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तुम पृथ्वी के नमक हो
और जगत का उजाला हो

YOU ARE THE SALT OF THE EARTH
AND THE LIGHT OF THE WORLD!
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, २६ फरवरी, २०१७ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में दिया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Evening, February 26, 2017

‘‘तुम पृथ्वी के नमक हो, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें '' (मत्ती ५:१३–१६)


यीशु गलील की झील के पास से जा रहे थे वहां उन्हें पतरस और उसके भाई अंद्रियास को देखा। वे झील में जाल डाल रहे थे क्योंकि वे मछुआरे थे। यीशु ने उनसे कहा, ‘‘मेरा अनुसरण करो मैं तुम्हें मनुष्य को पकड़ने वाले मछुआरे बनाउंगा।'' तत्काल उन्होंने अपने जाल छोड़ दिये और उनके पीछे हो लिये। थोड़ा और आगे बढ़ने पर उन्होंने याकूब और यूहन्ना को देखा। वे अपने जालों को सुधार रहे थे। उसने उन्हें बुलाया और वे नाव छोड़कर उसके पीछे हो लिये। थोड़ा और आगे बढ़ने पर उन्होंने याकूब और यूहन्ना को देखा। वे अपने जालों को सुधार रहे थे। उसने उन्हें बुलाया और वे नाव छोड़कर उसके पीछे हो लिये। इन लोगों ने यीशु को जो कार्य करते हुए देखा, वह बहत ही उत्साहवर्धक था। यीशु प्रचार करते चल रहे थे। तरह तरह की बीमारियों को क्षण भर में ठीक करते चल रहे थे। यीशु के पीछे अपार जनसमूह चलता था। जब यीशु ने इस बड़ी भीड़ को देखा तो वे एक उंचे स्थान पर जाकर बैठ गए। उनके शिष्य उनके पास पहुंचे। यीशु ने अपने शिष्यों को उपदेश देना आरंभ किया। उसने उन्हें जीवन जीने की मूलभूत बातें कहीं। उन्होंने एक सच्चे मसीही जन के भीतरी गुण बतायें और भविष्य में वह किस प्रकार आशीषित रहेगा, यह सिखाया। फिर उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि वे पृथ्वी के नमक और जगत का उजाला हैं। यह बात प्रत्येक सच्चे मसीही जन के उपर उपयुक्त बैठती है।

‘‘तुम पृथ्वी के नमक हो, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें'' (मत्ती ५:१३–१६)

१॰ प्रथम, तुम पृथ्वी के नमक हो।

यीशु बोले, ‘‘तुम पृथ्वी के नमक हो!'' एक समय था, नमक का मुख्य कार्य भोजन सामग्री संरक्षित करने का था। अगर मांस पर नमक लपेट दिया जाता, तो यह महिनों तक बिना रेफ्रीजरेटर के उसे संरक्षित रखता था। नमक उसे सड़ने से बचाता था। जब आदम ने पाप किया तो वह इस संसार में मरण और सड़न लाया। संपूर्ण जगत में प्रथम पापी मनुष्य, आदम के कारण आई। कोई उस से नहीं बचा सकता केवल प्रभु यीशु के। यीशु, अपने शिष्यों को यही बनने का सीख देते हैं। नमक बनो। लोगों के जीवनों को और सड़न से बचा लो। शिष्य याकूब ने कहा था, ‘‘जो कोई किसी भटके हुए पापी को फेर लाएगा, वह एक प्राण को मृत्यु से बचाएगा, और अनेक पापों पर परदा डालेगा.......(याकूब ५:२०)।''

सुसमाचार प्रचार और प्रार्थना का कार्य जो तुम करते हो, वह मूल्यहीन लग सकता है। परंतु ऐसे विचार शैतान तुम्हारे मन में डाल रहा है। एक मसीही जन जो बाहर के जगत में जाकर प्रचार के द्वारा एक पापी जन का मन फेर लेता है, वह इस संसार का बहुमूल्य कार्य कर रहा होता है। तुम पृथ्वी के नमक हो! समूचे संसार में तुम सबसे अधिक बहुमूल्य कार्य कर रहे हो! अगर आप को लगता है कि आप इतने महत्वपूर्ण इंसान नहीं हैं तो जरा इस व्यक्ति की गवाही सुनिये, ‘‘मैं अपने परिवार और मित्रों से धोखा दिये जाने के पूरी तरह से निराश होकर चर्च में आया। मैं पूरी रीति से जीवन से उब चुका था.......मन उचट गया था। मेरे आसपास की दुनिया जैसे ढह गयी थी। जिंदा रहने का कोई कारण समझ नहीं आ रहा था। संपूर्ण तंत्र में भ्रष्टता का बोलबाला था। कहां जाउं, क्या करूं। कभी कभी ख्याल आता था कि पैदा ही क्यों हुआ? मरने के विचार दिमाग में पैर जमाने लगे। विचारों में उलझन बढ़ गई थी। परमात्मा पर विश्वास नहीं रहा।''

