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मसीह - समुदाय द्वारा अस्वीकार किया हुआ

(यषायाह 53 पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 3)
CHRIST – REJECTED BY THE MASSES
(SERMON #3 ON ISAIAH 53)

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, 10 मार्च, 2013 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, March 10, 2013

‘‘जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विष्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ? क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले, उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते है'' (यषायाह 53:1-2)।


यषायाह ने कहा कि थोड़े उनका संदेष प्रभु के तड़पते सेवक के बारे में मानेंगे, और थोड़े उनके अनुग्रह का अनुभव करेंगे। प्रेरितो यूहन्ना ने यषायाह 53:1 का कथन किया वर्णन करने ज्यादातर यहूदियों के अविष्वास का मसीह के समय में।

‘‘उसने उनके सामने इतने चिन्ह दिखाए तौभी उन्होंने उस पर विष्वास न किया; ताकि एषायाह (यषायाह) भविश्यवक्ता का वचन पूरा हो जो उसने कहा, हे प्रभु हमारे समाचार का किसने विष्वास किया है? और प्रभु का भुजबल किस पर प्रगट हुआ है?'' (यूहन्ना 12:37-38)।

प्रेरितो पौलुस ने भी यह पद का कथन किया था, मसीह के स्वर्ग में लौटने के 30 वर्श बाद, दिखाने की ज्यादातर अन्यजाति सिर्फ थोड़ी ही ज्यादा उत्तरदायी होंगी प्रभु यीषु मसीह से यहूदियों से अधिक/पौलुसने कहा,

‘‘यहूदियों और यूनानियों में कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है और अपने सब नाम लेनेवालो के लिये उदार है...परन्तु सबने उस सुसमाचार पर कान न लगाया एषायाह (यषायाह) कहता है, हे प्रभु किसने हमारे समाचार पर विष्वास किया है?'' (रोमियों 10:12,16)।

प्रभु यीषु मसीह स्वयं ने वह समान बातें कही। उन्होंने कहा कि जितनेे को जिन्होंने उन पर विष्वास किया था, बचाया वह थोड़ा होगा,

‘‘क्योंकि सकेत (छोट़ा) है वह फाटक और कठिन है वह मार्ग जो जीवन को पहुँचाता है; और थोड़े हैं जो उसे पाते है'' (मती 7:14)।

मसीह ने वही मुदद्‌ा बनाया जब उन्होंने कहा

‘‘सकेत (छोट़ा) द्वार से प्रवेष करने का यत्न करो, क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे'' (लूका 13:24)।

विष्व में लोग आमतौर से मानते है कि करीबन हरएक स्वर्ग में जाएँगे। परन्तु यीषु ने इससे एकदम विरूद्ध कहा,

‘‘थोड़े हैं जो उसे पाते है'' (मती 7:14)।

‘‘मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से प्रवेष करना चाहेंगे, और न कर सकेंगे'' (लूका 13:24)।

वह व्याकुल करनेवाली सच्चाई प्रतिध्वनि हुई है यषायाह के दुःखद विलाप में,

‘‘जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विष्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?'' (यषायाह 53:1-2)।

हम षायद पूछे ऐसा क्यों है। यहूदियों ने देखा महान और सामर्थ्यवान षासक के लिये, वैभव और संपत्ति का राजा, उनका मसीह (Messiah), और अन्य जातियो ने मसीह के लिये देखा ही नही! इस प्रकार, हम देखते है, कि सामान्यरूप में इंसान आषा नहीं रखता मसीह का नम्रता से पीड़ीत सेवक के समान आना, क्रूस पर मरते हुए उनके पापो को चुकाने।

प्रेरितो के आंठवे पाठ में, इथियोपीयान एनोक (Ethiopian Eunuch) इन बातो को अन्धा (अनजान) था हकीकत से याजक और यहूदियो के फरासिंयो की तरह। वे यषायाह का त्रेपनवाँ (53) पाठ पढ़ रहे थे जब सुसमाचार प्रचारक फिलिप्पुस ने उनके चलते रथ को पकड़ा।

‘‘फिलिप्पुस उसकी ओर दौड़ा और उसे एषायाह (यषायाह) भविश्यवक्ता की पुस्तक पढ़ते हुआ सुना, और पूछा, तू जो पठ़ रहा है क्या उसे समझता भी है? उसने कहा...कैसे समझूँ...'' (प्रेरितो 8:30-31)।

