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क्यों नूह बचाया गया था और बाकी के खो गए थे

WHY NOAH WAS SAVED AND THE REST WERE LOST

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की षाम,
17 जुन, 2012 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, June 17, 2012

‘‘परंतु जैसे नूह के दिन थे वैसा ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा”
(मती 24:37)।


डो. ग्लीसन एल. आर्चर के पास प्रीसेंटन थीयोलोजीकल धार्मिक पाठषाला और हार्वड स्नातक षाला से स्नातक की पदवी थी। उन्होंने अपनी कारकीदी की पूर्णता पूरानी नियमावली, ट्रीनीटी इवान्जलिकल डीवाइनीटी षाला, डीयरफिल्ड, इलीनोइस में बतौर प्राध्यापक की थी। डो. आर्चर मेरे दीर्घकाल के चीनी याजक डो. तीमोथी लीन के मित्र थे, जो स्वयं भी पूरानी निमावली के विद्वान और बाइबल संबंधी भाशाप्रवीण थे। मैं जानता था कि डो. आर्चर और वे हमारी कलीसिया में बोले थे। नूह और महाप्रलय का संदर्भ करते हुए, डो. आर्चर ने कहा कि मसीह का नूह और जलप्रलय में विष्वास मती 24:37 - 39 में कारण बनता है सच्चे मसीही को उत्पति का लेख प्रमाण स्वीकार करने का उसने कहा, ‘‘यीषु भविश्यवाणी कर रहे है कि भविश्य की ऐतिहासिक घटना आदर्ष के समान होगी पुरानी नियमावली में लेखप्रमाण की हुई घटना का। इसलिये उसने जलप्रलय को अक्षरक्षः इतिहास बताया, जैसे ये उत्पति में लेखप्रमाण किया गया है” (ग्लीसन एल. आर्चर, पीएच.डी. एन्सायक्लोपीडीया अॉफ बाइबल डीफीकल्टीस, झोन्डरवान प्रकाषन घर, 1982, पृश्ठ 21)। जलप्रलय स्वयं के विशय में, डो. आर्चरने कहा, ‘‘भूतत्व विद्या विशयक प्रमाण निष्चितरूप से महत्वपूर्ण है चाहे वो कदाचित ही वैज्ञानिको द्वारा बताया गया हो जो पवित्रषास्त्र की यर्थातता का अस्वीकार करते है। ये सिर्फ प्रमाण का ऐसा ही समान प्रकार है कि संक्षिप्त परंतु इस प्रकार की (महाप्रलय में) तीव्र उपकथा की आषा कि गई है एक वर्श के छोटे समय काल में दिखाने कि ... जो इतनी निष्चितरूप से परखी गई है उत्पति 7 में वर्णन कि हुई बड़ी बाढ़ के प्रकार को” (ibid., पृश्ठ 83)। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मसीही भूतत्व षास्त्री महसूस करते है कि कुछ बडे़ भूकम्प संबंधी अवरोध सूचित करते है कि भूमि के अलग अलग हिस्सो में सेनेझोइक (Cenozoic) स्तर सबसे अच्छी तरह से स्पश्ट किए गए हैं जलप्रलय के लक्ष्य द्वारा” (ibid., पृश्ठ 82)। इस प्रकार डो. आर्चर ने कहा कि विष्वव्यापी जलप्रलय भूतत्व संबंधी प्रमाण के साथ योग्य है (ibid.)। मैं मानता हूँ कि डो. आर्चर एकदम सही थे और कि वहाँ पर विष्वव्यापी जलप्रलय था नूह के दिनों में।

और आगे नूह के जहाज का कद बहुत बड़ा था। डो. हेन्री एम. मोरीस ने कहा, ‘‘प्राचीन धनमाप (cubit) को (हाथ भर का माप) कल्पना करते थे सिर्फ 17.5 इन्च (किसी भी अधिकार द्वारा सूचित किया हुआ सबसे छोटा माप), जहाज मेम्ने के कद के लगभग 125000 जानवर ले जा सकता था। जब वहाँ पर लगभग 25,000 से ज्यादा धरती के प्राणी नहीं थे ... जीनेवाले या मृत और जब, अंदाजित कद ऐसे पषुओं का निष्चितरूप से मेम्ने से छोटा ही होगा, ये सहज है कि सारे पशु आसानी से नूह के जहाज के सामर्थ्य से आधे से कम में समा जाते, हर जोडी विषिश्ट ‘‘कक्ष” में” (हेन्री एम. मोरीस, पीएच.डी., ध डीफेन्डर्स स्टडी बाइबल, वर्ल्ड प्रकाषन, 1995, पृश्ठ 21, उत्पति 6:15 पर टीप्पणी)।

