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अमेरिका क्यों बाईबल की भविष्यवाणी में नहीं है।

(''जीवन जीने का अधिकार'' पर रविवार का संदेश)
WHY AMERICA IS NOT IN BIBLE PROPHECY
(A SERMON PREACHED ON “RIGHT TO LIFE” SUNDAY)
(Hindi)

द्वारा डॉ. आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की प्रात:, ११ जनवरी, २०१५ को लॉस ऐंजिलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, January 18, 2015

''तब यहोवा ने मुझ से कहा, मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है;मैं अब उसको और न छोडूंगा। परमेश्वर यहोवा की वाणी है, कि उस दिन राजमन्दिर के गीत हाहाकार में बदल जाएंगे, और लोथों का बड़ा ढेर लगेगा; और सब स्थानों में वे चुपचाप फेंक दी जाएंगी'' (आमोस ८:२−३)


''मैं अब उसको और न छोडूंगा'' डॉ सी एफ कैल ने कहा इसका अर्थ है, ''किसी एक भी ध्यान दिये बगैर नहीं छोडूंगा, उनका अपराध या दोष् दंडित हुये बगैर नहीं छूटेगा; कि किसी को भी बख्श दूं'' (केल एंड डेलिटज)। किंतु डॉ जॉन गिल्ट बैंजामिन ने तो और अधिक न्यायप्रिय अर्थ बताया, ''अब उनका बुरा अंत कर ही डालूंगा'' (जॉन गिल)। डॉ चार्ल्स जॉन एलिकोट ने जोडा, ''ऐसा समय भी आएगा जब प्रार्थना कोई काम नहीं करेगी। सारी याचनायें, चाहे जितनी लौ लगाकर या उत्सुकता से की गई होगी, उसका समय निकल चुका होगा। दया का द्वार बंद हो चुका होगा'' (एलिकोटस कमेंटरी आन दि व्होल बाईबल)। मैथ्यू हैनरी ने इस पद के लिये इस प्रकार व्याख्या की, ''परमेश्वर का धेर्य, जिसके विरूद्ध लोग लंबे समय तक पाप करते आये, वह उनका.......पाप ही गिना जायेगा; और ऐसा समय आयेगा कि जितनों को जब तक छोडा गया है अब उनको छोडा न जायेगा। मेरा आत्मा संघर्ष करता न रहेगा। बहुत समय तक छोडने के उपरांत, एक दिन सजा देने का भी आ पहुंचेगा'' (मैथ्यू हैनरी कमेंटरी)

आमोस ने कहा राजा यारोबाम तलवार से मारा जायेगा, और इजरायल के राजा दासता में जायेंगे, असीरिया में दास बनकर। आमोस ने कहा कि परमेश्वर ने उसे बताया कि, ''मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' यह वह बात थी! अब वे समाप्त होंगे! प्रायश्चित करने में देर हो चुकी है! प्रार्थना करने में भी देर हो चुकी है! इजरायल का बचना अब मुश्किल है! परमेश्वर का न्याय अंतिम है −

''तब यहोवा ने मुझ से कहा, मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है...मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' (आमोस८:२−३)

इस पद के लाभ हैं। पहला, यह एक राष्ट्र पर लागू होता है। इजरायल के राष्ट्र के विषय परमेश्वर ने कहा,

''मैं अब उसको और न छोडूंगा।''

दूसरा, यह एक व्यक्ति के उपर भी लागू होता है। अमजियाह जो झूठा पुरोहित था जिसने आमोस का विरोध किया था, उससे परमेश्वर ने कहा, ''और तू आप अशुद्ध देश में मरेगा, और इस्राएल अपनी भूमि पर से निश्चय बंधुआई में जाएगा'' (आमोस ८:२−३) जैसे देश के लिये न्याय है − वैसे ही एक व्यक्ति के लिये भी न्याय है।

''मैं अब उसको और न छोडूंगा।''

१. पहला, यह पद अमेरिका और पश्चिमी संसार पर लागू होता है।

''मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' (आमोस८:२−३)

किसी ने कहा, ''डॉ हिमर्स, क्या आपको निश्चित है?'' हां, मैं निश्चित कह रहा हूं! हमने परमेश्वर के अनुग्रह के दिनों में पाप किया है, और परमेश्वर अब हमें और सहन नहीं करेगा। मैं महसूस करता हूं कि यह निश्चित है कि यही अमेरिका में हुआ है!

