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अंत के दिनों में ष्‍ौतान का क्रोध

THE WRATH OF SATAN IN THE LAST DAYS
(Hindi)

द्वारा डॉ0आर.एल.हिमर्स,जूनियर
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

रविवार की प्रातः दिसंबर 8, 2013 को लॉस एंजिलिस के बैपटिस्ट टेबरनेकल में
दिया गया संदेष।
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, December 8, 2013

‘‘क्‍योंकि ष्‍ौतान बडे क्रोध के साथ तुम्‍हारे पास उतर आया है; क्‍योंकि जानता है कि उसका थोडा ही समय और बाकि है।'' (प्रकाषितवाक्य 12:12)


हां, मैं ष्‍ौतान पर यकीन करता हूं। बाईबल में उसके 12 नाम दिए हुए हैं। उसे ष्‍ौतान, पिषाच, ड्रेगन, सर्प, बेल्‍जीबुब, बिलायल, लूसीफर, दुष्ट, प्रलोभित करने वाला, इस संसार का सरदार, हवा में विद्यमान षक्‍ति का राजकुमार, संसार का राजकुमार। हमें ष्‍ौतान की हंसी नहीं करना चाहिये, या उसके बारे में हल्‍का नहीं बोलना चाहिये। उसके पास बडी ताकत है, किसी राष्‍ट्र से भी अधिक, किसी मनुष्य निर्मित षस्‍त्र से भी अधिक। वह हवाओं में षासन करता है, पृथ्‍वी के वातावरण पर उसका निवास है। उसका उददेष्य है परमेष्वर के कार्य को रोकना, प्रार्थनाओं के उत्तर को रोकना, मसीह के द्वितीय आगमन में देरी होने देना, पवित्र आत्‍मा का विरोध करना, आत्‍मिक जागृति को रोकना, मनुष्य जीवन को नष्ट करना, मनुष्य जगत को समाप्त करना - जो परमेष्वर की सबसे उत्‍कृष्ट रचना है। वह दुष्ट खतरनाक है, आक्रमक है, घृणा रखने वाला दैत्य है। वह स्‍वयं को सुंदर, मोहक बनाकर भी आपको फंसा सकता है। किंतु जब वह अपने षिकार को फंसा लेता है, तो वह एक उग्र दैत्य के रूप में प्रगट होने लगता है।

हमारा धर्मषास्‍त्र हमें बताता है, इस युग के अंत में ऐसा होगा, जब ष्‍ौतान परमेष्वर की उपस्‍थिति में खडा नहीं रह सकेगा, जैसे उसने अय्‍यूब के प्रथम अध्‍याय में किया था। इस समय तक वह परमेष्वर की उपस्‍थिति में आता रहा और निकाला जाता रहा। किंतु ऐसा समय आता है, जब वह हमेषा के लिये परमेष्वर की उपस्‍थिति से निकाल दिया जावेगा, वह जानता है उसका अंत करीब है। जे. एस. सिस, ने प्रकाषितवाक्य के ऊपर उनकी विष्‍ोष व्‍याख्‍या में, इस तस्‍वीर को चित्रित किया है

,

हम सोच सकते हैं कि इतनी (बडी) हार ष्‍ौतान की स्‍वर्ग में होगी, जो उसे उसकी दुष्‍टता करने से रोकेगी और कम कम से कम, आगे को वह परमेष्वर और उसके लोगों पर और अधिकर आक्रमण नहीं कर पायेगा। किंतु वह आषाहीन होकर पथभ्रष्ट हो चुका है, और इसीलिये उसका ष्‍ौतानी स्‍वभाव उस पर (आधिपत्य) जमा लेता है। उसकी पथभ्रष्‍टता से पूर्णतः कोई बचाव नहीं है। स्‍वर्ग से उसका निकाला जाना व पृथ्‍वी तक उसको सीमित कर दिये जाने से वह और अधिक गुस्‍से में आ गया, और बैठकर हिंसा उत्‍पन्न करता है, इस संसार में ऐसी भयानक बातें पैदा कर रहा है जैसी पहले कभी अनुभव नहीं की थी (जे.ए.सिस,दि एपोकेलिप्स - लेक्‍यर्स अॉन दि बुक अॉफ रिविलेषन, जोंडरवन पब्‍लिषिंग हाउस, अज्ञात, पृ.313)

