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अकेलेपन के बंधन को तोड़ना

BREAKING THE CHAINS OF LONELINESS
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की सुबह, १३ जुलाई, २०१४ को लॉस एंजिलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, July 13, 2014

''हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे'' (सभोपदेशक ४:१०)


लॉस एंजीलिस के मनोवैज्ञानिक डॉ.लेनार्ड जूनिन ने कहा था, कि मनुष्य जगत की सबसे बडी समस्या अकेलापन है। मनोविश्लेषक ऐरिक फ्राम के अनुसार, ''व्यक्ति की सबसे गहन जरूरत अपने अकेलेपन से बाहर आना है, अकेलेपन की कैद से छुटकारा पाना है।'' बाईबल कहती है, ''मनुष्य का अकेला रहना अच्छा नहीं है'' (उत्पत्ति २:१८) अंग्रेज कवि जॉन मिल्टन ने भी स्मरण दिलाया है कि अकेलापन वह पहली चीज थी जिसके लिये परमेश्वर ने कहा था कि यह अच्छा नहीं है।

लॉस एंजिलिस जैसे बडे शहर से बढकर अकेला स्थान और कोई दूसरा नहीं है। हरबर्ट प्राचनोउ ने कहा था, ''यह एक ऐसा शहर है जहां लोग सामूहिक स्तर पर अकेले हैं।'' मदर टेरेसा, जो भारत के कलकत्ता की झुग्गी झोपडियों में सेवा करती थी, उनके अनुसार, ''अकेलापन भयानक प्रकार की गरीबी है।'' अगर यह सच है, तो अमेरिकन्स इस धरती पर सबसे दरिद्र लोग हैं! लॉस एंजिलिस में मिलियंस लोग अकेले हैं। आप के क्या हाल हैं? क्या आप ऐसा महसूस करते हैं कि आप की कोई चिन्ता नहीं करता − कोई आपको समझता नहीं है, आपसे किसी को सहानुभूति नहीं है?

मैं मानता हूं वे मनोचिकित्सक, डॉ.जूनिन और डॉ.फ्राम, अपने वक्तव्यों में सही थे। मैं मानता हूं आज के लोगों के सामने अकेलापन एक बडी समस्या है − विशेषकर लॉस एंजिलिस में और − संपूर्ण विश्व में भी। आज सुबह आप में से कई अकेलेपन के बंधन में जकडे हुये हैं! आज के संदेश में मैं इसी विषय पर बोलूंगा।

१. प्रथम, हमारे देश व सभ्यता के अकेलेपन के बारे में सोचिये।

चाहे विज्ञान व तकनीकी में हम कितने ही प्रगतिशील हो गये हैं, हम पिछली पीढियों की तुलना में बहुत अकेले हैं। विज्ञान के प्रसिद्ध उपन्यासकार एच.जी.वेल्स ने उनके पैंसठवे जन्मदिन पर कहा, '''मैं अकेला हूं, और मुझे कभी शांति नहीं मिली।'' यह उदास अकेला बूढा आदमी नास्तिक था और मसीहत का विरोधी था।

अधिक अकेलेपन के पीछे तकनीकी का हाथ है। उदाहरण के लिये टेलीविजन को ही ले लीजिये। स्तंभकार एन लैंडर्स का कथन था कि, ''टेलीविजन ने यह सिद्ध कर दिया है कि लोग सब कुछ देखेंगे केवल एक दूसरे को देखने के बजाय।'' घंटो घंटो तक लोग टी.वी. देखते रहते हैं, या वीडियो गेम्स खेलते रहेंगे। परिवार या मित्रों के साथ बैठकर हम भोजन नहीं करते। हमने आपस में वार्ता करनी छोड़ दी है। हम टी.वी. देखने में व्यस्त हैं या आई पैड पर एक दूसरे से बात करने में मशगूल हैं − बडे ही अर्थपूर्ण स्तर पर!

लोग कान में एक वायर लगा लेते हैं और दिमाग में सारा संगीत उड़ेल लेते हैं। वे कार में स्वयं को बंद कर लेते हैं। एक व्यक्ति एक कार। वे कम्प्यूटर पर ''लॉग आँन'' करके बैठे रहते हैं − अकेले।

टी.वी., कम्प्यूटर, कार, कैसेटस − इन सारी तकनीकी − ने हमें कभी प्रसन्न नहीं किया है। इसने तो हमें और अकेला बना दिया। अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था, ''यह कितना भयावह प्रतीत होता है कि तकनीकी ने हमारी मानवता की सीमा को भी लांघ लिया है।'' आज कई जवान लोगों को विडियो गेम्स अकेलेपन के सबसे बुरे रूप में फंसा देता है!

