Print Sermon

इस वेबसाईट का उद्देश्य संपूर्ण विश्व भर के पास्टर्स व प्रचारकों को, विशेषकर तीसरी दुनिया के पास्टर्स व प्रचारकों को नि:शुल्क हस्तलिखित संदेश और संदेश के विडियोज उपलब्ध करवाना है, जहां बहुत कम धर्मविज्ञान कॉलेज और बाइबल स्कूल्स हैं।

इन संदेशों की पांडुलिपियां प्रति माह २२१ देशों के १,५००,००० कंम्प्यूटर्स पर इस वेबसाइट पते पर www.sermonsfortheworld.com जाती हैं। सैकड़ों लोग इन्हें यू टयूब विडियो पर देखते हैं। किंतु वे जल्द ही यू टयूब छोड़ देते हैं क्योंकि विडियों संदेश हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। यू टयूब लोगों को हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। प्रति माह ये संदेश ४२ भाषाओं में अनुवादित होकर १२०,००० प्रति माह हजारों लोगों के कंप्यूटर्स पर पहुंचते हैं। उपलब्ध रहते हैं। पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। आप यहां क्लिक करके अपना मासिक दान हमें दे सकते हैं ताकि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार के इस महान कार्य में सहायता मिल सके।

जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net. .




पाप के क्षेत्रों से उन्हें वापस लेकर आओं!

BRING THEM IN FROM THE FIELDS OF SIN!
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की संध्या, ७ अगस्त, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के
दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में दिया गया संदेश
A sermon given to the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, August 7, 2016

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।'' (लूका १४: २३)


कई वर्षो पूर्व मैं आत्माओं को कैसे जीता जाये यह नहीं जानता था। मैं नहीं जानता था कि भटके हुये लोगों को मन परिवर्तन की ओर कैसे प्रेरित किया जाये और जाये और उन्हें चर्च में कैसे लाया जाये। मैंने लगभग हर तरीके को आजमा कर देख लिया। मैंने ट्रैक्ट बांट कर देख लिये लेकिन ट्रैक्ट बांटने से भटके हुये लोग चर्च में नहीं आये। मैंने गलियों में प्रचार किया पर लोग चर्च में नहीं आये। मैंने गलियों में और लोगों के घरों में गवाही दी। लेकिन उन्हें चर्च तक नहीं ला पाया। जब वे प्रार्थना करते मैं बाद में उनके साथ साथ बना रहता। मेरे ''लगातार साथ'' बने रहने के उपरांत भी मैं उन्हें चर्च में लाने में असफल रहा। मैंने स्वयं में पराजय और बहुत हताशा का अनुभव किया।

तौभी मैंने हार मानने से इंकार किया। मैं सोचता था कि कोई न कोई तो रास्ता होगा जिससे भटके हुये लोगों का मन परिवर्तन हो सकता है और उन्हें चर्च में लाया जा सकता है। मैंने इसे पहले पढ़ रखा था पर अचानक यह मेरी आंखों के सामने प्रगट हुआ। उसी समय सुसमाचार प्रचार के विचार का जन्म हुआ। आत्माओं को जीतने के कार्य में यीशु के शब्द प्रेरणा स्त्रोत बन गये।

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।''
        (लूका १४: २३)

लोगों के पास जाने और उनसे ''पापियों की प्रार्थना'' बुलवाने के स्थान पर – हमने जाकर लोगों को चर्च लाने जैसा जैसा नया कार्य प्रारंभ किया। इसके पहले कि उनका मन परिवर्तित होता हम उन्हें चर्च लेकर आते। यह प्रयोग सफल हो गया! अब हम वही कर रहे थे जैसा यीशु ने हमें करने के लिये कहा। हम उन्हें आने के लिये ''आग्रह कर रहे'' थे ताकि मेरे संदेश सुनकर वह सुमाचार को जाने और यीशु पर विश्वास लायें।

