Print Sermon

इस वेबसाईट का उद्देश्य संपूर्ण विश्व भर के पास्टर्स व प्रचारकों को, विशेषकर तीसरी दुनिया के पास्टर्स व प्रचारकों को नि:शुल्क हस्तलिखित संदेश और संदेश के विडियोज उपलब्ध करवाना है, जहां बहुत कम धर्मविज्ञान कॉलेज और बाइबल स्कूल्स हैं।

इन संदेशों की पांडुलिपियां प्रति माह २२१ देशों के १,५००,००० कंम्प्यूटर्स पर इस वेबसाइट पते पर www.sermonsfortheworld.com जाती हैं। सैकड़ों लोग इन्हें यू टयूब विडियो पर देखते हैं। किंतु वे जल्द ही यू टयूब छोड़ देते हैं क्योंकि विडियों संदेश हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। यू टयूब लोगों को हमारी वेबसाईट पर पहुंचाता है। प्रति माह ये संदेश ४२ भाषाओं में अनुवादित होकर १२०,००० प्रति माह हजारों लोगों के कंप्यूटर्स पर पहुंचते हैं। उपलब्ध रहते हैं। पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। आप यहां क्लिक करके अपना मासिक दान हमें दे सकते हैं ताकि संपूर्ण विश्व में सुसमाचार प्रचार के इस महान कार्य में सहायता मिल सके।

जब कभी आप डॉ हायमर्स को लिखें तो अवश्य बतायें कि आप किस देश में रहते हैं। अन्यथा वह आप को उत्तर नहीं दे पायेंगे। डॉ हायमर्स का ईमेल है rlhymersjr@sbcglobal.net. .




बीज बोने वाले की कथा

THE PARABLE OF THE SOWER
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, ८ नवंबर, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल
में किया गया प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Evening, November 8, 2015


अब मैं यह संदेश कुछ अलग ढंग से प्रचारित करने जा रहा हूं जो हमेशा से थोडा अलग होगा। मैं चाहता हूं कि आप अपनी बाइबल में से मरकुस अध्याय ४ निकाल लेंवे। मैं आपको बीज बोने वाले की कथा समझाउंगा। यह मत्ती, मरकुस, लूका में मिलती है। पर आज रात हम मरकुस में से इसका अध्ययन करेंगे। प्रभु यीशु हमेशा नीति कथायें सुनाया करते थे जिससे लोगों को आध्यात्मिक सत्य समझाने में आसानी होती थी।

तो इस में छिपा प्रमुख सत्य क्या था? यह कि − अधिकतम लोग जो सुसमाचार सुनते हैं बचाये नहीं जायेंगे! अभी तक जितने भी अधिक लोगों ने सुना है कि कैसे उद्वार पाया जाये वे भी उद्वार नहीं पा सकेंगे। वे नर्क जायेंगे! भीड की भीड नर्क में जायेगी। केवल थोडे लोग ही बच पायेंगे। यह सुनकर आज लोगो को बहुत आश्चर्य होता है। वे कहते हैं कि, ''मैं नहीं मानता कि परमेश्वर किसी को भेज सकते हैं।'' तब आप कहेंगे, ''कि बाइबल के परमेश्वर निर्विवाद रूप से लोगों को नर्क भेजते हैं।'' वे कहेंगे, ''मैं ऐसे परमेश्वर को नहीं मानता। मेरे इेश्वर तो ऐसा नही करेंगें।'' उनका कहने का तात्पर्य है कि जिस ईश्वर की छवि उन्होंने दिमाग में बना रखी है वह ऐसा कभी नहीं करेगा। लेकिन हम उस ईश्वर की बात नहीं कर रहे हैं जिसकी छवि आप ने अपने दिमाग में बना रखी है। लोग उन ''पंद्रह चरणों'' की बात करते हैं ''जैसा जैसा आप परमेश्वर को समझते हैं।'' परंतु मैं किसी झूठे परमेश्वर की बात नहीं कर रहा हूं। आपने अपने दिमाग में जो ईश्वर ''बना रखा'' है वह झूठा परमेश्वर है। ''जैसा आप परमेश्वर को समझते हैं'' अर्थात आप की विचारधारा का परमेश्वर झूठा परमेश्वर है। मैं तो उन परमेश्वर के बारे में बात कर रहा हूं जिन्हें आप वैसा नहीं समझते हैं! यही वह परमेश्वर हैं जिन्होंने बाइबल में स्वयं को संपूर्ण रूप से प्रगट किया है। वह बाइबल के परमेश्वर हैं! और कोई दूसरा परमेश्वर नहीं है! मैं झूठे देवताओं की बात नहीं कर रहा हूं जिनमें आप विश्वास करते हैं। मैं सच्चे परमेश्वर की बात कर रहा हूं − जो हमारे सामने बाइबल में प्रगट हुये हैं। आपका झूठा परमेश्वर तो लोगों को नर्क नहीं भेजता हैं। परंतु सच्चे परमेश्वर तो भेजते हैं। मत्ती ७:१३ में प्रभु यीशु मसीह ने कहा था, ''कि अधिकतर लोग नाश होने के लिये नर्क का रास्ता चुनेंगे।'' इससे आगे के पद में प्रभु यीशु ने कहा है कि बहुत ''थोडे हैं'' जो बचाये जायेंगे − सचमुच बहुत थोडे। और आज इस नीति कथा का मुख्य बिंदु यही है।

