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क्‍लेष द्वारा बदला हुआ!

TRANSFORMED THROUGH TRIBULATION!

डॉ. आर. एल. हायमर्स, जुनि द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्‍तीस टबरनेकल मे प्रभु के दिन की षाम, 20 फरवरी, 2011 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन.
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord’s Day Evening, February 20, 2011

“और जो पथरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सूनकर (तुरन्‍त) आनन्‍द के साथ मान लेता है; पर अपने में जड न रखने के कारण वह (थोड़े ही दिन) का है; और जब वचन के कारण क्‍लेष या उपद्रव होता है, तो तुरन्‍त ठोकर खाता है” (मती 13:20-21)।


ये संदेष पीछले रविवार की सुबह के धार्मिक प्रवचन का दूसरा भाग है, “सच्‍ची परख!” मैं पवित्रषास्‍त्र से इस क्‍लेष के विशय के तीन विचारो पर आपका ध्‍यान खींचने जा रहा हूँ। डो. आर. सी. एच. लेन्‍सकीने कहाँ की मती 13:20-21 जिक्र करता है उस व्‍यक्‍ति का जो कलीसिया आता है और धार्मिक प्रवचन सूनता है। “ये वो है जो वचन सूनता है और एकदम से आनंद से यह पाता है, आपको उन (से) श्रेश्‍ठ चीजो की आषा रखने तक ले जाता है। परन्‍तु षुरूआत से ही कुछ गलत हैः यह व्‍यक्‍ति मे “स्‍वयं कोई जड़ नही है” (आर.सी.एच. लेन्‍सकी, टीएच. डी., घ इन्‍टप्रीटेषन ओफ सेंट मेथ्‍युस गोसपल, अगसबर्ग प्रकाषन घर, 1964 की प्रत, पृश्‍ठ. 520; मती 13:20-21 पर टीप्‍पणी)। ये वो व्‍यक्‍ति है जो कलीसिया मे आता है, धार्मिक प्रवचन सूनके आनंदीत है, परन्‍तु कलीसिया मे सिर्फ कुछ ही समय के लिये ही रहता है। जल्‍द ही ये व्‍यक्‍ति उल्‍लंघन करता है और ठोकर खाता है, अपोस्‍टटाइझ, गिरता है, और वे थोडे ही दिनो के लिये रहते है” (मरकुस 4:17)। इस व्‍यक्‍ति का कलीसिया छोडने का मुख्‍य कारण ये है की वो “क्‍लेष” के द्वारा नही जाता है।

हम नयी नियमावली के षब्‍द “क्‍लेष” के तीन उपयोग देखने जा रहे है। इस हर एक पद में ग्रीक षब्‍द है “थ्‍लीपसीस”। स्‍ट्रोन्‍गस एक्‍झोस्‍टीव कोनकरडन्‍स कहता है “थ्‍लीपसीस” षब्‍द का अर्थ है “दबाव, पीडा, परेषानी” (स्‍ट्रोन्‍ग रु 2347)। चलिये देखते है वो तीन पवित्रषास्‍त्र जहॉ षब्‍द “क्‍लेष” उपस्‍थित है।

।. पहला, वे जो क्‍लेष द्वारा उल्‍लंघन किये हुअे है और कलीसिया छोडते है।

महेरबानी करके पद 21 जोर से पढीय, े

“पर अपने में जड न रखने के कारण वह थोड़े ही दिन का है, और जब वचन के कारण क्‍लेष या उपद्रव होता है, तो तुरन्‍त ठोकर खाता है” (मती 13:21)।

