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योना – मृत्यु से जीवन तक का सफर

JONAH – FROM DEATH TO LIFE!
(Hindi)

डॉ आर एल हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, ५ जून, २०१६ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में किया गया प्रचार संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, June 5, 2016


पहले मैं उस समुद्री दैत्य के लिये बता दूं। तो योना की पुस्तक १:१७ में से पढ़िये, ''यहोवा ने एक बड़ा सा मगरमच्छ ठहराया था कि योना को निगल ले।'' ''ठहराया'' के लिये इब्री शब्द ''मनह'' है। इसका अर्थ है ''निर्मित करना'' या ''बनाना।'' यह जलचर विशेष रूप से बनाया और निर्मित किया गया था। इसके पहले न कोई ऐसा जलचर बनाया गया था और न बाद में। स्वयं परमेश्वर पिता ने इसे बनाया था। इसके लिये इब्रानी में ''डेग'' शब्द है। अर्थात एक समुद्री जलचर − बहुत विशाल, जो एक पूरे मनुष्य को निगल ले, बिना चबाये। इस पद में हमको ऐसा वर्णन मिलता है,

''मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था, मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था, तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा तू ने मेरे प्राणों को गड़हे में से उठाया है।'' (योना २:६)

योना की पुस्तक पर प्रसिद्व धर्मसुधारक जौन कैल्विन ने कहा था,

         इस कहानी में (मसीह) योना के समान ही थे वह ऐसे भविष्यवक्ता थे जो पुर्नजीवन में लाये गये थे...... जैसे योना ने पुर्नजीवित होकर नीनवे को बदल कर रख दिया। इस पद का साधारण सा अर्थ यही है। योना इस रूप में मसीह के समान नहीं था कि वह अन्यजातियों के पास भेजा गया परंतु वह मृत्यु से जीवन में वापस लाया गया...... (जौन कैल्विन, कमेंटरीज औन टवेल्व माइनर प्रोफेटस, बेकर बुक हाउस, १९९८ पुर्नमुद्रण, वौल्यूम ३, पेज २१)

ध्यान दीजिये कैल्विन के शब्दों को − योना ''ऐसा भविष्यवक्ता था जो पुन: जीवन में वापस लाया गया।'' योना का तीसरे दिन वापस जीवित बाहर आना मसीह के मरे हुओं में से जी उठने के समान था।

एम आर देहान ने कहा था, ''भविष्यवक्ता योना का समुद्र में फेंका जाना मछली द्वारा निगल लिया जाना, तीसरे दिन वापस जीवित बाहर आना यह स्पष्ट रूप में मसीह के मरने और पुर्नजीवित होने के प्रकार का है'' (एम आर देहान, एम डी, जोना − फैक्ट और फिक्शन? जोंदरवन पब्लिशिंग हाउस, १९५७, पेज ८०) डॉ जे वर्नान मैगी ने यही बात थ्रू दि बाइबल कमेंटरी में कही।

डॉ मर्फी लूम सदर्न कैलिफोर्निया की सैमनरी में इब्री भाषा पढ़ाया करते थे। डॉ लूम ने मुझसे कहा था, ''यीशु ने मत्ती १२:४० में योना पर सर्वश्रेष्ठ व्याख्या दी।'' उस पद में यीशु ने कहा था,

''यूनुस तीन रात दिन जल जन्तु (समुद्री दैत्य) के पेट में रहा वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा'' (मत्ती १२:४०)

मसीह के कथन से तीन सबक सामने आते हैं:

१. योना मसीह के मरने और जी उठने का चित्रण है।

''यूनुस तीन रात दिन जल जन्तु (समुद्री दैत्य) के पेट में रहा वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा'' (मत्ती १२:४०)

२. योना अनुग्रह द्वारा उद्वार पाने का चित्रण है।

''और उस की सामर्थ हमारी ओर जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है, उस की शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार। जो उस ने मसीह के विषय में किया, कि उस को मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्यानों में अपनी दाहिनी ओर......'' (इफिसियों १:१९−२०)

मसीह का जी उठना उद्वार पाये मनुष्य पर लागू होता है।

''और उस ने तुम्हें भी (जिलाया) जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे'' (इफिसियों २:१)

और, हमें फिर से, बताया गया है,

''जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है) और मसीह यीशु में ......उसके साथ उठाया'' (इफिसियों २:५−६)

ये पद बताते हैं कि जो अपरिवर्तित व्यक्ति पाप में मरा हुआ है उसे मसीह में जिलाया जाना आवश्यक है। ''मृत्यु से जीवन में'' आने का जो अनुभव है वह मसीह के पुर्नजीवित होने से स्फूर्ति पाता है और जुड़ा हुआ है। और जो योना के साथ घटा उसमे उसका वर्णन है (मत्ती १२:४०)

