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परमेश्वर के श्वांस से निर्मित किताब

THE GOD-BREATHED BOOK
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की संध्या, ३० नवंबर, २०१४ को लॉस ऐंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Evening, November 30, 2014

''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए'' (२ तीमुथियुस ३:१६, १७)


मुझे ''भीड़ को भड़काने वाला'' वाला प्रचारक उन लोगों द्वारा कहा जाता है जो सत्य के लिये खडे होने से डरते हैं। मुझे उन पादरियों द्वारा ''पागल'' भी कहा जाता है जो केवल पादरी की नौकरी पैसों के लिये करने आये हैं। मुझे कुछ लोगों द्वारा ''आफत'' भी कहा जाता है जो चर्च में केवल दूसरे लोगों की चापलूसी में लगे रहते हैं। और हां, मुझे चर्च के उन एल्डर्स के द्वारा ''उग्रवादी'' भी कहा जाता है जो बाईबल की बातों को सम्मान देने की जरा चिंता नहीं करते है!

बाईबल के प्रति मेरी प्रतिबद्धता बहुत गहरी है। मैंने प्रारंभ से ही कहा है कि संपूर्ण बाईबल, प्रारंभ से अंत तक परमेश्वर का वचन है उसका प्रत्येक शब्द जो इब्रानी और यूनानी भाषा में हैं ''परमेश्वर'' की प्रेरणा से लिखा गया है (२ तिमुथयुस ३:१६) दक्षिणी बैपटिस्ट अगुवे मुझे चेतावनी देते हैं कि मझे ''दरकिनार'' कर दिया जायेगा, और कोई मुझे चर्च में प्रवेश भी नहीं करने देगा, अगर मैं यह बातें कहता रहा तो! तब मैं एक आधारभूत बैपटिस्ट हो गया − तब उन तथाकथित पुरातन पंथी बैपटिस्टों ने मुझ पर यही बाईबल वाली बात को लेकर प्रहार आरंभ कर दिये जैसे उदारवादी दक्षिणी बैपटिस्टों ने किये थे!

रूकमेनिज्म वह विश्वास है कि किंग जेम्स बाईबल जो अंग्रेजी में है पूर्ण रूप से परमेश्वर द्वारा प्रेरित है। कुछ तो यहां तक कहते हैं कि के जी वी के अंग्रेजी शब्द यूनानी और इब्रानी को भी सुधार देते हैं। ये अजीब और शैतानी विचारों पर १९५० के पहले तक कोई भी विश्वास नहीं करता था, किंतु ये विचार डॉ पीटर एस रूकमेन द्वारा (१९२१ −) से प्रचारित किये जाने लगे। रूकमेनिज्म ने चर्च में कई विभाजन व तोड फोड की, विशेषकर स्वतंत्र पुरातन पंथी बैपटिस्टों के मध्य। मैंने एक पुस्तक लिखी थी जिसका शीर्षक था ''स्कमेनिज्म एक्सपोज्ड,'' जो आप एक ईमेल मुझे भेजकर rlhymersjr@sbcglobal.net प्राप्त कर सकते हैं। जो अनुवाद सीधे के जे वी अंग्रेजी से, स्पेनिश, कोरियन, रशियन एवं अन्य भाषाओं में किये गये हैं बजाये इब्रानी और यूनानी भाषा के, तो वे सब रूकमेनिज्म की गलत और शैतानी शिक्षाओं को जगत में फैला रहे हैं। स्पिंगफील्ड के बैपटिस्ट बाईबल कॉलेज में, एक गुस्सैल बुजुर्ग स्कमेनाईट ने मेरा भाषण ऐसा कहने के कारण निरस्त कर दिया! न्यूयार्क शहर में एक नाराज प्रचारक ने मुझे ऐसा कहने पर प्रचार करने से रोक दिया। मेरे ससुर के करीबी मित्र का पुत्र इस व्यक्ति के चर्च में जाया करता था। उसने मेरी जबरदस्त बुराई की और मुझे जी भर कर कोसा कि वह लडका घबरा गया और उस उलझन में वह उस दिन बचाया भी नहीं जा सका। मैंने, उदारवादी और पुरातनपंथी, दोनों के एवं सब ओर से भी, बहुत आक्रमण सहे हैं इसलिये कि मैं इस ऐतिहासिक सत्य पर अडिग रहा कि यूनानी और इब्रानी भाषा के शब्द बाईबल में सीधे परमेश्वर की वाणी से निकले शब्द हैं, और जिनका अनुवाद किंग जेम्स वर्शन में किया गया है! मैं के जे वी बाईबल मेरे साथ दो उदारवादी सेमनरियों की कक्षा में ले गया, जबकि वहां हरेक छात्र के पास रिवाईज्ड स्टैंडर्ड वर्शन था, जो एक उदारवादी अनुवाद था। आज तक मैं अपने साथ के जे वी ही रखता हूं जब पुलपिट पर प्रचार करने खडा होता हूं।