आप बैठ सकते हो।

ये वो लोग है जो मसीह के बारे मे धार्मिक प्रवचन मे सूनते है। वे आनंद महसूस करते है जब वे पहले सुसमाचार सूनते है। परन्‍तु वे “अपने भीतर जड न रखते” है (मरकुस 4:17)। डो. गील ने कहाँ, “वहाँ कोई मन का काल नही है”, सिर्फ (काल्‍पनिक विचार) और षारिरीक (भावनाये); वहाँ उनमे अनुग्रह की कोई जड़ नही है (जोन गील, डी.डी., एन एक्‍सपोझीषन ओफ घ न्‍यु टेस्‍टामेन्‍ट, घ बेप्‍टीस्‍ट स्‍टानर्डड बेरर, 1989 मे फिरसे छपा हुआ, भाग प्‍, पृश्‍ठ. 400; मरकुस 4:17 पर टीप्‍पणी)। ये वे लोग है जो कभी भी “जड पकडते और बढते (मसीह) में”, कुलुस्‍सियो 2:7 नहीं हुअे है। डो. गीलने कहाँ, “अपने मे जड़ न रखने, नाही मसीह मे” (पइपकण्‍ए मती 13:21 पर टीप्‍पणी)। दूसरे षब्‍दों मे इस तरह के लोग कभी भी यीषु के पास नही आये है और परिवर्तित नहीं हुए है। उसे सिर्फ भावना है “आनंद” की कलीसिया में नये मित्रो के साथ होने की, गीत गाने की, प्रवक्‍ता को सूनने की और खाने तथा मिलन का आनंद लेनेकी। परन्‍तु उस यीषु की सच्‍ची जरूरत कभी भी महसूस नही हुई है।

फिर, कुछ समय बाद, वो महसूस करता है “क्‍लेष”। याद रखीये की “क्‍लेष” षब्‍द ग्रीक षब्‍द से है जिसका अर्थ है “दबाव, पीडा और परेषानी।” कुछ होता है जिसके कारण वो परेषान होता है या दबाव में आता है। कभी भी वे हकीकत में सच्‍चा षब्‍द “दबाव” या “परेषानी” इस्‍तेमाल करेंगे। वे कहेंगे, “मैं ‘दबाव' महसूस करता हूँ सभा मे आने के लिये,” या “ये बहुत ‘परेषानी' है हर हफते आना”। जब वे ये दबाव महसूस करते है, वो क्‍लेष है जिसका वो अस्‍वीकार करते है। इसलिये, वो “थोडे ही दिन का : जब वचन के कारण क्‍लेष... होता है... तो तुरन्‍त ठोकर खाता है (मती 13:21)। लूका के सुसमाचार इसमे और कहते है, “और परीक्षा के समय बहक जाते है” (लूका 8:13)। सिर्फ “दबाव” महेसूस करना उन्‍हे लुभाता है हर हफते आने के लिये, और वे गिर जाते है, उनका कलीसिया छोडकर।

“वैसे ही जो पथरीली भूमि पर बोए जाते है, ये वे है जो वचन को सुनकर तुनन्‍त आनन्‍द से ग्रहण कर लेते हैः परन्‍तु अपने भीतर जड़ न रखने के कारण वे थोड़े ही दिनो के लिये रहते है...” (मरकुस 4:16-17)।

डो. गील ने कहाँ, “वे थोडे समय के लिये सूननेवाले और सुसमाचार के प्राध्‍यापकों को जारी रखते है (पइपकण्‍ए पृश्‍ठ. 400)। जब से मसीहने उनके मनमे जड़े नही डाली है, वे उनके कलीसिया में ज्‍यादा समय तक नहीं रहेंगे! वे निष्‍चींत ही उस कलीसिया के आजीवन सदस्‍य नहीं बनेंगे! वे वो होंगे जो स्‍पर्जन कहते है, “मुसाफिर पंछी जिनका कही भी घोसला नही होता।” वे उनके कलीसिया मे सिर्फ कुछ समय के लिये रहते है। क्‍यों? क्‍यौंकि वे परिवर्तित नहीं थे। मैं अब करीबन 53 सालो से इस सेवा में हुं। जैसे जैसे मैं उम्र मे बढ़ता हुं मै मानने लगा हू की ज्‍यादातर हर एक व्‍यक्‍ति जो उनका कलीसिया छोडता है वो ऐसा करता है क्‍युंकि वे अपरिवर्तित है। प्रेरितो यूहन्‍नाने कहाँ,

“वे निकले तो हम ही में से, पर हम में के थे नहीं; क्‍योंकि यदि वे हम में के होते, तो हमारे साथ रहते...” ( 1यूहन्‍ना 2:19)।