यह वह साधारण सी कहानी थी जिसे यीशु मसीह ने सुनाई थी। उन्होंने कहा एक किसान था जो बीज बोने कि लिये गया। जब वह बीज बिखरा रहा था, तो कुछ बीज सडक किनारे गिरे। चिडिया आयीं और जल्द से उन्हें चुग गयी। कुछ बीज चटटानी जगहों पर गिरे जहां अधिक मिटटी नहीं थी। कुछ बीज जल्द तो उग आये, पर तेज धूप में झुलस गये और मर गये, क्योंकि उन्होंने जड नहीं पकडी थी। कुछ बीज कांटों और खरपतवार के बीच में गिरे। जंगली पौधों ने बढकर अच्छे पौधों को दबा दिया, इसलिये वे फल नहीं ला सके। अंत में कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, वहां वे उगे और अच्छी फसल पैदा की। यही वह नीति कथा है। यह एक साधारण सी छोटी कहानी है − परंतु एक महत्वपूर्ण सत्य इसमें व्याप्त है − कि बहुत ही कम लोग जिन्होंने सुसमाचार सुना है बचाये जायेंगे!

कहानी में चार प्रकार की मिटटी का वर्णन है जो चार प्रकार के लोगो के बारे में बताती है जो सुसमाचार सुनते हैं। बीज परमेश्वर का वचन है, बाइबल है, यीशु मसीह के द्वारा उद्वार का संदेश है। इस चर्च में आने वाला हर व्यक्ति सुसमाचार सुनता है। सुनकर वे क्या करते हैं वह चार प्रकार की मिटटी के द्वारा प्रगट किया गया है।

१. पहला जो सुसमाचार सुनते हैं और भूल जाते हैं वे भटके हुये लोग होते हैं।

मरकुस ४:१५ को पढिये,

''जो मार्ग के किनारे के हैं जहां वचन बोया जाता है, ये वे हैं, कि जब उन्होंने सुना, तो शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है।'' (मरकुस ४:१५)

ये वे लोग हैं जो एक या दो बार चर्च आते हैं। ये परमेश्वर का वचन सुनते हैं पापों से मुक्ति कैसे मिलती है ऐसा संदेश सुनते है। किंतु उनकी दशा ऐसी होती है कि सुनी हुई बातों को मानों ''पक्षियों ने आकर चुग लिया'' (मरकुस ४:४) यहां पक्षी शैतान और दुष्टों का प्रतीक हैं। ''शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है'' (मरकुस ४:१५) ।

हम उन्हें बताते हैं कि यीशु उनके पापों का मोल चुकाने के लिये कूस पर मरे। शैतान उन्हें बताता है कि ''तुममें कोई पाप नहीं है तुम तो एक भले इंसान हो।'' तो शैतान उनके दिमागों में कार्य करके परमेश्वर का वचन उठा कर ले जाता है। हम कहते हैं कि मसीह मृतकों में से जीवित हुये ताकि आप को अनंत काल तक का जीवन प्रदान करे। शैतान कहता है, ''इस बात पर विश्वास मत करो! यह तो कपोल कथा या परियों की कहानी है।'' इस तरह शैतान उनके दिमागों में कार्य करके परमेश्वर का वचन उठा कर ले जाता है। यीशु ने कहा शैतान ''झूठा है'' (यूहन्ना ८:४४) । ताकि आप को सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा पापों से मुक्ति मिलती है इस सत्य को जानने से बचाये। वह आप को अपना गुलाम बनाये रखना चाहता है!