कितने लोग तो चर्च नहीं आये। किंतु कुछ आयें। कुछ ने मुझे प्रचार करते हुये सुना और बचाये गये। ये वे लोग थे जिन्हें आग्रह करके बुलाया गया था और वे चर्च के मित्र बनाये गये। चर्च आने पर वे सुसमाचार सुनते रहे। सुसमाचार से उनके मन छिदे जाने के पहले वे लगातार चर्च आते रहे।

हरेक जिसे हमने बुलाया चर्च नहीं आया। यीशु ने जो कहानी बतायी उसमें सब नहीं आये थे। लूका के पद १८ में लिखा है, ''पर वे सब के सब क्षमा मांगने लगे'' वे नहीं आने के बहाने बनाने लगे। कुछ तो बिल्कुल नहीं आये। हमने उनसे चर्च आने का ''आग्रह किया'' पर वास्तव में थोड़े ही आये। वास्तव में हमने उन्हें ''भीतर आने'' का आमंत्रण दिया। भीतर कहां? बेशक चर्च के भीतर! कहानी में वे ''भीतर बुलाये'' गये थे? देखा जाये तो चर्च में कुछ ही लोग वास्तव में भीतर आये हुये होते हैं। वे स्फूर्तिवान संदेश सुनते हैं वे हमारे साथ बड़े अच्छे से ''प्रभु भोज ग्रहण'' करते हैं – जैसे पद १६ में कहा गया है। हमारे द्वारा किसी सदस्य की बर्थडे पार्टीज के उपलक्ष्य का भोजन – भी वह अच्छे से ग्रहण करते हैं। वे पार्टीज में हमारे साथ अच्छे से समय बिताते हैं! फिर हम उन्हें अगले रविवार आने को कहते हैं।

कुछ तो पलट कर नहीं आते हैं। पर कुछ आते हैं। तब हर आराधना में हम उन्हें बार बार सुसमाचार सुनाते हैं। एक समय के बाद वे सुसमाचार को समझना आरंभ कर देते हैं। कुछ ओर अधिक समय बाद उन्हें पापों का बोध होना आरंभ होता है और कुछ लोग यीशु पर विश्वास लाते हैं और उन्हें उद्वार प्राप्त होता है। आज शाम को यहां कितने लोग उपस्थित हैं जो इस रीति से चर्च मे आये? भले ही आप ने अभी तक उद्वार प्राप्त नहीं किया हो पर इस रीति से चर्च में आने वाले कितने हैं? कृपया खड़े हो जाइये। (वे खड़े होते हैं।) देखा आपने? कितने अधिक लोग इस रीति से चर्च में आये हैं! आप चर्च में आये हैं क्योंकि हमने मसीह की आज्ञा मानी। उनका कथन था,

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।''
        (लूका १४: २३)

''उन्हें भीतर ले आओं'' – यह कोरस मेरे साथ मिलकर गाइये!

उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।
(''उन्हें भीतर ले आओं'' ऐलेक्सीनाह थामस, १९शताब्दी)

जब हमने यीशु की पद्वति को अपनाया तो हमने दूसरी बाते भी सीखीं। हमने सीखा कि हमें किन्हें लेकर आना चाहिये? पहले हम हर किसी को लेकर आते थे। हमारा चर्च बीच शहर में बसा हुआ है। हम ल्यास ऐंजेलिस के मध्य में बसे हुये हैं। यहां आने वाले अनेक लोग कई लत के शिकार होते थे। कुछ नशे के आदी होते थे। ऐसे लोगों की हम ज्यादा मदद नहीं कर पाते थे। यीशु के समय में कहा गया था ''कंगालों टुण्डों लंगड़ों और अन्धों को बुला'' (पद २१)। किंतु यीशु के दिनों के लोग आज के लोगों की तुलना में अधिक सभ्य और गंभीर थे। आप ऐसे लोगों को लायेंगे तो चर्च में वे कुछ अजीब चीजें नहीं करेंगे। परंतु आज किसी को भी लेकर आना तो हो सकता है कि वे अनियंत्रित और जंगली किस्म के हों। इसलिये यीशु ने कहा कि तुम्हें चयनशील होना चाहिये। यीशु ने अपने चेलों से कहा,