डो.जे वेरनोन मेकगी ने कहाँ, उनकी 1 यूहन्‍ना 2:19 की समालोचना मे,

यूहन्‍ना कहते है की जो तरीके से आप कह सकते हो की एक व्‍यक्‍ति सही मे या नही (मसीही) है जो आदमी षायद होगा... (कलीसिया) छोडनेवाला अगर वो प्रभु का बालक नही है (जे. वेरनोन मेकगी, टीएच. डी., थ्रु घ बाइबल, थोमस नेल्‍सन प्रकाषक, 1983, भाग अ, पृश्‍ठ. 777; 1 यूहन्‍ना 2:19 पर टीप्‍पणी)।

कलीसिया में आने का थोडासा “क्‍लेष” और षनिवार को सुसमाचार प्रचारमे जाने का पूरा होगा उन्‍हे “उल्‍लंघन” करने “दबाने” और “परेषान” करने - और उसे कलीसिया मे ठोकर खाने और गिरने का कारण बनता है। जरूरी नहीं है की क्‍लेष बहुत बडा हो। डो. गीलने कहॉ, “जैसे ही कोई छोटी परेषानी उन पर आती है... ऐसे श्रोता ठोकर खाते है (क्‍योंकि वे) कीसी भी चीज का नुकसान नहीं सह सकते, या कुछ रख नहीं पाते” (पइपकण्‍)। एक चीनी लडकी ने कुछ सालो पहले कलीसिया छोडा था क्‍योंकि उसने कहॉ की षनिवार षाम को सुसमाचार प्रचार प्रवचन मे जाना “बहुत ज्‍यादा निरूत्‍साहपूर्ण था।” दूसरी चीनी लडकीने कलीसिया छोडा क्‍योंकि उसे महाविद्यालय मे और अतिरिक्‍त पढ़ाई करनी थी जिसकी उसे स्‍नातक होने के लिये जरूरत नही थी! उसने कहाँ, “मुझे सिर्फ वो चाहिये,” और इसलिये, उसने कलीसिया छोडा। एक चीनी आदमीने कलीसिया छोडा उसके रिष्‍तेदार के साथ बाहर रात का खाना खाने जाना था-जब की वो वह खाना एक रात पहले भी रख सकता था! इसलिये उसने कलीसिया छोडा खाना खाने की तारीख बदलने के बजाय! जैसे डो. गीलने कहाँ, वे “कोई भी चीज का नुकसान नही सह सकते, या कुछ भी नहीं पा सकते ... जब तक कोई छोटा सा क्‍लेष भी उनको ठोकर (वे) नहीं देता...” आप देखीये वही तो सच्‍ची परख है! ये वो नहीं है जो आप बाइबल मे पढते हो। ये वो नही है जो षब्‍द आप पूछताछ कक्षमे कहते हो। सच्‍ची परख यही है - क्‍या आप कलीसिया मे आते रहोगे चाहे कुछ भी हो फिर भी? क्‍या रविवार सुबह और षाम और षनिवार को सुसमाचार प्रचार मे आते रहोगे? क्‍या आप “जब क्‍लेष या पीडा उठेगी वचनो के कारण” आते रहोगे? क्‍या आप आते रहोगे जब तक आप पूरी तरह परिवर्तित नही होने हो - और आपको स्‍थानीय कलीसिया के आजीवन सदस्‍य नहीं बनते हो? वो ही है सच्‍ची परख्‍kA

II. दूसरा, वे जो क्‍लेष से गुजरते है परमेष्‍वर के राज्‍य मे प्रवेष पाने।

महेरबानी करके खडे रहीये और प्रेरितो 14:22 को जोर से पढ़ीये।

“चेलों के मन को स्‍थिर करते रहे और यह उपदेष देते थे कि विष्‍वास मे बने रहो; और यह कहते थे, हमे बड़े क्‍लेष उठाकर परमेष्‍वर के राज्‍य मे प्रवेष करना होगा” (पे्ररितो 14:22)।