मैं एक स्वतंत्र बैपटिस्ट द्वारा लिखा हुआ ब्लॉग पढ रहा था। वह बहुत ही चुस्त जन है। बहुत सी बातों के प्रति वह बिल्कुल सही है। कभी कभी उसके विचार बहुत रोचक और मददगार प्रतीत होते हैं। किंतु वह सरासर गलत था जब उसने अमेरिका और पश्चिम की इंग्लैंड से तुलना की जब पहली विशाल जागृति हुई भी नहीं थी। मैं उसे उत्तर दे रहा हूं क्योंकि उसने अन्य लोगों के समान ही एक गलत आशा दे रखी है − और इसका उत्तर दिया जाना आवश्यक है। वह गलत आशा यह है − कि इंग्लैंड में पापमय परिस्थितियां भी प्रथम विशाल जागृति को रोक नहीं पाई थी (दि वेस्ली/वाईटफील्ड रिवाईवल)। इसलिये (वह ऐसा कारण देता) है अमेरिका और पश्चिम के पाप के कारण परमेश्वर हमारे राष्ट्रों में और सह राष्ट्रों में जागरण भेजना बंद नहीं करेगा। वह बैपटिस्ट ब्लॉगर अपने लेख को यह कहते हुये अंत करता है, ''चलिये प्रार्थना करें और उस स्थिति तक कार्य करते रहें, और परमेश्वर को खोजें ताकि वह (पुर्नजागृति) भेजे।''

यह मुझे बेहद ही मूर्खतापूर्ण सोच प्रतीत हुई। मैंने इसे पूरे जीवन भर सुना है। मैं नहीं सोचता कि यह व्यक्ति गंभीर होकर बोल रहा है। वह प्रार्थना करने को कहता है। क्या वह पूरी रात भर प्रार्थना करना चाहता है, जैसे पूर्वी मैथोडिस्ट करते थे? क्या उसका चर्च ऐसा करेगा? क्या वह ऐसे किसी चर्च को जानता है जो ऐसा करता है? क्या वे ऐसे उपवास और प्रार्थना करेंगे जैसे वाईटफील्ड और वेस्ली के लो करते आये थे! क्या उसका चर्च उपवास रखने का आहवान करेगा? क्या वह कहीं भी किसी ऐसे चर्च को जानता है, जो उपवास रखता हो? क्या वह ''निर्णयवाद'' के विरूद्ध प्रचार करेगा, और सीधे सीधे कह सकेगा कि अधिकतर स्वतंत्र बैपटिस्ट भटक चुके हैं, उनका कभी परिवर्तन हुआ ही नहीं, वे नया जन्म प्राप्त है ही नहीं − जैसे वाईटफील्ड और वेस्ली उनके चर्च के लोगो के साथ करते थे? क्या उसका पास्टर ऐसा करेगा? क्या वह किसी स्वतंत्र बैपटिस्ट को जानता है, या दक्षिणी बैपटिस्ट पास्टर को जो ऐसा करेगा? क्या वह ऐसे किसी एक पास्टर्स को जानता है जो इन सब बातों से होकर निकला हो? क्या वह स्वयं इन अनुभवों से हाकर गुजरा है? क्या केवल इसी प्रकार का प्रचार है जो सचमुच की जागृति में काम आ सकता है? क्या वह और किसी अन्य प्रचारकों को जानता है जो ऐसा करेंगे? मुझे पॉल वॉशर के बारे में मत बताइये! जैसी अपेक्षा है उसका प्रचार उसका आधा भी नहीं है!

