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अंतिम दिनों में हंसी उडाने वाले!

(२ पतरस पर संदेश )
SCOFFERS IN THE LAST DAYS
(SERMON #6 ON II PETER)
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, १४ जून, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, June 14, 2015

“और यह पहिले जान लो,कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे। और कहेंगे, उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई? क्योंकि जब से बाप दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्टि के आरम्भ से था?” (२ पतरस ३:३−४)


बाइबल बताती है कि मसीह बादलों में आने वाले है। यह मसीह का द्वितीय आगमन होगा पर हंसी उडाने वाले इस पर विश्वास करने से मना कर देते है।

२ रे पतरस का तीसरा अध्याय मेरे लिये बहुत महत्वपूर्ण है। जब मैंने इसका प्रचार सुना तो मैं परिवर्तित हो गया। वह २८ सितंबर १९६१ का दिन था। मैं बायोला कालेज (अब यूनिवर्सिटी) का विधार्थी था। पूरे सप्ताह र्चपल में आराधना चलती रही। सारे विधार्थी वहां थे। उस दिन मैं डा मर्फी लूम के पीछे बैठा हुआ था। वह तलबोट सेमनरी से पढाई कर रहे थे जो हमारे कालेज से मिली हुई थी। डॉ चाल्र्स वुडबिज व्याख्यानकर्ता थे। उन्होंने कुछ महिने पहले ही फूलर सेमनरी छोडी थी। उन्होंने पाया कि फूलर उदारवादिता की तरफ बढ़ रही है जो बाइबल के आधिकारिक होने का इंकार करती है। उस सेमनरी ने उन पर झक्की होने का आरोप मढ़ा जबकि वे गलत थे। अगले कुछ वर्षो में ऐसी घटनायें हुई जिसने उन्हें सही सिद् कर दिया। अन्य फैकल्टी सदस्यों ने भी उन का अनुसरण करते हुये फुलर छोड़ दी। उन लोगों में डॉ गिलसन आर्चर डॉ विल्बर एम स्मिथ और डॉ स्मिथ लिंडसेल थें। ये सब प्रथम श्रेणी के विद्वान थे। जब उन्होने देखा कि डॉ वुडबिज सही थे तो उन्होने उनका अनुसरण किया। वह सेमनरी बाइबल के अचूक होने के विश्वास में बने होने के बाद अब उदारवादिता और अविश्वास में लिप्त हो गई।

जब मैंने डॉ वुडबिज को इस विषय पर प्रचार करते हुये सुना तो यह एक जीवंत मुददा था। हर कोई यह बात कर रहा था कि कैसे फुलर सेमनरी स्वधर्म त्याग की ओर चली गयी। प्रेरित पतरस ने इसके बारे में स्पष्ट कहा था।

पहले पद में उन्होंने कहा कि वह दूसरी पत्री लिख रहे हैं। यह पत्र पूर्वी मसीहियों को लिखा गया था जो रोमन सामाज्य में इधर उधर “बिखरे” हुये रहते थे। (१ पतरस १:१) उन्होंने उन्हें यह दूसरी (पत्री) वह बाते स्मरण दिलाने के लिये लिखी जो वे पहले से ही जानते थे। उन्होंने यह बताया कि अंतिम दिनों में हंसी उडा़ने वाले आयेंगे। उन्होंने उन्हें उन लोगों के बारे में बताया जो मसीह के द्वितीय आगमन में विश्वास नहीं करते थे। उन्होंने उन्हें इस संसार के नष्ट होने और आने वाले − नये संसार के विषय में बताया।