''इन बारहों को यीशु ने यह आज्ञा देकर भेजा कि अन्यजातियों की ओर न जाना, और सामरियों के किसी नगर में प्रवेश न करना। परन्तु इस्राएल के घराने ही की खोई हुई भेड़ों के पास जाना।'' (मत्ती १०: ५, ६)

बाद में, उसने उन्हें और अधिक चयनवादी बनने को कहा। यीशु ने उन्हें कुछ खास लोगों और यहां तक कि पूरे के पूरे शहरों को सुसमाचार नही सुनाने के लिये कहा। उनका कहना था,

''और जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे, और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपने पांवों की धूल झाड़ डालो। मैं तुम से सच कहता हूं, कि न्याय के दिन उस नगर की दशा से सदोम और अमोरा के देश की दशा अधिक सहने योग्य होगी'' (मत्ती १०: १४, १५)

मसीह चयनवादी थे इसलिये हमें भी चयनवादी होना चाहिये। किसी ने कहा कि ''अगर आप सभी को जीतने की कोशिश करेंगे तो आप किसी को भी जीत नहीं पायेंगे।'' हमने देखा है कि हमारी पद्वति कालेज के १ˆ से २४ साल के युवा लोगों पर अधिक उपयुक्त बैठती है। हमारा चर्च अधिकतर इसी उम्र के लोगों से मिलकर बना है। हमने देखा है कि चीनी युवा जो कालेज के छात्र हैं उनको जीत पाना अधिक आसान है। यदयपि दूसरे भी इसमें शामिल होते हैं। हमारे यहां लगभग २० अन्य प्रजातीय के लोग हैं। पर खास बात यह है कि वे सब (कालेज के छात्र) हैं। वे सब न केवल कालेज के विधार्थी हैं। पर इतने साफ सुथरे युवा लोग जो बिल्कुल भी नशा नहीं करते हैं। हमारे ''टारगेट ग्रूप'' में यही लोग आते हैं। हमारे सुसमाचार प्रचार के केंद्र में ऐसे युवा जन आते हैं। हमने पिछले कुछ सालों में ५० युवाओं को जोड़ा है।

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।''
        (लूका १४: २३)

यह कोरस फिर से गाइये!

उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।

मैं सुनता हूं कि इवेंजलीकल्स कहते हैं कि लोगों को जीतना बहुत कठिन कार्य है। वे कहते हैं कि प्रति वर्ष यह कठिन होता जा रहा है। वे कहते हैं कि हम अंतिम दिनों में रह रहे हैं। इस कारण संसार में अब आत्माओं को जीतना और कठिन होता जा रहा है। कई कहते हैं कि लोग अजनबी को किसी मॉल या कालेज कैंपस में अपना फोन नंबर नहीं देता है। पर उनके सिद्वांत सत्य पर आधारित नहीं है। हमने इस बात को जितना परखा है उतना और किसी ने नहीं परखा होगा। हमने अनुभव से जाना है कि एक मित्रवश व्यक्ति को कालेज कैंपस में अनेक युवा अपना पहला नाम और फोन नं दे देते हैं। हम हर सप्ताह ऐसा करते हैं। इवेंजलीकल्स ने ऐसा करके नहीं देखा होगा अन्यथा वे ऐसा नहीं कहते कि यह पद्वति कार्य नहीं करती है। अब तो हम ऐसे युग में रह रहे हैं जहां चैट लाईन और फेसबुक और बाकि की चीजें भी हैं। आज के युवा लोग जो ''मिलेनियल'' कहलाते हैं वे स्नेहशील लोगों को अजनबी होने के उपरांत भी अपना फोन नं दे देते हैं। हमारे चर्च से सैकड़ों लोग हर सप्ताह इस पद्वति का उपयोग करते हैं। हर सप्ताह आप को जवानों पर अपना ध्यान बनाये रखना है क्योंकि अधिक उम्र वाले लोग अपना फोन नं नहीं देते हैं। प्रचारक सोचते हैं कि ऐसी कोई पद्वति कार्य में नहीं आती और सुसमाचार प्रचार करना कठिन है। परंतु वे गलत कहते हैं। क्योंकि यीशु ने कहा है,