परन्तु मेरे लिये नूह के बारे में सबसे रूचिकर चीज कि घटना उसके और जलप्रलय के संदर्भ में है, जैसे डो. आर्चरने वर्णन किया, ‘‘भविश्य की ऐतिहासिक घटना” के प्रचार का, जो प्रभु यीषु मसीह ने वर्णन किया था जब उन्होंने कहा,

‘‘परंतु जैसे नूह के दिन थे वैसा ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा” (मती 24:37)।

प्रभु यीषु मसीह ने हमें कहा कि उनके दोबारा आने के समय में विष्व की घटना समान होगी जैसे महाजलप्रलय के पहले के दिनों में थी। इस प्रकार, नूह के दिन की परिस्थिति फिर से दोहराई जाएगी मसीह के दोबारा आने से पहले और विष्व के अंत में जैसे हम जानते है। हर चिन्ह दर्षाता हुआ लगता है कि हम अब उस समय में जी रहे है, इस युग के अंतिम दिनों में।

उनके अंतिम मसीही युद्ध के धार्मिक प्रवचन, 2005 में न्युयोर्क षहर, के दौरान बीली ग्रेहाम ने सच कहा, ‘‘नयी नियमावली में, ‘नया जन्म’ नौ बार वर्णन किया गया है। पष्चाताप करीब सत्तर (70) बार वर्णन किया गया है। बप्तीस्मा करीबन बीस बार वर्णन किया गया है। परन्तु मसीह का फिर से आना सेकंडो बार वर्णन किया गया है” (लीवींग इन गोड्स लव : ध न्यु योर्क क्रुसेड, जी. पी. पटनेमस सन्स, 2005, पृश्ठ 109)।

प्रभु यीषु मसीह ने कहा कि दिन जिसमे नूह रहता था वो समान समय होगा जब वे फिर से आएँगे,

‘‘परंतु जैसे नूह के दिन थे वैसा ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा” (मती 24:37)।

इस धार्मिक प्रवचन में मैं रोषनी डालूंगा (1) नूह के समय की परिस्थिति, और (2) जिस प्रकार नूह बचाया गया था।

1. पहला, नूह के समय की परिस्थिति।

नूह के दिनों में क्या था? बाइबल कहता है,

‘‘यहोवाने देखा कि, मनुश्यों की बुराई, पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है” (उत्पति 6:5)।

उन दिनों में लोगों का मन दुश्टात्मा (बुरे) पर मन ‘‘निरन्तर” मन लगाते थे। जब वे रात में बिस्तर पर गए, उनका मन बुरे विचारों से भरा हुआ था। जब सुबह में वे उठे, उनके मन के विचार तुरन्त बुरी कल्पना से भर गए।

अपने धार्मिक प्रवचन ‘‘मूल पाप” ‘‘Original Sin” जोन वेस्ली, मेथोडीस्ट कलीसिया के षोधक जो एक बार था, उत्पति 6:5 पर बोलते हुए, कहा,

हमारे पास कोई कारण नहीं मानने के लिये कि वहाँ पर कोई बुरी या दुश्ट आत्मा की रूकावट थी। क्योंकि परमेष्वर, जिसने ‘देखी सारी कल्पना मन के विचारों की सिर्फ बुरी’, जैसे देखा, कि ये हमेंषा समान था, कि ‘वह निरन्तर बुरा ही होता है’, हर वर्श, हर दिन, हर घंटा, हर पल। (आदमी) कभी भी अच्छे में नहीं फिरेंगे ... ऐसे सारे आदमीयों के सामने प्रभु ने धरती पर जलप्रलय लाए। हम है, दोबारा, जानने के लिये, कि वे अभी ऐसे ही है। जोन वेस्ली, एम. ए., ‘‘ओरीजीनल सीन” ‘‘मूल पाप”, जोन वेस्ली के काम, ध वर्क्स अॉफ जोन वेस्ली, बेकर बुक हाऊस, 1979, भाग VI, पृश्ठ 59।