मैं इस गदयांश से बहुत आकर्षित हुआ। और डॉ वुडबिज ने इसे बहुत अच्छी रीति से प्रचार किया! वह एक महान विद्वान थे और पिंसटन थियोलोजिकल सेमनरी का स्नातक थे। वह बाइबल के बहुत अच्छे वर्णनकर्ता भी थे। मैं नही सोचता कि मैंने उनसे अच्छा किसी को सुना हो। यद्यपि मैंने उन्हें लगभग ५५ वर्षो पूर्व सुना था तौभी उस हप्ते के वे संदेश मुझे वैसे के वैसे स्मरण हो आते हैं जिन्होंने मेरे मन को स्पर्श किया था। वहां एक और प्रचारक मित्र थे उनका नाम डॉ रसैल गोर्डन है वह कैलीफोर्निया के रिवर साईड में पास्टर हैं थोड़े समय पूर्व ही टेलीफोन पर मेरी उनसे बात हुई। वह तो डॉ वुडबिज के संदेश के उद्वरण दोहरा तक पाये। यह बिल्कुल असाधारण और जीवन को बदलने वाला प्रचार था। उस दिन से मेरे जीवन का सारा क्रम बदल गया क्योकि उस दिन मैं परिवर्तित हो गया! पतरस उन पूर्वी मसीहियों से बोल रहा था उन्हें वे बाते स्मरण दिला रहा था जो वे पहले से जानते थे। हम में से हरेक को वे बातें बार बार स्मरण रखना आवश्यक है। प्रेरित ने उन्हें समझाया कि ये बाते तो भविष्यवक्ताओं ने भी पुराने नियम में कह दी थी। ये कोई नयी शिक्षायें नहीं थी। जिन्हें बार बार दोहराया जाना आवश्यक था।

प्रथम बात जो पतरस ने उन्हें बतायी, “कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।” (२ पतरस ३:३) प्रथम बात जो पतरस ने उन्हें बतायी कि ये वे “झूठे शिक्षक” और झूठे मसीही होंगे जिनके विषय में पतरस ने दूसरे अध्याय में बात की थी। और समझाया, “कि तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे” (२ पतरस २:१) ये झूठे शिक्षक केवल कालेज और सेमनरी के प्राध्यापक होंगे और हां वे भी इनमें सम्मिलित तो हैं।

आपने देखा होगा कि हरेक जन धर्म में सिद्हस्त है? हरेक जन यह सोचता है कि वह सब कुछ जानता है। आप उन्हें कुछ नहीं बता सकते। ऐसे लोग सड़को पर आपको मिलते है। आप चर्च में उन्हें मिलते हो। वे बहुत ज्ञानी होते हैं! धर्म एक ऐसा विषय है जिस पर आप बिना अध्ययन के विद्वान होना प्रगट कर सकते हो! हमारा पद यह कहता हैं कि “अंतिम दिनों” में अधिकाधिक लोग ऐसे होते जायेंगे। वे हंसी ठटटा करने वाले होंगे।

“अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।” (२ पतरस ३:३)

डॉ जे वर्नान मैगी ने कहा कि “अंतिम दिनों” से क्या तात्पर्य है?

अंतिम दिन नये नियम में वर्णित एक तकनीकी शब्द है जिसे चर्च के अंतिम दिनों के लिये प्रयुक्त किया गया है। (जे वर्नान मैगी, टी एच डी, थ्रू दि बाइबल, वाल्यूम ५, थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स, १९८३; पेज ४६९; २ पतरस ३:१ पर व्याख्या)

कभी कभी तो यह संपूर्ण मसीही व्यवस्था की ओर इशारा करती है। आपको यह पद इसके संदर्भ में पढ़ना होगा। २ रे पतरस के तीसरे अध्याय में निश्चत ही वर्णित विषय मसीह के आगमन और संसार के अंत का है। इसलिये “अंतिम दिनो” से तात्पर्य इस युग के अंतिम समय से है जो मसीह के आगमन के ठीक पूर्व के वर्षो का वर्णन करता है।

इसलिये पतरस ने कहा था, “कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे” “हंसी ठट्ठा करने वाले” अर्थात “मखौल उडाने वाले” वे मसीह के आगमन का इंकार करते हैं और इसके लिये मजाक बनाते हैं। वे हंसी ठटटा करते हैं। अरे! तुम लोग क्या सोचते हो कि मसीह का दुबारा आगमन होगा! क्या मजाक है! प्रेरित हमें बताते हैं कि वे क्यों हंसी उडाते है। ये हंसी ठटटा करने वाले “अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।” अर्थात “अपनी पापमय अभिलाषाओं के पीछे” चलने वाले है। वे मसीह के दूसरे आगमन के लिये इसलिये हंसी उडाते है ताकि आपने स्वार्थ और पापमयी जीवनशैली को जीवित रख सके। पतरस उनके हंसी व मखौल उडाने को “अंतिम दिनो का प्रमाण ठहराता है।” (दि रिफार्मेशन स्टडी बाइबल, २ पतरस ३:४ पर व्याख्या)