''अपनी आंखे उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो कि वे कटनी के लिये पक चुके हैं।'' (यूहन्ना ४:३५)

कालेज माल्स और गलियां युवा लोगों से भरी हैं। पर हमें उनके पीछे जाना है। हमें उसी लगन और दृढ़ता से उनके पीछे जाना है। शहर ऐसे लोगों से भरा है। कटनी भरपूर होगी। यह हमेशा बढ़ेगी क्योंकि हर सेमेस्टर नये विधार्थी आते हैं। यीशु ने कहा है,

''तब उस ने अपने चेलों से कहा पक्के खेत तो बहुत हैं, पर मजदूर थोड़े हैं। इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे'' (मत्ती ९:३७, ३८)

फिर से गीत गाइये!

उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।

यह इतना आसान भी नहीं है। मुझे तो यह जानकर धक्का लगा जब मुझे पता चला कि हमारे पास लोग हैं जो जाते तो हैं पर बहुत थोड़े नाम व फोन नं लेकर आते हैं। कुछ तो बिल्कुल भी नहीं लेकर आते हैं। मुझे तो एक रात बहुत बैचेनी हुई। सच्चाई यह हैं कि गलियां जवान लोगों से भरी हुई है। यीशु ने कहा कि हमें परमेश्वर से प्रार्थना करना चाहिये कि वे ''और मजदूरो को भेजें''। आप सुसमाचार कार्य के लिये जाते तो हैं पर और नाम लेकर नहीं आते हैं। आप नाम लेकर नहीं आते क्योंकि आप ठीक से ''मजदूरी'' नहीं कर रहे हैं। सैकड़ों भटके हुये युवा लोग हैं। पर उनके नाम लाने के लिये आप ''मेहनत'' नहीं कर रहे हैं! जिन्हें ''मजदूर'' कहकर अनुवादित किया गया है उन्हें ''त्रमिक'' भी कहा जा सकता है।

जब आप सुसमाचार कार्य के लिये जाते हैं तो आप को इस के लिये मेहनत करनी होती है! आप को खूब मेहनत करनी होगी तभी आप को नाम मिलेंगे। आप को आत्मा जीतने के कार्य में बहुत मेहनत करनी होगी तभी आप को नाम और फोन नं मिलेंगे। अगले सप्ताह फिर मेहनत में जुट जाइये! आलस्य मत कीजिये! इससे पीछे मत हटिये! खड़े रहकर समय मत गंवाइये! आप को खूब मेहनत करनी होगी तभी आप को नाम मिलेंगे!

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।''
        (लूका १४: २३)

फिर से गीत गाइये!

उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।

पिछले रविवार नोहा सांग ने यहां संदेश दिया था। यह केवल उनका दूसरा संदेश था। पर यह बहुत सामर्थ युक्त संदेश था! नोहा सांग ने कहा था,

आज के युवा जो समस्या का सामना कर रहे हैं वह अकेलेपन की समस्या है। मैं जानता हूं कि यह सत्य है। आप लोगों को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं आप डेट पर जाते हैं पर यह लंबी नहीं चलती। आप प्रेम में पड़ जाते हैं पर यह भी जल्द खत्म हो जाता है। आप माल्स में चलते जाते हैं पर कोई आप को जानता नहीं या चिंता नहीं करता। आप फेसबुक या चैट लाईन पर बात करते हैं पर आप जानते हैं कि जिससे आप बात कर रहे हैं & उन्हें आप की परवाह नहीं है। वे केवल सायबर मित्र है & सच्चे मित्र नहीं। तो उत्तर क्या है? सीधा उत्तर है न्यू बैपटिस्ट टैबरनेकल चर्च! नोहा सांग का गीत है, ''गाड हेटस लोनलीनेस!''

