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भीड में स्त्री

THE WOMAN IN THE CROWD
(Hindi)

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की संध्या‚ २ मार्च २०१४ को लॉस एंजीजिस के दि बैपटिस्ट टेबरनेकल में प्रचार
किया गया संदेश
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, March 2, 2014

''उस ने उस से कहा, पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है; कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह।'' (मरकुस ५˸३४)


यीशु ने एक पागल के अंदर से दुष्ट आत्मा को निकाला वह पागल मनुष्य गलील की झील के दक्षिण पूर्वी तरफ रहता था। लोगों ने वहां यीशु से कहा कि उसे वहां से निकल जाना चाहिये। यीशु जहां नहीं रूकना चाहता है वहां से निकल जाता है, इसलिये उसने वह स्थान छोड दिया, झील के पार जाकर, वह दुबारा पश्चिमी छोर पर चला गया। जल्द ही भीड आकर उसके आस पास जमा होने लगी। अचानक एक आदमी बदहवास सा दौडता हुआ आया और लोगों को धकेलते हुये यीशु के पास पहुंचा। वह यीशु के पैरों पर गिर पडा और विनती करने लगा कि उसकी छोटी बेटी मरने पर है। उसने यीशु से याचना की कि साथ चलकर उसकी बेटी के सिर पर हाथ रख दे ताकि ''वह चंगी होकर.......जीवित रहे'' यीशु उस आदमी के साथ हो लिया, और भीड भी उसके पीछे पीछे चली, भीड उसे दबाती जा रही थी जैसे जैसे वह आगे बढा।

उस भीड के बीच में एक बीमार स्त्री थी। उसे लहू बहने का रोग था, बारह वर्षो से वह इस रोग से पीडित थी। उसने कई डॉक्टरों को दिखाया, और जितना भी पैसा उसके पास था सब बीमारी के इलाज में खर्च कर दिया, किंतु उसकी हालत और खराब होती गई। उसने सुना था यीशु लोगों को चंगाई देता है। उसने भीड में से रास्ते बनाते हुये लोगों को धकेलते हुये यीशु के वस्त्रों को छू लिया। उसी क्षण उसका लहू बहना रूक गया और वह शरीर में चंगी हो गई। यीशु ने अपने भीतर से सामर्थ निकलते हुये महसूस की और पूछा, ''किसने उसे स्पर्श कियाॽ” चेलों ने कहा कि इतनी भीड में तो कई लोग उसे छू रहे हैं।

''तब वह स्त्री यह जानकर, कि मेरी कैसी भलाई हुई है, डरती और कांपती हुई आई, और उसके पांवों पर गिरकर, उस से सब हाल सच सच कह दिया'' (मरकुस ५˸३३)

और यीशु ने उससे कहा, ''तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है।''

यीशु ने जितने भी लोगों को चंगाई दी वह प्राथमिक तौर पर यह बताती है कि कैसे वह हमारी आत्माओं को भी चंगाई दे सकता है परिवर्तित कर सकता है। अगर आज सुबह आप अगर बचायी गयी दशा में नहीं हैं तो इस स्त्री की चंगाई और परिवर्तन वाली घटना पर अवश्य गौर करें। मैं उसके परिवर्तन के उपर चार महत्वपूर्ण सबक आप को बताने जा रहा हूं जो परमेश्वर आपके जीवन में भी बदलाव लाने के लिये प्रयोग करेगा - अगर आप ध्यान से सुनेंगे तब!

१. प्रथम, वह वास्तव में चंगी होना चाहती थी।

वह वहां ऐसे ही नहीं घूम रही थी। लोग गंभीरता का आवरण पहनकर ''बचाये जाने'' का बहाना करते हैं। इसलिये पुराने इवेंजलिस्ट ऐसे लोगों के लिये कहते हैं कि वे बस इधर उधर की बातें करके घुमाते रहते हैं, वे केवल मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछते रहते हैं बचने की उनकी स्वयं की कोई इच्छा नहीं होती है। ऐसे मूर्ख ''बहानेबाज'' कहीं भी नहीं पहुंचते। वे उस मनुष्य के समान हैं जो यीशु से पूछता है,''क्या उद्धार पाने वाले थोडे हैं?'' (लूका १३˸२३) यह एक मूर्ख प्रश्न है - साधारण सा, महत्वहीन। उसने तो केवल थोडी सी जिज्ञासावश पूछा था। उसके लिये यह जानना शायद इतना आवश्यक भी नहीं था। वह तो मात्र एक ''बहानेबाज'' था।