तब हम ब्लॉगर मित्र कहता है, ''चलिये प्रार्थना करें हमें उस सीमा तक कार्य करना है'' (पुर्नजागृति तक)। कौन सा काम करने की वह सोचता हे? एक बात जो जैरी फालवेल ने कही वह बिल्कुल सच थी। जैरी फालवेल ने कहा, ''गर्भपात अमेरिका का राष्ट्रीय पाप है।'' अरे हां, इस बारे में जैरी फालवेल ने बिल्कुल सही कहा! निश्चित ही, मि ब्लॉगर, को ''उस सीमा तक कार्य करने'' के लिये अपने कार्य में अजन्में शिशु का खत्म किया जाना भी रोकना होगा! क्या आपने ''उतनी सीमा तक काम'' किया है, मि ब्लॉगर? क्या आप किन्ही, बैपटिस्ट पास्टर्स को जानते हैं जिन्होंने ''इस सीमा तक भी कार्य'' किया हो? क्या आप किसी बैपटिस्ट चर्चेस को जानते हैं जो गर्भपात क्लीनिक बंद करवा रहे हों? क्या आप और किसी को जानते हैं जो ''इस सीमा तक भी कार्य'' करता आया हो? मैं तो नहीं जानता हमने उन्हें वैधानिक तरीके से पूर्ण रूप से बंद करवा दिया! अगर अमेरिका के आधे बैपटिस्ट चर्चेस ने भी दो गर्भपात क्लीनिक बंद करवाये होते, तो गर्भपात लंबे समय पहले खत्म हो गया होता। हमारे सहयोगी पास्टर, डॉ कैगन, और मैं सैंकडो कैथोलिकों के साथ अनशन पर बैठ कर गर्भपात का विरोध कर रहे थे, जबकि घुडसवार पुलिस वाले हाथों में बैटन लिये हमारे बीच में से होते हुये धमकाते रहे। तब बैपटिस्ट कहां थे, मि ब्लॉगर? मैंने तो एक को भी नहीं देखा! मैंने केवल कुछ वृद्ध नन्, और कुछ कैथोलिक स्कूल के जवान बच्चों को देखा। कहां थे बैपटिस्ट प्रचारक? वे बैपटिस्ट महिलायें कहां थी, जो संडे स्कूल में पढाती थीं? जो नियम से चलने वाली, मध्य आयु की महिलाये हैं, जो प्रचारकों, पर हावी होती है, वे कहां है? मुझे तो उनमें से कोई भी दिखाई नहीं दी! क्या उन्हें परवाह नहीं है? नहीं, मुझे नहीं लगता कि उन्हें परवाह है! वे कोई वेस्ली के जमाने की महिलाओं के समान थोडे ना हैं, जो विशाल जागृति में सम्मिलित थी, जिसके विषय में ब्लॉगर कथन करते रहते हैं।

अमेरिका प्रतिवर्ष एक मिलियन शिशुओं को मार डालता है! हमने ५७ मिलियन शिशुओं को खत्म कर डाला है जबसे रो विरूद्ध वेड का जनवरी, १९७३ से नियम लागू हुआ। अब तक, हर अमेरिकन इवेंजलीकल ''किश्चियन'' के हाथ खून से रंगे हैं। हमने ५७ मिलियन शिशुओं का खून हो जाने दिया जबकि हम वातानुकूलित चर्चेस में एक घंटा बैठकर संदेश सुनते रहें! हम कहां थे जब ५७ मिलियन शिशुओं को समाप्त किया जा रहा था? हम इतने निष्ठुर और अंधे हो गये थे कि हम वास्तव में जोएल आस्टिन की मुस्कुराहट भरी प्रेरक बातों से समझ रहे हैं कि लोग ''बचाये जा'' रहे हैं − क्योंकि वह एक छोटी सी मीटी सी ''पापियों वाली प्रार्थना'' दोहरा देते हैं कुछ कहानियां सुनाने के बाद और लोगों को अपने चुटकुलों से हंसाते हैं। किंतु देखिये ये चुटकुले हमारे ही उपर बनाये हुये हैं! ऐसे प्रचारकों ने किसी को नहीं बचाया! किसी को भी नहीं! किसी को भी नहीं! किसी को भी नहीं! किसी को भी नहीं! किसी को भी नहीं! किसी को भी नहीं! किसी को भी नहीं! इस प्रकार का प्रचार हमारे देश के लोगों को मन परिवर्तन नहीं कर सकता! और अब भी ऐसा प्रचार मन परिवर्तन नहीं कर सकता! डॉ ए डब्ल्यू टोजर ने कहा था, ''इस प्रकार की दूर दूर तक फैली मसीहत के कारण हम एक और नैतिक त्रासदी का सामना करेंगे जिससे हम सैंकडो वर्षो में भी नहीं उबर पायेंगे'' (ए डब्ल्यू टोजर, डी डी कीज टू दि डीपर लाईफ, जोंदरवन पब्लिशिंग हाउस, १९५७, पेज १२)