हमारे चर्च में कोई इस युवा को सुसमाचार सुनाने के लिये लेकर आया। अगर आप जाकर इस को लेकर नहीं आते तो यह मसीह को कभी नहीं जान पाता। मैं नहीं जानता कि कौन उसे यहां लेकर आया। मैं विस्तार से नहीं जानता। परंतु आप में से कोई इसे यहां लेकर आया होगा। दूसरे लोगों ने इसे यहां आत्मीयता का वातावरण दिया होगा। परमेश्वर ने आप को इस व्यक्ति का जीवन बचाने में उपयोग में लिया है। परमेश्वर ने इसकी आत्मा को आत्मिक से बचाने, दुख के जीवन से बचाने और निराशा से बचाने के लिये आप का प्रयोग किया है। इसी लिये तो यीशु ने यह कथन किया, ‘‘तुम पृथ्वी के नमक हो!'' आप के बिना तो यह बच ही नहीं सकता था।

परंतु आज चर्च ऐसे लोगों के लिये सहायक सिद्व नहीं हो रहा है। क्योंकि चर्चेस में ही इतना ठंडापन और असल धर्म का त्याग देखने को मिल रहा है! डॉ कार्ल एफ हैनरी (१९१३–२००३) एक प्रसिद्व धर्मविज्ञानी थे। उनकी अंतिम पुस्तकों में से एक है टिवीलाईट ऑफ ए ग्रेट सिविलाईजेशन: दि ड्रिफ्ट टूवर्ड नियो पैगेनिज्म । उन्होंने कहा कि चर्चेस में ही अब वह बात नहीं रही, ‘‘संगठित क्रिश्चियनिटी से लोगों का मोह भंग बढ़ रहा है। आप चर्च नहीं आने वाले लोगों के आंकड़ों में इजाफा देख सकते हैं....अधिकांश पास्टर या अगुवे बने, अशिष्ट लोग, पतित मानवता की धूल झाड़ रहे हैं। और पंगु हो चुके चर्चेस की छाया में छिपने (बच निकलने) का यत्न करते हैं (पेज १७)। उन्होंने सही कहा। दूसरे चर्चेस का तो पता नहीं परंतु मैं अपने ल्योस ऐंजीलिस चर्च के बारे में जानता हूं कि हम भटके हुए लोगों की तलाश में कॉलेज के कैंपस या माल्स में जाते हैं। सदर्न बैपटिस्ट अब हर साल लाख सदस्यता का एक चौथाई भाग गंवाते जा रहे हैं। दूसरे डिनोमीनेशंस भी इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। प्रार्थना सभा बंद करके, वे एक गलत कार्य करते हैं। उसके बाद रविवार संध्या की आराधना भी उन्होंने बंद कर दी। रविवार सुबह की आराधना में भी सदस्य संख्या गिरने लगी। ऐसे अवसरों के लिये ही तो यीशु का कथन उपयुक्त है, यदि नमक का (स्वाद) बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए'' (मत्ती ५:१३ केजेवी, एनएएसवी)। ‘‘चर्च निशक्त'' हो चुके हैं। चर्च हमारे युवाओं को उद्वार दिलाने में सहायक साबित नहीं हो रहे हैं। अगुवों ने ही उद्वार प्राप्त नहीं किया है। तो अंधा, अंधे को क्या रास्ता दिखायेगा। क्यों ऐसा हो रहा है? क्योंकि नमक ने अपना स्वाद खो दिया है! बाइबल के एक एक पद का अर्थ समझाने से निर्जीव पड़े चर्च में जान नहीं आयेगी! ‘‘मधुर लगने वाले संदेश'' सुनाने से काम नहीं चलेगा। केवल आत्मा में सशक्त प्रचारक यह प्रचार करने योग्य हैं। हमें आंखे खोल देने वाला प्रचार करना है, पाप और नर्क के उपर, यीशु के लहू के उपर, लोगों को आत्मिक मरण से बचाने के उपर। केवल अत्यधिक चुभने वाले प्रचार ही चर्च में ‘‘नमक'' को बनाये रखेंगे। केवल सशक्त प्रार्थना सभायें ही चर्च में ‘‘नमक'' को कायम रखेंगी। डॉ जॉन आर राईस का कहना था, ‘‘केवल चहुंमुखी प्रयास से ही नये नियम में वर्णित, आत्मा को बचाने का कार्य उपयुक्त ढंग से किया जा सकता है'' (व्हाय अवर चर्चेस डू नॉट विन सोल्स, ) पेज पेज १४९।

