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प्रायष्चित का विवरण

(नौवा संदेष यषायाह 53 से)
A DESCRIPTION OF THE ATONEMENT
(SERMON NUMBER 9 ON ISAIAH 53)
(Hindi)

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

इस संदेष का प्रचार लोस एंजलिस में बप्तीस टबरनेकल में
प्रभु का दिन अेप्रिल 7, 2013 सुबह को किया गया था।
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, April 7, 2013

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए : उस समय के लोगों में से किसने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी'' (यषायाह 53:8)।


इसके पहले वचन में यषायाह ने मसीह की चुप्पी के संदर्भ में कहा,

‘‘वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुँह न खोला, जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय और भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप षान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुँह न खोला'' (यषायाह 53:7)।

डॉ. एडवर्ड जे. यंग ने कहा, ‘‘मसीह ने अपनी पीड़ा की षांतपूर्वक धीरजता से तनाव को सहा, अब नबी ने उसी पीड़ा का अधिक विवरण किया है'' (Edward J. Young, Ph.D., The Book of Isaiah, Eerdmans, 1972, volume 3, p. 351).

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए : उस समय के लोगों में से किसने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी'' (यषायाह 53:8)।

प्राकृतिक रूप से वचन का तीन हिस्सों में वर्णन किया गया है। (1) मसीह की पीड़ा, (2) मसीह की पीढ़ी, (3) मसीह की प्रत्यधिकृत हमारें पापों का प्रायष्चित।

।. पहला, यह संदेष मसीह की पीड़ा का वर्णन करता है।

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए...वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया'' (यषायाह 53:8)।

मसीह गेस्थमनी की बाग में पकडे गए। मंदिर के पहरूओं उन्हे प्रधानयाजक के पास ले गए। वे उन्हे महायाजक, काइफा के और पुरनियों और यहूदी महासभा के सामने खडे किए गए। झूठी गवाहियों को पेष करके उन्हे दोशी ठहराया। यीषु ने कहा,

‘‘अब से तुम मनुश्य के पुत्र की सर्वषक्तिमान के दाहिनी और बैठे, और आकाष के बादलों पर आते देखोगे'' (मती 26:64)।

इस पर महायाजक ने कहा,

‘‘तुम क्या सोचते हो? उन्होने (पुरनियों) उत्तर दिया, यह वध होने के योग्य है। तब उन्होने उसके मुँह पर थूका और घूँसे मारे, दूसरों ने थप्पड मार के कहा'' (मती 26:66-67)।

‘‘जब भोर हुई तो सब प्रधान याजकों और लोगों के पुरनियों ने यीषु को मार डालने की सम्मति की'' (मती 27:1)।

किंतु ऐसा करने के लिए रोमियो कानून के अनुसार उन्हे कानूनी अधिकार नहीं था, इसलिए,

‘‘ले जाकर पिलातुस हाकिम (रोमियो) के हाथ में सौंप दिया'' (मती 27:2)।

पिलातुस ने यीषु से प्रष्न पूछा,

‘‘और यीषु को कोडे लगवाकर सौंप दिया, कि क्रूस पर चढ़ाया जाए'' (मती 27:26)।

इस तरह इस भाग का संदेष पूरा हुआ,

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए (before the high चतपमेज, and then before Pilate)... वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया (by his death on the Cross)'' (यषायाह 53:8)।

यहूदी पुरनियों और पिलातुस द्वारा दिया हुआ यीषु का कारावास इन षब्दों से पूरा हुआ, ‘‘वह कारावास से ले जाया गया।'' पहले कईफा के सामने और बाद में पिलातुस के सामने परिक्षण किया गया यह इन षब्दों से पूरा किया, ‘‘और निर्णय से।'' उसे कारावास से निर्णय तक, वहाँ से कलवरी की टेकडी पर, जहाँ उस वधस्तंभ पर चढा कर मार दिया गया, इस प्रकार यह कढन पूरा हुआ, ‘‘वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया।''

डॉ. जोन गील (1697-1771) ने कहा,

उसे संकट और निर्णय क्षमता से ले जाया गया; सही में, हिंसक रीति से उसे जीवन से दूर किया गया, न्याय के बहाने; जहाँ कि (सही में) (सबसे बुरा) उसके साथ अन्याय हुआ था; उसके विरोध में गलत इलजाम लगाया गया, झूठी गवाही (घूस देकर झूठी षपथ लेकर, इस तरह उसके विरोध में झूठी गवाही पेष की गई), और दुश्ट हाथों से उसकी जान ली गई (दिया हुआ है) प्रेरितों 8:32, (‘‘वह भेड़ के समान वध होने को पहुँचाया गया, और जैसा मेम्ना अपने ऊन कतरनेवालों के सामने (चुपचाप) रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुँह न खोला'')। अपमान में अपने फैसले से दूर ले जाया गया था : उन्हें आम न्याय भी (प्राप्त नहीं) हुआ (John Gill, D.D., An Exposition of the Old Testament, The Baptisit Standard Bearer, 1989 reprint, volume V, p. 314).