बाईबल कहती है, ''हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे'' (सभोपदेशक ४:१०)। मैं मानता हूं कि जवान लोग जो नशीली दवाओ के आदी हो जाते हैं उसके पीछे एक कारण यह भी है। वे अकेले हैं। वे दूसरे किसी समूह के सदस्य बन जाते हैं − जहां वे किसी का साथ पाने की कोशिश करते हैं जो उन्हे अपने दुष्कियाशील परिवार में नहीं मिलती। कई जवान शुक्रवार और शनिवार की रात पार्टी करते हैं − अपने अकेलेपन पर काबू पाने का प्रयास करते हैं। किंतु यह तरीका भी उपयोगी साबित नहीं होता। गैंग हमेशा ही साथ नहीं रहती। पार्टी को भी खत्म होना है − और आपको घर लौटना होगा − फिर से अकेले।

स्वार्थीपन के कारण लोग लंबे चलने वाले रिश्ते बनाने से डरते है। बाईबल कहती है,

''अंतिम दिनों में कठिन समय आएंगें। क्योंकि मनुष्य सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे अपस्वार्थी लोभी.....मयारहित संधि तोड़ने वाले, दयारहित....धोखेबाज .....परमेश्वर के नहीं वरन अपने सुखविलास ही के चाहने वाले होंगे।'' (२ तीमुथियुस ३:१४)

धर्मशास्त्र का यह पद हमारे अकेलेपन की भविष्यवाणी है − और यह भी बताती है कि क्यों कई लोग आज अकेले हैं।

'''स्वयं से ही प्रेम रखने वाले।'' आप तब तक दूसरों के करीब नहीं हो सकते जब तक आप अपने से ही अथाह प्रेम रखते रहोगे। ''परमेश्वर से प्रेम रखने के बजाय आमोद प्रमोद से अधिक प्रेम रखने वाले।'' इस सत्य का सामना कीजिये! कई इस झूठे आनंद के प्रति स्वार्थी प्रेम रखते हैं और परमेश्वर के प्रति प्रेम की कोई भावना नहीं! क्या आप भी उनमें से एक हैं क्या आप भी जड़ से ऐसे ही हैं? स्वार्थीपन पाप का मूल सत्व है − आप को आपके ही प्रति अनुराग है, परमेश्वर से आपका चित्त नहीं लगता। अपने से ही प्रेम रखने के कारण, आप परमेश्वर का भी सामना कर बैठते है। परमेश्वर को ही अपने विचारों से झटक देते हो। परिणाम यह होता है कि अकेलेपन में घिर जाते हो। परम प्रधान के प्रेम को आप कभी जान ही नहीं पाये हो। एक सदा के मित्र को आप ने इस संसार में खो दिया है। बाईबल कहती है, ''मित्रों के बढ़ाने से तो नाश होता है, परन्तु ऐसा मित्र होता है, जो भाई से भी अधिक मिला रहता है'' (नीतिवचन १८:२४)। अगर आप मित्रवत नहीं हैं, तो आपके कोई सच्चे मित्र नहीं होंगे। हमारे समय में खोये हुये अकेले, ईश्वर विहीन लोगों का यह उदासी भरा मंजर है।

इसलिये आपको अपने काम के घंटे कुछ इस तरह जमाना चाहिये कि आपको चर्च आराधना के समय काम नहीं करना पडे़। आप को परमप्रधान की जरूरत है! रविवार के दिन काम करके आप जो अधिक पैसा बनाते हो उससे बढकर आप को चर्च में मित्र बनाने की आवश्यकता है।

आपके अकेलेपन से कोई नहीं बचा सकता केवल मसीह और स्थानीय चर्च आपको संगति प्रदान करते हैं! मसीह को जीवन देना आवश्यक है, उसके लहू से शुद्ध होना जरूरी है! तब आपको स्थानीय चर्च में आना चाहिये ताकि सदैव बने रहने वाले मित्र बना सको! अकेले क्यों रहना? घर आइये − चर्च आइये!