हम प्रति रविवार बहुत से लोगों को जो अपने पापों से मुक्ति पाने का मार्ग खोज रहे हैं उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिये चर्च में लेकर आते हैं। उनमें से कई कभी भी पलट कर नहीं आते। हम उन्हें पापों से छुटकारा पाने का मार्ग बताते हैं। हम उन्हें दोपहर या रात का का भोजन और कोई बडी जन्मदिन की पार्टी देते हैं। हम उनके लिये चर्च आना आसान बनाते हैं। पर उनमें से कई यह स्मरण ही नहीं रख पाते हैं कि मैंने क्या प्रचार किया था। क्यों? क्योंकि ''शैतान तुरन्त आकर वचन को जो उन में बोया गया था, उठा ले जाता है,'' इसलिये! कुछ लोग कई बार आते हैं पर मेरे प्रचार का उन पर कोई प्रभाव नहीं पडता। क्यों? क्योंकि हर बार वे शैतान की सुनते हैं, और वह उनके मन में से वचन उठाकर ले जाता है। हम उन्हें संदेश की शब्दश हस्तलिपि तक घर ले जाकर पढने के लिये सौंपते हैं। क्या वे इसे वास्तव में पढते होंगे और उस पर गंभीरता से विचार करते होंगे? नहीं वे नहीं करते होंगे। मैं जानता हूं उनमें से कई तो घर जाकर उसे कचरे की टोकरी में फेंक देते होंगे। मैं यह जानता हूं। पर हम भी अपना काम करते रहते हैं। हम क्यों ऐसा दोहराते रहते हैं? क्योंकि यीशु ने ऐसा करने के लिये कहा था ''सड़कों पर और बाड़ों की ओर जाकर लोगों को बरबस ले ही आ ताकि मेरा घर भर जाए'' (लूका १४:२३) क्योंकि परमेश्वर ने भी कहा था,

''सो चाहे वे सुनें या (न) सुनें; तौभी तू मेरे वचन उन से कहना, वे तो बड़े बलवई हैं।'' (यहेजकेल २:७)

जैसे जैसे हम ''अंतिम दिनों'' की ओर जाते हैं लोग परमेश्वर के प्रति अधिकाधिक विरूद्व होते जाते हैं। इसलिये शैतान और उसके साथी दुष्ट जन मनुष्यों के मन और दिमागों में से वचन को हटा देते हैं। चालीस साल पहले अगर आप एक नोटिस लगा देते थे ''बाइबल अध्ययन संध्या ७ बजे प्रारंभ होगा।'' नोटिस पढते ही जवान लोग आ जाते थे। मैं जानता हूं। मैंने सेनफ्रांसिस्कों में हिप्पीयों के लिये एक चर्च शुरू किया था। वे पापी थे। यकीनन थे। भले ही वे पापी थे पर वे आज के जवानों से कई कई, गुना अच्छे थे! आज कल के जवानों के मन इतने कठोर हो गये हैं कि आप घन से भी उन्हें नहीं तोड सकते! फिर भी हम उन्हें संदेश सुनाते रहते हैं, ''चाहे वे सुनें या (न) सुनें'' − क्योंकि परमेश्वर ने हमें ऐसा करने के लिये कहा है! और कभी ऐसा होता है कि कोई चुने हुओं में से होता है जो सुसमाचार सुनता है और पापों से मुक्ति पा जाता है। पर जैसे जैसे यह युग समाप्ति की ओर है और वर्तमान संसार बीतता जाता है ऐसे परिवर्तन होने कम होते जा रहे हैं। मैं यहां अमेरिका के लिये तो सहमत हूं कि परमेश्वर हमारे लोगो का न्याय कर रहे हैं क्योंकि लिखा है ''वह उन में एक भटका देने वाली सामर्थ को भेजेगा ताकि वे झूठ की प्रतीति करें'' (२ थिस्सलुनीकियों २:११)। तौभी हम यह भी जानते हैं कि परमेश्वर अपने, सतत बहने वाले अनुग्रह, में होकर इतने बुरे व दुष्ट युग में भी लोगों को अपने पास खींचेंगे! हम भीड को नहीं देख रहे हैं। हम तो जगह जगह उन थोडे लोगो को ढूंढ रहे हैं जिन्हें परमेश्वर ने बचाये जाने कि लिये चुना है। क्योंकि यीशु ने कहा था, ''तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है'' (यूहन्ना १५:१६) परमेश्वर हमें उन तक पहुंचायेगा जिन्हें परमेश्वर ने अपने संपूर्ण अनुग्रह में बचाये जाने कि लिये चुना है! हैलीलुयाह! पर जिन्हें परमेश्वर ने नहीं चुना है उनके साथ यह होना है कि ''शैतान तुरन्त (आकर) वचन को जो उन में बोया गया था, उठा (ले जाता) है'' (मरकुस ४:१५)। आप की क्या दशा है? क्या आप परमेश्वर के चुने हुओं में से हैं − या आप अपने मन में परमेश्वर के बोये गये वचन को शैतान को ले जाने देंगें − और अपने पापों में ही जियेंगे उन्हीं में मरेंगे? क्योंकि यह यीशु का कथन था, ''क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत परन्तु चुने हुए थोड़े हैं'' (मत्ती २२:१४)