नोहा का कथन सही था! बच्चे आजकल अकेले हो गये हैं। सिर्फ कुछ बच्चे नहीं। पर सब बच्चे अकेलेपन का शिकार हो चले हैं। उनके पास सीधे जाइये। मुस्कुराकर उनसे ''हैलो कहिये।'' डरिये मत! जोन कैगन ने मुझसे कहा था, ''हम चर्च में एक पार्टी आयोजित करके उन पर उपकार कर रहे हैं।'' जोन का कथन सही था! सच में हम उन पर उपकार कर रहे हैं क्योंकि हम उन्हें वह दे रहे हैं जिस की उनको आवश्यकता है। इस अकेलेपन से बचने का क्या उपाय है। एक अच्छा जीवन जीने के लिये क्या उपाय है? यीशु मसीह में होकर परमेश्वर के साथ शांति पाने के लिये उन्हें किस बात की आवश्यकता है! आप उनसे सेल्समैन की तरह नहीं बात कर रहे हैं वह सैल्समैन जो उनसे कुछ पाना चाहता है। नहीं! नहीं! बिल्कुल नहीं आप सैल्समैन नहीं हैं! आप सुसमाचार कार्य से वहां हैं इसलिये आप उनसे कुछ लेने के लिये नहीं हैं! आप उनसे कुछ चालाकी करने के लिये नहीं हैं! जो चीज उन्हें नहीं चाहिये उसे बेचने के लिये नहीं है! आप तो उन्हें कुछ देना चाहते हैं। ऐसी चीज उन्हें देते हैं जिसकी उन्हें सख्त आवश्यकता है! आप उन्हें अच्छे मित्रों की संगति में लाना चाहते हैं। आप उन्हें घर अर्थात चर्च लाना चाहते हैं ताकि वे यीशु को जान सकें & और उद्वार का मुफ्त उपहार प्राप्त कर सकें और उसका अनंत प्रेम प्राप्त कर सकें!

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।''
        (लूका १४: २३)

फिर से गीत गाइये!

उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।

जब आप सुसमाचार के लिये जाते हैं तो डरिये मत! उन्हें जो चाहिये हम उन्हें वह दे रहे हैं। उन्हें इसकी सख्त आवश्यकता है! आप उन पर उपकार कर रहे हैं। आप वहां उनकी सहायता करने के लिये हैं। आप उन्हें वह देने के लिये हैं जो उन्हें चाहिये। आप उनके नाम लाने के लिये हैं ताकि हम उन्हें यहां ला सके। हम उन्हें वह प्रेम और मित्रता देना चाहते हैं जिसे कभी उन्होंने जाना नहीं & पिता पुत्र और पवित्र आत्मा का अदभुत प्रेम & वह मित्रता, गर्मजोशी, संगति और आनंद जो यहां ''न्यू'' बैपटिस्ट टैबरनेकल चर्च में उपलब्ध है!

खेत कटनी के लिये तैयार हैं! अब व्यक्तिगत सुसमाचार प्रचार के द्वारा लोगों के नाम और फोन नं लेकर आइये! बुधवार की रात हमारे साथ सुसमाचार कार्य के लिये चलिये! हमारे साथ गुरूवार की रात चलिये! हमारे साथ शनिवार की रात इस कार्य के लिये चलिये! और हां & फिर से रविवार की दोपहर को चलिये! एक दो नहीं परंतु मुठी भर नाम लाइये! आप इसे कर सकते हैं! डरिये मत। आप के पास वह है जो युवा लोगों को तत्परता से चाहिये! जाइये इसे कीजिये! जाइये इसे कीजिये! जाइये इसे कीजिये!

''स्वामी ने दास से कहा, सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए।''
        (लूका १४: २३)

कृपया खड़े हो जाइये और गीत संख्या ८ गाइये। ''उन्हें भीतर ले आओं'' गीत संख्या ८ गाइये।
इसे गाइये और यह कार्य अगले सप्ताह कीजिये!