ष्‍ौतान के बारे में ज्‍यादा बातें मैंने तब सीखीं जब मैं जवान था और बाईबल के प्रसिद्ध विद्वान व धर्मविज्ञानी,डॉ0तिमोथी लिन के मार्गदर्षन में षिक्षा प्राप्त कर रहा था। फेथ थियोलॉजिकल सेमनरी से डॉ0लिन ने दो स्‍नातकोत्तर डिग्री प्रापत की। वह इब्रानी भाषा व संबंधित भाषाओं के पुराने नियम विषय पर पी.एच.डी. है। यह उपाधि उन्‍होंने हिब्रू और कगनेट भाषाऐं, ड्रॉपसी विष्‍वविद्यालय से प्राप्त की। उसके पष्‍चात वह बॉब जोन्स विष्‍वविद्यालय में स्‍नातक की कक्षाऐं लेने लगे, टलबोट थियोलॉजिकल सेमनरी, ट्रिनिटी इवेंजलीकल सेमनरी डीयरफील्ड, इलियानोईस में भी उन्‍होंने अध्‍यापन कार्य किया। वह न्‍यू अमेरिकल स्‍टैंडर्ड बाईबल के अनुवादकों में से एक थे, और ताईवान में वर्ष 1980 से 1990 तक चाइना इवेंजलीकल सेमनरी के अध्‍यक्ष रहे। 23 वर्षो तक वह मेरे पास्टर और षिक्षक बने रहे; जब मैं लॉस ऐजीलिस के प्रथम चाईनीय बैपटिस्ट चर्च का सदस्य था। उन्‍होंने ही मुझे बपतिस्‍मा दिया, और 2 जुलाई, 1972 को मेरी आर्डिनेषन कमेटी के अध्‍यक्ष भी रहे।

एक बात जो मैंने देखी, डॉ0 लिन कोई रूखे सूखे थियोलॉजी के प्रोफेसर नहीं थे। उनका अध्‍यापन और संदेष दोनों ही धर्मविज्ञान के गुणों व सामर्थ से जगमगाते रहते थे। उदाहरण के लिये, डॉ0 लिन का ठोस विष्‍वास था कि हम अंतिम युग में जी रहे हैं - जैसा कि हमें ज्ञात है विष्व का अंत करीब है। इस बात को देखने के लिये आपको उनके लेखन को अधिक पढने की आवष्‍यकता नहीं है। उदाहरण के लिये, चर्च की वृद्धि पर जो पुस्तक उन्‍होंने लिखी है, उसमें वह लगातार यह मुहावरे लिखते रहते हैं ‘‘अंतिम दिनों के चर्च में भी यह गलत धारणा व्‍याप्त है......'' (पृष्ठ 6); ‘‘अंतिम समय में पुलपिट'' (पृष्ठ 11); ‘‘अंतिम दिनों में कई मसीही.....डरपोक, डरे हुए, और परमेष्वर के वचन में विष्‍वास न रखने वाले हो जाऐंगे'' (पृष्ठ 17); ‘‘अंत के दिनों में चर्च उजाड हो जाएगा तो यह पास्‍टर्स की कमी से नहीं होगा......'' (पृष्ठ 21); ‘‘चर्च को चाहिये कि वह तीन बार इस विषय पर सोचे'' (पृष्ठ 29); ‘‘अंतिम दिनों में चर्च को इन सब से कोई लेना देना ही नहीं है..........जब तक पैसा आ रहा है दूसरी बातों की उसे फिक्र नहीं है'' (पृष्ठ 48,49); ‘‘अंतिम दिनों में चर्च को सही या गलत ही पहचान से कोई सरोकार नहीं है'' (पृष्ठ 50); ‘‘अंतिम समय के चर्च में इतनी घोर उदासीनता दो कारणों से है इसलिये वह प्रार्थना सभा व अध्ययन में रूचि नहीं रखता'' (पृष्ठ 95)। (समस्त उद्धरण तिमोथी लिन, पी.एच.डी., दि सीक्रेट अॉफ चर्च ग्रोथ, एफसीबीसी 1992 से साभार)