और हमारा संदेष कहता है,

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए...वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया'' (यषायाह 53:8)।

॥. दूसरा, यह संदेष मसीह की पीढ़ी का विवरण करता है।

खंड के मध्य का संदेष समझाने में थोडा कठिन है,

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए : उसकी पीढ़ी को कौन घोशित करेगा? वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया...'' (यषायाह 53:8)।

‘‘उसकी पीढ़ी को कौन घोशित करेगा?'' डॉ. गील ने कहा कि यह वाक्योष कहता है ‘‘(जिस पीढ़ी में वह जीन्दा रहा) युग में जिन लोग उसके साथ रहे, उनके उस पर के दुश्ट कार्य, दुश्टता के दोशी, यह सब जो मुँह से नहीं कही जाती, या तो पूर्ण रीति से मनुश्य की कलम से नहीं लिखी जाती'' (Gill, ibid.). हमारे हृदय को रूला देती है, जब हम उन्होंने की हुई दुश्टता और अन्याय की बातें निर्दोश परमेष्वर के पुत्र के बारे में पढ़ते है! जैसे जॉसेफ हार्ट (1712-1768) ने इस बात को दुःखभरे गीत में पेष की है,

सी हाउ पेषंट जीसस स्टेंडस्,
   इनसल्टेड इन (धीस अॉवफुल प्लेस)!
सीनर्स् हेव बाऊन्ड ध अॉलमाईटी हेंडस्,
   अेंड स्पीट इन धेयर क्रीयेटर्स फेस।

वीथ थोर्नस् हीस टेंपल गोरड् एंड गेषड्,
   सेंड स्ट्रीमस् अॉफ ब्लड टू एवरी पार्ट,
हीस बेक वीथ क्नोटेढ स्कोरजीस लेषड्,
   बट षार्पर स्कोरजीस टेर हीस हार्ट।

नेइलड नेकेड टू ध अकरसड् वुड,
   एक्सपोस्ड टु अर्थ एंड हेवन अबोव,
अ स्पेक्टेकल अॉफ वूंडस् एंड ब्लड,
   अ प्रोडीजी अॉफ इनजरड लव!
(“His Passion” by Joseph Hart, 1712-1768; altered by the Pastor;
to the tune of ‘“Tis Midnight, and on Olive’s Brow”).

जोन ट्रेप (1601-1669) ने कहा, ‘‘इस पीढ़ी को कौन बतायेगा या तो कहेगा? (कौन वर्णन करेगा) जिस समय में वह रहा तब के लोगों की दुश्टता?'' (John Trapp, A Commentary on the Old and New Testaments, Transki Publications, 1997 reprint, volume 3, p. 410).

इन्सानी तौर से समझाना कठीन है, यहूदी अगुके यीषु को वधस्तंभ (क्रूस) पर क्यों मारना चाहते थे और रोमियो सिपाही, ‘‘वे उसके सिर पर सरकण्डे मारते, और उस पर थूकते...उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिए बाहर ले गए'' (मरकूस 15:19-20)।

‘‘उन्होने मार डालने के योग्य कोई दोश उसमें न पाया, तौभी पिलातुस ने विनती की कि वह मार डाला जाए'' (प्रेरितों 13:28)।

जैसे जोन ट्रेप ने कहा, ‘‘कौन उसकी पीढी को बताए गा है या कहेगा?...उस समय के लोगों की दुश्टता को जब वह जीन्दा था।''

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए : उसकी पीढ़ी को कौन घोशित करेगा? वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया...'' (यषायाह 53:8)।

डॉ. यंग ने कहा, ‘‘क्रियापद (घोशित) षब्द मनन करने या तो कुछ गंभीर विचार करने योग्य है...उन्होने इस पर विचार करना (उनकी मृत्यु का अर्थ) था, किंतु उन्होने नहीं किया'' (Young, ibid., p. 352).

