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आदमी के अकेलेपन के लिये परमेष्वर का उपाय

GOD’S CURE FOR MAN’S LONELINESS
(Hindi)

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह, 16 सीतंबर अगस्त, 2012 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Morning, September 16, 2012


मैं लोस एंजलिस के पहले चीनी बेपटीस्ट कलीसिया (First Chinese Baptist Church) का तेबीस वर्श से सदस्य था। चीनी कलीसिया में मेरे याजक थे डो. तीमोथी लीन। वे बोब जोनेस विष्वविद्यालय में बाइबल संबंधी भाशाएँ और सिद्धांत सीखाने से कलीसिया आये थे। आज बहुत सी बाते जो मैं जानता हूँ वो डो. लीन द्वारा मुझे सीखायी गयी थी चीनी कलीसिया में, जो कभी था। डो. लीन ने मुझे प्रचार करने के बारे में बहुत कुछ सीखाया। उन्होंने कहा,

     याजको के सारे कर्तव्यों में से, सबसे मुष्किल और सबसे महत्वपूर्ण काम है जानना, बिना संदेह, संदेष जो प्रभु चाहते है उसे प्रचार करना प्रभु के हर एक दिन पर ... कभी कभी गुरूवार तक भी, संदेष जो प्रचार करना होता है वो अस्पश्ट है। अगर (वो) ऐसा है, फिर याजक को उपवास और प्रार्थना करनी चाहिए उत्सुकता सण्ण्ण्‍े ... जैसे ही हम उपवास और प्रार्थना करना षुरू करते है हमारी आध्यात्मिक जागृतता से कई बार अवरोध हट जाते है, और संदेष जो प्रभु चाहते है वो फ्कटिक के समान स्पश्ट हो जाएँगे। यह बोलना मेरे व्यक्तिगत अनुभव से है (तीमोथी लीन, पीएच.डी., ध सीक्रेट अॉफ चर्च ग्रोथ, कलीसिया की प्रगति का रहस्य, पहला चीनी बेपटीस्ट कलीसिया, 1992, पृश्ठ 23)।

हाल में प्रभु हमसे इतने अच्छे है। उन्होंने मुझे एक के बाद दूसरा धार्मिक प्रवचन दिया, बिना किसी परेषानी से। मेरे लिये रविवार सुबह और रविवार षाम और षनिवार रात को भी क्या प्रचार करना है वो जानना बहुत आसान लगता है। कुछ याजकोने मुझसे कहा, ‘‘आप हर हफते तीन अलग धार्मिक प्रवचन कैसे प्रचार कर सकते हो और फिर भी लोगों का ध्यान बना रहता है’’ मैं सिर्फ कह सकता हूँ यह प्रभु के अनुग्रह से है! मैं ऐसा भी सोचता हूँ ये कितना सरल है जानना की क्या प्रचार करना है क्योंकि हम हर रविवार उपवास और प्रार्थना करते है। हर षनिवार उपवास और प्रार्थना करना, प्रभु का आषिर्वाद लाया है और मेरे लिये यह जानना आसान बना दिया है कि क्या प्रचार करना है!

पिछले हफते वो ही हुआ! मैं रविवार षाम का धार्मिक प्रवचन देने पर बहुत समय तक काम करता हूँ। फिर भी मुझे कोई विचार नहीं मिला रविवार सुबह क्या प्रचार करू। परन्तु परमेष्वर मुझे कहते हुए लगे, ‘‘चिन्ता मत कर। जैसे ही तू षाम का धार्मिक प्रवचन लिखना पूरा करेगा, मैं तूझे दिखाऊँगा रविवार सुबह को क्या प्रचार करना है।’’ प्रभु की सराहना करो! वैसा ही हुआ!

जैसे ही मैंने रविवार षाम का धार्मिक प्रवचन लिखना समाप्त किया, प्रभु ने मुझे दिखाया रविवार सुबह में क्या बोलना है। यहाँ है यह कैसे हुआ। मैंने षाम का धार्मिक प्रवचन लिखना समाप्त किया और मेरे आगे के कमरे में दिन का खाना खाने गया। मैं सामान्यतः फोक्स न्युझ (Fox News) देखता हूँ, जब मैं दिन का खाना खाता हूँ। इसलिये मेंने टेलीव्हीझन चालू किया। विचित्रता से, यह दूसरी चेनल पर था जो मैं कभी भी नहीं देखता। परन्तु जब मैंने वो चालू किया, ज्योर्ज बेवर्ली षी गा रहे थे,

