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नये संसार व्यवस्था की प्रसवपीड़ा !

BIRTH PANGS OF THE NEW WORLD ORDER!

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा
by Dr. R. L. Hymers, Jr.

लोस एंजलिस के बप्तीस टबरनेकल में प्रभु के दिन की सुबह,
24 अक्‍ुतबर, 2010 को दिया हुआ धार्मिक प्रवचन
A sermon preached at the Baptist Tabernacle of Los Angeles
Lord's Day Morning, October 24, 2010

‘‘ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी'' (मती 24:8)।


इस अध्याय का शब्दानुसार ग्रीक अनुवाद है, ‘‘ये सारी प्रसवपीडा की शुरूआत है''। ग्रीक शब्द ‘‘पीडा'' ज्ञश्रट में अनुवाद किया गया है वो है ‘‘ओडीन''। स्ट्रोन्ग की अेक्झोस्टीव कोन्करडन्स कहता है की ये शब्द बात करता है बच्चो के जन्म के समय की पीडा के संदर्भ में, ‘‘व्यथा, पीडा, प्रसव वेदना''। मेरी पत्नी, इलीयेना, वेदना में बीस घंटो से भी ज्यादा - ‘‘प्रसव पीडा'' से गुजरी हमारे जुडवा पुत्रो को जन्म देने से पहले। इसी तरह मसीह के आने से पहले संसार बहुत सी प्रसव पीडा से गुजरेगा।

बहुत से लोग मयान तारीख की सूचीपत्र के बारे में चिंतित है जो भविष्यवाणी करता है 2012 में संसार के अंत का। परन्तु बाइबल तारीख नक्की करने के विरूद्ध बात करते है। परमेश्वर खुद के अलावा किसीको भी निश्चिंत समय को नहीं जानता। हम चिन्ह देख सकते है, परन्तु हम पक्का समय नहीं जान सकते।

चेलोने यीशु से पूछा, ‘‘तेरे आने का और जगत के अन्त का क्या चिन्ह होगा?'' (मती 24:3)। यीशुने उनको बहुत से चिन्ह दीये, जो बच्चो के जन्म के समय औरत के पीडादायी सिकुडने के जैसा होगा। मसीहने कहाँ की संसार ये ऐठन उत्पन्न करनेवाली ‘‘प्रसव पीडा'' से गुजरेगा उनके लौटकर आ कर राज्य स्थापित करने के पहले। डो. एम. आर. डेहानने मती, पाठ चौबीस में दीये गये प्रसव पीडा की सूची दी -


1-  धोखे का बढना

2-  जुठे मसीह

3-  युद्ध और युद्ध की अफवाए

4-  दुष्काल और महामारी

5-  समकालीन भूकंप

6-  कुल की असहयनीयता और उपद्रव

7-  मनुष्यों की अविश्वसनीयता (एक दूसरे का विश्वासघात, एक दूसरे का तिरस्कार, मसीही प्रेम का ठंडा पडना)

8-  जूठे भविष्यवेता

9-  स्वधर्म त्याग

10- सुसमाचार का सर्वव्यापी प्रचार। (एम. आर. डेहान, एम.डी., साइनस अॉफ घ टाइम्स, क्रेगल प्रकाशन, 1996 में फिर से छपा, पृष्ठ 51)।


फिर डो. डेहानने कहा,

जब तक ये सारे दस चिन्ह मती 24ः3-14, मे, आखरी चिन्ह के अपवाद से साथ (विश्वभर में सुसमाचार की घोषणा) इतिहास में घटित हुअे है, वे कभी भी हाजिर नहीं थे, सारे के सारे, हर एक और एक ही समय पर। मैं पछता रहा हूँ, पहले कभी भी ये सारे चिन्ह एक ही समय पर घटित नहीं हुअे है। यह प्रभु खुद है जिन्होंने कहा, ‘‘इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह निकट है, वरन् द्वार ही पर है'' (मती 24:33)
... इतिहास में पहली बार ये सारे चिन्ह एक साथ और एक ही समय पर हाजिर है। कितना महत्वपूर्ण, फिर, सबसे दबानेवाले प्रश्न का सामना करना, ‘‘क्या आप तैयार हो प्रभु के आने के लिये?'' जब वे आते है, मुक्ति के द्वार सदा के लिये बंद हो जायेंगे उन सब के लिये जिन्होंने (मसीह का सुसमाचार) सूना है परन्तु जानबूझ कर उसका अस्वीकार किया है (एम. आर. डेहान, एम.डी. पइपक, पृष्ठ 52)।

