश सुनते हैं। दूसरे देशों में भी यही स्थिति है। पास्टर अपने लोगों को बाइबल सिखाते हैं - या चंगाई‚ समृद्धि या कैसे अच्छा महसूस करें पर प्रचार करते हैं - मसीह का सुसमाचार छोड़कर हर प्रकार का प्रचार करते हैं! वे बाइबल की आज्ञा नहीं मानते हैं‚ जो कहती है‚ ‘‘सुसमाचार प्रचारक का कार्य करो।"

आप कह सकते हैं‚ ‘‘किंतु मैं कैसे सुसमाचारीय संदेश तैयार करूं? मुझे क्या करना चाहिये?" यह संदेश इसी विषय से संबंधित है। मैं आप को बताता हूं कि कैसे शुभ संदेश की तैयारी करें। एक सुसमाचारीय संदेश शुभ संदेश पर केंद्रित होता है।

शुभ संदेश क्या होता है? शुभ संदेश प्रचार करने से पूर्व आप को पता होना चाहिये कि शुभ संदेश है क्या। प्रेरित पौलुस ने कहा था,

‘‘मैं तुम्हें वही सुसमाचार बताता हूं........पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया ओर गाड़ा गया ;और पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा" (१ कुरूं१५:१‚३‚४)

फिर से पौलुस ने कहा‚

‘‘मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया" (१ तीमोथि १:१५)

एक सुसमाचारीय संदेश के दो भाग होते हैं। पहले भाग में‚ मनुष्य के पाप की समस्या का उल्लेख होता है दूसरे भाग में‚ मसीह उनके पापों से बचाने के लिये मरे।

१॰ पहले स्थान पर, आप को व्यवस्था का प्रचार करना चाहिये − जो लोगों को उनके पाप से भरे हृदय के विषय में बतायेगा।

सुसमाचारीय संदेश के पहले भाग में आप को व्यवस्था का प्रचार करना आवश्यक है। क्यों किसी को यीशु पर विश्वास करना आवश्यक है? क्या कारण है? क्यों यीशु क्रूस पर मरे? कई संदेशों में लिखा होता है कि यीशु वर इसलिये विश्वास रखना चाहिये कि लोग अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें‚ प्रसन्न रह सकें‚ प्रेम और मित्रता खोज सकें। परंतु इन बातों के लिये यीशु क्रूस पर नहीं मरें! कुछ संदेश बताते हैं कि लोगों को यीशु पर विश्वास करना चाहिये ताकि वे स्वर्ग जा सकें। अगर वे यह नहीं प्रगट करते हैं कि क्यों उन्हें स्वर्ग जाने की आवश्यकता है तो यह शुभ संदेश बताने वाला संदेश नहीं है? बाइबल कहती है‚ ‘‘मसीह हमारे पापों के लिये मरे।" बाइबल कहती है‚ ‘‘मसीह इस संसार में पापियों को बचाने के लिये आए।"

अगर लोगों को यह नहीं महसूस होगा कि वे पापी हैं तो वे क्योंकर मसीह के पास आना चाहेंगे? वे नहीं आयेंगे! वे प्रार्थना कर सकते हैं। वे हाथ उंचा उठा सकते हैं। वे संदेश समाप्त होने पर पुल्पिट के सामने आ सकते हैं। पर ऐसा सब करने से पापों से छुटकारा नहीं मिलने वाला! क्यों? क्योंकि उनके पास आखिर ऐसा क्या है जिससे उनको छुटकारा चाहिये!

आप लोगों को कैसे दिखायेंगे कि वे पापी हैं? उनके सामने परमेश्वर की व्यवस्था का प्रचार करने के द्वारा। बाइबल कहती है,

‘‘इसलिये व्यवस्था मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक हुई है" (गलातियों ३:२४)

व्यवस्था प्रगट करती है वे पापी हैं। जब पाप का बोध उनके हृदय में जाग्रत होगा‚ तब वे मसीह के पास आ सकेंगे।

कई पास्टर्स व्यवस्था का प्रचार करने से डरते हैं। लोग नाराज हो जायेंगे इसलिये वे ऐसा संदेश सुनाने से डरते हैं। आयन एच मरे ने कहा था‚ ‘‘सुसमाचार प्रचार की यह सबसे प्रमुख समस्या है।" अपनी पुस्तक दि ओल्ड इवेंजलिकलिज्म (बैनर ऑफ ट्रूथ‚ २००५; पेज ३ से २७ तक पढ़ें) में मरे ने सही कहा था कि भटके हुए लोगों को नाराज करने के भय के कारण आज सुसमाचार प्रचार अप्रभावशाली सिद्ध हो रहा है।

