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अंतिम दिनों में चर्च के अपरिवर्तित सदस्य
(2 रे पतरस पर संदेश)

UNCONVERTED CHURCH MEMBERS IN THE LAST DAYS
(SERMON #5 ON II PETER)
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, ३१ मई, २०१५ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, May 31, 2015

“उसी प्रकार तुम में भी झूठे उपदेशक होंगे, जो नाश करने वाले पाखण्ड का उद्घाटन छिप (छिपकर) करेंगे और उस स्वामी का जिस ने उन्हें मोल लिया है इन्कार करेंगे और अपने आप को शीघ्र विनाश में डाल देंगे।” (२ पतरस २:१)


प्रेरित ने कहा था कि “तुम्हारे मध्य” चर्च में झूठे शिक्षक उठ खड़े होंगे। यह बात आज के परिप्रेक्ष्य में कितनी सही बैठती है।

“क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश न सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे।” (२तीमुथियुस ४:३)

लोग कुछ ऐसा संदेश सुनना चाहेंगे जो उनके कानों को अच्छा लगे। इसलिये झूठे शिक्षक आज अधिक प्रसिद् हो रहे हैं। टेलीविजन पर जो शिक्षक मैं देखता हूं वे सब इसी श्रेणी में आते हैं। वे मतान्तर के बारे में प्रचार करके अपने उपर दंड ला रहे हैं।

२ पतरस इन्हीं झूठे शिक्षक का वर्णन करता है। प्रेरित ने कहा था कि वे “विधर्मी शिक्षा” देंगे यहां तक कि वे मसीह का भी इंकार करेंगे। वे यीशु का इंकार करते हैं जब वे सुसमाचार का प्रचार नहीं करते हैं। वे स्वयं को उद्वार की शिक्षा देने वाले मानते हैं। वे लोगों को बताते हैं कि वे पाप में भी जीवन बिता सकते हैं और फिर भी मसीही कहला सकते हैं। वे परमेश्वर के बजाय पैसों के लिये काम करेंगे। ऐसे लोगों का न्याय बड़ा सख्त होगा। बिल्कुल उन विद्रोही स्वर्गदूतों के समान जिन्हें “नरक में डाल” दिया गया था। उनका न्याय नूह के दिनों में रहने वाले लोगों के समान होगा जिन्हें महाप्रलय का सामना करना पड़ा। उनका न्याय सदोम और अमोरा के निवासियों के समान होगा जिन पर स्वर्ग से आग बरसी थी।

इन तीनों उदाहरणों द्वारा पतरस यह दर्शाते हैं कि झूठे शिक्षक और जो उनका अनुसरण करते हैं उनका सख्त न्याय होगा। झूठे शिक्षक लोगों को बताते हैं कि वे पाप में भी जीवन बिता सकते हैं और फिर भी मसीही कहला सकते हैं। वे घमंडी व बातूनी होते हैं और मसीही अगुओ के विरूद् बुरा ही बोलते है। वे बाईबल को मानने से इंकार करते हैं। तो झूठे शिक्षक जिन बातों को समझते भी नहीं उनके विरूद् बोलते है। वे पाप के दास है। वे पाप में ही नष्ट हो जायेंगे। ऐसे लोग चर्च में “दाग” और “धब्बा” कहलाते है। उनकी आंखे कामुकता से भरी होती है। पाप करने से उनके हाथ थकते नहीं। वे डगमगाने वाले लोगों को व्यभिचार के लिये फुसलाते है। उन पर शाप उतरेगा। वे बालाम के समान है जो पैसों के लिये प्रचार करता था।