आप कह सकते हैं कि डॉ0 लिन हमेषा इस सत्य में जिएं कि हम मसीही युग के अंतिम समय में रह रहे हैं, बल्‍कि इसके बिल्‍कुल करीब है। एक ओर दूसरी बात जिस पर डॉ0 लिन लगातार जोर देते रहे वह ष्‍ौतान और दुष्‍टात्‍माओं की सच्‍चाई से संबंधित थी। उनके संदेष व बाईबल अध्‍ययनों में इन विषयों पर लगातार जोर दिया जाता रहा - हम अंत के दिनों में हैं, और ष्‍ौतान और उसकी दुष्‍टात्‍माऐं हमारा विरोध कर रही हैं। आप सोच सकते हैं कि दो नकारात्मक बातों पर चर्चा एक चर्च को निराष कर सकती है। परन्‍तु इसके विपरीत यह सत्य भी था! प्रभु के चर्च ने इसके उपरांत जाग्रति का भी अनुभव किया। इसी चर्च में लगभग 2000 सदस्य कम समय में आने लगे।

डॉ0 लिन अपने विचार व षिक्षण में अक्सर धर्मषास्‍त्र से यह उद्धरण देते रहते थे,

‘‘क्‍योंकि ष्‍ौतान बडे क्रोध के साथ तुम्‍हारे पास उतर आया है; क्‍योंकि जानता है कि उसका थोडा ही समय और बाकि है।'' (प्रकाषितवाक्य 12:12)

इस पद पर व्‍याख्‍या प्रस्‍तुत करते हुए, डॉ0 लिन ने कहा,

ष्‍ौतान पूर्ण रूप से समझता है कि उसके दृष्‍टतापूर्ण जीवन को बढाने का एकमात्र रास्‍ता यही है कि यीषु के द्वितीय आगमन में देरी करवायी जाए........इसी कारण से वह अपनी समस्त बुरी योजनाओं को पूरी ताकत से काम में लाता है ताकि लोगों को यीषु में विष्‍वास करने से - रोके ताकि परमेष्वर का साम्राज्य स्‍थापित होने में देर हो......तब ष्‍ौतान अपना दूसरा दूसरा कदम उठाता है वह मसीहियों में फूट डालता है, उन्‍हे प्रार्थना में समय देने से रोकता है इसलिये, जितनी, प्रभु के द्वितीय आगमन की....षाम करीब होगी, ष्‍ौतान की ताकत बडे रूप में उभर कर प्रार्थना का विरोध करेगी! (लिन,संदर्भ,पृष्ठ 95,96)

कई प्रचारक मसीह के द्वितीय आगमन के ‘‘चिन्‍हों'' को न देखते हैं न समझते हैं। परन्‍तु ष्‍ौतान उनसे अधिक चतुर है। वह देखता है इजरायल राष्‍ट्र पुर्नस्‍थापित हो चुका है। वह देखता है चर्च में वीरानापन है। वह देखता है नूह के दिन ही दुहराये जा रहे हैं। वह यह भी जानता है कि उसके ‘‘दिन कम रह गये हैं'' जब वह पृथ्‍वी पर परमेष्वर के कार्य को रोकने व विरोध करने में सक्रिय बना हुआ है!