समय के घंटे समाचार बजाया, एक और दिन बित गया।
   कोई फिसला और गिरा, क्या वो कोई आप हो?
आप मेें षायद अतिरिक्त सामर्थ्य की लालसा की होगी आप की हिमंत नयी करने,
   निरूत्साह नहीं होना, मेरे पास आपके लिये समाचार है।
यह रहस्य नहीं है क्या प्रभु कर सकते है,
   क्या उन्होंने दूसरो के लिये किया है, वे आपके लिये करेंगे,
अपनी बाँहे लंबी फैलाए, वे आपको माफ करेंगे,
   यह रहस्य नहीं है क्या प्रभु कर सकते है।
(‘‘यह रहस्य नहीं है’’ स्टुअर्ट हेम्बलेन द्वारा, 1908-1989)।

मेरी पत्नी बैठक के कमरे में आयी श्रीमान षी को गाते हुए सुनने। फिर बीली ग्रेहाम आये और प्रचार करना षुरू किया। यह पूराना वीडियो था, डेनवेर, कोलोराडो में 1988 में बना हुआ। जब मेंने टी.वी. चालू किया मुझे पता भी नहीं था इसके बारे में। श्रीमान ग्रेहाम ने उनका महान् धार्मिक प्रवचन अकेलेपन पर प्रचार करना षुरू किया। तुरंत ही प्रभु ने मुझे इस सुबह वही विशय पर प्रचार करने को कहा! यह निष्चित था जब मेरी पत्नी ने मुझसे कहा, ‘‘रोबर्ट, आपको अगले रविवार सुबह इस विशय पर प्रचार करने की आवष्यकता है’’। श्रीमती हायमर्स बहुत विरल ही मुझे कहते है कलीसिया में क्या करना है - बहुत विरल। मैंने जाना है कि वो सदा सही होती है जब वो करती है। इसलिये, यहाँ है मेरा वर्णन श्रीमान ग्रेहाम के मषहूर धार्मिक प्रवचन अकेलेपन पर।

मेहरबानी करके खड़े रहो और मेरे साथ भजनसंहिता 102:6-7 पर फिरो।

‘‘मैं जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ, मैं उजड़े स्थानों के उल्लू के समान बन गया हूँ। मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूँ और गौरे के समान हो गया हूँ जो छत के ऊपर अकेला बैठता है’’ (भजनसंहिता 102:6-7)।

आप बैठ सकते हो। डो. जोन गील (1697-1771) ने उन पदो पर अच्छा संभाशण दिया। डो. गील ने कहा,

     यहूदीयों के घरो पर सपाट छत होती थी, और यहाँ निर्जनता के पंछी आयेंगे और रात के समय अकेले बैठे रहेंगे, जिसे भजन करनेवाले स्वयं (तूलना करते है); या तो छोड़ा हुआ उनके मित्रो और जान पहेचानवालो से; या, ऐसी अवस्था में (दूःखी और अकेला), वो अकेला रहना पसंद करता है, उसकी षोक भरी स्थिति और अवस्था पर मातम करते हुए (जोन गील, डी.डी., एन एक्सपोझीषन अॉफ ध ओल्ड टेस्टामेन्ट, (पूरानी नियमावली का स्पश्टीकरण), ध बेपटीस्ट स्टान्डर्ड बेरर, 1989 में फिर से छपा हुआ, भाग IV, पृश्ठ 127; भजनसंहिता 102:6-7 पर टीप्पणी)।

‘‘मैं जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ, मैं उजड़े स्थानों के उल्लू के समान बन गया हूँ। मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूँ और गौरे के समान हो गया हूँ जो छत के ऊपर अकेला बैठता है’’ (भजनसंहिता 102:6-7)।

बहुत से युवा लोग ऐसा महसूस करते है कि - जैसा जंगल में घनेस, या उजाड़ स्थान में उल्लु अकेला होता है। आज यह सामान्य है ढूँढना महाविद्यालय जाने कि उम्र के युवा लोग जो घर की छत पर बैठे गौरे के समान अकेला महसूस करते है। मैं उच्च षाला के उम्रवाले और महाविद्यालय के उम्र वालों को सेवा देता हूँ (प्रचार करना) चौपन वर्शों (54) से। मैंने जाना है कि बहुत से युवा लोग अंदर चुभनेवाला अकेलापन महसूस करते है। एक युवा व्यकित ने कहा,