इन मखौल उडाने वालों के साथ दिक्कत क्या है? पहली बात वे भौतिकतावादी है। वे इस संसार की वस्तुओं से ही संतुष्ट होते है। वे यह विश्वास करना ही नहीं चाहते कि मसीह दुबारा उनका न्याय करने आने वाला है। पतरस ने उनकी तुलना नूह के समय के लोगो से की। (२ पतरस २:५) परमेश्वर ने उस बुरे संसार को नहीं बख्शा.........लेकिन नूह को बचा लिया। जबकि उस अधार्मिक संसार को प्रलय के द्वारा नष्ट कर डाला।” (लूका १७:२७) पतरस ने उन्हे सदोम और अमोरा के न्याय के विषय में भी बताया। नूह ने उन्हें आने वाले न्याय के विषय में चेताया। किंतु लोगों ने उसकी नहीं सुनी ! अंत तक वे खाने पीने और शादी ब्याह में लीन रहे, “जिस दिन तक नूह जहाज पर न चढ़ा तब जल-प्रलय ने आकर उन सब को नाश किया।” उस समय भी उनका मुख्य पाप भौतिकतावाद ही था। (२ पतरस २:६) मसीह ने कहा था, “और जैसा लूत के दिनों में हुआ था, कि लोग खाते-पीते लेन-देन करते, पेड़ लगाते और घर बनाते थे। परन्तु जिस दिन लूत सदोम से निकला, उस दिन आग और गन्धक आकाश से बरसी और सब को नाश कर दिया।” (लूका १७:२८−२९) और तब मसीह ने कहा,

“मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा।” (लूका १७:३०)

उन पापों की ओर ध्यान दीजिये जो उन्होंने किये थे। दोनो प्रकार के दिनों में − नूह के और लूत के दिनों में − मसीह ने सेक्सुअल पापों पर ध्यान केंदित नहीं किया उन्होंने तो सेक्सुअल पापों का जिक्र भी नहीं किया! क्यों नहीं जिक्र किया? क्योंकि उनके पापों की जड़ भौतिकतावाद में है − जो केवल इस संसार के लिये जी रहे है − जो केवल खाने के लिये जी रहे हैं! जो केवल भौतिकतावाद के आनंद के लिये जी रहे हैं। कई चीनी लोग भी इसी प्रकार के हैं। डॉ चाल्र्स रायरी ने कहा कि जो गतिविधयां बताई गई थी वे अपने आप में पापमय नहीं थी। पर लोग “तैयार नहीं” थे। जब “मसीह लौटेंगे तो लोग .........ऐसे ही सुरक्षित जीवन जी रहे होंगे और तैयार नहीं होंगे (जैसे नूह और लूत के दिनों में था)” (रायरी स्टडी बाइबल; लूका १७:२६−३० पर व्याख्या)

एक व्यक्ति रविवार के दिन लोस वेगास भागता है एक व्यक्ति चर्च छोड़कर वहां की रोशनी देखने भागता है। वह रविवार को सैन फ्रांसिस्को भागता है। दूसरा जन विडियो गेम खेलने में घंटो बिताता है, पर बाइबल पढ़ने के लिये उसके पास समय नहीं है। दूसरे पोर्नोग्राफी देखने में व्यस्त है पर प्रार्थना करने के लिये उनके पास समय नहीं है। दूसरे लोगो का ध्यान पैसों पर केंदित है पर वे स्वर्ग में धन एकत्रित करने में रूचि नहीं रखते। भौतिकतावाद आपके आत्मिक जीवन को मार देता है। आप परमेश्वर को नहीं जानते। आपके पास मसीह नहीं है। तो आपके पास इस संसार के हल्के आभूषण ही होते है। प्रेरित यूहन्ना ने कहा था,

“क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा” (१ यूहन्ना २:१६−१७)