सुनो! यह चरवाहे की आवाज मैं सुनता हूं,
   इस गहरे सुनसान मंद रेगिस्तान में,
उन भेड़ों को पुकारती जो भटक गयी हैं
   उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
   उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।

कौन जायेगा और चरवाहे की मदद करेगा,
   भटकते हुयों को ढूढने में सहायता करेंगें
भटके हुओं को कौन भेड़शाला में लायेगा,
   जहां शीत से उनका बचाव हो सके।
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।

निर्जन रेगिस्तान में उनकी पुकार सुनो,
   उंचे सुनसान पहाड़ों पर उनकी पुकार सुनो;
सुनो! स्वामी उनसे क्या कहता है,
   ''जाओं मेरी भेड़ जहां भी हो उसे ढूढो''
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।
      (''उन्हें भीतर ले आओं,'' एलिक्जीना थामस १९ वीं शताब्दी)

क्या इस संदेश ने आप को और नाम लाने के लिये प्रेरित किया है? क्या आप को आज रात इसकी आवश्यकता महसूस होती है? क्या आप कहेंगे कि, ''डा हिमर्स अब से हम और अधिक नाम लेकर लौटेंगे'' अगर ऐसा निश्चय आप करते हैं तो अपने स्थान पर से उठकर यहां आइये इस प्लेटफार्म पर आइये और झुक जाइये एमी ''उन्हें भीतर ले आओं'' यह गीत बजायेगी जब आप सामने पहुंचते हैं। (लोग सामने आते हैं)

जोन सैम्यूएल कैगन आप से अनुरोध है कि आप परमेश्वर से प्रार्थना में मांगिये कि हरेक जन और अधिक नाम लेकर आये। (जोन कैगन प्रार्थना) करते हैं। नोहा सांग (प्रार्थना करते) हैं। एमी जब गीत बजाती रहती है आप इसे गाते हुये अपनी सीट पर लौटिये।

उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   पाप के क्षेत्रों से निकालकर उन्हें भीतर ले आओ;
उन्हें भीतर ले आओं, उन्हें भीतर ले आओं,
   भटकते हुओं को यीशु के पास ले आओ।

अब आप बैठ सकते हैं। यीशु मसीह का मुख्य कार्य आत्माओं को बचाना था। यीशु स्वयं कहते थे, ''क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है'' (लूका १९(१०)

अगर आप ने उद्वार प्राप्त नहीं किया है तो मैं यहां आप को बताने के लिये उपस्थित हूं कि यीशु आप के लिये हैं। अपने पापों से मुंह मोड़ लीजिये और यीशु मसीह के साथ आमने सामने आ जाइये & जैसा नोहा सांग ने किया। वह आप के स्थान पर मरे और मरकर आप के पापों का दंड उठाया। उन्होंने क्रूस पर रक्त बहाया ताकि आप के पापों को शुद्व कर सकें। अगर आप यीशु पर विश्वास करना चाहते हैं तो डॉ कैगन को आज रात बात कीजिये, उनके घर के आफिस पर फोन लगाइये। डॉ कैगन से समय तय कीजिये, ताकि आप उनसे परामर्श ले सकें कि आप किस प्रकार उद्वार प्राप्त कर सकते हैं।आप सभी को परमेश्वर आशीष देवें! आमीन।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
आप डॉ.हिमर्स के संदेश इंटरनेट पर प्रति सप्ताह पढ सकते हैं
www.sermonsfortheworld.com पर
''पांडुलिपि संदेशों'' पर क्लिक कीजिये।

पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ.
हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। यद्यपि डॉ.
हिमर्स के सारे विडियो संदेश का कॉपीराईट है और उन्हें
अनुमति से उपयोग में ला सकते हैं।

संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: लूका १४:१ˆ−२३
संदेश के पूर्व बैंजमिन किंकेड ग्रिफिथ ने एकल गान गाया गया:
''उन्हें भीतर ले आओं,'' (एलिक्जीना थामस १९ वीं शताब्दी)