     मुझे किसीका विषेश बनना है, परंतु वहाँ कोई नहीं है जो मेरी परवाह करे। मुझे याद नहीं कोई मुझे स्पर्ष करता हुआ, मेरी ओर मुस्कुराता हुआ, या मेरे साथ रहना चाहता हो ... में इतना अकेला हूँ कि इसे मुष्किल से सह सकता हूँ (जोष मेकडोवेल द्वारा कथन किया हुआ, ध डीसकनेक्टेड जनरेषन, (अलगायी हुई पीढ़ी), वर्ड, 2000, पृश्ठ 11)।

हजारों युवा लोग आज ऐसा महसूस करते है। डो. लीयोनार्ड झुनीन, प्रसिद्ध मनोचिकित्सक ने, कहा, ‘‘मनुश्यजाति की सबसे बुरी परेषानी अकेलापन है’’। मनोविष्लेशक एरीच फ्रोम्म ने कहा, ‘‘आदमी की सबसे गहरी आवष्यकता है उनकी भिन्नता से बाहर आने की, उसके अकेलेपन के कारावास को छोड़ने’’।

और वहाँ पर लोस एंजलिस बड़े षहर से अधिक कोई अकेली जगह नहीं है युवा लोगे के लिये। लेखक हर्बर्ट प्रोक्नोव ने कहा, ‘‘षहर बड़ा समुदाय है जहाँ लोग साथ में अकेले है’’। एक चीनी विद्यार्थी ने एक बार कहा, ‘‘कोई मुझे समझता नहीं है। सुबह जब उठता हूँ तब से रात को मैं सोने जाता हूँ, मैं अकेला महसूस करता हूँ। क्या आपने कभी भी थोड़ा भी ऐसा महसूस किया है? क्या आप कभी भी ऐसा महसूस करते हो कि आपके लिये कोई भी परवाह नहीं करता? क्या आपने कभी भी ऐसा महसूस किया की कोई आपको समझता नहीं, या आपके साथ सहानुभूति नहीं? क्या आप कभी अकेला महसूस करते हो जब आप भीड़ में होते हो? मैंने युवा लोगों को कहते सुना है कि वे जाते है और मोल में यहाँ वहाँ चलते है, सिर्फ दूसरे लोगों के आसपास रहने। परन्तु यह सहाय नहीं करता! वे आनंदित लोगों की भीड़ में अकेला महसूस करते है। दूसरे हँसते और मज़ाक करते है, परंतु वे अपने अकेलेपन के कारावास से बच नहीं सकते।

डो. लीन कई बार ‘‘युवानो का अकेलापन’’ पर बोले। उन्होंने इसे इतनी अच्छी तरह समझा, और इसके बारे में कई बार बोले, जो मैं जानता हूँ यह कुछ था जो उन्होंने स्वयं एक बार महसूस किया। उन्होंने बहुत अकेलापन महसूस किया होगा जब वे घर से दूर थे, चीन में महाविद्यालय में पढ़ते थे, जब वे युवा थे! आपके बारे में क्या? क्या आपने कभी भी ऐसा महसूस किया है? क्या आपने कभी भी अकेला और अनावष्यक महसूस किया है?