चर्च को मरणासन्न अवस्था से बचाने के लिये और हरसंभव प्रयास करना चाहिये कि भटके हुए युवाओं को सुसमाचार सुनाने के लिये लेकर आयें! ‘‘सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए'' (लूका १४;२३)। हमें लोगों की आत्मा को आत्मिक मरण से बचाने के कार्य को सबसे उपर क्रम में रखना है अन्यथा हमारा चर्च अपना ‘‘नमक'' खो देगा। अगर हम ऐसा करने में विफल रहे तो हम उस खराब नमक के समान होंगे जो केवल ‘‘बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए'' (मत्ती ५:१३ )। चर्च को निष्प्राण मत होने दीजिये! बाहर जाइये और भटके हुए लोगों को लेकर आइये ताकि वे यीशु की बातें सुने और आत्मा में उद्वार प्राप्त करें!

२॰ दूसरा, आप जगत की ज्योति हैं।

यीशु तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता (मत्ती ५:१४)। डॉ ल्योड जोंस के अनुसार, ‘‘इस कथन में इस बात पर बल दिया गया है: ‘कि केवल आप और आप ही इस जगत का उजाला हैं' – ‘आप' पर बल दिया गया है और इसके अंदर एक सुझाव निहित है इस कथन से ही साफ पता चलता है कि कुछ बातों पर अमल करना आवश्यक है। पहली बात यह मानना है....कि जगत अंधकार में है'' (पहाड़ी उपदेश, पेज १३९)। यह जगत अंधकार की एक घोर विनाशकारी दशा से गुजर रहा है। यीशु कहते हैं कि केवल यीशु के सच्चे अनुयायी ही इस जगत को रास्ता दिखा सकते हैं। केवल प्रकाश हमारे द्वारा ही फैल सकता है, जो सच्चे अनुयायी हैं। यीशु ने अपने शिष्यों के छोटे झुंड को देखकर यह बात कही। उनके कथन का आशय यही था, ‘‘केवल तुम और तुम ही इस जगत में प्रकाश फैलाने वाले हो।'' कुछ उदाहरण यहां इस प्रकार है।

हमारे चर्च में कोई इस युवा को सुसमाचार सुनाने के लिये लेकर आया। इस व्यक्ति की गवाही सुनिये, ‘‘मैं पूरी रीति से जीवन से उब चुका था.......मेरे जिंदा रहने का कोई कारण समझ नहीं आ रहा था। कभी कभी ख्याल आता था कि पैदा ही क्यों हुआ? मरने के विचार दिमाग में पैर जमाने लगे...... डॉ हिमर्स ने मुझसे पूछा कि परमेश्वर तो तुम्हें प्यार करते हैं। मैंने तुरंत ‘हां' कहा। डॉ हिमर्स ने मुझसे एक बार फिर पूछा और मैंने कहा कि ‘नहीं'। मेरी आंखे आंसुओं से भर आयी.....ने मुझसे कहा कि क्या मैं यीशु पर विश्वास करता हूं। मैं उस समय विश्वास नहीं कर पा रहा था। मैं अपने पाप छोड़ने के लिये तैयार नहीं था। अगला सप्ताह आते आते मैं अपने पाप के प्रति गहरे अपराध बोध से भर गया। मैंने अपने आप को अपने कमरे में बंद कर लिया और अपने पापों के विषय में सोच सोच कर रोने लगा। चाहे मैं अपने स्कूल में होता या कार्यस्थल पर, पाप का विचार सिर उठाये रहता। रविवार आते आते मैं पूर्ण रूप से अपने आप को मसीह के सामने समर्पित करने के लिये तैयार हो गया। मैं डॉ हिमर्स से मिलने के लिये गया और मैंने यीशु पर विश्वास किया। मैंने सरल से विश्वास के साथ यीशु पर भरोसा किया। उस दिन मुझे अपार सुख की प्राप्ति हुई। मैं सारी रात सो नहीं सका। मैं विद्रोही था, उसके उपरांत मुझ पर क्रूसित और प्रेमी मसीहा के द्वारा करूणा बरसाई गयी। यह मैं कभी नहीं भूल सकता।