डॉ मार्टिन ल्योड−जोंस ने कहा था कि नये अनुवादों का विचार ''.... और कुछ नहीं केवल मूर्खता है!'' उनके अनुसार लोगों ने बाईबल इसलिये पढना बंद नहीं कर दी है '' कि वे इसकी भाषा नहीं समझते, परन्तु इसलिये कि वे इस पर विश्वास नहीं करते हैं। वे परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं....उनकी समस्या भाषा शब्दावली की नहीं है; समस्या उनके दिल की है'' (मार्टिन ल्यॉड−जोंस, एम डी नोईंग दि टाईम्स, दि बैनर आँफ ट्रूथ ट्रस्ट, १९८९, पेज ११२, ११४)

मैंने हमेशा यही सिखाया है कि इब्रानी और यूनानी बाईबल सीधे, शब्दों द्वारा प्रेरित कर लिखी गई है। इस आयत में प्रेरित पौलुस भी यही कहता है,

''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए'' (२ तीमुथियुस ३:१६, १७)

मैंने लगभग साठ सालों तक यह प्रचार किया है, और आगे भी मैं अपना विचार नहीं बदलूंगा! या तो मानो या न मानो! यह तो स्वयं बाईबल अपने विषय में कहती है!

१. पहला, मैं मानता हूं कि बाईबल ''परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गई है।''

''प्रेरणा'' के लिये यूनानी शब्द का अनुवाद ''थियोन्यस्टोस'' है। अर्थात ''परमेश्वर की श्वास से निर्मित।'' पवित्रशास्त्र ''परमेश्वर द्वारा बोले गये वचन'' हैं। प्रेरित पतरस कहते हैं कि धर्मशास्त्र के लेखक ''पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित होकर बोलते थे'' (२ पतरस १:२१) यूनानी शब्द ''फेरो'' का अनुवाद ''प्रेरित होना'' था और इसका अर्थ ''लेकर चलना था।'' २ तिमुथयुस ३:१६ और २ पतरस १:२१ में हम पढते हैं कि पवित्र आत्मा लेखक के दिमाग को लेकर चलता रहा जैसे जैसे वे बाईबल के परमेश्वर द्वारा फूंके गये शब्दों को लिखते गये। उदाहरण के लिये, यिर्मयाह १:९ में हम पढते हैं,

''और यहोवा ने मुझ से कहा, देख, मैं ने अपने वचन तेरे मुंह में डाल दिये हैं।'' (यिर्मयाह १:९)

प्रभु यीशु ने स्वयं नये नियम के ठोस होने के विषय में पहले ही बता दिया था,

''आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।'' (मरकुस १३:३१)

परमेश्वर ने बाईबल में अपने विचार नहीं दिये थे। उन्होंने अपनी विचारधारा को बाईबल में प्रगट नहीं किया। बल्कि इसमें परमेश्वर ने अपने शब्द फूंके थे! ये वे शब्द थे जिन्होंने पवित्र आत्मा के द्वारा लेखक के मन को लिखने के लिये प्रेरणा दी! बाईबल के इन्हीं शब्दों का विरोध करना उस व्यक्ति पर परमेश्वर का कोप भडकाता है, ''इसलिये कि वे ईश्वर के वचनों के विरुद्ध चले'' (भजन १०७:११)