उसके समान ही कई लोग हमारे पूछताछ कक्ष में पहंचते हैं। वे कुछ प्रश्न पूछते हैं। वे थोडी बात करते हैं। किंतु अपना जीवन बचाये जाने के बारे में वे इतने गंभीर नहीं हैं। आप जान जाते हैं कि वे इतने गंभीर नहीं हैं क्योंकि पूछताछ कक्ष से बाहर निकलते ही वे हंसी मजाक करने लगते हैं। वे अपने बचाये जाने के लिये सचमुच में इतने गंभीर नहीं हैं। वे केवल मूर्ख बना रहे हैं। वे तो केवल ''बहानेबाज'' हैं। इसलिये बाईबल इनके विषय में कहती है,

''और सदा सीखती तो रहती है पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचती'' (२ तिमुथयुस ३˸७)

ऐसे लोगों को मसीह कभी नहीं मिलता क्योंकि वे उसे ईमानदारी से खोजते नहीं। वे मसीह को खोजने के लिये उत्साही, लगनशील, ललायत नहीं थे। वे उत्तेजित नहीं थे, वे मसीह को खोजने के उत्सुक नहीं थे। वे तो केवल उत्साहहीन, नमकीन, मोटे मन के ''बहानेबाज'' होते हैं - जो सदैव ''सीखते ही रहेंगे पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचते।'' पूछताछ कक्ष से बाहर निकलने के पांच मिनिट के अंदर ही आप देख सकते हैं कि उन्हें मसीह को खोजने की कोई उत्कंठा नहीं थी। वे तो केवल मूर्ख बना रहे होते हैं। वे उत्साहहीन ''बहानेबाज'' हैं। वे तब तक अपने बचाये जाने के लिये गंभीर नहीं होंगे जब तक कि वे नरक की यातना को आंख उठाकर न देख लेंगे। परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी होगी! उन्होंने अपना जीवन यूं ही गंवा दिया जब कि उन्हें अनंत जीवन में प्रवेश नहीं मिला।

अब इन ''बहानेबाजों'' की तुलना में इस महिला का वर्णन पढिये। वह अपने शरीर में बहते हुये लहू को रोकने के लिये बहुत चिंतित थी। वह बडी लगन से उपाय खोज रही थी। वह उन लोगों के समान थी जिन्हे यीशु आज्ञा देते हैं, ''सकेत द्वार से प्रवेश करने का यत्न करो'' (लूका १३˸२४) यहां ''यत्न करो'' शब्द यूनानी भाषा के अगोनीजोमाई शब्द से निकला है। ''पीडा'' शब्द इसी से निकला है। अब, क्या यही शब्द महिला के लहू बहने वाले रोग की पीडा को नहीं दर्शाता? क्या वह बचने के लिये यत्न नहीं कर रही थी? क्या वह बचाये जाने से पहले उस पीडा से होकर नहीं गुजरी? वह एक के बाद एक डॉक्टरों के पास जाती रही। उसने ''कई डॉक्टरों के इलाज को सहा होगा।'' उन्होंने जरूर अपने दर्द भरे उपचार उसे बताये होंगे - जो सचमुच कष्टदायक होंगे। चूंकि उस समय बेहोशी की कोई दवा भी नहीं थी उन्होंने उसका होश की अवस्था में ही कोई आँपरेशन किया होगा! उन्होंने उसे ऐसी दवाइयां दी होंगी जो जहर के तुल्य होगी और जिनसे उसे कोई लाभ नहीं हुआ! इस तरह इस महिला ने अपनी सारी बचत इन बेकार ''दवाइयों'' पर खर्च कर दी।