३. योना का पुन जीवन में आना परिवर्तित व्यक्ति के लिये डूबकर बपतिस्मे लेने का भी चित्रण है (रोमियों ६:३−४) में लिखा मिलता है,

''क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें'' (रोमियों ६:३−४)

विश्वास से, परिवर्तित मनुष्य मसीह में बपतिस्मा लेता है, और उसकी मृत्यु और जी उठने में सहभागी होता है। डॉ मैकआर्थर का कहना सही है, ''निश्चित यह जल से लिये बपतिस्में का यथार्थ चित्रण है...... '' (उक्त संदर्भित, रोमियों ६:३ पर व्याख्या) अत: परिवर्तित होने का अनुभव और उसके पश्चात जल से बपतिस्मा लेना मसीह की मृत्यु और पुर्नजीवित होने का संकेत है जो योना के उदाहरण से प्रगट होता है (मत्ती १२:४०)


संक्षेप में दुहराते हैं,


१. योना मसीह के मरने और जी उठने का चित्रण है।

२. योना के परिवर्तन में आत्मिक मृत्यु और पुर्नजीवन पाने का वर्णन किया है

३. योना विश्वासी के बपतिस्में का चित्रण है।


क्या मसीह सचमुच में मरे थे? हां । क्या एक अपरिवर्तित सचमुच में अपने पाप और अधर्म में मरा हुआ होता है ? हां । क्या एक परिवर्तित मनुष्य सचमुच में मृत्यु से जिलाया जाता है? हां । एक अनुभवी प्रचारक उनके चेहरे के हाव भाव में परिवर्तन से पहचान जाता है।

क्या योना मछली के पेट में मर चुका था? मैं सोचता हूं उत्तर प्रगट है! जैसा डॉ लूम ने कहा ''यीशु ने मत्ती १२:४० में योना पर सर्वश्रेष्ठ व्याख्या दी।''

''यूनुस तीन रात दिन जल जन्तु (समुद्री दैत्य) के पेट में रहा वैसे ही मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा''

यीशु वास्तव में मर चुके थे − और जो तुलना उन्होंने प्रगट की उससे कहा जा सकता है कि यीशु विश्वास करते थे कि योना सचमुच में मर चुका था। यहां यह बहस समाप्त होती है! योना इसे यह कहते हुये स्पष्ट करता है,

''मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा तू ने मेरे प्राणों को गड़हे में से उठाया है।'' (योना २:६)

भ्रष्टता के लिये इब्री में ''शाकथ'' शब्द है अर्थात ''कब्र'' और यह योना की मृत्यु को प्रगट करता है।

योना के प्रथम दो अध्याय परिवर्तन को प्रगट करते हैं मेरे परिवर्तन को भी मैं इस रूप में देख सकता हूं। परमेश्वर ने योना के हृदय से बात की और उसे नीनवे जाने के लिये कहा परमेश्वर ने मेरे हृदय से भी बात की थी और कहा था कि मैं उसके लिये गवाही बनूं। योना परमेश्वर की उपस्थिति से भाग गया था। एक जहाज में सवार होकर वह जितना नीनवे से दूर जा सकता था चला गया। मैंने हटिंगटन पार्क का चर्च छोड़ा और ल्यास ऐंजीलिस के अंधेरे और डर में खो गया। मैं परमेश्वर से दूर चला आया जैसा योना ने किया था। परमेश्वर ने योना के जहाज के लिये ऐसा तूफान भेजा। मैंने भी जीवन के इतने उतार चढ़ाव देखे कि कोई उम्मीद ही नहीं बची थी। और निराशा और अवसाद ने उसे घेर लिया। मै कालेज नहीं जा पाता था क्योंकि मेरे पास कार नहीं थी। कई घंटे बस में आने जाने में लगते थे तब मैं वहां पहुंचता था। कालेज से लौटकर मुझे काम करना पड़ता था। अध्ययन के लिये समय ही नहीं बचता था। मै जानता था कि मैं कक्षा में पिछड़ रहा था। ऐसा लगता था कि शैतान मुझे निगलने को है। कोई रोशनी नहीं कोई उम्मीद की किरण नहीं। कोई शांति नहीं। मैंने भी ऐसा महसूस किया जैसे योना उस विशाल दैत्य के मुंह में समा चुका था।

''मैं जल से यहां तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे गहिरा सागर मेरे चारों ओर था और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ था। मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था मैं सदा के लिये भूमि (में) बन्द हो गया था......'' (योना २:५, ६)

मैंने भी ऐसा महसूस किया था। मैं ऐसा मानने को तैयार नहीं होता था पर परमेश्वर मुझे उन सब चीजों का झूठा आकर्षण और व्यर्थता दिखा रहा था। मेरे पाप मेरे सामने थे!