‘‘क्‍योंकि ष्‍ौतान बडे क्रोध के साथ तुम्‍हारे पास उतर आया है; क्‍योंकि जानता है कि उसका थोडा ही समय और बाकि है।'' (प्रकाषितवाक्य 12:12)

इस दुष्ट का एक नाम ‘‘ष्‍ौतान'' है। इसका अर्थ है ‘‘विरोध करने वाला'' अथवा ‘‘विरोधी'' इस तरह ष्‍ौतान परमेष्वर के कार्य का विरोध करता है। इन अंतिम दिनों में, जिसमें हम रहते हैं, ष्‍ौतान बचाये और खोए हुए दोनों प्रकार के लोगों का विरोध करता है।

1. प्रथम, ष्‍ौतान उनकी प्रार्थनाओं का विरोध करता है जो बचाए हुए हैं।

ष्‍ौतान का मुख्य उददेष्य है जो मसीही प्रार्थनारत हैं उनको प्रार्थना करने से रोकना। डॉ0 लिन ने कहा था, ‘‘ष्‍ौतान जानता है (यद्यपि मसीही नहीं जानते) कि प्रार्थना वह प्रकिृया है जिसके द्वारा परमेष्वर की समृद्धि हम तक पहुंचती है.....अगर मसीही लोग इस समृद्धि को ग्रहण नहीं करते हैं तो वे आत्‍मिक रूप से पहले ही कमजोर हो जाऐंगे और.......... थक कर चूर हो जाऐंगे इसलिये, जितनी करीब यीषु के द्वितीय आगमन की षाम होगी, प्रार्थना के विरूद्ध उतना ही विरोध ष्‍ौतान उपजाएगा'' (लिन, संदर्भ, पृष्ठ 96)

अक्सर जब मसीही जन सुबह उठते हैं तो वो प्रार्थना करना भूल जाते हैं। प्रभु की प्रार्थना करने और दिन भर के लिये प्रभु से सहायता मांगने में ज्‍यादा देर नहीं लगती। बिना परमेष्वर की सहायता के हम अधिक कुछ अच्‍छा नहीं कर सकते। ष्‍ौतान यह बात जानता है। इसलिये वह आपसे सुबह की प्रार्थना छुडवा देता है। तब वह प्रसन्न हो जाता है कि आप उस दिन कितने निहत्‍थे हो गए है!

ष्‍ौतान आपके द्वारा ‘‘लगातार प्रार्थना करने'' का भी विरोध करता है अर्थात, आप किसी बात के लिये जो लगातार प्रार्थना करते हैं उसका भी विरोध करता है। उस विधवा की ‘‘लगातार प्रार्थना'' वाला दृष्‍टांत हमारे लिये सबक है कि हमें तक तक प्रार्थना करनी चाहिये जब तक वह हमारे लिये पूर्ण न हो जाए। यीषु ने लूका 18:1 में इस दृष्‍टांत का उददेष्य स्‍पष्ट किया है, ‘‘मनुष्य को, बिना हताष हुए लगातार प्रार्थना करते रहना चाहिये'' - या इसका यह अर्थ हो सकता है, ‘'.........उनको सदैव प्रार्थना करते रहना चाहिये और हिम्मत नहीं हारना चाहिये।'' दृष्‍टांत यह सिखाता है कि जिस वस्‍तु की आपको आवष्‍यकता है उसे तब तक मांगते रहिये जब तक वह उसे दे न दे। साधारण सा दृष्‍टान्त है। एक विधवा आती है और किसी न्‍यायी से अपना न्‍याय उसके षत्रु के प्रति चुकाने की गुहार लगाती है। कुछ समय तक तो न्‍यायी कुछ नहीं करता है। परन्‍तु अंततः वह भी विचार करता है कि उस विधवा के लगातार बोलते रहने के कारण वह थक चुका है और वह उसका न्‍याय चुका देता है। दृष्‍टांत यह कहते हुए समाप्त होता है कि परमेष्वर ‘‘अपने चुने हुओं का न्‍याय करेगा, जो रात और दिन उसको पुकारते हैं, और क्‍या वह उन के विषय में देर करेगा'' (लूका 18:7) इस दृष्‍टांत की अंतिम आयत में लिखा है,

‘‘मैं तुम से कहता हूं; वह तुरंत उन का न्‍याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्‍या वह पृथ्‍वी पर विष्‍वास पाएगा?'' (लूका 18:8)