यह आफ्रिकन यहूदि, धर्म में परिवर्तित हुआ था। वह प्रत्यक्ष रूप से परिचित था पुरानी नियमावली के पवित्रषास्त्र से, और फिर भी वह अन्धा था यहूदि लिखावट की तरह जब यह इस पवित्रषास्त्र के वाक्यखण्ड पर आया।

मुझे ऐसा लगता है कि हरएक ने यह इस वाक्यखण्ड से देखा होगा कि मसीह, (Messiah) जब वे आये, और धनवान और मषहूर नहीं होंगे, वैभव और इंसानी महिमा से घिरा हुआ, परन्तु वे आयेंगे जैसे ‘‘षोक के आदमी, और निराषा से परिचित,'' ‘‘आदमी द्वारा तुच्छ और अस्वीकार किया हुआ।'' फिर भी, चाहे यह सच्चाई बाइबल में सरलता लिखी है,

‘‘वह अपने घर आया (यहूदियो के) और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया'' (यूहन्ना 1:11)।

इस्त्राएल के राश्ट्र ने, पूरी तरह से, यीषु का स्वीकार नहीं किया उनके मसीह (Messiah) की तरह चाहे वो इतने पूर्णरूप से वर्णन इस बाइबल की भविश्यवाणी में। और भविश्यवक्ता हमें कारण देते है उन्होंने उनका अस्वीकार किया हमारे पाठ के दूसरे पद में,

‘‘क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले, उसकी न तो (रूप, स्ट्रोंग) कुछ सुन्दरता राजप्रताप, स्ट्रोंग थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते है'' (यषायाह 53:2)।

परन्तु हमें यहूदि लोगों का न्याय नहीं करना चाहिए जो उनका अस्वीकार करते है ज्यादा अधिक निश्ठुरता से अन्यजातियों से, जिन्होंने ज्यादा हिस्सो ने अस्वीकार किया था उनका। स्पर्जन ने कहा,

स्मरण करो कि जो यहूदियों के लिये सही था वह अन्यजातियों के लिये भी सहीं है। यीषु मसीह का सुसमाचार विष्व की सबसे सरल बात है, परन्तु फिर भी कोई भी आदमी इसे समझ नहीं पाते जबतक वह सिखाया जाता है परमेष्वर (द्वारा)...पाप ने इंसानी जाति पर मानसिक असमर्थता आध्यात्मिक विशयों के संदर्भ के साथ...आप के साथ यह कैसा है? क्या आप अंध भी हो? ओह, अगर आप हो षायद (प्रभु) आपको यीषु के विष्वास में मार्गदर्षन दे (सी. एच. स्पर्जन, ‘‘ए रूट आउट ओफ ड्राय ग्राउन्ड'', ‘‘बजर सूखी जमीन से जड बाहर'', ध मेट्रोपोलीटन टंबरनेकल पुलपीट, पीलग्रीम प्रकाषन, 1971 में फिर से छंपा हुआ, भाग XVIII पृश्ठ. 565-566)।

अब, हमारे पाठ में पद दो पर फिरते हुए, हम देखेंगे तीन कारण क्यों यीषु का अस्वीकार हुआ है। पद दो जोर से पढ़ो,

‘‘क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले, उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते है'' (यषायाह 53:2)।

I. पहला, मसीह का अस्वीकार हुआ है क्योंकि वे आदमी के सामने आते है अंकुर और छोटे दूध पीते बालक के समान।

थोेड़े यीषु में विष्वास करते है उस हकीकत के कारण।

‘‘क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान...'' (यषायाह 53:2)।

या, जैसे डो. गील ने कहा, ‘‘छोटे़ चुसनेवाले की तरह, जैसे षब्द सूचित करता है, जो बढ़ता है वृक्ष के जड़ की बाहर...जिसके बारे में ध्यान नहीं दिया जाता या परवाह की जाती है, नाही इससे किसी चीज की आषा की जाती थी; और प्रतिमा (भाशण की) निर्दिृश्ट करते है (नम्र) और मसीह का आषाहीन दृश्टि गोचर उनके (जन्म) पर; जो कारण दिया गया है क्यों यहूदियों ने सामान्यरूप में उनका अविष्वास, अस्वीकार और तिरस्कार किया था'' (जोन गील, डी.डी., एन एक्सपोझीषन ओफ ध ओल्ड टेस्टामेन्ट, पुरानी नियमावली का स्पश्टीकरण, घ बेपटीस्ट स्टानडर्ड बेरर, 1989 में फिर से छंपा हूआ, भाग I, पृपृश्ठ. 310-311)।