फिर अब एक स्वच्छ जीवन बिताने वाली युवा चीनी लड़की की गवाही सुनिये। उसने कहा ‘‘मैं चर्च में बहुत भारी मन लिये आयी थी। परमेश्वर ने मेरे भीतर वह बोझ उत्पन्न किया कि मैं पापी हूं। मेरे आस पास सब कोई बहुत आनंददायक मिजाज में थे। मैं अपने पाप के बोझ तले दबे जा रही थी। मैं अब और इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकी कि मैं एक घृणित विद्रोही, और परमेश्वर के विरूद्व जाने वाली लड़की हूं। मेरे विचार अब मुझे और अधिक भुलावे में नहीं रख सके कि मैं एक साफ छवि वाली लड़की हूं। मैं ठीक नहीं थी। मेरे अंदर कोई अच्छाई नहीं थी। जब मैंने संदेश सुना तो महसूस हुआ कि जैसे ये शब्द सीधे मेरे लिये ही हों। जब उन्होंने मरण के उपर प्रचार किया मुझे गहन बैचेनी का अनुभव हुआ। मुझे लगा कि मेरा अंत क्या नर्क में तय है। मैं इतनी बुरे स्थान में जाने के लिये इस संसार में हूं। मैं मूलतः पापी हूं......यद्यपि मैं अपने भीतर व्याप्त दुष्टता को लोगों से छिपा जाती थी, परंतु परमेश्वर से नहीं छिपा पाई। परमेश्वर ने मेरे एक एक पाप को देखा था......मैं पूर्णतः उम्मीद हार बैठी थीं। जैसे संदेश का अंत हो रहा था, मैंने पहली बार, सुसमाचार सुना। मसीह मेरे पापों के दंडस्वरूप, स्वयं क्रूस पर बलिदान हुए। मेरे लिये उनका प्रेम अथाह था कि एक पापी के लिये, उन्होंने मरण को गले लगा लिया और क्रूस पर प्राणों की आहूति दी। उनका लहू, पापी मनुष्य जाति के लिये बहाया गया। मेरे लिये उनका लहू बहा! मुझे यीशु से मिलने की अत्यंत आवश्यकता थी! मैंने अपनी अच्छाई को देखने के बदले, पहली बार, यीशु की ओर देखा। उसी क्षण, यीशु ने मुझे उद्वार दिया और मेरे पापों को अपने लहू से शुद्व कर दिया। मैंने यीशु पर विश्वास किया और उन्होंने मुझे बचा लिया। मेरी समस्त अच्छाई मुझे नहीं बचा पाई। मेरी साफ छवि मुझे नहीं बचा पाई। केवल मसीहा ने मुझे उद्वार प्रदान किया! मसीह ने मेरे उन बंधनों को तोड़ा जो मुझे पाप में कैद करके रखते थे। मसीह ने अपने लहू से मुझे ढंक लिया। उनकी धार्मिकता ने मुझे ढंक लिया। मेरा विश्वास और भरोसा केवल यीशु पर है। मैं पापी थी और यीशु मसीह ने मेरे पापों से मेरा उद्वार किया!''

