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डॉ. कैगन का पद

DR. CAGAN’S VERSE
(Hindi)

द्वारा डॉ. आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की प्रात:, २९ जून, २०१४ को लॉस एंजीलिस के दि बैपटिस्ट टैबरनेकल में
प्रचार किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, June 29, 2014

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा'' (१यूहन्ना २:१७)


यह वह पद था जिसके द्वारा परमेश्वर हमारे चर्च में एक व्यक्ति को लेकर आया। वह बिल्कुल जवान लड+का था, लगभग तीस साल का। वह यूसीएलए से स्नातक की उपाधि कर रहा था। वह तीस वर्ष की उम्र तक पहुंचते पहुंचते मिलियन डॉलर कमाने की योजना बना रहा था। वह दिन में तीन स्थानों पर नौकरी करता था और रात भर पढाई करता था। नहीं, वह मसीही युवक नहीं था। वह सोचता था, मसीहत केवल कमजोर दिमाग वाले लोगों के लिये हैं, उसके जैसे बुद्धिमान चुस्त दुरूस्त लोगों के लिये नहीं! वह तो धनवान और दौलतमंद होने वाला था। तब एक रात उसके मन में विचार आया, ''मैंने पश्चिमी सभ्यता की हर महान पुस्तक पढ़ी है किंतु बाईबल नहीं पढ़ी।'' वह बैठ गया और बाईबल पढ+ना आरंभ की। उसने थोडे ही समय में पूरी बाईबल पढ+ ली। पढ़ते समय यह पद उसके सामने आया। वह इस पद को अपने दिमाग से नहीं निकाल पाया। ये शब्द उछल उछल कर उसके दिमाग में आने लगे, और संसार और उस की अभिलाषा दोनों मिटते जाते हैं'' यह पद जैसे उसके मन में बस गया, जैसे उसे दिमाग को किसी भूत ने जकड लिया हो, लगभग दो सालों तक ऐसा ही चला जब तक कि एक रात वह यीशु के पास नहीं आ गया। उन्होंने कहा, ''कुछ ही सेकेंडस में, मैं यीशु के पास आ गया। मैंने उस पर विश्वास किया। यह तो बिल्कुल सरल था।'' आप उस शख्य को जानते भी हैं। उनका नाम डॉ.कैगन है − और वह इस चर्च के सहायक पास्टर है! आपने अभी अभी उनके पुत्र जॉन सेम्युअल को मेरे संदेश से पूर्व गाते सुना होगा। और जिस पद ने डॉ.कैगन को मसीही बनने के लिये प्रेरित किया वह यह है,

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा'' (१यूहन्ना २:१७)

आज की सुबह जितने भी जवान यहां है उनके लिये इस पद में एक महत्वपूर्ण सत्य छुपा है। अधिकतर लोग इसके बारे में सोचते नहीं हैं, किंतु ''यह संसार मिटता जाता है'' यह सत्य है। डॉ.ए.टी.रॉबर्टसन बताते हैं कि यूनानी में इसका शाब्दिक अर्थ ''गुजरते जाना है'' (वर्ड पिक्चर्स इन दि न्यूटेस्टामेंट, ब्राडमेन, १९३३, पेज २१४) यह संसार ''मिटता जा रहा है।'' यूनानी शब्द ''कॉसमॉस'' से ''जगत'' शब्द बना है। यह इस जगत के तंत्र की ओर संकेत करता है जो शैतान के नियंत्रण में है। जगत की चीजें और इसके विचार सभी कुछ शैतान अपने नियंत्रण में रखता है। यह सब समाप्त होते जाना है! केवल वे लोग सदा बने रहेंगे जो परमेश्वर की इच्छा को मानते हैं!