इसका यह तात्‍पर्य भी नहीं है कि जब मसीह आएगा तब किसी के पास विष्‍वास होगा ही नहीं। इसका यह अर्थ है कि अधिकतर मसीही जन जब किसी बात या आवष्‍यकता के लिये प्रार्थना कर रहे हो तो वे आसानी से प्रार्थना में मांगना छोड देंगे वे मांगने का संघर्ष नहीं करेंगे या उनकी प्रार्थना करने की षक्‍ति क्षीण हो जाएगी! ‘‘लगातार प्रार्थना करते रहो'' विष्‍वास में इस तरह प्रार्थना करना अंत के दिनों में कम हो जाएगा। जैसे जैसे युग समाप्‍ति की ओर बढ रहा है ष्‍ौतान अपना जोर प्रार्थना न होने देने के ऊपर लगा रहा है। ऐसा वह चर्च को कमजोर करने के लिये और चुने हुओं की अधिकता बढती न जाए इसको रोकने के लिये करता है। इस तरह, ष्‍ौतान इस पृथ्‍वी पर अपनी दुष्ट जिंदगी की उम्र बढाने के लिये इन अंतिम दिनों में सतत प्रार्थना का विरोध करता है!

ष्‍ौतान प्रार्थना करने में रूकावट डालता है, और हममें से कईयों का प्रार्थना करना बंद करवा देता है, हमारे दिमाग में यह विचार डालने के द्वारा कि, ‘‘प्रार्थना कोई इतनी महत्‍वपूर्ण बात नहीं है। पास्टर तो कहते रहते है प्रार्थना करो, करो, करो - परन्‍तु यह तो समय का अपव्यय है। आपकी प्रार्थना से कुछ नहीे होता। छोड दो! समय का अपव्यय मत करो।'' क्‍या आपको कभी ऐसा लगा? क्‍या आपने कभी सोचा कि प्रार्थना से आपके जीवन में कोई बदलाव नहीं आया - क्‍या वास्तव में यह समय का अपव्यय है? अगर आपके दिमाग में ऐसे विचारों का आगमन हुआ है तो यह निष्‍चित जानिए कि इन विचारों को भरने वाला ष्‍ौतान ही है। ष्‍ौतान वह समस्त चालाकियों को इस्‍तेमान करेगा ताकि आप किसी खास जरूरत के लिये प्रभु से मांगना बंद कर दे। इन सब प्रयत्‍नों में ही ष्‍ौतान का समय बीतता है ताकि आप को धोखे में रखकर प्रार्थना से दूर कर दें! दूसरे संदर्भ में, प्रेरित पौलुस न यह कहा -

‘‘कि ष्‍ौतान का हम पर दांव न चले, क्‍योंकि हम उस की युक्‍तियों से अनजान नहीं'' (2कुरंथियों 2:11)

अगर आप बहुत सावधान नहीं होंगे अपनी आवष्‍यकता के लिये प्रार्थना में निरंतर मांगने के लिये तो ष्‍ौतान को निष्‍चित ‘‘इसका फायदा मिलेगा।'' इसीलिये प्रेरित याकूब का कथन है,

‘‘तुम मांगते हो, और पाते नहीं'' (याकूब 4:2)

और अक्सर, ‘‘तुम्‍हारे पास'' अभी तक नहीं है क्‍योंकि दुष्ट ने अपनी युक्‍तियों द्वारा तुम्‍हें रोक रखा है। वह तुम्‍हें निराष और हताष महसूस करवाता है। वह तुम्‍हें परीक्षा में डालता है ताकि तुम प्रार्थना करना बंद कर दो, या पीछे हटते जाओ। स्मरण रखो, मेरे प्रिय मसीही - भाई बहन ष्‍ौतान के साथ युद्ध को जीतने में प्रार्थना एक महत्‍वपूर्ण भाग है। याद रखो - प्रार्थना युद्ध है! एक पुराना भजन इस प्रकार कहता है,