आज भी यह किसी भी तरह से कैसे अलग है? लाखों लोंगो ने यीषु की क्रूस पर की मृत्यु के बारे में सुनकर भी गंभीर विचार नहीं दिया। ‘‘उन्होने इस पर सोचना था, किंतु उन्होने नहीं किया।'' मसीह के वधस्तंभ की मृत्यु को किसने गहराई से सोचा है? क्या आप? मसीह की मृत्यु के बारे में सोचने के लिए क्या आप थोडा समय निकालोगे? और इसका आपके लिए क्या मतलब है?

‘‘कौन कर सकता है...उसकी पीढ़ी का वर्णन?...उस समय में जब वह जीन्दा था उन लोगों की दुश्टता,'' जोन ट्रेप ने कहा। और अभी तक लोग जिन्होने यीषु को क्रूस पर चढाया वे सचमुच बहुतायत आज के अपरिवर्तीत लोग जैसे थे। आज लोग मसीह की मृत्यु के महत्व के बारे में गंभीरता से सोचना नहीं चाहते है। जब फिल्म “The Passion of the Christ” बाहर पड़ी तब समाचार टीकाकारों न कहा कि जिन्होने इस फिल्म को देखा है उन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ना चाहिए था। उन्होने कहा कि दिलचस्प सुसमाचार के पुनरूद्धार को आग लगनी थी। उनमें से कई लोगों ने कहा युवा लोगों की भारी भीड़ कलेसियों में आने का कारण बनेगी।

यह फिल्म (चलचित्र) 2004 में बाहर पड़ी नौ साल पहले। हमें उन टीकाकार सही थे कि नहीं जानने के लिए काफी समय मिला था। मसीह की पीड़ा की भयानक सच्चाई जो फिल्म में बताई गई उसका असर मनोवैज्ञानिक रूप से कई पर हुआ जिन्होने उसे देखी थी। किंतु अब हम देख सकते है कि उसका असर उन पर बहुत समय तक नहीं रहा वे सभी फिर से स्वार्थ भरा और पापसे भरा जीवन जीने लगे।

आप देखिए, यही तो पाप का मूल उदेष्य है। अपरिवर्तित लोग मसीह की पीड़ा का मात्र थोडा सा दुःख अनुभव कर सकते है। किंतु यह तो केवल सबसे अच्छा मामूली पछतावा है। वे वापस घंटो तक “surfing the net” में गये, अधिक पैसे की लालच, बिना परमेष्वर का जीना, अंतहीन वीडियो गेम्स, रविवार को कलेषिया से लापता रहना, परमेष्वर के बारे में बहुत ही कम सोचना जिसने उन्हें बनाया है और मसीह जो पीडित होकर उन्हे बचाने के लिए मरा। ‘‘कौन उसकी पीढ़ी का वर्णन कर सकता है?'' क्यों, वह पीढ़ी जब यीषु क्रूस पर वध हुआ वास्तव में आज की पीढ़ी समान ही है! कितने सारे स्वप्रेमी, नास्तिक जो पापी खुषीसे बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं था। क्या यह चित्र आपकी पीढ़ी से मिलता जुलता नहीं है? और अगर आप अपने से इमानदार हो तो क्या यह आप ही का चित्र विवरण नहीं है? आखिर में आप परमेष्वर के बारे में सोचने में कितना समय व्यतित करते हो? हररोज आप कितना समय प्रार्थना में बिताते हो? वध स्तंभ पर मसीह के बहते खून का आप के हररोज के जीवन में कितना असर हुआ है? यदि आप अपने आप से ईमानदार है, मैं सोचता हूँ कि सही अर्थ में आप उस पीढ़ी से कुछ अलग नहीं हो जिन्होने मसीह का अस्वीकार किया, षूली पर चढ़ाया और अपना स्वार्थी जीवन में रहने लगे। यही है पाप का हेनू। यही है पाप का स्वभाव। यही साबित करता है कि तुम पापी हो, और यह कि तुम भी मसीह के समय के लोगों की तरह दोशी हो। अगर आप यहाँ हर रविवार को कलेषिया आते हो, आप मात्र ‘‘भक्ति का दिखावा'' करते हो (2 तीमुथियुस 3:5)। क्या आपके लिए सही नहीं है? इसलिए कि सबने ‘‘पाप किया है और परमेष्वर की महिमा से रहित हैं''? (रोमियों 3:23)। जब यह सारी चीजें आपके लिए सही है, तो फिर आप सर्वषक्तिमान परमेष्वर के क्रोध और फैसलें से कैसे बच सकते हो? रीव. ईयान एच. मुरेए, उनकी आज की किताब ओन ध लाईफ अॉफ डॉ. मार्टीन लॉयड-जोनस, में कहा है,

     डॉ. लॉयड-जोन्स के लिए असली संकट के मनुश्य का परमेष्वर के सामने दोशी का मतलब दैवी प्रकोप का प्रचार करना, प्रकोप जो अपरिवर्तित लोगों पर है जो पापों की सजा के रूप में नर्क में आनेवाला है...यह ऐसी जगह ‘जहाँ उनके कीडे मरते नहीं और आग बुझती नहीं' (Iain H. Murray, The Life of Martyn Lloyd-Jones, The Banner of Truth Trust, 2013, p. 317).