यह पद दो बिंदुओं में बंटा हुआ है। और मैं चाहता हूं आज सुबह यहां प्रत्येक जवान इसके बारे में सोचे। इस पद ने डॉ. कैगन के उपर अमिट छाप छोडी थी। डॉ. कैगन जो हमारे सहायक पास्टर हैं, एक समय में नास्तिक थे। अब यह उनके जीवन परिवर्तन का पद बन चुका है। मेरी प्रार्थना है कि यह आप पर भी बडा गहरा प्रभाव छोडे+गा।

१. प्रथम, यह संसार मिटता जाता है।

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते है'' (१यूहन्ना २:१७अ)

डॉ.रिनेकर कहते हैं, ''यह मिटते जाने की प्रकिया है'' (लिंग्युस्टक की टू दि ग्रीक न्यू टेस्टामंट, जोंडरवन, १९८०, पेज ७८८) ।

आप में से कुछ ने इसे देखा भी होगा। हाई स्कूल की मित्र साथ साथ स्नातक करते हैं। आप कहते हैं कि आप अपने मित्रों से फिर मिलेंगे, किंतु कुछ ऐसा समय बीतता जाता है कि आप उनसे नहीं मिल पाते हैं। जिन मित्रों को आप अपने करीब पाते थे वे अब सब जा चुके हैं। कॉलेज से स्नातक होते होते ऐसा होना आम बात है। स्कूल में भी यह बातें आपके साथ बीत सकती है। एक जवान लड+की ने एक बार कहा, ''ऐसा लगता है हर कोई मेरे विरूद्ध है।'' उसने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा, परन्तु ऐसा हुआ। अपने स्कूल के बारे में बातें करते हुये उसने कहा, ''मैं स्कूल में वापस जाकर बहुत खुश हूंगी।''

कई जवान बच्चे स्नातक होते होते अपने स्कूल के मित्रों से अलग हो जाते हैं। और स्नातक के बाद तो − दशा और अधिक खराब हो जाती है। आप कहते जरूर हैं कि ''आप उनके संपर्क में रहो'' परन्तु ऐसा होता नहीं है। ऐसा कभी नहीं होता है, आप जानते है ।

जोश मेकडॉवेल इशारा करते हैं कि, ''प्रत्येक छात्र को अपने मित्रों से बिछडने या उनको खोने का दुख झेलना पडता है'' (दि डिसकनेक्टेड जनरेशन, वर्ड, २०००, पेज१५४) वह बताते हैं कि ऐसा पांच कारणों से होता है:

१. जब वे किसी अन्य स्थान पर चले जाते हैं या उनके मित्र कहीं चले जाते हैं।
२. जब उनके मित्र उन्हें अस्वीकार कर देते हैं।
३. जब उनका परिवार बिखर जाता है।
४. जब एक प्रेम संबंध खत्म हो जाता है।
५. जब मित्र या परिवार का कोई सदस्य मर जाता है। (उक्त पेज १५५−१६०)

उन्होंने एक छटवां मार्ग भी बताया है जिससे जवान लोगों में अलगाव पैदा होता है।

६. जब वे स्नातक हो जाते हैं।

हां, वह सही कहते हैं जब ऐसा कहते हैं, ''कि प्रत्येक छात्र को अपने मित्रों से बिछडने या उनको खोने का दुख झेलना पडता है।'' यह आपके साथ भी होने जा रहा है − एक न एक रूप में। क्यों? क्योंकि यह संसार पहले से ही ''मिटने की प्रकिया में हैं'' (रिनेटर, संदर्भित)

मेरी पत्नि इलियाना और मैं कुछ वर्ष पहले मिस्र में थे। हम विशाल पिरामिड के शीर्ष पर पहुंचे अंदर के रास्ते से होते हुये, जो रास्ता फिरौन राजा के दफनाये जाने वाले कक्ष के पास से होकर जाता है। मुझे ऐसा कहा गया कि आप पिरामिड पर से नहीं जा सकते, लेकिन हम ने जाकर दिखाया। आप पिरामिड पर से देख सकते हैं। यह अभी भी भव्य प्रतीत होता है यद्यपि यह समय बीतने के साथ उजड भी गया है। वह महान सभ्यता जिस पर फिरौन राज्य किया करते थे, जाती रही। अब तो वहां के लोग बहुत गरीब व पिछडे हुये हैं एक समय इस संसार में मिस्र सबसे महानतम देश हुआ करता था। किंतु वह सब बातें बीत गई हैं। कुछ नहीं बचा है सिवाय कमजोर पडते पिरामिडों के। यहां तक कि दफनाये जाने वाला कक्ष भी खाली है। बर्बर लोगों ने फिरौन की ममी नष्ट कर दी थी और उसका दफन खजाना भी लंबे समय पूर्व ही चुरा लिया। जब हमने उस आधे जीर्णशीर्ण पिरामिड को देखा, तो सोचा,