आप बैठे सकते हो।

“क्‍लेष” षब्‍द जो यहाँ अनुवाद किया गया है वो ग्रीक षब्‍द जो हमने मती 13:21 देखा है बराबर उसीके समान ही है। षब्‍द “थ्‍लीपसीस” का अर्थ है “दबाव, पीडा और परेषानी” (स्‍ट्रोन्‍ग रु 2347)। प्रेरितो पौलुस को अनुभव से जानकारी थी की वहाँ पर दबाव पीडा और परेषानी है मसीही के जीवन मे।

पौलुस को लुस्‍त्रा के षहर मे सुसमाचार का उपदेष देने के लिये पथ्‍थर मारे गये। उनके दुष्‍मनो ने उसे पहाडो की बीच छोड दिया, “मरा हुआ समझकर” (पे्ररितो 14:19)। परन्‍तु, अनुग्रह और प्रभु की षक्‍ति के द्वारा, “वह उठकर ... दूसरे दिन बरनबास के साथ दिखे को चला गया” (पे्ररितो 14:20) जब पौलुस दीरबे गये उसने उन लोगो से बाते की जिन्‍होने मसीही बनने के लिये अपनी रूची दिखाई, “यह उपदेष देते थे कि विष्‍वास मेब ने रहो, और यह कहते थे कि हमे बडे क्‍लेष उठाकर परमेष्‍वर के राज्‍य मे प्रवेष करना होगा।” (पे्ररितो 14:22)। “हमे जरूर,” पौलुसने कहाँ, “परमेष्‍वर के राज्‍य मे प्रवेष करना चाहिये बहुत (दबाव, पीडा और परेषानी) से”।

डो. गीलने कहाँ की कलीसिया में प्रवेष करने और परिवर्तन के संदर्भ मे क्‍लेष आता है, “दोनो अपने अंदर आने से, भ्रश्‍टाचार से और मन के अविष्‍वास और उसके बिना, सेतान की लालसासे और मनुश्‍य के भावना और अपमान से और मित्र और रिष्‍तेदारो से (जोन गील, डी.डी., पइपकण्‍एभाग ॥, पृश्‍ठ. 279; प्रेरितो 14:22 पर टीप्‍पणी) “हमे बड़े क्‍लेष उठाकर परमेष्‍वर के राज्‍य में प्रवेष करना होगा” (प्रेरितो 14:22)।

इसलिये मसीहने कहाँ, “अंदर प्रवेष पाने का यत्‍न करें” (लूका 13:24)। वहाँ पर अंदरूनी परिश्रम है जब मनुश्‍य परिवर्तित होता है। ये उठता है “ष्‍ौतान की लालसा” और “भ्रश्‍टाचार और मनके अविष्‍वास” से।

आमतोर पर हमे पता चलता है की सच्‍चा परिवर्तन आसानी से नहीं आता है। ष्‍ौतान हंमेषा वहाँ होता है, दिमाग मे गलत विचार डालते हुए, आपको प्रयत्‍न करने से रोकने की लालच देकर, आपको कलीसिया छोडने की लालच देकर, आपको ये कहते हुए की आपका किस्‍सा आषाहीन है, या परिवर्तन जरूरी नही है क्‍योंकि आप “इतने बूरे नही हो और दूसरे गलत विचार और लालच देते हुए। फिर वहाँ पर दबाव, पीडा और परेषानी है जीससे ज्‍यादातर लोग गुजरते है, “भ्रश्‍टाचार और अविष्‍वास से” उनके खुद के मन के। आपका अपना मन इतना दोशी है की बाइबल कहता है, “जो अपने ऊपर भरोसा रखता है वह मूर्ख है” (नीतिवचन 28:26)। जब परमेष्‍वर आपके मन के साथ काम करते है आप षायद दाऊद की तरह महसूस करो; जिसने कहाँ,

“जब मैं चुप रहा, तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हड्डीयाँ पिघल गई। क्‍योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहाः और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई” (भजनसंहिता 32:3-4)।