२. दूसरा वे लोग जो सुसमाचार को सुनते हैं आनंद से ग्रहण करते हैं और जब परीक्षा में पडते हैं तो भटक जाते हैं।

मरकुस ४:१६−१७ को पढिये,

''और वैसे ही जो पत्थरीली भूमि पर बोए जाते हैं, ये वे हैं, कि जो वचन को सुनकर तुरन्त आनन्द से ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनों के लिये रहते हैं; इस के बाद जब वचन के कारण उन पर क्लेश या उपद्रव होता है, तो वे तुरन्त ठोकर खाते हैं।'' (मरकुस ४:१६−१७)

ये पथरीली भूमि वाले लोग पहले समूह से विपरीत किस्म के हैं। वे सुसमाचार को बडे आनंद और खुशी से ग्रहण करते हैं। वे चर्च आते हैं और इसे पसंद करते हैं। वे बडी उमंग से स्तुति के गीत गाते हैं। वे प्रार्थना सभाओं में भी बराबर आते हैं। वे सुसमाचार प्रचार के लिये भी जाते हैं। उन्हें इसमें बहुत आनंद आता हैं! वे इसे पसंद करते हैं! वे संदेश की हस्तलिपि घर भी ले जाते हैं और उसे ध्यान से पढते भी हैं।

पर किसी बात की कमी तौभी रह जाती है। इस प्रकार के लोगों की ''जडें गहरी नहीं'' होती हैं। वे मसीह में जड, नहीं पकडे होते हैं ''मसीह में जड पकडे और बढने वाले नहीं होते हैं'' (कुलुस्सियों २:७)। इसलिये ''वचन में टिके रहो।'' डॉ जे वर्नान मैगी ने कहा था, ''वे अति उत्साही तो हो जाते हैं, लेकिन मसीह के साथ उनका सही संबंध स्थापित नहीं हो पाता है। उनमें केवल आत्मिक उन्माद होता है।'' (थ्रू दि बाइबल, मत्ती १३: २०,२१ पर व्याख्या)

कुछ समय बाद उन्हें चर्च में समस्या पैदा होने लगती है। कुछ चीज सामने आती है और उनकी चर्च आने की इच्छा नहीं होती है। चर्च में होने के कारण अगर उनके उपर सताव या कोई परेशानी आती है तो ''वे अतिशीघ्र गुस्सा हो जाते हैं''। इसका शाब्दिक यह अर्थ हुआ कि ''वे तुरंत गिर जाते हैं'' (एनआयवी को पढें) अक्सर ऐसा क्रिसमस और नये साल की ''छुटिटयों'' मे होता हैं। वे जानते हैं कि हम चाहते हैं कि वे क्रिसमस के भोज पर मध्य रात्रि की आराधना पर और नये वर्ष की संध्या पर आयें। वे आने की योजना भी बनाते हैं। पर फिर कुछ ऐसा हो जाता है कि उनकी योजना बदल जाती है, वे किसी ओर जगह अविश्वासियों के साथ पार्टी में सम्मिलित हो जाते हैं, ऐसा ही कुछ फेरबदल हो जाता है। वे संसार में लौट जाते हैं − और जब वे जाते हैं, तो पहली बार उन पर थोडी परेशानी या ''दुख'' आता है। तो क्या ''छुटिटयों'' में जब आपके उपर ऐसी परीक्षायें आयेंगी तो आप ''बहक जायेंगें''? क्या आप भटके हुये मित्रों के साथ सांसारिक पार्टी रेव या नाच गाने में सम्मिलित होंगे? क्या आप भटके हुये मित्रों के साथ लॉस वेगास या ऐसी ही कोई जगह जायेंगे? हर साल ही तो हम देखते हैं कि कुछ लोग जो मसीह में वास्तविक रूप से जड नहीं पकडे होते हैं वे इस तरह छुटिटयों में बहक जाते हैं।