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते है'' (१यूहन्ना २:१७अ)

जब इलियाना और हमारे पुत्र और मैं इंग्लैंड में ही थे हम वेस्टमिंस्टर एबे भी गये थे। यहां सदियों से महान कहलाये जाने वाले अंग्रेज दफन थे जिनमें महान कवि, प्रवक्ता और सैन्य लोगों की कब्रें हैं। इन लोगों ने प्रसिद्ध लडाइयां लडी, प्रसिद्ध पुस्तकें लिखी, और संसार की महानतम कहलाये जाने वाली कवितायें लिखी। अब इन पत्थरों के नीचे उनकी हडिडयां दफन हैं, उस फर्श के नीचे, उन दीवारों के नीचे, उस भव्य इमारत के भीतर महानतम लोग दफन हैं। मद्धिम रोशनी का प्रकाश सर्वत्र बिखरा हुआ है और उस दोपहर जब हम वेस्टमिंस्टर एबे में से होकर गुजरे एक गहरी खामोशी उस इमारत में पसरी हुई थी। उसी क्षण मेरे दिमाग में यह पद कौंधा,

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते है'' (१यूहन्ना २:१७अ)

डॉ.जे.वर्नान मैगी ने कहा था,

एक भव्यता इन सब लोगों के साथ, एक समय जुडी हुई थी किंतु समय बीतने के साथ वह नष्ट हो गई। आज इंग्लैंड संसार में तीसरी ताकत के रूप में माना जाता है.....इसकी बहुत सारी महानतम बातें और अभिलाषायें मिटती चली गई। आज (राजा) हेनरी ८ की अभिलाषा कहां है? वह वहां किसी कब्र में दफन में है। जरा उन भव्यताओं के विषय में सोचो जो वेस्टमिंस्टर (एबे) में दफन है - सब मिट जाता है (डॉ.जे.वर्नान मैगी टी.एच.डी., थ्रू दि बाईबल थॉमस नेल्सन, १९८३, वॉल्यूम ५, पेज ७७६)

चर्चिल ने बिटिश साम्राज्य को बचाने की भरसक कोशिश की थी, किंतु जब तक उन्होंने उनकी चेतावनियों को सुना तब तक साम्राज्य को बचाने में बहुत देर हो गई थी। बड़े भारी संघर्ष के बाद वे इंग्लैंड को नाजी और इंग्लैंड से बचाने में कामयाब रहे।

और ऐसा ही अमेरिका के साथ भी होगा। हमारा समय भी समाप्त हो जायेगा। हमारी सभ्यता खत्म हो जायेगी। कई विद्वान कह रहे हैं कि हम तो अमेरिका का अंत अभी से देखना आरंभ कर रहे हैं।

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते है'' (१यूहन्ना २:१७अ)

हाई स्कूल खत्म हो जायेगा। आप फिर अपने मित्रों को दुबारा नहीं देख सकोगे। कॉलेज खत्म हो जायेगा। वे मित्र भी जाते रहेंगे। एक के बाद एक आपके परिवार के लोग भी − मरते जायेंगे आपकी मां, आपके पिता, अन्य रिश्तेदार। सब मिट जायेंगे। अंत में, आप भी खत्म हो जाओगे।

ऐसा मेरे साथ भी हुआ। हाई स्कूल व कॉलेज के सब मित्र बिछड गये। एक के बाद एक परिवार के लोग भी मरते गये। ऐसा मेरे साथ भी हुआ। हाई स्कूल व कॉलेज के सब मित्र बिछड गये। एक के बाद एक मेरा परिवार खत्म हो गया - मेरे पिता, मेरी मां, मेरे सब रिश्तेदार मरते गये एक दिन मैं भी चला जाउंगा।

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते है'' (१यूहन्ना २:१७अ)

तब इस बात का कोई अर्थ नहीं रह जायेगा कि आपने किस कॉलेज से पढाई की थी। तब यह बात बेमानी हो जायेगी कि कितना पैसा आपने कमाया। तब इस बात का भी कोई महत्व नहीं रह जायेगा कि कितनी सफलता आपने हासिल की थी। ये सब बातें मिट जायेंगी। किसी बात का कोई अर्थ नहीं रहेगा, ''क्योंकि इस संसार का चलन मिटता जाता है'' (१कुरूंथियों ७:३१)