आप जो भी करें परंतु व्यक्तिगत पापों के विरूद्ध प्रचार न करें। ‘‘यह करें, यह न करें।" यह लोगों के वास्तविक और विशेष पापों के बारे में बात करना हुआ। परंतु पाप इससे बढ़कर गहराई लिये होता है। वे भीतर से पापी होते हैं। उनके पास पापमय हृदय है, जो उन्होंने आदम से पाया है। इसीलिये तो दाउद ने कहा था‚ ‘‘देख‚ मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा" (भजनसंहिता ५१:५) । इसीलिये तो बाइबल कहती है‚ ‘‘मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है उस में असाध्य रोग लगा है" (यिर्मयाह १७:९) । बाइबल इसी संदर्भ में कहती है, ‘‘क्योंकि शरीर (अपरिवर्तित अवस्था) पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है" (रोमियों ८:७) । इसीलिये लोग बुरा करते रहते हैं क्योंकि वे भीतर से बुरे हैं। जो वे हैं वैसा ही बुरा बाहर आता है। मसीह ने कहा था, ‘‘बुरे विचार‚ व्यभिचार‚ पर स्त्रीगमन‚ हत्या........ ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं" (मरकुस ७:२१‚२३) । वे लोग अंतस में जैसे होते हैं, वे वैसा ही करते हैं। भले ही कोई अगर कोई अच्छा दिखने का प्रयास करता हैं‚ परंतु अपने प्रयास से वह अपना मन कभी नहीं बदल सकता‚ बिल्कुल ऐसे जैसे एक बकरी अपने आप को भेड़ में नहीं बदल सकती। लोगों को मसीही बनना नहीं सिखाया जा सकता। उनके समक्ष प्रचार करना होगा, जैसा मैं इस संदेश में समझा रहा हूं। परमेश्वर पिता मनुष्य के हृदय को बुरा कहते हैं उसी प्रकार उसके कार्यो को भी बुरा कहते हैं। बाइबल कहती है‚ ‘‘वे सब के सब पाप के वश में हैं" (रोमियों ३:९) । जब तक मन परिवर्तन नहीं होता है, तब तक हरेक जन पाप की सामर्थ और दंड के अधीन है।

आप को व्यवस्था का प्रचार करना होगा ताकि लोग देख सकें और महसूस कर सकें कि उनके मन पाप से भरे हुए हैं । अब हर कोई स्वीकारता है कि वे किसी न किसी रूप में पापी हैं । मुझे ऐसा कोई नहीं मिला जिसने स्वयं को सिद्ध बताया हो। एक मनुष्य ने प्रचारक से कहा, ‘‘कि मैं मानता हूं कि मैं (पापी) हूं, परंतु जिसे आप इतना बुरा पापी इंसान कहो, उतना बुरा नहीं हूं। मैं तो सोचता हूं कि मैं एक अच्छा इंसान ही हूं। मैं तो हमेशा अच्छा ही करने का प्रयास करता हूं।" ऐसा मनुष्य पापों से छुटकारा पाने के लिये तैयार नहीं था! इसके पहले कि उसे पापों से छुटकारा मिले, उसे स्वयं को एक ‘‘घोर" पापी मनुष्य के तौर पर देखे जाने की आवश्यकता है। इसलिये आप को ऐसा प्रचार करना आवश्यक है जो लोगों को उनके पाप से भरे हृदय को दिखाये।

परमेश्वर की व्यवस्था के बिना लोग यह नहीं देख पायेंगे कि क्यों उन्हें मसीह के शुभ संदेश की आवश्यकता है। इसलिये शुभ संदेश के प्रचार किये जाने के पूर्व आप को परमेश्वर की व्यवस्था का प्रचार किया जाना आवश्यक है। बाइबल कहती है, ‘‘इसलिये व्यवस्था मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक हुई है" (गलातियों ३:२४) । शिक्षक के समान व्यवस्था, लोगों को यह बतलाती है कि उन्हें मसीह की आवश्यकता क्योंकर है? पहले व्यवस्था, फिर शुभ संदेश। लूथर ने जो कहा था वह बिल्कुल सटीक था। अगर आप सुसमाचारीय संदेश का प्रचार करना सीखना चाहते हैं तो जो उसने कहा‚ आप को ध्यानपूर्वक उसका अध्ययन करना चाहिये । लूथर ने कहा था‚