डॉ डेविड एफ वेल्स एक प्रसिद्व सुधारवादी धर्मविज्ञानी हैं। उनका कथन था, ''अगर इन संदेशों पर विश्वास किया जाये तो इन (लोगों) को स्वयं से वचनबद्व होने की कीमत चुकाने में कोई रूचि नहीं है.........ये (तथाकथित) परिवर्तित लोग अपने जीवन को इस तरह से उपर नीचे होने देने से इंकार करते हैं प्रकट रूप से ऐसे कई लोग आज अमेरिका में है।'' (डेविड एफ वेल्स, पीएचडी, दि करेज टू बी प्रोटेस्टैंट, इयर्डमंस पब्लिशिंग कंपनी, २००८, पेज ८९)

डॉ वर्नान मैगी ने इन लोगों को ''अलका सेल्टजर मसीही कहा है.........इनका रूख बहुत आक्रामक होता है ......... लेकिन इनका मसीह से कोई सच्चा संबंध नहीं होता है। बस इनमें भावनाओं का उंचा उछाल आता है। ये चटटानी प्रकार की मिट्टी वाले लोग हैं''। (उक्त संदर्भित)

३. तीसरा, वे लोग जो सुसमाचार सुनते हैं, लेकिन संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है, और वे भटक जाते हैं।

मरकुस ४:१८−१९ को पढिये,

''और जो झाडियों में बोए गए ये वे हैं जिन्होंने वचन सुना। और संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है। और वह निष्फल रह जाता है।'' (मरकुस ४:१८−१९)

डॉ मैगी ने कहा था कि, ''शैतान मार्ग के किनारे वाले लोगों को बहका लेता है, और ये चटटानी प्रकार की मिट्टी वाले लोग देह की अभिलाषाओं से संचालित होते हैं, संसार की चिन्ता इस प्रकार सुनने वाले लोगों के मन में वचन को दबा देती है। संसार की चिंता इनके मन में घर कर जाती है......और मैंने यह पाया है कि कई लोग इन चिंताओं से ग्रसित हो अपने मन से परमेश्वर के वचन को निकल जाने देते हैं'' (उक्त संदर्भित)

हमने यह देखा है कि यह बार बार होता है। कुछ जवान लोग चर्च आते हैं और ऐसा लगता है कि परिवर्तित भी हो जाते हैं। उसके बाद, जब वे स्नातक हो जाते है पैसे कमाने लग जाते हैं। उनके बच्चे हो जाते हैं। उन की अभिलाषायें बढ जाती हैं। मैं इसका पूरा वर्णन करने के लिये एनआयवी से उद्वरण दूंगा। यहां लिखा है वे, ''सुसमाचार सुनते हैं, लेकिन संसार की चिन्ता, और धन का धोखा, और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है।''

लगभग बीस साल पहले बहुत से लोगों ने इस चर्च को छोडा था। उनमें से एक ओलिवॉस नामक व्यक्ति था जिसने अपना दूसरा चर्च प्रारंभ कर दिया था। उसने लोगों से कहा कि मैं बहुत ही सख्त आदमी हूं। उन लोगों को रविवार संध्या की आराधना में आने की कोई आवश्यकता नहीं है केवल सुबह का चर्च ही पर्याप्त है और उसके पश्चात पॉटलक दोपहर का भोजन मिलेगा। उन्हें भटके हुये लोगों को भी चर्च में लाने की जरूरत नहीं है। उन्हें सिर्फ इतना करना है कि स्वयं ही चर्च आ जाये − और वह भी तब जब उन्हें सुविधा हो। वाह कितना अच्छा इंतजाम था! वे इस बूढे प्रचारक से स्वतंत्र हो गये थे! लेकिन उनमें से अधिकतर ने वह नया चर्च छोड दिया। उनके आदमियों में से एक ने मि प्रुद्योमे से कहा, ''यह चर्च तो मानो एक राह का चर्च है और वह वापस इस संसार के तौर तरीको पर ही ले जाता है।'' इस तरह आलिवास चर्च विभाजन पर यह प्रतिकिया सामने आयीं। क्या ऐसा पुन: होगा? हां, ऐसा हो सकता है − अगर संसार की चिन्ता, धन का धोखा, और वस्तुओं का लोभ हम में समाकर वचन को दबा दे! हां, चर्च में आने वाले लोगों में चटटानी प्रकार की मिट्टी वाले लोगों मे ऐसा होगा! हां, ऐसा होगा!