श्रीमान वेस्ली मुद्दे बताते गये कि आज लोग वही परिस्थिति में हैं जैसे जलप्रलय के पहले थे क्योंकि मूल पापने पूरी मानवजाति को नश्ट किया है। उन्होंने कहा आदमी पूरा अभिमान से भरा हुआ है कि ‘‘षैतान ने अपनी स्वयं की प्रतिमा हमारे मन पर स्वयं की इच्छा से अंकित की है,” ताकि हम संसार को परमेष्वर से ज्यादा प्रेम करते हैं, हम विशयी तीव्र लालसा से भरे हुए है और ‘‘विचारो के आनंद की इच्छा करते है।” उसने कहा कि आदमी संसार के लिये प्रेम से भरा हुआ है। उसने आदमी की ‘‘नास्तिकता, और मूर्तिपूजा, अभिमान, स्व-इच्छा, और संसार के प्रेम” के बारे में कहा। उसने कहा,

क्या आदमी स्वभाव से सारे प्रकार के बुरे से भरा हुआ है? क्या वो सारी अच्छाई से निरर्थक है? क्या वह पूरी तरह गिरा हुआ है? क्या उसकी आत्मा पूरी तरह भ्रश्ट हो चुकी है? या विशय पर लौटते हुए, ‘उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है वह निरन्तर बुरा ही होता है?’ इसे अनुमति दो, और आप अभी तक मसीही हो ... इसका इन्कार करो, और आप, परन्तु अभी भी मूर्तिपूजक हो (ibid, पृश्ठ 63)।

क्या श्रीमान वेस्ली सच नहीं थे? आपके बारे में क्या है? क्या यह सच नहीं है कि आपके विचारों में ज्यादातर समय परमेष्वर नहीं है? क्या ये सच नहीं है कि आप प्रभु से ज्यादा संसार की चीजों से प्रेम करते हो? - या हकीकत में आप प्रभु से प्रेम करते ही नहीं हो? क्या यह सच नहीं है कि आप यह सब स्वीकार करने के लिये ज्यादा अभिमानी हो? क्या यह सच नहीं है कि आपका मन विशयी इच्छा से भरा हुआ है? क्या यह सच नहीं है कि ‘‘षैतान ने अपनी स्वयं की प्रतिमा (आपके) मन पर स्वयं की इच्छा से अकित की है?”

परंतु, आप षायद कहो, ‘‘क्या गिरावट से आदमी की परिस्थिति सदा ऐसी ही नहीं रही?” हकीकत में ऐसी ही है। परन्तु फर्क यहा है - आदमी व्यवस्था के बंद होने के दिनों में हमेषा ज्यादा मजबूती से अस्वीकार करता है पवित्र आत्मा का, उनको पाप का निष्चिय कराने के काम का। यही हुआ था नूह के दिनों में। बाइबल हमें कहता है कि प्रभुने कहा, ‘‘मेरा आत्मा मनुश्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा” (उत्पति 6:3)। नूह के दिनों के लोगों ने अन्त तक पवित्र आत्मा का अस्वीकार किया! और क्या यही किस्सा आज नहीं है, और तीव्रता के साथ, जो पहले कभी भी सच नहीं था मसीहीता के लंबे इतिहास में?