‘‘ये सब बाते पीड़ाओ का आरम्भ होंगी'' (मती 24:8)।

चलीये विचार करते है दो प्रश्न, ‘‘प्रसव पीडा'' के बारे में जो हम देखते है, और जो आगे आनेवाले दिनों में ओर तीव्र हो जायेंगे।

1. पहला, क्या हालात ओर अच्छे होंगे?

लोगों को हकारात्मक सोचना अच्छा लगता है। उन्हे ये सोचना अच्छा लगता है कि हालात अच्छे होंगे। राष्ट्रपति ओबामाने शपथ ली है अच्छे के लिये ‘‘बदलना''। परन्तु ज्यादातर लोग कोई ‘‘बदलाव'' नही देख रहे है। अब वहाँ पर मत देनेवालो में लोकतंत्रवादी की तरफदारी में बडी लहर उठी है। परन्तु मैं नहीं सोचता की वे हमारी मदद करने कुछ ज्यादा कर सकेंगे। पहले स्थान में, अमरीकाने 53 लाख बच्चो का संहार किया कोख में ही। यहूदी हिटलर के अपने मृत्यु के पडाव से वे सात गुना ज्यादा है। और ये दूसरे विश्वयुद्ध में मारे हुअे कुल लोगो से तीन लाख ज्यादा है। अगर अमरीका और पश्चिम में सामन्यतः गर्भपात की पूर्ण आहूति के थोक संहार के लिये प्रभु द्वारा दन्ड नहीं दिया जाता है तो फिर प्रभु को हीटलर को दन्ड के लिये उसकी माफी मांगनी चाहिये। हकीकत में परमेश्वर हमे दन्ड ही दे रहे है पूरे पीढी के बच्चो के नाश के लिये। इतिहासकार वील डुरन्टने कहा, ‘‘कोई भी श्रेष्ठ देश अपने आप नष्ट होने तक जीता नहीं है।'' हमने अक्षरशः अपने आप को नष्ट किया है, और हम इसके लिये बहुत भयानक किंमत चूकानेवाले है।

आज बहुत से युवा अमरीकी मानने लगे है कि पश्चिमी दुनिया अपने आप को नाश कर रही है। हमने ज्यादातर हर चीज जो हम इस्तेमाल करते है दूसरे देश के लिये उसका निर्माण बंद कर दीया है, इसलिये वहाँ पर बहुत कम नौकरीयाँ है हमारे खुद के युवा लोगो के लिये जैसे ही वे नौकरी में प्रवेश करते है। एक बुद्धिशाली युवा आदमी हमारे कलीसिया में हाल ही में उनकी महाविद्यालय की स्नातकता प्राप्त की जो कभी बहुत ही ऊँची जगह मानी जाती थी। परन्तु उसे कम पगार की नौकरी लेनी पडी। एकदम से दूसरे अलग विभाग में - और वो यह नौकरी मिलने से खुश था। क्या बेरोजगारी की हालत अच्छे बदलाव के लीये होगी? बहुत से अर्थशास्त्री अब हमें कहते है ये कभी भी नही बदलेगा। और उनमें से कुछ कहते है ये शायद और भी खराब होगा आनेवाले वर्षो में। मंहगाई क्षितीज पर मंडरा रही है। जल्द ही जो चीज आज हम 1.00 डोलर में खरीद सकते है वो 10.00 डोलर की हो जायेगी। फिर 10.00 डोलर की किंमत का मीट्टी का तेल 100.00 डोलर में हो जायेगा! ऐसा होगा क्योंकि सरकार बिना कामके पैसे छाप रही है भ्रष्ट बेन्को और पैसा ब्याज पर देनेवालो को ‘‘जमानत देने'' के लिये। वो जो स्थापित आमदनी पर है वे कठीन दिनो का सामना करेंगे क्योंकि महंगाई ने डोलर की किंमत खत्म कर दी है। मैं सोचता हूँ कि वे कहे जोर से ‘‘ओबामा डोलर''।