इसमें कोई शक नहीं कि उस दिन उस महिला का मन परिवर्तन भी हो गया! वह अपने बारे में बहुत अधिक गंभीर व सावधान थी। उसने महसूस कर लिया था कि उसका बचाया जाना अति आवश्यक है! क्या आप जानते हैं, ऐसे ही जन बचाये जाते हैं। क्योंकि ''बहानेबाज'' तो अपनी खोई हुई दशा में ऐसे ही चलते रहते हैं। परन्तु जो गंभीर व ईमानदार हैं और खोई हुई दशा से उबरना चाहते हैं वे यीशु को जल्दी पा लेते हैं। हां - हमेशा! ''तुम मुझे पाओगे भी!''

''तुम मुझे ढूंढोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने संपूर्ण मन से मेरे पास आओगे।'' (यिर्मयाह २९˸१३)

तुम मसीहा को पाओगे! तुम पाओगे! तुम पाओगे! परन्तु तभी जब तुम उसे ''अपने संपूर्ण मन से खोजोगे''- इस लहू बहने के रोग से ग्रसित महिला जितनी लगन से!!! वह सचमुच अच्छा होना चाहती थी! वह इस बारे में हमेशा सोचा करती थी! क्या आप अपने बारे में पूरे समय सोचते हैं? क्या आपकी खोई हुई दशा के लिये आपको चिंता है? क्या इसकी चिंता आपको लगातार सताती है? इसकी चिंता आपको करनी चाहिये!

२. दूसरा, वह महिला जिन वैद्यों के पास गई उनसे उसे मदद नहीं मिली।

मैंने पहले ही इन डॉक्टरों का जिक्र किया है। किंतु थोडे शब्द मैं उनके बारे में कहूंगा। मुख्य बात यह है - कि कोई भी उसे अच्छा नहीं कर पाया! वे सब उसकी मदद नहीं कर पाये - बल्कि उसकी दशा और खराब होती चली गई।

कभी कभी हमारे यहां जवान लोग चर्च आते हैं और अपनी आत्मा के बारे में चिंता करते हैं। वे अपने पापों के बारे में, और अनंत जीवन के लिये चिंता करते हैं। किंतु जब वे अपने खोये हुये मित्रों की संगति में जाते हैं और उन्हें अपने बारे में बताते हैं तो जरूर ही, वे गैर-विश्वासी मित्र इतने चिंतित नहीं होते हैं, और वे इन जवान लोगों को भी चर्च आने से रोकते हैं। इसलिये, ये खोये हुये मित्र भी मानो उन डॉक्टरों के समान थे जो लहू बहने के रोग से ग्रसित स्त्री को अच्छा नहीं कर सके। उन्होंने उसे अच्छा करने के बजाय उसकी हालत और खराब होने दी और सारा पैसा ले लिया!

कभी कभी जब जवान लोगों को अपने पापों का बोध होने लगता है तो वे किसी अन्य पास्टर के पास पहुंचते हैं, जो उन्हें झूठी दिलासा देते हैं। मैं चाहता हूं कि ऐसा कदापि न हो, परन्तु आजकल इतने दुष्ट प्रचारक हो गये हैं, जो बाईबल में बताये गये इन डॉक्टरों के ही समान हैं। वे खुशी खुशी आपका चंदा ले लेते हैं - वे केवल आपका पैसा चाहते हैं! परन्तु आपकी पास से ग्रसित आत्मा से छुटकारा दिलाने में उनकी कोई रूचि नहीं है!