॥।. तीसरा, यह संदेष मसीह की पीड़ा का गहराई में वर्णन करता है।

कृपया खडे हो जाईए और यषायाह 53:8 जोर से पढिए, अंतिम वाक्यांष को खास ध्यान में रखते हुए, ‘‘मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।''

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए : उस समय के लोगों में से किसने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी'' (यषायाह 53:8)।

आप बैठ सकते है।

डॉ. मेरील एफ. उन्गर ने कहा,

सत्रह सदी तक (मसीह का खुलासा यषायाह 53 से) मात्र यही एक मसीह का खुलासा ईसाई और यहूदी अधिकारीयों के बीच में था। (बाद में यहूदी) जानबुजकर इस अध्याय के अभिप्राय का अस्वीकार किया क्योंकि उसमें मसीह की अद्भूत संपूर्णता बताई है। (Unger, ibid., p. 1293).

आज कई यहूदी पंडित कहते है कि यषायाह का तेप्पनवा अध्याय यहूदी लोगों की पीड़ा का वर्णन करता है नहीं की मसीह की। हालाकि यहूदी लोेग झूठे ईसाई लोगो के हाथ भयंकर रीति से पीडित हुए थे, यह हमारे संदेष का उद्दष्य नहीं हो सकता, क्योंकि यह साफ कहता है, ‘‘मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पडी'' (यषायाह 53:8)। यह वाक्यांष, ‘‘मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पडी,'' डॉ. हेन्री अेम. मोरीस ने कहा, ‘‘वह ‘मेरे लोगों' के लिए मरा - मतलब है इझरायेल-बताता है (मसीह) इस मुद्दे में केवल इज़राईल नहीं परंतु कई लोग'' (Henry M. Morris, Ph.D., The Defender’s Study Bible, Word Publishing, 1995, p. 767). इस प्रकार, सही अर्थ में यहूदी लोग जो पीड़ित नहीं हुए थे, लेकिन बजाय मसीह उनके स्थान पर पीड़ित हुआ, उनके अपराधों के लिए, उनके अपराधों की सज़ा भुगतने के लिए और अपने भी। अपने पाप की सज़ा के भुगतान के रूपमें उसे क्रूस पर चढ़ाया गया था।

डॉ. जोन गील इन षब्दों में कहा, ‘‘मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पडी,'' यह यहूदी लोगों की और चुने हुए ईसाई लोगों की लागू करे - बताते हुए कि मसीह दोनों के लिए इज़राईल के अपराधों के लिए और ‘‘उनके लोगों'' के लिए जो ईसाई है पीड़ित हुआ (Gill, ibid., p. 314). मेरे खयाल से डॉ. गील ने उन षब्दों का सही मतलब निकाला है,

‘‘मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पडी'' (यषायाह 53:8)।

मसीह उनके लोगों के अपराधों के लिए क्रूस पर पीड़ित हुआ, चाहे वे यहूदी या अन्यजातियों के हो। उनकी मृत्यु दूसरों के लिए हुई, मसीह की मृत्यु हमारे अपराधों का जुर्माना है। यह तसल्ली बख्ष है, परमेष्वर के क्रोध को हमारे अपराधों से मोड़ना।

किन्तु यहाँ एक षर्त है। जैसे मसीह ने सफलतासे हमारे अपराधों का जुर्माना भरा है, तुम्हें उन पर आस्था से भरोसा करना ही चाहिए। मसीह ने किया हुआ अपराधों का जुर्माना आपको नहीं बचा पाएगा अगर कोई यीषु पर विष्वास करने में असफल रहे। यह तभी होगा जब आप यीषु के षरण में आओगे जिससे तुम्हारे सारे पाप परमेष्वर के रेकार्ड में से मिटा जाएँगे, तारनहार के लहू द्वारा।