ये झूठे मसीही सूखे हुये कुंए के समान हैं जिनमें पानी नहीं है। वे बोलते तो अच्छा है पर अपने अनुयायियों को धोखा देते हैं। वे अपने अनुयायियों को छुटकारा दिलाने की बात करते हैं। पर वे स्वयं पापमयी अभिलाषाओं के गुलाम है। वे भ्रष्टता के गुलाम है। वे नये विश्वासियों को भटका देते है। वे जान-बूझकर बाइबल की आज्ञाओं से भटकने के कारण सख्त न्याय के अधिकारी होंगे। वे कुत्ते और सुअरों के समान है। वे अच्छे मसीही बनने का ढोंग रचते हैं लेकिन वे अपने पुराने पापों में लौट जाते हैं। कुत्ते और सुअरों के समान उनका स्वभाव मसीह द्वारा बदला नहीं गया है। यही पतरस का २ रा अध्याय हमें बताता है।

पतरस क्यों इस पूरे अध्याय में इन झूठे शिक्षकों के लिये बात करता है? पहली बात वे संपूर्ण मसीही इतिहास में पाये गये हैं अत: इनसे चेताया जाना अवश्य था। दूसरी बात उनकी संख्या व गहनता में वृद्धि हुई हैं। २ रा पतरस ३:३ देखिये। खड़े होकर इसे जोर से पढि़ये।

“और यह पहिले जान लो, कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करने वाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।” (२ पतरस ३:३)

अब आप बैठ सकते हैं। ध्यान दीजिये यह कहता है, “अंतिम दिनों में।” हम पतरस के दूसरे के अध्याय में हँसी उड़ाने वाले बारे में पढते हैं। बाईबल में अंतिम दिनों के दिनों के इन झूठे शिक्षकों के बारे में बहुत कुछ कहा है। बाहरी रूप में वे धर्मी रूप धारण करते है लेकिन उनके भीतर ईश्वर की कोई सामर्थ मौजूद नहीं है, (२ तीमुथियुस ३:५) । “कि आने वाले समयों में.......... (कितने लोग) भरमाने वाली आत्माओं और (दुष्टात्माओं) की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे (१ तीमुथियुस ४:१) इस संसार में जब सताव आयेगा तब चर्च में ऐसा कुछ होगा, “और दुष्टात्माओं का निवास, और हर एक अशुद्ध आत्मा का अड्डा, और एक अशुद्ध और घृणित पक्षी का अड्डा हो गया।” (प्रकाशितवाक्य १८:२) इस समय चर्च कहलायेगा “बड़ी वेश्या” (प्रकाशितवाक्य १७:१; १९:२) डॉ जे वर्नान मैगी ने कहा था कि “बड़ी वेश्या” वह उन लोगों का समूह होगी जिन्होंने प्रभु यीशू पर मुक्तिदाता के रूप में कभी विश्वास ही नहीं किया (जे वर्नान मैगी, टी एच डी, थू दि बाईबल, वाल्यूम ५, थॉमस नेल्सन पब्लिशर्स १९८३, पेज १०३०; प्रकाशितवाक्य १७:१ पर व्याख्या) ।

डलास थियोलॉजिकल सेमनरी के डॉ जॉन वर्लवुड ने कहा था, “अगर एक व्यक्ति बाइबल की परिभाषा अनुसार प्रभु यीशु के व्यक्तित्व व कार्य का इंकार करता है तो वह मसीही नहीं है। वह मसीही विरूद्व जन है; वह सुसमाचार विरोधी है; वह धर्म विरोधी है, एक अपरिवर्तित जन है। वह ऐसा जन है जिसे परमेश्वर के अनुग्रह ने अभी छुआ नहीं है। जो त्रासदी पतरस ने पहले घोषित कर दी थी वह आज के चर्च में वैसे की वैसे ही व्याप्त है.....कई मसीही जन अपने अविश्वास की सीमा और गहराई को समझने को ही तैयार नहीं जिस अविश्वास ने चर्च में सेंध लगा रखी है.....जिसे पतरस ने कितने ही समय पहले घोषित कर दिया था। ऐसी भविष्यवाणी के पूरे होने की राह देखने की जरूरत नहीं। यह तो पहले से ही पूर्ण है।” (जॉन एफ वर्लवुड टी एच डी “व्हेयर इज दि माडर्न चर्च गोइंग?” इन प्राफेसिस एंड दि सेंवेंटीज, चाल्र्स एल फेनबर्ग, टी एच डी, पी एच डी, संपादक, मूडी प्रेस, १९७१, पेज ११३ ११४)