यह आवश्यक है कि अगर आप परिवर्तित हों तो उसके पहले आप का इतना (परेशान) होना चाहिये कि आप के पास एकदम सजग और थरथराता हुआ विवेक हो। जब ऐसी अवस्था निर्मित हो जाये तब आप को उस ढाढ़स को थामने का प्रयास करना चाहिये जो आप के कर्मो से नहीं परंतु परमेश्वर के किये गये कार्य से उपजा हो। उन्होंने अपने पुत्र यीशु को जगत में भेजा ताकि घोर पापियों को परमेश्वर की करूणा का शुभ संदेश सुनाये। यह परिवर्तन का तरीका है‚ शेष सारे रास्ते गलत हैं (मार्टिन लूथर‚ टी एच डी‚ व्हॉट लूथर सेज‚ कंकोर्डिया पब्लिशिंग हाउस‚ १९९४ पुनमुद्रण‚ संख्या १०१४‚ पेज ३४३) ।

मैंने कहा‚ ‘‘आप को व्यवस्था का प्रचार करना आवश्यक है ताकि लोग अपने आंतरिक पाप को देख और महसूस कर सकें।" मैंने यह नहीं कहा‚ ‘‘कि आप को नर्क का प्रचार करना आवश्यक है।" हां‚ मसीह ने नर्क के बारे में बातें की थीं। नर्क वास्तविक है। परंतु जब नर्क के उपर प्रचार करें तो आप को सतर्क रहने की आवश्यकता है। केवल नर्क के भय से कोई पाप से छुटकारा नहीं पा सकता। वे अच्छा बनने का प्रयास कर सकते हैं। वे और अधिक धार्मिक हो सकते हैं। परंतु नर्क से भयभीत होकर कभी किसी जन को उसके पाप से छुटकारा नहीं मिल सकता। मसीह हमारे पापों के लिये मरे। नर्क केवल पाप का परिणाम है। असली समस्या पाप है‚ न कि नर्क। हमने पाया कि नर्क पर संपूर्ण संदेश व्यक्तियों को परिवर्तित नहीं करते हैं। सुसमाचारीय संदेश के पहले भाग में लोगों के पाप को प्रकट करना चाहिये − न केवल व्यक्तिगत पाप‚ परंतु उनके अंर्तमन के पाप भी।

लोगों के सामने उनके पाप प्रकट करने के लिये आप को उनके पापमय विद्रोही मन के विरूद्ध प्रचार करना चाहिये। परंतु आप को वहीं समाप्त नहीं करना है। व्यवस्था किसी को पाप से छुटकारा नहीं दे सकती। व्यवस्था केवल लोगों को उनके मनों के पाप के बारे में बताती है। बाइबल कहती है‚ ‘‘क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा........ इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है" (रोमियों ३:२०) । बाइबल कहती है लोगों को छुटकारा देने का कार्य ‘‘व्यवस्था कर सकी" (रोमियों ८:३) । केवल मसीह पापी के हृदय को बदल सकते हैं। केवल मसीह का रक्त पाप को धो सकता है। यही बात मुझे दूसरे बिंदु की ओर ले चलती है।

२॰ दूसरा‚ आप को सुसमाचार का प्रचार करना चाहिये − जो लोगों को बताता है कि मसीह ने उन्हें पापों से बचाने के लिये क्या किया।

सुसमाचारीय संदेश के दूसरे भाग में‚ आप को शुभ संदेश का प्रचार करना चाहिये। सुसमाचारीय संदेश ऐसी शिक्षा नहीं है कि कैसे अच्छा बना जाये। सुसमाचारीय संदेश चर्च के बारे में संदेश नहीं है या स्वर्ग के बारे में। सुसमाचार वह है कि ‘‘पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गये" (१ कुरूं १५:३) । सुसमाचार है कि ‘‘ मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आये" (१ तीमोथियुस १:१५) ।

सुसमाचार नियमावली नहीं है। सुसमाचार यह दिखाता है कि परमेश्वर ने पापियों से इतना प्रेम किया कि मसीह उनके लिये प्राण देने के लिये इस जगत में आये। सुसमाचार व्यवस्था से नहीं बना है। यह तो विशुद्ध प्रेम और अनुग्रह से बना है। जैसा कि लूथर ने कहा,

सुसमाचार ....... यह प्रचार नहीं करता है कि हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है। यह किसी आवश्यकता को निर्धारित नहीं करता परंतु व्यवस्था की पहुंच को उलट देता है‚ बिल्कुल इसके विपरीत करता है और कहता है‚ ‘कि परमेश्वर ने तुम्हारे लिये यह किया है, उन्होंने तुम्हारे लिये अपने पुत्र को देहधारित किया, तुम्हारे लिये उन्हें मर जाने दिया....सुसमाचार सिखाता है.....कि परमेश्वर द्वारा हमें जो दिया गया है....न कि हमें क्या करना है और परमेश्वर को वह अर्पित करना है (‘‘हाउ क्रिश्चियंस शुड रिगार्ड मोजेस" १५२५)

सुसमाचार पापी जन को एक नया हृदय प्रदान करता है और मसीह के क्रूस पर दिये बलिदान और खाली कब्र से जो प्रकट किया गया‚ उसके द्वारा पापों की क्षमा प्रदान करता है!