बेरोजगारी का मनोगत दृश्य, और महंगाई का बे-लगामी से आना, आज बहुत से युवा लोगो को डराता है। मिलीटन्ट मुस्लीम आतंकवादी का उठना भी उनको डर से भर देता है। ये धार्मिक प्रवचन ज्यादातर अमरीका पर प्रकाश डालता है। परन्तु सामाजिक, मानसिक और आर्थिक कठिनाई जो अमरीका सामना कर रहा है वो संसार के सारे देखो में प्रतिबंधित हो रहा है। फ्रान्स में, सारडोझी कठीन नकशा रख रहे है, सामाजिक अशांति फैलाते हुअे। पुटीन रशिया को गलत दिशा में ले जाता हुआ दिख रहा है, इरान के साथ रिश्ता बनाते हुअे, जो मध्य पूर्वीय देशों में लडाई तक जा सकता है। वहाँ पर बहुत अशांति है इन्डोनेशिया और पूरे संसार में, खास करके इझरायल के आसपास के देखो में। मेक्सिको पहले से ही आराजक्ता के किनारे पर था, और शायद सरकार का फेंका हुआ। हकीकत में, हमारे दिनों में पूरा संसार अलग होता हुआ नजर आ रहा है।

मैं बीली ग्रेहाम से असहमत हूँ ‘‘निर्णायकता'' और कुछ और महत्वपूर्ण मुद्दो पर। परन्तु वे अेकदम सच्चे थे जब उन्होंने कहाँ, ‘‘परेशानी और खतरा आगे खडा है। ये वर्तमान लोगो की पीढी कटोकटी, खूनखराबा, तिरस्कार, युद्ध, लालच, वासना और परिश्रम के अलावा किसी भी चीज की आशा नहीं रख सकते ...'' (बीली ग्रेहाम, वर्ल्ड अफलेम, डबलडे अेन्ड कम्पनी, 1965, पृष्ठ 15) बीली ग्रेहामकी किताब, वर्ल्ड अफलेम, 1965 में लिखी थी। डो. डेहान की लिखावट के साथ वर्ल्ड अफलेम ने पीडाकारी साठ के दशक में मुज पर बडा प्रतिभाव डाला। जो बीली ग्रेहाम ने कहा वो इन बूरे दिनों में और भी सच हो रहा है। वल्डर् अफलेम के कुछ विभागो को सूनो,

स्वेच्छाचार की ज्वाला।
अनियंत्रित विज्ञान की ज्वाला।
राजकीय संकट की ज्वाला।
जातिलिंग।
कामोतेजक लेख।
दोष।
अप्रमाणिकता।
मरती हुई संस्कृति।
पलायनता।
व्यग्रता।
परिसर के प्रभु।
इसाईयों के पंथ की मूर्तिपूजा।
इंसान की विज्ञान की पूजा करता है।
इंसान खुद की पूजा करता है।
छोटे देवी देवता निष्फल हुअे है।
विश्वास के विरूद्ध अभिमानी बुद्धिमती।
पापो का उद्गम।
प्रभु के आसपास घूमना।
पाप के परिणाम।
स्वेच्छाचार में बढोतरी।
ताना मारनेवालो का आगमन।
दुःख देनेवालो का फैलाव।
मगिदोन के लिये तैयारी।
विश्व के शासक का आगमन।
दन्ड की ज्वाला।
    (बीली ग्रेहाम, वर्ल्ड अफलेम, पृष्ठ पग.गपप)।

‘‘ये सब बातें पीडाओं का आरम्भ होगी'' (मती 24:8)।

क्या धरती की चीजें बेहतर होंगी? नहीं, वो बेहतर नहीं होगी! कोई भी प्रवक्ता या राजनेता को मत मानीये जो कहते है वे करेंगे। बाइबल कहता है कि वहा पर ‘‘राष्ट्रों की दुर्गति'' होगी।

‘‘भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाट देखते देखते लोगों के जी में जी न रहेगा'' (लूका 21:26)।