नोबल पुरस्कार जीतनेवाले साहित्यकार अरनेस्ट हेमींग्वे (1899-1961) के पास पैसो से खरीद कर सकनेवाली सारी चीजे थी। जोन केनेडी ने उन्हे बोलने के लिये निमंत्रण दिया था उनके युनाइटेड स्टेटस के राश्ट्रपति के तौर पर उद्घाटन में। परन्तु हेमींग्वे नहीं जा सके क्योंकि वे इतने तनाव में थे। उन्होंने कहा वे इतने अकेले थे कि उन्होंने महसूस किया जैसे ‘‘रेडियो में जली हुई नली ’’। थोड़े समय बाद उन्होंने आत्महत्या की। जब मेरा परिवार और मैं की वेस्ट, (Key West) फलोरिडा में थे, हमने उनके घर की मुलाकात की, जहाँ उन्होंने उनकी 75% नवलकथाएँ और छोटी कहानियाँ लीखी थी। जब इलीयेना और लड़के कहीं ओर गये, मैं फिर से हेमींग्वे के घर गया। यह देर दोपहर में था। यह ठंडा उत्साहहीन करनेवाला अनुभव था। ऐसा लगता था, वो घर सीधे मानसिक तनाव और अकेलेपन में था। यह एकदम षैतानी महसूस करानेवाला था, जगह जहाँ आषा और खुषियाँ गैरहाजिर थी, और आदमी अकेलेपन में था। यह एकदम षैतानी महसूस करानेवाला था, जगह जहाँ आषा और खुषियाँ गैरहाजिर थी, और आदमी अकेेलेपन से पागल हो सकता था। थोड़े वर्श बाद, केटकम (Ketchum) इडाहो (Idaho) में, हेमींग्वे ने पिस्तली भी और अपने मस्तक के उपरी भाग में गोली मार दी, भवों के ऊपर। हम भी वहाँ केटकम में थे, एक वर्श जब हम छुट्टियों पर थे। और फिर से मैं महसूस कर सकता था अकेलेपन का षैतान जिसने उन्हें डराया, और आखिरकार उसे मार डाला। उनके एक जीवनी लेखन ने कहा, ‘‘उनकी ये सारी लहुभरी भयंकर मृत्यु न भूलने योगय है’’ (केनेथ एस. लीन्न, हेमींग्वे, हार्वर्ड विष्वविद्यालय प्रेस, 1987, पृश्ठ 593)। मैं स्वयं इसे कभी नहीं भूल सकता हूँ।

क्या आपजानते हो आत्महत्या पच्चीस वर्श से छोटे युवा लोगों में द्वितीय क्रम का कारण है मृत्यु का? मेरे एक मित्र थे उच्च षाला में जिन्होंने अपने स्वयं को एरनेस्ट हेमींग्वे की तरह ही मार डाला। उसने अपने सिर में गोली मार दी। बाद में उसकी माँ ने मुझसे कहा की मैं उसका एकमात्र मित्र था। उसने मेरे अंतकरण को वर्शो तक पीड़ा दी, क्योंकि मैंने उसे पर्याप्त सहायता नहीं की। मुझे महसूस हुआ कि मैंने उसे मार डाला क्योंकि मैं उसे कभी भी कलीसिया नहीं ले गया। मेहरबानी करके कभी ऐसी गलती नहीं करना जो मैंने की। आपके हरएक मित्रो को लाओ, कलीसिया में सुसमाचार सुनने! मैं दोहराता हूँ - आपके हरएक मित्रो को लाओ, कलीसिया में सुसमाचार सुनने! फिर आपको कभी भी कोई पष्चाताप नहीं होगा! ‘‘आज किसी को सहाय करो’’। इसे गाओ!

आज किसी को सहाय करो,
   किसी को जीवन के रास्ते के साथ,
विस्तृत मित्रता के साथ,
   सारा अकेलापन समाप्त होगा,
ओह, आज किसी को सहाय करो!
(‘‘आज किसी को सहाय करो’’ केरी इ. ब्रेक द्वारा, 1855-1934;
      याजक द्वारा ठीक किया हुआ)।

मेरे मित्र डो. जोन एस. वाल्ड्रीप याजक है। जब वे युवा थे उन्होंने कहा,

     मैं एक रात्रि के जगह में था जो युवा आदमी और स्त्रीयों से भरा था। वहाँ मैं भीड़ भरे कमरे में, खड़ा रहा, पूरी तरह अकेला और हर किसी से जुदा ... हम हमारा सूचीपत्र एक के बाद एक कार्यक्रमो से भर देते है ... परंतु सारी प्रवृतियों के बावजूद, हम दूसरो से गहराई से कभी कभी ही जुड़ते है। हम परिचितो का समाज बन गए है, मित्रो अधिक (जोन एस. वाल्ड्रीप, टीएच.डी., ‘‘अकेलेपन के लिये उपाय’’, 2 मई, 2004)।

कोई आष्चर्य नहीं इतने सारे युवा लोग भजन करनेवालो (Palmist) की तरह महसूस करते है!

‘‘मैं जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ, मैं उजड़े स्थानों के उल्लू के समान बन गया हूँ। मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूँ और गौरे के समान हो गया हूँ जो छत के ऊपर अकेला बैठता है’’ (भजनसंहिता 102:6-7)।

‘‘आज किसी को सहाय करो’’। इसे गाओ!

आज किसी को सहाय करो,
   किसी को जीवन के रास्ते के साथ,
विस्तृत मित्रता के साथ,
   सारा अकेलापन समाप्त होगा,
ओह, आज किसी को सहाय करो!