जब मैं किशोरावस्था में था तब अपनी आंटी अंकल के साथ इलिजाबेथ स्ट्रीट पर रहता था। उस स्ट्रीट पर बहुत से जवान लोग रहते थे। उनमें से कुछ बीयर लेकर किसी आड़ वाली जगह पीते रहते थे। कुछ घंटों तक गैजेट से खेलते रहते थे और कुछ कार सुधारने में व्यस्त रहते थे। कुछ लोग तिजुएना में एक वेश्या के घर चले जाते थे। सब स्वयं को मेरी तुलना में बहुत दिमाग वाला समझते थे। वे मुझसे मजाक करते और मेरी हंसी उडाते थे। वे कहते थे, “कि राबर्ट तो बड़ा धार्मिक है” − जैसे ईश्वर के प्रति गंभीर होना खराब बात हो। बाद में मैं पास्टर बन गया। वे एक के बाद एक मरते चले गये। उनके रिश्तेदार मुझे फोन करके उनका अंतिम संस्कार करने के लिये कहते। पर उस दारूण समय में मेरे पास उनके कहने के लिये कुछ भी आशापूर्ण शब्द नहीं होते थे। एक शब्द भी उम्मीद का मैं उनको नहीं बंधा सका! जो मैं कर सकता था वह यह कि जो जीवित जन वहां होते उन्हें सुसमाचार सुना देता था। हरेक जन जानता था कि वे लडके जो पीते थे कारों की रेस किया करते थे वेश्याओं के पास जाया करते थे उनका यही हश्र होगा। हरेक जन जानता था कि उनके लिये कोई आशा नहीं हो सकती थी! ईश्वर के अनुग्रह से उन सब में से मैं अकेला ही जीवित रहा। ईश्वर के अनुग्रह से मैं इन गरीब लडको की तुलना में अपने जीवन का अधिक आनंद ले पाया। जिन्हें मैं जानता था उन लडको को काफी पहले मैंने खो दिया।

“और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा” (१ यूहन्ना २:१६−१७)

क्या आप इस संसार के लिये रह रहे हो? क्या आप कभी शाश्वत संसार के लिये विचार करते हैं? क्या आप न्याय के लिये तैयार है?

“और यह पहिले जान लो, कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।” (२ पतरस ३:३)

उनके साथ बात क्या है? पहली बात, वे भौतिकतावादी है। दूसरी बात वे आत्मिक रूप से अंधे है। प्रेरित पतरस उनके बारे में दूसरे अध्याय में बोलता है। उसने कहा था,

“पर ये लोग निर्बुद्धि पशुओं ही के तुल्य हैं.........औरों को बुरा भला कहते हैं, वे अपनी सड़ाहट में आप ही सड़ जाएंगे।” (२ पतरस २:१२)

वे आत्मिक रूप से जानवरो जैसे ही अंधे है। वे “निर्बुद्धि पशुओं” ही के तुल्य हैं वे मसीह के विरूद्व बाते करते है, उसके दूसरे आगमन, और कूस पर उसके मरने के विरूद्व ही बाते करते है। वे उसके मरे हुओं में से जी उठने के विरूद्व हंसते है।

आप पायेंगे कि जवान लोगों को पूरे समय यही पसंद आता है। वे यीशु का नाम केवल शपथ लेने के लिये प्रयुक्त करते हैं − “यीशु मसीह!” जब आप उन्हें चर्च लाना चाहते हो तो वे इतनी परवाह नहीं करते हैं। और जब आप यहां चर्च आते हैं तो वे आप पर हंसते हैं मखौल उडाते हैं और तिरस्कार करते हैं। मैं एक जवान को जानता हूं जो अपनी मां और बहन का किराया भरता है। तौभी वे उस पर चिल्लाती है। तुम उस चर्च में क्यों जाते रहते हो? और सच्चाई यह है कि अगर वह इस चर्च में नहीं आये तो उनके पास शादा रहने को घर भी नहीं होगा। वह कही भी छोड़ कर चला जायेगा और उन दोनो को सडक पर रहना पड़ेगा! वे “ऐसी दुष्टता भरी बात बोलती हैं कि वे स्वयं ही उसे समझ नहीं पाती” वे आत्मिक रूप से अंधी हैं।

बाइबल कहती है कि हम सब पाप में ही पैदा हुये है। हमारे आदि माता पिता ने पाप किया − और हमारे भीतर भी वही पाप का स्वभाव आया है। उनके कारण हम भी स्वभाव से ही पापी हैं। जब तक हम परिवर्तित नहीं होंगे हम “सांसारिक” पुरूष और

“सांसारिक” महिला ही कहलायेगे। बाइबल कहती है,

“परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।” (१ कुरूंथियों २:१४)

आप बहुत विद्वान हो सकते हैं, लेकिन अगर आप परिवर्तित नहीं हैं तो आप केवल एक प्राकृतिक पुरूष या महिला हो सकते हैं। स्कोफील्ड की १ कुरूंथियों २:१४ पर व्याख्या यह कहती है: “सांसारिक व्यक्ति परमेश्वर की रहस्यमय बातो को बूझ नहीं सकता।” वे बिना ईश्वर को पाये अंधकार में भटकते ही रहते हैं।