''तब यहोवा ने मुझ से कहा, मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है.......मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' (आमोस ८:२−३)

हमारा देश, देखा जाये तो, पूर्वी १८ वीं सदी के इंग्लैंड जैसा नहीं है − बिल्कुल भी नहीं! ग्रेट ब्रिटेन के जो लोग बचाये नहीं गये थे वे हमसे अधिक गंभीर थे! यहां तक कि उनके कोयले खदान और किसान भी हमसे कहीं अधिक शिक्षित थे। यहां तक कि जो लोग पढ नहीं सकते थे वे वाईटफील्ड और वेस्ली के कठिन संदेशों को सुन लिया करते थे और समझ सकते थे! क्या, हमारे लोग और कुछ नहीं तो किसी जटिल संदेश को सुनते समय चुप ही बैठ गये होते, जैसे वे लोग बैठते थे? वे लोग सुबह ५ बजे भी गिरती बर्फ में प्रचारकों का प्रचार सुनने के लिये खडे रहते! क्या हमारे लोग ऐसा कर सकते थे? नहीं, हमारे लोग ऐसा नहीं कर सकते! हमारे लोगों की भावनायें आक्रमक वीडियो गेम्स, पोर्नोग्राफी, टी वी पर आंतकित वे बेकार के कार्यक्रम देखने द्वारा, नशीली दवायें और लगातार शैतानी फिल्मों के भयानक व आपत्तिजनक दृश्यों को देखने से समाप्त हो चुकी है। वेस्ली के इंग्लैंड में ऐसी कोई चीज नहीं थी! वेस्ली के इंग्लैंड में साधारण लोगों में तलाक भी कम हुआ करते थे। उनके घरों में हमारे घर जैसे दरारें नहीं थी उनके परिवार अच्छे और स्थायी चलते थे। उसके बाद आप उनकी और हमारी सरकारों की भी तुलना कीजिये। उनके देश की सरकारें व्यवस्थित दिमाग वाले और पार्लियामेंट में योग्य व्यक्तियों द्वारा चलायी जाती है, जो सच्चे मसीही तो नहीं हैं, परन्तु कम से कम मसीही नैतिकता से तो प्रभावित हैं। हमारे देश का नेतृत्व डरपोक लोगों द्वारा किया जाता है, जो कमजोर हैं और जिनका कोई नैतिक स्तर नहीं है। वेस्ली के इंग्लैंड में सैक्स में विकृति व भटकाव नहीं देखने को मिलता। क्या मुझे और कुछ कहने की जरूरत है? और उनके धर्म के बारे में क्या कहूं?

हां, लगभग सभी पास्टर्स का नया जन्म मन परिवर्तन नहीं हुआ था। किंतु − इसमें एक बहुत बडा ''परन्तु'' छिपा हुआ है − वे बिल्कुल भी यह ''निर्णयवाद'' वाली भ्रांति से प्रभावित नहीं थे। वे नहीं सोचते थे कि परिवर्तित थे जैसे हमारे कम से कम ७५ प्रतिशत लोग हैं। वे बिल्कुल भी यह नहीं सोचते थे कि वे ''पापियों की प्रार्थना'' के शब्द मंत्र जैसे दुहरा कर नया जन्म प्राप्त कर सकते हैं। पापी जानते थे कि वे सचचे मसीही नहीं हैं, किंतु वे हमारे जैसे बचाये हुये या परिवर्तित होने का ठोंग भी नहीं रचते थे, जैसा हम लोग पाखंड रचते हैं। इसके अतिरिक्त जब वे मन परिवर्तन के लिये सोचते थे, तो वे इसे जॉन बुनयन के समान परिवर्तन को सोचा करते थे − उनकी अतिप्रसिद्ध पुस्तकें, ''जिसमें पापियों में सबसे बडे पापी के लिये परमेश्वर का अनुग्रह'' उपलब्ध है और ''पिलग्रिम्स प्रोग्रेस'' में भी वही बात दोहराई है। उनके मन के भीतर मन परिवर्तन का जो आदर्श था वह प्राचीनों की सोच से प्रेरित था − पाप का बोध था और शुद्ध होना चाहते थे − किसी ''आलसी भौचक्के करने वाले प्रेम'' की भ्रांति में जीने वाले लोग नहीं हैं!