‘‘क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान...'' (यषायाह 53:2)।

इसका अर्थ है कि मसीह जन्में और बड़े हुए प्रभु पितामह के ‘‘सामने'', जिन्होंने उनको ध्यान में लिया और उन्हे सामर्थ्यवान बनाया। फिर भी डो. योन्गने कहा, ‘‘आदमीयों को, कैसे भी सेवक (यीषु) दिखे चुसनेवाले (Suckling) की तरह...आदमी चुसनेवाले का रिष्ता काट देते है, क्योंकि वे लेते है जीवन वृक्ष से और आदमीयों की नज़र में बाहर फेंक देना चाहिए'' (एडवर्ड जे. योन्ग, पी. एच. दी. ध बूक ओफ आईषायाह, यषायाह की किताब, वीलीयम बी. एरडमान्स प्रकाषन कम्पनी, 1972, भाग 3, पृपृश्ठ. 341-342)।

क्या वह सच्चा कारण नहीं है प्रधान याजक और फरिसियों चाहते थे यीषु से छुटकारा? उन्होंने कहा,

‘‘यदि हम उसे यों ही छोड़ दें, तो सब उस पर विष्वास ले आएँगे, और रोमी आकर हमारी जगह और जाति दोनों पर अधिकार कर लेंगे'' (यूहन्ना 11:48)।

‘‘आदमी चुसनेवाले का रिष्ता काट देते है, क्योंकि वे लेते है जीवन वृक्ष से और आदमीयों की नज़र में बाहर फेंक देना चाहिए'' (योन्ग, ibid.)। उन्हें डर था वे अपनी पहिचान खो देंगे यहूदी राश्ट्र की तरह अगर उन्होंने उनका विष्वास किया तो। ‘‘अंकुर'' की तरह, चुसनेवाले बालक, उन्हे ड़र था कि वे उनके राश्ट्र का ‘‘जीवन वृक्ष सेले लेंगे''।

और क्या वह वोही कारण नहीं आपने उनका अस्वीकार किया? उसके बारे में गहराई से सोचो! क्या यह आपके लिये भी सच नहीं है - कि आप कुछ खोने से ड़रते हो जो आपको महत्वपूर्ण लगता है - अगर आप उनके पास आते हो और उनका भरोसा करते हो? यह सच नहीं कि आप ड़रते हो की मसीह ‘‘लेंगे वृक्ष से जीवन'' की वे चूस लेंगे कुछ जो आपको बहुत महत्वपूर्ण है?

मैंने डो. केगन से कहा एक नकल देने उस लेख की जो ध सेटरडे इवनींग पोस्ट में 1929 में अक्तुबर में डाला था। वह था महान् मानसषास्त्री डो. अलर्बट एइनस्टेन के साथ साक्षात्कार (Interview)। मुलाकातलेनेवाले ने उनसे पूछा, ‘‘क्या आप यीषु के ऐतिहासीक अस्तित्व को स्वीकार करते हो?'' एइनस्टेन ने जवाब दिया, ‘‘निष्चितरूप से। यीषु की हकीकत में मौजुदगी को महसूस किए बिना कोई भी सुसमाचार नहीं पढ़ सकता। उनका व्यक्तित्व काँपता है हर षब्द में। ऐसे जीवन के साथ कोई भी कल्पित कथा नहीं भरी है'' (ध सेटरडे इवनींग पोस्ट, 26, अक्तुबर, 1929, पृश्ठ 117)। एइनस्टेन को मसीह के लिये बहुत ऊँचा मंतव्य था। परन्तु दुःखदरूप से वे कभी भी परिवर्तित नहीं हुए। उनको क्या चीज ने रोका? यह अवष्य ही कोई मानसिक परेषानी नहीं होगी। एइनस्टेन व्यभिचारी थे, और उसे वह पाप छोड़ना नहीं था। यह सरल है। आपको सच्चे मसीही बनने के लिये कुछ बाते छोड़नी पड़ती है।