परन्तु परमेष्वर नहीं चाहते की आप अकेले रहो। अदन की वाटिका में प्रभु ने कहा, ‘‘आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है’’ (उत्पति 2:18)। मसीही कवि जोन मील्टन (1608-1674) ने कहा, ‘‘अकेलापन पहली चीज है जिसे प्रभु की द्रस्टी ने कहा है अच्छा नहीं’’। वो आज इतना ही सच है जैसे वो पहले था। प्रभु आपको अकेला रखना नहीं चाहते। उसने कहा, ‘‘आदमी का अकेला रहना अच्छा नहीं है’’ - या औरत का भी! इसीलिये प्रभु ने अकेलेपन के लिये दो उपाय दिये।

1. पहला, प्रभु ने अपने पुत्र को क्रूस पर मरने के लिये भेजा, आपके आध्यात्मिक अकेलेपन और मन फिराने के उपाय करने।

जब हमारे पहले माता पिता ने पाप किया, वे तुरंत परमेष्वर से फिराये गये थे, प्रभु से दूर किये गये थे। आदम ने स्वयं को प्रभु से छिपाया (उत्पति 3:10)। आदम और उसकी पत्नी दोनो उनके पाप के कारण अदन की वाटिका से बाहर निकाले गये थे। वे प्रभु की संगति से काटे गये थे। बाइबल सीखाता है कि उनका पाप भरा स्वभाव सारी मनुश्यजाति पर आया। इसीलिये प्रभु आप को झूठे लगते है। पाप आपको प्रभु से अलग करता है। बाइबल कहता है,

‘‘तुम्हारे अधर्म के कामों ने तुम को तुम्हारे परमेष्वर से अलग कर दिया है, और तुम्हारे पापो के कारण उसका मुँह तुम से छिपा है’’ (यषायाह 59:2)।

आज भी, लोग संसार में भटकते है बिना प्रभु और बिना आषा के। नास्तिक एच. जी. वेल्स (1866-1946) ने कहा, ‘‘मैं पैसठ वर्श का हूँ, और में अकेला हूँ और मुझे कभी षांति नहीं मिली।’’ परन्तु प्रभु आपको उस अवस्था में नहीं चाहते। प्रभु आपसे फिर से संगति चाहते है। इसीलिये उन्होंने यीषु को क्रूस पर मरने को भेजा, ताकि आपके पाप माफ किये जाए और आप फिर से प्रभु से मिल सको। बाइबल कहता है,

‘‘उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेष्वर के साथ हुआ, तो फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएँगे?’’ (रोमियो 5:10)।

जब आप यीषु मसीह के पास विष्वास से आते हो, तो आपके पाप माफ किए जाते है उनकी आपके बदले क्रूस पर मृत्यु के द्वारा - और आप प्रभु के साथ मेल पाते हो! और यीषु षारीरिकरूप से मृत्यु से उठे आपको अनंत जीवन देने। यीषु के पास विष्वास से आओ और वे आपको पाप और प्रभु से जुदाई से बचाएँगे। मैं आप में से किसी से भी बात करने हाजिर हूँ जिसे यीषु पर भरोसा करना हो और बचाया जाना हो। ‘‘आज किसी को सहाय करो।’’ इसे गाओ!

आज किसी को सहाय करो,
   किसी को जीवन के रास्ते के साथ,
विस्तृत मित्रता के साथ,
   सारा अकेलापन समाप्त होगा,
ओह, आज किसी को सहाय करो!

2. दूसरा, परमेष्वर ने हमें स्थानीय कलीसिया दिया हमारे भावमय अकेलेपन का उपाय करने।

मैं नहीं मानता कि प्रभु को आपको बचाना है, और फिर इस थंडे, विमुख संसार में अकेले छोड़ दे। मुझे बीली ग्रेहाम के धार्मिक प्रवचन का हिस्सा पसंद आया। परन्तु मैं नहीं सोचता कि उन्होंने पर्याप्त कहा। उन्होंने मसीह पर भरोसा करने और आध्यात्मिक विराग से बचाये जाने और प्रभु से अकेलापन के लिये कहा। परंतु उन्हें और ज्यादा कहने की आवष्यकता थी। उन्हें कहने की आवष्यकता थी की मसीह उनका कलीसिया बांधने भी आये थे और आपको भावमय अकेलेपन से बचाने। मसीह ने कहा,

‘‘मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे’’ (मती 16:18)।

परमेष्वर स्थानीय कलीसिया देते है संगति और आनंद के लिये जगह की तरह - जहाँ आपका भावमय अकेलेपन का उपाय किया जा सकता है। ‘‘आज किसी को सहाय करो’’। इसे गाओ!