दुष्ट राजा यहोवाकीम ने बरूक से पूछा था कि उसे यिर्मयाह की पुस्तक कहां से मिली? बरूक ने उत्तर दिया कि भविष्यवक्ता ने ''ये सभी शब्द मुझे उच्चारित किये......और मैं इंक से इन शब्दों को लिखता गया'' (यिर्मयाह ३६:१८) किसी भी ऐसे जन पर विश्वास न करें जो कहता हो कि वचन प्रेरणा से नहीं लिखे गये! यूनानी भाषा के पुराने नियम का एक एक शब्द − इब्रानी पुराने नियम का एक एक शब्द − संपूर्ण बाईबल का एक एक शब्द − ''परमेश्वर द्वारा फूंका'' हुआ है! ''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है'' (२ तिमुथयुस ३:१६) और यही हमको अगले कदम की ओर ले चलेगा।

२. दूसरा, मैं विश्वास करता हूं कि संपूर्ण बाईबल परमेश्वर द्वारा लिखी रचना है।

''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है'' (२ तिमुथयुस ३:१६)

अर्थात बाईबल के सभी इब्रानी और यूनानी शब्द, उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक, परमेश्वर से प्रेरित है, परमेश्वर के फूंके शब्द हैं। विद्वान इसे ''सीधे, बोले गये प्रेरित शब्द'' कहते हैं। ''मौखिक'' अर्थात बोलकर लिखवाये गये शब्द। ''संपूर्ण'' अर्थात ''पूरी''। समग्र बाईबल प्रेरणा से लिखी गई है, परमेश्वर की वाणी ने इसे लिखवाया है।

डॉ डब्ल्यू ए किसवेल, जो टेक्सास के डलास में फस्र्ट बैपटिस्ट चर्च के पादरी रहे, उन्होंने कहा था,

''संपूर्ण का अर्थ है, कि संपूर्ण धर्मशास्त्र, थियोन्यूस्टोज है, अर्थात परमेश्वर की श्वास से फूंका हुआ। और बोलकर लिखवाया गया से तात्पर्य है कि प्रत्येक बिंदु और प्रत्येक शीर्षक प्रेरणा से लिखवाया गया है......'' (डब्ल्यू ए किसवेल पी एच डी दि बाईबल फॉर टूजेस वल्र्ड, जोंडरवन पब्लिशिंग हाउस, १९६७ संस्करण, पेज ४९)

यीशु ने कहा था,

''जब तक आकाश और पृथ्वी टल न जाएं, तब तक व्यवस्था से एक मात्रा या बिन्दु भी बिना पूरा हुए नहीं टलेगा।'' (मत्ती ५:१८)

''एक बिंदु'' अर्थात हिबू के अक्षर का छोटे से छोटा भाग भी, चाहे का कॉमा हो, या छोटा चिन्ह भी पूरा हुये बगैर नहीं टलेगा। यहां तक कि इब्रानी के छोटे छोटे शब्द भी परमेश्वर की आध्यात्मिक प्रेरणा से लिखे गये हैं जो परमेश्वर की ओर से दिये गये हैं!

जब मैं बाईबल अपने हाथ में पकड कर जाता हूं, तो मुझे यह बहुत बडा खजाना लगता है। इसके एक एक शब्द परमेश्वर हमारे प्रभु के बोले गये शब्दों का अनुवाद है। मैं अपने हाथ में एक एक शब्द वाला अनुवाद जो परमेश्वर ने बोला था, उसे लेकर चलता हूं! अगर मैं जानना चाहता हूं कि परमेश्वर इस विषय में क्या सोचता है, तो फिर मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि कोई दर्शनशास्त्री इस विषय में क्या सोचता है, या कोई धर्मनिरपेक्ष विद्वान क्या कहता है। जब मैं जानना चाहता हूं कि परमेश्वर इस विषय पर क्या सोचता है, तो मैं बाईबल खोल लेता हूं और जोर से वे पद पढता हूं जो परमेश्वर ने मुझे पढने को दिये। और मैं उन शब्दों को ''घुमाता'' भी नहीं हूं। मुझे उनका सीधा सा अर्थ निकालना चाहिये। जब परमेश्वर किसी पेड़ के बारे में बोलता है, तो उसका कहने का अर्थ पेड़ ही होता है। जब वह वेदी के लिये बोलता है, तो उसका अर्थ वेदी ही होता है।