पीछे सोचो। इस व्यवस्था के पहले के वर्शों में हजारो लोग अक्षरषः कलीसिया में भागे, उनकी मूर्ति-पूजक जीवनषैली को पीछे छोड़कर। मसीहीता के उन पहले के दिनों में यह अक्षरषः कहा जा सकता था कि हजारों में से कुछ ‘‘मूरतों से परमेष्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेष्वर की सेवा करो” (1 थिस्सलुनीकियों 1:9)। मध्य युग के अंधेरे काले दिनों मे भी लाखो अपनी मसीहीता के बारे में गंभीर थे, तीव्रता के साथ जो आज हम पष्चिमी विष्व में कभी भी नहीं देखते। और पुनःसुधार के दिनों में लोग प्रभु के लिये इतने भूखे थे कि वे कई बार जेल में गये और जलाकर हत्या में भी गए, मसीह का अस्वीकार करने के बजाय। ऐसा भक्तिभाव हम कहाँ देखते है इस षाम में, ज्यादातर विष्व में? और तीन बडी जागृतता के दिनों में हजारो लोगों के लिये यह सामान्य था पापों के अपराध भाव के अधीन आना उनके यीषु पर विष्वास करने से पहले और वे परिवर्तित थे। कहाँ आज पष्चिमी विष्व में हम उस प्रकार का उद्धार देखते है, जो दूसरी बड़ी जागृतता के समय बहुत सामान्य था? कहाँ हम देखते है ऐसी चीज जैसी 1814 में कोर्नवोल (Cornwall) की जागृतता के वर्णन में है?

     सेकडों लोग एक साथ में दया के लिये पुकारते थे। कुछ आत्मा की बड़ी पीड़ा में एक घंटे रहे, कुछ दो घंटे, कुछ छ, कुछ नौ, बारह और कुछ पंद्रह घंटो तक रहे परमेष्वर ने उनकी आत्मा से षांति की बात करने से पहले फिर वे उठे होंगे, उनकी बाजु बढ़ाई होगी, और प्रभु के अद्भूत कामो की घोशणा की, ऐसी षक्ति के साथ, कि बाजु में खडे़ रहनेवाले पल में चकित हो जाए, और जमीन पर गिर जाए और उनकी आत्माओं की व्याकुलता के लिए चिल्लाएँ (फायर फ्रोम हेवन, स्वर्ग से ज्वाला, में कथन किया हुआ पोल. इ. जी. कुक द्वारा, इवान्जलिकल प्रेस, 2009, पृश्ठ 80)।

आज हमारे कलीसियाओं में पवित्रषास्त्र की ऐसी मुहिम कहाँ देखते है? कहाँ हम इस प्रकार के परिवर्तन देखते है?

यहाँ आदमी है जो प्रभु के किसी भी सच्चे ज्ञान या उसके पापो की गंभीरता के बिना जिया और एक दिन आया जब उसे प्रभु की जानकारी हुई। वो पापो के गहरे अपराधभाव का अनुभव करता है और प्रभु को ढूँढने की षुरूआत करता है, कई बार निराषा के ज्ञान के साथ। वे यह करता है जब तक वो पष्चाताप तक लाया जाता है और प्रभु यीषु मसीह को देखता है माफी और मुक्ति के लिये। फिर उसे निष्चिंतता दी जाती है, परमेष्वर की दया और उसके पापो की माफी की। और ये बड़े आनंद और खुषी के साथ अनुकरण किया जाता है (कूक, ibid., पृश्ठ 119)।

आज हम पष्चिमी कलीसियाओं में इस प्रकार के परिवर्तन कहाँ देखते है? हम उसे नहीं देखते क्योंकि लोग पवित्रआत्मा को रूकाते है जैसे उन्होंने नूह के दिनों में किया था।

‘‘परंतु जैसे नूह के दिन थे वैसा ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा” (मती 24:37)।

2. दूसरा, जिस प्रकार नूह स्वयं बचाया गया था।

पूरा संसार अनात्मवाद संबंधी बन गया था। ‘‘अनात्मवाद संबंधी” ‘‘materialistic” से मेरा मतलब है कि मानवजाति भौतिक विष्व पर रोषनी डालते थे, थोडे़ अलौकिक विचारों के साथ। प्रभु उनकी विचारों के केन्द्र में नहीं थे। वे सिर्फ इस जीवन की चीजों के बारे में चिन्तित थे। उन्होंने सिर्फ उनके वर्तमान जीवन के बारे में ही सोचा। यीषु ने यह बहुत स्पश्ट किया जब उन्होंने कहा,

‘‘जैसे नूह के दिन थे वैसा ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जलप्रलय से पहले के दिनों में जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते - पीते थे, और उनमें विवाह होते थे। और जब तक जलप्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा” (मती 24:37-39)।