बाईबल प्रारंभिक कलसिया के विषय में बताती है:

''और वे प्रति दिन एक मन होकर मन्दिर में इकट्ठे होते थे, और घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे। और परमेश्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उन से प्रसन्न थे और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रति दिन उन में मिला देता था।'' (प्रेरितों के काम २४:६४७)

इसलिए कलीसिया के साथ संगति रखने के द्वारा उन्होंने ''हदय में आनंद'' पाया − इसने उन्हें अकेलेपन से बचाये रखा। जब समय होता वे कलीसिया के साथ सहभागिता करते। उनके उदाहरण से सीख लो! अगले रविवार वापस आ जाओ! हमारे चर्च की पूर्ण सहभागिता में पुन: शामिल हो जाओ! यह आपको अकेलेपन से बचायेगा! मसीही अकेलेपन की जंजीरों को तोड डालेगा! इस चर्च में प्रवेश कीजिये और अपना मन मसीह को समर्पित कीजिये!

२. दूसरा, मौत के अकेलेपन के बारे में सोचिये।

बाईबल बताती है कि याकूब ने कहा था:

''उसने कहा, मेरा पुत्र तुम्हारे संग (मिस्र) न जाएगा; क्योंकि उसका भाई मर गया है, और वह अब अकेला रह गया..... '' (उत्पत्ति ४२:३८)

किसी दिन आपके सगे संबंधी भी मर जायेंगे − और आप अकेले रह जायेंगे।

मौत एक भयानक चीज है − और सभी को आनी है − आप को भी। किसी अपने की मौत आपको अकेला और हताश छोड़ देती है। आप स्वयं को कहता हुआ पाते हैं।

''मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूं और गौरे के समान हो गया हूं जो छत के ऊपर अकेला बैठता है।'' (भजन संहिता १०:२७)

एक चिडिया की तरह आप स्वयं को अकेला महसूस करते हो − घर की छत पर अकेले ऐसे अकेले, कि किस के पास जायें!

परमेश्वर ने पतरस के पास कैदखाने में एक स्वर्गदूत को भेजा जब पतरस बेडियों में जकडा हुआ था। उस दूत ने कहा, ''उठ, फुरती कर, और उसके हाथ से जंजीरें खुलकर गिर पड़ीं'' (प्रेरितों के कार्य १२:७)। ऐसा आपके साथ भी घट सकता है अगर आप मसीह के पास आयें और मन परिवर्तन करें। मौत की सांकले भी खुल जायेंगी - और आप मुक्त हो जाओगे। मसीह का आगमन इसीलिये हुआ कि,

''.....ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे । और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें मुक्त कर छुड़ा ले।'' (इब्रानियों २:१४−१५)

जैसा चाल्र्स वेस्ली ने कहा:

मेरे बंधन खुल गये, मेरा मन आजाद है;
मैं उठा, मैं गया, और उसके पीछे हो लिया।
अदभुत प्रेम! ये कैसे न हुआ होगा
कि तू, मेरे परमेश्वर, मेरे लिये न मरा होगा?
      (''एंड कैन इट बी'' चाल्र्स वेस्ली, १७०७−१७८८)

जब सचमुच आप मसीह के पास आ जाते हो तो मौत का अकेलापन आपको डराता नहीं है!

३. तीसरा, नरक के अकेलेपन के बारे में सोचो।

बाईबल एक धनी व्यक्ति के बारे में बताती है जो मसीही नहीं था। वह मरकर नरक गया। बाईबल में लिखा है,

''और अधोलोक में उस ने पीड़ा में पड़े हुए अपनी आंखें उठाई, और दूर से इब्राहीम की गोद में लाजर को देखा। और उस ने पुकार कर कहा, हे पिता इब्राहीम, मुझ पर दया करके लाजर को भेज दे, ताकि वह अपनी उंगुली का सिरा पानी में भिगो कर मेरी जीभ को ठंडी करे, क्योंकि मैं इस ज्वाला में तड़प रहा हूं।'' (लूका १६:२३−२४)

नरक में उसको पानी की बूंदो की जरूरत महसूस हुई जो उसके मुंह को गीला रख सके। उस मनुष्य की पीड़ा यह दर्शाती है कि वह नरक में कितना अकेला था। उसने पुकारा होगा पानी की कुछ बूंदो के लिये। लेकिन उसकी मदद करने कोई नहीं आया।

जैसे उस धनी के मित्र उसके लिये कुछ न कर सके वैसे ही आपके मित्र भी, आपकी कोई मदद नरक में नहीं कर सकेंगे। उस उदासी और नरक की आग वाले वातावरण में वे आपसे अलग हो चुके होंगे। आप को अकेले ही, जैसे वह धनी आदमी था, नरक में अकेलेपन की पीड़ा को भोगना है।

नरक के बंधनों को केवल मसीह खोल सकता है! वह अभी यह कर सकता है − आपके इस धरती पर जीवित रहते हुये ही। अगर आप यह लाभ मरने पर लेना चाहोगे, तो तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। अभी समय है मसीह के पास आ जाइये − तब आप भी गा उठेंगे,