जब आप समाचारपत्र पढते हो, या फिर इन्टरनेट पर समाचार पढते हो, ज्यादातर हर समाचार प्रसंग बताता है कि संसार उत्पात में है। और किसी के पास भी हमारी मुसीबतों का जवाब नहीं है। विन्सटन चर्चील के पास भविष्य में क्या होनेवाला है वो अनुमान करने का अद्भूत तरीका था। उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध की भविष्यवाणी वो शुरू होने के करीबन दस साल पहले की थी। उन्होंने लंदन पर फेंके जानेवाले बमगोले की भविष्यवाणी तब की थी जब बाकी के सारे राजनेता उनपर हंस रहे थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने आर्यन करटन और शीत युद्ध सोवियेत युनीयन के साथ के बनने के पंद्रह साल पहले उसकी भविष्यवाणी की थी। उन्होंने भविष्यवाणी की थी इझरायल राज्य की (1917 में) उसके आरंभ कोने के एकतीस साल पहले। वे ज्यादातर सच होते थे। परंतु अपने जीवन के अंत में चर्चीलने कहाँ, ‘‘हमारी कठीनाईया हमारे ऊपर है।'' मैं सोचता हूँ कि वे एकबार फिर सच थे! हमारी कठीनाईया हकीकत में हमारे उपर है! महंगाई, काम की कमी, मुस्लीम आतंकवाद, डर और निराशावारद चिन्ह है तूटते हुअे संसार के - संसार जो ज्वाला में है - गुफा में छत बनाने के साथ। बीली ग्रेहाम ने कहा, ‘‘मनुष्य प्रचन्ड बेकाबू आग की ज्वाला में है'' (पइपकण्, पृष्ठ. 2)। परन्तु याद रखिये, अब हम जो देख रहे है वो सिर्फ इन सालो में आनेवाले भयानक डर का सिर्फ पूर्वानूभव है।

‘‘ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी'' (मती 24:8)।

भविष्य में चीजें इतनी खराब होंगी की लोग चाहेंगे की वे फिर से वापस जाये जहाँ हम आज है। इतना बूरा जितना आज है, जल्द ही एक दिन ये कहाँ जायेगा ‘‘अच्छे पूराने दिन'',

‘‘क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ और न कभी होगा यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता, परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएँगे'' (मती 24:21-22)।

आनेवाले दुःख के दिन इतने बडे होंगे की मनुष्य पूरे नाश के खतरे में होगा। संसार अनुभव करेगा पूरे इंसानी इतिहास के सबसे बडे डर का। पापो से भरा मनुष्य आज कलीसिया के द्वार में प्रवेश नहीं करेगा। परन्तु वहाँ पर ऐसे दिन आनेवाले है जब,

‘‘जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा ... भय के कारण और उसके प्रताप के मारे लोग चट्टानों की गुफाओं और भूमि के बिलों में जा घुसेंगे'' (यशायाह 2:19)।

‘‘जब लोग कहते होंगे, कुशल है और कुछ भय नही ंतो उन पर एकाएक विनाश आ पडेगा ... और वे किसी रीति से न बचेंगे'' (1 थिस्सलुनिकियों 5:3)।

2. दूसरा, हमें क्या आशा होंगी ?

मुझे ये एकदम स्पष्ट करना है कि सिर्फ एक आशा ही संसार के पास जो है वो है प्रभु यीशु मसीह का दोबारा आना! मसीह का फिर से आना बाइबल में सेकडो बार बताया गया है, दोनो पूरानी और नयी नियमावली में। इसे तीतुस 2:13 में ‘‘धन्य आशा'' कहाँ गया है।

‘‘उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान परमेश्वर और उध्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें'' (तीतुस 2:13)।

अविश्वासी संसार को कोई सच्ची आशा नहीं हैं। प्रेरितों पौलुस द्वारा अविश्वासी लोगों का इस तरह वर्णन किया गया है, ‘‘ ... आशाहीन, और जगत में ईश्वररहित थे'' (इफिसियों 2:12)। परन्तु वे जो परिवर्तित हो सके है।