आज किसी को सहाय करो,
   किसी को जीवन के रास्ते के साथ,
विस्तृत मित्रता के साथ,
   सारा अकेलापन समाप्त होगा,
ओह, आज किसी को सहाय करो!

जब आप उच्च विद्यालय या महाविद्यालय से स्नातक होते हो, हर एक कहते है, ‘‘संपर्क में रहेना’’ या ‘‘मैं आपको जल्दी ही मिलूँगा’’। परन्तु ऐसा नहीं होता। अगर आप उनको कभी भी फिर से देखते हे तो वो 40 या 50 वर्शो के बाद और आप मुष्किल से उनको पहचानोगे! परन्तु आप अपने स्थानीय कलीसिया से कभी भी स्नातक नहीं होते। जब आप मरते हो तभी भी आप एक दूसरे से स्वर्ग में जुड़ते हो! इसीलिये मैंने वो गीत लिखा जो श्रीमान ग्रीफिथ ने कुछ पल पहले ही गाया।

बड़े षहर के लोग परवाह करते नहीं लगते;
   उनके पास देने के लिये थोड़ा है और
बाँटने के लिये प्रेम नहीं।
   परंतु यीषु के घर आओ और आप जान सकोगे
वहाँ मेज पर खाना है और बांटने के लिये मित्रता!
   कलीसिया के घर आओ और खाओ
संगति की मीठाई के लिये मिलो;
   यह अच्छी मेजबानी होगी,
जब हम खाना खाने नीचे बैठते है!
   (‘‘रात का खाना खाने घर आओ’’ डो. आर. एल. हायमर्स, जुनि. द्वारा;
      ‘‘पंरीदे के पंखो पर’’ ‘‘ओन ध वीन्गस अॉफ ए डव’’ की तर्ज पर)।

समूहगान मेरे साथ गाओ!

कलीसिया के घर आओ और खाओ
   संगति की मीठाई के लिये मिलो;
यह अच्छी मेजबानी होगी,
   जब हम खाना खाने नीचे बैठते है!

परंतु वो आपका अकेलापन दूर नहीं करेगा अगर आप सिर्फ कुछ घंटो के लिये रविवार सुबह आओगे! ओह नहीं! इसीलिये बहुत से कलीसिया संसार से युवा लोगो को नहीं जीत सकते क्योंकि वे अपनी रविवार षाम की सभा बंद करते है! मैं इससे ज्यादा मूर्खतापूर्ण किसी और चीज के बारे में नहीं सोच सकता! क्या वे नहीं देख सकते उसीने मुख्यरेखा के विषिश्ट कलीसियाओं को मार डाला है? इसने सर्वदा नियम के अनुसार काम करनेवाला (Methodists) और याजक के द्वारा षासित कलीसिया (Presbyterians) को मारा। और ये मार डालेगा उन मूर्ख स्वतंत्र बेपटीस्ट कलीसियाओं को जो अपनी रविवार षाम की सभा बंद करते है! यह आपके कलीसिया को अभी नहीं मारेगा, परंतु वो थोड़े दषको में मारेगा। युवा लोगो को रविवार रात को आना ही चाहिए, नहीं तो उनके अकेलेपन का उपाय नहीं होगा। और उन्हें षनिवार रात को भी कलीसिया में लोगो के साथ रहने की आवष्यकता है। डो. लीन कहते थे, ‘‘कलीसिया को आपका दूसरा घर बनाओ’’। वे सही थे। इसीलिये सेकड़ो चीनी युवा लोग कलीसिया में भरे गये जब वे याजक थे। पुनःउद्धार आया और उनका चीनी कलीसिया यरूाषलेम के कलीसिया के समान बन गया। वे ‘‘परमेष्वर की स्तुति करते थे, और सब लोग उन से प्रसन्न थे, और जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रतिदिन उनमें मिला देता था’’ (प्रेरितो 2:47)।