प्रभु, जिन कोडों से तू घायल किया गया,
मौत के जिस डंक से तेरा दास मुक्त हो गया,
इसी कारण हम भी जीवित और गाते हैं, हाल्लेलूयाह!
      (''दि स्टइफ इज ओवर'' 'फ्रांसिस पॉट द्वारा अनुवादित, १८३२−१९०९)

मौत अपने शिकार को पकड न सकी − वह मेरा यीशु था!
उसने बेडियों को तोड डाला − वह यीशु मेरा प्रभु है!
      (''क्राइस्ट अरोज'' राबर्ट लॉउर, १८२६−१८९९)

अगर आप यीशु मसीह को ग्रहण कर लेते हो तो मौत की ये अकेला बना देने वाली बेडि़यां स्वत: टूट जायेंगी! उसके पास आइये! पाप से बाहर निकल आइये! परमेश्वर के पुत्र, यीशु मसीह के द्वारा आपके लिये नरक के अकेलेपन की बेडि़यां टूट जायेंगी!

४. तब, चौथा, मसीह के अकेलेपन के विषय में सोचो।

इस धरती पर सेवकाई करते हुये मसीह अक्सर अकेला भी रहा।

''वह लोगों को विदा करके, प्रार्थना करने को अलग पहाड़ पर चढ़ गया; और सांझ को वहां अकेला था।'' (मत्ती १४:२३)

यीशु के पीछे विशाल भीड़ हो लेती थी, किंतु वह अक्सर भीड़ को छोडकर − परमेश्वर से बात करने के लिये अकेले चला जाया करता था। वह अक्सर कहता था, ''मेरे पिता ने मुझे अकेला नहीं छोड़ा'' (यूहन्ना ८:२९ ) इस धरती की सेवकाई पर, परमेश्वर हमेशा यीशु के साथ रहा। जब वे उसे ले गये और पीटा, कांटों का ताज बनाकर उसके माथे पर रखा और उसका मजाक उड़ाया। वे उसे पहाड़ी पर खींच कर ले गये और क्रूस पर कीलों से जड़ दिया। जब वह क्रूस पर मर रहा था, परमेश्वर अपने एकमात्र पुत्र से अलग हो गया और यीशु चिल्ला उठा,

''हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया (मुझे क्यों अकेला छोड़ दिया)?'' (मत्ती २७:४६)

इन दुखदायी क्षणों में, यीशु मसीह, परमेश्वर का पुत्र, क्रूस पर अकेला छोड़ दिया गया। वह बिल्कुल अकेला हो गया था। परमेश्वर ने भी अपने पिय पुत्र से मुंह फेर लिया − और मसीह ने हमारे सारे पापों का भार स्वयं सहा − अकेले क्रूस पर। लूथर एक महान धर्मविज्ञानी कहता था, वह इस बात को कभी पूरी रीति से समझ नहीं पाया और न ही मानवीय रूप से वर्णन कर पाया।

परमेश्वर तो पाप देख भी नहीं सकता − इसलिये परमेश्वर ने यीशु से मुंह फेर लिया जब यीशु ''आप ही हमारे पापों को अपनी देह पर लिए हुए क्रूस पर चढ़ गया'' (१पतरस २:२४) इसलिये यीशु अकेला वह जन है जो पाप की उन बेडि़यों को जिनमें बंधे बंधे आप अकेले, पाप में डूबे हुये, खोयी हुई दशा में जी रहे हैं, उनको सदा के लिये तोड़ सकता है। मसीह आपको पाप के मिलने वाले दंड से भी बचा सकता है क्योंकि उसने अकेले ही क्रूस पर मनुष्य जगत के सारे पापों का बोझ सहा!

अकेले ही गेतसमनी के अंधेरे में मसीहा ने प्रार्थना की,
अकेले ही वह कड़वा प्याला पिया और दुख सहता रहा।
अकेले! अकेले! उसने सब मेरे लिये अकेले ही सहा,
उसने अपनों को बचाने के लिये स्वयं को दिया,
उसने दुख उठाया, खून बहाया, और अकेले ही मर गया।
   (''अलोन'' बेन एच.प्राईस, १९१४)

पाप मनुष्य की आत्मा में अकेलापन भर देता है। मसीह आपको उस अकेलेपन से बचाने के लिये क्रूस पर मरा। जहां आपको मरना था, वहां आपका दंड भरने के लिये वह स्वयं मरा। उसने क्रूस पर अपनी मौत को गले लगाया इसलिये केवल मसीह पाप की बेडि़यां तोड़ सकता है! पूर्ण रूप से यीशु के पास आईये और आप पाप के बोध से मुक्त हो जायेंगे!