''और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।'' (याकूब४:१४ )

एक पास्टर और मैं द्वितीय विश्व युद्ध की फिल्म के कुछ अंश टी.वी.पर देख रहे थे। उस पुरानी फिल्म के कुछ हिस्से के संवाद मार्था जेलहार्न, सन १९४० की प्रसिद्ध जर्नलिस्ट ने बोले थे। मैंने पास्टर से पूछा, क्या आप इस जर्नलिस्ट को जानते हो?'' ''नहीं'' उनका जवाब था। ''कौन थी वह?'' ''वह अर्नेस्ट हेमिंग्वे की तीसरी पत्नी थी।'' हेमिंग्वे संसार के प्रसिद्धतम उपन्यासकार थे। उनके कई उपन्यासों पर बड़ी चलित फिल्में बनी थीं। राष्ट्रपति कैनेडी ने उन्हे अपने यहां उदघाटन समारोह में बोलने के लिये आमंत्रित किया था। किंतु वह नहीं आ पाये थे। उसकी पत्नी मार्था जेलहार्न एक प्रसिद्ध जर्नलिस्ट थी। अब कोई नहीं जानता वह कौन थी! और शायद ही कोई हेमिंग्वे को इतना याद करता है,

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते है'' (१यूहन्ना २:१७)

आप को हेमिंग्वे के समान साहित्य में पुलित्जर पुरूस्कार मिल सकता है। इससे क्या फर्क पड़ जायेगा? आप मार्था जेलहार्न के समान टाईम मैगजीन में लिख सकते थे। कौन इसे याद रखेगा? कुछ सालों बाद कौन इसे जानेगा? कौन याद रखेगा आप बायोंस या मिले साइरस के समान जाने माने गायक हो सकते हैं। कुछ सालों बाद आपका नाम कौन जान रहा होगा? कौन परवाह करेगा आपकी? किसको क्या अंतर पड़ेगा?

नर्क में पहुंचकर आप अपनी आंखे उठाओगे तो कहने लगोगे, ''सचमुच कितनी सच बात थी वो! मैं ही मूर्ख था जो मैंने यह पद नहीं सुना!''

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते है'' (१यूहन्ना २:१७अ)

२. परन्तु दूसरी बात, जो व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है सदैव जीवित रहेगा।

पद कहता है,

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा'' (१यूहन्ना २:१७)

पद का दूसरा हिस्सा बताता है कि परमेश्वर किसको चाहता है कौन है वह जो परमेश्वर की इच्छा पूर्ण करता है और ''सदैव बना रहता है।'' ''बने रहना'' अर्थ यूनानी शब्द से अनुवादित होकर आया है इसका अर्थ यह भी है कि, ''ठहरे रहना निरंतर बने रहना उसी में रहना'' (स्ट्रांग)। हम इसका अनुवाद इस रूप में कर सकते हैं, ''जो परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है वह सदैव बना रहेगा।''

जो कुछ इस संसार में रहते हुये शारीरिक रूप में महसूस करते हैं वह सब मिट जायेगा। यह सब नष्ट हो जायेगा। किंतु वह जन जो परमेश्वर की इच्छा का सम्मान करते हुये वही करता है जो परमेश्वर उससे करवाना चाहता है, तो वह सदैव जीवित रहेगा। परमेश्वर के वचन में कितना अदभुत वायदा किया गया है!

''पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता (बने रहता) है, वह सर्वदा बना रहेगा'' (१यूहन्ना २:१७ब)

इस आराधना के प्रारंभ होने पर एक पुराना सुसमाचारीय गीत गाया गया जो पूर्ण सत्य है! यह स्वर्ग के विषय में बताता है!