‘‘उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान परमेश्वर और उध्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें'' (तीतुस 2:13)।

‘‘कोई आशा नहीं'' या ‘‘धन्य आशा''। सिर्फ ये ही दो पर्याय है।

ये उन लोगो के लिये सरल है जो बाइबल सावधानी से विश्वास के साथ पढते है की यीशु आते है दूसरे चरण में। पहला वे हवा में आते है, सच्चे मसीही को पाने के लिये,

‘‘क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा उस समय ललकार, और प्रधानदूत का शब्द सुनाई देगा और परमेश्वर की तुरही फूँकी जाएगी; और जो मसीह में मरे है, वे पहले जी उठेंगे। तब हम जो जिवीत और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिये जाएँगे कि हवा में प्रभु से मिले; और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे'' (1 थिस्सलुनिकियो 4:16-17)।

डो. जोन आर. राइस ने ये अच्छी तरह कहाँ। खडे रहीये और ‘‘साथ में पकडे गये'' गाइये।

उनका सत्कार करने पकडा साथमें, साथमें,
   यीशु को साथ पकडा और कभी जुदा न होंगे;
उध्धारकर्ता केसाथ रहने क्षण में बदल गये,
   साथ में पकडा और कभी जुदा न होंगे।
(‘‘साथ में पकडा'' डो. जोन. आर. राईस द्वारा, 1895-1980)

आप बैठ सकते हो।

वे जो परिवर्तित है, वे यीशु के साथ ऊपर जायेेंगे! ऊपर कहाँ? ऊपर तीसरे स्वर्ग में, नये यरूशलम में! आजरात फिर से आइये। मैं इस विषय पर प्रवचन देनेवाला हूँंं।

परन्तु, बाद में, सच्चे मसीही यीशु के साथ फिर से आयेंगे बादलो के बीच से इस धरती पर। वो है दूसरा चरण, जब हम नीचे आते है यीशु के साथ तीसरे स्वर्ग से, उनके साथ धरती पर शासन करने! ये प्रकाशितवाक्या 19:11-16 में कहा गया है। भविष्यवक्ता जकर्याह ने भी इसके बारे में कहाँ जब उन्होंने कहाँ,

‘‘उस दिन वह जैतून के पर्वत पर पाँव रखेगा ... तब मेरा परमेश्वर यहोवा आयेगा, और सब पवित्र लोग उसके साथ होंगे'' (जकर्याह 14:4-5)।

नीचे तीसरे स्वर्ग से यीशु आयेगे - सच्चे मसीही के साथ जो उनके पदचिन्हों पर चलते हो - नीचे से ऊपर जैतुन के पर्वत पर यरूशलेम के बाजु में। और मसीह शासन करेगा ‘‘राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु'' (प्रकाशितवाक्य 19:16) के जैसे। यह है सच्ची नये संसार की व्यवस्था, मसीह का धरती पर 1000 वर्षों का शासन! ‘‘वे फिर आ रहे हैं''! खडे रहीये और इसे गाइये!

वे फिर आ रहे है, वे फिर आ रहे है,
   वो ही यीशु, मनुष्यों द्वारा अस्वीकृत कीये हुअे;
वे फिर आ रहे है, वे फिर आ रहे है,
   ताकत और बडी भव्यता के साथ वे फिर आ रहे है।
(‘‘वे फिर आ रहे है'' मेबल जोनस्टोन केम्प द्वारा, 1871-1937)।

एडी वोन्ग नामके धर्म प्रचारक ने कहा, ‘‘चीनी लोगो के मन सुसमाचार के लिये खुले है। उनको संसार में कोई और आशा नहीं है। यह एक मुख्य कारण है कि क्युं चीन में मसीही विश्वासी जल्दी से बढ रहे है'' (मककपमूंदह/रनदवण्बवउ, अक्तुबर 2010)। परन्तु यहाँ अमरीका और युरोप में बहुत से कलीसिया सदस्य है जो सोने चले गये है। उन्हें जुठी आशा है कि सब कुछ ओर अच्छा हो जायेगा! उनमें से बहुत से परिवर्तित नहीं हैं चीनी कलीसिया के मेरे दीर्घकाल के याजक, डो. टीमोथी लीन, हमेशा कहते थे, ‘‘अमरीकी लोगो के जैसे नहीं बनना! वे रविवार रात को क्लीसिया या प्रार्थना सभा में नहीं जाते! अमरीकी लोगो के जैसे नहीं बनना''! बहुत से हमारे कलीसिया के लोग सोचते है के वे परिवर्तित है परन्तु जब मसीह आयेंगे तब उनसे मिलने तैयार नहीं होंगे!