एक चश्मदीद गवाह के रूप में मैं आपको बता सकता हूं कि अनेकों नये इवेंजलिस्ट “परमेश्वर के अनुग्रह से” छुए नही गये हैं और न उन्होंने “उद्वार प्राप्त” किया है − जैसा कि डॉ जॉन वर्लवुड ने कहा था। ये सेमनरीज व चर्च की सदस्यता के बारे में भी सत्य है। जैसा कि डॉ जॉन वर्लवुड ने कहा, “कई मसीही जन अपने अविश्वास की सीमा और गहराई को समझने को ही तैयार नहीं जिस अविश्वास ने चर्च में सेंध लगा रखी है।”

मेरा प्रश्न यह हैं − कि ऐसी खतरनाक दशा हुई क्यों? हमें यह देखना है कि हम भूतकाल का अवलोकन करे। उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ में लगभग १८२४ में चाल्र्स फिनी ने परिवर्तन को एकदम तुरंत घटने वाले अर्थहीन “निर्णय” में बदल दिया।

वर्तमान के “निर्णयों” में जिस बात की कमी है वह है कि इसमें लोगों को पापों का प्रायश्चित नहीं होता! डॉ मार्टिन ल्योड जोंस ने बताया था, “कि जॉन बुनयन हमें ग्रेस अबाउंडिग में बताते थे कि वह अठारह महिनों तक (आत्मा में पापों के बोध से) संघर्ष करते रहे। समय की इसमें सीमा नहीं है पर यह बात जरूरी है कि व्यक्ति को पापों के बोध में जाना जरूरी है। बिना इसके वह कैसे मर सकता है और परमेश्वर का सामना कर सकता है?” (मार्टिन ल्योड जोंस, एम डी, अश्यूरेस (रोमियों ५), दि बैनर आँफ ट्रूथ ट्रस्ट, १९७१, पेज १८)

पिछले रविवार मैं जॉन बुनयन की पिलगिम्स प्रोग्रेस पढ़ रहा था। उसने पापों के बोध के बारे और सच्चे परिवर्तन के बारे में फिने से पहले जो कहा वह अति सामान्य बात थी और यही प्राय: सभी इवेंजलिकल्स का विश्वास था। पिलगिम्स प्रोग्रेस जार्ज वाईटफील्ड के लिये छपवाई गयी थी और संपूर्ण इंग्लैंड और अमेरिका में कैल्वीनिस्ट चर्च के माध्यम से बेची गई। पिलगिम्स प्रोग्रेस के सात संस्करण जॉन वेस्ली के लिये छपवाये गये और संपूर्ण अंग्रेजी भाषाई देशों में वेस्लीयन मेथोडिस्ट लोगों द्वारा पढ़े गये। पिलगिम्स प्रोग्रेस नोमिनेशंस को प्रोटेस्टैंट डि के कई लोगो ने इसे पढ़ा और हजारो लोगो ने इसे सराहा। बुनयन स्वयं संपूर्ण काल के लिये सर्वाधिक पढ़े जाने वाला लेखक था। पहली बार सन १६७८ में छपने के बाद, बुनयन की इस पुस्तक के अनेक संस्करण निकले और अंग्रेजी भाषा की किंग जेम्स बाइबल के पश्चात बिकने वाली यह सबसे अधिक प्रसिद् पुस्तक थी। महान स्पर्जन ने पिलगिम्स प्रोग्रेस को ७५ से अधिक बार पढ़ा। इस पुस्तक से लिये गये उद्वरण और उदाहरण स्र्पजन के संदेशों में सुनने को मिलते थे। यह परिवर्तन के उपर लिखी गयी पुस्तक थी और यही समस्त और बैपटिस्ट विश्वास करते थे इसके बाद फिनी के त्वरित निर्णयवाद ने उन्नीसवीं सदी में परिवर्तन को निर्णयवाद में बदल दिया।