मेरे प्यारे मित्र वहां होंगे, आनंद एक नदी के समान आसपास बहेगा;
   मेरे ईश की एक मुस्कान मैं जानता हूं, मेरे लिये बरसो तक महिमा ठहरेगी।
वह मेरे लिये महिमा ठहरेगी, महिमा मेरे लिये, प्रभु की महिमा मेरे लिये।
   तब उसके अनुग्रह से मैं उसके चेहरे को निहारूंगा, वह मेरे लिये महिमा ठहरे।
(सचमुच वह मेरे लिये महिमा ठहरेगी चाल्र्स एच.ग्रेबिएल, १८५६−१९३२)

इतना बड़ा वायदा इस गीत में केवल उनके लिये हैं जो परमेश्वर की मर्जी पूरी करते हैं।

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा'' (१यूहन्ना २:१७)

तो ''परमेश्वर की मर्जी'' क्या है जिसे हमें सदैव जीवित रहने के लिये पूरी करना है? यीशु ने इस विषय में कहा था,

''क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।'' (यूहन्ना ६:४०)

''पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता (बने रहता) है, वह सर्वदा बना रहेगा''। ''क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करें, वह अनन्त जीवन पाए और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।'' हर एक जन जो (विश्वास से) यीशु मसीह की ओर देखता है और उस पर संपूर्ण रूप से विश्वास करता है, अनंत जीवन को धारण करता है। यह यीशु मसीह का वायदा है − और प्रभु कभी असत्य वचन नहीं बोलता!

आपके लिये यह परमेश्वर की इच्छा है कि आप यीशु पर विश्वास लायें। जब आप संपूर्ण मन से उसकी ओर फिरते हो, आप तत्क्षण बचाये जाते हो। मरने के उपरांत आपको अनंत जीवन नहीं मिलेगा। अरे सचमुच! आपको इसी क्षण अनंत जीवन मिलता है − जब आप पूर्ण रूप से यीशु मसीह पर विश्वास रखते हो, जो परमेश्वर का पुत्र है। यीशु ने कहा,

''और मैं उन्हें अनन्त जीवन (इसी समय) देता हूं और वे कभी नाश न होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा।'' (यूहन्ना१०:२८)

परमेश्वर की इच्छा आप के लिये यह है कि आप पाप से मन फिरायें और पूरे मन से यीशु पर विश्वास लायें। मसीह आपके पापों का दंड चुकाने के लिये क्रूस पर मरा। वह मरे हुओं मे से जीवित हुआ। अब वह जीवित है और परमेश्वर के दाहिने हाथ स्वर्ग में विराजमान है। जब आप यीशु के पास आते हैं, वह अपने जीवनदायक लहू से आपके पापों को शुद्ध कर देगा। तब आप शाश्वत काल की महिमा में सदा के लिये उसके साथ निवास करेंगे।

निष्कर्ष

''और संसार और उस की अभिलाषा दोनों मिटती जाती है।'' यह संसार प्रति क्षण नष्ट भी होता जाता है। आपने अपने पहले के मित्रों को शायद खो दिया होगा। जब आप स्कूल से निकलते हैं तो कितने ही मित्र छूट जाते हैं। जब आप कॉलेज पूर्ण करते हैं तब भी मित्रों को खो देते हैं। आप जीवन के संग्राम में मित्रों को खो बैठते हैं। जब आपके मित्र मर जाते है तब आप उन्हें खो देते हैं। जल्द ही सारे मित्र भी जाते रहेंगे, किसी न किसी रूप में, केवल वे ही मित्र ठहर पायेंगे जो सच्चे व नया जन्म प्राप्त मसीही हैं। आपके मित्र जिनका नया जन्म हो चुका है, आप उन्ही की मित्रता से परमेश्वर के राज्य में आनंदित होंगे! यही कारण है जब हम कहते हैं, ''अकेले क्यों महसूस करना? चर्च आइये! मसीह के पास आइये!'' आप और आपके बचाये गये मित्रों को अनंत जीवन प्राप्त होगा। जब आप स्वर्ग पहुंचेंगे तो आप एक दूसरे को जानेंगे। आप हमेशा हमेशा के लिये उनकी मित्रता का आनंद उठायेंगे। कितना अदभुत वायदा है!