जब दाऊद चुप रहा, उसकी हड्डीयाँ पिघल गई। वो सारा दिन कराहते रहाँ। रात और दिन प्रभु के हाथ उस पर भारी थे। वो अंदर से सूखा हुआ महसूस कर रहा था। क्‍या चित्र था किसीका जो पापो के अपराध मे प्रमाणीत था, परमेष्‍वर के विरूध्‍द प्रयत्‍न कर रहा था, मसीह मे प्रवेष पाने की पीडा में! पहले श्रेश्‍ठ जागृतता के दौरान, जोनाथन एडवर्डने बहुतो को रोते और पापो के अपराध भाव मे बिलखते हुए देखा है। ये कयी बार होता है पुनरूत्‍थान में जो अभी चीन मे हो रहा है। ओह, हम कैसे प्रार्थना करें ताकि प्रभु के हाथ हम पर भारी हो जाये! हम कैसे प्रार्थना करे ताकि प्रभु आपको ले जाये, आपके प्रयत्‍न द्वारा, मसीह तक!

डो. जे गेस्‍हाम मेकन, उनकी चिन्‍हात्‍मक किताब क्रीस्‍टीयानीटी एन्‍ड लिबरलीझम, में कहाँ,

पापो के अपराध भाव के बिना वहाँ यीषु की अनुपमता की कोई भी मूल्‍यवृध्‍धि नहीं हो सकती ... और पापो के अपराधभाव के बिना, आझादी का षुभ समाचार (यीषु में) एक बेकार की कथा लगता है... सच्‍चा अपराध भाव (देता है) गंभीर समझदारी एक के स्‍वयं के सोची हुई हालात की, चेतनहीनता का प्रकाष (खुद के अपने अंतः मन का) ... जब आदमी वो अनुभव से गुजरता है, वो अपने पहले के अंधेपन पर आष्‍चर्य करता है (जे. ग्रेस्‍हाम मेकन, पीएच.डी. क्रीस्‍टीयानीटी एन्‍ड लिबरलीझम, एडरमान्‍स प्रकाषन कंम्‍पनी, 1990 में फिर से छपा हुआ, पृपृश्‍ठ. 105-106)।

हम कैसे प्रार्थना करे की प्रभु हमे ले जाये, अपराधभाव के “दबाव, पीडा और परेषानी” से, उध्‍धारक यीषु मसीह के पास। हम कैसे प्रार्थना करे ताकि आप “अंदर प्रवेष पाने का यत्‍न” करो मसीह तक (लूका 13:24)। हम कैसे प्रार्थना करे ताकि प्रभु आपको सच्‍चा परिवर्तन दे!

III. तीसरा, वे जो मसीही जीवन के क्‍लेष से गुजरने से बदलते है।

म्‍हेरबानी करके खडे रहीये और रोमियों 5:3-5 जोर से पढीये।

“केवल यही नही, वरन्‌ हम क्‍लेषो मे भी घमण्‍ड करें, यह जानकर कि क्‍लेष से धीरज; और धीरज, से खरा निकलना, और खरे निकलने से आषा उत्‍पन्‍न होती है; और आषा से लज्‍जा नहीं होती; क्‍योंकि पवित्र आत्‍मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेष्‍वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है” (रोमियों 5:3-5)।

आप बैठ सकते हो। वहाँ वो षब्‍द फिर से है-“क्‍लेष”। ये अंग्रेजी अनुबवाद है ग्रीक षब्‍द “थ्‍लीपसीस” का जिसका अर्थ है, “दबाव, पीडा और परेषनी।” सिर्फ अब, रोमियो 5:3-5 में, ये उन्‍हे लागु होता है जो पहले से ही परिवर्तित है।

जैसे हम मसीही जीवन मे आगे बढते है हम तडपने मे भी आनन्‍द पा सकते है। डो. मेकगीने कहाँ “दूसरे षब्‍दों में; हमें परेषानी में भी आनन्‍द मिलता है, ये जानते हुए की परेषानी धैर्य मे काम करती है-धैर्य अपनेआप नही आता - और धैर्य, अनुभव, और अनुवाद आषा... दूसरे षब्‍दो मे जीवन मे (मसीही के) सर्वोत्‍तम बहार लाना परेषानी से होता है” (जे वेरनोन मेकगी, टीएच.डी., पइपकण्‍ए भाग प्‍ट, पृश्‍ठ. 675; रोमियो 5:3-4 पर टीप्‍पणी)।