एक बात और। अगर आपको हकीकत में चाहिए की यह कलीसिया आपके अकेलेपन का उपाय करे, अगली बार जब आप आओ किसी को अन्दर ले आओ! हाँ! अगली बार आप आओ तब मित्र या रिष्तेदार को लाओ - षायद आज रात भी। एक चीनी लड़का जो यहाँ सिर्फ थोड़े हफते ही था, मुझे वो कहते सुना पिछले रविवार सुबह। वो अपने साथ एक मित्र को लाया जब वो रविवार रात को वापस आया! इसी प्रकार आपको अकेलेपन का उपाय होता है। दूसरे किसी को सहाय करने के बारे में सोचना षुरू करो! यीषु ने अपने चेलो से पहली बात जो कही वो थी, ‘‘मेरे पीछे चले आओ और मैं तुम को मनुश्यों के पकड़नेवाला बनाऊँगा’’ (मती 4:19)। इस दोपहर मनुश्यों को पकड़ने जाओ! जाओ और मित्र या रिष्तेदार को लो और उन्हें आज रात या कम से कम अगले रविवार आपके साथ ले आओ! ‘‘मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा’’। इसे गाओ!

मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा
   मनुश्यों का पकड़नेवाला, मनुश्यों का पकड़नेवाला,
मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;
मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;
(‘‘मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा’’
      हेरी डी. क्लार्क द्वारा, 1888-1957)।

अगर आप दूसरो को कलीसिया लाने में व्यस्त होते हो तो आपको अकेले रहने का समय ही नहीं मिलेगा!

कितने कहेंगे, मैं यह करूँगा, याजक। में प्रयत्न करूँगा मेरे साथ किसी को लाने जब मैं अगलीबार कलीसिया आऊँगा’’। मेहरबानी करके अपने हाथ उठाओ। डो. चान, आओ और उनके लिये प्रार्थना करो (प्रार्थना)। समूहगान फिर से गाओ!

मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा
   मनुश्यों का पकड़नेवाला, मनुश्यों का पकड़नेवाला,
मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;
मैं तुम को मनुश्यों का पकड़नेवाला बनाऊँगा
   अगर आप मेरे पीछे आओगे;

आपके साथ किसी को लाओ जन्मदिन की मेजबानी में आनंद करने - दिन का या रात का खाना हमारे साथ खाने, और सुसमाचार सुनने! ‘‘घर आओ कलीसिया में’’। वो समूहगान एक बार फिर गाओ!

कलीसिया के घर आओ और खाओ
   संगति की मीठाई के लिये मिलो;
यह अच्छा मेजबानी होगी,
   जब हम खाना खाने नीचे बैठते है!

परमेष्वर, उन्हें यह करने सहाय करो! यीषु के नाम में, आमीन! ‘‘किसी को आज सहाय करो’’। इसे गाओ!

आज किसी को सहाय करो,
   किसी को जीवन के रास्ते के साथ,
विस्तृत मित्रता के साथ,
   सारा अकेलापन समाप्त होगा,
ओह, आज किसी को सहाय करो!

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : भजनसंहिता 102:1-7।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘रात के खाने पर घर आओ’’ (डो. आर. एल. हायमर्स, जुनि. द्वारा; ‘‘परिंदे के पंख पर’’ की तर्ज पर) ‘‘मैं तुम को मनुश्यों के पकड़नेवाला बनाऊँगा’’ (हेरी डी. कर्लाक द्वारा, 1888-1957) / ‘‘आज किसी को सहाय करो’’ (केरी इ. ब्रेक द्वारा, 1855-1934; याजक द्वारा ठीक किया हुआ)


रूपरेखा

आदमी के अकेलेपन के लिये परमेष्वर का उपाय

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा

‘‘मैं जंगल के धनेस के समान हो गया हूँ, मैं उजड़े स्थानों के उल्लू के समान बन गया हूँ। मैं पड़ा पड़ा जागता रहता हूँ और गौरे के समान हो गया हूँ जो छत के ऊपर अकेला बैठता है’’ (भजनसंहिता 102:6-7)।

(उत्पति 2:18)

1. पहला, प्रभु ने अपने पुत्र को क्रूस पर मरने के लिये भेजा, आपके आध्यात्मिक अकेलेपन और मन किराने के उपाय करने, उत्पति 3:19; यषायाह 59:2; रोमियो 5:10।

2. दूसरा, परमेष्वर ने हमें स्थानीय कलीसिया दिया हमारे भावमय अकेलेपन का उपाय करने, मती 16:18; प्रेरितो 2:47; मती 4:19।