क्‍या तब तक प्रार्थना करते हो जब तक उत्तर न मिल जाए?
   तुम्‍हारी आत्‍मा जो मांगे ऐसा वायदा तुम्‍हारे लिये है;
प्रार्थना के सिंहासन पर यीषु तुम्‍हारी राह देखता है,
   क्‍या कभी उससे मिले वहां, क्‍या लगातार मांगा उससे?
क्‍या जब तक उत्तर न मिला मांगते रहें,
   क्‍या मसीह के नाम में विनती की?
क्‍या प्रार्थना में गहराई से मांगा (बीच रात में)
   क्‍या जब तक उत्तर न मिला मांगते रहे?
(क्‍या लगातार प्रार्थना करते रहे?'' (डबल्‍यू. सी. पूले,1875 1949; पास्टर द्वारा बदला गया)

क्‍या इस गीत को चर्च में गाते सुना है? मैंने तो नहीं सुना! पहले इसे गया जाता था किंतु अब तो ये चलन से ही बाहर हो गया। ‘‘तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्‍या वह पृथ्‍वी पर विष्‍वास पाएगा?'' (लूका 18:8)

अब इसे देखिये! दानियेल के दसवें अध्‍याय में हम पढते हैं कि दानियेल की प्रार्थना परमेष्वर द्वारा पहली बार में ही सुन ली गई (दानियेल 10:12) किंतु ‘‘बीस दिनों'' तक उत्तर नहीं आया क्‍योंकि ष्‍ौतान की ओर से उस उत्तर का विरोध किया गया (दानियेल10:13)। हम धन्‍यवादी हैं कि दानियेल ने ष्‍ौतान को इजाजत नहीं दी कि वह उसे परमेष्वर से लगातार मांगने से रोक सके! डॉ0 जॉन आर. राईस ने अपनी महान गीत की पुस्तक में एक अच्‍छी कोरस दी है,

दुआ करते रहो,
   लगातार दुआ करते रहो,
दुआ करते रहो,
   लगातार दुआ करते रहो।
परमेष्वर के वायदे बडे महान
   और हर समय सच है,
दुआ करते रहो,
   लगातार दुआ करते रहो।

2. दूसरा, ष्‍ौतान खोए हुए लोगों को उद्धार मिलने का विरोध करता है।

‘‘क्‍योंकि ष्‍ौतान बडे क्रोध के साथ तुम्‍हारे पास उतर आया है; क्‍योंकि जानता है कि उसका थोडा ही समय और बाकि है।'' (प्रकाषितवाक्य 12:12)

ष्‍ौतान नहीं चाहता कि आप बचाए जाए। वह नहीं चाहता कि आप मसीही बने। वह पूरा जोर लगा देगा कि आप बचाए नहीं जाए। वह ऐसा क्‍यों करता है? एक कारण यह है कि वह हत्‍यारा है। यीषु ने कहा कि ष्‍ौतान ‘‘आरंभ से हत्‍यारा है'' (यूहन्‍ना 8:44)। ष्‍ौतान का स्‍वभाव ही है कि लोगों को मार डाले। उसने अदन की वाटिका में हमारे प्रथम माता पिता को भी सर्वप्रभम मार डाला, उन्‍हे प्रतिबंधित फल खाने के लिये प्रलोभित किया और परिणाम स्‍वरूप मृत्‍यु आई - उसी प्रकार वह हमें भी मार डालना चाहता है। वह चाहता है हम मर कर नरक में पहुंचे।

एक और कारण है। रोमियों 11:25 में हम पढते हैं कि,

‘‘....जब तक अन्‍यजातियां पूरी रीति से प्रवेष न कर लें, तब तक इजराएल का एक भाग ऐसा ही कठोर रहेगा'' (रोमियों 11:25)