परन्तु आपको परमेश्वर की मर्जी पूरी करना आवश्यक है। आप को पापों से मन फिराना और यीशु मसीह के पास आना आवश्यक है, ''परमेश्वर का मेम्ना, जो जगत के पाप उठाकर ले जाता है।'' (यूहन्ना १:२९)

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा

पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा'' (१यूहन्ना २:१७)

क्या आप संसार व पाप को त्यागेगें और यीशु के पास आएंगे? यीशु आपको अपने पास बुलाता है। वह आपसे कहता है,

''हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।'' (मत्ती११:२८)

लारा नामक एक लडकी की गवाही सुनिये। वह यहां आराधना में भी मौजूद है। लारा, निवेदन है कि आप खड़ी हो जायें। आप अब बैठ सकती हैं। लारा ने बोलना प्रारंभ किया,

     मैं २८ अप्रेल, २०११ को चर्च आई। चर्च में मुझे बहुत आत्मीय वातावरण मिला किंतु इससे मेरे पापों का बोझ हल्का नहीं हुआ। जब मैंने डॉ.हिमर्स को प्रचार करते सुना, मुझे पहले संदेश में ही मेरे पापों का बोध हो गया। मुझे लगा कि यह संदेश जैसे मेरे लिये ही बोला गया हो और डॉ.हिमर्स मुझे ही सीधे प्रचार कर रहे हों। दो सप्ताह तक, मैं भारी मन के साथ घर लौट जाती थी, तब मैंने पूछताछ कक्ष में भी जाना प्रारंभ कर दिया। प्रचार और पूछताछ कक्ष की सहायता से, मुझे मेरे पाप बहुत बुरे लगने लगे। मुझे मेरे पापों से नफरत होने लगी। मैंने स्वयं को मलिन, दुष्ट, नकारा और बैचेन पाया और मुझे महसूस होने लगा कि मेरे अंदर कुछ भी अच्छी बात नहीं बची है। मैं जान गई थी कि मेरे पापों के कारण मुझे नरक में ही जगह मिलेगी। कई दिनों तक, मैं सो नहीं पाई और मुझे अपने पापों में ही मर जाने का भय सताने लगा। प्रत्येक रात, मैं बहुत ईमानदारी से परमेश्वर से दुआ मांगती कि वह मुझ पर दया करे।
     मैं कितनी भी तुच्छ पापी लडकी थी किंतु मैंने प्रभु से मुझ पर दया करने की प्रार्थना करना नहीं छोडा। इसके साथ ही मैंने यीशु से अपने पापों की क्षमा मांगी और उनके लहू से मेरे पापों को धो देने की विनती की।
     १८ जून, २०११ को शनिवार की शाम, डॉ.हिमर्स ने अपने प्रचार में कहा, ''यीशु आपसे प्यार करता है।'' यीशु का प्यार पहली बार मेरे जीवन में मुझे सत्य प्रतीत हुआ। मुझे बचाने के लिये मसीह द्वारा सही गई हर यातना मेरी जैसी पापिनी लडकी के लिये सच हो गई। जब उन्होंने मुझे पूछताछ कक्ष में बुलाया, मैंने पहली बार यह जाना कि यीशु सचमुच मुझे प्यार करते हैं। जब डॉ.कैगन ने मुझे यीशु के पास आने के लिये आमंत्रण दिया, मैं विश्वास से यीशु के पास आई और यीशु ने मुझे बचा लिया! उसके लहू ने मेरे पापों को धो दिया! क्रूस पर उसका दुख उठाना उसके प्रेम का प्रतीक था जो उसने मुझसे किया। पहली बार, मेरी आंखों में भावनाओं के कोई आंसू नहीं थे। मैं साधारण विश्वास रखकर मसीह के पास आई, और उसने मुझे बचा लिया।

अभी पूछताछ कक्ष में जाइये। इस आडिटोरियम के पीछे जाइये और डॉ.कैगन आपको उस कमरे में ले जायेंगे, जहां हम आपके लिये प्रार्थना करेंगे और बात करेंगे। डॉ.चान, निवेदन है कि आप प्रार्थना करें ताकि आज सुबह कोई यीशु के उपर विश्वास लाये। आमीन

(संदेश का अंत)
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रूपरेखा

डॉ. कैगन का पद

द्वारा डॉ. आर.एल.हिमर्स

''और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा'' (१यूहन्ना २:१७)

१. प्रथम यह संसार मिटता जाता है, १यूहन्ना २:१७अ; १कुरूंथियों ७:३१;
याकूब ४:१४

२. परन्तु दूसरी बात, जो व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है सदैव
जीवित रहेगा, १यूहन्ना २:१७ब; यूहन्ना ६:४०; १०:२८; १:२९;
मत्ती ११:२८