इससे भी आगे, उन सब के पास एक बाईबल थी। किंग जेम्स केवल एक बा.ईबल उनके पास होती थी। वे अनेकों अनुवाद के मकडजाल से भ्रम में नहीं पडते थे, दर्जनों अनुवाद उनके पास नहीं थे, जो यूनानी पदों को बिगाड कर किये गये थे, जो अनिश्वरवाद से प्रेरित हो, जैसे आज संसार में कितनी ही ऐसे अनुवाद वाली बाईबल उपलब्ध है। उनके यूनिवर्सिटी और स्कूलों में बाईबल के प्र्योग पर प्रतिबंध भी नहीं था। भले ही उन लोगों का नया जन्म नहीं हुआ था, तौभी वे विश्वास करते थे कि यह परमेश्वर का वचन है। यहां तक कि किंग जॉर्ज द्वितीय (१७२७ − १७६०) ने स्वयं आपको बतलाया था कि बाईबल परमेश्वर का वचन था। स्कूलों में बाईबल पर प्रतिबंध नहीं था। हर जवान और छोटा बच्चा बाईबल की कहानियों से अवगत था। यूनिवर्सिटी, कोर्ट, शासकीय कार्यालयों में बाईबल के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं था जैसा कि आज हमारे देश में था। बाईबल पर प्रतिबंध लगाने के बजाय, उन्होंने इसे ठोस माना और स्वीकृत किया, भले ही वे नया जन्म पाये विश्वासी नहीं थे। और तो और, उनके यहां ऐसी लालफीताशाही भी नहीं थी। हर कोई काम करता था, और वे सब काम करने की बाईबल पर आधारित शिक्षा पर विश्वास करते थे। अब, कठोर कार्य की महत्ता को कम कर दिया गया और लोग इसे तरस्कारपूर्ण ढंग से ''प्राचीनों की कार्य पद्धति'' कहकर बुलाते हैं, जैसे कि कठोर परिश्रम करना बुरी बात हो। चूंकि वे सब या तो खूब मेहनत करते थे या फिर भूखों मरते थे, किंतु सपनों के महल बनाने में विश्वास नहीं रखते थे। वे ध्यान में लीन नहीं हो जाते थे, किसी भी किस्म के जेन बुद्धिस्टवाद, या पूर्व के रहस्यवाद में लीन नहीं हो जाते थे। इसीलिये उनमें बहुत कम लोग दुष्टात्मा से ग्रसित पाये जाते थे − जबकि यह कितनी स्पष्ट बात है कि हमारे हजारों (अगर लाखों नहीं) लोग दुष्टात्माओं के नियंत्रण में हैं।

नहीं, मि ब्लॉगर हमारे लोगों की तुलना इंग्लैंड के लोगों से करके त्रुटि करते हैं वह भी इंग्लैंड से। इसके स्थान पर अमेरिका के लोगों की तुलना नूह के दिनों के लोगों से करना एक सच्चाई होगी! बिल्कुल यही प्रभु मसीह ने इस पीढी के लिये नहीं कहा था? मसीह ने कहा था,

''जैसे (नूह) के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल−प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि (नूह) जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल−प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।'' (मत्ती २४:३७−३९)

मसीह ने हमारी पीढी की तुलना १८ वीं सदी के इंग्लैंड के लोगों से नहीं की थी! उन्होंने हमारी पीढ़ी के लोगों की तुलना नूह के दिनों से की थी,