यह बहुत रूचिकर है कि मसीह ने उस हकीकत का वर्णन नहीं किया उनके विचार ‘‘निरन्तर बुरा ही होते है” (उत्पति 6:5), चाहे वे थे। मसीह ने वर्णन नहीं किया कि ‘‘पृथ्वी उपद्रव से भर गई (थी)” (उत्पति 6:13), चाहे वो थे। मसीह ने सिर्फ वर्णन किया कि वे ‘‘जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते - पीते थे और उन में विवाह होते थे” (मती 24:38)। परन्तु सिर्फ खाने - पीने का, विवाह का वर्णन करने से, मसीह ने उनके पाप की जड़ का वर्णन किया था। वे इन चीजों पर इतनी रोषनी डालते थे कि, जैसे डो. मेकगीने कहा, ‘‘वे ऐसे जिये जैसे प्रभु का अस्तित्व नहीं है। वे नहीं मानते थे कि वो उनका न्याय करेंगे और अपमान किया चेतावनी का कि जलप्रलय भयानक था” (जे वेरनोन मेकगी, पीएच.डी., थ्रु ध बाइबल, थोमस नेल्सन प्रकाषक, 1983, भाग IV, पृश्ठ 132; मती 24:38,39 पर टीप्पणी)। यह वर्णन कहता है हमारे दिनों के भी लोगों का। मार्क डीवर, वोषिंगटन डी.सी. में केपीटोल हील बेपटीस्ट कलीसिया के प्रभावषाली याजक, ने हाल ही में कहा, ‘‘हजारों, अगर लाखो नहीं, कलीसिया सदस्य हकीकत में फिर से मसीही नहीं जन्मे”।

यीषु ने कहा कि वे ‘‘जब तक जलप्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा” (मती 24:39)। ओह, उन्होंने सुना था कि जल-प्रलय आ रहा था। उन्होंने जहाज को देखा। उन्होंने नूह की चेतावनी सुनी, जिसे प्रेरितो पतरस ने कहा, ‘‘धर्म के प्रचारक” (2 पतरस 2:5)। उन्हें बहुत सारी चेतावनी दी थी कि न्याय आ रहा था। फिर भी वे, ‘‘जब तक जलप्रलय आकर उनको बहा न ले गया उनको कुछ भी मालूम न पड़ा।” ग्रीक षब्द ‘‘मालूम” ‘‘knew” के लिये अनुवाद किया गया था, उसका अर्थ था ‘‘उसके बारे में जानकारी होना”, ‘‘समझना” (स्ट्रोन्ग)। डो. रेइनीकर ने कहा कि यह ‘‘जीवन का वर्णन बिना चिन्ता और भयकारी आपत्ति की भविश्यवाणी के बिना” है (फ्रीटझ रेइनीकर, पीएच.डी., ए लीन्गवीस्टीक की टु ध न्यू टेस्टामेन्ट, झेन्डरवान प्रकाषन घर, 1980 की प्रत, पृश्ठ 72; मती 24:39 पर टीप्पणी)। हमारे दिनों का भी कैसा चित्र!

नूह के दिन के लोगों को मसीह द्वारा चित्र दिया गया था जिस प्रकार ज्यादातर लोग जीयेंगे इस वर्तमान विष्व के अंत के दिनों में। मैं मानता हूँ कि आप में से कोई यहाँ इस षाम नूह के दिनों के समान जी रहे हो! आपने षायद सुना होगा की न्याय आ रहा है। परन्तु आपको पकड नहीं सका। आपने आनेवाले न्याय के बारे में सुना है, परन्तु आप इसे ‘‘समझते” नहीं हो। यह आपको चिन्तित नहीं करता। यह षायद रूचिकर लगे, परन्तु यह आपको भविश्यवाणी या डर महसूस करने का कारण नहीं बनता। आपने आनेवाले न्याय, के बारे में सुना है, परंतु इसने आपके मन को नहीं पकड़ा, या आपका जीवन नहीं बदला। वे ‘‘जब तक जलप्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा” (मती 24:39)। मानवजाति भौतिक जीवन की चीजों पर निरन्तर रोषनी डालते रहेंगे, जैसे खाना और विवाह करना, प्रभु के डर के बिना। आपके बारे में क्या है?