अब, डॉ जे वर्नान मैगी को पुन: सुनिये,

ये तीन प्रकार की मिटटी विश्वासियों को प्रगट नहीं करती − वे बिल्कुल भी विश्वासी नहीं हैं! उन्होंने वचन सुना है और ग्रहण करने के लिये माना है.....पर दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने उद्वार प्राप्त नहीं किया है.........केवल एक चौथाई वास्तव में बचाये जाते हैं। दिल से कहूं, तो मैंने अपनी सेवकाई में बचाये गये लोगों का इससे भी कम प्रतिशत पाया है (मैगी, उक्त संदर्भित, पेज ७३, ७५)।

वे आपको तो यही प्रगट करेंगें कि वे उद्वार प्राप्त लोग हैं पापों से मुक्ति उन्हें मिल चुकी है। पर वास्तव में पापों से उन्हें मुक्ति नहीं मिली है! मैं डॉ जे वर्नान मैगी से पूर्ण रूप से सहमत हूं। उन्होंने इन भटके हुये लोगों के लिये कहा था कि, ''इन खोये हुये इवेंजलिस्टों को दक्षिणी कैलीफोर्निया प्रकार के लोगों में मानता हूं'' (उक्त संदर्भित, पेज ७३) डॉ डेविड एफ वेल्स ने कहा था, ''ये 'क्रिस्चीऐनिटी लाइट' प्रकार का (उदाहरण) हैं जिसका ढिंढोरा आज अनेक इवेंजलीकल चर्चेस कर रहे हैं......... और दस में से कोई एक ही चर्च होगा जिसको यह विचार होगा कि बाइबल के अनुरूप मसीह के पीछे चलने वाले शिष्यों का क्या अर्थ होता है।'' (वेल्स, उक्त संदर्भित, पेज ९१) । मैं इसके लिये आमीन कहता हूं, मेरे भाई!

४. चौथा ऐसे प्रकार के लोग जो सुसमाचार सुनते हैं ग्रहण करते हैं फल लाते हैं ये वे लोग हैं जो बचाये गये हैं।

पद २० को देखिये,

''और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा'' (मरकुस ४: २०)

ये कौन लोग हैं? साधारणत: इनके नाम देना संभव होगा। ये वे लोग हैं जिनका आपको अनुसरण करना चाहिये। आप को इन लोगों को अपने जीवन का आदर्श मानना चाहिये। ये लोग हैं जैसे डॉ और मिसेस कैगन डॉ और मिसेस चान, मि और मिसेस गिफिथ, मि और मिसेस सोंग, मि और मिसेस मेंशिया, मिसेस सलाजर (विशेष!), मि और मिसेस सैंडर्स, मि और मिसेस ओलिवैसी, मि और मिसेस प्रुद्योमे, मि और मिसेस ली, मिसेस हिमर्स, मि जबालगा, सर्जियो मेलो, एमी लारा, एस्कोबार, जॉन सेम्यूएल कैगन − तो इस प्रकार के लोगों को अपना आदर्श समझे! मैंने तो अभी थोडे ही नाम लिये हैं! इनको उदाहरण मानिये और आप कभी गलत नहीं होंगें! आमीन! हैलीलुयाह! प्रभु यीशु के नाम की प्रशंसा हो!