कई साल पूर्व मैं एक स्थान पर प्रचार कर रहा था। जब मैं प्रचार कर चुका तो तीन किशोर गुप्त में मेरे पास आये, उनमें से एक लडका था और दो लडकियां। उन्होंने मुझे कुछ ऐसा बताया कि मैं समझ गया कि वे खोये हुये जवान थे। वे उस समय तक बचाये नहीं गये थे। वे रो रहे थे, व उनके भीतर अपने पाप को लेकर गहरा बोध था। प्रचार समापत होने के बाद भी मैंने उनसे कई बातें कही, जब तक कि वे तीनों स्पष्ट रूप से बचाये हुये प्रतीत नहीं होने लगे। वे अपने घर खुशी खुशी लौटे और अपने पास्टर को बताया कि जिस सभा को मैं ले रहा था वे उसमें बचाये गये। उस पास्टर ने अगली सुबह मुझे फोन किया। वह फोन पर बार बार चीख रहा था- ''मैं तुम्हें नहीं मानता! मैं तुम्हे नहीं मानता! नहीं मानता हूं!'' (‘‘नहीं मानता'' अर्थात ''तुम्हे अस्वीकार करता हूं!'' ''मैं तुम्हें त्यागता हूं!'') किसी ने मुझे बाद में बताया कि उस पास्टर को मुझसे जलन थी क्योंकि वह उन जवान बच्चों को बचाने का श्रेय स्वंय लेना चाहता था! वह बेचारा, कमजोर विचारों वाला पास्टर खोये हुये जवान बच्चों को नरक की ज्वाला से बचा लाने के लिये मुझे ''अस्वीकार'' कर रहा था! उसके बाद यह स्वधर्मी मूर्ख पास्टर तब तक उबलता रहा जब तक कि उसने ये सभायें बंद न करवा दी। जब वह परमेश्वर के अंतिम न्याय का सामना करेगा। तब उसे इस बात का लेखा देना होगा! परमेश्वर के सिंहासन, के सामने अंतिम न्याय के दिन! जिस पास्टर ने यह घटना की वह प्राटेस्टैंट था, वह इतना ही बुरा था, किंतु एक, रोमन कैथोलिक पुरोहित से अधिक बुरा था! उसके जैसे आज अन्य और भी प्रचारक हैं। परमेश्वर आपको ऐसे झूठे प्रचारकों से बचा कर रखे! परमेश्वर ने ऐसे प्रचारकों के लिये यही कहा है,

''जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्पप्न देखने का झूठा दावा करके भविष्यवाणी करते हैं; उन से मेरी प्रजा के लोगों को कुछ लाभ न होगा'' (यिर्मयाह २३˸३२)

कुछ ऐसे बैपटिस्ट प्रचारक भी हैं जो आपको गलत सलाह देंगे - वे कहेंगे इस चर्च को छोडकर उनके चर्च में आ जाना चाहिये - ताकि वे आपके चंदे को हथिया सके! आपकी मेहनत की कमाई! मैं ऐसे प्रचारकों को ''भेड चुरानेवाला'' और झूठे प्रचारक कहता हूं! ऐसे लोगों के बारे में सोचकर मुझे उब आती है! वे ऐसे डॉक्टरों के समान हैं जो इस महिला के लहू बहने के रोग को अच्छा न कर सके!

३. तीसरा, उसका शरीर चंगा हो गया जब उसने यीशु के वस्त्रों को छुआ।

वह बडी भीड में से होते हुये मसीहा के पास पहुंची। लोगों की भीड उसे दबा रही थी क्योंकि वहां बहुत लोग जमा थे - वे यीशु के आस पास जमा थे - ताकि यीशु को चमत्कार करता हुआ देखें! यद्यपि उनमें से कइयों ने यीशु को छुआ भी था, परन्तु केवल इस महिला को यीशु की सामर्थ ने निकलकर चंगा किया। अन्य दूसरे मौंको पर जितने ''उसे छूते थे, सब चंगे हो जाते थे'' (मरकुस ६˸५६) परन्तु इस समय यह महिला ही अच्छी हुई। हम कह नहीं सकते कि ऐसा क्यों हुआ। शायद उनमें से कई ''परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार'' चुने हुये नहीं थे (१पतरस १˸२)

मेरा ऐसा मानना है कि उसके मन की जाग्रत अवस्था के कारण उसे शारीरिक चंगाई मिली। हरेक पापी के समान, वह भी ''अपने पाप व अधर्म में मरे हुये'' के समान थी (इफिसियो २˸१) जो पाप में मरे हुये जन होते हैं उन्हें यीशु के पास आने के लिये सामर्थ की आवश्यकता होती है। कुछ इसे ''नया जन्म'' कहते हैं। ऐसा कहना गलत है। मैं इसे ''जाग्रति'' कहना पसंद करूंगा। ऐसा ही प्रेरित पौलुस ने कहा था जब हम वचन में पढते हैं,