एक और युवती की कहानी सुनिये। वह समाज की निगाहों में बहुत ‘‘भली'' लड़की थी। बचपन से चर्च नियमित आती रही। परंतु जीवन में उद्वार नहीं पाया था। परमेश्वर से भीतर ही भीतर गुस्सा रहती थी। उसके शब्दों में ही सुनिये, ‘‘जैसे जैसे आराधना आगे बढ़ रही थी, मैं और अधिक बैचेन होने लगी। जब सब आपस में हाथ मिला रहे थे, मैं मुस्कुरा भी नहीं पा रही थी। मेरे अंर्तमन में पाप और स्वयं के प्रति तिरस्कार का भाव प्रबल हो चला। जभी जोन कैगन ने संदेश में कहा, ‘परमेश्वर सही है, आप गलत हो।' मेरे पाप जैसे मेरे आगे जीवंत हो गये और वे शब्द मुझे गहराई से चुभ गये। जैसे जैसे जोन प्रचार करते गये, मुझे लगा, वे सीधे मुझसे बातें कर रहे हैं। जोन के संदेश समाप्त करते समय तक मैं अपने पापों के बोध तले व्यथित हो गई। तब डॉ हिमर्स पुल्पिट पर आये और उन्होंने बताया कि कैसे एक वेश्या के पाप यीशु ने क्षमा किये। मैंने तो यह कहानी पहले भी सुनी थी, परंतु उसके मर्म ने मुझे स्पर्श नहीं किया था। इस कहानी में, यीशु के प्रेम ने मुझे भीतर से झकझोर दिया। यीशु को अपना जीवन समर्पित करने की इच्छा मेरे भीतर बलवती होती गयी। डॉ हिमर्स ने मुझे बातचीत के लिये आगे बुलाया। मैं भय और विचारों के चक्रवात में उलझी हुई थी। डॉ हिमर्स ने स्वयं की ओर संकेत करके पूछा कि मुझ पर विश्वास करती हो। मैंने तपाक से कहा ‘हां'। बस इसी तरह एक व्यक्ति यीशु पर भी विश्वास करता है। मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगता कि कोई मुझे ‘यीशु पर विश्वास करने के लिये' कहे। ‘मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं?' परंतु डॉ हिमर्स ने मुझे समझाया कि जैसे मैंने उन पर विश्वास किया, यीशु पर विश्वास रखना भी वैसे ही है। उन क्षणों में मैंने जान लिया कि यीशु मुझसे प्रेम रखते हैं। जब मैं घुटनों के बल बैठ गयी, तब मैं केवल यीशु मुझसे प्रेम करते हैं, यही विचार कर रही थी। वह मेरे सारे बुरे कर्मो को शुद्व कर देंगे। मुझे उनकी सख्त आवश्यकता महसूस हुई। डॉ हिमर्स ने अपने हाथ मेरे सिर पर रखे, वे रोये और प्रार्थना की। उन्होनें मुझसे यह कहा कि यीशु चाहते हैं कि मैं उन पर विश्वास करूं। थोड़ा सा विश्वास भी पर्याप्त है। यही तो यीशु ने मांगा था। कुछ ही क्षण जो वहां बीत रहे थे, मैंने यीशु पर विश्वास किया। मैंने यह विश्वास नहीं किया था कि वे मुझे बचायेंगे। मैंने सीधे यीशु की शख्सियत पर विश्वास किया - जैसे मैंने सीधे डॉ हिमर्स पर विश्वास किया था। इसके पहले कि मैं विचारों के रसातल में उलझ जाती कि कैसे यीशु पर विश्वास लाउं, किस अनुभव से ऐसा करना सीखा जा सकता है। मैंने भावुकता में यीशु पर विश्वास नहीं किया। बल्कि ऐसी आवश्यकता मेरे आगे उपस्थित हुई। मेरा सरल सा विश्वास मुझे उनके पास ले आया। मैं इस तरह गलत प्रकार से उद्वार पाने से बच गई। सिर्फ यीशु मेरी आशा थे। घर आने के बाद कई दिनों तक विचारों का सिलसिला चलता रहा। इस संसार के पास मुझे देने के लिये कुछ नहीं था। कोई प्रेम नहीं। कोई उददेश्य नहीं। कोई आशा नहीं। मैं अब यीशु पर विश्वास करती हूं। इस संसार में नाना प्रकार के तरीकों से व्यक्ति स्वयं उद्वार पाने के लिये कर्मरत है। परंतु यीशु जो सिर्फ इतना चाहते हैं कि मैं उन पर विश्वास रखूं कि वे मेरे पापों को अपने लहु से शुद्व कर देंगे। केवल यीशु एकमात्र पर भरोसा किया। वही पर्याप्त हो गया। उसके बाद का सारा कार्य प्रभु यीशु का था। मेरी गवाही सरलतम है। मैंने यीशु पर विश्वास किया। उन्होंने मुझे पापों से छुटकारा प्रदान किया।''