अब देखिये कैसे नूह बचाया गया था। उत्पति की किताब सरलता से कहती है,

‘‘परन्तु यहोवा के अनुग्रह की दृश्टि नूह पर बनी रही” (उत्पति 6:8)।

लुथर ने उन षब्दों की तुलना उन षब्दों के साथ जो स्वर्गदूत ने मरियम से कहा, ‘‘परमेष्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है” (लूका 1:30)। लुथर ने कहा, ‘‘इस प्रकार का बोलना बंद कर देता है सारी श्रेश्ठता और यषस्वी विष्वास जिसके अकेले के द्वारा हम परमेष्वर के सामने न्याय किए जाएँगे और उनकी आँखों में अनुमति मिलती है” (लुथर्स कोमेन्ट्री ओन जेनेसीस, उत्पति पर लुथर की आलोचना, झोन्डरवान प्रकाषन घर, 1958 की प्रत, भाग I, पृश्ठ 138)। आर्थर डब्ल्यु पींकने कहा, ‘‘सब पापीयों की तरह जो प्रभु के साथ स्वीकृति पाते है, नूह ‘विष्वास द्वारा न्याय किया गया था”’ (आर्थर डब्ल्यु. पींक, ग्लीनींग इन जेनेसीस, उत्पति में बटोरने का कार्य, मुडी प्रेस, 1981 की प्रत, पृश्ठ 97)।

इस प्रकार नूह के बारे में पहली चीज सीखे वो थी कि, वो अनुग्रह द्वारा बचाया गया था। दूसरी चीज हम सीखते है वो यह है :

‘‘विष्वास ही से नूह में उन बातों के विशय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थी, चेतावनी पाकर भक्ति के साथ” (इब्रानियों 11:7)।

प्रभु का अनुग्रह नूह को भक्ति के साथ चलने का कारण बना। जैसे जोन न्यूटन (1725-1807) ने इसे रखा, ‘‘वो अनुग्रह था जिसने मेरे मन को डरना सिखाया (‘‘अदभूत अनुग्रह”, दूसरा अंतरा)। सिर्फ प्रभु का अनुग्रह ही बिना बचाए हुए पापी के मन में डर छाप सकता हैं। प्रभु के अनुग्रह आदमी को आने से पहले उसे डर नहीं होता। प्रेरितो पौलुसने उनके बारे में बोला जो अनुग्रह द्वारा अभी तक छुए नहीं गए थे जब उसने कहा, ‘‘उनकी आँखो के सामने परमेष्वर का भय नहीं” (रोमियों 3:18)।

किसीने एक बार मुझसे कहा था, ‘‘मैं परमेष्वर से नहीं डरता” - चाहे वो ऐसा सोचा उसका अनुभव असामान्य था! परन्तु यह कदापि असामान्य नहीं है। इसका सरल अर्थ है कि आप प्रभु के अनुग्रह द्वारा कभी भी छुए नहीं गए हो - क्योंकि अनुग्रह पहली चीज करता है वो है आपके ‘‘मन को डरना” सिखाना जैसे न्यूटन ने इसे रखा। प्रभु के अनुग्रह के बिना आप अपना सारा जीवन ‘‘(आपकी) आँखों के सामने परमेष्वर का भय बिना” जियेंगे। परन्तु जब आपके पास परमेष्वर का अनुग्रह आता है, पवित्रआत्मा द्वारा वो आपको आपके पाप के लिये सचेत करता है। वो आपके मन में डर छापता है आपके पाप के कारण। अगर आप भयभीत नहीं किए जाते हो पाप के लिये तो आप पाप से बचाए नहीं जाओगे! डो. जे. ग्रेस्हाम मेकन ने कहा, ‘‘आदमी जब पाप के अपराधभाव के अधीन आता है, उसकी जीवन के प्रति सारी स्थिति बदल जाती है” (जे ग्रेस्हाम मेकन, डी.डी., क्रीस्टीयानीटी एन्ड लीबरलीझम, एडरमान्स प्रकाषन कम्पनी, 1990 की प्रत, पृश्ठ 67)।