''हे सोनेवाले जाग और मुरदों में से जी उठ; तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी'' (इफिसियों ५˸१४)

जब आप पवित्र आत्मा के द्वारा जगाये जाते हैं, तो आपको आपके पापों का ज्ञान हो जाता है। आप को यह महसूस होगा कि आप बेकार ही पापों के दास बने हुये हैं। आप को यह अहसास होगा कि आप ''पापों में मरे हुये हैं'' (इफिसियों २˸५) डॉ.मार्टिन ल्यॉड-जोन्स ने कहा था, ''आत्मिक जीवन का पहला चिन्ह यह है कि आप को यह अहसास हो जाये कि आप पापों में मरे हुये के समान हैं'' (दि लॉ: इटस फंक्शन्स एंड लिमिटस, दि बैनर आँफ ट्रूथ ट्रस्ट,१९७५,पेज१४५)

जब आप जाग जाते हैं, तो आप को यह लगने लगता है कि आपकी स्वयं की कोई सामर्थ नहीं है, आप पाप में बिल्कुल निर्जीव पडे हैं। जब आप ऐसे विचार के साथ खुद को असहाय समझते हैं और नम्र बनते हैं, तब आप मसीह के पास आने के लिये तैयार होते हैं। आप यह मानने लगते हैं कि आप खुद ऐसा कुछ नहीं कर सकते जो आप की सहायता करेगा। आप यह मानने लगते हैं कि और दूसरा कोई नहीं केवल यीशु ही आपको बचायेगा।

जब आप जाग जाते हैं तो आप यह महसूस करने लगते हैं कि केवल मसीह के सिद्धांत कुछ भला नहीं कर सकते। केवल मसीह स्वयं आप को बचा सकता है। डॉ.ल्यॉड-जोंस ने उनकी किताब, रिवाइवल में इसे बहुत स्पष्ट लिखा है उस उद्धरण के अंत में उन्होंने लिखा है, ''किसी व्यक्ति के वास्तविक साक्षात्कार के स्थान पर उसके सिद्धांतो के रख कर देखना एक भयानक बात है'' (रिवाईवल,क्रासवे बुक्स,१९८७,पेज ५८) जब आप जाग्रत होते हैं, तो आप केवल यीशु के बारे में जानने से संतुष्ट नहीं होते! आप केवल यीशु स्वयं को ही चाहेंगे! आप महसूस करेंगे केवल यीशु स्वयं आपको बचा सकते हैं! दुष्ट आत्मायें जानती हैं यीशु कौन है। कफरनहूम में दुष्ट आत्मायें चिल्ला उठी थी, ''तू परमेश्वर का पुत्र है....क्योंकि वे जानते थे, कि यह मसीह है'' (लूका ४˸४१) ये दुष्ट आत्मायें सिद्धांत जानती थी। वे जानती थी कि वह मसीह (मसीहा) था। वे जानती थी कि वह परमेश्वर का पुत्र था। वे मसीह के बारे में सिद्धांत जानती थी पर उन्होंने उसे व्यक्तिगत तौर पर नहीं जाना था। वे सब यीशु के बारे में कुछ न कुछ सिद्धांत जानती थी। जब आप जाग जाते हैं, तो आप केवल यीशु के बारे में जानकर कभी संतुष्ट नहीं होंगे। आप स्वयं यीशु की इच्छा करेंगे! जब आप अपने पाप व परेशानी की अवस्था में से जाग्रत होने लगेंगे, तो आप केवल बाईबल की आयत पर विश्वास रखकर संतुष्ट नहीं होंगे। आप जान जायेंगे कि केवल मसीह ही आपको बचा सकता है,

''क्योंकि......परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात मसीह यीशु जो मनुष्य है'' (१तिमुथयुस २˸५)