''और यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है। और यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताया, और वह मन में अति खेदित हुआ।'' (उत्पत्ति ६:५−६)

''तब परमेश्वर ने नूह से कहा, सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे साम्हने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उन को पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।'' (उत्पत्ति ६:१३)

हमारे ब्लॉगर मित्र ने कहा था, ''यह आशा भी है....जैसे परमेश्वर ने इंग्लैंड को आध्यात्मिक और नैतिक पतन से बचाया......वहां जॉर्ज वाईटफील्ड, जॉन और चार्ल्स वेस्ली के द्वारा आत्मिक जागृतियां भेज भेज कर बचाया, ऐसा ही परमेश्वर हमारे दिनों में भी फिर से दोहरा सकता है।'' वह ब्लॉगर मित्र सही कह रहे हैं कि परमेश्वर फिर से ऐसा कर सकते हैं। किंतु प्रश्न यह नहीं है। प्रश्न यह नहीं है कि परमेश्वर राष्ट्रीय आत्मिक जागृति सकते हैं? प्रश्न यह है कि क्या परमेश्वर राष्ट्रीय आत्मिक जागृति भेजेंगे? और मैं इसके उत्तर के प्रति आश्वस्त हूं जो बार बार मेरे दिमाग में गूंजता है ''नहीं''! जैसे कि हम हमारे पद में पढते हैं,

''तब यहोवा ने मुझ से कहा, मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है......मैं अब उसको और न छोडूंगा। परमेश्वर यहोवा की वाणी है, कि उस दिन राजमन्दिर के गीत हाहाकार में बदल जाएंगे, और लोथों का बड़ा ढेर लगेगा; और सब स्थानों में वे चुपचाप फेंक दी जाएंगी'' (आमोस ८:२−३)

मैं सोचता हूं, अमेरिका और पश्चिमी संसार के लिये, कोई उम्मीद नहीं है, बिल्कुल भी नहीं। बिल्कुल भी नहीं। पिछले सप्ताह आइसिस ने जो बातें इंटरनेट पर भेजी उसे सुनिये। पेरिस में १७ लोगों के कत्ल के तुरंत बाद, इन मुस्लिम आतंकवादियों ने अमेरिका को ईमेल भेजे,

''हम आ रहे हैं तुम्हारे पास। अपनी निगरानी करते रहना''

''हम रूकेंगे नहीं। हम आपके बारे में सब जानते हैं, आपकी पत्नियां और बच्चे सब हमारी निगाह में है''

क्या वे हमको समर्पण करवाने के लिये धमकी दे रहे हैं? क्या यही ''इस्लाम'' का अर्थ है! इसका अर्थ है ''समर्पण'' क्या हम उनके सामने समर्पण करेंगे? क्या वे अमेरिका और पश्चिम पर कब्जा कर लेंगे? केवल परमेश्वर ही इसका उत्तर जानते हैं, किंतु यह बात सुनने में अच्छी नहीं लगती! लेकिन इतना तय है। परमेश्वर का कथन है,

''मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' (आमोस ८:२)

अमेरिका में या यूरोप में राष्ट्रीय जागृति नहीं होगी। हां यह नहीं होगी। इसमें बहुत देर हो चुकी है। डॉ डब्ल्यू ए क्रिसवेल, जो अमेरिका के महान प्रचारक जो २० वीं सदी ने उत्पन्न किये, उन्होने कहा था, ''हमारे लोग लगातार भविष्य के डर में जी रहे हैं क्योंकि हम दुष्ट लोग हैं......हर तरीके से अमेरिका ईश्वर विरूद्ध और अति धर्मनिरपेक्ष होता रहा है। न्याय का दिन आ रहा है और हम इसे महसूस भी करते हैं।'' डॉ क्रिसवेल डलास फर्स्ट बैपटिस्ट चर्च के पचास से अधिक सालों से पादरी रहे थे। वह बिलीग्राहम के पादरी थे (डब्ल्यू ए क्रिसवेल, पी एच डी, ग्रीन डॉक्टरीन्स आँफ दि बाईबल − बिबिलियोलॉजी, जोंदरवन पब्लिशिंग हाउस, १९८२, पेज ४३)