आप इस वचन की सारी बातें जानकर भी खो जा सकते हो। ष्‍ौतान को इस बात की पूरी समझ है, फिर भी उन्हें नहीं बचाता। प्रचारक याकूब कहा, ‘‘दुश्टात्मा भी विष्वास रखते, और थरथराते हैं'' (याकूब 2:19)। ष्‍ौतान को मात्र ‘‘दिमागी ज्ञान'' है, मसीह की पीड़ित मृत्यु के बारे में। तुम्हें उससे आगे जाना है अगर आप बचना चाहते हो। सही में आपको मसीह की षरण में आकर उस पर भरोसा करना है। परमेष्वर के अनुग्रह के कार्य से आप को परिवर्तत होना है, नहीं तो आप नर्क में जाओगे उसके क्रूस के विचारों के साथ।

डॉ. ऐ. दब्लू. टोझर को सुनो जैसे वे बताते है वधिकि ‘‘नष्चियवाद'' के विरोध में और सच रूपांतरण के पसंदीया के बारे में। डॉ. टोझर ने कहा,

धार्मिक रूपांतरण यांत्रिक और आत्महीन लेन देन बन गया है। आस्था नैतिक जीवन के लिए एक जार के बिना और आदमीक अहंकार के लिए षर्मिंदगी के बिना प्रयोग अब कर सकते है। मसीह को ‘‘अपनाया'' जा सकता है बिना किसी खास प्रेम के पानेवाले की आत्मा में (A. W. Tozer, D.D., The Best of A. W. Tozer, Baker Book House, 1979, page 14).

‘‘धार्मिक रूपांतरण का पूरा लेन देन यांत्रिक और आत्महीन बनाया गया है'' - और मैं इसके जोडे में कईबार बिना मसीह के! ‘‘निर्णायक'' बस आपको उनके लिए झट से छोटी प्रार्थना, बाप्तीस्मा, और इससे हो लेना चाहते है। कईबार मसीह की मृत्यु और पुनरूत्थान के बारे में बताया नहीं जाता है। कई बार पूरी तरह से छोडे जाते है! पवित्रषास्त्र सिखाता है कि तुम्हारें पापों का दोश का एहसास होना चाहिए, अपने पाप के छुटकारे का, और उसके परिणाम का कोई मार्ग नहीं है सिवाय मसीह के पास आनेमें, असहाय होकर उसकी षरण में आने में, बिलकुल अंतःकरण से उसके पर भरोसा रखने में। तब और तभी आप नबी यषायाह ने जो कहा था उसका अनुभव करोगे जब उसने कहा,

‘‘मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पडी'' (यषायाह 53:8)।

जब आप विष्वास से यीषु पर भरोसा करोगे, उसका लहू आपके सारे पाप धो लेगा और आप में रूपांतरण होगा-उसके पहले नहीं होगा। नहीं यह होने के पहले कभी नहीं! अगर आप बचना चाहते है तो आपको यीषु मसीह पर भरोसा रखना ही है!

चलो मिलकर खडे हो जाएँ। अगर आप यीषु पर विष्वास के बारे में हमसे बात करना चाहते है तो कृपया करके अभी अपने स्थान को छोडकर दाहिनी ओर सभागृह के पिछवाडे जाईए। डॉ. केगन आपको एकांत कमरे में ले जाएँगे, जहाँ हम मसीह को समर्पण और उनके पवित्र लहू से पाप से षुद्ध होने की बातें करेंगे! श्रीमान ली. कृपया आप आकर जिन्होने जवाब दिया है उनके लिए प्रार्थना करे। आमीन।

(संदेश का अंत)
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संदेश से पहले पढ़ा हुआ वचन डॉ. क्रेग्टन एल. चॉन द्वारा : यषायाह 53:1-8।
संदेश के पहले श्री. बेंजामीन कीनकेइड ग्रीफिथ ने अकेले गाना गाया :
“Blessed Redeemer” (by Avis B. Christiansen, 1895-1985).


रूपरेखा

प्रायष्चित का विवरण

(नौवा संदेष यषायाह 53 से)

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा

‘‘अत्याचार करके और दोश लगाकर वे उसे ले गए : उस समय के लोगों में से किसने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवंतो के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी'' (यषायाह 53:8)।

(यषायाह 53:7)।

।.    पहला, यह भाग मसीह की पीड़ा का वर्णन देती है, यषायाह 53:8अ;
मती 26:64, 66-67; 27:1-2, 26; प्रेरितो 8:32।

॥.   दूसरा, यह भाग मसीह की पीढ़ी का वर्णन देती है, यषायाह 53:8ब;
मरकूस 15:19-20; प्रेरितो 13:28; 2 तीमुथियुस 3:5; रोमियों 3:23।

॥।.  तीसरा, यह भाग मसीह की पीड़ा का गहराई में किया हुआ वर्णन,
यषायाह 53:8सी; याकूब 2:19।