कोषिश करने और क्‍लेष द्वारा मसीही धैर्यवान, अनुभवी, आषावादी बनता है- और प्रभु का प्रेम उनके मनमे डाला जाता है पवित्र आत्‍मा द्वारा। “दबाव, पीडा और परेषानी” से जाने से मसीही, “(उसका) मन के नए हो जाने से तुम्‍हारा चाल-चलन भी बदलता” है (रोमियो 12:2)।

श्रेश्‍ठ मसीहीयो मे से एक जिसे मैं व्‍यक्‍तिगत रूप से जानता था वो थे याजक रीर्चड वुर्मब्रान्‍ड (1909-2001)। उन्‍होने रोमी साम्‍यवादी कारावास में चौदा वर्श बिताये सुसमाचार का उपदेष देने के लिये। एक दिन जब वे कारावास मे थे उन्‍होने सूना की उनकी पत्‍नी भी पकडी गइ थी और सुसमाचार प्रचार करने के लिये केदी बनायी गयी थी। उसने कहाँ, “मैं ये सह नही सकता वो विचार को मेरी पत्‍नी भी वैसे ही तडपे जैसे मैं तडपा हूँ... मैने चूकाने की कोषिश की, परन्‍तु मेरे दिमाग मे अंधेरा छा गया। कयी दिनो तक मैने कीसीसे भी बात नहीं की। फिर एक सुबह कारावास के परिसर में, मैंने देखा एक वृध्‍ध याजकको दयालु चेहरे के साथ। ‘षायद वे मुझे मदद कर सके,' मैंने सोचा। मैं उनसे बात करने गया। याजक के पास मैंने किये थे उससे भी ज्‍यादा कारण था मातम (दुःख) मनाने के लिये। उनकी पुत्री और पुत्र कारावास में थे। दूसरे बेटेने मसीह को नहीं माना था। उनके पोते और पोती षालासे निकाले गये थे। परन्‍तु याजक मेरे जैसे उदास नही लगे। उन्‍होने उनके दिन दूसरो को खुष करने मे बिताये। बजाय कहने के, ‘षुभ दिन', वे हरएक से ‘आनंदित रहो' कह कर अभिवादन करने लगे थे! ‘आप कैसे आनंदित रह सकते हो आपकी अपनी सारी तडप के बाद?' मैने पूछा। ‘वहाँ पर सदा कारण होता है आनंदित रहने के लिये', उन्‍होने जबाव दिया। ‘वहाँ पर प्रभु है स्‍वर्ग मे और मेरे मनमे। मेरे पास आज सुबह खाने को कुछ है। और देखिये सूरज भी चमक रहा है! बहुत से लोग मुझे प्रेम करते है। हर दिन जब आप आनंद नही पाते हो वो दिन व्‍यर्थ जाता है, रीचर्ड। आपको वो दिन दोबारा कभी भी नही मिलेगा।' (वुर्मब्रान्‍ड ने कहाँ) मैंने, भी, आनंदीत रहना षुरू किया” (इम्‍प्रीझन्‍ड फोर क्राइस्‍ट, लीवींग सेक्रीफाइस बुक कंम्‍पनी, 2007, पृश्‍ठ. 91-92)।

सारे संसार के पीडीत मसीहीयो के बारे मे पढने के लिये आप ूूूण्‍चमतेमबनजपवदण्‍बवउ पर जाइये, जो याजक वुर्मब्रान्‍ड द्वारा बनाया गया gSA तीन साल तक अकेले कारावास मे और बारह साल दूसरे कारावास मे बिताने के बाद, और लाल-गर्म सलिये से उनके देह पर मारा, भूखे रखने और कलंकित करने के बाद; याजक वुर्मब्रान्‍ड का चेहरा हमेंषा गंभीर रहता था। परन्‍तु जब वे मुस्‍कुराये उनकी ऐसी अच्‍छी मुस्‍कान मैने कभी भी कीसीभी वुध्‍ध आदमी के चेहरे पर नहीं देखी थी। आप देख सकते हो उनकी मुस्‍कान मे भी क्‍लेष ने काम किया है धैर्य, अनुभव और आधा का और प्रभु का प्रेम उनके मनमे पवित्र आत्‍मा द्वारा बहाया गया है! वे पवित्र आदमी मे बदल गये तडपके द्वारा!