हम एक देश और उसके लोगों के रूप में न्याय का सामना कर रहे हैं। इसलिये अमेरिका बाईबल की भविष्यवाणी में नहीं है। हम एक महान राष्ट्र नहीं बनेंगे। हम धर्मशास्त्र की दी भविष्यवाणियों में जो अंत समय के लिये की गई है उसके योग्य नहीं है! किंतु मैंने आपको बताया था कि इस पद का दूसरा भाग भी है।

२. दूसरा, यह पद हरेक पर लागू होता है जो मृत्युपर्यंत पाप करते रहते हैं।

एक समय ऐसा आयेगा, अगर यह पहले से नहीं आया होगा, जब परमेश्वर इसे आपके बारे में कहेगा,

''मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' (आमोस ८:२)

जब परमेश्वर इसे आपके बारे में कहेगा, अर्थात हम हमेशा के लिये शापित ठहरेंगे। आप कई वर्षों तक जीवित रह सकते हैं। किंतु आप नरक की अनंत ज्वाला में जलने के लिये ठहराये जा चुके हो जब परमेश्वर इस तरह कहते हैं, ''मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' ऐसा, क्यों होगा? क्योंकि तुमने अक्षम्य पाप किया है। प्राचीन काल के कई महान प्रचारकों ने इस अक्षम्य पाप के विषय में कहा था! डॉ मार्टिन ल्योड जोंस ने ''पवित्र आत्मा के विरूद्ध पाप'' के विषय में बताया (दि संस आफ गॉड, पेज २३०) जोनाथन एडवर्डस, आशेल नैटलटन, मूडी, टोरे, जॉर्ज डब्ल्यू, ट्रूरेट, और सभी पुराने प्रचारकों ने ''अक्षम्य पाप'' के लिये कहा था। डॉ जॉन आर राईस का कथन था,

यह पाप ''जो मनुष्य का क्षमा नहीं किया जा सकता।'' एक पाप है जो, अगर वह मनुष्य करता है, ''वह क्षमा नहीं किया जा सकता, न तो इस संसार में, न आने वाले संसार में।'' वह अक्षम्य पाप है......वह अक्षम्य पाप (है) कि एक व्यक्ति जीते जी उस अंत का भागीदार कहलाये, वह जीवित रहते हुये अनंत दंड के क्षेत्र के लिये ठहराया जाने, इस संसार में जीवित रहते हुये भी, वह परमेश्वर की दया मिलने से वंचित हो जाये!......हां, वह पाप अभी किया जा सकता है। कोई भी पापी जिसने सुसमाचार सुना हो, जो पाप के गहरे बोध से व्यथित हो, जो पाप के प्रति जागरूक हो और मसीह की आवश्यकता उसे गहराई से महसूस होती हो, वह उस पाप को करने के भयानक खतरे में पड सकता है जिसकी कोई क्षमा नहीं है (डॉ जॉन आर राईस, क्रासिंग दि डेड लाईन, सोर्ड आफ दि लॉर्ड, १९५३, पेज ३−४)

अगर परमेश्वर एक राष्ट्र को त्याग सकते हैं, वह आपको भी त्याग सकते हैं! अगर एक देश मृत्युपर्यंत वह पाप कर सकता है, तो आप भी कर सकते हैं! १ यूहन्ना ५:१६ कहता है, ''ऐसा भी पाप है जिसका फल मृत्यु है'' (१ यूहन्ना ५:१६) कैन ने यह पाप किया था, और परमेश्वर ने उसे सदा के लिये त्याग दिया। यद्यपि वह वर्षो तक जीवित रहा लेकिन बचाया न जा सका। फिरौन, मूसा के समय में पाप करता आया, और परमेश्वर ने उसे भी त्याग दिया। यद्यपि......वह वर्षों तक जीवित रहा, वह बचाया न जा सका। यहूदा ने पाप किया परमेश्वर ने उसे त्याग दिया − वह कुछ घंटे जीवित रह सकता था, किंतु अब उसके लिये बहुत देर हो चुकी थी कि वह बचाया जाता! अगर आप पवित्र आत्मा का इंकार करते जाते हैं और प्रभु यीशु पर विश्वास रखने से इंकार करते हो, तो एक दिन एक घंटा ऐसा आयेगा कि परमेश्वर आप को उस समय त्याग देगा! तब परमेश्वर द्वारा आपके लिये कहा जायेगा,