५. किंतु पांचवे स्थान पर, मन परिवर्तन के बाद पैदा हुये अकेलेपन पर सोचिये।

मैं मसीह की तरफ आपका मन परिवर्तित नहीं करूंगा। मैं तो साधन मात्र हूं − एक प्रचारक − सही दिशा में निर्देश देने के लिये − मसीह की ओर − जैसे पिलगिम्स प्राग्रेस में इवेंजलिस्ट था। मसीह को आपको स्वयं खोजना होगा। यीशु के पास अकेले आप को जाना होगा। याकूब के उद्धार के अनुभव में हमारे सामने कितनी उपयुक्त तस्वीर हैं जब वह बिल्कुल अकेला था:

''और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरूष आकर पौ फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा।'' (उत्पत्ति ३२:२४)

वह ''व्यक्ति'' जिसके साथ सारी रात याकूब संघर्ष करता रहा वह पूर्व अवतरित मसीह था, जो याकूब के पास उस रात आया था जब वह बिल्कुल अकेला था।

आप में से कुछ के समान, याकूब भी व्यक्तिगत तौर पर यीशु को नहीं जानता था। उस रात के अंधेरे में अकेले ही वह मसीह के साथ संघर्ष करता रहा। आप को भी, स्वयं संपूर्ण रूप, में यीशु के पास आना होगा। देखिये, मैं आपका मन परिवर्तित नहीं कर सकता। मैं आपको सच्चा मसीही नहीं बना सकता। वह आपके और मसीह के बीच की बात है।

''और याकूब आप अकेला रह गया; तब कोई पुरूष आकर पौ फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा।'' (उत्पत्ति ३२:२४)

मसीह आपके पापों का दंड व मूल्य चुकाने हेतु क्रूस पर मरा। किंतु आपको स्वयं को मसीह के सामने ''समर्पण करना'' है। आप को स्वयं को मसीह को सौंप देना है। आपको अपने अहंकारी व बागी मन की बात नहीं सुननी है। एक हताश पापी के समान आपको मसीह के पैरों पर गिर जाना है। आपको स्वयं को पूरा सौंपना आवश्यक है, और उस पर संपूर्ण भरोसा करना जरूरी है। वह आपके मन को बदल डालेगा! वह पाप की बेडि़यों को तोड़ डालेगा! अपने लहू में वह आपके पापों को धो डालेगा!

अगर आप अपने बचाये जाने के बारे में और सच्चे मसीही बनने के विषय में बात करना चाहते हैं, तो अपना स्थान छोडकर आँडिटोरियम के पिछले हिस्से में आ जाईये। डॉ.कैगन आपको दूसरे कमरे में ले जायेंगे जहां हम दुआ कर सकते हैं डॉ.चॉन, आपसे निवेदन है कि आप दुआ करें कि कोई आज सुबह यीशु पर ईमान लाये। आमीन।

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया मि.ऐबेल प्रुद्योमें: सभोपदेशक४:८−१२
संदेश के पूर्व .बैंजामिन किन्केड गिफिथ द्वारा एकल गीत गाया गया:
''दसहजार स्वर्गदूत'' (रेओवरहॉल्ट, १९५९)


रूपरेखा

अकेलेपन के बंधन को तोडना

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स

''हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे'' (सभोपदेशक ४:१०)

(उत्पत्ति २१:८)

१. प्रथम, हमारे देश व सभ्यता के अकेलेपन के बारे में सोचिये,सभोपदेशक४:१०;
२तीमुथियुस३:१४; नीतिवचन१८:२४; प्रेरितों के काम२:४६−४७

२. दूसरा, मौत के अकेलेपन के बारे में सोचिये, उत्पत्ति४२:३८; भजन१०२:७;
प्रेरितों के काम१२:७; इब्रानियों२:१४−१५

३. तीसरा, नरक के अकेलेपन के बारे में सोचो, लूका१६:२३−२४

४. तब,चौथा, मसीह के अकेलेपन के विषय में सोचो, मत्ती१४:२३;
यूहन्ना ८:२९; मत्ती२७:४६; १पतरस२:२४

५. किंतु, पांचवे स्थान पर, मन परिवर्तन के बाद पैदा हुये अकेलेपन पर
सोचिये उत्पत्ति३२:२४