मै हमारे यहां के एक जवान सर्जियो मेलो, के समान महसूस कर रहा था। पाप के बोध से दबे हुये सर्जियो ने कहा था, ''अब ओर मैं इस बोझ को सहन नहीं कर सकता मेरा मन बहुत भारी है......मै एक भयानक दौर से गुजर रहा हूं और पाप का बोध मुझे दबाये जा रहा है......कोई भी मुझे इस समस्या से बाहर नहीं निकाल सकता था...... मैंने अपने आप से कहा, ‘क्या हो अगर मैं मर जाउं?’ ‘पर मैं इस समय ऐसी दशा में मर नहीं सकता।’ फिर मैं अपने आस पास से गुजरने वाले हर शख्स के चेहरे को देखने लगा तो मुझे याद आया कि डॉ हिमर्स ने अपने संदेश में कहा था कि लोग जोंबीज के जैसे चले जा रहे हैं और अपनी आत्मा को बचाने की उन्हें कोई चिंता नहीं हो।'' यह सर्जियों के उदगार थे, जो एक सुबह पाप के गहन बोध में डूबा, जैसे योना गहरे समुद्र में डूबा जा रहा था।

जौन कैगन का भी एक ऐसा ही अनुभव था। जौन ने कहा, ''मेरे परिवर्तन के (पहले) के कुछ सप्ताह मरने के समान थे। मैं सो नहीं पाता था मैं मुस्कुरा नहीं पाता था। किसी किस्म की शांति नहीं थी...... मैने परमेश्वर और परिवर्तन से जुड़े सब विचार त्याग दिये मैंने उनके बारे में सोचना ही बंद कर दिया, तौभी मुझे शांति नहीं मिली...... मैंने इतना प्रताड़ित कभी नहीं महसूस किया......मैं अपने आप से नफरत करने लगा मेरे पाप मेरे सामने थे और मुझे उनसे नफरत हो रही थी...... मेरे पाप बद से बदतर लग रहे थे।''

सोरिया हांसी ने कहा था, ''डॉ हिमर्स पाप के उपर बहुत कड़ा प्रचार करते हैं...... मुझे अपने किये सब गलत काम याद आने लगे। मेरे विचारों का पाप, झूठ बोलना, और ऐसे ही (कई) पाप। मुझे शर्म आने लगी और मैं परमेश्वर का सामना नहीं कर सकी...... मैं रोने लगी। मैंने सोचा, ‘कि मैं यीशु को कभी नहीं पा सकूंगी’ ...... मैं रोती और रोती रही। मैंने सोचा मसीह कभी मेरे उद्वारकर्ता नहीं बन पायेंगे।''

योना ने कहा था, ''मैं जल से यहां तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे गहिरा सागर मेरे चारों ओर था और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ था......तेरी भड़काई हुई सब तरंग और लहरें मेरे ऊपर से बह गईं।'' (योना २:५, ३)

मैं ऐसा तब तक महसूस करती रही, जब तक मसीह मेरे पास नहीं आये और मेरे उपर अपना सारा प्रेम नहीं उड़ेल दिया और मैं गाने लगी, ''अदभुत प्रेम और ये कैसे हो सकता है कि मसीह मेरे लिये अपने प्राण दे?'' और तब योना रोने लगा और कहने लगा, ''उद्धार परमेश्वर ही से होता है'' (योना २:९)

''और यहोवा ने मगरमच्छ को आज्ञा दी, और उसने योना को स्थल पर उगल दिया'' (योना २:१०)

परमेश्वर का धन्यवाद हो! जिस क्षण आप यीशु पर विश्वास लाते हैं आप अपने पापों को ''उगल देते हैं!'' आप शैतान के चंगुल से छूट जाते हैं! आप मृत्यु से छूट जाते हैं − और यीशु मसीह के साथ नये जीवन में प्रवेश करते हैं! मेरे मित्रों, अगर आप यीशु के पास आयेंगे जो आप महसूस करेंगे कि योना सही था − ''उद्धार परमेश्वर ही से होता है'' जैसा एक आधुनिक अनुवाद कहता है ''उद्धार परमेश्वर के द्वारा होता है'' परम पिता की ओर से मसीह में यह मुफ़्त उपहार है।

क्या आप को उद्वार की आवश्यकता है? आवश्यकता महसूस नहीं करना सामान्य बात है। मनुष्य अपनी स्वाभाविक और सामान्य दशा में ऐसा महसूस नहीं करते हैं। जैसा सर्जियो, जौन कैगन और सौरेया ने महसूस किया इसके लिये एक चमत्कार की आवश्यकता होती है − जैसे योना को हुआ − जैसे मुझे हुआ जब मैं बीस वर्ष की उम्र में ल्यास ऐंजीलिस की अंधेरी, नाउम्मीदी भरी गलियों में अकेला भटक रहा था। पाप के बोध में लाने के लिये पवित्र आत्मा का चमत्कार चाहिये होता है। केवल पवित्र आत्मा के प्रभाव में मनुष्य कह सकता है, ''मेरे पाप मेरे सामने हैं'' (भजन ५१:३)