“होपफूल टेल्स आफॅ हिज कन्वर्शंस” नामक भाग में हम उद्वार के बारे में बहुत सी बातें सीखते हैं जो फिनी के निर्णयवाद के आने के बाद हम भूल गये थे।

इस भाग में आशावान और विश्वसनीय होने के मध्य में विचार विमर्श है। आशावान कहता है कि - जब चर्च जाना छोड़ दिया, झूठ बोला, शपथ खाई और लॉस वेगास में व्यभिचार में लिप्त हो गये। और पहले तो ऐसा होता था, “कि मैं इस संसार के प्रकाश अर्थात (बाइबल से मुंह फेर लेता) था।” फिर उसने कहा,

“पहले तो - मैं अज्ञानी था और नहीं जानता था कि मेरे उपर परमेश्वर का कार्य जारी है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि परमेश्वर पापियों के परिवर्तन का कार्य उनके भीतर पापों के प्रति बोध जाग्रत करके करता है। दूसरा - पाप मेरे पापी स्वभाव को बहुत पसंद था और इसे छोड़ने में मुझे तकलीफ होती थी। तीसरा - मैं मेरे भटके हुये मित्रों को कैसे खो दूं क्योकि उनकी उपस्थिति मुझे पसंद थी। चौथा - पापों के बोध का समय इतना तकलीफदायक और मन को दहला देने वाला गुजरता था कि मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर पाता था।”

मसीही व्यक्ति कहता है, “कभी कभी ऐसा लगता है कि आप अपनी परेशानी से छुटकारा पा जाते हैं।”

“हां,” आशावान ने कहा, “पर फिर परीक्षा आती है और आप उससे भी खराब दशा में पहुंच जाते हैं।”

आशावान ने कहा उसके उपर पाप का बोध फिर आता है और उसे यंत्रणा देता है।

मसीही व्यक्ति ने कहा, “फिर आप क्या करते हैं?”

आशावान ने कहा, “मैं अपने जीवन को सुधारने का प्रयास करता हूं।” मैने पाप नहीं करने का प्रयास किया। मैं पाप और अपने भटके हुये मित्रों से दूर चला गया। मैंने प्रार्थना करना आरंभ की, बाइबल पढ़ी, और दूसरी कुछ अच्छी चीजें करने लगा।”

मसीही व्यक्ति ने कहा, “क्या इससे तुम्हें कुछ मदद मिली?”

आशावान ने कहा, “हां थोड़े समय के लिये। लेकिन फिर से मैं स्वयं को परेशानी में महसूस करने लगा। यदयपि मैंने अपने आप को सुधारने का भी प्रयास किया।”

मसीही व्यक्ति ने कहा, “यह कैसे हुआ?”

आशावान ने कहा, “जब मैंने अपने सब धार्मिक कार्यो का मुआयना किया और पाया कि ये मैले चीथडो के समान हैं और जब मैने याद किया कि व्यवस्था के पालन करने से कोई धर्मी नहीं ठहरता तब मैंने जाना कि मैं मूर्ख था कि मैं ऐसा सोचा करता था कि मैं धर्मी बनने और व्यवस्था पालन से स्वर्ग जा सकता हूं।“ मैं यह भी सोचा करता था कि अगर मैं सिद्व हो भी जाउं तौभी मेरे पुराने पाप तो परमेश्वर की पुस्तक में दर्ज होंगे। अगर वे हटाये नहीं गये − तो वे मुझ पर दंड लायेंगे मैं किस प्रकार से उन्हें हटा सकता हूं! मैं ओर संघर्ष करता रहा परंतु फिर भी मुझे शांति नहीं मिली। मैंने महसूस किया कि मेरा मन शायद इतना अधिक पापी है कि मैं परिवर्तित नहीं हो पाउंगा। विश्वासी जन ने मुझे बताया कि जब तक मैं किसी निष्कलंक निष्पाप जन की धार्मिकता को नहीं ओढ़ लूं तब तक मैं बचाया नहीं जा सकता। और वह व्यक्ति यीशु है जो पिता परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठा है। विश्वासी ने कहा, ‘कि तुम्हें उसी से धर्मी पन प्राप्त करना होगा − जिसने कूस पर तुम्हारे पापों का दंड भरने के लिये प्राण दिये हो’”।