अब, में झूठा षिक्षल होऊँगा अगर मैंने आपसे कहा की वह सत्य नहीं है। अगर मैंने आपको कहा कि आप मसीह के पास आ सकते हो बिना कुछ खो। मैं गलत षिक्षा प्रचार कर रहा होंगा। अवष्य यीषु के पास आने को कुछ तो दाम होंगे! ठसकी किमत है आपका जीवन! म्सीह ने इसे सरल कैसे बनाया? उन्होंने कहा,

‘‘जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपने आप से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर, मेरे पीछें होले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, पर जो कोई मेरे और सुसमाचार के लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे बचाएगा। यदि मनुश्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसें क्या लाभ होगा? मनुश्य अपने प्राण के बदले क्या देगा?'' (मरकुस 8:34-37)।

वह पर्याप्त सरल है, क्या यह नहीं है? मसीह के पास आने के लिये आपको अपने स्वयं का अस्वीकार करना ही चाहिए, आपको अपने स्वयं के विचार छोड़ देने चाहिए, आपको अपनी कल्पना, अपने स्वयं की महत्वकांक्षा छोड़ देनी चाहिए। आपको अपनेस्वयं को उन की ओर फिराना चाहिए। इसीका अर्थ है मसीह का भरोसा करो। आप उनका भरोसा करो-नाकी अपने स्वयdkA आप अपनेस्वयं को उन्हे दो-ना की आपके विचारो और लक्ष्य को। आप अपना जीवन ‘‘खोते'' हो उनकी ओर फिर ने से। यह सिर्फ तभी है जब आप अपना जीवन खोते हो, मसीह को समर्पण करने के द्वारा, की आपका जीवन बचाया गया है सारी अनंतता के लिये।

इस प्रकार, षब्द ‘‘अंकुर'' सूचित करता है की मसीह जीवन देनेवाले है परमेष्वर की नज़र में। परन्तु इंसान की नजर में वे जीवन लेनेवाले है, और इसीलिये ज्यादातर लोग उनका अस्वीकार करते है। वे नहीं चाहते उनको अपना जीवन ‘‘ले''! वे भयभीत है उनका जीवन देने और उन्हे चलाए (नेतृत्व) करें।

II. दूसरा, मसीह का अस्वीकार हुआ है क्योंकि वे आदमी को सामने आते है जैसे निर्जल भूमि में फूट कर जड़ के समान।

‘‘क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट...'' (यषायाह 53:2)।

मेरा समय बित गया है क्योंकि मैंने बहुत लंबा समय लिया पहले मुददे पर आने। परन्तु हम आसानी से देख सकते है कैसे मसीह सामने आए ‘‘निर्जल भूमि के जड़ समान''। डो. योन्गने कहा,

निर्जल भूमि संदर्भ करता है नम्र हालात और पूर्वभूमिका जिस में सेवक (मसीह) सामने आने थे। यह सलाह देता है हालात के अभागे स्वभाव की जिस के बीच सेवक का जीवन जीया ... निर्जल भूमि में जड़ को परिश्रम करना पड़ता है जीवन बचाने को (योन्ग, ibid., पृश्ठ. 342)।

यह भविश्यवाणी संदर्भ करता है गरीबी का जिस में मसीह जन्मे थे। उनके गोद लेने योग्य पिता (Adoptive Father) सिर्फ एक बढ़ई थे। उनकी असली माता मरियम एक गरीब कुँवारी लड़की थी। वे अस्तबल में जन्मे थे और गरीब लोगो के बीच बड़े हुए थे, ‘‘निर्जल भूमि के जड़ की तरह''। उन्होने अपने जीवन का काम गरीब और नम्र के बीच किया। उनके चेले मच्छीमार के अलावा कुछ नहीं थे। वे राजा हेरोदेस द्वारा, रोमी प्रधान पिलातुस द्वारा, षिक्षित षास्त्री और फरासियो द्वारा अस्वीकार किये गये थे, ‘‘जैसे निर्जल भूमि की जड़ के समान।'' उन्होंने उनको बेंत से मारकर अधमरा किया, और फिर उन्होंने उनको कील से हाथ और पाँव से क्रूस पर लटका दिया। उन्होने उनकी टूटी मृत देह को उधार मांगी हुई कब्र में रखी! ‘धरती पर उनका पूरा जीवन, उनकी तड़प और उनकी मृत्यु सब जीये ‘‘निर्जल भूमि की जड़ के समान।'' परंतु, धन्यवाद परमेष्वर का, वे तीसरे दिन मृत्यु से उठे, ‘‘निर्जल भूमि की जड़ के समान''! जैसे पौंर्ध का अंकुर अचानक बढ़ता है आषाहीन बारिष के बाद, इसलिये मसीह आगे बढें़, मृत्यु सी जीवित, ‘‘निर्जल भूमि की जड़ के समान''। हल्लिलूय्याह!