लार्ड बर्टेंड रसैल प्रसिद्व बिटिश गणितज्ञ थे एवं बींसवी सदी के दार्शनिक थे। और उनके प्रश्नों का उत्तर देने में भी स्वयं को असफल पाते थे। अपने सारे पुरस्कारों और सम्मान के बाद भी क्या आप सोचते हैं कि क्या वह एक खुश प्राणी थे। जबकि जीवन के प्रति उनका नजरिया बेहद आशाहीन था। अपने मरने के पहले उन्होंने लिखा था,

न कोई आग, न कोई वीरता, न विचारो की किसी प्रकार की उत्तेजना न विचारधारा एक व्यक्ति को कब्र से नहीं बचा सकती.........इस सौर मंडल में (सबको) समाप्त हो जाना है। और मनुष्यों की प्राप्तियों का बनाया हुआ संपूर्ण मंदिर ही इस ब्रहांड के ढेर में धराशायी हो जायेगा। (लार्ड बटैंड रसैल ए फ्री मैन वरशिप)

वह बींसवी सदी के विद्वानो में से एक था। पर जो उसे देखना था वह एक संपूर्ण “विश्व को नष्ट होते हुये” देखना था। जहां एक “सांसारिक मनुष्य” अपने जीवन को समाप्त करता है − जहां न कोई आशा, न शांति, न भविष्य, और न परमेश्वर है। ये वे मखौल उडाने वाले हैं, जो अपनी ही अभिलाषाओं के पीछे भागते है, यह कहते हुये कि “कहां गया उसके आगमन का वायदा?”

बींसवी सदी का एक ओर प्रसिद्व आदमी एच जी वेल्स था। उसने टाईम मशीन दि वार आफ दि वल्र्ड और दि आउटलाईन आफ हिस्ट्री लिखी। मि वेल्स एक दार्शनिक इतिहासकार और विज्ञान के फंतासी लेखक थे। उन्होने मसीहत पर प्रहार करते हुये अपना जीवन बिताया। पर जब वह बूढ़े हो गये तो उन्होने कहा “यहां मै पैसठ का हो गया और अभी भी शांति ढूंढ रहा हूं शांति मेरे लिये आशाहीन सपना है” अपने जीवन के अंत मे उन्होने कहा कि मनुष्य जीवन “दुर्दशा सहने और मौत को झेलने के लिये ही बना है।”

इस संसार के हंसी ठटटा करने वालो की संगति करके आप कभी भी यीशु को नहीं पा सकते। आप यह “पता लगाने के द्वारा” कि कैसे बचा जा सकता है मसीह को नहीं पा सकते हैं क्योंकि आप को अपने उपर भरोसा नहीं रखना चाहिये।

“मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?” (यिर्मयाह १७:९)

अगर आप इस “नष्ट होते हुये विश्व” में से बचना चाहते हैं तो आपको यीशु के उपर बच्चों जैसा विश्वास रखना होगा। जैसा मि गिफिथ ने गीत में गाया, आपको वे शब्द अपने मन में कहना होंगे,

प्रभु यीशु ने स्वर्ग में अपने सिंहासन पर से देखा,
   और अपना पूर्ण बलिदान देकर मेरी सहायता की
मैं स्वयं को समर्पित करता हूं और जो कुछ मैं जानता हूं;
   मुझे धोकर शुद्व कर ताकि मैं बर्फ से भी अधिक श्वेत हो जाउं।
बर्फ से भी अधिक श्वेत हां बर्फ से भी अधिक श्वेत;
   मुझे धोकर शुद्व कर ताकि मैं बर्फ से भी अधिक श्वेत हो जाउं।
(“बर्फ से भी अधिक श्वेत” जेम्स निकलसन १८२८−१८७६)

तब आप यीशु पर विश्वास रखने में कामयाब होंगे जिसने “अपने कीमती लहू में हमारे पापो को धो दिया”। मैं विश्वास करता हूं कि आप यीशु पर भरोसा लाये आमीन।

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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे ने बाइबल पाठ पढ़ा: २ पतरस ३:१−४
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
“बर्फ से भी अधिक श्वेत” (जेम्स निकलसन १८२८−१८७६)