मसीह के पास आत्माओं को लाने में कई लोगों का सहयोग मिला। एक व्यक्ति ने फोन किया। डॉ चान ने उन्हें लाने के लिये कार की व्यवस्था कर दी। इस चर्च में आने से पहले ऐरोन यांसी के शब्द थे, इस भरे संसार में......मुझे देने के लिये खालीपन और निर्मम ठंडापन व्याप्त था।उसी प्रकार संदेशों को टाईप करने में डॉ कैगन का सहयोंग मिलता आया, और जो विडियोज उन्होंने देखे, वे मि. आलिवोज द्वारा तैयार किये गये। जोन कैगन ने सलाह देने का कार्य किया। आप ने उन्हें अपनी मित्रता का वरदान दिया। इस तरह मेरे संदेश, जोन कैगन के संदेश और नोहा सोंग के संदेश सामने आये। लंबे समय तक अपने अंर्तद्वंद से जूझने के पश्चात मेरे मुख से ये शब्द निकलते हैं, ‘‘कि क्या तुम मसीह पर विश्वास करते हो।'' और लोगों ने यीशु पर विश्वास किया। यह सरल प्रतीत होता है और यह उतना ही सरल है। लोग, यीशु पर विश्वास करें, इसके लिये हमारे चर्च कें अनेक लोगों का सहयोग अनेक स्तरों पर होता है। संसार में अंधकार है और हममें से प्रत्येक जन यहां ‘‘उजाले'' का कार्य कर रहे है। जैसे डॉ ल्योड जोंस ने कहा, ‘‘कि केवल आप और आप ही इस जगत का उजाला हैं'' और जैसे एक प्राचीन गीत के बोल कहते हैं,

समूचा संसार पाप के अंधकार में लिपटा हुआ है;
   इस जगत का उजाला यीशु हैं;
दिन के उजाले के समान उसकी आभा चमकती है,
   इस जगत का उजाला यीशु हैं,
इस रोशनी में आ जाइये, यह आप ही के लिये चमकती है;
   इतनी मधुरता के साथ यह मेरे उपर भी चमकी थी;
एक बार मैं अंधा था, पर अब मेरे मन की आंखे खुल गयी;
   इस जगत का उजाला यीशु हैं,
(‘‘इस जगत का उजाला यीशु हैं,'' फिलिप पी ब्लिस, १८३८–१८७६)

प्रिय भाइयों और बहनों, इस पापग्रस्त जगत में आप और मेरे पास यीशु के उजाले को सर्वत्र फैलाने का कार्य है। मसीह ने हमें उजाले से भर दिया है। आत्मिक जाग्रति का यह गीत इसे प्रदर्शित करता है,

मेरे दर्शन को पूरा कर दीजिए, मेरे स्वर्गिक मसीहा,
   जब तक आप की अलौकिक आभा से मेरी आत्मा न चमकने लगे।
मेरे दर्शन को पूरा कर दीजिए, ताकि सब देख पाये
   आप की पवित्र छवि जो मुझमे दिखाई देवे।
(‘‘मेरे दर्शन को पूरा कर दीजिए'' एविस बर्जसन क्रिश्चियनसन, १८९५ – १९८५)

मसीही जन के रूप में हमें अदभुत बने रहकर नमक का कार्य करना है। हमें इस जगत की ज्योति कहा गया है केवल हम और हम! हमें इस उजाले में और लोगों को लेकर आना है! लोगों को आत्मिक मरण से बचाने का कार्य सतत करते रहिये। फल जल्दी न आये, तो हताश मत होइये। यीशु का साथ बना हुआ है। मुश्किल, कठिनाईयां ठहरती नहीं हैं, उन्हें बीत जाना है।

आप जो अभी तक उलझन भरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं, यीशु आप को इन उलझनों से निकालेंगे। आप को कुछ नहीं करना है, सिर्फ यीशु पर विश्वास लाना है। वह ऐसी शख्सियत है, जो आप के पापों का दंड पहले ही क्रूस पर रक्त बहाकर भर चुका है। आप को अपने लिये कोई कर्म नहीं करना है, जो मुक्ति दिलाये। एक प्राचीन गीत कुछ इसी प्रकार कहता है,

केवल उस पर विश्वास करो, केवल उस पर विश्वास करो
   केवल उस पर विश्वास करो अभी।
वह आप को बचायेगा, वह आप को बचायेगा,
   वह आप को बचायेगा अभी।
(‘‘केवल उस पर विश्वास करो,'' जोन एच स्टॉकटन, १८१३–१८७७)


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व बैंजामिन किंकैड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
‘‘सेव्ड बाय दि ब्लड'' (एस जे हैंडरसन १९ वी शताब्दी)


रूपरेखा

तुम पृथ्वी के नमक हो
और जगत का उजाला हो

YOU ARE THE SALT OF THE EARTH
AND THE LIGHT OF THE WORLD!

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

‘‘तुम पृथ्वी के नमक हो, परन्तु यदि नमक का स्वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें '' (मत्ती ५:१३–१६)

१॰ प्रथम, तुम पृथ्वी के नमक हो, याकूब ५:२०; मत्ती ५:१३; लूका १४:२३

२॰ दूसरा, आप जगत की ज्योति हैं, मत्ती ५:१४