क्या आपने स्वयं को जांचा है? क्या आपने अपने मन की ओर देखा है? अगर ऐसा नहीं करेंगे तो आप के लिये कोई आशा नहीं है। कई लोग इस आत्म परीक्षण से भाग रहे हैं − जैसे योना परमेश्वर की उपस्थिति से भाग गया था। लोग अपने पाप पर विचार करने से बचते हैं परमेश्वर से छिपने के लिये सोच विचार से बचने कि लिये विडियो गेम्स में डूबे रहते हैं। अपनी सोच से बचने के लिये − कई लोग व्यर्थ की भाग दौड़ में उलझे रहते हैं। अपने पाप के बारे में, सोचने से बचने के लिये, कई लोग अध्ययन में, कैरियर में, काम में अपने को डूबो देते हैं। डॉ ल्योड जोंस ने कहा था, ''आप को अपने जीवन के लिये और अपनी आत्मा के लिये संघर्ष करना पड़ेगा। यह संसार तो आप को पापों में ही पड़े रहने देने के लिये हर संभव प्रयास करेगा'' − आप को अपने पापों के बारे में सोचने से बचायेगा (''द सिनर्स कन्फैशन'')

आप को अपने अपराधों के बारे में सोचना है। अपराध अर्थात विद्रोह जिसमें अपने तरीके से काम करने की करने की इच्छा छुपी होती है आप जानते है कि यह गलत है तौभी आप वही करते हैं। ऐसा करना जिसे आप का विवेक कहता है कि यह गलत है। जानबूझकर पाप करना। आप का विवेक कहता है ''नही'' − पर आप ने किया। यह अपराध है!

फिर आप को अपने अधर्म के बारे मे सोचना चाहिये। इसका अर्थ आप ने कुछ और पथभ्रष्ट विचार रखे या किये − आप ने कुछ बुरे, भददे, पथभ्रष्ट, कलुषित विचार रखे − यह आपके मन या जीवन का अधर्म है!

तब एक और शब्द आता है ''पाप।'' अर्थात ''निशाने का चूकना।'' जैसे एक च्यक्ति निशाना लगाता है और चूक जाता है अर्थात आप को जो होना चाहिये आप वह नहीं हो। जिस तरह से जीना चाहिये आप वैसा नहीं जी रहे हैं। निशाना चूक गये हैं। जिस तरह से परमेश्वर चाहता है कि आप जिये आप वैसा जीवन नहीं जी रहे हैं। तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि आप खुश नहीं है!

जब परमेश्वर का आत्मा आप को अपने आपे में लाता है तो उसे धकेलिये मत। वह आप को बोध में लायेगा। निश्चित कीजिये कि आप उसके विचारों को धकेलेंगे नहीं। अगर ऐसा करेंगें तो दूसरा मौका हाथ नहीं आयेगा। अगर परमेश्वर ने जो चाहा और आप ने वह नहीं किया तो आप सदा के लिये अपनी आत्मा को खो बैठेंगे। भले ही आप इस संसार में रहते रहेंगे।

हम प्रार्थना करते है कि परमेश्वर का आत्मा आप को बैचेन करें व्याकुल करे आप अपने आप को भटका हुआ महसूस करे खोया हुआ अपने से नफरत करते हुये पायें − कोई उम्मीद आपको नजर न आये! तभी आप कह सकेंगे, ''क्योंकि मेरे अधर्म के कामों में मेरा सिर डूब गया, और वे भारी बोझ की नाईं मेरे सहने से बाहर हो गए हैं'' (भजन ३८:४) तब आप को महसूस होगा कि केवल यीशु ही वह एकमात्र जन है जो आपको बचा सकते हैं। तब आप को लगेगा कि यीशु का लहू जो क्रूस पर बहाया गया उसमें पाप शुद्व किये बगैर कोई छुटकारा नहीं है। तब आप अपने आप से यह खेल खेलना बंद करेंगे। तब अपने पाप से नफरत करने लगेंगे और यीशु के पास आयेंगे। और केवल उसी पर भरोसा रखेंगे। तब आप योना के समान यह कह पायेंगे ''उद्धार परमेश्वर ही से होता है'' (योना २:९) तब आप वह कर पायेंगे जो यह गीत कहता है,

आप के पास आता हूं!
मुझे अपने लहू में, धोकर शुद्व और पवित्र कीजिये
जो कलवरी से बहा।
          (''आय एम कमिंग, लार्ड'' लेविस हार्ट सौ, १८२८−१९१९)

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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र पढ़ा गया: योना २:१−९
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''आय एम कमिंग, लार्ड'' (लेविस हार्ट सौ, १८२८−१९१९)