मुझे डॉ मैकआर्थर से इसीलिये तकलीफ है। वह बहुत सारी अच्छी बातें बोलते हैं। किंतु वह कहते हैं, ''यीशु की मृत्यु की जगह रक्त शब्द काम में लिया गया है,'' (दि मैक आर्थर स्टडी बाईबल; इब्रानियों ९:१४ पर व्याख्या) । वह इसे ऐसा समझाते हैं ''कि मसीह का लहू आखिर....कितना आपके विवेक को मरे कार्यों से फिरायेगा।'' किंतु चूंकि मैं तो विश्वास करता हूं बाईबल परमेश्वर की प्रेरणा के शब्दों से लिखवायी गयी है, मैं जानता हूं वह लोग सत्य नहीं हो सकते। वह कहते हैं मसीह का ''लहू'' शब्द उनकी ''मौत के बदले'' में लिखा गया है। सचमुच, कितनी गलत बात है! मसीह का मरना हमें पापों से थोडे न मुक्त करता है। बिल्कुल, नहीं! केवल मसीह का बहाया हुआ लहू यह कार्य कर सकता है! उनकी यह गलती दर्शाती है कि हमें बाईबल के महत्वपूर्ण शब्द जो बोलने के द्वारा लिखवाये गये हैं उनको जानना कितना जरूरी है - वे परमेश्वर के शब्द हैं; हर बिंदु हर शीर्षक! इब्रानियों ९:१४ में यूनानी शब्द ''हायमा'' दिया है। अर्थात ''लहू''। हमें अंग्रेजी शब्द ''हैमरेज'' मिलता है (अत्यधिक लहू का बहना) इस यूनानी शब्द के अनुवाद से। मेडीकल साईंस में ''हीमेटोलॉजी'' लहू के अध्ययन, का शास्त्र है। ये दोनों अंग्रेजी के शब्द यूनानी शब्द ''हायमा'' से निकले हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि डॉ मैकआर्थर कितने गलत हैं जब वह कहते हैं कि, ''लहू शब्द का प्रयोग यीशु के मरने के बदले किया गया है।'' नहीं - यूनानी शब्द हायमा का अर्थ लहू है! इसका अर्थ ''मरना'' नहीं है। मरने के लिये यूनानी शब्द ''थानाटोस'' है। यूनानी भाषा से यह शब्द अंगेजी में ''यूथांशिया'' बन कर आया है। ''थाना'' शब्द अंग्रेजी में ''थानाटोस'' से लिया गया है अर्थात ''मरना''। ''यू'' अर्थात ''अच्छा'' होता है। इसलिये ''यूथांशिया'' अर्थात ''अच्छी मौत''। उदारवादी इसे आत्महत्या में सहायक मानते हैं। मेरा कथन यह है कि - ''हायमा'' अर्थात लहू। ''थानाटोस'' अर्थात मरना। मैकआर्थर ने यह सरासर गलत कहा, ''कि लहू शब्द का प्रयोग मसीह के मरने के लिये किया गया है।'' प्रेरित पौलुस ने भी कहा था ''लहू''। अगर उनका तात्पर्य ''मरना'' होता तो वह यूनानी शब्द ''थानाटोस'' का प्रयोग करते। रिफार्मेशन स्टडी बाईबल कहती है, ''कोई भी....आकर्षक तरीका जो मूल लेखक के अर्थ को उपेक्षित करे ठीक नहीं हो सकता'' (पेज ८४४ पर व्याख्या, ''परमेश्वर के वचन की समझ'') मैं सोचता हूं डॉ. मैकआर्थर ने ''लहू'' शब्द को ''मौत'' में तब्दील करना सीखा है कर्नल आर बी थाइमें से। मैं १९६१ की ठंड में वहां था, और उनको आंखो से देखा था। मैंने देखा था कि थाइमें ने जैसा जवान जॉन मैकआर्थर को लिखवाया वह नोट पैड पर लिख रहे थे ''लहू का प्रयोग मसीह की मौत के बदले किया गया।'' बेशक, कई विद्वान जानते हैं कि इस बिंदु पर कर्नल थाइमें बिल्कुल गलत थे। लगता है कर्नल थाइमें को मसीह का लहू, पसंद नहीं था। उनकी यह गलती डॉ. मैकआर्थर से प्रारंभ होकर हम तक पहुंची है। हमें एक यूनानी शब्द को तोड मरोडकर उसके अर्थ का दूसरा शब्द नहीं निकालना चाहिये कि ''मूल लेखक के भाव की उपेक्षा करे'' (रिफार्मेशन स्टडी बाईबल, उक्त संदर्भित)