हमारे तीनो छोटे याजक, डो. चान, डो. केगन और श्रीमान ग्रीफिथ प्रभु के आदमी बन गये तडप से गुजरने के द्वारा। डो. केगन बार बार मुझे याजक वुर्मब्रान्‍ड की याद दीलाते है। डो. केगन भी मसीह के लिये तडपे है। उनका चेहरा गंभीर था बहुत समय तक। परन्‍तु उनकी मुस्‍कान भी सुंदर थी, और उनकी मुस्‍कान मे काई भी देख सकता है की वे पवित्र आदमी मे बदले गये है मसीह के लीये तडपने के द्वारा।

जब डो. केगनने सूना की मैं ये धार्मिक प्रवचन देने वाला हूँ, उन्‍होने कहाँ, “क्‍लेष हकारात्‍मक है चूनने के लिये, परन्‍तु नहीं चूननेवालो के लिये नकारात्‍मक।” क्‍लेष नहीं चूननेवालो के लिये कलीसिया से ठोकर और गिरावट का कारण बनेगा। परन्‍तु वे जो पीडा से गुजरते है सच्‍चे परिवर्तन में, और मसीही जीवन मे कोषिश करते है, तडप द्वारा मसीह मे आनंद पाते है! वे भी क्‍लेष से बदले जाते है! चलिये खडे रहते है और आपके गीत के पर्चे का गीत क्रमांक आठ गाते है।

एकबार धरती का आनंद मैंने मांगा,
   षान्‍ति और विश्राम का इच्‍छुक बना;
अब मैं सिर्फ तुजको देखता हूं,
   जो सर्वोतम है वो दीजीये;
ये ही मेरी प्रार्थना होगी;
   ज्‍यादा प्रेम; ओ मसीह, आपको;
ज्‍यादा प्रेम आपको; ज्‍यादा प्रेम आपको!

गम को अपना काम करने दीजीये,
   दुःख और दर्द भेजीये,
आपके संदेषवाहक मीठे है;
   मीठी उनकी संभाल है;
जब वे मेरे साथ गा सकते है;
   ज्‍यादा प्रेम; ओ मसीह, आपको,
ज्‍यादा प्रेम आपको; ज्‍यादा प्रेम आपको !
   (“ज्‍यादा पे्रम आपको” एलीझाबेथ पी. प्रेन्‍टीस द्वारा, 1818-1878)।

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन से पहले डो. क्रेगटन एल चान द्वारा पढा हुआ पवित्रषस्‍त्रः रोमियो 5:1-5।
धार्मिक प्रवचन से पहले श्रीमान बेन्‍जामिन कीनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीतः
“ज्‍यादा प्रेम आपको” (एलीझाबेथ पी. पेन्‍टीस द्वारा, 1818-1878)।


रूपरेखा

क्‍लेष द्वारा बदला हुआ!

डॉ. आर. एल. हायमर्स, जुनि द्वारा

“और जो पथरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सूनकर (तुरन्‍त) आनन्‍द के साथ मान लेता है; पर अपने में जड न रखने के कारण वह (थोड़े ही दिन) का है; और जब वचन के कारण क्‍लेष या उपद्रव होता है, तो तुरन्‍त ठोकर खाता है” (मती 13:20-21)।

(मरकुस 4:17)

I.   पहला, वे जो क्‍लेष द्वारा उल्‍लंघन किये हुअे है और कलीसिया छोडते है,
मती 13:21; मरकुस 4:17; कुल्‍लिसियो 2:7; लूका 8:13;
मरकुस 4:16-17; 1 यूहन्‍ना 2:19।

II.  दूसरा, वे जो क्‍लेष से गुजरते है परमेष्‍वर के राज्‍य मे प्रवेष पाने,
प्रेरितो 14:22; 19, 20; लूका 13:24; नीतीवचन 28:26;
भजन संहिता 32:3-4।

III. तीसरा, वे जो मसीही जीवन के क्‍लेष से गुजरने से बदलते है,
रोमियो 5:3-5; 12:2।