यूनानी षब्द ‘‘पूरी रीति से'' के लिये ‘‘प्‍लीरोमा'' है। इसका अर्थ है ‘‘पूरी संख्‍या।'' ष्‍ौतान इजराएल से घृणा करता है, और वह यह जानता है कि यह आत्‍मिक अंधापन तब तक जारी रहेगा जब तक कि ‘‘पूरी संख्‍या'' अन्‍यजातियों की बचायी नहीं जाएगी। ष्‍ौतान नहीं चाहता कि इजराएल बचाया जाए। इसीलिये वह यह भी नहीं चाहता कि आप बचाए जाओ।

कुछ निष्‍चित संख्‍या में अन्‍यजातियों का बचाया जाना आवष्यक है इसके पहले कि इजरायल की भी आत्‍मिक आंखे खुल जाए इस युग के अंत होने तक । आप एक अन्‍यजाति जन हो। आप अंतिम समय में रह रहे हो। ष्‍ौतान जानता है कि परमेष्वर उसका न्‍याय करेगा और वह ‘‘हजार वर्षो'' तक बांधा जाएगा जब मसीह वापस आएगा (प्रकाषितवाक्य 20:2) इसीलिये,

‘‘क्‍योंकि ष्‍ौतान बडे क्रोध के साथ तुम्‍हारे पास उतर आया है; क्‍योंकि जानता है कि उसका थोडा ही समय और बाकि है।'' (प्रकाषितवाक्य 12:12)

ष्‍ौतान इस संसार में गुस्‍से में विचरण कर रहा है क्‍योंकि वह जानता है कि उसका समय कम है। इससे भी बढकर, वह सब प्रकार की चालों का प्रयोग कर रहा है जिससे कि वह अन्‍यजातियों की ‘‘पूरी संख्‍या'' कभी न पूर्ण होने दे और वे बचाये जाऐं। इसीलिये मैं समझता हूं इस युग में लोगों का बचाया जाना बहुत कठिन कार्य होता जा रहा है। ष्‍ौतान हर वह प्रयास करेगा ताकि आप यीषु पर विष्‍वास न लाए और सच्‍चे मसीही भी न बन सकें। इसीलिये इजरायल को वह थोडा और समय तक आत्‍मिक अंधेपन में पडे देने में समर्थ है।

एक और तरीका है जो ष्‍ौतान इस्‍तेमान करता है कि आप बचाए न जाए, वह आपके हृदय से परमेष्वर का वचन उठा ले जाता है। बीज बोने वाले दृष्‍टान्त में, यीषु ने कहा,

‘‘........ तब ष्‍ौतान आकर उन के मन से वचन उठा ले जाता हैं, कि कहीं ऐसा न हो कि वे विष्‍वास करके उद्वार पाए।'' (लूका 8: 12)

पिछले रविवार दो जवान चीनी पुरूष हमारे चर्च में आए। दोनों में दुष्‍टात्‍मा थी। एक को यह प्रभाव माता पिता के घर में बौद्ध पूजा के कारण मिला था। दूसरे के विषय में मैं नहीं जानता कि उसे कैसे दुष्‍टात्‍मा लगी। परन्‍तु उसने बताया कि वह दुष्‍टात्‍मा द्वारा सताया हुआ है और उसे देखकर यह स्‍पष्ट था।

पिछले रविवार दो चीनी लडके में से एक बचाया गया किंतु दूसरा नहीं। यहां यही अंतर था - वह जवान लडका जो बचाया गया था, निरंतर चर्च आता रहा और जब मैं सुसमाचार प्रचार करता था वह उसे ध्‍यानपूर्वक सुनता था। हालांकि उसके समक्ष कई प्रलोभन आए कि वह चर्च को त्‍याग दे। पर ईष्वर का अनुग्रह उस पर था। वह प्रति रविवार सुबह व षाम सुसमाचार सुनने आता रहा। अंत में , जिस दिन डॉ0 चॉन ने पिछले रविवार की सुबह जब प्रचार किया, तब उस लडके ने यीषु पर विष्‍वास किया और बचाया गया!