मैंने मैकआर्थर की समस्या को इसलिये उजागर किया ताकि बाईबल बोलने की प्रेरणा से लिखवाई गई है यह शिक्षा परमेश्वर ने इब्रानी और यूनानी बाईबल के लेखकों को सीधे दी थी।

डॉ. हैराल्ड लिंडसैल एक महान विद्वान थे, और बाईबल की सत्यता के महान रक्षक थे। उनकी पुस्तक दि बैटल फॉर दि बाईबल, निसंदेह हमारे समय ही बडी प्रमुख पुस्तक थी। डॉ. लिंडसेल ने कहा था, ''बोले गये शब्दों की प्रेरणा परमेश्वर द्वारा लिखवाये संपूर्ण शब्दों में छा गई और इसमें पवित्र आत्मा का भी मार्ग दर्शन सम्मिलित हो गया जो धर्मशास्त्र के शब्दों के चुनाव में सहायक है। (हैराल्ड लिंडसैल, पी.एच.डी., दि बैटल फॉर दि बाईबल, जोंडरवान पब्लिशिंग हाउस, १९७८ संस्करण, पेज ३१; मेरे द्वारा जोर दिया गया) । बेशक, डॉ. लिंडसैल इब्रानी और यूनानी लेखकों के शब्दों को, जो बाईबल में उन्होंने प्रयोग किये ''पवित्र आत्मा की प्रेरणा से लिखे गये शब्द मानते थे।'' डॉ. हैनरी एम. मोरिस ने कहा कि पौलुस ने ''बोले गये शब्दो के विषय में पक्का विश्वास जताया था'' धर्मशास्त्र के ये ''शब्द'' गलतियों ३:१६ में मिलते हैं। उन्होंने कहा कि पौलुस ने अपना तर्क यहां रखा ''न केवल एक अक्षर पर, परन्तु एक शब्द पर, ''बीजों'' के स्थान पर 'बीज' होना चाहिये। (हैनरी एम. मोरिस, पीएचडी, दि डिफेंडर स्टडी बाईबल, वल्र्ड पब्लिशिंग, १९९५ संस्करण, पेज १२९६; गलतियों ३:१६ पर व्याख्या; मेरे द्वारा जोर दिया गया)

मैं डॉ लिंडसैल और डॉ. मोरिस से पूरी रीति से सहमत हूं। मैं उन दोनों को जानता हूं। दोनो ही सही थे। इसलिये मुझे डॉ. मैकआर्थर के कथन से अधिक तकलीफ हुई जब वे कहते रहे कि ''लहू का प्रयोग मसीह के मरने के स्थान पर किया गया।'' जब हम ऐसा विश्वास करते हैं कि सचमुच में धर्मशास्त्र बोलने के द्वारा लिखवाया गया है तो हमें ऐसी शिक्षा कदापि नहीं देना चाहिये। परमेश्वर जो कहना चाहते हैं वह बाईबल में है। आप इब्रानी और यूनानी धर्मशास्त्र पर पूर्ण रूप से विश्वास कर सकते हैं। प्रभु यीशु ने कहा था, ''उस ने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा। उस ने उत्तर दिया; कि लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा'' (मत्ती ४:४; मसीह ने व्यवस्थाविवरण से बताया ८:३; वक्तव्य मेरा है)