क्या आप तैयार हो? हा, आप! क्या आप मसीह को मिलने के लिये तैयार हो? अगर आपने काभी भी सच्चा परिवर्तन अनुभव नहीं किया, तो आप तैयार नहीं हो! कलीसिया में जाना आपको बचा नहीं सकता। ‘‘पापीयों की प्रार्थना'' करना भी आपको नहीं बचायेगा! ‘‘आगे'' जाना भी आपको नही बचायेगा! ‘‘पुनःसमर्पण'' आपके जीवन का आपको नहीं बचायेगा! आपको पापो के अपराधभाव में आना पडेगा। आपको आपके सारे अपराध पता होने चाहिये और अपनी लाचारी, कमजोरी और पाप को मेहसूस करो। आपको यीशु के पास आना चाहिये जो आपके पापो को चूकाने क्रूस पर मरे और वो अब ऊपर तीसरे स्वर्ग में हैं, प्रभु के साथ। आपको आपके पापो को उनके बहुमूल्य लहू से धोकर शुद्ध होना है। और हर रविवार को कलीसिया में आने का निश्चय करो। चाहे आपकी अर्धवार्षिक या वार्षिक परिक्षा या ‘‘छुट्टी'' हो आपको हर रविवार को कलीसिया में आने से नहीं रोकना चाहिये। धार्मिक प्रवचन आपके जीवन में कृपा का झरीया बन जायेगा, जो प्रभु द्वारा इस्तेमाल कीया गया है आपके परिवर्तन में। बीली ग्रेहाम ज्यादातर अपनी हर एक टी.वी. की धर्मयुद्ध सभा सीधे सीधे केमेरा में देख कर ही खत्म करते है, कहते हुअे, ‘‘और रविवार को कलीसिया जाने के लिये निश्चय करे''। यह दूसरा मुद्दा है जहाँ में उनके साथ सहमत हूँ। कलीसिया में रहीये और यीशु में ‘‘प्रवेश पाने का प्रयत्न करे'' सच्चे परिवर्तन में (लूका 13:24)। यही एक तरीका है मसीह के दूसरे बार के आने के लिये तैयार होने को! खडे रहीये और गाइये ‘‘वे फिर आ रहे है।''

वे फिर आ रहे है, वे फिर आ रहे है,
   वो ही यीशु, मनुष्यों द्वारा सुस्वीकृत कीये हुअे;
वे फिर आ रहे है, वे फिर आ रहे है,
   ताकत और बडी भव्यता के साथ वे फिर आ रहे है।

(संदेश का अंत)
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धार्मिक प्रवचन के पहले डो. क्रेगटन एल. चान द्वारा पढा हुआ पवित्र वाक्या : मती 24:1-8।
धार्मिक प्रवचन के पहले श्रीमान बेन्जामिन किनकेड ग्रीफिथ द्वारा गाया हुआ गीत :
‘‘साथ में पकडा'' (डो. जोन. आर. राइस, द्वारा, 1895-1980)।


रूपरेखा

नये संसार व्यवस्था की प्रसव पीड़ा!

डो. आर. एल. हायर्मस, जुनि. द्वारा

‘‘ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी'' (मती 24:8)।

(मती 24:3, 33)

1.   पहला, क्या हालात और अच्छे होंगे? लूका 21:26;मती 24:21-22;
यशायाह 2:19; 1 थिस्सलुनिकियो 5:3।

2.   दूसरा, हमें क्या आशा होंगी? तीतुस 2:13; इफिसियों 2:12;
1 थिस्सलुनिकियो 4:16-17; जकर्याह 14:4-5;
प्रकाशितवाक्य 19:16; लूका 13:24।