वह व्यक्ति जो यीशु पर विश्वास रखता है

‘‘परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है‚ सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं। उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त (पाप का मूल्य) ठहराया जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है" (रोमियों ३:२४‚२५)

बाइबल कहती है ‘‘परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरे...... (हम) अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे" (रोमियों ५:८‚९) । मसीह पापी के स्थान पर उसके पाप का दंड चुकाने के लिये मरे। जैसा कि यशायाह ने कहा था, ‘‘यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर (मसीह पर) लाद दिया" (यशायाह ५३:६) । सुसमाचार यीशु मसीह द्वारा पापों की क्षमा के लिये दिया गया बेदाम अनुग्रह है।

जब आप सुसमाचार प्रचार करते हैं तो केवल मसीह की मृत्यु का प्रचार मत कीजिये। मसीह के जीवित होने का प्रचार कीजिये! यह सुसमाचार का हिस्सा है कि ‘‘मसीह पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठे" (१कुरूं १५:४) । मसीह का जीवित होना आवश्यक है। बाइबल कहती है‚ ‘‘और यदि मसीह नहीं जी उठे तो तुम्हारा विश्वास व्यर्थ है और तुम अब तक अपने पापों में फंसे हो" (१कुरूं १५:१७) । मसीह कब्र में मरे नहीं पड़े रहे। परंतु मरके जीवित हुए कि पापी जन को नया हृदय दें (यिजकेल ११:१९; ३६:२६‚२७) ।

केवल मसीह की मृत्यु का प्रचार मत कीजिये। मसीह के रक्त का प्रचार कीजिये! स्मरण रखिये कि लोगों को ‘‘उसके लोहू में विश्वास करने के कारण छुटकारा मिलता है" (रोमियों ३:२५) । हम ‘‘उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे" (रोमियों ५:९) । और बाइबल कहती है‚ ‘‘और बिना लोहू बहाए क्षमा नहीं (मुक्ति नहीं) होती" (इब्रानियों ९:२२) । मुझे आश्चर्य होता है जब मैं देखता हूं कि इतने सारे प्रचारक डॉ जॉन मैकआर्थर का अनुसरण करते हैं जब वे कहते हैं कि उद्धार पाने के लिये मसीह के लहू की आवश्यकता नहीं है और आज मसीह का कोई रक्त विधमान नहीं है! परंतु अच्छे और विश्वसनीय पास्टर्स मसीह के लहू का प्रचार करते हैं! डॉ माटिन ल्योड जोंस अपने कथन में सही थे जब उन्होंने कहा‚ ‘‘आत्मिक जाग्रति के काल में...... (चर्च) यीशु के लहू में गर्व करता है...... और एकमात्र मार्ग है जिसके द्वारा हम महापवित्रतम की उपस्थिति में (स्थान में) निर्भय होकर प्रवेश कर सकते हैं और वह यीशु के लहू द्वारा संभव है" (रिवाईवल‚ क्रासवे बुक्स‚ १९९२ संस्करण‚ पेज ४८)। मसीह के लहू का प्रचार करो! मसीह के लहू का प्रचार करो! ‘‘उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है" (१यूहन्ना १:७) ।