मसीही व्यक्ति ने कहा, “तब तुमने क्या किया?“

आशावान ने कहा, “मैंने इस पर आपत्ति ली। मैने सोचा यीशु मुझे नहीं बचायेंगे।“

“तब विश्वासी ने तुमसे क्या कहा?“

“उसने मुझेयीशु के पास आने को कहा“

“तो जैसा उसने कहा आपने किया“

“मैंने बार बार कोशिश की“

“क्या पिता ने पुत्र को आपके उपर प्रगट किया?“

“पहली बार भी नहीं, दूसरी बार भी नहीं, तीसरी चौथी पांचवी और यहां तक कि छटवीं बार भी नहीं।“

“तो आपने इस प्रयास को बंद करने की सोची होगी।“

“हां, सौ बार ऐसा ख्याल आया।“

“लेकिन आप ने बंद क्यों नहीं किया?“

“मुझे यह विश्वास था कि मुझे जो बताया गया है, वह सच है कि बिना मसीह की धार्मिकता के यह पूरा संसार मुझे नहीं बचा सकता। इसलिये मैंने स्वयं सोचा कि, ‘अगर मैंने प्रयास करना त्याग दिया तो, मैं मर जाउंगा हो सकता है कि अनुग्रह के सिंहासन के द्वारा ही मैं बचाया जा सकता हूं।’ इसलिये मैंने प्रयास करना कभी नहीं छोड़ा जब तक कि परमेश्वर ने मुझे पुत्र को नहीं दिखा दिया।“

“और यीशु का प्रकाशन आपको किस तरह मिला?“

“मैंने उन्हें अपनी शारिरिक आंखो से नहीं देखा पर अपनी मन की आंखो से देखा। यह इस तरह हुआ। एक दिन मैं बड़ा उदास था। यह उदासी मेरे पापों के अति विशाल रूप व दुष्टता के कारण थी जिसे मैं देख पा रहा था। मैं स्वयं के लिये केवल नरक ही देख पा रहा था जहां मेरी आत्मा अनंत दंड पा रही थी। अचानक मैं समझ गया कि प्रभु यीशु मुझे स्वर्ग से देख रहे हैं और कह रहे हैं, ‘कि प्रभु यीशु पर विश्वास करो तो तुम बच जाओगे’। मैंने कहा, ‘कि प्रभु मैं एक बहुत बड़ा पापी हूं’। और उन्होने उत्तर दिया, ‘कि मेरा अनुग्रह ही तुम्हारे लिये पर्याप्त है।’ ‘तब मैंने पूछा कि विश्वास करना क्या होता है?’ तब मैंने उसे कहते हुये सुना, ‘जो मेरे पास आता है वह कभी भूखा नहीं जायेगा और जो मेरे मुझ पर विश्वास करेगा वह कभी पियासा नहीं होगा।’ क्योंकि विश्वास करना और पास आना समान चीज है। और जो आया है - उसने मसीह से उद्वार पाने के लिये मन में दौड़ दौड़ी है - सचमुच यीशु में विश्वास किया है।फिर मेरी आंखों में आंसू आ गये और मैंने पूछा, ‘कि क्या यीशु मेरे जैसे इतने बड़े पापी को आप वास्तव में ग्रहण करेंगे और बचायेंगे?‘ और मैंने उन्हें कहते हुये सुना, ‘कि जो मेरे पास आयेगा उसे मैं कभी भी नहीं निकालूंगा।‘ तब उन्होने कहा, ‘मसीह यीशु इस जगत में पापियों को बचाने के लिये आये।‘ ‘वह हमें प्रेम करते हैं और उन्होने अपने लहू से मेरे पापों को धो दिया।‘ इन सब बातो से मैं जान गया कि मुझे धार्मिकता के लिये यीशु की ओर ही निहारना चाहिये, और पापो की क्षमा के लिये उसके लहू की ओर निहारना चाहिये, कि उसने मेरे पापों का दंड कूस पर अपने प्राण देकर पूरा भरा। मैं यीशु के पास आ गया। मेरी आंखे आंसुओं से भरी हुई थी और मेरा मन उसके प्रति और उसके लोगो के लिये व उसके मार्गो के प्रति प्रेम से भरा हुआ था।“