मसीह प्रभु पर विश्वास से यह कार्य प्रारंभ होता है। यह मसीह यीशु पर विश्वास के साथ बढता है। यीशु पर विश्वास रखने के साथ साथ यह शिष्यता में बदल जाता है। जैसे कि एक प्राचीन गीत में लिखा है, ''मसीह में विश्वास रखना चाहे, जो भी हो यीशु में विश्वास रखना, ही सब कुछ है!'' पहले तीन समूह के लोगों में से किसी ने भी कभी यीशु पर विश्वास नहीं किया! वे स्वयं पर विश्वास रखते रहे। इसलिये उन्होंने सुसमाचार को ''हल्का जाना'' और यह चर्च छोड कर भी चले गये। उन्होंने प्रभु यीशु पर विश्वास नहीं किया। उन्होंने अपनी विचारधारा और अपनी भावनाओं पर विश्वास रखा। स्वयं अपने पर विश्वास करना छोड दीजिये − यीशु पर भरोसा करना प्रारंभ कीजिये। इसी समय उन पर विश्वास रखिये, तो वह आप के सभी पापों को अपने बेशकीमती रक्त से शुद्व कर देंगें! अभी उन पर विश्वास कीजिये, तो इसी समय अनंत जीवन आप का होगा! आमीन! हैलीलुयाह! प्रभु यीशु के नाम की प्रशंसा हो! डॉ चान कृपया प्रार्थना में हमारी अगुआई कीजिये।


अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स आप से सुनना चाहेंगे। जब आप डॉ हिमर्स को पत्र लिखें तो आप को यह बताना आवश्यक होगा कि आप किस देश से हैं अन्यथा वह आप की ई मेल का उत्तर नहीं दे पायेंगे। अगर इस संदेश ने आपको आशीषित किया है तो डॉ हिमर्स को इस पते पर ई मेल भेजिये उन्हे आप किस देश से हैं लिखना न भूलें।। डॉ हिमर्स को इस पते पर rlhymersjr@sbcglobal.net (यहां क्लिक कीजिये) ई मेल भेज सकते हैं। आप डॉ हिमर्स को किसी भी भाषा में ई मेल भेज सकते हैं पर अंगेजी भाषा में भेजना उत्तम होगा। अगर डॉ हिमर्स को डाक द्वारा पत्र भेजना चाहते हैं तो उनका पता इस प्रकार है पी ओ बाक्स १५३०८‚ लॉस ऐंजील्स‚ केलीफोर्निया ९००१५। आप उन्हें इस नंबर पर टेलीफोन भी कर सकते हैं (८१८) ३५२ − ०४५२।

(संदेश का अंत)
आप डॉ.हिमर्स के संदेश इंटरनेट पर प्रति सप्ताह पढ सकते हैं
www.sermonsfortheworld.com पर
''पांडुलिपि संदेशों'' पर क्लिक कीजिये।

आप डॉ0हिमर्स को अंग्रेजी में ई-मेल भी भेज सकते हैं - rlhymersjr@sbcglobal.net
अथवा आप उन्हें इस पते पर पत्र डाल सकते हैं पी. ओ.बॉक्स 15308,लॉस ऐंजेल्स,केलीफोर्निया 90015
या उन्हें दूरभाष कर सकते हैं (818)352-0452

पांडुलिपि संदेशों का कॉपीराईट नहीं है। आप उन्हें बिना डॉ. हिमर्स की अनुमति के भी उपयोग में ला सकते हैं। यद्यपि डॉ. हिमर्स के सारे विडियो संदेश का कॉपीराईट है और उन्हें अनुमति से उपयोग में ला सकते हैं।

संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा धर्मशास्त्र से पढा गया: लूका ८:११−१५
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गान गाया गया:
'' इफ आय गेंड दि वल्र्ड'' (एना ओलेंडर, १८६१−१९३९)


रूपरेखा

बीज बोने वाले की कथा

THE PARABLE OF THE SOWER

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

१. पहला, जो सुसमाचार सुनते हैं और भूल जाते हैं वे भटके हुये लोग होते हैं,
मरकुस ४:१५, ४; यूहन्ना ८:४४; लूका १४:२३; यहेजकेल २:७;
२थिस्सलु २:११; यूहन्ना १५:१६; मत्ती २२:१४

२. दूसरा, वे लोग जो सुसमाचार को सुनते हैं आनंद से ग्रहण करते हैं और जब
परीक्षा में पडते हैं तो भटक जाते हैं, मरकुस ४:१६, १७; कुलुस्सियों २:७

३. तीसरा, वे लोग जो सुसमाचार सुनते हैं, लेकिन संसार की चिन्ता, और धन
का धोखा, और वस्तुओं का लोभ उन में समाकर वचन को दबा देता है,
और वे भटक जाते हैं, मरकुस ४:१८‚१९

४. चौथा ऐसे प्रकार के लोग जो सुसमाचार सुनते हैं ग्रहण करते हैं फल लाते हैं ये वे लोग हैं जो बचाये गये हैं, मरकुस ४:२०