और फिर भी ज्यादातार लोग उनका विष्वास नहीं करते। वे सोचते है उनके लिये ‘‘जीवन चूसनेवाले'' की तरह और ‘‘मरे हुए यहूदी'' के समान।

‘‘जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विष्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट किया? क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले...'' (यषायाह 53:1-2)।

III. तीसरा, मसीह का अस्वीकार हुआ है क्योंकि उनके पास न सुन्दरता, न रूप थे, न ऐसा कुछ था जिससे हम उनको चाहे।

मेहरबानी करके खड़े रहो और पद दो जोर से पढ़ो।

‘‘क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूर निकले, उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते है'' (यषायाह 53:2)।

आप बैठ सकते हो।

यीषु के पास ‘‘न सुन्दरता ना आकार है'', न बाहरी देखाव महाराज और वैभवी जैसा। डो. योन्ग ने कहा, ‘‘जब हम सेवक (मसीह) को देखते है हम जानते है कोई सुन्दरता नहीं जो हम उनसे इच्छा करे। हमारा न्याय, दूसरे षब्दो में, वो बाहरी देखाव के अनुसार है और यह सच नहीं है। यह दुःखद चित्र है। सेवक (मसीह) उनके अपने लोगो के बीच ही रहे, और उनके षारीरिक आकार के पीछे विष्वास की आँखो ने देखी होगी सच्ची महिमा; परंतु उनके बाहरी रूप को देखकर, इस्त्राएल को कुछ सुन्दर नहीं लगा उनकी आँखे प्रसन्न करने...सेवक (मसीह) का देखाव ऐसा था कि कोई आदमी उन्हे बुरे दृश्टिकोण से परखे, तो पूरी तरह से उन्हे गलत परखेगा'' (योन्ग, ibid.)।

बहरीरूप में यीषु के पास सुन्दरता या राजवैभव नहीं है दुनिया को आर्कशित करने। उन्होंने लोगो को ऐसी चीजे उपस्थित नहीं की थी जो ज्यादातर लोगो को आर्कशित कर सके। वे उपस्थित नहीं करते सफलता या प्रसिदिद् या पैसा या सांसारिक आनन्द। इससे एकदम विरू़द्ध। इस सभा की षुरूआत में श्रीमान प्रुद्यौम्म ने पवित्रषास्त्र का वह हिस्सा पढ़ा जो हमे कहता है मसीह क्या उपस्थित करते है।

‘‘जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपने आप से इन्कार करे और अपना क्रूस उठाकर, मेरे पीछें होले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे वह उसे खोएगा, पर जो कोई मेरे और सुसमाचार के लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे बचाएगा। यदि मनुश्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसें क्या लाभ होगा? मनुश्य अपने प्राण के बदले क्या देगा?'' (मरकुस 8:34-37)।

मसीह उपस्थित करते है स्व का निश्‍ोध। मसीह उपस्थित करते है एक के अपने जीवन और मंजिल पर से काबू खोना। मसीह उपस्थित करते है आत्मा को मुक्ति, पापो को क्षमा, और अनन्त जीवन। यह अस्पृष्य चीजे है, चीजे जो छू नहीं सकते या देख नहीं सकते इंसानी भावना या दृश्टि द्वारा, चीजे जो स्वभाव में आध्यात्मिक है। इसीलिये मसीह का अस्वीकार हुआ है उनके द्वारा जिनकी अन्दरूनी आँखे परमेष्वर द्वारा नहीं खोली गयी है, क्योंकि

‘‘षारीरिक मनुश्य परमेष्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उसकी दृश्टि में मूर्खता की बातें है, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जाँच आत्मिक रीति से होती है'' (1 कुरिन्थियों 2:14)।