सुसमाचार परमेश्वर के मसीह में प्रकट अनुग्रह के रूप में अनमोल उपहार है। पापी अपने प्रयासों से स्वयं को अच्छा नहीं बना सकता। पापी को केवल एक कार्य करना है। उसे यीशु पर विश्वास रखना आवश्यक है। मसीह के बारे में केवल एक सत्य पर विश्वास रखना पापों से छुटकारा नहीं प्रदान करेगा। उसे एकमात्र यीशु पर विश्वास लाना होगा। प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पीन जेलर से कहा था‚ ‘‘प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर (यूनानी एपि = उपर‚ में ) तो तू उद्धार पाएगा" (प्रेरितों के कार्य १६:३१) । अगर एक पापी यीशु पर विश्वास करता है तो वह पापों से छुटकारा पा जायेगा। सारे पापियों को मसीह पर विश्वास लाना है। यीशु शेष सारे कार्य करते हैं। पापी के नये जन्म पर वह उसे नया प्रदान करते हैं (इफिसियों २:५; यूहन्ना ३:६‚७) और वह अपने लहू के द्वारा पापी को उसके सारे पापों से शुद्ध करते हैं (इब्रानियों ९:१४; प्रकाशितवाक्य १:५ब; ५:९ ब) । ‘‘केवल उन पर विश्वास कीजिये‚ केवल उन पर विश्वास कीजिये‚ अब केवल उन पर विश्वास कीजिये। वह आप को छुटकारा देंगे‚ वह आप को छुटकारा देंगे‚ वह अब आप को छुटकारा देंगे" (‘‘केवल उन पर विश्वास कीजिये" जॉन एच स्टॉकटोन‚ १८१३−१८७७)।

आप के संदेश के अंत में‚ पापी जन को यीशु पर विश्वास लाने के लिये आमंत्रित कीजिये। उन्हें अन्य कमरे में जाने के लिये आमंत्रित कीजिये कि आप उनसे गुप्त में बात कर सकें। आप का कार्य समाप्त नहीं हुआ है, जब वे आप से बात करने आते हैं। ‘‘आगे आना" यीशु पर विश्वास लाने के समान नहीं है। ‘‘हाथ खड़े करना" और पापी जन के लिये तैयार की गयी ‘‘प्रार्थना दोहराना" यीशु पर विश्वास करने के समान नहीं है। यीशु पर विश्वास लाना यीशु पर विश्वास लाना है − इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं। इसलिये जिन लोगों ने संदेश के पश्चात आप के आमंत्रण का उत्तर दिया है, आप को उनसे बात करना आवश्यक है। और इसीलिये आप को उनकी बात ध्यान से सुनना आवश्यक है। उनको सुनने के पश्चात आप उन गलत विचारों को जान जायेंगे जिन पर वे विश्वास करते हैं और आप उन विचारों को ठीक कर सकते हैं। एक दूसरे से व्यक्तिगत रूप में बात कीजिये और मसीह के पास लाने के लिये अपना उत्तम प्रयास कीजिये। परंतु यह दूसरे संदेश का विषय है। जब मसीह के लहू से मन के पापों की पाप की क्षमा के बारे में बात करते हैं‚ आप को परमेश्वर की आशिष मिले।

डॉ आर एल हिमर्स जूनियर के सुसमाचारीय संदेश सुनने के लिये यहां क्लिक कीजिये। लगभग साठ सालों से डॉ आर एल हिमर्स सुसमाचरीय संदेश दे रहे हैं‚ उनके सुसमाचारीय संदेश ‘‘वॉश एंड बी क्लीन! − ए टायपोलॉजी ऑफ कन्वर्शन" से आप बहुत कुछ सीख सकते हैं‚ पढ़ने के लिये लिंक पर क्लिक कीजिये। यह आप को बतायेगा कि कैसे सुसमाचारीय संदेश में व्यवस्था का प्रचार करें और शुभ संदेश का उपयोग करें।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
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रूपरेखा

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डॉ सी एल कैगन और डॉ आर एल हिमर्स

‘‘सुसमाचार प्रचार का काम कर और अपनी सेवा को पूरा कर"
(२ तीमोथि ४:५)

(प्रेरितों के कार्य २१:८; ८:५‚ २६−३९‚ ४०; १ कुरूं १५:१‚३‚४;
१ तीमोथि १:१५)

१॰ पहले स्थान पर, आप को व्यवस्था का प्रचार करना चाहिये − जो लोगों को
उनके पाप से भरे हृदय के विषय में बतायेगा‚ गलातियों ३:२४;
भजन ५१:५; यिर्मयाह १७:९; रोमियों ८:७; मरकुस ७:२१‚२३;
रोमियों ३: ९‚२०; ८:३

२॰ दूसरा‚ आप को सुसमाचार का प्रचार करना चाहिये − जो लोगों को बताता है
कि मसीह ने उन्हें पापों से बचाने के लिये क्या किया‚ १ कुरूं १५:४‚१७;
यिज ११:१९; ३६:२६‚ २७; इब्रानियों ९:२२; १यूहन्ना १:७;
प्रेरितों १६:३१; इफि २:५; यूह ३:६‚ ७; इब्रा ९:१४; प्रका १:५ब; ५:९ब