पाप का अपराधभाव अनुभव करने से पहले, आप सिर्फ सोचेंगे कैसे सच्चा परिवर्तन मिले। एक युवा आदमीने कहा, ‘‘मुझे डर है मेरा झूठा परिवर्तिन होगा”। वो गलत चीज के लिये भयभीत है! वहाँ पर परमेष्वर का डर नहीं है। वहाँ पर पाप का डर नहीं है। वो अपनी भयानक अवस्था से जागृत नहीं है! ‘‘(उसकी) आँखों के समाने परमेष्वर का भय नहीं है”! परंतु जब पवित्र आत्मा आती है वो आपको पाप के लिये डाँटेगी (यूहन्ना 16:8)। जब आपके मन में पाप भयानक हो जाते है आपकी ‘‘जीवन के प्रति सारी स्थिति बदल (जाएगी)” जैसे डो. मेकनने कहा था।

और इसी तरह नूह के साथ था। जब पवित्र आत्माने उसे उसके पाप के अपराधभाव में लाया, उसने ‘‘चेतावनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया” (इब्रानियों 11:7)। सिर्फ पाप का अपराधभाव और प्रभु का पवित्र भय, आपको मसीह में मुक्ति तक ले जाएगा, जो जहाज का आदर्ष (नमूना) है! आदमी सोचो! आपके पाप के बारे में सोचो। आपके जीवन के भूतपूर्व पापों के बारे में सोचो! आपके पाप के लिये आनेवाले न्याय के अनुभव के बारे में सोचो! प्रभु को पुकारो आपको इतना गहरा अपराधभाव दे कि आप कह सको, ‘‘मेरा पाप निरन्तर मेरी दृश्टि में रहता है” (भजनसंहिता 51:3)।

हम आप से जहाज में आने को कहते है, यीषु के पास आने को उनकी क्रूस पर की मृत्यु द्वारा आपके पापो की माफी के लिये। हम आपसे यीषु पर भरोसा करने को कहते है और उनके बहुमूल्य लहू द्वारा पाप से षुद्ध हो जाओ! परन्तु बस आप सोच सकते हो कि उनका भरोसा कैसे करें! जब आपके पाप आपको भयभीत करते है, आप नहीं सोचेंगे मसीह पर भरोसा ‘‘कैसे” करें! ओह नहीं! आप ‘‘भय के साथ” चलोगे और सुरक्षा के जहाज में आओगे, जो उद्धारक है, यीषु मसीह! जैसे डो. मेकन ने कहा,

जब आदमी पाप के अपराधभाव के अधीन आता है, उसकी जीवन के प्रति सारी स्थिति बदल जाती है; वो अपने पहले के अंधेपन पर और सुसमाचार के संदेष पर आष्चर्य करता है, जो पहले बेकार की कहानी लगती थी, अब बनती है (उसके लिये जीवित)। परन्तु ये परमेष्वर अकेले है जो बदलाव उत्पन्न कर सकते है (मेकन, ibid.)।

आपके पापो के अपराधभाव के लिये प्रभु से प्रार्थना करो! क्योंकि जब तक प्रभु आपको पाप के अपराधभाव द्वारा जागृत नहीं करते आप नूह के समय की तरह षापित ही रहोगे, जो ‘‘जब तक जलप्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उनको कुछ भी मालूम न पड़ा” (मती 24:39)।

अगर आप अभी भी सच्चे मसीही नहीं हो हमें आपको समय देना है प्रार्थना करने और बातचीत करने। मेहरबानी करके धर्मस्थान के पीछे की ओर अभी जाओ और डो. केगन आपको प्रार्थना करने षांत जगह पर ले जाएँगे। आमीन।

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन् एल. चान द्वारा पढ़ा हुआ पवित्रषास्त्र : मती 24:36-42।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘इस प्रकार के समय में” (रूथ काये जोनेस द्वारा, 1902-1972)।


रूपरेखा

क्यों नूह बचाया गया था और बाकी के खो गए थे

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा

‘‘परंतु जैसे नूह के दिन थे वैसा ही मनुश्य के पुत्र का आना भी होगा”
(मती 24:37)।

1. पहला, नूह के समय की परिस्थिति, उत्पति 6:5,3; 1 थिस्सलुनीकियों 1:9।

2. दूसरा, जिस प्रकार नूह स्वयं बचाया गया था, मती 24:37-39; उत्पति 6:5,13; 2 पतरस 2:5; उत्पति 6:8; लूका 1:30; इब्रानियों 11:7;
रोमियों 3:18; यूहन्ना 16:8; भजनसंहिता 51:3।