और आपको ''मसीह यीशु जो मनुष्य बना'' स्वयं उस पर विश्वास रखना चाहिये ताकि आप बचाये जा सकें।

''और अनंत जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को,जिसे तू ने भेजा है,जानें'' (यूहन्ना१७˸३)

आप को परमेश्वर के बारे में नहीं जानना है। आपको परमेश्वर को जानना है। आप को यीशु मसीह के बारे में जानकारी नहीं रखना है। आप को स्वयं यीशु मसीह को जानना है! यही एकमात्र मार्ग है जिससे आप अनंत जीवन में प्रवेश कर सकेंगे! यही वह उपाय है जिसके द्वारा आप बचाये जायेंगे! आपको स्वयं यीशु को जानना चाहिये!

आखिर में, यह सोचिये कि स्वयं यीशु ने आपको बचाने के लिये क्या किया! सोचिये किस तरह गतसमनी बाग में उसने वह व्याकुलता और वेदना सही कि उसका पसीना लहू की तरह बह निकला यह सब आपको बचाने के लिये हुआ। क्या आप इसे बार बार सुनने के कारण बेमानी और व्यर्थ बात समझते हैं? क्या आप अपने दिमाग में इसे हल्की बात समझते हैं? क्रूस पर उसकी अत्यंत दुखदायी मौत के बारे में सोचिये - जो आप को सहना था, वह आपके स्थान पर, पीडा सहन करते हुये पापों का दंड भर रहा था। क्या आपने इस सत्य को इतनी बार सुना है कि आपके लिये इसका कोई अर्थ नहीं रह गया? क्या आप इसे जल्द ही अपने दिमाग से झटक देते हैं? अगर आप ऐसा करते हैं तो आपके पास कोई आशा बाकि नहीं रही! बिल्कुल कोई आशा नहीं!

एक बूढा जन एक पास्टर से मिलने पहुंचा। वह अकेला जन था, इसलिये पास्टर ने उसे चर्च के एक छोटे से कमरे में ठहरा दिया। उसके गालों पर आंसू बह रहे थे और उसने एक मसीही गीत लिखा। जब मैं उस चर्च में प्रचार करने पहुंचा तो उसको मरे हुये कई साल बीत गये थे। किंतु लोगों ने मुझे उसका कमरा दिखाया। और जब भी वे उसके गीत को गाते थे तो रोया करते थे।

मैं चाहता हूं तुम्हे यीशु के बारे में बताउं
   मुझे उसमें मिला है एक सच्चा महान दोस्त;
मैं बताउंगा कैसे उसने मुझे बदल कर रख दिया,
   उसने वह किया जो कोई दोस्त नहीं कर पाया।
किसी ने यीशु के समान मेरी चिंता की,
   जितनी दया उसके अंदर है किसी के मन में नहीं,
कोई मेरे मन का अंधेरा और पाप मिटा नहीं सकता था,
   सचमुच उसने मुझे खूब संभाला!
(''किसी ने यीशु के समान मेरी चिंता न की'' चाल्र्स एफ.वीगल, १८७१−१९६६)

पर वह महिला ने पहले इस तरह महसूस नहीं किया, इस बात को हम अंतिम बिंदु के लिये ले जायेंगे।

४. चौथा, वह तब परिवर्तित हुई जब यीशु के पास आई।

मैंने यह कहा कि उसने यीशु को अभी तक अपना मित्र नहीं माना था। जब यीशु ने उसकी ओर देखा तो बाईबल कहती है,

''तब वह स्त्री यह जानकर, कि मेरी कैसी भलाई हुई है, डरती और कांपती हुई आई, और उसके पावों पर गिरकर, उस से सब हाल सच सच कह दिया।'' (मरकुस ५˸३३)

वह अभी भी प्रभु से डरी हुई थी। इससे मुझे यह विश्वास होता है कि वह बचायी नहीं गयी थी। वह जाग्रत अवस्था में आ गई थी, पर अभी परिवर्तित नहीं हुई थी।