परंतु मुझे आष्चर्य है, इस सुबह, अगर परमेष्वर आपके मन से बात करते हो। मुझे आष्चर्य है अगर प्रभु षायद आपसे कहते हो, ‘‘यद्यपि न उसका रूप ही हमेें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते, फिर भी मैं आपको मेरे पुत्र के पास ले जाता हूँ। क्या आपने कभी भी वह अपने मन में महसूस किया है? क्या आपने कभी भी महसूस किया है कि संसार आनंद की गुजरती पलो या सफलता की पलो से अधिक कुछ भी नहीं दिया है? क्या आपने कभी भी अपनी आत्मा के बारे में सोचा है? क्या आपने कभी भी सोचा है उसके बारे में की आप अनंतता कहा बिताएँगे अगर यीषु आपके पाप उनके लहू द्वारा षुध्द नहीं करे तो? क्या आपने इन बातों के बारे में सोचा है? और, अगर आपने किया है, क्या आप सरल विष्वास द्वारा उनके पास आओगे जो ‘‘उसकी न तो कुछ सुन्दरता...न उसका रूप...हम उसको चाहते है''? (यषायाह 53:2)। क्या आप नाासारत के यीषु के सामने घूटने टेकोगे, और आपके पूरे मन से उनका भरोसा करोगे? मैं प्रार्थना करूँगा की आप ऐसा करोंगे।

चलिए खडे़ रहते है जैसे श्रीमान ग्रीफिथ आते है गाने दो अंतरे भक्तिगीत का जो उन्होेने धार्मिक प्रवचन से पहले गाया था।

विष्व ले लो, पर मुझे यीषु दो, इसके सारे आनंद है परंतु नाम;
परन्तु उनका प्रेम सदा दृढ है, समान अनन्त वर्श दरम्यान।

विष्व ले लो, पर मुझे यीषु दो, उनके क्रूस में मेरा भरोसा हो;
जब तक स्वच्छ, दिव्य दृष्य, चेहरे के सामने सामने मेरे प्रभु मैं देखु
ओह, दया की ऊँचाई और गहराई! ओह, लंबाई और चौडाई प्रेम की!
औह छुटकारे की परिपूर्णता,
ऊँपर अन्तहीन जीवन के लिये प्रार्थना!
(‘‘विष्व ले लो, पर मुझे यीषु दो'' फेन्नी. जे क्रोस्बी द्वारा, 1820-1915)।

अगर प्रभु ने आपके मन से बात की हो, और आप तैयार हो इस गुजरते विष्व का आनन्द छोड़ने, और अगर आप यीषु मसीह को समर्पण करने तैयार हो और उनके पास विष्वास द्वारा आओ, और आपको आपके पाप उनके लहू द्वारा षुध्द कराने है, और अगर आपको हमारे साथ उसके बारे में बात करनी हो, क्या आप मेहरबानी करके अभी पीछे के कक्ष में जाओगे? डो. केगन आपको षान्त जगह ले जाएँगे जहाँ हम इस पर बात कर सकते है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप आओगे और यीषु में सरल विष्वास द्वारा बचाए जाओगे। डो. चान मेहरबानी करके आओ और जिन्होने प्रतिसाद दिया है उनके लिये प्रार्थना करो। आमीन।

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान एबेल प्रुद्योम्म द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : मरकुस 8:34-37।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन कीनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘विष्व ले लो, पर मुझे यीषु दो'' (फेन्नी. जे क्रोस्बी द्वारा, 1820-1915)।


रूपरेखा

मसीह - समुदाय द्वारा अस्वीकार किया हुआ

(यषायाह 53 पर धार्मिक प्रवचन क्रमांक 3)

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा

‘‘जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विष्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ? क्योंकि वह उसके सामने अँकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले, उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते है'' (यषायाह 53:1-2)।

(यषायाह 12:37-38; रोमियों 10:12,16; मती 7:14; लूका 13:24;
प्रेरितो 8:30-31; यूहन्ना 1:11)

।. पहला, मसीह का अस्वीकार हुआ है क्योंकि वे आदमी के सामने आते है अंकुर और छोटे दूध पीते बालक के समान, यषायाह 53:2 अ; यूहन्ना 11:48; मरकुस 8:34-37।

॥. दूसरा, मसीह का अस्वीकार हुआ है क्योंकि वे आदमी को सामने आते है जैसे निर्जल भूमि में फूट कर जड़ के समान, यषायाह 53:2 ब।

॥।. तीसरा, मसीह का अस्वीकार हुआ है क्योंकि उनके पास न सुन्दरता, न रूप थे, न ऐसा कुछ था जिससे हम उनको चाहे, यषायाह 53:2 क; मरकुस 8:34-37; 1 कुरिन्थियों 2:14।