मसीही व्यक्ति ने कहा, “इसका तुम पर क्या प्रभाव हुआ?“

आशावान ने बताया कि, “इसने मुझे यह सीखने मे सहायता की कि संपूर्ण संसार पापी है और दंड के योग्य है। और केवल पिता परमेश्वर पापी को धर्मी ठहरा सकते हैं इस प्रकाशन के साथ मुझे मेरी अज्ञानता पर शर्म आयी जो उनके पुत्र यीशु के पास आता है कि इसके पहले मैंने कभी यीशु के प्रेम और सुंदरता पर ध्यान नहीं दिया था। इसने मुझे पवित्र जीवन जीने के लिये प्रेरित किया और मैं प्रभु यीशु की महिमा और सम्मान के लिये कुछ करूं ऐसा विचार मेरे मन में आने लगा कि अगर मेरे पास हजारों गैलन रक्त मेरे शरीर में होता तो मैं उसे प्रभु यीशु के लिये बहा देता।“ (डॉ हिमर्स द्वारा सरल रूप किया गया, पिलगिम्स प्रोग्रेस आधुनिक अंग्रेजी, के द्वारा साभार, एल एडवर्ड हेजलबेकर द्वारा अवगत कराया गया, बिज लोगोस पब्लिशर्स, १९९८ पेज १८०−१८६)।

प्यारे मित्रों जॉन बुनयन के ये शब्दों ने हजारो मनों को आशीषित किया था। उस समय तक “निर्णयवाद“ को मैले और चीथडे के रूप में प्रयोग करते हुये उद्वार प्रात्ति को जादुई कलाकारी के समान नहीं बना दिया था। मैं कितनी प्रार्थना करता हूं कि आप बार बार इन शब्दों को पढ़े, और पाप के बोध से होकर गुजरे, और विश्वास से प्रभु यीशु के पास आये।

यह सच्चा तरीका है। यही सही मार्ग है। यह प्रभु यीशु तक पहुंचने का मार्ग है।यही वह तरीका है जिससे मि. गिफिथ बचाये गये थे। यही वह तरीका था जिससे डॉ कैगन और डॉ चान बचे। यही वह तरीका था जिससे हमारे सारे लोग बचाये गये। और जिससे आप को भी बचना चाहिये।

“क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं“ (मत्ती ७:१४)

पिता, मैं विनती करता हूं कि आज जो भी इस संदेश को पढ़ या सुन रहा है वह तेरी इच्छानुसार पाप का बोध प्राप्त करे। मैं विनती करता हूं कि वह तेरे द्वारा तेरे पुत्र प्रभु यीशु पर विश्वास लाये जिसने उनके पापों का दंड चुकाने के लिये अपना रक्त कूस पर बहाया और मारा गया और उन्हे जीवन प्रदान करने के लिये मरे हुओं में से जीवित हुआ। उसी के नाम में मांगते हैं, आमीन।

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(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे ने बाइबल पाठ पढ़ा: २ पतरस २:१५ − २२
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
“रॉक आफ ऐजेस” (आगस्टस एम टापलेडी, १७४०−१७७८)
“जैसा मैं हूं” की तर्ज पर गाया गया)