भले ही वह डर के मारे कांपी, पर वह यीशु के पास जरूर पहुंची। ''वह कांपते हुये आई और उसके सामने गिर गई।'' उसका डर यह बता रहा था कि वह यीशु को अभी तक नहीं जानती थी। उसके उपरांत भी वह उसके पास आई। डर से भरी हुई कांपती हुई, वह प्रभु के पास आई। उसका विश्वास बहुत बडा नहीं था। वह तो बस एक गरीब महिला थी जो ज्यादा नहीं जानती थी। बस वह इतना समझती थी कि यीशु उसे चंगा कर सकते हैं। वह यीशु के अनुग्रह द्वारा जाग्रत अवस्था में आई, किंतु अभी उसने उसके प्रेम को नहीं जाना था। उसके उपरांत भी वह उसके पास पहुंची!

मुझे ऐना डब्ल्यू.वॉटरमेन का मधुर गीत बडा पसंद है, जो मि.गिफिथ ने मेरे संदेश से पूर्व गाया। मुझे यह पसंद है क्योंकि मैं जानता हूं यह सत्य है। यह मेरे जीवन के लिये सत्य है और आपके जीवन के लिये भी सच होगा, अगर आप यीशु के पास आते हैं।

और मैं जानता हूं, हां, मैं जानता हूं,
   यीशु का लहू बुरे पापी जन को शुद्ध कर सकता है।
और मैं जानता हूं, हां, मैं जानता हूं,
   यीशु का लहू बुरे पापी जन को शुद्ध कर सकता है।
(''हां, मैं जानता हूं!'' ऐना डब्ल्यू. वॉटरमेन, १९२०)

अगर आप मसीहा के पास आते हैं, वह आपको आज सुबह भी बचायेगा। वह अपने अनमोल लहू से आपके पापों को धो देगा- और वह आपसे बातें करेगा जैसे उसने लहू के रोग वाली महिला से बातें की थी,

''उस ने उस से कहा; पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है: कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह'' (मरकुस५˸३४)

अगर आज सुबह आप यीशु के पास आते हैं तो वह आपको आपके पापों से शुद्ध करेगा, वह आपको इस दोपहर इस आशीष के साथ घर भेजेगा जो उसने इस महिला को दी थी,

''तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है, कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह''

अगर आप यीशु द्वारा पापों की शुद्धि के बारे में हमसे बातें करना चाहते हैं, तो निवेदन है कि अपनी जगह छोडकर आँडीटोरियम के पिछले हिस्से में आ जाइये। डॉ.कैगन आपको वहां से दूसरे कमरे में ले जायेंगे जहां हम बात व प्रार्थना कर सकते हैं। डॉ. चॉन,निवेदन है कि आप प्रार्थना करें कि आज सुबह कोई यीशु पर विश्वास लाये। आमीन!

(संदेश का अंत)
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संदेश के पूर्व धर्मशास्त्र पढा गया मि.ऐबेल प्रुद्योमें: मरकुस ५˸२५−३४
संदेश के पूर्व एकल गाना गाया गया। मि.बैंजामिन किन्केड गिफिथ:
(''हां, मैं जानता हूं!'' ऐना डब्ल्यू. वॉटरमेन, १९२०)


रूपरेखा

भीड में स्त्री

द्वारा डॉ.आर.एल.हिमर्स

''उस ने उस से कहा, पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है; कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह।'' (मरकुस ५˸३४)

(मरकुस ५˸३३)

१. प्रथम, वह वास्तव में चंगी होना चाहती थी‚ लूका १३˸२३;
२ तिमुथयुस ३˸७; यिर्मयाह २९˸१३

२. दूसरा, वह महिला जिन वैद्यों के पास गई उनसे उसे मदद नहीं मिली‚
यिर्मयाह २३˸३२

३. तीसरा, उसका शरीर चंगा हो गया जब उसने यीशु के वस्त्रों को छुआ‚
मरकुस ६˸५६; १पतरस १˸२; इफिसियो २˸१; ५˸१४; २˸५; लूका ४˸४१;
१ तिमुथयुस २˸५; यूहन्ना १७˸३

४. चौथा, वह तब परिवर्तित हुई जब यीशु के पास आई‚ मरकुस ५˸३३