जब आप बाईबल पढते हैं तो आप पक्का विश्वास कर सकते हैं कि आप सीधे परमेश्वर के शब्द पढ रहे हैं। जब आप ये शब्द पढते हैं, ''प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करो तो तुम बचोगे,'' तो आप विश्वास कर सकते हैं कि परमेश्वर ने प्रेरितों के कार्य १६:३१ में क्या कहा। जब आप स्वयं, ''यीशु के शब्दों पर विश्वास करते हो'' आप परमेश्वर के पुत्र के द्वारा अपने पापों से मुक्त किये जाओगे। जब आप यीशु के कहे शब्द पढते हैं, ''जो मेरे पास आता है उसे मैं कभी भी नहीं निकालूंगा'' तो आप पक्का विश्वास कर सकते हैं कि उसके पास आने पर आप निकाले नहीं जायेंगे (यूहन्ना ६:३७) जब आप यीशु के शब्द पढते हैं, ''हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा'' (मत्ती ११:२८) तो आप पक्का विश्वास कर सकते हैं कि जब आप यीशु के पास आयेंगे वह आपको विश्राम देगा। जब आप यीशु के शब्द पढते हैं, ''क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा, कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ''ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो, परन्तु अनंत जीवन पाये,'' आप पक्का विश्वास कर सकते हैं कि आप नष्ट नहीं होंगे, किंतु आपको अनंत जीवन मिलेगा (यूहन्ना ३:१६) जब आप ये शब्द पढते है, ''उसके पुत्र यीशु मसीह का लहू तुम्हे सारे पापों से साफ करता है,'' तो आप पक्का विश्वास कर सकते हैं कि केवल ''यीशु का लहू'' आपको आपके ''सारे पापों से'' साफ कर सकता है (१ यूहन्ना १:७)

''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए'' (२ तिमुथयुस ३:१६,१७)

अगर आप विश्वास करते हैं कि बाईबल के ये शब्द सच्चे हैं, तो क्यों नहीं आप यीशु पर भरोसा करते और उसके द्वारा अपने पापों से बचाये जाते हैं? अगर आप परमेश्वर के कहने पर विश्वास करेंगे, तो उसके पुत्र के पास आइये और उस पर विश्वास कीजिये जो आपको आपके पापों से बचाने के लिये मरा! इसे, आप महान प्राचीन गीत के शब्दों में कह सकते हैं,

आता तेरे पास, प्रभु!
आता तेरे पास!
धोके शुद्ध कर, सोते से
जो बहता क्रूस से ही।
(''आता तेरे पास, प्रभु'' लेविस हार्ट सॉ, १८२८-१९१९)

आमीन! डॉ.चान, निवेदन है कि प्रार्थना में हमारी सहायता करें।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया ऐबेल प्रुद्योमे द्वारा: २ तिमुथयुस ३:१२,१७
संदेश के पूर्व बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''मैं जानता हूं बाईबल सत्य हैं'' (बी बी मैककिने, १८८६−१९५२)


रूपरेखा

परमेश्वर के श्वांस से निर्मित किताब

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स

''हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए'' (२ तिमुथयुस ३:१६, १७)

१. पहला, मैं मानता हूं कि बाईबल ''परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गई है''
२ पतरस १:२१; यिर्मयाह १:९; मरकुस १३:३१; भजन१०७:११;
यिर्मयाह ३६:१८

२. दूसरा, मैं विश्वास करता हूं कि संपूर्ण बाईबल परमेश्वर द्वारा लिखी रचना है, मत्ती ५:१८; ४:४; प्रेरितों के कार्य १६:३१; यूहन्ना ६:३७; मत्ती
११:२८; यूहन्ना ३:१६; १ यूहन्ना १:७