परन्‍तु दूसरे चीनी जवान ने सुनने से इंकार कर दिया। पिछले रविवार की सुबह मैंने स्‍वयं उससे बातें की। मैंने उससे विनती की कि वह चर्च में ही ठहरा रहे और परमेष्वर का वचन सुने। किंतु वह हठी बना रहा और इंकार कर दिया। वह गुस्‍से से उबल रहा था और कहा कि वह स्‍वयं बाईबल पढ सकता है। वह इतना आक्रोषित हुआ कि हमें उसे उसके घर भेजना पडा। जब वह चला गया तब मुझे उसके लिये बहुत दुख लगा।

अब देखिए यह आप पर कैसे लागू होता है, यदि आप बचाए हुए नहीं हैं तो। आप को स्‍वयं को नम्र बनाना होगा। अगर आप समझते हो कि आप को सब पता है, क्‍या सोचना चाहिये, या महसूस करना चाहिये - तो ष्‍ौतान के लिये यह बहुत आसान है कि वह आपके हृदय में बोया गया बीज निकाल कर ले जाए! बाईबल कहती है,

‘‘प्रभुु के सामने दीन बनो, तो वह तुम्‍हे षिरोमणि बनाएगा'' (याकूब 4:10)

एक पुराना भजन इस प्रकार कहता है,

‘‘मैं अपना सब कुछ देता हूं, जो भी मैं जानता हूं,
अब प्रभु मुझे धो दे कि मैं हिम से भी अधिक ष्‍वेत हो जाऊं''
(‘‘हिम से भी अधिक ष्‍वेत'' द्वारा जेम्स निकोलसन 1828-1896)

आपके पापों का दाम चुकाने के लिये यीषु सलीब पर मरा। आपको जीवन देने के लिये वह मुरदों में से जीवित हुआ - कृपया अब तो अपने आप को परमेष्वर के सामने दीन बनाइये और वह आपको बहुत ऊंचा उठाएगा! अब - कृपया अपना परित्‍याग कीजिये, और जो कुछ आपको आता है, उस ज्ञान को छोड दीजिये और - यीषु आपको उसके पवित्र लहू से षुद्ध करेगा। सिर्फ एक साधारण सा विष्‍वास यीषु पर रखना पर्याप्त है!

अगर आप हमसे एक सच्‍चे मसीही बनने के लिये बात करना चाहते हैं, कृपया अपना स्‍थान छोड दीजिये व अॉडिटोरियम के पिछले भाग में आ जाइये। डॉ0कैगन आपको अगले कमरे में ले जाऐंगे जहांं हम आपसे बात कर सकते है और इस विषय में प्रार्थना कर सकते हैं। अब आइये। डॉ0चान, कृपया प्रार्थना कीजिये कि कोई आज यीषु पर अपना विष्‍वास लाए। आमीन।

(संदेश का अंत)
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संदेष के पूर्व बाईबल में से पढा गया श्री ऐबेल प्रुद्योमे द्वाराःप्रकाषितवाक्य 12:7-12
संदेष के पूर्व एकल गीत श्री बैंजामिन किनकैद ग्रिफिथ द्वारा गाया गया :
‘‘तब यीषु आया'' (होमेर रोडेहीवर,1880-1955)


रूपरेखा

अंत के दिनों में ष्‍ौतान का क्रोध

द्वारा डॉ0आर.एल.हिमर्स,जूनियर

‘‘क्‍योंकि ष्‍ौतान बडे क्रोध के साथ तुम्‍हारे पास उतर आया है;क्‍योंकि जानता है कि उसका थोडा ही समय और बाकि है।'' (प्रकाषितवाक्य 12:12)

1- प्रथम, ष्‍ौतान उनकी प्रार्थनाओं का विरोध करता है जो बचाए हुए हैं। लूका 18:1,7,8; 2 कुरूंथियों 2:11: याकूब 4:2; दानियेल 10: 12,13

2- दूसरा, ष्‍ौतान खोए हुए लोगों को उद्धार मिलने का विरोध करता है। यूहन्ना 8:44; रोमियों 11:25; प्रकाषितवाक्य 20:2; लूका 8:12