''मैं अब उसको और न छोडूंगा।'' (आमोस ८:२)

डॉ जॉन आर राईस के द्वारा गाये गीत के शब्द सुनिये,

तुमने इंतजार किया और मसीह का इंकार करते रहे;
उसकी सब चेतावनी धैर्यपूर्ण है, उसकी विनती इतनी दयापूर्ण है;
तुमने मना किये फल को खाया, तुमने शैतान के वायदे पर भरोसा किया;
इस तरह तुम्हारा दिल कठोर हो गया; पाप ने तुम्हारे दिमाग को अंधेरा किया।
तब तुम आत्मा के चले जाने से दिल में तार तार हो जाओगे;
जो निंदा देता है और शोकित करता है, अगर मृत्यु तुम्हे आशाहीन पाये,
तुमने विलंब किया ठहरे रहे और इंतजार करते रहे!
(''अगर तुमने बहुत विलंब किया'' डॉ.जॉन आर.राईस,१८९५−१९८०)

मैं आपसे आज सुबह बिनती करता हूं − अपने पापों से मुख फेरो और प्रभु यीशु पर अब विश्वास रखो, जबकि अभी समय बाकि है। प्रभु यीशु पर अब भरोसा रखो − इसके पहले कि परमेश्वर आपको छोड दे − जैसे उसने इजरायल को एक समय त्याग दिया था! जैसे उसने आमोस के दिनों में यिर्मयाह.....को त्याग दिया था! जैसे उसने कैन को त्याग दिया था! जैसे उसने फिरौन को त्याग दिया था! जैसे उसने यहूदा को त्याग दिया था! वह तुम्हे भी त्याग देगा!!! मसीह के पास आइये! मसीह पर विश्वास लाइये, इसके पहले कि बहुत देर हो जाये! बाईबल कहती है,

''तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना।'' (नीतिवचन ३:५)

मसीह पर विश्वास कीजिये। उसका लहू आपके सारे पापों को ढांप लेगा और उन्हें धो डालेगा। क्रूस पर उसकी मृत्यु आपके पापों की छुडौती चुकाना थी, और आपको अनंत क्रोध से बचाना था। उसका पुन: जीवित होना आपको जीवन व आशा प्रदान करता है! अभी यीशु पर विश्वास लाइये और वह आपके पापों को सदा के लिये क्षमा करेगा! डॉ चान निवेदन है कि प्रार्थना में हमारी अगुवाई करें! आमीन!

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा प्रार्थना की गई: आमोस ७:१४−८:३
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''अगर तुमने बहुत विलंब किया'' (डॉ.जॉन आर.राईस,१८९५−१९८०)


रूपरेखा

अमेरिका क्यों बाईबल की भविष्य वाणी में नहीं है।

(''जीवन जीने का अधिकार'' पर रविवार का संदेश)
WHY AMERICA IS NOT IN BIBLE PROPHECY
(A SERMON PREACHED ON “RIGHT TO LIFE” SUNDAY)

द्वारा डॉ. आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

''तब यहोवा ने मुझ से कहा, मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है; मैं अब उसको और न छोडूंगा। परमेश्वर यहोवा की वाणी है, कि उस दिन राजमन्दिर के गीत हाहाकार में बदल जाएंगे, और लोथों का बड़ा ढेर लगेगा; और सब स्थानों में वे चुपचाप फेंक दी जाएंगी'' (आमोस ८:२−३)

(आमोस ७:१७)

१. पहला, यह पद अमेरिका और पश्चिमी संसार पर लागू होता है,
मत्ती २४:३७−३९; उत्पत्ति ६:५−६, १३; आमोस ८:२−३

२. दूसरा, यह पद हरेक पर लागू होता है जो मृत्युपर्यंत पाप करते रहते हैं,
१यूहन्ना ५:१६; नीतिवचन ३:५